नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर । उच्चतम नयायालय ने टीआरपी घोटाला मामले में दर्ज प्राथमिकी पर मुंबई पुलिस की ओर से जारी समन आदेश के खिलाफ रिपब्लिक टीवी की याचिका पर सुनवाई से गुरुवार को इनकार कर दिया।
न्यायालय ने, हालांकि मुंबई पुलिस आयुक्त द्वारा प्रेस में बयान दिये जाने को लेकर भी गम्भीर चिंता जतायी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचुड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को पहले बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष जाने को कहा।
न्यायमूर्ति चंद्रचुड़ ने कहा, “हमें अपने उच्च न्यायालयों पर भरोसा रखना चाहिए। उच्च न्यायालयों के हस्तक्षेप के बिना सुनवाई से एक खराब संदेश जाता है।’’
न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने कहा कि याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 226 या आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। उसके बाद याचिकाकर्ता एआरजी आउटलेयर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने याचिका वापस ले ली ।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मुंबई पुलिस आयुक्त द्वारा प्रेस को दिये गये साक्षात्कार पर चिंता जतायी।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “जिस तरह से पुलिस आयुक्त इन दिनों प्रेस को साक्षात्कार दे रहे हैं, उससे वाकई हम भी चिंतित हैं।”
इससे पहले मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले में चैनल के खिलाफ मुंबई पुलिस की जांच को चुनौती देने वाली रिपब्लिक टीवी की याचिका पर शीर्ष अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर कर इसे अनुकरणीय जुर्माने के साथ खारिज करने का आग्रह किया है।
मुंबई पुलिस ने दलील दी है कि एक कथित अपराध की जांच को अनुच्छेद 19 (1) (ए) के उल्लंघन की आड़ में नहीं टाला जा सकता है।
रिपब्लिक टीवी ने अपने सीएफओ और दूसरे अधिकारियों को मुंबई पुलिस द्वारा समन किए जाने को चुनौती दी थी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमें उच्च न्यायालयों में भरोसा रखना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी उच्च न्यायालय काम करता रहा है और मीडिया समूह को वहां जाना चाहिए।
इस मीडिया हाउस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इस मामले में चल रही जांच को लेकर आशंका व्यक्त की।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आपके मुवक्किल का वर्ली (मुंबई) में कार्यालय है? आप बंबई उच्च न्यायालय जा सकते हैं। उच्च न्यायालय द्वारा मामले को सुने बगैर ही इस तरह से याचिका पर विचार करने से भी संदेश जाता है। उच्च न्यायालय महामारी के दौरान भी काम कर रहा है।’’
उसने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि हाल के समय में पुलिस आयुक्तों के इंटरव्यू देने का चलन हो गया है।
साल्वे ने इस पर उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस ले ली।
मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले में एक मामला दर्ज किया है और उसने रिपब्लिक टीवी के मुख्य वित्त अधिकारी एस सुन्दरम को जांच के लिये तलब किया है।
मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की।
पुलिस के अनुसार यह गोरखधंधा उस समय सामने आया जब टीआरपी का आकलन करने वाले संगठन बार्क ने हंसा रिसर्च समूह के माध्यम से इस बारे में एक शिकायत दर्ज करायी।
शीर्ष अदालत में यह याचिका रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के स्वामित्व वाली आर्ग आउटलायर मीडिया प्रा लि ने दायर की थी और इसमें पुलिस द्वारा जारी सम्मन निरस्त करने का अनुरोध किया गया था।
इससे पहले, मुंबई पुलिस ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दाखिल करके रिपब्लिक मीडिया समूह की याचिका खारिज करने का अनुरोध किया था।
मुंबई पुलिस ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता कथित टीआरपी रेटिंग्स के साथ हेराफेरी की जांच निरस्त कराने के लिये संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) का सहारा नहीं ले सकते हैं। पुलिस का कहना था कि कानून के तहत किसी भी अपराध की जांच के मामले में इस अनुच्छेद की आड़ नहीं ली जा सकती है।
पुलिस का कहना था कि उसके द्वारा दर्ज प्राथमिकी में अगर कोई मामला बनता है तो उस पर इस समय फैसला नहीं किया जा सकता है।
पुलिस के अनुसार इस मामले में जांच अभी जारी है और ऐसी कोई विशेष परिस्थिति पैदा नहीं हुयी है कि इस न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इसमें हस्तक्षेप करना पड़े।