चेन्नई, आठ अगस्त । चेन्नई के मरीना बीच पर लाखों लोगों ने द्रविड़ राजनीति के अगुवा मुथुवेल करूणानिधि को आज अंतिम विदाई दी ।
मद्रास उच्च न्यायालय में पूरी रात चली सुनवाई के बाद आए फैसले के उपरांत सरकार ने अंतत: कलैनार को मरीना पर अंतिम विश्राम की जगह दे दी और लाखों प्रशंसकों, समर्थकों, तमाम हस्तियों की अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि के बीच उन्हें दफनाया गया।
थलैवर (नेता) को अंतिम विदा देने के लिए पूरे देश के बड़े और रसूखदार लोग आज चेन्नई में जमा थे। बेहद कम उम्र में स्कूल छोड़ने वाले करूणानिधि ने अपने दशकों लंबे सार्वजनिक जीवन में लेखन, सिनेमा और राजनीति तीनों ही क्षेत्रों में बड़ा नाम बनाया और उनमें अपना अमूल्य योगदान किया।
ग्यारह दिन तक अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच चले संघर्ष के बाद 94 वर्षीय करूणानिधि का कल शाम निधन हो गया ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबु नायडू सहित देशभर से तमाम बड़े नेता करूणानिधि को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
माकपा महासचिव सीतारात येचुरी, माकपा नेता प्रकाश करात, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव भी अंतिम यात्रा में मौजूद थे।
करूणानिधि का अंतिम संस्कार आज पूरे सैन्य राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा, राहुल गांधी, केन्द्रीय मंत्री और तमिलनाडु से भाजपा के एकमात्र लोकसभा सदस्य पोन राधाकृष्णन, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणस्वामी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मरीना बीच पर दिवंगत नेता को पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी ।
करूणानिधि के पुत्र और उनके संभावित उत्तराधिकारी एम. के. स्टालिन को उनके पिता के शरीर पर लिपटातिरंगा सौंपा गया। द्रमुक प्रमुख की पत्नी राजति अम्मल और अन्य पुत्रों तथा पुत्रियों ने अपने पिता के चरणों पर पुष्प अर्पित किये।
अंतिम क्षणों की बात करें तो करूणानिधि के शव वाले ताबूत को कब्र में उतारे जाने से पहले स्टालिन ने अपने पिता के पैर छुए और वह रोते रहे। उनकी सबसे छोटी बेटी और राज्यसभा सदस्य कनिमोई ने अंतिम बार अपने पिता के सिर और गालों को बड़े प्रेम से स्पर्श किया।
चूंकि करूणानिधि ने स्वयं को नास्तिक और तर्कवादी घोषित किया था , इसलिए उनके अंतिम संस्कार के दौरान कोई हिन्दु रीति-रिवाज नहीं हुआ।
अंतिम यात्रा:
द्रमुक अध्यक्ष एम कुरूणानिधि की अंतिम यात्रा आज शुरू हुई। हजारों लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी।
तीनों सेनाओं के कर्मियों ने उनके ताबूत को जैसे ही उठाया वैसे ही ‘करूणानिधि अमर रहें’ के नारे गूंजने लगे। कर्मी उनका पार्थिव देह एक खुली सैन्य गाड़ी की ओर लेकर गए, जो मरीना तट जाएगी।
उनके बेटे एमके स्टालिन और तमीझरासू समेत परिवार के अन्य सदस्य नमों आंखों के साथ उनके पीछे-पीछे चल रहे थे।
खुली गाड़ी मरीना तट की ओर रूख किया जो राजाजी हॉल से करीब 1.7 किलोमीटर दूर है और पूरे रास्ते में सड़क के दोनों ओर दिवंगत नेता की आखिरी झलक पाने के लिए लोग उमड़े हुए थे।
उनकी अर्थी के पीछे-पीछे आ रहे सैकड़ों लोगों ने काली कमीज पहनी हुई थी और वे दिवंगत नेता की तस्वीरें और तख्तियों थामे हुए थे।
करूणानिधि के पार्थिव देह को राष्ट्रीय ध्वज में लिपटाया गया । उन्हें उनका परिचित लिबास, काला चश्मा, पीली शॉल, सफेद कमीज और धोती पहनाया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री के पार्थिव देह को मरीना तट पर उनके मार्गदर्शक और द्रमुक संस्थापक सी एन अन्नादुरै की समाधि के पीछे पूरे राजकीय सम्मान के साथ दफन किया गया। ●दिवंगत नेता एम. करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने के दौरान हुई भगदड़ में बुधवार को दो लोगों की मौत हो गयी और 35 घायल हो गए।
दक्षिण की राजनीति के पुरोधा करुणानिधि का मंगलवार की शाम निधन हो गया था।
उनके अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर राजाजी हाल में रखा गया था, जहां समर्थकों का हुजूम था। समर्थकों के अपने दिवंगत नेता के नजदीक से दर्शन करने और श्रद्धांजलि देने की होड़ में भगदड़ मच गयी। भगदड़ में दो लोगों की मौत हो गयी और 35 घायल हो गए।
मृतकों में एक की पहचान शहर के एमजीआर नगर के षड़बगम (60) के रूप में हुई है।
घायलों को राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल सूत्रों ने बताया कि दो लोग अस्पताल में मृत लाये गए जबकि 35 को मामूली चोंटे आयी हैं।
अंतिम यात्रा में भगदड़:
दिवंगत द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि का पार्थिव शरीर यहां जिस राजाजी हॉल में रखा गया । वहां उनके आखिरी दर्शन के लिये लोगों की भीड़ इस कदम उमड़ी की भगदड़ जैसे हालात बन गए।
पुलिस ने कहा कि कई पुरुष और महिलाओं को इस दौरान धक्कामुक्की में हल्की चोट आई तो कुछ इस दौरान बेहोश हो गए।
लोगों की भारी भीड़ के बीच द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन लोगों से शांति बनाए रखने और कार्यकर्ताओं से श्रद्धांजलि देने के फौरन बाद शांतिपूर्ण तरीके से वहां से निकल जाने का अनुरोध करते रहे।
दोपहर तक जैसे भीड़ बढ़ी कई जगहों पर पुलिस द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने के लिये लगाए गए बैरीकेड यहां-वहां बिखरे दिखे।
पुलिस द्वारा व्यवस्था कायम रखने के लिये किये गए तमाम प्रयास नाकाफी दिखे और कई जगहों पर पार्टी समर्थकों की पुलिसकर्मियों के साथ बहस होती दिखी। कार्यकर्ता अपने नेता के अंतिम दर्शन करने के लिये आगे जाना चाहते थे।
एक वक्त ऐसा आया जब स्थिति बेकाबू होती दिखी और लोग अपने नेता के अंतिम दर्शन के लिये तय प्रवेश द्वारों के बजाय हर तरफ से आने की कोशिश करने लगे। इसमें पास के सरकारी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल से लोगों के आने का भी सिलसिला शुरू हो गया।
उस वक्त हंगामा थोड़ा बढ़ गया जब कुछ लोग महत्वपूर्ण और गणमान्य लोगों के साथ ही पीछे और किनारे से मुख्य हॉल में पहुंचने की कोशिश करने लगे।
तमिलनाडु सरकार ने आज करुणानिधि के सम्मान में स्थानीय छुट्टी का ऐलान किया है।
कोर्ट का फैसला:
एम करूणानिधि के पार्थिव शरीर को यहां मरीना बीच पर दफनाने की आज अनुमति प्रदान कर दी। अदालत ने कहा कि पार्टी ने जो अनुरोध किया है उसके तहत जगह देने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एच जी रमेश और न्यायमूर्ति एस एस सुंदर की पीठ ने विशेष सुनवाई करते हुए द्रमुक द्वारा दाखिल एक याचिका पर यह आदेश सुनाया। इससे पहले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और सरकार के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई।
अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि करूणानिधि के पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक दफनाने के लिए तुरंत स्थान दिया जाए। द्रमुक प्रमुख का कल शाम को निधन हो गया। अदालत ने आदेश दिया कि जिस तरह प्रमुख याचिककर्ता ने एक स्थूल रूपरेखा पेश की है, उसके तहत करूणानिधि को दफनाने के लिए उसी जगह के समीप स्थान दिया जाए जहां द्रमुक संस्थापक सी एन अन्नादुरै को दफनाया गया था।
वरिष्ठ वकीलों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा, ‘‘स्थान आवंटित करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। ’’
पीठ ने अपने सार आदेश में कहा, ‘‘रिट याचिका को मंजूरी दी जाती है। साथ ही प्रतिवादी अधिकारियों को यह निर्देश दिया जाता है कि मरीना बीच पर तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री कलाईंगनार एम करूणानिधि के पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक दफनाने के लिए स्थान दिया जाए।’’
स्थिति को देखते हुए सार आदेश जारी गया है और विस्तृत आदेश बाद में जारी किया जाएगा।
तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल ने कल रात अदालत का दरवाजा तब खटखटाया था जब अन्नाद्रमुक सरकार ने करूणानिधि को मरीना समुद्र तट पर दफनाये जाने के द्रमुक के अनुरोध को खारिज कर दिया था। पार्टी ने अनुरोध किया था कि करूणानिधि को पार्टी के संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री सी एन अन्नादुरै के स्मारक के समीप ही दफनाने की जगह दी जाए।
द्रमुक की याचिका पर अदालत में रात एक बजकर करीब 15 मिनट पर सुनवाई हुई और मामले को आज सुबह आठ बजे के लिए टाल दिया गया।
आज सुबह बैठक शुरू होने पर उन पांचों याचिकाओं को वापस लिया मानते हुए खारिज कर दिया गया जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जयललिता को मरीना बीच पर दफनाये जाने को चुनौती दी गयी थी।
सरकार ने समुद्र तट पर द्रमुक के प्रमुख नेता को दफनाये जाने की अनुमति नहीं देने के लिए इन याचिकाओं का हवाला दिया था। इसी समुद्र तट पर पूर्व मुख्यमंत्री रामचन्द्रन और उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी जयललिता का स्मारक है।
सरकार ने यह भी कहा कि सी आर राजगोपालाचारी, के कामराज और एम भक्तवत्सलम जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों का गांधी स्मारक के पास अंतिम संस्कार किया था और इसी जगह करूणानिधि को दफनाने का स्थान दिया गया है।
अदालत ने सरकार के इस दावे को खारिज कर दिया कि मरीना बीच पर दफनाने के लिए केवल उन्हीं दिवंगत लोगों को जगह दी गयी जो वर्तमान मुख्यमंत्री थे। अदालत ने कहा कि द्रमुक के अनुरोध को खारिज करने का यह कोई आधार नहीं हो सकता।
अदालत ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अन्नादुरै को भी मरीना बीच पर दफनाया गया था। उसने कहा कि वर्तमान मामले में अलग रूख अपनाने की कोई आवश्यकता नहीं ।
तमिलनाडु में राजकीय शोक:
एम. करूणानिधि के निधन के बाद द्रमुक ने आज रात एक सप्ताह लंबे शोक की घोषणा करते हुए कहा कि इस दौरान पार्टी का झंडा आधा झुका रहेगा।
जुलाई 1969 से करीब आधी सदी तक पार्टी प्रमुख और पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अपने नेता को ‘‘ऐतिहासिक हीरो’’ बताते हुए द्रमुक ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पार्टी के सभी कार्यक्रम और आयोजन एक सप्ताह के लिए स्थगित किये जाते हैं।
पार्टी कार्यकर्ता अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में गोपालपुरम स्थित उनके आवास पर पहुंचे ।
अलवरपेट स्थित कावेरी अस्पताल से आवास तक करूणानिधि के पार्थिव शरीर के साथ-साथ हजारों की संख्या में द्रमुक कार्यकर्ता साथ चल रहे थे।
इस बीच द्रमुक के कार्यवाहक प्रमुख और करूणानिधि के पुत्र एम. के. स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने की अपील की।
स्टालिन ने कार्यकर्ताओं से अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘मैं पार्टी पदाधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि वे सुनिश्चित करें कि सभी कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से वापस लौटें।’’
उन्होंने अनुरोध किया कि कार्यकर्ता ऐसा कोई काम ना करें जिससे दिवंगत नेता का नाम खराब हो या सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचे।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्व मौजूदा हालात का नाजायज फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं, ऐसे में कार्यकर्ता उनकी पहचान करें और उन्हें पकड़कर पुलिस को सौंप दे।
स्टालिन का भावुक पत्र:
बस एक दफा क्या मैं आपको अप्पा (पिता) कहकर संबोधित करूं।’’ यह उस भावुक कविता की पंक्ति है जो द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने अपने पिता और द्रमुक प्रमुख की याद में लिखी है। वह अपने पिता को अक्सर ‘‘लीडर ’’ कहकर बुलाते थे।
द्रमुक प्रमुख के निधन के बाद लिखी गयी भावपूर्ण कविता में स्टालिन ने कहा, ‘‘मैंने आपको अप्पा (पिता) से अधिक थलैवर (नेता) कहकर संबोधित किया है। लीडर, इसलिए क्या मैं बस एक बार आपको अप्पा, बुलाऊ।’’
अपने पिता के निधन पर स्टालिन ने कहा कि वह जहां भी जाते थे, उन्हें उसके बारे में सूचित करते थे। ‘इस बार बिना सूचना दिये आप क्यों चले गये।’
करूणानिधि के राजनीतिक वारिस स्टालिन ने कहा, ‘‘प्रिय लीडर, आपके जाने के बाद हमारे विचारों और आकांक्षाओं को कौन समझेगा?’’
स्टालिन ने कहा कि तमिल समुदाय के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया है। यदि ऐसा है तो उन्होंने संतोष के साथ प्रस्थान किया है।
करूणानिधि की तरह ‘उर्जा’ की इच्छा जताते हुए स्टालिन ने उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की शपथ ली।
इसके अलावा, करोड़ों पार्टी समर्थक करूणानिधि के ट्रेडमार्क बयान, ‘एन एनबु उड़नपिरप्पुकाले’ (मेरे प्रिय भाईयों) को उनसे एक बार सुनना चाहते।attacknews.in