नयी दिल्ली 07 अप्रैल । वर्ष 1999 में हुए तेरहवें लोकसभा चुनाव में भी यद्यपि किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला लेकिन केंद्र में राजनीतिक अस्थिरता का दौर खत्म हुआ और स्थिर साझा सरकारें बनने का सिलसिला शुरु हुआ।
एक वोट से सरकार गंवाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राजनीतिक दलों से गठबंधन कर अपनी स्थिति सुदृढ कर ली थी और श्री अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बने और उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी और पूरे समय चली। इस चुनाव में कांग्रेस की स्थिति और खराब हुयी तथा उसकी सीटों की संख्या में और कमी आयी। भाजपा को इस चुनाव में 182 सीटें मिली थी और कांग्रेस 114 सीटों पर ही सिमट गयी थी ।
इस चुनाव की विशेषता यह थी कि कांग्रेस का नेतृत्व संभालने वाली सोनिया गांधी निर्वाचित हुयी थी जबकि राजद नेता लालू प्रसाद यादव पराजित हो गये थे। सपा नेता मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर विजयी हुये थे जबकि मेनका गांधी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीती थीं।
इस चुनाव में सात राष्ट्रीय पार्टियों, 40 राज्य स्तरीय पार्टियों तथा 122 निबंधित पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 1299 उम्मीदवार चुनाव लड़ाये थे जिनमें से 369 निर्वाचित हुये थे। राष्ट्रीय पार्टियों 67.11 प्रतिशत वोट आया था। राज्य स्तरीय पार्टियों 750 प्रत्याशी खड़े किये थे और पहली बार इन पार्टियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 158 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इन पार्टियों को लगभग 27 प्रतिशत वोट आये थे। निबंधित पार्टियों के 654 उम्मीदवारों में से दस जीत गये थे। इस बार 1945 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था जिनमें से केवल छह जीत सके थे।
लोकसभा की 543 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में 61 करोड़ 95 लाख से अधिक मतदाताओं में से 59.99 प्रतिशत ने वोट डाले थे। चुनाव में कुल 4648 उम्मीदवारों ने अपना राजनीतिक भविष्य आजमाया था। राष्ट्रीय पार्टियों में शामिल जनता दल (एस) को केवल एक सीट आयी थी जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी चार सीटों पर सिमट गयी थी।
कांग्रेस ने 453 सीटोें पर चुनाव लड़ा था और उसके 114 उम्मीदवार निर्वाचित हुए थे । उसे 28.30 प्रतिशत वोट आया था। भाजपा ने 339 सीटों पर चुनाव लड़ा। उसेे 23.75 प्रतिशत वोट मिले और उसके 182 उम्मीदवार चुनाव जीत गये थे। भाकपा के 54 उम्मीदवारोंं में से चार चुने गये थे जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 72 प्रत्याशियों में से 33 विजयी हुये थे। जनतादल (एस) के 96 में से एक और जनतादल (यू) के 60 में से 21 उम्मीदवार निर्वाचित हुये थे।
कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में दस, बिहार में चार, आन्ध्र प्रदेश में पांच, अरुणाचल प्रदेश में दो, असम में दस, गुजरात में छह, कर्नाटक में 18, केरल में आठ, मध्य प्रदेश में 11, महाराष्ट्र में दस, पंजाब में आठ, पश्चिम बंगाल में तीन , राजस्थान में नौ, ओडिशा में दो, तमिलनाडु में दो तथा मेघालय ,नागालैंड, चंडीगढ , दमन एवं दीव, लक्षद्वीप और पांडिचेरी में एक-एक सीट मिली थी। भाजपा को उत्तर प्रदेश में 29, बिहार में 23, आन्ध्र प्रदेश में सात, असम में दो, गोवा में दो, गुजरात में 20, हरियाणा में पांच, हिमाचल प्रदेश में तीन, जम्मू कश्मीर में दो, कर्नाटक में सात, मध्य प्रदेश में 29, महाराष्ट्र में 13, ओडिशा में नौ, पंजाब में एक, राजस्थान में 16, तमिलनाडु में चार, पश्चिम बंगाल में दो, अंडमान निकोबार में एक तथा दिल्ली में सात सीटें मिली थी ।
भाकपा को पश्चिम बंगाल में तीन और पंजाब में एक सीट मिली थी। माकपा की स्थिति पश्चिम बंगाल में थाेड़ी कमजोर हुयी थी और इस राज्य में उसे 21 सीटें मिली थी। इसके अलावा उसे केरल में आठ, त्रिपुरा में दो तथा बिहार और तमिलनाडु में एक-एक सीट मिली थी। जनतादल (एस) को महाराष्ट्र में एक तथा जनतादल (यू) को बिहार में 18 और कर्नाटक में तीन सीटें मिली थी। समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में 26, बहुजन समाज पार्टी को इसी राज्य में 14, बीजू जनता दल को उड़ीसा में दस, तृणमूल कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में आठ, अन्नाद्रमुक को तमिलनाडु में दस, द्रमुक को इसी राज्य में 12, इंडियन नेंशनल लोकदल को हरियाणा में पांच, राष्ट्रीय जनतादल को बिहार में सात, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को महाराष्ट्र में छह, मणिपुर और मेघालय मेंं एक-एक, अकालीदल को पंजाब में दो, शिवसेना को महाराष्ट्र में 15 तथा तेलुगू देशम पार्टी को आन्ध्र प्रदेश में 29 सीटें आयी थी । निर्दलीय उम्मीदवारों को असम , बिहार, महाराष्ट्र , मिजोरम, उत्तर प्रदेश और दादर नागर हवेली में एक – एक सीट मिली थी।
उत्तर प्रदेश के अमेठी में कांग्रेस के टिकट पर सोनिया गांधी ने जीत हासिल की जबकि रायबरेली में कांग्रेस के सतीश शर्मा ने समाजवादी पार्टी को हराया था। लखनऊ सीट पर भाजपा उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी ने कांग्रेस के कर्ण सिंह को पराजित किया था। श्री वाजपेयी को 3,62,709 तथा श्री सिंह को 2,39,085 वोट मिले थे।
कांग्रेस के टिकट पर नारायणदत्त तिवारी ने नैनीताल में भाजपा के बलराज पासी को पराजित किया था। श्री तिवारी को 3,50,381 तथा श्री पासी को 2,37,974 मत मिले थे। संभल सीट पर सपा के मुलायम सिंह यादव ने भाजपा के भूपेन्द्र सिंह को हराया था। श्री यादव कोे 2,59,430 और श्री सिंह को 1,43,596 वोट आये थे। श्री मुलायम सिंह यादव कन्नौज सीट पर भी जीते थे। पीलीभीत सीट पर मेनका गांधी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीती थीं। बलिया में समाजवादी जनता पार्टी के टिकट पर चन्द्रशेखर निर्वाचित हुये थे। बसपा नेता मायावती अकबरपुर से चुनी गयी थीं।
बिहार के मधेपुरा में राजद के लालू प्रसाद यादव जनता दल (यू) के शरद यादव से चुनाव हार गये थे। श्री शरद यादव को 3,28,761 तथा श्री लालू प्रसाद यादव को 2,98,441 वोट मिले थे। भाजपा के राधा मोहन सिंह मोतिहारी में तथा इसी पार्टी के हुकुमदेव नारायण यादव मधुबनी में चुनाव जीत गये थे। जद (यू) के टिकट पर रामविलास पासवान हाजीपुर से, नीतीश कुमार बाढ से तथा जार्ज फर्नाडीस नालंदा से निर्वाचित हुये थे ।
पश्चिम बंगाल में कलकत्ता दक्षिण सीट पर तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी माकपा के सुभंकर चक्रवर्ती को लगभग ढाई लाख मतों से हराया था। मिदनापुर में भाकपा के दिग्गज नेता इन्द्रजीत गुप्त और बोलपुर में माकपा के वरिष्ठ नेता सेमनाथ चटर्जी एक बार फिर जीतने में कामयाब रहे थे। गुजरात के गांधीनगर में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी निर्वाचित हुये थे लेकिन कांग्रेस नेता भजनलाल हरियाणा में करनाल सीट पर चुनाव हार गये थे। मध्य प्रदेश के गुना में कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने भाजपा के देशराज सिंह यादव को भारी अंतर से हराया था। छिंदवाड़ा में कांग्रेस के कमलनाथ तथा भोपाल में भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती निर्वाचित हुयी थी। इंदौर में भाजपा की सुमित्रा महाजन एक बार फिर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। पंजाब के गुरदासपुर में भाजपा के विनोद खन्ना और अमृतसर में कांग्रेस के रधु नंदन लाल भाटिया चुने गये थे।
महाराष्ट्र के बारामती में राकांपा के शरद पवार ने भाजपा की प्रतिभा लोखंडे को लगभग तीन लाख मतों से हराया था। शोलापुर में कांग्रेस के सुशील कुमार शिंदे विजयी हुये थे।
attacknews.in