बिहार में विपक्षी महागठबंधन में बगावत, लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने लालू- राबड़ी मोर्चा बनाया, उम्मीदवारों को उतारा attacknews.in

पटना 01 अप्रैल । लोकसभा चुनाव में टिकट बटवारे से खफा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र एवं विधायक तेजप्रताप यादव ने आज खुलकर पार्टी से बगावत कर दी और ‘लालू-राबडी मोर्चा’ बनाकर चार सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा के साथ ही चेतावनी भी दे डाली कि सारण से यदि उनके ससुर चंद्रिका राय की उम्मीदवारी वापस नहीं ली गयी तो वह खुद उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव में उतरेंगे ।

पूर्व मंत्री श्री यादव ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लालू-राबडी मोर्चा का उम्मीदवार जहानाबाद, शिवहर,पश्चिम चंपारण और हाजीपुर सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा । इसके साथ ही सारण लोकसभा सीट राजद के घोषित उम्मीदवार का नाम वापस नहीं लिया गया तो वह खुद उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे । राजद ने जहानाबाद सीट से विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव, सारण से विधायक एवं श्री तेज प्रताप यादव के ससुर चंद्रिका प्रसाद राय और हाजीपुर (सु) से विधायक शिवचंद्र राम को उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं पश्चिम चंपारण सीट महागठबंधन में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के खाते में गयी है।

श्री तेज प्रताप यादव ने कहा कि सारण लोकसभा की सीट उनके पिता श्री यादव की रही है और यहां से किसी बाहरी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। वह चाहते हैं कि इस सीट से उनकी मां राबड़ी देवी चुनाव लड़ें। इसको लेकर वह अपनी मां से कई बार आग्रह भी कर चुके हैं ।

उन्होंने कहा कि यदि उनकी मां वहां से चुनाव नहीं लड़ती हैं तो वह इस सीट से चुनाव लड़ेंगे लेकिन परिवार के बाहर का कोई उम्मीदवार वह स्वीकार नहीं करेंगे ।

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नरेन्द्र मोदी ने कहा: हिंदू आतंकवाद शब्द का प्रयोग कर करोडों लोगों को कलंकित करने वाली कांग्रेस पार्टी को देश की जनता दंडित करेंगी attacknews.in

वर्धा, एक अप्रैल । हिन्दू आतंकवाद की शब्दावली को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विपक्षी दल पर आरोप लगाया कि वह धर्म के शांतिप्रिय अनुयायियों को आतंकवाद से जोड़कर उनका अपमान कर रही है।

महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन के लिए चुनाव प्रचार की शुरुआत करते हुए यहां एक जनसभा में मोदी ने कहा कि हिन्दू अब जाग चुका है और विपक्षी दल को दंडित करने का निर्णय लिया है।

मोदी ने कहा, ‘‘उस पार्टी (कांग्रेस) के नेता अब बहुसंख्यक (हिन्दू) आबादी वाली सीटों से चुनाव लड़ने से डर रहे हैं।’’ हालांकि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का नाम नहीं लिया लेकिन माना जा रहा है कि उनका निशाना राहुल गांधी पर था। गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी (उत्तर प्रदेश) के अलावा केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने ‘हिन्दू आतंकवाद’ शब्द का प्रयोग कर देश के करोड़ों लोगों को कलंकित करने का प्रयास किया। आप बताएं, क्या आपको दुख नहीं हुआ था, जब आपने हिन्दू आतंकवाद शब्द सुना था? हजारों साल के इतिहास में क्या एक भी उदाहरण है जहां हिन्दू आतंकवाद में शामिल रहे हों?’’

मोदी ने लोगों से सवाल किया कि क्या वह शांतिप्रिय हिन्दुओं को आतंकवाद से जोड़ने का पाप करने वाली कांग्रेस को माफ कर देंगे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भलीभांति पता है कि देश ने उसे दंडित करने का निर्णय लिया है।

मोदी ने कहा, ‘‘कुछ नेता चुनाव लड़ने से ही डर रहे हैं। उसने (कांग्रेस) जिन्हें आतंकवादी बताया था, अब वह जाग गए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने शांतिप्रिय हिन्दुओं को आतंकवाद से जोड़ा… अब वह बहुसंख्यक आबादी वाले क्षेत्रों से चुनाव लड़ने में डर रहे हैं…अब वहां जा रहे हैं जहां बहुतायत में आबादी अल्पसंख्यक है।’’

राकांपा नेता शरद पवार पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि ‘‘हवा के उल्टे रुख को भांप कर वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि राकांपा की बागडोर पवार के हाथों से फिसल रही है और वह ‘‘पारिवारिक कलह’’ में उलझे हुए हैं। पवार अपने ही भतीजे अजीत पवार के हाथों ‘हिट विकेट’ हो रहे हैं।

उन्होंने पुलवामा आतंकवादी हमले और बालाकोट हवाई हमले को लेकर कांग्रेस तथा राकांपा पर सैनिकों के साहस पर सवाल उठाने और उनका अपमान करने का आरोप भी लगाया।

मोदी ने कहा कि एक वक्त में पवार सोचते थे कि वह भारत के प्रधानमंत्री बन सकते हैं, लेकिन अब हालात को देखते हुए चुनाव तक नहीं लड़ रहे।

उन्होंने कहा, ‘‘शरद पवार जी को भी पता है कि हवा किस तरफ बह रही है। इस बार जनता ने बड़े-बड़े तोपचियों को मैदान छोड़ने पर मजबूर कर दिया है।’’

उन्होंने पवार पर किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया।

‘शौचालयों के चौकीदार’ वाली टिप्पणी पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आपकी गालियां मेरे लिए गहने के समान हैं।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को एमीसैट उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी।

वर्धा में चुनावी रैली में उन्होंने कहा कि यह प्रक्षेपण इसरो के लिए ऐतिहासिक पल है।

सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से उड़ान भरने के बाद पीएसएलवी ने भारत के एमीसैट उपग्रह और 28 विदेशी नैनो उपग्रहों को सोमवार को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित किया।

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शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने से इंकार किया, राहुल गांधी को झूठ बोलने वाला राजनेता करार दिया, कमलनाथ सरकार को अंदरूनी कलह वाली बताया attacknews.in

नयी दिल्ली 01 अप्रैल । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा मजबूत उम्मीदवार उतारने की अटकलों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव लड़ने से इन्कार करते हुए कहा कि वह विधानसभा में निर्वाचित हो चुके हैं।

श्री चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मैं एक निर्वाचित विधायक हूं, मैं तीन महीने पहले ही चुनाव जीत कर आया हूं इसलिए दोबारा लड़ने का क्या मतलब है।” उन्होंने कहा कि अगर उनसे पूछा जाये तो वह राज्य के लिए काम करना चाहेंगे। लेकिन उनके बारे में सभी निर्णय लेने का अधिकार पार्टी नेतृत्व को ही है।

शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘आदतन झूठ बाेलने वाला राजनेता’ करार दिया और मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों की कर्ज़ माफी को लेकर उनके वादे को नहीं निभाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि कांग्रेस के न्यूनतम आय योजना के वादे का भी ऐसा ही हश्र होने वाला है।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि श्री गांधी आदतन झूठ बोलने वाले नेता हैं और वह बहुत बेशर्मी एवं आत्मविश्वास से झूठ बोलते हैं। श्री गांधी ने नवंबर 2018 में राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनावों में अनेक भाषणों में कहा था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही दस दिन के भीतर किसानों का ऋण माफ कर देंगे और किसी मुख्यमंत्री ने आनाकानी की तो मुख्यमंत्री बदल देंगे।

श्री चौहान ने कहा कि आज 104 दिन हो चुके हैं जबकि ना तो कर्ज़ माफ हुआ और ना ही मुख्यमंत्री बदला गया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में दो लाख तक ऋण लेने वाले किसानों की कुल ऋण राशि करीब 48 हजार करोड़ रुपए है। लेकिन राज्य की कमलनाथ सरकार ने बजट में केवल पांच हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया तथा सहकारी बैंकों को 600 करोड़ रुपए और अन्य बैंकों को 700 करोड़ रुपए जारी किये गये। उन्होंने कहा, “ 48 हजार करोड़ रुपए के एवज में केवल 1300 करोड़ रुपए जारी किये। पैसा ना धेला, सूरजकुंड का मेला।”

उन्होंने कहा कि दस मार्च को चुनाव आयोग द्वारा शाम पांच बजे लोकसभा चुनावों की घोषणा करने के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी और दिन में एक बजे से ही किसानों के मोबाइल फोन पर बैंकों का संदेश आने लगा कि जय किसान फसल ऋण माफी योजना के तहत उनका ऋण आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद माफ किया जाएगा। इसी के साथ किसानों को बैंकों से ऋण वसूली की चिट्ठियां आने लगीं। उन्होंने कुछ किसानों के नाम एवं पते के साथ उदाहरण देते हुए कहा कि जिनके एक लाख रुपए के कर्ज़ थे, उन्हें 1042 और जिनमें डेढ़ लाख रुपए का ऋण था, उन्हें 1076 रुपए माफ किया गया। इससे किसान ना हंस पा रहा है और न ही रो पा रहा है। यानी इस प्रकार से कांंग्रेस ने किसानों को मूर्ख बनाने का काम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के लिए पात्र किसानों की सूची नहीं भेजी है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरु की गयीं अनेक कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया है। बेटियों को आर्थिक मदद से लेकर गरीबों के लिए सात सुविधाओं वाली संबल योजना, छात्रवृत्ति आदि योजनाओं को भी समाप्त कर दिया गया है।

श्री चौहान ने कहा कि श्री गांधी दूसरा झूठ बोल रहे हैं कि गरीबी पर सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे। चाहे कलावती का मामला हो या भट्टा पारसौल का, राफेल हो या किसान कर्जमाफी का, उनके रिकॉर्ड से साफ है कि इस वादे का भी किसानों के कर्ज माफी वाले वादे जैसा हश्र होने वाला है। उन्होंने कहा कि वह पूरे देश में जा कर देश की जनता एवं किसानों को कांग्रेस के कर्ज़माफी के वादे का सच बताएंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा कांग्रेस के न्यूनतम आय गारंटी के वादे से डरी हुई है, श्री चौहान ने कहा, “हम डरे नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से भरे हैं।”

उन्होंने कहा कि भाजपा का संकल्प पत्र आएगा तो उसमें किसानों की आय दोगुना करने को लेकर आगे का कार्यक्रम लाया जाएगा।

कांग्रेस द्वारा भाजपा पर मध्यप्रदेश में उसकी सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोपों को खारिज करते हुए श्री चौहान ने कहा कि अगर भाजपा को यही करना था तो वह सरकार बनने ही नहीं देती। उन्होंने कहा कि श्री कमलनाथ की सरकार तमाम अंदरूनी अंतर्विरोधों से घिरी है और वह खुद ही अपनी गति को प्राप्त करेगी।

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कांग्रेस पार्टी का पंजा चुनाव चिह्न इंदिरा गांधी ने संत देवरहा बाबा के कहने से गाय- बछड़ा को बदलकर रखा था attacknews.in

देवरिया, 01 अप्रैल । आपातकाल के बाद 1977 में हुये लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में स्वयं इन्दिरा गांधी के साथ उनके सभी दिग्गजों को करारी हार का सामना करना पड़ा था और श्रीमती गांधी को जेल भी जाना पड़ा था।

पार्टी सूत्रों ने सोमवार को यहा बताया कि आपातकाल के बाद 1977 में हुये लोकसभा के चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में मायूसी छायी हुई थी। हार के बाद आत्ममंथन में जुटी कांग्रेसी खेमा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के मईल में सरयू किनारे प्रवास कर रहे सिद्ध संत देवरहा बाबा के दर्शन करने की सलाह दी।

श्रीमती इंदिरा गांधी सिद्ध संत देवरहा बाबा के दर्शन के लिये देवरिया से 40 किलोमीटर दूर उनके आश्रम पर पहुंची।

बाबा ने इंदिरा गांधी को दर्शन के बाद हाथ उठाते हुये आशीर्वाद दिया था और कहा कि यहीं हाथ तुम्हारा भला करेगा।

बताया जाता है कि इंदिरा गांधी ने बाबा के इस आशीर्वाद को मन से लगा लिया। वहां से वापस आने के बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग से चुनाव निशान गाय-बछड़ा के स्थान पर हाथ का पंजा आवंटित करने की मांग की। यह चुनाव चिन्ह आज तक चल रहा है।

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उत्तरप्रदेश की चर्चित कैराना संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला जातीय समीकरणों में उलझा, भाजपा ने प्रदीप चौधरी को मैदान में उतारा है attacknews.in

सहारनपुर, 01 अप्रैल । चुनावों में मूलभूत समस्यायों को किनारे कर जातीय समीकरणों में उलझ कर रह जाने वाले पश्चिमी उत्तर के कैराना संसदीय क्षेत्र में इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।

पिछले आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हुकुम सिंह ने यहां से चुनाव जीता था लेकिन उनके निधन के बाद उनकी बेटी मृगांका सिंह 2018 के उप चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) की तबस्सुम हसन से हार गयीं थीं। भाजपा ने इस बार उनका टिकट काटकर गंगोह के विधायक प्रदीप चौधरी काे मैदान में उतारा जबकि श्रीमती हसन राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की प्रत्याशी के रुप में फिर चुनाव में उतरी हैं । कांग्रेस ने जाट नेता हरेंद्र मलिक को अपना प्रत्याशी बनाया है। इससे यहां इन तीनों के बीच मुकाबला होने की उम्मीद है।

सोलह लाख से अधिक मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है मगर हर चुनाव की तरह इस बार भी यहां विकास का मुद्दा पटरी से उतर चुका है और लड़ाई जातिगत समीकरणों पर सध गयी है। कैराना में मुस्लिम आबादी 38.10 फीसदी है और परिसीमन के बाद सहारनपुर की गंगोह और नकुड़ विधानसभा सीटें कैराना में शामिल होने से गुर्जर और जाट मतदाताओं की भी अच्छी-खासी तादाद है।

इस सीट से श्रीमती हसन अपने पति मुनव्वर हसन के निधन के बाद 2009 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर सांसद चुनी गयी थीं लेकिन 2014 में उनके बेटे नाहिद हसन ने भाजपा के हुकुम सिंह का चुनावों में मुकाबला किया था। तब भाजपा को 5,65,909 वोट मिले थे। श्री सिंह के निधन के बाद 2018 में हुये उपचुनाव में श्रीमती हसन ने मृगांका को 44,618 वोटों से पराजित किया था। उप चुनाव में तबस्सुम की जीत इसलिये भी मायने रखती है कि यहां उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी ताकत झोंक दी थी लेकिन भाजपा को जीत नहीं दिला सके थे।

क्षेत्र के प्रमुख गुर्जर नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह गत शनिवार को भाजपा में शामिल हो गये हैं। उनके बेटे और शामली के जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान भी भाजपा में आ गये हैं। ऐसे में गुर्जर वोटों के एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पक्ष में जा सकता हैं।

अगर बात रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन की करें तो सियासत उनके परिवार का स्थायी हिस्सा रहा है। उनके ससुर अख्तर हसन कैराना लोकसभा सीट से 1984 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। उन्होंने तब बसपा सुप्रीमो मायावती को दो लाख वोटों के अंतर से हराया था।

वर्ष 1996 में तबस्सुम हसन के पति मुनव्वर हसन लोकसभा सदस्य चुने गए थे। बाद में वह सपा से 1998 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे। वहीं , 1980 में इस सीट से तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी लोकसभा चुनाव जीती थीं। वर्ष 1971 में चौधरी शफक्कत जंग कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे। कैराना से 1999 में आमिर आलम रालोद के टिकट पर सांसद बने और 2004 में अनुराधा चौधरी रालोद के टिकट पर ही सांसद चुनी गयी। वर्ष 1989 और 1991 में जनता दल के हरपाल पांवार सांसद चुने गये थे।

भाजपा 1998 में पहली बार यहां चुनाव जीती थी। तब भाजपा के उम्मीदवार वीरेंद्र वर्मा ने सपा के मुनव्वर हसन को पराजित किया था। दूसरी बार भाजपा को इस सीट पर जीत 2014 में हुकुम सिंह ने दिलाई थी।

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उत्तरप्रदेश की सहारनपुर संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला पिछले चुनाव के प्रत्याशियों द्वारा वर्तमान प्रत्याशियों को समर्थन देने से कांटे की टक्कर वाला हुआ attacknews.in

सहारनपुर, 30 मार्च । देश के बड़े गन्ना उत्पादकों की फेहरिस्त में शामिल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और महागठबंधन की ओर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उम्मीदवार के बीच कड़ा संघर्ष होने के आसार हैं।

इस सीट पर कुल 11 उम्मीदवार हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद राघव लखनपाल शर्मा और पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद एवं बसपा उम्मीदवार फजलुर्ररहमान कुरैशी के बीच है। यहां पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होगा।

यहां पिछले लोकसभा चुनाव में 74.2 प्रतिशत मतदान हुआ था और करीब 12 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। राघव लखनपाल शर्मा को चार लाख 72 हजार 999 वोट हासिल हुये थे जबकि दूसरे स्थान पर रहे इमरान मसूद को चार लाख सात हजार 909 ,बसपा उम्मीदवार ठाकुर जगदीश सिंह राणा को दो लाख 35 हजार 33 और सपा उम्मीदवार साजान मसूद को 52 हजार 65 वोट मिले थे। इस बार बसपा के पिछले हारे प्रत्याशी जगदीश राणा भाजपा उम्मीदवार राघव लखनपाल शर्मा के साथ हैं और सपा के साजान मसूद अपने चचेरे भाई इमरान मसूद के साथ हैं जिससे यहां मुकाबला त्रिकोणीय और कांटे का हो गया है।

सहारनपुर सीट पर 39 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं जबकि 21-22 फीसदी के करीब अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। सपा-बसपा का गठबंधन होने के कारण बसपा उम्मीदवार फजलुर्ररहमान कुरैशी भाजपा उम्मीदवार राघव लखनपाल शर्मा को तगड़ी चुनौती दे रहे हैं जबकि कांग्रेस उम्मीदवार एवं प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष इमरान मसूद इस लड़ाई को तिकोना बना रहे हैं। इस सीट पर कुल 17 लाख 12 हजार 580 कुल मतदाता हैं।

सहारनपुर शक्तिपीठ मां शाकुम्बरी देवी, काष्ठ कला उद्योग और देवबंद स्थित दारूल उलूम के लिए विश्वविख्यात है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी के जिले सहारनपुर में पांच चीनी मिलें हैं। गन्ना किसानों की समस्या प्रमुख हैं। किसानों की शिकायत है कि 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पापुलर की खेती करने वाले किसानों को पक्का भरोसा दिया था कि उन्हें अपने पापुलर के पेड़ बेचने के लिए हरियाणा जाने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। जिले में ही पापुलर लकड़ी पर आधारित प्लाईवुड की फैक्टरियां स्थापित की जाएंगी लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।

सपा विधायक संजय गर्ग का आरोप है कि योगी सरकार ने इस बार गन्ना मूल्य में कोई बढोत्तरी नहीं की और सहारनपुर मंडल की चीनी मिलों पर मौजूदा पेराई सत्र का करोड़ों रुपया बकाया है। सहारनपुर जिले में पिछले पांच साल के दौरान कोई भी नया उद्योग नहीं लगा और ना ही कोई रोजगार के नए अवसर नजर आए। सहारनपुर से मुजफ्फरनगर की रेलवे लाइन का दोहरी करण भी मोदी सरकार अभी तक नहीं करा पाई है। दूसरी तरफ यहां के बड़े व्यापारी नेता शीतल टंडन का कहना है कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था जरूर बेहतर हुई है। व्यापारी वर्ग जीएसटी की परेशानियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मौका और दिए जाने के पक्ष में है।

लोकसभा चुनाव के इतिहास में नजर डालें तो 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के अजित प्रसाद जैन और 1957 के दूसरे चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता महावीर त्यागी यहां से जीते थे। वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस के मुलकीराज सैनी जीते थे। कांग्रेस 1977 में पहली बार इस सीट पर हारी थी जब जनता पार्टी उम्मीदवार रशीद मसूद जीते थे। वह 1980 में जनता पार्टी सेकुलर चुनाव जीते लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी हत्या से उपजी सहानभूति के कारण उन्हें कांग्रेस के नेता चौधरी यशपाल सिंह गुर्जर के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

वी पी सिंह की भ्रष्टाचार के खिलाफ चली मुहिम के चलते कांग्रेस के खिलाफ बने माहौल में जनता दल के टिकट पर रशीद मसूद ने 1989 में कांग्रेस उम्मीदवार यशपाल को हराकर पिछली हार का बदला लिया था। वह 1991 के चुनाव में फिर से रशीद मसूद जीते। श्री मसूद को 1996 और 1998 में भाजपा के चौधरी नकली सिंह गुर्जर ने पराजित किया। वर्ष 1999 में बसपा के मंसूर अली खान जीते जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में रशीद मसूद ने भाजपा के चौ यशपाल सिंह को पराजित किया था।

2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के जगदीश राणा ने सपा उम्मीदवार रशीद मसूद को पराजित किया था और पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा जीती थी। इस तरह से इस सीट पर तीन बार भाजपा, दो बार बसपा और 1977 के बाद एक बार कांग्रेस चुनाव जीती। श्री रशीद मसूद 1977 से लेकर अब तक 11 चुनाव में से छह बार जीते हैं।

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नरेन्द्र मोदी ने बताया बालाकोट में हमला करने का कारण: आतंकवाद जहां से कन्ट्रोल होता है खेल वहीं खेला जाना चाहिए और मैदान भी उन्हीं का हो attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि बालाकोट में हवाई हमला करने का फैसला उन्होंने इसलिए किया कि आतंकवाद जहां से कंट्रोल होता है, ‘खेल’ वहीं खेला जाना चाहिये और मैदान उन्हीं (आतंकवादियों) का हो।

मोदी ने ‘‘मैं भी चौकीदार’’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान बड़ी मुसीबत में है क्योंकि यदि वह (पाकिस्तान) कहता है कि बालाकोट में कुछ हुआ था तो उसे स्वीकार करना पड़ेगा कि वहां आतंकवादियों का शिविर चलता था।

उन्होंने कहा, ‘‘वे लोग कह रहे हैं कि कोई आतंकवादी शिविर नहीं था। अब उन्हें इसे छिपाना पड़ रहा है । वे अब किसी को वहां नहीं जाने दे रहे हैं। हमे बताया गया है कि पाकिस्तान बालाकोट इलाके का पुनर्निर्माण कर रहा है ताकि वह यह दिखाया जा सके कि वहां एक स्कूल चल रहा है और लोगों को वहां ले जाया जा सके तथा दिखाया जा सके कि वहां कोई आतंकी शिविर नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि जो लोग बालाकोट हवाई हमले पर मोदी को गाली दे रहे हैं वे अपने बयानों से पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं।

यह कार्यक्रम देशभर में 500 स्थानों पर प्रसारित किया गया जहां भाजपा कार्यकर्ता, चौकीदार, व्यापारी, किसान सहित अन्य ने मोदी का संबोधन सुना और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उनसे बातचीत की।

गौरतलब है कि 26 फरवरी को पाकिस्तान के अंदर घुस कर बालाकोट के पास जैश ए मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर भारतीय वायु सेना के बम गिराने के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था।

पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अगले दिन भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिश की थी।

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के एक काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारत ने जैश के शिविर पर हमला किया था

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए आज खुद को देश का सजग चौकीदार करार दिया और कहा कि उनके रहते जनता के पैसों पर कोई पंजा नहीं डाल सकता।

श्री मोदी ने यहां तालकटोरा स्टेडियम से देश के पांच सौ से ज्यादा स्थानों पर ‘मैं भी चौकीदार हूं अभियान’ की शुरुआत करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सरकार ने सख्त कदम उठाया है और जिसने भी गलत काम किया है वह बच नहीं सकता है। उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसा है और उनके चौकीदार होते हुए देश को कोई नहीं लूट सकता है।

उन्होंने कहा कि देश की जनता इस चौकीदार को पसंद करती है। इस चौकीदार पर देश की जनता का भरोसा है इसलिए यह चौकीदार कोई भ्रष्टाचार नहीं होने देगा और किसी भ्रष्टाचारी का पंजा देश की जनता के पैसे पर नहीं पड़ने देगा। उन्होंने कहा कि समाज के लिए काम करने वाला हर व्यक्ति चौकीदार होता है और चौकीदार किसी चौखट से बंधा नहीं होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की जनता को राजा महाराजाओं की जरूरत नहीं होती है बल्कि एक चौकीदार ही चाहिए और वह चौकीदार का दायित्व निभाने का प्रयास कर रहे हैं। देश के 125 करोड लोगों ने इस चौकीदार को भरपूर प्यार दिया है और अब देश की जनता चाहती है कि यही चौकीदार फिर देश चलाए।

बिहारशरीफ से खबर है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि जो लोग गोरखधंधे में शामिल हैं वही एक ईमानदार ‘चौकीदार’ से परेशान होकर उसे हटाने का प्रयास करते हैं।
श्री मोदी ने राष्ट्रव्यापी ‘मैं भी चौकीदार’ कार्यक्रम के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार के नालंदा लोकसभा क्षेत्र के भरतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं पेशे से चिकित्सक डॉ. आशुतोष कुमार के पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि किसी भी इलाके में एक ईमानदार और कर्मठ पुलिसकर्मी आता है तो लोग पसंद करते हैं लेकिन गोरखधंधे में शामिल लोग परेशान होकर उसे हटाने का प्रयास करने लगते हैं। उन्होंने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह स्वाभाविक है कि उनके जैसे ईमानदार चौकीदार से कुछ लोग परेशान हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन लोगों के हाथ में देश की 64 वर्षों तक बागडोर रही, उनके समय में हर जगह लूट मची हुई थी। लेकिन, जब उनके नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनी तो विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत लोगों को दी जाने वाली राशि के सदुपयोग के लिए सभी लाभान्वितों के बैंक खाते को आधार से जोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि इससे सरकारी राशि सीधे लाभान्वितों के बैंक खाते में जमा की जाने लगी।

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कांग्रेस पार्टी ने ही गरीबों के उन्मूलन की योजना चलाई थी अब गरीबी पर सर्जिकल स्ट्राइक करेगी attacknews.in

विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), 31 मार्च । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को आश्वासन दिया कि आगामी लोकसभा चुनावों में अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देंगे और गरीबी पर “सर्जिकल स्ट्राइक” करेंगे।

साथ ही उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि राज्य की पार्टियों ने विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे को ‘आक्रामकता’ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष नहीं उठाया।

पांच साल पहले राज्य के बंटवारे के वक्त संप्रग ने इसका वादा किया था।

आंध्र प्रदेश में पार्टी के अभियान की शुरुआत करते हुए उन्होंने एक रैली में कहा कि न्यूनतम आय (न्याय) योजना का उनका वादा एक “अहिंसक हथियार’ है जो अत्यंत गरीबों के उत्थान के लिए उपयोग होगा।

राज्य में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ 11 अप्रैल को होने हैं।

गांधी ने कहा कि जहां मोदी ने “गरीबों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की’’ वहीं उनकी पार्टी गरीबी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करेगी।

कांग्रेस आंध्र प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ रही है।

उन्होंने मोदी पर दो भारत बनाने का आरोप लगाया – एक ‘‘अनिल अंबानी और मेहुल चोकसी जैसे’’ अमीरों के लिए और दूसरा गरीब किसानों, मजदूरों एवं बेरोजगार युवाओं के लिए।

गांधी ने कहा, “हमारा विचार एकजुट भारत बनाने का है जहां हर कोई खुश हो। मोदी दो भारत बनाना चाहते हैं… इसलिए हमने 2019 में तय किया है कि कांग्रेस गरीबी पर सर्जिकल स्ट्राइक करेगी।

“अगर मोदी देश के गरीब और कमजोर लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ सकते हैं तो हम गरीबी के खिलाफ युद्ध छेड़ेंगे। हम भारत के लोगों को न्याय देंगे। न्याय गरीबी के खिलाफ हमारा गैर हिंसक हथियार है।”

उन्होंने कहा कि 20 प्रतिशत अत्यंत गरीबों को सालाना 72,000 रुपये देने का कांग्रेस का प्रस्ताव ऐतिहासिक है और वह 25 करोड़ लोगों एवं पांच करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचाएगा।

उन्होंने कहा कि लाभार्थियों की पहचान आधार कार्ड एवं अन्य तकनीकी सहायताओं से की जाएगी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनावी वादों को पूरा करेगी जैसा उसने पूर्व में मनरेगा एवं अन्य के मामले में किया था। उन्होंने कहा, “मैं मोदी नहीं हूं, मैं झूठ नहीं बोलता..उन्होंने आपसे झूठ बोला कि वह गरीब लोगों को पैसा देंगे। उन्होंने सबसे अमीरों को पैसा दिया।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने करीब 30 मिनट के भाषण में ज्यादातर वक्त मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व की कांग्रेस नीत सरकारों ने गरीबी उन्मूलन योजनाएं बनाई थीं लेकिन प्रधानमंत्री “नरेंद्र मोदी ने सब कुछ समाप्त कर दिया।”

उन्होंने कहा, “उन्होंने (मोदी) मनरेगा एवं खाद्य सुरक्षा कानून के स्तंभों को बर्बाद कर दिया।”

राज्य के लिए अहम माने जाने वाले विशेष दर्जे के मुद्दे पर उन्होंने विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने के संप्रग के आश्वासन को याद किया और कहा कि यह वादा और किसी ने नहीं बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था।

उन्होंने कहा, “मोदी जी पिछले पांच साल से प्रधानमंत्री हैं। और उन्होंने इस प्रतिबद्धता को पूरा नहीं किया। और सच कहूं तो मैं इस बात से अचंभित हूं कि आंध्र प्रदेश की पार्टियां नरेंद्र मोदी पर आंध्र को वह देने के लिए आक्रामता से दवाब नहीं बना पाई जिसका वह पात्र है।

इसके अलावा उन्होंने मोदी पर नोटबंदी और जीएसटी को लेकर भी हमला बोला।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश भर में दलितों एवं अल्पसंख्यकों को “धमकाया एवं निशाना बनाया” जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि लोग मारे जा रहे हैं, महिलाओं का बलात्कार हो रहा है और भय का माहौल है। मोदी की यही राजनीति है।

गांधी ने कहा, “मोदी का अंतिम लक्ष्य हमारे संविधान की बर्बादी है और हम उन्हें ऐसा कभी नहीं करने देंगे।”

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कांग्रेस पार्टी के सामने कड़ी चुनौती; कई राज्यों में सूपड़ा साफ है, कई राज्यों में खाता भी नहीं खुला और कई में तीसरे स्थान पर attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च । सत्रहवीं लोकसभा की महाभारत के लिए कुरुक्षेत्र सज चुका है और इस संग्राम में जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड , हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे 2014 में जीते अपने किले को बचाये रखने की चुनौती है वहीं कांग्रेस यहां सेंध लगाने के लिए बेताब है।

सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में मोदी की आंधी में कांग्रेस का गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश , उत्तराखंड, दिल्ली और झारखंड में सूपडा साफ हाे गया था और वह इन राज्यों की 78 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत सकी। यही नहीं कांग्रेस का ओडिशा , तमिलनाडु, और जम्मू कश्मीर में भी खाता नहीं खुल पाया था।

पिछले चुनाव की बात करें तो भाजपा ने राजस्थान में वर्ष 2009 के चार के मुकाबले सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसने गुजरात में भी 15 के मुकाबले सभी 26 सीटों को जीत कर क्लीन स्वीप किया था । दिल्ली में कांग्रेस से सातों सीटें हथियाई थीं। उत्तराखंड की पांचों सीटें हथियाने के साथ ही उसने हिमाचल प्रदेश की चारों सीटें अपनी झोली में डाली थीं। देश में जनसंख्या और मतदाताओं के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश ने भाजपा की झोली भर दी । उसने राज्य की 80 सीटों में से सहयोगी अपना दल की दो सीटों के साथ 73 पर कब्जा जमाया । कांग्रेस 21 से फिसलकर दो पर आ गई। समाजवादी पार्टी 23 से गिरकर पांच पर आ गई जबकि राज्य की राजनीति में अहम योगदान रखने वाली बहुजन समाज पार्टी का खाता भी नहीं खुला।

बिहार की चालीस सीटों में भाजपा 12 से बढ़कर 22 पर पहुंच गई तो कांग्रेस दो पर ही सिमटी रही। लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) शून्य से छह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद ) अपनी चार सीटों को बचाये रखने में सफल रहा। छत्तीसगढ़ की 11 सीटों में से भाजपा की झोली में 10 सीटें आई थीं और कांग्रेस को मात्र एक पर संतोष करना पड़ा। गोवा की दोनों सीटें भाजपा ने जीतीं । हरियाणा में भी कांग्रेस अपने किले को बचा नहीं पाई थी और यहां की 10 में से 2009 में नौ सीटें जीतने वाली पार्टी केवल एक पर सिमट गई । भाजपा शून्य से सात पर पहुंची जबकि इंडियन नेशनल लोकदल को दो सीटें मिलीं। हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने तीन का आंकड़ा बढ़ाकर चार किया तो जम्मू कश्मीर की छह सीटों में से भाजपा और जम्मू कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने आधी आधी बांट ली ।

तेलगांना की 17 सीटों में से भाजपा ने अपने सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी(तेदेपा) के साथ दो सीटों पर जीत हासिल की थी । कांग्रेस , तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाईएसआर कांग्रेस ने क्रमश दो , 11 और एक सीट जीतीं। आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद पहली बार सीमांध्र की 25 सीटों में से कांग्रेस को एक भी सीट पर विजय नहीं मिली । यहां तेदेपा और भाजपा ने मिलकर 17 सीटों पर तो वाईएसआर कांग्रेस ने आठ सीटों पर कब्जा किया।

अरुणाचल प्रदेश की दो सीटों में से भाजपा और कांग्रेस के हिस्से में एक -एक सीट आई तो असम की 14 सीटों में भाजपा चार से बढकर सात और कांग्रेस सात से घटकर तीन पर आ गई । तीन सीटें आल इंडिया यूनाइटिउ डेमोक्रेटिक फ्रंट ने जीतीं। मणिपुर में कांग्रेस दोनों सीटों पर अपना कब्जा बनाये रखने में सफल हुई तो मेघालय में कांग्रेस और नेशनल पीपल्स पार्टी ने एक एक सीट बांटी। मिजोरम की एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा बना रहा । नगालेंड में में नगा पीपल्स फ्रंट एक सीट को अपने खाते में रखने में सफल रहा।सिक्किम की एक सीट सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को मिली। त्रिपुरा की दोनों सीटें मार्क्सवादी कम्युनस्टि पार्टी के खाते में रही।

झारखंड में भी कांग्रेस खाली हाथ रही । राज्य की 14 सीटों में से भाजपा 12 और झारखंड मुक्ति मोर्चा को दो सीटें मिलीं। कर्नाटक में भाजपा को हल्का झटका लगा। यहां की 28 सीटों में से 2009 में 19 सीटें जीतने वाली भाजपा को 17 सीटें मिली तो कांग्रेस छह से बढ़कर नौ पर पहुंच गयी तथा जनता दल (सेक्युलर) तीन से घटकर दो पर आ गई थी।

केरल की 20 सीटों में से यूडीएफ को 12 और एलडीएफ आठ सीटें मिलीं। मध्यप्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा और यहां की 29 सीटों में से वह 16 से 27 पर पहुंची तो कांग्रेस 12 से गिरकर दो पर सिमट गई। महाराष्ट्र की 48 सीटों में भाजपा नौ से 23 पर तो कांग्रेस 12 से दो पर अटक गई । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी आठ से घटकर चार रह गई तो भाजपा की सहयोगी शिवसेना 11 से 18 पर पहुंच गई।

ओडिशा में कांग्रेस का हाथ खाली रहा । यहां की 21 सीटों में राज्य में सत्तारुढ़ बीजू जनता दल 14 से बढकर 20 पर पहुंच गया और भाजपा एक सीट से खाता खोलने में कामयाब रही। पंजाब की ग्यारह सीटों में से कांग्रेस आठ से तीन पर अटक गई तो भाजपा एक से बढ़कर दो और शिरोमणि अकाली दल बादल चार सीटें बचाये रखने में सफल रहा । पहली बार करीब 440 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी(आप) ने यहां चार सीटों पर जीत हासिल की थी हालांकि उसके 400 से अधिक उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई।

दक्षिण भारत के बड़े राज्य तमिलनाडु में कांग्रेस का दामन खाली रहा । यहां की 39 सीटों में से भाजपा और पट्टल मक्काल काची को एक.एक सीट मिली तो जयललिता की अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) नौ की तुलना में 37 सीटें जीतने में सफल रही ।

पश्चिम बंगाल में सुश्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने परचम लहराया। वह 19 से 34 पर पहुंचीं। भाजपा एक से बढ़ कर दो पर पहुंची तो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का उसी के गढ़ में बुरा हाल हुआ और वह 15 से दो पर सिमट गई । कांग्रेस को भी दो सीटों का नुकसान हुआ और छह से चार पर आ गई ।

केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली तथा दमन और दीव की एक एक सीट पर भाजपा का कब्जा हुआ। लक्षद्वीप की इकलौती सीट कांग्रेस तो पुड्डुचेरी की एकमात्र सीट पर अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस विजयी हुई थी।

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जयाप्रदा से विशेष बातचीत: रामपुर मेरा घर है, लोग मोदी जी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, आजम खान ने मायावती के खिलाफ टिप्पणियां की और आज उन्हीं के साथ गठबंधन में हैं attacknews.in

जयाप्रदा

नयी दिल्ली, 31 मार्च  । देश में ‘मोदी लहर’ होने का दावा करते हुए अभिनेत्री एवं भाजपा नेता जयाप्रदा ने कहा कि विपक्षी दलों के गठबंधन का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि लोग मोदीजी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं । भाजपा की जीत तय है। जयाप्रदा ने महिला सशक्तिकरण के लिये राजनीति, शिक्षा, सरकारी योजनाओं सहित अलग अलग क्षेत्रों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की ।

जयाप्रदा ने  विशेष बातचीत में कहा, ‘‘ रामपुर का दो बार प्रतिनिधित्व किया है, एक बार फिर लोगों से आर्शीवाद मांग रही हूं, जीत का पूरा भरोसा है । रामपुर में मोदीजी की लहर है । लोग मोदीजी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं । भाजपा की जीत तय है । ’’ महिला सशक्तिकरण की पुरजोर वकालत करते हुए जयाप्रदा ने कहा, ‘‘ हमेशा पुरूष प्रधान समाज में बराबरी की बात होती है लेकिन ये बाते केवल भाषणों तक ही सीमित रह जाती हैं । मैं चाहती हूं कि पढ़ी लिखी महिलाएं पृष्ठभूमि में रहने की बजाए सक्रिय राजनीति में आएं । ’’ उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिये राजनीति, शिक्षा, सरकारी योजनाओं सहित अलग अलग क्षेत्रों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए।

रामपुर में बाहरी होने के समाजवादी पार्टी के नेताओं के आरोपों पर जयाप्रदा ने कहा, ‘‘उनके पास कोई मुद्दा नहीं है । मेरे खिलाफ अभद्र टिप्पणी करना, बाहरी होने का विषय उठाने के अलावा उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा है।’’

जयाप्रदा ने कहा कि ‘ जहां तक बाहरी होने के आरोप का सवाल है तो ऐसी बातें और आरोप मुझपर चस्पा नहीं होते। मैं रामपुर से अलग कभी रही ही नहीं । मेरा यहां घर है, शैक्षणिक संस्थान है। ”

गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जयाप्रदा को उम्मीदवार बनाए जाने के ऐलान के बाद आजम ने कहा, ‘ उन्हें मेरे संसदीय क्षेत्र में बाहर से कैंडिडेट लाना पड़ रहा है।’ वहीं समाजवादी पार्टी के एक अन्य नेता ने कथित तौर पर कहा था कि जयाप्रदा “रामपुर के लोगों को अपने घुंघरूओं और ठुमकों से लुभाएंगी ।

सपा-बसपा गठबंधन पर निशाना साधते हुए जयाप्रदा ने कहा कि जो लोग कभी एक दूसरे को दुश्मन के तौर पर देखते थे… वे लोग सिर्फ नरेन्द्र मोदी को रोकने के लिये साथ आए हैं । यह गठबंधन कहां तक चलेगा, इसका क्या भविष्य है, सभी समझते हैं ।

समाजवादी पार्टी नेता आजम खान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मायावती जी एक वरिष्ठ नेता है, उन्होंने राजनीति में अपनी एक जगह बनाई है लेकिन जो लोग बसपा प्रमुख के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करते रहे, आज उनकी ही पार्टी के साथ गठबंधन कर रहे हैं और रामपुर में गठबंधन के उम्मीदवार बन रहे हैं । यह उनकी स्थिति को हास्यास्पद बना रही है ।

महिला सुरक्षा को लेकर उत्तरप्रदेश की पूर्ववर्ती सपा सरकार पर निशाना साधते हुए जयाप्रदा ने कहा कि अखिलेश सरकार के समय महिला सुरक्षा की स्थिति अच्छी नहीं थी और वर्तमान योगी सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है ।

उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी आंदरूनी संकट से गुजर रही है । अखिलेश जी का अपने पिता, चाचा से संबंध जगजाहिर है । वे अपने अंदरूनी समस्याओं का समाधान निकाल नहीं पा रहे हैं तो प्रदेश और देश की समस्याओं का समाधान क्या निकाल पायेंगे ।

उत्तरप्रदेश में प्रियंका गांधी के प्रभाव के बारे में एक सवाल के जवाब में जयाप्रदा ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा सक्रिय राजनीति में आई है, इससे पहले वे अमेठी, रायबरेली में चुनाव प्रचार करती रही है । लेकिन उनका प्रभाव नहीं है क्योंकि कांग्रेस का संगठन नहीं बचा है । वे :प्रियंका: गंगा यात्रा कर रही है, अयोध्या जा रही है लेकिन अभी मोदी जी ही सभी ओर हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके क्षेत्र रामपुर में प्रचार करने आयेंगे ।

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पिछले तीन दशकों में लोकसभा चुनावों में जब ज्यादा प्रतिशत वोट हासिल करने वाले दलों को विपक्ष में बैठना पड़ा attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च। पिछले तीन दशकों में कई बार ऐसे भी मौके आए जब अधिक वोट प्रतिशत प्राप्त करने वाले दल को विपक्ष में बैठना पड़ा और कम वोट हिस्सेदारी वाले दल सरकार बनाने में सफल रहे ।

साल 1989 के लोकसभा चुनाव में 39.5 प्रतिशत वोट प्रतिशत प्राप्त करने वाली कांग्रेस सरकार नहीं बना पायी थी जबकि 2014 में 31 प्रतिशत के वोट प्रतिशत के साथ भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाई । 1989, 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव इसके सबसे बड़े उदाहरण रहे जब खासा वोट प्रतिशत हासिल करने वाली पार्टी सत्ता से बाहर रही ।

1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 39.53 प्रतिशत वोट मिले और वह 197 सीट जीतने के बावजूद सरकार नहीं बना पायी थी । तब 17.8% वोट हासिल करने वाले जनता दल के नेतृत्व में सरकार बनी थी ।

1996 में भी करीब 8% वोट हासिल करने वाले जनता दल की अगुवाई में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी, जबकि 20% वोट हिस्सेदारी वाली भाजपा बहुमत नहीं जुटा पाई और अटल बिहारी वाजपेयी को 13 दिन में इस्तीफा देना पड़ा था।

1998 के चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 25.59 रहा और उसने 182 सीटों के साथ गठबंधन सरकार बनाई। इस बार भी कांग्रेस को भाजपा से अधिक, 26.14 प्रतिशत वोट मिले लेकिन वह सरकार नहीं बना पायी थी ।

1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 23.75 था। उसे 182 सीटें मिलीं और उसने गठबंधन सरकार बनाई। इस चुनाव में कांग्रेस को भाजपा से करीब साढे़ चार प्रतिशत अधिक वोट हिस्सेदारी यानि 28.30 प्रतिशत वोट मिले और 114 सीटें प्राप्त कर वह सरकार नहीं बना पायी ।

हालांकि 1989 के चुनाव से पहले, 1977 में जनता पार्टी के नेतृत्व में सरकार बनी थी जिसमें जनसंघ सहित दलों का संयोग था ।

लोकसभा चुनाव परिणामों पर गौर करें तो 1951 में कांग्रेस ने 44.99 प्रतिशत वोट के आधार पर 489 सीटों में से 364 सीटें जीती थीं । 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 47.78 प्रतिशत वोट के साथ 494 में से 371 सीट जीतने में सफल रही ।

1962 में कांग्रेस ने 44.72 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के आधार पर 494 सीटों में से 361 सीटें जीती। 1967 में वह 40.78 प्रतिशत वोट प्राप्त कर 283 सीट जीतने में सफल रही ।

1971 में कांग्रेस 43.68 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के आधार पर 518 में से 352 सीट जीत कर सत्ता में आई थी। वहीं 1977 में जनता पार्टी की सरकार 41.32 प्रतिशत वोट के आधार पर बनी थी । 1980 में कांग्रेस 42.69 प्रतिशत वोट प्राप्त करके 529 में से 353 सीट जीत कर सत्ता में आई ।

1984 में कांग्रेस 49.10 प्रतिशत वोट के आधार पर 404 सीटें जीत पर सत्ता में आई । 2014 में भाजपा ने 31 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के आधार पर 282 सीटें जीतीं और उसकी अगुवाई में सरकार बनी।

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राहुल गांधी ने केरल कांग्रेस के अनुरोध पर उत्तरप्रदेश की अमेठी सीट के साथ-साथ वायनाड से भी चुनाव लड़ने की सहमति दी attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में अपने पारंपरिक गढ़ अमेठी के अलावा केरल की वायनाड संसदीय सीट से भी चुनाव लड़ेंगे।

केरल से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने रविवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की।

उन्होंने कहा कि गांधी ने प्रदेश इकाई के अनुरोध के बाद वायनाड से लड़ने पर सहमति जताई है।

एंटनी ने कहा, “राहुल गांधी केरल की वायनाड संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगे।”

इस फैसले को कांग्रेस की तरफ से दक्षिण भारत, खासकर केरल में अपने जनाधार को मजबूत करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “यह दक्षिणी राज्यों को एक संदेश है कि वे अत्यंत सम्मानित हैं एवं उन्हें बेहद मूल्यवान माना जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि वह अमेठी का प्रतिनिधित्व करेंगे लेकिन वह दक्षिणी राज्यों का भी प्रतिनिधित्व करेंगे क्योंकि वे भारतीय जनजीवन का अहम हिस्सा हैं।”

उन्होंने कहा कि गांधी ने कहा है कि अमेठी उनकी ‘कर्मभूमि’ है और वह उसे कभी नहीं छोड़ेंगे। केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की प्रदेश इकाइयों ने ऐसे वक्त में उनसे दक्षिण भारत से लड़ने का आग्रह किया है जब “मोदी सरकार की तरफ से भाषा एवं संस्कृति पर हमले हो रहे हैं।”

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “यह दक्षिण भारत की आकांक्षाओं के समर्थन की लड़ाई है। यह उन ताकतों को करारा जवाब देने की लड़ाई है जो संस्कृतियों, भाषाओं एवं जीवनशैली के साथ ही उत्तर एवं दक्षिण भारत के बीच गहरे संपर्क पर हमला करते हैं।”

सुरजेवाला ने कहा कि अमेठी के लोग इस तथ्य पर भरोसा करते हैं कि राहुल गांधी के वहां रहने से वे सुरक्षित हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा का काम षड्यंत्र रचने का है जबकि हमारा कार्य निर्माण का है।”

कांग्रेस नेता एंटनी ने कहा कि वायनाड केरल में स्थित है लेकिन वह तमिलनाडु और कर्नाटक से भी घिरा हुआ है।

उन्होंने कहा, “एक तरीके से यह तीनों दक्षिणी राज्यों के अनुरोध को संतुष्ट करेगा।”

एंटनी ने कहा कि इन तीनों राज्यों की तरफ से राहुल से कई आग्रह किए गए।

उन्होंने कहा, “इसलिए वायनाड पर विचार के सबसे बड़े कारणों में से एक यह था कि यह तीन दक्षिणी राज्यों का त्रिकोणीय जंक्शन है।”

पिछले कुछ हफ्तों से कांग्रेस के कई नेता एवं कार्यकर्ता कांग्रेस अध्यक्ष से दक्षिण की किसी सीट से चुनाव लड़ने का आग्रह कर रहे थे और उन्होंने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया।

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नवें लोकसभा चुनाव सन् 1989 में बोफ़ोर्स घोटाला और दलाली ने राजीव गांधी की सरकार को सत्ता से बाहर किया और शुरू हुआ गठबंधन की राजनीति का सफर attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च । बोफोर्स घोटाले के आरोप-प्रत्यारोप के साये में वर्ष1989 में हुये लोकसभा चुनाव में कांग्रेस न केवल कमजोर हुयी बल्कि एक बार फिर सत्ता से बाहर हो गयी थी और केंद्र में साझा सरकार बनने और उसे बाहर से समर्थन देने की नयी परंपरा शुरु हुयी।

इस चुनाव के बाद एक नया राजनीतिक समीकरण बना जिसमें श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में केन्द्र में साझा सरकार बनी तथा भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)और वाम दलों ने उसे बाहर से समर्थन दिया लेकिन आपसी कलह के कारण यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी तथा दो वर्ष में ही लोकसभा चुनाव कराना पड़ा।

लोकसभा के नवें चुनाव में कांग्रेस करीब 40 प्रतिशत वोट हासिल किये थे लेकिन उसे 197 सीटें ही मिल पायी थीं। उसे बिहार में गहरा झटका लगा था जबकि उत्तर प्रदेश में वह 15 सीटों पर सिमट गयी थी। मध्य प्रदेश , पंजाब , पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी उसकी स्थिति अच्छी नहीं रही। इस चुनाव तक लोगों में राजनीतिक महत्वाकांक्षी काफी बढ़ गयी थी और राजनीतिक दलों की बाढ़ आ गयी थी । पहले के चुनावों की तुलना में अधिकतर क्षेत्र में बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में उतरे। हरियाणा की एक सीट पर तो 122 उम्मीदवार चुनाव लड़े जिसके कारण कई समस्याएं पैदा हो गयी थी ।

लोकसभा की 529 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में आठ राष्ट्रीय पार्टियों , 20 राज्य स्तरीय पार्टियों , 35 निबंधित पार्टियों के अलावा 3713 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था । राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , भाजपा, जनता दल , जनता पार्टी , लोकदल और कांग्रेस (सरतचन्द्र गुट) शामिल थी । राज्य स्तरीय पार्टियों में अन्नाद्रमुक , द्रमुक , फारवर्ड ब्लाक , नेशनल कांफ्रेंस , पैंथर्स पार्टी , केरल कांग्रेस , महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी , मुस्लिम लीग , अकाली दल , आरएसपी , तेलगू देशम पार्टी तथा कुछ अन्य दल शामिल थे ।

इस चुनाव में 49 करोड़ 89 लाख से अधिक मतदाताओं में से 61.95 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। राष्ट्रीय पार्टियों के कुल 1378 उम्मीदवारों को 79.33 प्रतिशत वोट मिले थे तथा इनमें से 471 प्रत्याशी निर्वाचित हुये थे । राज्य स्तरीय पार्टियों ने 143 उम्मीदवार उतारे थे और 9.28 प्रतिशत वोट हासिल किये और 27 प्रत्याशी चुने गये थे । निबंधित पार्टियों ने 926 उम्मीदवार लड़ाये थे जिनमें सें 19 जीत गये । अपने दमखम पर चुनाव लड़े 3713 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 12 जीते।

कांग्रेस ने 510 , भाजपा ने 225 , भाकपा ने 50 , माकपा ने 64 , जनता दल ने 244 , जनता पार्टी ने 155 , लोकदल ने 116 और कांग्रेस (सरतचन्द्र) ने 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे । कांग्रेस को 39.53 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 197 उम्मीदवार निर्वाचित हुये थे जबकि जनता दल 17.79 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 143 उम्मीदवार जीते थे । भाजपा काे 11.36 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके के 85 उम्मीदवार जीते थे । भाकपा को 2.57 प्रतिशत वोट मिले और 12 उम्मीदवार चुने गये थे जबकि माकपा को 6.55 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 33 प्रत्याशी निर्वाचित हुये थे । आश्चर्य की बात यह थी कि जनता पार्टी और लोकदल (बी) का खाता भी नहीं खुल सका था ।

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 15 , बिहार में चार , आन्ध्र प्रदेश में 39 , अरुणाचल में दो , गोवा में एक , गुजरात में तीन , हरियाणा में चार , हिमाचल प्रदेश में एक , जम्मू कश्मीर में दो , कर्नाटक में 27 , केरल में 14 , मध्य प्रदेश में आठ , महाराष्ट्र में 28 , दिल्ली , मणिपुर और मेघालय में दो – दो , उड़िसा मे तीन , पंजाब में दो , तमिलनाडु में 27 , त्रिपुरा में दो , पश्चिम बंगाल में चार , मिजोरम , नागालैंड , अंडमान निकोबार , लक्ष्यद्वीप और पुड्डीचेरी में एक – एक सीट मिली थी ।

जनता दल को बिहार में 32 , उत्तर प्रदेश में 54 , गुजरात में 11 , हरियाणा में छह , मध्य प्रदेश में चार , महाराष्ट्र में पांच , उड़िसा में 16 , राजस्थान में 11 , कर्नाटक , पंजाब , चंडीगढ और दिल्ली में एक एक सीट मिली थी । भाजपा को बिहार में आठ , उत्तर प्रदेश में आठ , गुजरात में 12 , महाराष्ट्र में दस , राजस्थान में 13 , दिल्ली में चार , और हिमाचल प्रदेश में तीन सीटें मिली थी ।

भाकपा को बिहार में चार , महाराष्ट्र , ओडिशाऔर तमिलनाडु में एक – एक ,उत्तर प्रदेश में दो तथा पश्चिम बंगाल में तीन सीटें मिली थी । पश्चिम बंगाल में आम लोगों तक पहुंच बरकरा रखने में सफल रही माकपा 27 सीटों पर कब्जा करने में सफल रही तथा उसने बिहार , ओडिशा , राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक – एक तथा केरल में दो सीटों पर कामयाबी हासिल की ।

बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में दो और पंजाब में एक सीट मिली जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार में तीन सीट जीत ली थी । बिहार में आईपीएफ को भी एक सीट मिली । अकाली दल (एम) को पंजाब में छह सीट और फारवर्ड ब्लाक को पश्चिम बंगाल में तीन सीटें मिली । तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक 11 तथा आन्ध्र प्रदेश में तेलगू देशम पार्टी को दो सीटें मिली । इसके साथ ही कुछ अन्य दलों को भी कुछ स्थानों पर सफलता मिली थी । निर्दलीय उम्मीदवार महाराष्ट्र और पंजाब में तीन – तीन सीट पर , उत्तर प्रदेश में दो तथा जम्मू कश्मीर , मध्य प्रदेश , दादर नागर हवेली और दामन दीव में एक एक सीट पर सफलता अर्जित कर सके ।

उत्तर प्रदेश के अमेठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जनता दल के उम्मीदवार राज मोहन शास्त्री से लगभग दो लाख मतों के अंतर से चुनाव जीते थे। उन्हें 271407 तथा श्री राज मोहन गांधी को 69269 वोट मिले थे । बोफोर्स तोप घोटाले को प्रमुखता से उठाने और कांग्रेस की विफलताओं को बढ़-चढ़ कर उठाने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जनता दल के उम्मीदवार के रुप में फतेहपुर में कांग्रेस के हरि शंकर शास्त्री को पराजित कर दिया था । श्री सिंह 245653 तथा श्री शास्त्री 124097 वोट मिले थे।

बलिया में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े चन्द्रशेखर ने कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी को लगभग 90 हजार मतों से पराजित कर दिया । बागपत में जनता दल के अजीत सिंह और मुजफ्फरनगर में इसी पार्टी के मुफ्ती मोहम्मद सईद निर्वाचित हुये थे । इन दोनो उम्मीदवारों ने कांग्रेस कों पराजित किया था। बिजनौर (सु) सीट पर बसपा की मायावती ने जनता दल के मंगल राम प्रेमी को हराया था। बदायूं में जनता दल के शरद यादव और पीलीभीत में इसी पार्टी के टिकट पर मेनका गांधी निर्वाचित हुयी थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी ने नयी दिल्ली सीट पर कांग्रेस की मोहिनी गिरी को पराजित किया था। श्री आडवाणी को 129256 वोट और मोहिनी गिरी को 97415 वोट मिले थे।

बिहार के छपरा में जनता दल के लालू प्रसाद यादव ने जनता पार्टी के उम्मीदवार राजीव रंजन सिंह को पराजित किया था। श्री यादव को 333897 वोट और श्री सिंह को 192015 वोट मिले थे । हाजीपुर में जनता दल के राम विलास पासवान ने कांग्रेस के महावीर पासवान को बुरी तरह पराजित किया था। इस चुनाव में राम विलास पासवान को छह लाख 15 हजार से अधिक वोट मिले थे जबकि श्री महावीर पासवान एक लाख दस हजार वाेट मिल पाये थे। बाढ सीट पर जनता दल के टिकट पर युवा नेता नीतीश कुमार तथा किशनगंज से कांग्रेस के टिकट पर पत्रकार एम जे अकबर ने अपने प्रतिंद्वियों को पराजित किया था । सासाराम में कांग्रेस की मीरा कुमार को जनता दल के छेदी पासवन को हराया था । दुमका में झामुमो के शिबू सोरेन ने कांग्रेस के पृथ्वीचंद किस्कू को हराया था ।

मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी को पराजित किया था। सुश्री भारती को 369699 वोट तथा श्रीमती विद्यावती चतुर्वेदी को 176354 वोट आया था । इंदौर में भाजपा की ही सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के प्रकाश चंद सेठी को हराया था । श्रीमती महाजन 319123 और श्री सेठी 207509 वोट लाने में सफल रहे थे । समाजवादी चिन्तक मधु दंडवते ने महाराष्ट्र के राजापुर में जनता दल के टिकट पर कांग्रेस के शिवराम राजे भोंसले को हराया था। बाम्बे उत्तर में भाजपा के राम नाईक ने कांग्रेस के चन्द्रकांत गोसालिया को हराया था ।

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सन् 1984 के आठवें लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी हत्याकांड से उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस पार्टी ने अपराजेय प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की थी attacknews.in

नयी दिल्ली 31 मार्च । खालिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध विशेष अभियान छेड़ने को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हुयी हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर के चलते 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रचंड बहुमत से देश में फिर से सत्तारुढ हुयी थी।

राजनीतिक रुप से कम अनुभवी लेकिन नवीन प्रौद्योगिकी के प्रति बेहद लगाव रखने वाले युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने यह चुनाव लड़ा और वह रिकार्ड 404 सीट पाने में सफल रही । इस चुनाव ने भारतीय जनता पार्टी की कमर तोड़कर रख दी जबकि आन्ध्र प्रदेश में फिल्मों से गहरा संबंध रखने वाले नंदमूरि तारक रामाराव के नेतृत्व में तेलगू देशम पार्टी मजबूती से उभरी ।

इस चुनाव के पहलेे पंजाब में खलिस्तानी उग्रवादियों के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की गयी थी जिसमें अनेक लोगों की मौत हुयी थी इससे उपजी नाराजगी में श्रीमती गांधी के सुरक्षाकर्मियों ने ही उनके आवास में उनकी निर्मम हत्या कर दी थी जिसके बाद देश के अनेक हिस्सों में सिख विराेधी दंगे हुये थे जिनमें जानमाल की भारी हानि हुयी थी। लोकसभा के मुख्य चुनाव के साथ पंजाब और असम में चुनाव नहीं कराये जा सके थे। इन दोनों राज्यों में अगले साल चुनाव कराया गया।

इस चुनाव की विशेषता यह थी कि राजीव गांधी ने अपने छोटे भाई की पत्नी मेनका गांधी को , माधवराव सिंधिया ने अटल बिहारी वाजपेयी को , अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को , ममता बनर्जी ने सोमनाथ चटर्जी को , सी जे रेड्डी ने पी वी नरसिंह राव को , राम रतन राम ने राम विलास पासवान को , जगन्नाथ चौधरी ने चन्द्रशेखर को और सुनिल दत्त ने राम जेठमलानी को पराजित किया था ।

लोकसभा की 514 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में 401 सीट सामान्य श्रेणी की थी जबकि 75 अनुसूचित जाति एवं 38 अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित थी। उस समय देश के 37 करोड़ 95 लाव 40 हजार से अधिक मतदाताओं में से 63.56 प्रतिशत ने मतदान कर कुल 5312 उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला किया था । इस चुनाव में कुल सात राष्ट्रीय दलों ने हिस्सा लिया था जिनमें कांग्रेस , कांग्रेस (सोसलिस्ट) , भारतीय जनता पार्टी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , जनता पार्टी और लोकदल शामिल थी । राज्य स्तरीय पार्टियों में द्रमुक , अन्नाद्रमुक , फारवर्ड ब्लाक , आल इंडिया मुस्लिम लीग , मुस्लिम लीग , महाराष्ट्रवादी गांमांतक पार्टी , जम्मू एंड कश्मीर कांफ्रेंस , केरल कांग्रेस , केरल कांग्रेस (जे), आरएसपी , तेलगू देशम समेत कुल 17 दल शामिल थे । इसके अलावा नौ निबंधित पार्टियों ने भी चुनाव लड़ी थी जिनमें दूरदशी पार्टी , झारखंड पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख थी ।

कांग्रेस ने 491 , कांग्रेस (सोसलिस्ट) ने 31 , भाजपा ने 224 , भाकपा ने 61 , माकपा ने 59 , जनता पार्टी ने 207 और लोकदल ने 171 सीटों पर चुनाव लड़ा था । राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 1244 उम्मीदवार उतारे थे जबकि राज्य स्तरीय पार्टियों ने 151 और निबंधित पार्टियों ने 126 प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया था । कुल 3791 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने दमखम पर चुनाव लड़ा था । राष्ट्रीय पार्टियों को कुल 79.80 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 451 प्रत्याशी विजयी हुये थे । राज्य स्तरीय पार्टियों को 11.56 प्रतिशत वोट मिले थे और उनके 58 उम्मीदवार जीते थे । निबंधित पार्टियों का खाता भी नहीं खुल सका था जबकि निर्दलीय को 7.92 प्रतिशत वोट मिले थे और उन्हें पांच स्थानों पर सफलता मिली थी ।

सहानुभूति लहर में कांग्रेस को 49.10 प्रतिशत मिले थे और उसके 404 उम्मीदवार निर्वाचित हुये थे । कांग्रेस (सोसलिस्ट) को 1.52 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके चार प्रत्याशी जीते थे । देश में जड़ जमाने के प्रयास में लगी भाजपा को तगड़ा झटका लगा था । उसे 7.74 प्रतिशत वोट तो मिले लेकिन उसके केवल दो उम्मीदवार जीत सके । भाकपा को छह सीट मिली थी जबकि माकपा को पश्चिम बंगाल में बेहतर प्रदर्शन करने के कारण उसकी सीटों की संख्या बढकर 22 हो गयी थी । जनता पार्टी को 6.89 प्रतिशत वोट मिला और उसके 10 प्रत्याशी चुने गये थे जबकि लोकदल को 5.97 प्रतिशत वोट मिले और उसके तीन उम्मीदवार ही जीत सके ।

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 83 , बिहार में 48 , आन्ध्र प्रदेश में छह , अरुणाचल प्रदेश में दो , गुजरात में 24 , हरियाणा में दस , हिमाचल प्रदेश में चार , जम्मू कश्मीर में तीन , कर्नाटक में 24 , केरल में 13 , मध्य प्रदेश में 40 , महाराष्ट्र में 43 , उड़िसा में 20 , राजस्थान में 25 , तमिलनाडु में 25 , पश्चिम बंगाल में 16 , दिल्ली में सात , मणिपुर और मेघालय में दो- दो , नागालैंड , गोवा दामन दीव , अंडमान निकोबार , चंडीगढ , लक्ष्यद्वीप और पुड्डीचेरी में एक – एक सीट मिली थी ।

कांग्रेस (सोसलिस्ट) को आन्ध्र प्रदेश और केरल में एक – एक तथा महाराष्ट्र में दो सीटें मिली थी । भाकपा को आन्ध्र प्रदेश में एक , बिहार में दो और पश्चिम बंगाल में तीन जबकि माकपा को आन्ध्र प्रदेश और केरल में एक – एक , त्रिपुरा में दो और पश्चिम बंगाल में 18 सीटें मिली थी । भाजपा को आन्ध्र प्रदेश और गुजरात में एक एक सीट मिली थी । जनता पार्टी को आन्ध्र प्रदेश , बिहार , गुजरात , केरल , महाराष्ट्र और उड़िसा में एक – एक सीट तथा कर्नाटक में चार सीटें मिली थी । लोकदल को बिहार में एक और उत्तर प्रदेश में दो सीटें मिली थी ।

अन्नाद्रमुक को तमिलनाडु में 12 , द्रमुक को इसी राज्य में दो , फारवर्ड ब्लाक को पश्चिम बंगाल में दो , आरएसपी कों पश्चिम बंगाल में तीन आैर मुस्लिम लीग को केरल में दो सीटें मिली थी । सबसे बड़ी बात यह थी कि आन्ध्र प्रदेश में तेलगू देशम पार्टी ने 30 सीटों पर कब्जा कर लिया था । इसके अलावा कुछ अन्य दल छिटपुट रुप से जीतने में कामयाब रहे थे । निर्दलीय उम्मीदवार आन्ध्र प्रदेश , बिहार , महाराष्ट्र , सिक्कम , और दादर नागर हवेली में एक एक सीट जीत गये थे ।

प्रधानमंत्री राजीव गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी में लगभग एकतरफा मुकाबले में निर्दलीय मेनका गांधी को भारी मतों से हराकर निर्वाचित हुये थे । श्री गांधी को कुल 3,65,041 और श्रीमती गांधी को 50,163 वोट मिले थे । रायबरेली में कांग्रेस के अरुण नेहरु ने लोकदल की अम्बेदकर सविता को भारी अंतर से हराया था । श्री नेहरु को 314028 और श्रीमती सविता को 56475 वोट मिले थे । जनता पार्टी के चन्द्रशेखर बलिया सीट पर कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी से चुनाव हार गये थे । श्री चन्द्रशेखर को 172044 और श्री चौधरी को 225984 वोट मिले थे । मशहूर फिल्म अभिनेता और कांग्रेस के उम्मीदवार अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद में दिग्गज नेता और लोकदल के उम्मीदवार हेमवती नंदन बहुगुणा को हरा दिया था । श्री बच्चन को 297461 और श्री बहुगुणा को 109666 वोट मिले थे । बागपत में लोकदल के नेता चौधरी चरण सिंह निर्वाचित हुये थे । बिहार के हाजीपुर (सु) में लोकदल के उम्मीदवार राम विलास पासवान कांग्रेस के राम रतन राम से चुनाव हार गये थे । कांग्रेस (जे) के टिकट पर जगजीवन राम सासाराम में जीत गये थे । इस चुनाव में पटना सीट पर कांग्रेस के टिकट पर प्रख्यात चिकित्सक डा़ सीपी ठाकुर ने भाकपा के रामावतार शास्त्री को हरा दिया था ।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस उम्मीदवार ममता बनर्जी ने दिग्गज माकपा नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर सीट पर पराजित किया था । सुश्री बनर्जी को 331618 और श्री चटर्जी को 311958 वोट मले थे । भाकपा के दिग्गज नेता इन्द्रजीत गुप्त बसीरहाट सीट पर कांग्रेस के कमल बसु को हराया था । हावड़ा सीट पर कांग्रेस के प्रियरंजन दास मुंशी निर्वाचित हुये थे । आन्ध्र प्रदेश में जबरदस्त झटके के बावजूद कांग्रेस के एन जी रंगा गुंटूर लोकसभा क्षेत्र में तेलगू देशम के चन्द्रशेखर राव से करीब 12 हजार मतों से जीत गये थे ।

इसी राज्य में कांग्रेस के टी अंजैया सिकन्दराबाद सीट पर भाजपा के बंडारु दत्तात्रेय से चुनाव जीत गये थे । हनमकोंडा सीट पर कांग्रेस के पी वी नरसिंह राव भाजपा के सी जे रेड्डी से करीब 54 हजार मतों से चुनाव हार गये थे । इस चुनाव में जनता पार्टी के एस जयपाल रेड्डी ने महबूबनगर सीट पर कांग्रेस के मल्लिकाजुर्न को पराजित किया था ।

महाराष्ट्र के वासिम सीट पर कांग्रेस के गुलाम नवी आजाद दूसरी बार निर्वाचित हुये थे । उन्होंने कांग्रेस (सोसलिस्ट) के प्रत्याशी गोकुल दास को हराया था । श्री आजाद को 197822 और श्री दास को 187463 वोट मिले थे । बाम्बे उत्तर पश्चिम सीट पर कांग्रेस के सुनील दत्त ने भाजपा के राम जेठमलानी को पराजित किया था । सुनील दत्त को 308989 और श्री जेठमलानी को 154349 वोट मिले थे ।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी को कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने पराजित किया था । श्री वाजपेयी को कुल 132141 वोट तथा श्री सिंधिया को 307735 वोट मिले थे । राजस्थान के जोधपुर सीट पर कांग्रेस के अशोक गहलोत निर्वाचित हुये थे । वर्ष 1985 में पंजाब और असम में चुनाव कराये गये । असम की 14 सीटों में से कांग्रेस को चार और पंजाब की 13 सीटों में से कांग्रेस को छह और अकाली दल को सात सीटें मिली थी ।

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भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को कांग्रेस ने पार्टी में शामिल होने से पहले ही बना दिया स्टार प्रचारक attacknews.in

पटना 30 मार्च । जाने-माने फिल्म अभिनेता और बिहार के पटना साहिब संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के भाजपा सदस्य शत्रुघ्न सिन्हा ने अभी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण भी नहीं की है लेकिन पार्टी ने उन्हें अपने स्टार चुनाव प्रचार की सूची में शामिल कर लिया है।

बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की चुनाव आयोग को भेजी गई सूची में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का नाम भी शामिल है।

श्री सिन्हा को इस बार भाजपा ने पटना साहिब संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है लेकिन श्री सिन्हा ने अभी तक पार्टी से विधिवत नाता भी नहीं तोड़ा है। हालांकि श्री सिन्हा ने 06 अप्रैल को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने की बात कही है।

कांग्रेस के 40 स्टार प्रचारकों की आज यहां जारी सूची में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, सह प्रभारी वीरेन्द्र सिंह राठौर, प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, विधायक दल के नेता सदानंद सिंह, प्रदेश कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, सांसद तारिक अनवर, रंजीत रंजन, कीर्ति झा आजाद, पूर्व सांसद डॉ. शकील अहमद, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चंदन बागची, अनिल शर्मा, वरिष्ठ नेता विजय शंकर दुबे , कोकब कादरी, रामदेव राय, समीर कुमार सिंह, श्याम सुंदर सिंह धीरज, कृपानाथ पाठक और प्रेमचंद मिश्रा का नाम शामिल है।

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