उज्जैन 31 जुुुलाई।लगभग एक वर्ष पहले चार वर्षीय मासुम बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में न्यायलय ने बलात्कारी को अपने जीवन की अंतिम सास तक जेल की सलाखोें के पीछे रहने की सजा दी हैं । इसके तीन दिन पहले भी ठीक इसी तरह की सजा एक व्यक्ति को दी गई थी । संयोग की बात है कि सजा देने वाले जज भी वही है और अभियोजन अधिकारी भी वही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पंचम अपर सत्र न्यायधीश विकास शर्मा ने आरोपी राजेश जयसवाल पिता कृष्णकुमार जयसवाल उम्र 25 वर्ष को चार वर्षीय मासूम बच्ची के साथ कुकर्म किये जाने की घटना में उसे दोषी मानते हुए ता जिन्दगी जेल में रहने की सजा सुनाई है।
सरकार की ओर से पेरवी करने वाले लोक अभियोजक राजकुमार नेमा ने न्यायालय के समक्ष सबूत रखते हुए बताया कि घटना वाले दिन बच्ची रात लगभग 9ः30 घर के बाहर खेल रही थी तभी उसके जोर से चीखने की आवाज आई जब परिवार ने बाहर निकल कर देखा तो उनकी बेटी बाहर खडे मनोज राठौर की आॅटो रिक्शा की पिछली सीट पर बदहवास पडी हुई थी और उन्हे देखते ही राजेश जयसवाल नामक युवक तेजी से भाग गया । बेटी ने अपने साथ हुए घटना क्रम को बताया तो उसके माता-पिता ने महाकाल थाने पहुंच कर एफआई आर दर्ज कराई ।
डी एन ए रिर्पोट बनी सजा का पुख्ता सबूत
इस केस में सबसे महत्वपुर्ण तथ्य यह था कि घटना की शिकार हुई मासुम बच्ची आरोपी को ठीक से पहचान भी नही पाई थी, परन्तु बच्ची के कपडो तथा राजेश के कपडो पर मिले सबूतों का डी एन ए कराया गया जो पाॅजिटिव आया। और यही राजेश की सजा का कारण बना ।
इस संबंध में न्यायालय के मिडिया प्रभारी मुकेश कुन्हारे ने बताया कि दो दिन पहले भी पंचम अपर सत्र न्यायाधीश श्री विकास शर्मा ने 13 वर्षीय बालिका के साथ कुकर्म करने वाले व्यक्ति को जेल में रहने की सजा सुनाई थी इसकी पैरवी लोक अभियोजक राज कुमार नेमा द्वारा की गई थी।attacknews.in