नयी दिल्ली, 09 दिसंबर । कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने किसानों की समस्या को हल करने के प्रति मोदी सरकार का रवैये को असंवेदनशील करार देते हुए सरकार के प्रस्ताव को नकार दिया है।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने आज संवाददाताओं से कहा कि किसानों की समस्या को हल करने के प्रति मोदी सरकार का रवैया असंवेदनशील और हेकड़ी भरा है इसलिए सभी किसान संगठनों ने नए के रूप में दिये गये इस पुराने प्रस्ताव को नकार दिया है।
किसानों की आपत्तियों पर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार
सरकार ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि किसान संगठनों को कृषि सुधार के जिन प्रावधानों पर आपत्ति है उस पर वह खुले मन से विचार करने को तैयार है ।
कृषि मंत्रालय की ओर से तेरह किसान संगठनों को किसानों की आपत्तियों पर संशोधन का प्रस्ताव भेजा गया जिसका अध्ययन किया गया । इन किसान संगठनों के नेताओं ने कल रात गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और अपनी मांगों को लेकर चिचार विमर्श किया था । इन किसान संगठनों में भारतीय किसान यूनियन उग्राहा , क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब और किसान संघर्ष समिति पंजाब आदि शामिल हैं ।
किसान आंदोलन पर बोली सरकार: स्थिति की ‘रनिंग कमेंट्री’ नहीं की जा सकती
सरकार ने आज कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के मुद्दों का समाधान किया जा रहा है और अभी स्थिति ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ की है जिसकी ‘रनिंग कमेंट्री’ नहीं की जा सकती।
बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जब पत्रकारों ने आंदोलन कर रहे किसानों के साथ बातचीत की स्थिति और सरकार द्वारा उन्हें भेजे गये ताजा प्रस्तावों के संबंध में सवाल किया तो सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दों को लेकर संवेदनशील है और अब तक छह दौर की बातचीत की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि यह ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ है और इसकी ‘रनिंग कमेंट्री’ नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि सरकार जिम्मेदारी के साथ काम कर रही है और उम्मीद है कि यह अंतिम चरण में है।
उल्लेखनीय है कि सरकार किसानों के साथ अब तक छह दौर की बातचीत कर चुकी है लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला है। पांचवें दौर की बातचीत के बाद सरकार ने किसानों से कहा था कि वह कानूनों में संशोधन के संबंध में उन्हें अपना प्रस्ताव देगी और इसके बाद बुधवार को छठे दौर की बातचीत होगी। लेकिन मंगलवार को अचानक हुए घटनाक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ किसान नेताओं के साथ बातचीत की हालाकि उसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला।
सरकार ने आज किसानों के पास संशोधन से संबंधित प्रस्ताव भेजे जिनपर किसानों द्वारा विचार किये जाने के बाद दोनों पक्षों के बीच फिर से चर्चा होगी।
किसान नेताओं ने कृषि कानूनों को रद्द करने पर जोर दिया, वार्ता का छठा दौर निरस्त
केंद्र और किसानों के बीच वार्ता बेनतीजा रहने के बाद बुधवार को हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहे और नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े रहे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मंगलवार रात बुलाई गयी बैठक में कोई परिणाम नहीं निकला क्योंकि किसानों ने नए कृषि कानूनों में संशोधन की सरकार की मांग को खारिज कर दिया। किसानों का कहना है कि वे कानूनों को वापस लिए जाने से कम किसी चीज में नहीं मानेंगे।
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन को समाप्त करने के उद्देश्य से किसान नेताओं और सरकार के बीच बुधवार को होने वाली छठे दौर की बातचीत निरस्त हो गयी।
कई किसान नेताओं ने वार्ता का बहिष्कार करने की चेतावनी दी थी।
आंदोलनकारी किसान सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं और इस वजह से दिल्ली की सीमाओं पर यातायात अवरुद्ध रहा।
दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्विटर के माध्यम से लोगों को टिकरी, झाड़ोदा, ढांसा बार्डरों पर हर तरह का यातायात बंद होने की जानकारी दी। हालांकि झटीकरा बॉर्डर केवल दोपहिया वाहनों और पैदल यात्रियों के लिए खुला है।
उसने कहा कि हरियाणा जाने वाले लोग दौराला, कापसहेड़ा, बड़ूसराय, राजोकरी राष्ट्रीय राजमार्ग-8, बिजवासन/बजघेड़ा, पालम विहार और डुंडाहेड़ा सीमाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।
दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट किया, ‘‘सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी, मंगेश बार्डर बंद हैं। एनएच-44 दोनों तरफ से बंद है। लामपुर, साफियाबाद, सबोली, एनएच-8/भोपरा/अप्सरा बॉर्डर/ पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से वैकल्पिक रास्ता लिया जा सकता है।’’
उसने यह भी कहा कि मुकरबा और जीटीके रोड से रास्ते बदल दिये गये हैं और लोगों को बाहरी रिंग रोड, जीटीके रोड तथा एनएच-44 की ओर जाने से बचना चाहिए।
विपक्षी नेताओं की कोविंद से कृषि क़ानून वापस लेने की मांग
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विपक्ष के पांच नेताओं ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर किसान आंदोलन के मद्देनजर सरकार से कृषि संबंधी तीनों कानून वापस लेने की मांग की।
श्री गांधी ने मुलाकात के बाद राष्ट्रपति भवन के बाहर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति से कहा कि सरकार किसानों के हितों को कुचल रही है जिसके कारण किसान सड़कों पर है इसलिए किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए वह सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस लेने का निर्देश दें।
उन्होंने कहा “जिस तरह से यह तीनों विधेयक पारित हुए हैं, वह तरीका ही गलत था और इससे किसान का सरकार पर भरोसा टूटा है। ठंड में किसान धरने पर बैठे है और किसान विरोधी सरकार उनकी नहीं सुन रही है। जब तक किसानों की बात नहीं मानी जाती है, वे सड़कों से हटेंगे नही।”
राष्ट्रवाद कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने कहा कि किसान 13 दिन से ठंड से सिकुड़ रहे हैं और सड़कों पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है। ऐसे में विपक्षी नेताओं का दायित्व था कि देश के सर्वोच्च नेतृत्व से मिलकर सरकार की असलियत से अवगत कराये और इसी वजह से आज यह राष्ट्रपति से मुलाकात की।