शिवराज सिंह चौहान के चौथे कार्यकाल के पहले मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार में देर रात तक चलता रहा रूठो का मान – मनौव्वल और अंततोगत्वा 24 नये मंत्री हो गये तैयार attacknews.in

भोपाल, एक जुलाई ।मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बृहस्पतिवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश की प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे यहां राजभवन में एक सादे समारोह में मंत्रिमंडल के नये मंत्रियों को शपथ दिलाएंगी।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार शपथ ग्रहण समाराेह के लिए राजभवन में तैयारियां पूरी कर दी गयी हैं। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर चुनिंदा और संबंधित लोगों को ही शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया है।

शपथग्रहण कै अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान के अलावा भाजपा उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और अन्य नेता भी मौजूद रहेंगे।

विधानसभा में सदस्य संख्या के मान से राज्य में अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री समेत छह मंत्री हैं। इस तरह अधिकतम 29 लोगाें को मंत्री पद की शपथ दिलायी जा सकती है, लेकिन माना जा रहा है कि कम से कम दो तीन पद हमेशा की तरह रणनीतिक तौर पर रिक्त रखे जाएंगे।

सूत्रों के अनुसार कम से कम 24 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलायी जा सकती है, जिनमें श्री सिंधिया समर्थक नेताओं की संख्या लगभग दस है। उनके समर्थक श्री गोविंद राजपूत और श्री तुलसी सिलावट पहले ही राज्य मंत्रिमंडल में स्थान पा चुके हैं। शेष पदों के लिए भाजपा नेताओं के बीच दिल्ली और भोपाल में कई दौर की चर्चाएं हो चुकी हैं।

इस बीच प्रदेश भाजपा की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार श्री सिंधिया कल सुबह विशेष विमान से यहां राजकीय विमानतल पहुंचेंगे और वहां से सीधे राजभवन शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए जाएंगे। श्री सिंधिया दिन में ढाई बजे प्रदेश भाजपा मुख्यालय पहुंचेंगे, जहां कुछ कांग्रेस नेता भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे।

इसके बाद श्री सिंधिया सीधे मुख्यमंत्री निवास पहुंचेंगे, जहां वे उनके समर्थक 22 पूर्व विधायकों से अलग अलग चर्चा करेंगे। वे प्रत्येक पूर्व विधायक को 15 – 15 मिनट देंगे। वे रात्रि विश्राम गेस्ट हाउस में करने के बाद अगले दिन सुबह प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचेंगे। वे दिन में प्रदेश भाजपा सरकार के एक सौ दिन पूरे होने पर वर्चुअल रैली को संबोधित करेंगे।

श्री सिंधिया इसके बाद कुछ समय और प्रदेश भाजपा कार्यालय में बिताकर राजकीय विमानतल (स्टेट हैंगर) जाएंगे और विशेष विमान से दिल्ली रवाना हो जाएंगे।

इस बीच आज रात्रि तक नए मंत्रियों के नामों को लेकर चर्चाएं चलती रहीं। सबकी निगाहें इस बात पर भी टिकी हुयी हैं कि भाजपा के वरिष्ठ विधायकों में से कितने मंत्रिमंडल में स्थान पा सकते हैं। इसके अलावा माना जा रहा है कि मंत्रियों की शपथ के बाद विभागों का वितरण भी शीघ्र ही किया जाएगा।

यह चौहान के मंत्रिमंडल का पहला विस्तार होगा।चौहान ने 23 मार्च को अकेले मुख्यमंत्री की शपथ ली थी और कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री चौहान ने 29 दिन तक अकेले ही सरकार चलाते रहे। बाद में 21 अप्रैल को पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन कर सके थे, जिनमें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के दो मंत्री तुलसी सिलावट एवं गोविन्द सिंह राजपूत शामिल हैं।

मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कई दिन से हो रहे मंथन पर पूछे गये एक सवाल के जवाब में चौहान ने बुधवार को यहां मीडिया से कहा, ‘मंथन से अमृत ही निकलता है। विष तो शिव पी जाते हैं। आज महामहिम राज्यपाल (आनंदीबेन पटेल) शपथ ग्रहण करेंगी। कल (बृहस्पतिवार को) मंत्रिमंडल शपथ ले लेगा।’

मुख्यमंत्री के इस बयान के चंद घंटे बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल ने आनंदीबेन को यहां राजभवन में बुधवार शाम साढ़े चार बजे आयोजित एक सादे समारोह में राज्यपाल पद की शपथ दिलाई।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को 28 जून को मध्यप्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।

मालूम हो कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है और टंडन की अनुपस्थिति के दौरान आनंदीबेन मध्यप्रदेश के राज्यपाल के कार्यों का निर्वहन करेंगी।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल में करीब दो दर्जन मंत्रियों को शामिल किये जाने वालों में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मार्च माह में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए नौ पूर्व विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

हालांकि, सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने वाले मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे, मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा यहां बुधवार देर रात तक मुख्यमंत्री निवास पर पार्टी के विभिन्न विधायकों से चर्चा करते रहे ।

उन्होंने कहा कि ये नेता उन विधायकों से भी बात कर उनको मनाने में लगे रहे , जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है।

भाजपा नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए बृहस्पतिवार सुबह भोपाल पहुंचेंगे।

मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के राज्य विधानसभा से त्यागपत्र देने से कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार गिर गयी थी और चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी थी। वे रिकॉर्ड चौथी बार प्रदेश के मुखिया बने हैं। कांग्रेस के अधिकांश बागी विधायक, जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं।

कमलनाथ ने प्रभात झा और विष्णुदत्त शर्मा को बिना शर्त माफी मांगने का भेजा कानूनी नोटिस और कहा: ये मेरी छबि धूमिल करके राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं attacknews.in

भोपाल, 01 जुलाई ।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनके खिलाफ हाल ही में चीन को लेकर आरोप लगाने के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को नोटिस भेजे हैं। इनमें दोनों नेताओं से बगैर शर्त माफी मांगने के लिए कहा गया है।

श्री कमलनाथ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने 30 जून को ईमेल और कुरियर के माध्यम से दोनों नेताओं को लीगल नोटिस भेजे हैं।

अलग अलग नोटिस में कहा गया है कि श्री झा और श्री शर्मा ने यहां क्रमश: 26 जून और 27 जून को मीडिया के समक्ष श्री कमलनाथ के खिलाफ मानहानिकारक, आधारहीन और असत्य आरोप लगाए हैं। ये आरोप चीन को लाभ पहुंचाने से संबंधित हैं और इनका प्रकाशन एवं प्रसारण विभिन्न समाचार माध्यमों में भी हुआ है।

नोटिस में विस्तार से घटनाक्रम का ब्याैरा देते हुए कहा गया है कि श्री कमलनाथ छिंदवाड़ा से दस बार सांसद चुने गए हैं। वे वर्तमान में विधायक होने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद का दायित्व संभाल रहे हैं। वे केंद्र में मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ दोनों नेताओं ने आधारहीन और असत्य आरोप लगाए हैं। ऐसा लगता है कि निकट भविष्य में राज्य में होने वाले 24 विधानसभा उपचुनावों के मद्देनजर राजनैतिक लाभ के लिए ऐसा किया गया है।

नोटिस के अनुसार इस तरह के आधारहीन आरोप लगाकर श्री कमलनाथ की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है। इसमें कहा गया है कि नोटिस प्राप्त होने के सात दिनों के अंदर श्री झा और श्री शर्मा बगैर शर्त लिखित में माफी मांगें, अन्यथा उनके खिलाफ मानहानि संबंधी विधिक कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।

एच डी देवगौड़ा ने कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन से तौबा कर ली, अब जद ( एस ) अगला चुनाव कर्नाटक में अकेले लड़ेगी attacknews.in

बेंगलुरु, 16 सितंबर । जद (एस) के संस्थापक एच डी देवगौड़ा ने सोमवार को कर्नाटक में मध्यावधि चुनाव की भविष्यवाणी करते हुए अकेले चुनाव लड़ने की बात कही। कुछ दिन पहले उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन को जारी रखने को लेकर पार्टी की राहें खुली रखने का संकेत दिया था।

देवगौड़ा के हवाले से उनके कार्यालय ने बयान जारी कर कहा है, ‘‘राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो भी गठबंधन में जाये बगैर किसी के साथ के बिना अकेले चुनाव लड़ा जाये।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब यह गलती नहीं करूंगा। अब अकेले ही चुनाव लड़ा जाये।’’

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन,दोनों 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ेंगें attacknews.in

मुंबई 16 सितंबर ।राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि अगले महीने होने वाले महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस 125 -125 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

पवार ने घोषणा की कि महागठबंधन और उनके 20 साल पुराने संगठन के बीच सीटों के बंटवारे के समझौते को अंतिम रूप दे दिया गया है।

उन्होंने ट्वीट किया, व्यवस्था के अनुसार सहयोगी दलों के लिए 38 सीटें चुनाव लड़ने के लिए छोड़ दी जाएंगी। महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं।

पवार ने कहा कि राकांपा चुनाव में ‘नए चेहरों’ को मौका देगी। उन्होंने कहा कि कुछ सीटों का कांग्रेस के साथ आदान-प्रदान किया जाएगा।


2014 में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। राकांपा ने तब 15 साल का गठबंधन समाप्त कर दिया था, क्योंकि दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे की व्यवस्था तक नहीं पहुंच पाई थीं।

कांग्रेस ने 42 सीटें जीती थीं, जबकि राकांपा ने 2014 के चुनाव में 41 सीटें जीती थीं। भारतीय जनता पार्टी 122 सीटों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी।

कांग्रेस और राकांपा के बीच सीटों के बंटवारे के समझौते को अंतिम रूप देने के बाद दोनों दलों के कई हाई-प्रोफाइल नेेता पवार के नेतृत्व वाले संगठन से अलग हो गए हैं।

जो लोग बचे हैं उनमें से कई भाजपा में शामिल हो गए हैं और कुछ ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ शरण मांगी है।

विश्लेषकों ने कहा:नरेन्द्र मोदी जैसे करिश्माई नेता के सामने अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को खुद को पेश करना आसान नहीं Attack News 

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर । अगले कुछ दिनों में राहुल गांधी की ओर से कांग्रेस की कमान संभालना लगभग तय माने जाने के बीच राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को भारतीय राजनीति में प्रासंगिक बनाये रखना है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल की ओर से संगठन को मजबूती देने और धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दों पर वैचारिक दुविधा को दूर किये बिना वह न तो मतदाताओं के असंतोष को वोट में तब्दील कर पायेंगे और न ही विपक्षी एकता को परवान चढ़ा पायेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एक के बाद एक चुनावों में कांग्रेस को मिल रही हार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे ‘‘करिश्माई नेता एवं प्रभावशाली वक्ता’’ से मुकाबला होने के कारण ‘‘एक विश्वसनीय नेता’’ के रूप में खुद को पेश करना राहुल के लिए आसान नहीं होगा।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के पूर्व प्राध्यापक पुष्पेश पंत ने इस सवाल पर कहा, ‘‘राहुल गांधी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अपने को एक विश्वसनीय नेता के रूप में साबित करने की है जिसमें वह पिछले 15 सालों से विफल रहे हैं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा पार्टी की कमान संभाले जाने की परिस्थितयों से तुलना करते हुए वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने कहा कि सोनिया ने जब कमान संभाली तो पार्टी बिखर रही थी। उनके विदेशी मूल के होने का मुद्दा था। कई वरिष्ठ नेताओं को वह रास नहीं आ रही थीं। पर उन्होंने पार्टी को एकजुट किया और उनके नेतृत्व में पार्टी ने दो बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की और गठबंधन की सरकार बनाई।

उन्होंने कहा, ‘‘राहुल के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि पार्टी के चुनावी परिणामों में लगातार जो गिरावट आ रही है, उसे कैसे थामा जाए? साथ ही उनके सामने एक ऐसी बड़ी शख्सियत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं जो एक करिश्माई नेता हैं एवं प्रभावशाली वक्ता हैं।’’ उन्होंने कहा कि आप यदि गुजरात जाएं तो देखेंगे कि भाजपा को लेकर लोगों में असंतोष तो है किन्तु मोदी को लेकर नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को प्रासंगिक बनाये रखना, उसमें फिर से प्राण फूंकना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। संगठन मजबूत होना इसलिए जरूरी है क्योंकि उसी से लोगों के असंतोष को वोट में तब्दील किया जा सकता है।

नीरजा का मानना है कि राहुल की असली चुनौती गुजरात ही नहीं है। अगले साल कर्नाटक तथा हिन्दी भाषी तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने वाले हैं। इसमें पार्टी कैसा प्रदर्शन करती है, इसके आधार पर उनको तौला जाएगा। दिक्कत वाली बात है कि पार्टी के पास तैयारी के लिए अधिक समय नहीं है। इन चुनावों में पार्टी के विभिन्न धड़ों को कैसे एकजुट रखा जाए, यह भी देखने वाली बात होगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल की तुलना को राजनीतिक टिप्पणीकार एवं वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई सही नहीं मानते। उनके अनुसार एक ही परिवार में भी दो व्यक्तियों के काम करने का ढंग अलग अलग होता है। यहां तक कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं उनकी पुत्री एवं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक के काम करने के तरीके में बहुत अंतर था। इंदिरा एवं उनके पुत्र एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के काम करने का तरीका भी अलग अलग था।

उन्होंने कहा कि हमें राहुल गांधी को सोनिया, राजीव या इंदिरा गांधी के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। कांग्रेस का यदि इतिहास देखा जाए तो संगठन के भीतर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य विफल नहीं हुआ है। राहुल के समक्ष यही चुनौती है कि वह खुद को साबित करें और वह भी बहुत जल्दी । कांग्रेस, विशेषकर वरिष्ठ पीढ़ी, के नेताओं के बीच राहुल की स्वीकार्यता के बारे में पूछे जाने पर राजनीतिक विश्लेषक मोहन गुरूस्वामी ने बताया कि संगठन के भीतर राहुल की स्वीकार्यता को लेकर कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। ‘‘अहमद पटेल से लेकर दिग्विजय सिंह सहित सभी नेता उन्हें स्वीकार कर लेंगे।’’ कांग्रेस में यह परंपरा रही है कि एक परिवार का नाम आने पर सभी मान जाते हैं।attacknews.in