अगरतला, 04 जून । त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) में सत्तारूढ़ राजशाही वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मन की टिपरा मोथा और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच ग्राम परिषदों को नियंत्रित करने की स्थिति काफी गंभीर हाे गई है।
सत्तारूढ टिपरा मोथा ने राज्य चुनाव आयोग से इस संकट को खत्म करने के लिए ग्राम परिषदों के तत्काल चुनाव कराने का अनुरोध किया।
त्रिपुरा में भाजपा कैडरों का पार्टी छोड़ना जारी
इधर 20 मई की रिपोर्ट है कि, त्रिपुरा में पिछले महीने स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) चुनाव हारने के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बड़े पैमाने पर कैडरों का आदिवासी क्षेत्रों में पंचायतों और ग्राम समितियों का छोड़ना जारी है।
एडीसी क्षेत्र की बड़ी संख्या में ग्राम समितियों पर टीआईपीआरए मोथा का कब्जा था, वे भाजपा और आईपीएफटी की नामित परिषद से हट रहे हैं।
इसी तरह, राज्य में सरकार बनने के तुरंत बाद भाजपा द्वारा निर्विरोध जीती गई तीन त्रिस्तरीय पंचायतें राज्य भर में विश्वास मत खो रही हैं।
पुलिस रिपोर्ट में कहा, “लगभग 100 पंचायत और पंचायत समितियां जिन्हें बिना चुनाव के भाजपा ने जीती, अब अविश्वास की वजह से गंवा रही हैं।
टीआईपीआरए मोथा ने एडीसी जीतने के बाद ग्राम समितियों पर भी कब्जा कर लिया गया था।
सत्तारूढ़ भाजपा और आईपीएफटी विधायक और मंत्री अब आदिवासी क्षेत्रों का दौरा करने की हिम्मत जुटा रहे हैं।
सत्तारूढ़ दल के खिलाफ बगावत कर चार निर्वाचित पंचायत सदस्यों और कई बूथ स्तर के नेताओं सहित सत्तारूढ़ भाजपा के 150 परिवारों के 450 मतदाताओं ने सिपाहीजला जिले के कमलासागर विधानसभा क्षेत्र के पूर्वी गाकुलनगर क्षेत्र में पार्टी छोड़ दी।
उन्होंने राज्य में भाजपा युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं पर अत्याचार, कुशासन और अराजकता तथा राज्य में कानून-व्यवस्था चौपट हो जाने का आरोप लगाया है।