उज्जैन 5 जनवरी। भानपुरा पीठ के शंकराचार्य स्वामी श्री दिव्यानन्द तीर्थ ने कहा है कि भगवान शिव भारत के आदि देव हैं। शुद्धभाव से हर-हर महादेव कहने से ही शिव की उपासना पूर्ण होती है। महाकाल की नगरी में आयोजित शैव महोत्सव प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है। यह आयोजन विश्व को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
शंकराचार्य स्वामी दिव्यानन्द तीर्थ ने ये बात कहते हुए तीन दिवसीय शैव महोत्सव के शुभारंभ की घोषणा की।
स्वामी दिव्यानन्द तीर्थ ने कहा कि भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है, यहां के लोगों को गीता का अमृत उपदेश मिला। गीता मनुष्य को इंसान बनाती है।
इसके पूर्व भानपुरा पीठ के शंकराचार्य स्वामी श्री दिव्यानन्द तीर्थ, डॉ.मोहनराव भागवत, मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान, आचार्य महामण्डलेश्वर विश्वात्मानन्द, महामण्डलेश्वर विशोकानन्दजी, महामण्डलेश्वर श्री भवानीनन्दन यतिजी, महामण्डलेश्वर सबिदानन्दजी, महामण्डलेश्वर ब्रम्हयोगानन्दजी एवं महामण्डलेश्वर पुण्यानन्दजी महाराज ने दीप प्रज्वलन कर शैव महोत्सव का शुभारंभ किया। attacknews.in
हमारी संस्कृति के पदचिन्ह दुनिया में मिलते हैं
– डॉ. मोहन भागवत
शैव महोत्सव के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हमारी संस्कृति के पदचिन्ह दुनियाभर में मिलते हैं। विष पीकर अमर होने वाला देश भारत ही हो सकता है। हमारा कर्तव्य बनता है कि दुनिया को राह दिखाने का काम करें। शिव का पहला नाम रूद्र है, रूद्र का अर्थ है शक्ति। बिना शक्ति के शिव होने का कोई मतलब नहीं है। दुनिया की सारी दुष्ट शक्तियों को भस्म करने वाले रूद्र ही शिव हैं। हम लोगों को शक्ति की उपासना करना पड़ेगी। शारीरिक ताकत ही सबकुछ नहीं होती, उसके साथ आन्तरिक ताकत भी होना आवश्यक है। हमको भौतिक बल से साथ आध्यात्मिक बल-सम्पन्न संवेदनशील समाज बनाना पड़ेगा। दक्षिण में शिव की भभूति लगाकर बिना स्नान के भी चल सकता है। मन में कोई विकार नहीं है तो शिव का प्रतीक भस्म लगाने से तन और मन पवित्र हो जाता है। शिव भगवान अत्यन्त शातिपूर्वक बर्फीले टीले पर बैठकर आराधना पूरी करते हैं और वहीं से दुनिया को देखते हैं। शिव के समान आन्तरिक एवं बाह्य पवित्रता का वरण करने वाले को ही रूद्र की शक्ति प्राप्त होती है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय व व्यक्तिगत चरित्र शिव के समान होना चाहिये। शांति के लिए युद्ध नहीं करना पड़ता है। इसके लिये सम्पूर्ण स्वार्थ का त्याग करना होता है। हम लोगों का दायित्व है कि हम शिव को समझें। सम्राट विक्रमादित्य ने 2100 वर्ष पूर्व शैव महोत्सव प्रारंभ किया था। आज से आयोजित होने वाला शैव महोत्सव आम जन में शिवत्व की प्रेरणा जगाएगा। attacknews.in
डॉ. भागवत ने कहा कि भगवान राम ने उत्तर से दक्षिण को, भगवान कृष्ण ने पूर्व से पश्चिम को जोड़ने का काम किया किन्तु भगवान शिव सम्पूर्ण भारत के कण-कण में विद्यमान है। हिमालय के दोनों ओर सागर तट तक फैली हुई भूमि में शिव का पूजन किया जाता है। सम्पूर्ण दुनिया को जीवन जीने की कला सिखाने वाली भारतीय संस्कृति विश्वव्यापी है।
उन्होंने कहा कि कई वर्षो पूर्व जब वे केन्या गए थे तब वहां उन्होंने भगवान शिव के स्वयंभू लिंग के दर्शन किए। इसी तरह तंजानिया और केन्या के बीच फैले विक्टोरिया सरोवर के किनारे भी शिव के दर्शन हुए।
विश्व को शान्ति मार्ग भारत ही दिखायेगा –मुख्यमंत्री श्री चौहान
शैव महोत्सव के शुभारम्भ अवसर पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दुनिया के विकसित देशों में जब सभ्यता का विकास ही नहीं हुआ था, तब हमारे भारत में वेदों की ऋचाएं रच ली गई थीं। विश्व को शान्ति का मार्ग भारत ही दिखायेगा।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव भारत ही नहीं सृष्टि के कण-कण में विराजित हैं। शैव महोत्सव की प्राचीन परम्परा है। यह परम्परा जारी रहना चाहिये। उज्जैन से प्रारम्भ हुआ शैव महोत्सव द्वादश ज्योतिर्लिंगों तक जायेगा। थोड़ी-सी पूजा में प्रसन्न होने वाले भगवान शंकर ही हैं। उनका श्रृंगार भस्म से हो जाता है और भोग में भांग व धतूरा चलता है। attacknews.in
श्री चौहान ने भगवान शंकर ऐसे व्यक्तियों को स्वीकार करते हैं, जिनको दुनिया ठुकरा देती है। समुद्र मंथन में निकले विष को धारण करने वाले देव नीलकंठ कहलाये। सबको साथ लेकर चलने वाले, सबको प्रेम करने वाले एकमात्र भगवान शंकर हैं। भगवान शंकर सामाजिक समरसता का सन्देश देने वाले हैं। शैव महोत्सव सामाजिक समरसता का सन्देश देने का कार्य करेगा। दुनिया को अगर बचाना है तो भारतीय संस्कृति को बचाना होगा। एकात्म यात्रा हो या शैव महोत्सव, दोनों का सन्देश यही है कि सारे भेद मिटाते हुए समाज को जोड़ा जाये। विश्व में आज जिस तरह का टकराव सामने आ रहा है, इस समस्या को दूर करने का उपाय भारतीय संस्कृति करेगी। सभी सुख से रहें और सभी नीरोगी रहें, हमारी संस्कृति की यही मूल भावना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “उनसे जब अमेरिका में प्रश्न पूछा गया कि भारत देश का विचार क्या है? तो उन्होंने जवाब दिया “सत्यमेव जयते एवं ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ देश का विचार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का काम विकास करना तो है ही लोगों की जिन्दगी भी बनाना आवश्यक है, इसलिये नर्मदा सेवा, एकात्म यात्रा एवं शैव महोत्सव जैसे आयोजन करना आवश्यक है।attacknews.in
डाक टिकिट का विमोचन
शैव महोत्सव के अवसर पर भारतीय डाकतार विभाग द्वारा शैव महोत्सव-2018 विषय पर डाक टिकिट जारी किया गया। इस डाक टिकिट का विमोचन शंकराचार्य स्वामी श्री दिव्यानन्द तीर्थ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ.मोहनराव भागवत, मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान, आचार्य महामण्डलेश्वर विश्वात्मानन्द, महामण्डलेश्वर विशोकानन्दजी, महामण्डलेश्वर श्री भवानीनन्दन यतिजी, महामण्डलेश्वर सबिदानन्दजी, महामण्डलेश्वर ब्रम्हयोगानन्दजी एवं महामण्डलेश्वर पुण्यानन्दजी महाराज की उपस्थिति में किया गया।
इस अवसर पर भारतीय डाकतार विभाग के श्री राकेश कुमार, सुश्री प्रीति अग्रवाल एवं श्री बीएस तोमर मौजूद थे।
डाकतार विभाग द्वारा शैव महोत्सव के अवसर पर विशेष कवर, जिसमें महाकाल शिखर का चित्र है, भी जारी किया गया। द्वादश ज्योतिर्लिंग पर विशेष 12 पोस्टकार्ड भी जारी किये गये एवं सम्राट विक्रमादित्य द्वारा आयोजित प्रथम शैव उत्सव की स्मृति के रूप में प्राप्त हुई मुद्रा, जिसमें ब्राह्मीलिपि में शैव महोत्सव का विवरण अंकित है, के डाक टिकिट का भी विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।attacknews.in
श्री मुले को महाकालेश्वर वेद अलंकरण सम्मान
वर्ष 2017 के लिये महाकालेश्वर वेद अलंकरण महाराष्ट्र के वेदमूर्ति श्री दुर्गादास अम्बादास मुले को दिया गया। अलंकरण में श्री मुले को डॉ.मोहन भागवत एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने एक लाख रूपये का चेक, रजत पत्र एवं प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया।
श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति के सदस्य श्री विभाष उपाध्याय ने श्री मुले के बारे में प्रशस्ति-वाचन करते हुए बताया कि महाराष्ट्र में जन्मे श्री मुले को पूर्व में आदर्श वैदिक धनपाठी एवं अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इन्होंने 1200 से अधिक विद्यार्थियों को अपनी संस्था में विद्याध्यन कराया है। इनके द्वारा 1985 से अनवरत वेद पाठशाला एवं वेद विद्या का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।attacknews.in