राहुल गांधी ने राजस्थान में कहा: 72 हजार रूपये सालाना देश के सबसे गरीब 5 करोड़ परिवारों के बैंक खातों में ही डाले जाएंगे attacknews.in

जालोर (राजस्थान), 25 अप्रैल । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पिछले पांच साल में देश के लोगों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो सबके साथ न्याय होगा और ‘एक हिंदुस्तान-सबका हिंदुस्तान’ होगा।

इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने देश के सबसे गरीब पांच करोड़ परिवारों के बैंक खातों में 72000 रुपये तक सालाना डालने, महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं के साथ साथ सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात भी कही।

थार की भरी दोपहर में यहां एक चुनावी जनसभा में उमड़े जनसमूह को संबोधित कर रहे राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी को गरीबों की जेब से पैसा छीनने का तरीका बताया।

साथ ही उन्होंने कहा कि न्यूनतम आय न्याय योजना का सबसे अधिक फायदा देश के बेरोजगार युवाओं को होगा और देश में मांग तथा रोजगार में वृद्धि होगी।

राहुल ने कहा, ‘‘हमारी सरकार आपके मन की बात सुनेगी, किसानों, युवाओं, महिलाओं तथा छोटे दुकानदारों के दिल की बात सुनेगी और आपके मन की बात पर सरकार चलेगी। जो आप कहेंगे वह होगा … और न्याय होगा।’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हिंदुस्तान के अरबपति कर्ज नहीं लौटाने के बावजूद जेल से बाहर रहेंगे जो किसान भी बाहर रहेंगे। अगर उनको लाखों करोड़ रुपये दिये जाएंगे तो किसानों, मजदूरों, छोटे दुकानदारों, दलितों, आदिवासियों तथा पिछडों भी को लाखों करोड़ रुपये दिये जाएंगे… अन्याय नहीं होगा हिंदुस्तान में। दो हिंदुस्तान नहीं बनेंगे। एक हिंदुस्तान होगा, सबका हिंदुस्तान होगा, उसमें न्याय होगा।’’

अपनी सभा में राहुल ने न्याय योजना के साथ किसानों के लिए अलग बजट की बात की। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो 2019 में दो बजट पेश होंगे, एक आम बजट और दूसरा किसान का बजट।

राहुल ने कहा कि इस देश में किसान के लिए कोई योजना नहीं बनाता लेकिन प्रस्तावित किसान बजट उनके लिए ही होगा जिसमें उनके बारे में पूरी योजना होगी। कर्ज नहीं लौटाने की वजह से किसी किसान को जेल भी नहीं जाना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो नये उद्यमियों को उद्यम स्थापित करने के लिए तीन साल तक कोई मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही सरकारी नौकरियों में भी उन्हें इतना ही आरक्षण दिया जाएगा।

राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने न्याय योजना बहुत सोच-समझकर तैयार की है और इसके तहत पैसा परिवार की महिला सदस्य के बैंक खाते में जाएगा।

उन्होंने चुटकी ली, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद कि उन्होंने बैंक खाते खोले, ‘न्याय’ का पैसा उन्हीं खातों में डाला जाएगा।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा ‘‘मैंने कहा कि इस योजना को ‘न्याय’ नाम देना है क्योंकि पिछले पांच साल में नरेंद्र मोदी ने, चौकीदार ने हिंदुस्तान के सब लोगों के साथ अन्याय ही तो किया है।’’

‘न्याय’ से अर्थव्यवस्था को नुकसान होने की आशंका नकारते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इस योजना से अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं होगा बल्कि इससे उसे फायदा होगा। नरेंद्र मोदी ने (अर्थव्यवस्था को) दो झटके मारे… पहला झटका कुल्हाड़ी लेकर नोटबंदी की और दूसरा झटका गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) ला कर मारा। मोदी ने ये दो कुल्हाड़ियां मार कर हमारे मजदूरों, छोटे दुकानदारों की जेब से पैसा छीना। नोटबंदी और गब्बर सिंह टैक्स गरीबों से पैसा छीनने का तरीका है। उन्होंने पैसा छीना है।’’

राहुल ने कहा ‘‘न्याय योजना के तहत पांच करोड़ बैंक खातों में 72000 रुपये सालाना डालने से न सिर्फ गरीबों की मदद होगी बल्कि किसानों, मजदूरों, छोटे दुकानदारों और व्यापारियों की भी मदद होगी। ‘न्याय’ से सर्वाधिक मदद बेरोजगार युवकों को मिलेगी।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी सरकार में 22 लाख सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हैं … 45 साल में सबसे अधिक बेरोजगारी .. 27000 युवा हर चौबीस घंटे में बेरोजगार हो रहे हैं और 22 लाख सरकारी नौकरियां खाली हैं। मैं गारंटी देता हूं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर एक साल में इन 22 लाख सरकारी पदों को भरा जाएगा। दस लाख युवाओं को कांग्रेस पार्टी पंचायतों में रोजगार देगी।’’

अनिल अंबानी, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, ललित मोदी का नाम लेते हुए राहुल ने कहा, ‘‘इन 15 लोगों ने 5.55 लाख करोड़ रुपये हिंदुस्तान के बैंकों से कर्ज लिया और वापस नहीं किया। नरेंद्र मोदी इनकी रक्षा करते हैं। इनका 5.55 लाख करोड़ रुपये कर्ज माफ किया नरेंद्र मोदी ने। 45000 करोड़ रुपये अनिल अंबानी को कर्ज दिया, 35000 करोड़ रुपये नीरव मोदी को, 35000 करोड़ रुपये मेहुल चौकसी को… विजय माल्या का कर्ज 10000 करोड़ रुपये है।’’

इलाके की पेयजल समस्या की ओर इशारा करते हुए राहुल ने कहा, ‘‘आपको 1500 करोड़ रुपये नहीं दे पाये … पानी के लिए … लेकिन नीरव मोदी को 35000 करोड़ रुपये दिया। इससे ऐसे 20 जिलों का काम किया जा सकता था।

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अमित शाह के पास है 30 करोड़ रुपये से अधिक की दौलत attacknews.in

अहमदाबाद, 30 मार्च । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास कुल 30 करोड़ 48 लाख रूपये से अधिक की चल अचल संपत्ति है जबकि उनकी पत्नी सोनल बेन के पास भी सवा आठ करोड़ रूपये से अधिक की चल-अचल संपत्ति है।

गांधीनगर लोकसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी के तौर पर आज श्री शाह की ओर से दायर नामांकन के साथ दिये गये हलफनामे में आय के ब्यौरे के अनुसार उनके पास सात कैरेट हीरे के अलावा 25 किलो चांदी समेत 35 लाख से अधिक के जेवरात है जिनमें लगभग 30 लाख के पुश्तैनी और शेष स्व अर्जित आय से खरीदे गये हैं जबकि पत्नी के पास 63 कैरेट हीरे और एक किलो 620 ग्राम सोना समेत 63 लाख से अधिक के जेवरात हैं।

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कमलनाथ ने घोषित किया, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया ही लडेंगे; मध्यप्रदेश से कांग्रेस 22 सीटें जीतेगी attacknews.in

भोपाल, 30 मार्च ।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज दावा करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य की 29 में से कम से कम 22 सीट जीतेगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने यहां प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि इसी तरह भाजपा पूरे देश में 160 से अधिक सीट नहीं जीत पाएगी। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के भाई विनोद शुक्ला और अन्य लोगों ने विधिवत कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। श्री शुक्ला का विंध्य अंचल में काफी प्रभाव माना जाता है।

श्री कमलनाथ ने कहा कि आज जो भी नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं, वे सच्चायी से प्रभावित होकर ऐसा कर रहे हैं। इन लोगों ने पिछले दिनों राज्य में देखा है कि कांग्रेस किस तरह से कार्य कर रही है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के कामकाज से सभी वर्ग प्रभावित हैं।

श्री कमलनाथ ने कहा कि लोकसभा चुनाव में देख लीजिएगा, भाजपा की सभी राज्यों में सीटें कम होंगी। इसमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि राज्य में कांग्रेस के शेष प्रत्याशियों की घोषणा भी तीन चार दिनों में हो जाएगी।

वरिष्ठ पार्टी नेता एवं गुना से वर्तमान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के वर्तमान में लोकसभा चुनाव लड़ने संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि श्री सिंधिया गुना से ही चुनाव लड़ेंगे।

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मध्यप्रदेश की खरगोन संसदीय सीट पर अब तक हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी रहा है attacknews.in

खरगोन, 30 मार्च । मध्यप्रदेश की खरगोन (अनुसूचित जनजाति) लोकसभा सीट पर अब तक हुए कुल 17 चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की तरह ही सात बार जीत हासिल की लेकिन उसने पिछले 10 में से सात चुनाव जीत कर अपना दबदबा कायम कर रखा है।

वर्तमान में यहां से भाजपा के सुभाष पटेल सांसद हैं। यहां से जनसंघ के दो बार और जनता पार्टी के उम्मीदवार एक बार विजयी रहे हैं। इस सीट में आने वाली महेश्वर विधानसभा ना केवल सांस्कृतिक और पर्यटन बल्कि ऐतिहासिक तौर पर भी काफी अहमियत रखती है। महेश्वर का हथकरघा उद्योग विश्व भर में प्रसिद्ध है। बाजार से प्रभावित होने के चलते इस उद्योग को नरमी का सामना करना पड़ रहा है। नर्मदा की नगरी महेश्वर में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं। नर्मदा के महेश्वर स्थित ऐतिहासिक घाट भारतीय संस्कृति से जुड़े लोगों समेत विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं।

वर्ष 1951-52 में हुए पहले आमचुनाव में यह सीट मध्य भारत के अंतर्गत निमाड़ एक के नाम से पहचानी जाती थी। तब कांग्रेस के बैजनाथ महोदय ने सोशलिस्ट दत्तात्रेय भोपे को पराजित किया था। वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश के गठन के बाद 1957 के आम चुनाव में कांग्रेस के ही राम सिंह वर्मा ने जनसंघ के रामचंद्र बड़े से जीत हासिल की, किंतु 1962 में जनसंघ के रामचन्द्र बड़े ने इंदौर के कांग्रेस नेता तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कन्हैया लाल खादीवाला को पराजित कर पहली बार जीत हासिल की। पेशे से वकील श्री बड़े 1962 में जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेई के अलावा लोकसभा चुनाव जीतने वाले केवल दूसरे उम्मीदवार थे।

इसके उपरांत 1967 में कांग्रेस ने पुनः यह सीट छीन ली। दिल्ली निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शशि भूषण वाजपेई ने श्री बड़े को पराजित किया। इसके बाद श्री वाजपेई के क्षेत्र में सक्रिय नहीं होने का नुकसान कांग्रेस को हुआ और श्री बड़े ने 1971 में कांग्रेस के अमोलकचंद छाजेड़ को पराजित कर पुनः सीट हासिल कर ली।

आपातकाल के बाद 1977 में विपक्ष ने अपने संयुक्त उम्मीदवार रामेश्वर पाटीदार को जनता पार्टी से टिकट दी, जिन्होंने कांग्रेस के सुभाष यादव को पराजित किया। इसके बाद सुभाष यादव ने लगातार 1980 और 1984 में रामेश्वर पाटीदार को पराजित कर ये सीट कांग्रेस के खाते में डाली । रामेश्वर पाटीदार ने अगले चार चुनाव 1989, 1991, 1996 तथा 1998 जीतकर यहां भाजपा को अजेय सा बना दिया ।

सन 1999 में कांग्रेस के ताराचंद पटेल ने भाजपा के बालकृष्ण पाटीदार को हराकर भाजपा का विजय रथ रोक दिया, लेकिन 2004 में भाजपा के कृष्ण मुरारी मोघे ने ताराचंद पटेल को शिकस्त दे डाली। हालांकि ‘लाभ का पद’ के मसले पर अयोग्य घोषित हुए श्री मोघे को इस्तीफा देना पड़ा। इसके चलते 2007 में हुए उपचुनाव में सुभाष यादव के पुत्र अरुण यादव ने श्री मोघे को पराजित कर दिया।

साल 2009 में परिसीमन के चलते खरगोन लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुई और भाजपा के माकन सिंह सोलंकी ने कांग्रेस के बाला बच्चन को पराजित कर सीट छीन ली। पिछले चुनाव में यहां से सुभाष पटेल संसद तक पहुंचे।

खरगोन लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत खरगोन की चार विधानसभा खरगोन, कसरावद, भगवानपुरा, महेश्वर तथा बड़वानी जिले की बड़वानी, राजपुर, सेंधवा तथा पानसेमल शामिल हैं। वर्तमान में इनमें से सात पर कांग्रेस और एकमात्र बड़वानी पर भाजपा काबिज है। इस सीट पर सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है।

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मध्यप्रदेश की बैतूल सीट से भाजपा ने ज्योति धुर्वे का टिकट काटकर एक शिक्षक पर भरोसा जताया है तो कांग्रेस ने युवा चेहरे को दाव पर लगा दिया attacknews.in

बैतूल, 30 मार्च । भारतीय जनता पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली मध्यप्रदेश की बैतूल संसदीय सीट पर इस बार जहां पार्टी ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले के चलते विवादों में घिरी सांसद ज्योति धुर्वे का टिकट काट कर एक शिक्षक पर भरोसा जताया है, वहीं कांग्रेस ने अपेक्षाकृत युवा चेहरे को मैदान में उतार कर मुकाबले को और रोचक बना दिया है।

अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित इस सीट पर पिछले आठ चुनावों में से भाजपा ने सात बार जीत हासिल की है। वर्तमान में यहां से श्रीमती धुर्वे सांसद हैं। उनका जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाये जाने के बाद जिला कलेक्टर ने उसे निरस्त कर दिया था। भाजपा ने इस बार उनका टिकट काट कर पेशे से शिक्षक डीडी उइके को मैदान में उतारा है।

करीब तीन चार दशक से यहां हार का सामना कर रही कांग्रेस ने इस बार रामू टेकाम (32) पर दांव लगाया है। विधानसभा चुनाव में बैतूल संसदीय क्षेत्र में भाजपा का गढ़ कहलाने वाली चार विधानसभाओं पर जीत से कांग्रेस में खासा उत्साह है और वह इस सीट को अपनी झोली में डालने के लिए बेताव है।

इस सीट पर 1951 में हुये पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। साल 1967 और 1971 के चुनाव में भी इस सीट पर कांग्रेस ने ही जीत हासिल की लेकिन 1977 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल कर भारतीय लोकदल के पास चली गई। कांग्रेस ने 1980 में यहां वापसी की और गुफरान आजम सांसद बने। इसके अगले चुनाव 1984 में भी कांग्रेस को जीत मिली। भाजपा ने पहली बार यहां आरिफ बेग के माध्यम से 1989 में जीत हासिल की।

इसके अगले चुनाव 1991 में कांग्रेस के असलम शेरखान ने आरिफ बेग को मात देकर 1989 की हार का बदला ले लिया। साल 1996 में भाजपा ने यहां वापसी की और विजय कुमार खंडेलवाल यहां के सांसद बने। श्री खंडेलवाल ने इसके बाद 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में भी जीत दर्ज की। श्री खंडेलवाल के निधन के बाद 2008 में यहां पर उपचुनाव हुआ और उनके बेटे हेमंत खंडेलवाल यहां के सांसद बने।

परिसीमन के बाद 2009 में यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई। इसके चलते 2009 में भाजपा ने यहां से ज्योति धुर्वे को उतारा। उन्होंने 2009 और 2014 दोनों चुनावों में जीत हासिल की।

बैतूल लोकसभा सीट अंतर्गत विधानसभा की आठ सीटें मुलताई, आमला, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, बैतूल, हरदा टिमरनी और हरसूद शामिल हैं। इनमें से चार पर कांग्रेस और चार पर भाजपा का कब्जा है। इस सीट पर पांचवें चरण में छह मई को मतदान होगा।

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गांधी नगर सीट से अमित शाह द्वारा नामांकन से पहले सभा में शिवसेना प्रमुख उध्दव ठाकरे की हुंकार: अब देश में भगवा, भगवा और भगवा ही होगा और कोई नहीं आएगा attacknews.in

अहमदाबाद, 30 मार्च । भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज कहा कि वह जो कुछ भी है वह पार्टी की ही बदौलत है तथा अगर उनकी जिंदगी से इसे निकाल दिया जाये तो केवल एक बड़ा शून्य ही बचेगा।

गांधीनगर लोकसभा सीट पर पार्टी प्रत्याशी के तौर पर नामांकन से पहले यहां सरदार पटेल चौक पर आयोजित रैली में उन्होंने कहा कि 1982 में एक सामान्य बूथ कार्यकर्ता से आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का अध्यक्ष भाजपा ने ही उन्हें बनाया है। उन्होंने जो भी सीखा और पाया है वह पार्टी की ही देन है। अगर उनके जीवन से भाजपा को निकाल दिया जाये तो केवल शून्य बचेगा।

उन्होंने कहा कि गांधीनगर सीट पर पी वी मावलकर, आडवाणी और अटल जी जैसे लोग सांसद रहे हैं और उनका सौभाग्य कि इसी क्षेत्र से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। वह देश के सबसे विकसित इस क्षेत्र में आडवाणी जी के विरासत को विनम्रता से आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। वह इस क्षेत्र के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्र के भी पांच बार विधायक रह चुके हैं।

श्री शाह ने कहा कि वह राज्यसभा के भी सदस्य है पर वह राज्यसभा में इसलिए गये क्योंकि तब लोकसभा चुनाव नहीं हो रहा था। वह लोगों के बीच रहने वाले आदमी है और पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए अनुमति दी है।

उन्होंने कहा कि अगला लोकसभा चुनाव एक ही मुद्दे पर लड़ा जायेगा कि इस देश का नेतृत्व कौन करेगा। इस मामले में पूरे देश में एक ही आवाज आती है। मोदी मोदी। पांच साल में यह विश्वास इसलिए बना क्योंकि 70 साल से जनता जिस नेता की राह देख रही थी उसे वह मोदी मे दिखा।

श्री शाह ने कहा कि आज देश का सामने यह सवाल है कि देश को सुरक्षा कौन दे सकता है। ऐसा एक ही व्यक्ति मोदी जी कर सकते हैं। भाजपा और राजग की सरकार कर सकती है। मोदी जी का दोबारा प्रधानमंत्री बनना निश्चित है और वह गुजरात की जनता से अपील करते हैं कि राज्य की सभी 26 सीटें भाजपा की झोली में डाल दे ताकि गुजरात के बेटे को शान से सरकार बनाने का मौका मिले।

शिवसेना प्रमुख उध्दव ठाकरे ने कहा: अब देश में भगवा, भगवा और भगवा ही होगा और कोई नहीं आएगा:

शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज कहा कि उनकी पार्टी और भाजपा की विचारधारा एक है और दोनो के बीच जो मत मिन्नता और मनमुटाव था वह अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है।

श्री ठाकरे ने आज यहां भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गांधीनगर सीट पर नामांकन से पहले अहमदाबाद के सरदार पटेल चौक पर हुई सभा मे विपक्षी दलो पर प्रहार करते हुए कहा कि एक विचारधारा वाली दो पार्टियों के लड़ने झगड़ने से कुछ लोग खुशी मना रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘ कुछ लोगों को मेरे यहां पहुंचने से आनंद हुआ पर कुछ को पेट मे दर्द हो रहा होगा। कुछ लोग खुशी मना रहे थे कि एक विचारधारा वाले दल लड़ झगड़ रहे थे।। हममे मत भिन्नता मनमुटाव जरूर था पर जब अमितभाई मेरे घर आये और बात हुई तो यह सब खत्म हो गया। शिवसेना और भाजपा की विचारधारा एक है जो हिन्दुत्व है। मेरे पिताजी (स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे) कहते थे कि हिन्दुत्व हमारी सांस है। यह रूक जाये तो कैसे चल सकते हैं।’

उन्होने कहा कि विपक्ष के गठबंधन में दिल मिले या न मिले वे हाथ मिला रहे हैं पर भाजपा शिवसेना का दिल मिल गया है।

श्री ठाकरे ने कहा, ‘ हमने यही सोचा कि पिछले पांच साल में जो हुआ हो गया। पर उससे पिछले 25 से30 साल में क्या हो रहा था। अकाली दल को छोड़ कर अन्य सभी दल भाजपा और शिवसेना को अछूत मानते थे। पता नहीं कैसे 25 साल गुजर गया। हमारा सपना सच्चाई बना। दिल्ली के तख्त पर भगवा लहरा गया। हमारा नेता एक है। विपक्ष को पूछना चाहता हूं कि आपका नेता कौन है। हमे भी सत्ता चाहिए पर हम कुर्सी के लिए पागल नहीं हो गये है। यहां जैसे भीड़ मोदी मोदी जी के नारे लगा रही है वैसे विपक्ष से बोलो कि एक नेता का नारा लगाये। उनमे न कोई सोच एक जैसी है और न एकता। हर नेता सोचता है कि वही प्रधानमंत्री बने। जब पहले ही ऐसी टांग खिंचाई होगी तो वे आगे कैसे बढ़ सकते हैं।’

शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘अमित भाई मै आया हूं मेरे पिता जी ने सिखाया है कि जिसकी भी मदद करो दिल खोल कर करो। हमने मत भिन्नता मिटा दिया है। पीछे से वार के हमारे संस्कार नहीं है। मै दिल से यहां आया हूूं।’

भाजपा-शिवसेना की एकजुटता की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास अब माहौल गर्म करने के लिए कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि अब देश में भगवा भगवा और भगवा ही होगा और कोई नहीं आयेगा। श्री ठाकरे ने कहा, ‘हम देश को साथ मिल कर आगे बढ़ायेंगे।’

सभा मे शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष प्रकाश सिंह बादल, केंद्रीय मंत्री और लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नीतिन गडकरी ओर पियूष गोयल तथा गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल भी उपस्थित थे।

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उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक सफलता के बाद अब राजस्थान की अलवर सीट से बालकनाथ योगी भाजपा से चुनाव मैदान में attacknews.in

अलवर 30 मार्च ।उत्तरप्रदेश में गुरु गोरक्षनाथ पीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की राजनीति में सफलता के बाद अब राजस्थान में भी भाजपा के बैनर तले एक और योगी मैदान में हैं । यह महंत बालकनाथ योगी अलवर से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं और उन्होंने इस क्षेत्र के विकास का बीड़ा उठाया है ।

राजस्थान के अलवर से लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी महंत बालकनाथ योगी ने अलवर का सुनियोजित तरीके से विकास करने का वादा करते हुए कहा है कि उनके सांसद बनने पर अलवर का प्रत्येक व्यक्ति सांसद की अनुभूति करेगा।

महंत बालकनाथ ने कहा कि अलवर का विकास कर वह जन्मभूमि का ऋण उतारने का कार्य करेंगे। गुरु महंत चांदनाथ के मन में अलवर के लोगों के प्यार का ऋण नहीं चुका पाने के दुख को पूरा तथा अलवर के सुनियोजित तरीके से विकास करने के लिए वह जन्मभूमि की सेवा में आये हैं।

उन्होंने कहा कि उनके सांसद बनने पर अलवर का प्रत्येक व्यक्ति सांसद होगा जिसकी अनुभूति प्रत्येक व्यक्ति स्वयं करेगा।

उन्होंने कहा कि अलवर बाबा भर्तृहरि की तपोभूमि है जहां भगवान हनुमान आये, पांडव आये। बाबा धौंकलनाथ, बाबा खेतानाथ, बाबा गरीबनाथ एवं बाबा सोमनाथ जैसे संत हुए और नाथ सम्प्रदाय के लगभग 35 प्रमुख आश्रम जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हैं जिनके प्रति आस्था सम्पूर्ण अलवर जिले की हैं उस महान भूमि पर मुझे जन्म मिला, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। अलवर की तपोभूमि के कारण ही नाथ सम्प्रदाय की सबसे प्रमुख गद्दी का महंत बनने का सौभाग्य भी मिला।

उन्होंने कहा कि अलवर में रह कर अलवर की सेवा करूँगा एवं रोहतक में मठ के दायित्व को भी निभाउंगा लेकिन अलवर का यह बालक अलवर को रोहतक से जोड़ चुका है। आने वाले समय में अलवर का प्रत्येक व्यक्ति अपने आप कहेगा कि अलवर और रोहतक एक है।

अलवर जिले के बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव निवासी महंत बालकनाथ योगी नाथ सम्प्रदाय के विश्व प्रसिद्ध मठ अस्थल बोहर के मठाधीश हैं तथा रोहतक स्थित मठ को भी संभालते है। बालकनाथ के पिता सुभाष यादव आस्था के केंद्र नीमराना के बाबा खेतानाथ आश्रम में बाबा खेतानाथ की सेवा करते थे। महंत

बालकनाथ का जन्म गुरुवार को होने के कारण बचपन में उनका नाम बाबा खेतानाथ ने गुरुमुख रखा। साढ़े छह वर्ष की उम्र में गुरुमुख को बाबा खेतानाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके परिवार ने महंत सोमनाथ को सौंप दिया था।

महंत सोमनाथ ने शिक्षा दीक्षा के लिए बालक गुरूमुख को छह महीने बाद ही अस्थल बोहर रोहतक के महंत चांदनाथ योगी के पास भेज दिया। जहां इनका नाम बालकनाथ पड़ गया और आज महंत बालकनाथ योगी के नाम से प्रसिद्ध हैं।

उल्लेखनीय है कि बालकनाथ के गुरु महंत चांदनाथ योगी बहरोड़ से विधायक रहे तथा बाद में अलवर से सांसद भी बने, लेकिन गम्भीर बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। इसके बाद अलवर में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डा़ कर्ण सिंह यादव सांसद चुने गये। अब महंत चांदनाथ के शिष्य महंत बालकनाथ को जहां मठ की धार्मिक विरासत का दायित्व मिला हैं, वहीं अलवर में राजनीतिक प्रभुत्व को फिर से कायम करने की चुनौती भी है। महंत चांदनाथ के गुरु महंत श्रेयोनाथ ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता को दो बार विधानसभा चुनावों में पराजित किया था।

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उत्तरप्रदेश की कैराना, मेरठ, बिजनौर, सहारनपुर, बागपत, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और गौतमबुथ्दनगर सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला रोचक हुआ वही सपा ने गोरखपुर और कानपुर के प्रत्याशी बदले attacknews.in

लखनऊ, 30 मार्च । लोकसभा चुनाव के पहले दौर में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कुछ सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को झटका दे सकती है। दरअसल, कांग्रेस ने इन सीटों पर ऐसे उम्मीदवार खड़े किये हैं जो भाजपा उम्मीदवारों के वोट काटकर समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को फायदा पहुंचा सकते हैं।

लोकसभा चुनाव के पहले दौर में प्रदेश में सहारनपुर, कैराना, बिजनौर, बागपत, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होगा।

मेरठ संसदीय सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री बनारसी दास के बेटे हरेंद्र अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। यहां से भाजपा ने दो बार सांसद रह चुके राजेंद्र अग्रवाल को टिकट दिया है। मेरठ सीट पर करीब ढाई लाख व्यापारी वोटर हैं। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के बीच इन वोटों के बंटने से बसपा के उम्मीदवार हाजी याकूब कुरैशी का फायदा हो सकता है।

गाजियाबाद सीट पर पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा हैं। वह यहां अगड़ी जातियों के वोट काटकर श्री सिंह के लिये मुश्किल खड़ी कर सकती हैं। इस सीट से गठबंधन के प्रत्याशी सुरेश बंसल हैं।

गौतमबुद्धनगर सीट पर केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा को बसपा के सुरेंद्र सिंह नागर कड़ी टक्कर दे सकते हैं। यहां कांग्रेस ने अरविंद कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है और वह अगड़ों के वोट काट सकते हैं।

वहीं, कैराना संसदीय सीट पर कांग्रेस ने जाट नेता हरिंदर मलिक को प्रत्याशी बनाया है और वह जाट वोटों में सेंध लगाकर भाजपा के लिये परेशानी पैदा कर सकते हैं।

कांग्रेस ने मुजफ्फरनगर में रालोद अध्यक्ष अजित सिंह और बागपत में उनके बेटे जयंत चौधरी के मुकाबले कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। ऐसे में इन दोनों सीटों पर भाजपा और रालोद के बीच ही सीधी टक्कर होने की उम्मीद है।

सहारनपुर संसदीय सीट की बात करें तो यहां कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान मसूद अल्पसंख्यकों के वोट काट सकते हैं। इस सीट पर बसपा ने भी अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारा है।

उप्र में सपा ने की गोरखपुर, कानपुर सीटों पर नये उम्मीदवारों घोषणा

उधार निषाद पार्टी द्वारा शुक्रवार की रात महागठबंधन छोड़ने की घोषणा का पलटवार करते हुए समाजवादी पार्टी(सपा) ने शनिवार को प्रतिष्ठित गोरखपुर लोकसभा सीट से मौजूदा संसद सदस्य प्रवीण निषाद को हटाकर पूर्व विधायक राम भुआल निषाद पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया है

सपा ने शनिवार को दो और उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें दोनों निषाद समुदाय से है। सपा ने गोरखपुर संसदीय सीट से राम भुआल निषाद और कानपुर सीट से राम कुमार निषाद को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है।

श्री योगी आदित्यनाथ के 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर संसदीय सीट से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में सपा ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को गोरखपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारा था और जीत दर्ज की थी।

निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि वह हमारी पार्टी के लिए सीटों का ऐलान करेंगे। उन्होंने अपने पोस्टरों में हमारी पार्टी का नाम और एक शब्द तक नहीं लिखवाया। उन्होंने कहा कि अब हम स्वतंत्र हैं और हमारे सामने सभी विकल्प खुले हैं। इसके बाद शुक्रवार देर शाम संजय निषाद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। जल्द ही निषाद पार्टी एनडीए का हाथ थाम सकती है।

गोरखपुर सीट से सपा प्रत्याशी राम भुआल निषाद एक हिस्ट्रीशीटर हैं और पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार और टीवी सीरियल अभिनेता काजल निषाद पर हमले के आरोपी हैं। वह हाल ही में थोड़े समय के लिए भाजपा में रहने के बाद सपा में लौट आये थे।

कानुपर लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी राम कुमार निषाद, एक नये उम्मीदवार हैं और उन्होंने अतीत में वहां से कभी चुनाव नहीं लड़ा था। 2014 के चुनावों में, व्यापारी नेता सुरेंद्र मोहन अग्रवाल सपा के उम्मीदवार थे।

इन दो के साथ ही अब सपा ने उत्तर प्रदेश में अबतक 30 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है। अब केवल सात और उम्मीदवारों की घोषणा करनी शेष है। पार्टी गठबंधन तहत 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ attacknews.in

नयी दिल्ली, 29 मार्च । चुनाव आयोग ने उपग्रह भेदी मिसाइल के सफल प्रयोग से संबंधित ‘मिशन शक्ति’ की उपलब्धि के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन से चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत को खारिज कर दिया है।

आयोग ने शुक्रवार को इस मामले की विस्तृत जांच के बाद कहा कि पीएम के संबोधन से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ है।

मोदी ने बुधवार को मिशन शक्ति की कामयाबी से देश को अवगत कराने के लिये राष्ट्र के नाम संबोधन किया था। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने सरकारी प्रसारण सेवा का इस्तेमाल करने के कारण इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होने का दावा करते हुये आयोग से इसकी शिकायत की थी।

इस मामले में आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जांच के लिये गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने येचुरी की शिकायत को नामंजूर किया है।

आयोग ने येचुरी को शुक्रवार रात भेजे अपने जवाब में कहा कि मोदी के संबोधन से आचार संहिता में सत्तारूढ़ दल से जुड़े नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है। आयोग ने कहा, ‘‘समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि इस मामले में आचार संहिता के तहत सरकारी मीडिया के दुरुपयोग संबंधी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हुआ है।’’

समिति ने इस मामले की जांच के लिये सार्वजनिक प्रसारण सेवा से जुड़े दूरदर्शन और आकाशवाणी से प्रधानमंत्री के संबोधन के प्रसारण की फीड का स्रोत एवं अन्य जानकारियां मांगी थीं। फीड के स्रोत की जांच के आधार पर समिति ने पीएम के प्रसारण को अचार संहिता के उल्लंघन के दायरे से बाहर बताया।

उल्लेखनीय है कि 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिये दस मार्च को आचार संहिता लागू हो गयी थी। मोदी ने बुधवार को उपग्रह रोधी मिसाइल के सफल प्रयोग से संबंधित मिशन शक्ति की कामयाबी से देश को संबोधित कर अवगत कराया था।

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गुजरात हाईकोर्ट ने हार्दिक पटेल का कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने का रास्ता रोका, सजा पर रोक की अर्जी खारिज attacknews.in

अहमदाबाद, 29 मार्च । गुजरात हाई कोर्ट ने कांग्रेस में हाल में शामिल हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति
(पास) के पूर्व नेता हार्दिक पटेल को आज एक बड़ा झटका देते हुए एक निचली अदालत से मिली उनकी सजा पर रोक
लगाने संबंधी उनकी अर्जी को आज खारिज कर दिया।

हार्दिक ने गत आठ मार्च को यह अर्जी अदालत में इसलिए दी थी ताकि उनके लोकसभा चुनाव लड़ने में कोई अड़चन नहीं आये।

न्यायमूर्ति ए जी उरैजी की अदालत ने इस मामले में सुनवाई कल पूरी कर ली थी और आज अपना फैसला सुनाया। उनके वकील आई एच सैयद और रफीक लोखंडवाला तथा सलीम सैयद की दलील थी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ निचली अदालत ने बिना पर्याप्त सबूत के ही सजा दे दी है।

उन्होंने यह भी दलील दी थी कि गैर इरादतन हत्या के एक मामले में सजा के बाद सांसद पद गंवाने वाले पंजाब के मंत्री तथा पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत की तर्ज पर हार्दिक को राहत मिले। हालांकि सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हार्दिक के मामले की तुलना सिद्धू के मामले से नहीं हो सकती।

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि हार्दिक अब क्या कदम उठायेंगे पर समझा जाता है कि अब वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे।

उनके एक वकील सलीम एम सैयद ने  कहा कि अदालत के आदेश का व्यापक अध्ययन किया जायेगा पर वह हार्दिक को सुप्रीम कोर्ट का रूख करने की सलाह देंगे। कल सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा था कि हार्दिक के खिलाफ लगभग डेढ़ दर्जन मामले दर्ज हैं। कानून तोड़ने वाले को कानून बनाने वाला नहीं बनाया जाना चाहिए। समाज सेवा के लिए विधायक या सांसद बनना अनिवार्य नहीं है। हार्दिक के आचरण से स्पष्ट है कि वह कानून का सम्मान नहीं करते और उन्हें मिली जमानत की शर्तों का भी उल्लंघन करते रहे हैं।

यह देखना रोचक होगा कि कांग्रेस पार्टी कब तक जामनगर सीट, जहां से चुनाव लड़ने की इच्छा हार्दिक ने जतायी थी, के लिए किसी उम्मीदवार की घोषणा रोक कर रखती है। राज्य की सभी 26 सीटों पर एक साथ 23 अप्रैल को तीसरे चरण में मतदान होगा। इसके लिए नामांकन कल ही शुरू हो गया और चार अप्रैल तक चलेगा। हार्दिक गत 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल हुए थे।

ज्ञातव्य है कि हार्दिक को राज्य के महेसाणा जिले के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को एक आरक्षण रैली के दौरान हुई हिंसा और तत्कालीन स्थानीय भाजपा विधायक रिषिकेश पटेल के कार्यालय पर हमले और तोड़फोड़ के मामले में पिछले साल 25 जुलाई को एक स्थानीय अदालत ने दो साल के साधारण कारवास की सजा सुनायी थी। उन पर जुर्माना भी लगाया गया था। नियम के मुताबिक दो साल या उससे अधिक की सजा वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते।

इसी वजह से हार्दिक एक बार फिर गुजरात हाई कोर्ट का रूख किया था।

ज्ञातव्य है कि उक्त मामले में अदालत ने कुल 17 में से 14 आरोपियों को बरी कर दिया था जबकि हार्दिक तथा दो अन्य को उक्त सजा सुनायी थी। हार्दिक को बाद में हाई कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी थी पर निचली अदालत के फैसले रद्द करने की उनकी एक अन्य अपील पर कोई फैसला नहीं दिया था।

श्री लोखंडवाला ने कहा कि दो साल की सजा पर रोक नही लगाये जाने पर उनके मुवक्किल के चुनाव लड़ने में अयोग्यता का सवाल सामने आ सकता है।

हार्दिक की अर्जी पर सुनवाई से पूर्व में हाई कोर्ट के एक अन्य जज न्यायमूर्ति आर पी धोलरिया ने इंकार कर दिया था। इसके बाद यह मामला न्यायमूर्ति उरैजी की अदालत में आया था।

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भाजपा ने प्रत्याशियों की 12वी सूची में मध्यप्रदेश के 2 और सांसदों का टिकट काटा attacknews.in

भोपाल, 29 मार्च । भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए आज जारी की अपने प्रत्याशियों की सूची में मध्यप्रदेश के दो और मौजूदा सांसदों के टिकट काट कर नए चेहरों को मौका दिया है।

पार्टी ने राजगढ़ सीट से मौजूदा सांसद रोडमल नागर पर ही दाेबारा दांव खेला है। बालाघाट से सांसद बोध सिंह भगत के स्थान पर इस बार ढाल सिंह बिसेन को मौका दिया गया है। वहीं खरगोन से भी सांसद सुभाष पटेल का टिकट काट कर यहां से गजेंद्र पटेल को चुनावी मैदान में उतारा गया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के लिए 11 और उम्मीदवारों की घोषणा की। भाजपा की यह 12वीं सूची है।

भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव जगत प्रकाश नड्डा ने यहां एक विज्ञप्ति में इन उम्मीदवारों की जानकारी दी। पार्टी के उम्मीदवारों की सूची इस प्रकार हैं:

कर्नाटक…

  1. रायचूर (सु)-राजा अमरेश नायक
  2. कोप्पल-संगाना कराडी
  3. चिक्कोडी-अन्ना साहेब जोल्ले

मध्य प्रदेश…

  1. बालाघाट-धल सिंह बीसेन
  2. राजगढ़-रोडमल नागर
  3. खारगोन (सु)-गजेंद्र पटेल

राजस्थान…

  1. चुरु-राहुल कासवान
  2. अलवर-बालक नाथ
  3. बांसवाड़ा (सु)-कनकमल कटारा

महाराष्ट्र…

  1. माधा-रंजीत सिंह हिंदूराव नाइक निंबालकर

जम्मू-कश्मीर…

  1. लद्दाख-जामयाल सेरिंग नामग्याल

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मुंबई से कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी उर्मिला मार्तोंडकर का शादी के बाद का असली नाम मरियम अख्तर मीर हैं, जाने क्या है सच्चाई attacknews.in

नयी दिल्ली, 29 मार्च । जानीमानी अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को कांग्रेस ने मुंबई-उत्तर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस घोषणा के साथ ही उनके मुस्लिम धर्म स्वीकार करने की भी बातें सामने आने लगी क्योंकि उन्होंने 2016 में मुस्लिम युवक के साथ शादी की ।

पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक की ओर जारी एक बयान के मुताबिक, कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ने उर्मिला की उम्मीदवारी को स्वीकृति प्रदान की।

उर्मिला गत बुधवार को कांग्रेस में शामिल हुईं थी। उन्होंने पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस की मुंबई इकाई के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा और पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। इससे पहले उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी।

गौरतलब है कि उर्मिला 1990 के दशक में हिंदी सिनेमा की शीर्ष अभिनेत्रियों में गिनी जाती थीं। उन्होंने ‘रंगीला, ‘सत्या, ‘खूबसूरत’, ‘जुदाई’, ‘जंगल’ और अन्य कामयाब फिल्मों में काम किया।

जब से उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस का दामन थामा , तब से उनको लेकर सोशल मीडिया पर जर्बदस्त चर्चा हो रही है. सोशल मीडिया पर उर्मिला को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. कुछ का दावा है कि उर्मिला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की भतीजी हैं तो वहीं कुछ का दावा है कि उर्मिला ने मोहसिन अख्तर मीर से शादी करके अपना धर्म परिवर्तन कर लिया और उनका अब असली नाम “मरियम अख्तर मीर” या ‘फरज़ाना खान’ है.

सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को प्रतीक श्री अनुराग नाम के शख्स ने डाला जिसमें लिखा गया है “आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की भतीजी उर्मिला मातोंडकर (कश्मीरी से शादी के बाद फ़रज़ाना खान) कांग्रेस में शामिल हुई”.

इस पोस्ट को 34 सोशल मीडिया यूज़र्स ने अब तक शेयर किया है. वहीं कनक मिश्र नाम के एक सोशल मीडिया यूज़र के इस पोस्ट में दावा किया गया है, “उर्मिला मातोंडकर कांग्रेस से चुनाव लड़ेगी! उर्मिला ने इस्लाम कबूल कर अपने से 9 साल छोटे कश्मीरी बिजनेस मैन मोहसिन अख्तर मीर से निकाह किया तथा अपना नाम मरियम अख्तर मीर रख लिया! लेकिन चुनाव पर्चे पर हिन्दुओं को ——— बनाने के लिए उर्मिला मातोंडकर लिखा जायेगा!”

इधर वास्तविक स्थिति यह है कि,उर्मिला मातोंडकर के सोशल मीडिया  इंस्टाग्राम और फेसबुक, दोनों पर उर्मिला का अकाउंट है जिसमे उनका नाम यही है जिससे वो जानी जाती है. फेसबुक और इंस्टाग्रम दोनों पर कहीं भी उर्मिला और मोहन भागवत के एक साथ होने के फोटो नहीं है. उर्मिला से सीधे मोहन भागवत से रिश्तों पर उन्होंने  साफ इनकार किया है और उर्मिला ने कहा, ‘ये बात तो एक फिल्म स्क्रिप्ट से भी आगे चली गई, इसमें कोई सच्चाई नहीं है.’

वहीं इस दावे की दूसरी बात कि क्या उर्मिला ने धर्म परिवर्तन किया है और उसके बाद नाम बदला है।ये बात सही है कि उर्मिला ने एक कश्मीरी बिजनेसमैन मोहसिन अख्तर मीर से 2016 में शादी की थी. मोहसिन बॉलीवुड में छोटा मोटा रोल भी कर चुके हैं. उर्मिला ने अपने पति मोहसिन के साथ कई सारे फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट में अपलोड किए हैं।

इस मुद्दे पर  सीधे मोहसिन ने ही कहा, ‘इस तरह के दावे चुनाव से पहले किए जाते हैं पर हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरी पत्नी ने धर्म परिवर्तन नहीं किया था. आप उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर देख सकते हैं कि दूसरे स्टार्स की तरह उन्होंने न अपना नाम बदला है और न ही मेरा सरनेम अपने नाम के आगे लगाया है. अगर आप हमारे घर आए तो आप देखेंगे कि हमारे घर में मंदिर भी है. हमारे घर में काम करनेवाले लोग भी आपको बता देंगे ।

चूंकि धर्म परिवर्तन को लेकर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है और खुद उनके पति मोहसीन ये बात कह रहे हैं ।

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मुलायम सिंह यादव ने भाई शिवपाल सिंह यादव के बारे में यह क्या कह दिया जिससे समाजवादी पार्टी बिखर गई attacknews.in

इटावा, 29 मार्च । पल पल बदलते बयानो से हर किसी को असमंजस में डालने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) सरंक्षक मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शुक्रवार को अपने अनुज एवं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव से दूरी बनाने के संकेत दिये।

सिविल लाइन स्थित आवास पर शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में श्री मुलायम ने कहा कि प्रसपा का गठन कर चुके भाई शिवपाल से उनका कोई मतलब नहीं है क्योंकि जहां शिवपाल ने अपने उम्मीदवारों को उतारा हुआ है वही से वह खुद चुनाव मैदान में हैं ।

प्रसपा प्रत्याशियों के प्रचार के लिये जाने संबंधी एक सवाल के जवाब में सपा सरंक्षक ने कहा “ कौन कहां किसके लिए प्रचार करने के लिए जाएगा यह तो पता नही क्योंकि मैं खुद भी चुनाव लड़ रहा हूं। मैं क्यो चिंता करूं कि कौन शिवपाल की रैली में जाता है कौन नही, रैलियां तो होती रहती है। अगर किसी को बधाई देनी है तो मुझे दे मैं भी तो चुनाव लड़ रहा हूँ। ”

गौरतलब है कि पिछली 21 मार्च को शिवपाल होली के मौके पर बडे भाई मुलायम से आर्शीवाद लेने सिविल लाइन स्थित आवास आये थे जहां बंद कमरे मे दोनो की काफी देर तक बातचीत हुई। इस बातचीत का खुलासा तो नहीं हो सका लेकिन इसका असर सैफई मे मुलायम की होली मे जरूर दिखाई दिया क्योंकि मुलायम के आंगन मे होली जश्न मे शिवपाल और उनके बेटे के अलावा प्रसपा का कोई छोटा बडा नेता नही आया जबकि सपा महासचिव प्रो रामगोपाल यादव,अखिलेश यादव, धर्मेद्र, तेजप्रताप, अनुराग, अभिषेक, कार्तिकेय के अलावा मुलायम परिवार के अन्य गैर राजनैतिक सदस्य नजर आये । शिवपाल ने अपनी होली का जश्न अपने पिता के नाम पर बनाये एसएस मैमोरियल स्कूल मे जमाया ।

सूत्रों के अनुसार शिवपाल ने अपने बडे भाई से होली जश्न मे शामिल होने के लिए कहा था लेकिन मुलायम ने इससे साफ इंकार कर दिया।

यादव परिवार के बीच हाल के दिनों में उस समय खट्टास नजर आयी जब शिवपाल ने फिरोजाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इस सीट पर प्रो यादव का बेटा अक्षय यादव सपा से उम्मीदवार है ।

शिवपाल जब भी फिरोजाबाद का दौरा करते हैं तो उनके निशाने पर रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव ही रहते हैं।

यहां दिलचस्प् है कि शिवपाल हमेशा कहते रहे है कि उन्होने प्रसपा का गठन मुलायम के कहने पर किया। उनकी पार्टी मैनपुरी सीट पर ना सिर्फ मुलायम सिंह यादव का समर्थन  करेगी बल्कि अपनी पार्टी का कोई उम्मीदवार भी नहीं उतारेगी ।

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शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह पर हमला बोलते हुए कहा: चुनाव के समय कांग्रेस के सभी नेता हिंदू बन जाते हैं, उन्हें मंदिर याद आने लगते हैं attacknews.in

भोपाल, 28 मार्च । मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व समेत भोपाल से पार्टी प्रत्याशी दिग्विजय सिंह पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव के समय कांग्रेस के सभी नेता हिंदू बन जाते हैं।

श्री चौहान ने आज यहां संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि चुनाव के समय केवल श्री सिंह ही नहीं, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी मंदिर जाने लगती हैं। चुनाव आते ही कांग्रेस के सभी नेता हिंदू बन जाते हैं, उन्हें मंदिर याद आने लगते हैं।

श्री गांधी द्वारा हर गरीब को 72 हजार रुपए प्रति साल दिए जाने की घोषणा पर कटाक्ष करते हुए श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अंतत: स्वीकार कर लिया है कि गरीबी हटाने का काम पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लााल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक में से कोई नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि श्री गांधी जनता को अब ‘मिसलीड’ नहीं करें। जनता अब कांग्रेस के इस तरह के वादे के झांसे में नहीं आएगी।

भोपाल संसदीय क्षेत्र पर श्री सिंह के समक्ष भाजपा से स्वयं श्री चौहान का नाम हाेने से जुड़े सवाल पर श्री चौहान ने कहा कि वे इस सवाल पर चुप्पी साधना ज्यादा पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि रोज-रोज श्री सिंह का नाम क्यों लिया जाए।

भाजपा की ओर से अब तक भोपाल सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किए जाने के बारे में श्री चौहान ने कहा कि भोपाल के चुनाव में अभी बहुत दिन हैं। अभी से घोषित किया जाने पर प्रत्याशी के समक्ष दिक्कत खड़ी हो जाएगी।
पार्टी में शहडोल संसदीय सीट से मौजूदा सांसद ज्ञान सिंह और टीकमगढ़ सीट से पूर्व विधायक आर डी प्रजापति के बगावती तेवर होने की खबरों को खारिज करते हुए श्री चौहान ने कहा कि पार्टी में कोई असंतोष नहीं है। वे स्वयं अब कार्यालय में बैठ कर सभी 29 लोकसभा सीटें जीतने की रणनीति पर काम करेंगे।

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इलाहाबाद से भाजपा सांसद बगावत कर वापस अपने पुराने घर सपा में गये तो पुरानी कांग्रेसी रीता बहुगुणा जोशी को भाजपा ने दाव पर लगाया attacknews.in

प्रयागराज, 28 मार्च । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद लोकसभा सीट से प्रदेश सरकार में महिला, परिवार कल्याण और पर्यटन मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को टिकट दिया है। डॉ. जोशी का यह गृह जिला है और पार्टी को उम्मीद है कि वह इस वजह से यहां की सीट उसकी झोली में डाल सकती हैं।

डॉ. रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद की महौपौर रह चुकी हैं और कांग्रेस से भाजपा में आयी हैं। उन्होंने भाजपा के टिकट पर 2017 में हुये प्रदेश विधानसभा चुनाव में लखनऊ की कैंट सीट से जीत हासिल की थी। डॉ. जोशी ने उस चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा को पराजित किया था।

डॉ. जोशी के लिए यह शहर नया नहीं है। यह उनका गृह जिला है। वर्ष 2016 में भाजपा में शामिल होने से पहले 24 साल तक वह कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर रहीं।

राजनीति के जानकारों का मानना हैै कि भाजपा ने शायद लखनऊ में उनकी जीत से आशान्वित होकर ही इलाहाबाद संसदीय सीट से डॉ. जोशी को उतारा है। वर्ष 2014 में मोदी लहर थी। जिसका लाभ 2017 में हुए प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को मिला लेकिन अब 17वीं लोकसभा के चुनाव में 2014 की वह लहर नजर नहीं आ रही है।

उनका कहना है मतदाताओं में कई कारणों से श्री मोदी के प्रति रुझान कम दिख रहा है।

इलाहाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस ने अभी तक अपने किसी दावेदार के नाम की घोषणा नहीं की है। महागठबंधन में इलाहाबाद सीट सपा के खाते में है। उसने भी अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। अब सबकी निगाह इस पर है कि दोनों पार्टियां किन कद्दावर नेताओं को इलाहाबाद से उतारती हैं।

भाजपा के लिए अब यह सीट श्यामाचरण के छोड़ने से प्रतिष्ठा का सवाल भी बन गयी है। वह यह भी दिखाना चाहेगी की किसी भी व्यक्ति की पहचान उसकी पार्टी से होती है न कि पार्टी की पहचान व्यक्ति से।

17वीं लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा काे श्यामाचरण गुप्त ने तगड़ा झटका दिया। वह पार्टी से बगावत कर अपने पुराने कुनबे सपा में पुन: शामिल होकर बांदा से उम्मीदवार बन गये। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा छोड़कर भाजपा में आये श्री गुप्त ने इलाहाबाद संसदीय सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी सपा के कुंवर रेवती रमण सिंह को 62,009 मतों से पराजित किया था।

श्री गुप्त को 3,13,772 मत मिलेे थे जबकि श्री सिंह के खाते में 2,51,763 मत पड़े थे।

स्थानीय लोगों का इस बार के लोकसभा चुनावों के बारे में कहना है कि मतदाता अब जागरूक हो रहा है। वह बार-बार पाला बदलने वाले नेता पर विश्वास कैसे करे। नेता केवल अपने लाभ के लिए पाला बदलता है, मतदाताओं से उसका कोई लेना-देना नहीं है। जो नेता अपना पुराना घर एक झटके में छोड़कर दूसरे घर में पनाह लेता है उसका कोई विश्वास नहीं होता। उनका कहना है कि दूसरे के घर में पनाह तभी मिल सकती है जब उसकी जुबानी बोलना हो।

सिविल लाइंस क्षेत्र में रेलवे स्टेशन से बस अड्डे पर रिक्शा चलाने वाले बिहार के भागलपुर निवासी गयादीन (52) का कहना है कि उसने कई बार सवारियों को इस तरह की बातें करते सुना है। उसने बताया, “मेरी समझ में भी यह बात थोड़ी आने लगी है।”

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