मध्यप्रदेश में रविवार को सामने आए कोरोन के 12 नए मामले;अबतक संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 7,91,750 और मृतकों की संख्या 10,512 हुई attacknews.in

भोपाल, 25 जुलाई । मध्यप्रदेश में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 12 नए मामले सामने आए जिसके बाद संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 7,91,750 हो गयी है ।स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी ।

अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में किसी भी व्यक्ति की संक्रमण से मौत नहीं हुई है। प्रदेश में अब तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 10,512 है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 148 संक्रमित उपचाराधीन हैं ।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 7,91,750 संक्रमितों में से अब तक 7,81,090 मरीज स्वस्थ हो गये हैं।

अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में रविवार को 4,624 लोगों को कोरोना रोधी टीके लगाए गये और इसी के साथ प्रदेश में अब तक कोरोना रोधी टीकों की 2,78,67,459 खुराक दी जा चुकी है।

भारत में ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, बीपी मॉनिटर, नेबुलाइजर,डिजिटल थर्मामीटर सहित जरूरी चिकित्सा उपकरणों पर व्यापार मार्जिन सीमित किए जाने के बाद करीब 620 उत्पादों के दाम घटे attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 जुलाई । सरकार द्वारा कोविड-19 के इलाज एवं रोकथाम में व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले पल्स ऑक्सीमीटर और डिजिटल थर्मामीटर जैसे पांच जरूरी चिकित्सा उपकरणों पर व्यापार लाभ या मार्जिन को 70 प्रतिशत पर सीमित करने के साथ अब तक करीब 620 ब्रांडों की कीमतों में कमी आयी है।

रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि यह सीमा 20 जुलाई से लगायी गयी है।

गत 13 जुलाई को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ), 2013 के पैरा 19 के तहत मिले असाधारण अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए पांच चिकित्सा उपकरणों – ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, बीपी मॉनिटर, नेबुलाइजर और डिजिटल थर्मामीटर के व्यापार मार्जिन पर सीमा लगा दी थी।

प्राइस टू डिस्ट्रिब्यूटर (पीटीडी) या वितरक को मिलने वाली कीमत के स्तर पर लाभ को 70 प्रतिशत तक सीमित किया गया था।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “इसके अनुसार, 23 जुलाई, 2021 तक इन चिकित्सा उपकरणों के कुल 684 उत्पादों/ब्रांडों की रिपोर्ट की गई है और 620 उत्पादों/ब्रांडों (91 प्रतिशत) ने अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कमी की जानकारी दी है।”

पल्स ऑक्सीमीटर के एक आयातित ब्रांड द्वारा अधिकतम कमी की जानकारी दी गयी है। इसमें प्रति इकाई 2,95,375 रुपये की कमी देखी गई है।

मंत्रालय ने कहा कि सभी श्रेणियों में आयातित और घरेलू ब्रांडों ने एमआरपी कम करने की जानकारी दी है।

आयातकों ने कीमतों में सबसे ज्यादा कमी पल्स ऑक्सीमीटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग मशीन और नेबुलाइजर पर की है।

रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख एल मंडाविया ने ट्विटर पर लिखा, “व्यापक जनहित में, सरकार ने 20 जुलाई से प्रभावी, पांच चिकित्सा उपकरणों के लिए व्यापार लाभ को सीमित कर दिया है। इससे चिकित्सा उपकरणों की कीमतों में भारी कमी आएगी।”

मॉडर्ना के कोविड टीके को भारत में जल्द मिल सकती है नियामक मंजूरी;दवा कंपनी सिपला ने अमेरिकी फार्मा कंपनी की ओर से आयात और विपणन की अनुमति मांगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 29 जून । भारत का औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) मॉडर्ना के कोविड-19 रोधी टीके के आपात उपयोग को जल्द ही मंजूरी दे सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

मॉडर्ना ने एक अलग पत्र में सूचना दी है कि अमेरिका ने यहां उपयोग के लिए कोविड-19 के अपने टीके की एक विशेष संख्या में खुराक ‘कोवैक्स’ के जरिए भारत सरकार को दान में देने की सहमति दी है। साथ ही, उसने इसके लिए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से मंजूरी मांगी है। वहीं, भारतीय बहुराष्ट्रीय औषधि कंपनी सिपला ने अमेरिकी फार्मा कंपनी की ओर से इन टीकों के आयात और विपणन की अनुमति मांगी है।

उल्लेखनीय है कि कोवैक्स कोविड-19 के टीके के न्यायसंगत वितरण के लिए एक वैश्विक पहल है।

सूत्रों के मुताबिक किसी भी वक्त यह मंजूरी मिलने की संभावना है क्योंकि सीडीएससीओ भारत में महामारी की स्थिति को देखते हुए जनहित में इस देश में आपात उपयोग के लिए सिपला को कोविड-19 के मॉडर्ना के टीके के आयात की अनुमति देने के पक्ष में है।

सिपला ने सोमवार को एक आवेदन देकर इस टीके के आयात की अनुमति मांगी है। उसने 15 अप्रैल और एक जून के डीसीजीआई नोटिस का हवाला दिया है।

नोटिस में कहा गया था कि यदि टीके को आपात उपयोग अधिकार (ईयूए) के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) द्वारा अनुमति दी जाती है, तो टीके को बिना ‘ब्रिजिंग ट्रायल’ के विपणन का अधिकार दिया जा सकता है।

इसके अलावा, हर खेप को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल), कसैली से जांच कराने की जरूरत की छूट मिल सकती है।

भारत में स्पुतनिक वी वैक्सीन पेश करने को बी मेडिकल सिस्टम्स का डॉ. रेड्डीज से करार,देशभर में कई सौ वैक्सीन फ्रीजर लगाए जाएंगे attacknews.in

नयी दिल्ली, 29 जून । लक्जमबर्ग की मेडिकल रेफ्रिजरेशन उपकरण कंपनी बी मेडिकल सिस्टम्स ने अखिल भारतीय स्तर पर स्पुतनिक वी वैक्सीन पेश करने के लिए एक विश्वसनीय शीत भंडारण समाधान उपलब्ध कराने को डॉ रेड्डीज लैब से हाथ मिलाया है।

इस गठजोड़ के तहत कंपनी राष्ट्रीय स्तर पर स्पुतनिक वी वैक्सीन को पेश करने के लिए देशभर में कई सौ वैक्सीन फ्रीजर लगाएगी।

बयान में कहा गया है कि स्पुतनिक वी एक एडेनोवायरस वायरल वेक्टर वैक्सीन है। इसे शून्य से 18 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान में रखने की जरूरत होती है। ऐसे में इस टीके के लिए शीत भंडारण श्रृंखला काफी मजबूत होनी चाहिए।

बी मेडिकल सिस्टम्स ने कहा, ‘‘इस गठजोड़ के तहत वह अपने वैक्सीन फ्रीजर उपलब्ध कराएगी। इनमें वैक्सीन को -25 डिग्री सेल्सियस जैसे निचले तापमान पर स्टोर किया जा सकेगा। तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लक्जमबर्ग से इन इकाइयों को एयर कार्गो के जरिये भेजा जाएगां

करार के तहत बी मेडिकल सिस्टम्स के फ्रीजर इस सप्ताह देश के सभी प्रमुख अस्पताल श्रृंखलाओं में रखे जाएंगे।

बी मेडिकल सिस्टम्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जेसल दोषी ने कहा कि स्पुतनिक वी वैक्सीन को पेश करेने में डॉ रेड्डीज के साथ भागीदारी करने को लेकर हम काफी गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। हमने इसके लिए बेहद विश्वसनीय शीत भंडारण ढांचा लगाने के लिए हम डॉ. रेड्डीज के साथ काम कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश में सोमवार को कोरोना के 37 नए मामले सामने आए, 19 की मृत्यु;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,89,733 और मृतकों की संख्या 8936 हुई attacknews.in

भोपाल, 28 जून। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के आज 37 नए मामले आए और 19 संक्रमितों की मृत्यु दर्ज की गयी।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 19 संक्रमितों की मृत्यु दर्ज की गयी, जिसमें से 01 जबलपुर जिले में, 05 रतलाम, 06 बैतूल, 01 विदिशा, 01 कटनी, 01 कटनी, 01 राजगढ़, 01 टीकमगढ़ और 02 अशोकनगर दर्ज की गयीं। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में मृत्यु का एक भी प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है।

कुल 52 में से 37 जिलों में शून्य प्रकरण दर्ज किए गए। इन जिलों में एक भी नया प्रकरण नहीं मिला।
राज्य में अब तक 7 लाख 89 हजार 7 सौ 33 व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं, जिनमें से 8936 संक्रमितों की मृत्यु हुयी। वहीं 7 लाख 80 हजार 1 सौ 1 व्यक्ति कोरोना संक्रमण को मात देने में सफल रहे और वर्तमान में 696 सक्रिय मामले हैं। सबसे अधिक 159 सक्रिय मामले भोपाल में हैं। इसके बाद इंदौर जिले में इनकी संख्या 124 है। ग्वालियर में 10 और जबलपुर में 16 सक्रिय मरीज हैं।

राज्य में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लगभग 5 करोड़ 74 लाख व्यक्तियों को वैक्सीनेशन करने के लिए अभियान युद्धस्तर पर जारी है।

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान कई देशों में भांग का सेवन बढ़ा;संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में पिछले साल दुनियाभर में 27.5 करोड़ लोगों ने मादक पदार्थों का इस्तेमाल किया attacknews.in

बर्लिन, 25 जून (एपी) विएना में मादक पदार्थ एवं अपराध मामलों के संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (यूएनओडीसी) की ओर से बृहस्पतिवार को जारी विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष दुनिया भर में करीब 27.5 करोड़ लोगों ने मादक पदार्थों का इस्तेमाल किया जबकि 3.6 करोड़ से अधिक लोग मादक पदार्थ संबंधी विकारों से पीड़ित हुए।

रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान कई देशों में भांग (कैनेबिस) का सेवन बढ़ा है। 77 देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें से 42 फीसदी ने कहा कि भांग का इस्तेमाल बढ़ गया है। इसी दौरान उपचार संबंधी दवाओं का गैर-चिकित्सीय इस्तेमाल भी बढ़ा है।

इसमें बताया गया कि बीते 24 वर्षों में मादक पदार्थ को नुकसानदेह मानने वाले वयस्कों की संख्या में 40 फीसदी तक कमी आई है। ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि भांग का उपयोग करने से स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं हो सकती हैं, खास कर उन लोगों में जो लंबे समय से इसका नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं।

यूएनओडीसी की कार्यकारी निदेशक गादा वाली ने बताया, ‘‘मादक पदार्थों के इस्तेमाल को जोखिम भरा मानने वालों की संख्या में कमी का संबंध इसके इस्तेमाल की अधिक दर से है। विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट, 2021 रेखांकित करती है कि युवाओं को जागरूक करने, लोक स्वास्थ्य की सुरक्षा करने तथा नजरिए एवं वास्तविकता के बीच अंतर को पाटने की आवश्यकता है।’’

हालिया वैश्विक अनुमानों के मुताबिक 15 से 64 वर्ष के करीब 5.5 फीसदी लोगों ने पिछले एक वर्ष में कम से कम एक बार मादक पदार्थ का इस्तेमाल किया। मादक पदार्थों का इस्तेमाल करने वाले लोगों में से 13 फीसदी या 3.63 करोड़ लोग मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े विकारों से पीड़ित हुए।

भारत में टीकाकरण का दायरा 31 करोड़ के पार,राज्यों ने कर दिए डेढ़ करोड़ से ज्यादा टीके बर्बाद,अब भी टीके की 1.50 करोड़ से अधिक खुराकें मौजूद attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जून । भारत में कोविड टीकाकरण का दायरा 31 करोड़ के पार पहुंच गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

रिपोर्ट के अनुसार टीकाकरण अभियान का नया चरण 21 जून से शुरू हुआ था और शुक्रवार को 60 लाख से अधिक खुराक दी गई।

मंत्रालय ने कहा कि शुक्रवार को 18-44 आयु वर्ग के 35.9 लाख से अधिक लोगों को टीके की पहली खुराक और 77,664 लोगों को दूसरी खुराक दी गई।

टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत से अब तक देश में इस आयु वर्ग के 7.87 करोड़ लोगों को टीके की पहली खुराक और 17.09 लाख लोगों को दूसरी खुराक दी गई है।

केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है।

टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके।

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी।

केंद्र सरकार द्वारा निशुल्क और राज्यों द्वारा सीधी खरीद व्यवस्था के तहत अब तक वैक्सीन की 30.54 करोड़ से अधिक (30,54,32,450) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की गई हैं।

आज आठ बजे सुबह तक उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से उपरोक्त खुराकों में से बेकार हो जाने वाली खुराकों को मिलाकर कुल 29,04,04,264 खुराकों की खपत हो चुकी है।

अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीके की 1.50 करोड़ से अधिक (1,50,28,186) खुराकें बची हैं और इस्तेमाल नहीं हुई हैं, जिन्हें लगाया जाना है।

इसके अलावा, टीके की 47,00,000 से अधिक खुराकें तैयार हैं और अगले तीन दिनों के भीतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिल जायेंगी।

भाजपा ने पेश की दिल्ली की ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में हिंदुस्तान की राजनीति में पहली बार चार गुना झूठा साबित होने वाला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बताया;उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने आरोपों को किया खारिज attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जून ।भाजपा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत से चार गुना अधिक मांग की थी और उनके इस ‘‘झूठ’’ के कारण कम से कम 12 राज्यों में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई।

उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में ऑक्सीजन का लेखाजोखा करने के लिए गठित की गई एक समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ‘‘चार गुना झूठ’’ बोलकर ना सिर्फ ‘‘जघन्य अपराध’’ किया बल्कि ‘‘आपराधिक लापरवाही’’ की है।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं । उन्होंने यह पलटवार भी किया कि कथित रिपोर्ट भाजपा मुख्यालय में तैयार की गई है।

पात्रा ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दूसरी लहर के दौरान जब संक्रमण के मामले चरम पर थे तब दिल्ली सरकार ने 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी जबकि वह 209 मीट्रिक टन का भी इस्तेमाल नहीं कर पायी थी।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के फार्मूले के मुताबिक भी देखा जाए तो उसे 351 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी जबकि केंद्र सरकार के आकलन के मुताबिक जरूरत 209 मीट्रिक टन की थी और केजरीवाल सरकार ने 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता जताई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए , किस प्रकार का अपराध हुआ है। यह अरविंद केजरीवाल का जघन्य अपराध है। यह आपराधिक लापरवाही है जैसा कि समिति ने कहा है कि उन्होंने चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी। इस रिपोर्ट ने कोविड-19 के प्रबंधन में विफल होने पर दोष दूसरे पर मढ़ने की राजनीति का पर्दाफाश कर दिया है।’’

उन्होंने कहा ‘‘ इस झूठ के कारण, 12 राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हुई क्योंकि सभी जगह से ऑक्सीजन की मात्रा कम कर दिल्ली भेजना पड़ा था।’’

पात्रा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के कुप्रबंधन की वजह से राजधानी दिल्ली में उस वक्त ऑक्सीजन के टैंकर सड़क पर खड़े रहे जब लोगों को इसकी सबसे अधिक जरूरत थी।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर ये ऑक्सीजन दूसरे राज्यों में उपयोग होती तो कई लोगों की जान बच सकती थी। यह अरविंद केजरीवाल द्वारा किया गया जघन्य अपराध है।’’

भाजपा प्रवक्ता ने उम्मीद जताई कि इसके लिए उच्चतम न्यायालय में मुख्यमंत्री जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और जो अपराध उन्होंने किया है, उसके लिए उन्हें दंडित किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हिंदुस्तान की राजनीति में पहली बार चार गुना झूठे साबित हो रहे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री। यह छोटी बात नहीं है। अरविंद केजरीवाल को जनता को जवाब देना होगा।’’

पात्रा ने कहा कि तीन मई को एक ही दिन मुंबई और दिल्ली में लगभग एक समान संक्रमण के मामले थे लेकिन मुंबई ने 275 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता जताई वहीं दिल्ली ने 900 मीट्रिक टन की मांग की थी।

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार 100 फीसदी विज्ञापन और जीरो प्रतिशत कोविड प्रबंधन के फार्मूले पर काम कर रही है।

पात्रा ने दावा किया कि अपनी नाकामी को छिपाने और केंद्र सरकार को दोषी ठहराने के लिए केजरीवाल ने ऑक्सीजन को लेकर झूठ बोला।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार केजरीवाल कोविड-19 रोधी टीकों और घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर राजनीति कर रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि राजधानी में टीकों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘जो व्यक्ति ऑक्सीजन के लिए इतना बड़ा झूठ बोल सकता है वह राशन के लिए कितना झूठ बोल सकता है?’’

राजधानी के जयपुर गोल्डेन अस्पताल और बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई लोगों की मौत के लिए भी पात्रा ने केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया।

पात्रा के आरोपों का जवाब देते हुए , दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर ऐसी रिपोर्ट को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है। हमने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के सदस्यों से बात की है। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी रिपोर्ट पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भाजपा झूठी रिपोर्ट पेश कर रही है, जो उसकी पार्टी मुख्यालय में तैयार की गई है। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि ऐसी रिपोर्ट पेश करें, जिस पर ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हों।’’

उन्होंने कहा कि ऐसा करके भाजपा केवल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ही अपमान नहीं कर रही, बल्कि ‘‘उन लोगों का भी अपमान कर रही है जिन्होंने कोरोना वायरस के कहर के दौरान अपने परिवार वालों को खो दिया। ’’ उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार के कुप्रबंधन के कारण ही ‘‘ऑक्सीजन का संकट उत्पन्न हुआ था।’’

दिल्ली में अप्रैल तथा मई में कोविड-19 की दूसरी लहर का बहुत बुरा असर हुआ था। इस दौरान शहर के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण रोजाना कई लोगों की मौत हुई थी।

कोरोना टीकों से उपजे अनेक प्रश्नों का समाधान:क्या प्रजनन क्षमता पर होता है नकारात्मक प्रभाव?,शरीर में एंटी-बॉडीज कब तक कायम रहती हैं? क्या कुछ समय बाद बूस्टर डोज लेनी होगी?एक बार किसी खास कंपनी की वैक्सीन लगवा लें, तो क्या उसके बाद वही खास वैक्सीन लगवानी है? अगर भविष्य में हमें बूस्टर डोज लेनी पड़े, क्या तब भी उसी कंपनी की वैक्सीन लेनी होगी?attacknews.in

“भारत में जल्द कम से कम छह प्रकार की कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध हो जायेंगी,एक महीने में 30-35 करोड़ खुराकें मिलना शुरू हो जायेंगी और भारत एक दिन में एक करोड़ लोगों को टीका लगाने में सक्षम होगा”

एनटीएजीआई में कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा द्वारा कोविड-19 टीकाकरण पर सामान्य प्रश्नों के जवाब

हमें जल्द ही जायडस कैडिला की दुनिया की पहली डीएनए-प्लासमिड वैक्सीन मिल जायेगी, जो भारत-निर्मित है। हमें जो अन्य वैक्सीनें जल्द मिलने की उम्मीद है, उनमें बायोलॉजिकल-ई की प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन शामिल है।

राष्ट्रीय टीकाकरण परामर्श समूह (एटीएजीआई) के कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र कुमार अरोड़ा ने यह बताया।उन्होंने आगे कहा कि इन वैक्सीनों का परीक्षण काफी उत्साहवर्धक रहा है।

उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह वैक्सीन सितंबर तक उपलब्ध हो जायेगी। भारतीय एम-आरएनए वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकता है, वह भी सितंबर तक मिल जायेगी। दो अन्य वैक्सीनें सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की नोवावैक्स और जॉनसन-एंड-जॉनसन भी जल्द मिलने की संभावना है। जुलाई के तीसरे सप्ताह तक भारत बायोटेक और एसआईआई की उत्पादन क्षमता में भी भारी इजाफा हो जायेगा।इससे देश में वैक्सीन की आपूर्ति में बढ़ोतरी होगी। अगस्त तक हम उम्मीद करते हैं कि हम एक महीने में 30-35 करोड़ डोज हासिल करने लगेंगे।”

डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस तरह हम एक दिन में एक करोड़ लोगों को टीका लगाने में सक्षम हो जायेंगे।

अध्यक्ष डॉ. अरोड़ा ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के ओटीटी – इंडिया साइंस चैनल को दिये साक्षात्कार में भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के विभिन्न पहलुओं पर बात की।

नई वैक्सीनें कितनी असरदार होंगी?

जब हम कहते हैं कि अमुक वैक्सीन 80 प्रतिशत असरदार है, तो इसका मतलब यह है कि वैक्सीन कोविड-19 रोग की संभावना को 80 प्रतिशत कम कर देती है। संक्रमण और रोग में फर्क होता है। अगर किसी व्यक्ति को कोविड का संक्रमण है, लेकिन कोई लक्षण नहीं हैं, तो वह व्यक्ति सिर्फ संक्रमित है। बहरहाल, यदि व्यक्ति में संक्रमण के कारण लक्षण भी नजर आ रहे हैं, तो वह व्यक्ति कोविड रोग से ग्रस्त माना जायेगा। दुनिया की हर वैक्सीन कोविड रोग से बचाती हैं।टीका लगवाने के बाद गंभीर रूप से बीमार होने की बहुत कम संभावना होती है; जबकि मृत्यु की संभावना नगण्य हो जाती है। अगर वैक्सीन की ताकत 80 प्रतिशत है, तब टीका लगवाने वाले 20 प्रतिशत लोगों को हल्का कोविड हो सकता है।भारत में जो वैक्सीनें उपलब्ध हैं, वे कोरोना वायरस के फैलाव को कम करने में सक्षम हैं। अगर 60 से 70 प्रतिशत लोगों को टीके लगा दिये जायें, तो वायरस के फैलाव को रोका जा सकता है।सरकार ने बुजुर्गों को टीके लगाने से कोविड टीकाकरण अभियान की शुरूआत की थी, ताकि सबसे अधिक जोखिम वाली आबादी को पहले टीके लग जायें। इस तरह मृत्यु की संभावना कम की गई और स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ भी कम हुआ।

कोविड वैक्सीन के बारे में बहुत गलतफहमियां हैं। क्या आप उनका निराकरण करेंगे?

हाल में, मैं हरियाणा और उत्तरप्रदेश के सफर पर था। मैंने इन राज्यों के शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोगों से बात की, ताकि वैक्सीन के बारे में हिचक को समझ सकूं। ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर लोग कोविड को गंभीरता से नहीं लेते और वे इसे सामान्य बुखार ही समझते हैं। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कोविड भले कई मामलों में हल्का-फुल्का हो, लेकिन जब वह गंभीर रूप ले लेता है, तो उससे जान भी जा सकती है, आर्थिक बोझ तो पड़ता ही है।यह बहुत उत्साहजनक बात है कि हम टीके के जरिये कोविड से खुद को बचा सकते हैं।

हम सब यह मजबूती से मानते हैं कि भारत में उपलब्ध कोविड-19 वैक्सीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं। मैं सबको आश्वस्त करता हूं कि कि सभी वैक्सीनों का कड़ा परीक्षण किया गया है, जिसमें क्लीनिकल ट्रायल शामिल हैं। इन परीक्षणों को पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त है।जहां तक टीके के बुरे असर (साइड-इफेक्ट) का सवाल है, तो सभी वैक्सीनों में हल्का-फुल्का खराब असर पड़ता है। इसमें हल्का बुखार, थकान, सूई लगाने वाली जगह पर दर्ज आदि, जो एक-दो दिन में ठीक हो जाता है।

टीकों का कोई गंभीर बुरा असर नहीं होता।जब बच्चों को नियमित टीके दिये जाते हैं, तो उन्हें भी बुखार, सूजन आदि जैसे हल्के-फुल्के साइड इफेक्ट्स होते हैं। परिवार के बड़ों को पता होता है कि वैक्सीन बच्चों के लिये अच्छे हैं, भले उनका कुछ बुरा असर शुरू में होता हो। इसी तरह बड़ों को इस वक्त भी यह समझना चाहिये कि कोविड वैक्सीन हमारे परिवार और हमारे समाज के लिये जरूरी है। लिहाजा, हल्का-फुल्का बुरा असर हमें रोकने न पाये।

ऐसी अफवाहें कि अगर टीका लगवाने के बाद व्यक्ति को बुखार नहीं आया, तो इसका मतलब है कि वैक्सीन काम नहीं कर रही है। इसमें कितना सच है?

कोविड टीका लगवाने के बाद ज्यादातर लोगों में कोई बुरा असर नजर नहीं आता, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वैक्सीन असरदार नहीं है। सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत लोगों को टीका लगवाने के बाद बुखार आ सकता है। कुछ लोगों को पहली डोज लेने के बाद बुखार आ जाता है और दूसरी डोज के बाद कुछ नहीं होता। इसी तरह कुछ लोगों को पहली डोज के बाद कुछ नहीं होता, लेकिन दूसरी डोज के बाद बुखार आ जाता है। यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है और इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना खासा मुश्किल है।

कुछ ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जहां लोगों को दोनों खुराकें लगवाने के बाद भी कोविड-19 का संक्रमण हो गया। इसलिये कुछ लोग वैक्सीन के असरदार होने पर सवाल उठा रहे हैं?

वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद भी संक्रमण हो सकता है। लेकिन ऐसे मामलों में रोग निश्चित रूप से हल्का होगा और गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना लगभग नहीं होगी। इसके अलावा, ऐसी स्थिति से बचने के लिये लोगों को आज भी कहा जाता है कि टीका लगवाने के बाद भी कोविड उपयुक्त व्यवहार करें। लोग वायरस फैला सकते हैं, जिसका मतलब है कि वायरस आपके जरिये आपके परिवार वालों और दूसरों तक फैल सकता है। अगर 45 साल के ऊपर के लोगों को टीका न लगा होता, तब तो मृत्यु दर और अस्पतालों पर दबाव की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। अब दूसरी लहर समाप्ति की ओर है। इसका श्रेय टीकाकरण को ही जाता है।

शरीर में एंटी-बॉडीज कब तक कायम रहती हैं? क्या कुछ समय बाद बूस्टर डोज लेनी होगी?

टीका लगवाने के बाद शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जिसका पता निश्चित रूप से एंटी-बॉडीज से लग जाता है। एंटी-बॉडीज का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा न दिखाई देने वाली रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होती है। इसे टी-सेल्स के रूप में जाना जाता है, जिनके पास याद रखने की ताकत होती है। आगे जब भी वायरस शरीर में घुसने की कोशिश करता है, तो पूरा शरीर चौकस हो जाता है और उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर देता है। लिहाजा, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का एकमात्र सबूत एंटी-बॉडी नहीं है। इसलिये टीका लगवाने के बाद एंटी-बॉडी टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। इस पर चिंता करके अपनी नींद ह करने का भी कोई मतलब नहीं है।

दूसरी बात यह कि कोविड-19 एक नया रोग है, जो अभी महज डेढ़ साल पहले सामने आया है। वैक्सीन को आये हुये भी छह महीने ही हुये हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अन्य वैक्सीनों की तरह ही, यहां भी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम से कम छह महीने से एक साल तक कायम रहेगी। समय बीतने के साथ कोविड-19 के बारे में हमारी समझ में भी इजाफा होगा। इसके अलावा, टी-सेल्स जैसे कुछ घटक हैं, जिनकी नाप-जोख नहीं हो सकती। यह देखा जाना है कि टीका लगवाने के बाद लोग कितने समय तक गंभीर रूप से बीमार होने और मृत्यु से बचे रहते हैं। लेकिन अभी तो टीके लगवाने वाले सभी लोग छह महीने से एक साल तक तो सुरक्षित हैं।

एक बार किसी खास कंपनी की वैक्सीन लगवा लें, तो क्या उसके बाद वही खास वैक्सीन लगवानी है? अगर भविष्य में हमें बूस्टर डोज लेनी पड़े, क्या तब भी उसी कंपनी की वैक्सीन लेनी होगी?

कंपनियों के बजाय हम प्लेटफॉर्म की बात करते हैं। मानव इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक ही रोग के लिये वैक्सीन बनाने में अलग-अलग प्रक्रियाओं और प्लेटफार्मों का इस्तेमाल किया गया हो। इन वैक्सीनों की निर्माण प्रक्रिया अलग-अलग है, इसलिये शरीर पर भी उनका असर एक सा नहीं होगा।अलग-अलग किस्म की वैक्सीन की दो डोज लेने की प्रक्रिया या बूस्टर डोज के तौर पर कोई दूसरी वैक्सीन लेने को पारस्परिक अदला-बदली कहते हैं। ऐसा किया जा सकता है या नहीं, यह निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक सवाल है। इसका जवाब खोजने का कम चल रहा है। हम ऐसे देशों में शामिल हैं, जहां अलग-अलग तरह की कोविड-19 वैक्सीनें दी जा रही हैं। इस तरह की पारस्परिक अदला-बदली को तीन कारणों से स्वीकार किया जा सकता है या उसे मान्यता दी जा सकती हैः 1) रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने या बढ़ाने के लिये, 2) इससे टीके की आपूर्ति आसान हो जाती है, 3) सुरक्षा सुनिश्चित होती है। लेकिन यह पारस्परिक अदला-बदली का आग्रह इसलिये नहीं होना चाहिये कि टीकों की कमी आ गई है, क्योंकि टीकाकरण शुद्ध रूप से वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत आता है।

कुछ देशों में वैक्सीन के आपसी मिलान पर अनुसंधान हो रहा है। क्या भारत में भी ऐसा कोई अनुसंधान किया जा रहा है?

इस तरह का अनुसंधान जरूरी है और भारत में भी जल्द ऐसे अनुसंधानों को शुरू करने के कदम उठाये जा रहे हैं। यह चंद हफ्तो में शुरू हो जायेगा।

क्या बच्चों के टीकाकरण पर अध्ययन चल रहा है? कब तक बच्चों का टीका आने की आशा करें?

दो से 18 वर्ष के बच्चों पर कोवैक्सीन का परीक्षण शुरू हो गया है। बच्चों पर परीक्षण देश के कई केंद्रों में चल रहा है। इसके नतीजे इस साल सितंबर से अक्टूबर तक हमारे पास आ जायेंगे। बच्चों को भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते। बहरहाल, बच्चों से वायरस दूसरों तक पहुंच सकता है। लिहाजा, बच्चों को भी टीका लगाया जाना चाहिये।

क्या वैक्सीन से प्रजनन क्षमता पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?

जब पोलियो वैक्सीन आई थी और भारत तथा दुनिया के अन्य भागों में दी जा रही थी, तब उस समय भी ऐसी अफवाह फैली थी। उस समय भी यह गलतफहमी पैदा की गई थी कि जिन बच्चों को पोलियो वैक्सीन दी जा रही है, आगे चलकर उन बच्चों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस तरह की गलत सूचना एंटी-वैक्सीन लॉबी फैलाती है। हमें यह जानना चाहिये कि सभी वैक्सीनों को कड़े वैज्ञानिक अनुसंधान से गुजरना पड़ता है। किसी भी वैक्सीन में इस तरह का कोई बुरा असर नहीं होता। मैं सबको पूरी तरह आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस तरह का कुप्रचार लोगों में गलतफहमी पैदा करता है। हमारा मुख्य ध्यान खुद को कोरोना वायरस से बचाना है, अपने परिवार और समाज को बचाना है। लिहाजा, सबको आगे बढ़कर टीका लगवाना चाहिये।

मध्यप्रदेश में मंगलवार को कोरोना के 224 नए मामले सामने आए, 528 हुए स्वस्थ:अबतक संक्रमितों की संख्या 7,88,649 और मृतकों की संख्या 8615 हुई attacknews.in

भोपाल, 15 जून । मध्यप्रदेश में कोरोना के सक्रिय मरीजों की लगातार घट रही संख्या के बीच आज प्रदेश भर में कोरोना के 224 नए मामले सामने आए, तो हुयी 528 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर पहुंच गए।

राज्य स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा यहां जारी बुलेटिन के अनुसार पिछले चौबीस घंटों में जहां कोरोना के 224 नए मामले सामने आए, यह कल की तुलना में कम है।वहीं, 528 नए मरीज स्वस्थ हो गए।

इसके बाद प्रदेश में सक्रिय मरीजों की संख्या घटकर अब 3610 तक पहुंच गयी है।हालांकि पिछले चौबीस घंटों के दौरान 27 मरीजों ने इस बीमारी से जान गवां दी, जिसके बाद प्रदेश में अब तक 8615 लोगों की मौत हो चुकी है।

प्रदेश में अब तक 7,88,649 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके है, तो वहीं 7,76,424 मरीज इस बीमारी से ठीक हो गए हैं।संक्रमण दर 0़ 3 रही।

इस बीच प्रदेश में सर्वाधिक मामले राजधानी भोपाल में आए, जहां 83 लोगों की रिपोर्ट पॉजीटिव आयी है।

यहां 1147 एक्टिव मरीज है, जिनका इलाज किया जा रहा है।

वहीं, इंदौर में 47 नए मामले सामने आए।

वहां सक्रिय मरीजों की संख्या 632 रह गयी है।

इसके अलावा जबलपुर में 14 मरीज मिले हैं।

इन तीनों जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में दस से नीचे मरीज सामने आए हैं।

वहीं प्रदेश के 14 ऐसे जिले है, जहां कोरोना के एक भी नए मामले सामने नहीं आए है।

घरेलू मार्गों पर हवाई यात्रा करने वालों की संख्या एक बार फिर 1 लाख के पार पहुंचीं,कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दैनिक संख्या घटकर 40 हजार से भी कम रह गई थी attacknews.in

नयी दिल्ली 13 जून । घरेलू मार्गों पर हवाई यात्रा करने वालों की संख्या शनिवार को एक बार फिर एक लाख के पार पहुंच गई।

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान विमान यात्रा करने वालों की दैनिक संख्या घटकर 40 हजार से भी कम रह गई थी। कम से कम एक महीने बाद यह आंकड़ा एक लाख के पार पहुंच पाया है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के आज जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को 1,124 उड़ानों में 1,07,371 यात्रियों ने अपने गंतव्यों के लिए प्रस्थान किया। महामारी की दूसरी लहर के कारण यात्रियों की संख्या में गिरावट के दो प्रमुख कारण थे — यात्रियों में संक्रमण का डर और कई राज्य सरकारों द्वारा हवाई यात्रियों के लिए लगाई गई कड़ी शर्तें।

पिछले साल 25 मार्च से दो महीने के लिए देश में नियमित यात्री उड़ानें पूरी तरह बंद रही थीं। उसके बाद 25 मई 2020 से घरेलू मार्गों पर नियमित उड़ानें दुबारा शुरू की गई थीं। फरवरी 2021 तक हर महीने यात्रियों की संख्या बढ़ती रही। फरवरी में यह आंकड़ा 78.27 लाख पर पहुंच गया। महामारी की दूसरी लहर की आहट से मार्च में मामूली गिरावट के साथ यह संख्या 78.22 लाख पर आ गई थी। अप्रैल में महामारी के विकराल रूप लेते ही इसमें 27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

फरवरी 2021 में रोजाना औसतन दो लाख 80 हजार लोगों ने हवाई सफर किया था। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण अप्रैल में यह संख्या घटकर 1.91 लाख के करीब रह गई थी। मई के आधिकारिक आंकड़े आने अभी बाकी हैं।

मध्यप्रदेश में 15 जून तक नई गाइड लाइन,तीसरी लहर की चेतावनी सामने,ब्लैक फंगस की चुनौती बनी हुई है,राजनैतिक,सामाजिक, जुलूस- जलसे,भीड़ वाली गतिविधियाँ, स्कूल-कॉलेज,खेलकूद,स्टेडियम में कार्यक्रम आदि पर भी प्रतिबंध attacknews.in

शादी-विवाह में दोनों पक्षों के 20-20 व्यक्ति सम्मिलित हो सकेंगे – शिवराज सिंह चौहान

प्रदेश में किल-कोरोना अभियान जारी रहेगा। सर्दी, खांसी, जुकाम के प्रकरण मिलते ही इलाज आरंभ किया जाएगा

जिन व्यक्तियों की कोरोना से मृत्यु हुई है, उनके प्रमाण पत्र के संबंध में भी राज्य सरकार शीघ्र निर्णय लेगी

विधायकगण अब विधायक निधि से 50 प्रतिशत तक का उपयोग जरूरतमंदों की मदद के लिए कर सकेंगे

भोपाल, 13 जून । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में होने वाले विवाह कार्यक्रमों में अब वर-वधु पक्ष के 20-20 व्यक्ति सम्मिलित हो सकेंगे और इसमें शामिल होने वाले सभी व्यक्तियों का कोरोना टेस्ट अनिवार्य होगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के जिलों की क्राइसिस मैनेजमेन्ट कमेटी के सदस्यों को निवास से वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियों से प्राप्त सुझावों के आधार पर 15 जून तक नई गाइड लाइन जारी की जायेगी। कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के साथ-साथ सभी अनाथ बच्चों के जीवन-यापन, आहार, शिक्षा और उनके आसरे की व्यवस्था सरकार और समाज द्वारा की जायेगी। सरकार संवेदशील है, किसी को भी मजबूर और बेबस नहीं रहने दिया जायेगा। कोरोना काल में बेसहारा हो गये परिवारों के संबंध में संवेदनशीलता के साथ निर्णय लिया जायेगा। इस दौरान जिन व्यक्तियों की कोरोना से मृत्यु हुई है, उनके प्रमाण पत्र के संबंध में भी राज्य सरकार शीघ्र निर्णय लेगी।
विधायकगण अब विधायक निधि से 50 प्रतिशत तक का उपयोग जरूरतमंदों की मदद के लिए कर सकेंगे।

श्री चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण का संकट अभी गया नहीं है। तीसरी लहर की संभावना है। सावधानी और सतर्कता की आवश्यकता है। इसलिए प्रदेश में राजनैतिक, सामाजिक गतिविधियाँ, जुलूस-जलसे, भीड़ वाली गतिविधियाँ प्रतिबंधित रहेंगी। स्कूल-कॉलेज,खेलकूद, स्टेडियम में कार्यक्रम आदि पर भी प्रतिबंध रहेगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में जन-भागीदारी मॉडल के प्रभावी क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है। हमें तीसरी लहर को रोकने के लिए लगातार सक्रियता बनाए रखना होगी। कोरोना अनुरूप व्यवहार का पालन गंभीरता से करने से संक्रमण पुन: नहीं फैलेगा।

उन्होंने समिति सदस्यों से कोरोना संक्रमण नियंत्रण, बाजार और व्यापारिक गतिविधियों को खोलने और टीकाकरण के संबंध में सुझाव भी माँगे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में संक्रमण नियंत्रण में है। ग्राम, वार्ड, नगर और जिला स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेन्ट कमेटियों द्वारा संभाले गए दायित्व, परिश्रम और सहयोग के कारण ही कोरोना पर नियंत्रण पाया जा सका है। अब स्थिति सुखद है। आज केवल 274 केस आए हैं। बीस जिलों में एक भी प्रकरण नहीं है। केवल भोपाल, इंदौर और जबलपुर में प्रकरण दो डिजिट में हैं। पॉजिटिविटी रेट 0.3 प्रतिशत पर पहुँच गयी है। यह सब लोगों के परिश्रम और जन-सहयोग से संभव हो पाया है।

उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की चेतावनी सामने है और ब्लैक फंगस की चुनौती बनी हुई है। अभी क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियों का काम समाप्त नहीं हुआ है। इन कमेटियों ने ग्राम, वार्ड, जिला और नगर स्तर पर बेहतर टीम के रूप में कार्य किया है। अभी आगे भी इन्हें जिम्मेदारी संभालनी है।

मुख्यमंत्री ने लोगों को चेताया कि इंग्लेंड में 90 दिन लॉकडाउन के बाद अनलॉक के साथ ही कोरोना के प्रकरण बढ़ने लगे हैं। अत: कोरोना की लहर को रोकने और उसकी तीव्रता को कम करने की व्यवस्था आवश्यक है। प्रदेश में 80 हजार टेस्ट प्रतिदिन होंगे। टेस्ट में पॉजिटिव आने पर प्रत्येक की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कराई जाएगी। जो व्यक्ति पॉजिटिव आया है उसे होम आयसोलेशन में या कोविड केयर सेंटर में रखा जाएगा। प्रदेश में किल-कोरोना अभियान जारी रहेगा। सर्दी, खांसी, जुकाम के प्रकरण मिलते ही इलाज आरंभ किया जाएगा।

मध्यप्रदेश सरकार कोरोना संकटकाल के दौरान अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा, आश्रय और भोजन की व्यवस्था करेगी,इससे संबंधित योजना शीघ्र घोषित की जाएगी attacknews.in

भोपाल, 13 जून । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि राज्य सरकार अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा, आश्रय और भोजन की व्यवस्था करेगी और इससे संबंधित योजना शीघ्र ही घोषित की जाएगी।

श्री चौहान यहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभी 52 जिलों में कोरोना की स्थिति की समीक्षा के साथ ही जिलों के क्राइसिस मैनेजमेंट समितियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। श्री चौहान ने कहा कि सरकार ने कोरोना संकटकाल के दौरान कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के संबंध में निर्णय लिए हैं, लेकिन ऐसे बच्चों की भी चिंता सरकार करेगी, जो कोविड के अलावा अन्य कारणों से अनाथ हुए हैं।

श्री चौहान ने कहा कि यह सरकार संवेदनशीलता के साथ कार्य करने वाली है। इसलिए हम कोविड के अलावा भी अनाथ हुए बच्चों की चिंता कर रहे हैं। सरकार इनके आश्रय, आहार और शिक्षा की व्यवस्था करेगी। इससे संबंधित योजना बनाकर शीघ्र ही घोषित की जाएगी।

उन्होंने संकेत दिए कि इस संबंध में समाज का सहयोग भी लिया जा सकता है।

इसके पहले श्री चौहान ने कहा कि राज्य में कोरोना की स्थिति और नियंत्रण में आ रही है। आज 274 नए काेरोना संक्रमित मिले। सिर्फ इंदौर, भोपाल और जबलपुर में ही दहाई की संख्या में प्रकरण हैं। संक्रमण दर घटकर 0़ 3 प्रतिशत हो गयी है। ब्लैक फंगस के इलाज की व्यवस्थाएं भी की गयी हैं। सरकार प्रतिदिन लगभग 80 हजार कोरोना जांच करने का प्रयास जारी रखेगी। राज्य के प्रत्येक कोने में जांच की जाएंगी। राज्य में कोविड केयर सेंटर चलते रहेंगे और किल कोरोना अभियान भी चलता रहेगा।

श्री चौहान ने कोरोना संक्रमण पर बेहतर काबू पाने के लिए वैक्सीनेशन अभियान पर भी जोर दिया और कहा कि क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी भी इस दिशा में कार्य करें। जनजागरुकता भी इसके लिए जरुरी है। हम बार बार लॉकडाउन नहीं कर सकते हैं, इसलिए सभी इस बात को समझें और कोरोना रोकने के लिए आवश्यक सभी दिशानिर्देशों का पालन करें।
बैठक में विभिन्न जनप्रतिनिधि और सभी 52 जिलों के प्रशासन भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े।

श्री चौहान ने कहा कि हमें संक्रमण को नियंत्रित भी करना है और रोजगार एवं व्यापार चलाना भी है। दुकानदारों, ग्राहकों, राहगीरों के लिए क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियों को नियम बनाने होंगे। कोरोना से बचाव में मास्क रामबाण है, अत: मास्क के उपयोग, परस्पर दूरी बनाए रखने, बार-बार हाथ धोने और भीड़ न लगाने के संबंधी नियमों का हम सबको पालन करना होगा। जन-भागीदारी से यह व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करें और मध्यप्रदेश को देश में मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करें।

उन्होंने कहा कि राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना, मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना, मुख्यमंत्री कोविड योद्धा कल्याण योजना, मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना, मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकम्पा नियुक्ति योजना जैसी जन-हितैषी योजनाएँ लागू की गई हैं। क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियाँ जिला स्तर पर इन योजनाओं का पूरी संवेदनशीलता और सक्रियता से क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।

अनलाॅक वाले स्थानों पर भीड़ को नियंत्रित करने क्राइसिस मैनेजमेंट दे अपना सुझाव- शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अनलाॅक वाले स्थानों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए क्राइसिस मैनेमेंट अपना सुझाव दें।

श्री चौहान ने आज ट्वीट के माध्यम से कहा कि “मैं देख रहा हूँ कि जहाँ हमने अनलॉक किया है, वहाँ कुछ-कुछ जगह भीड़ अनियंत्रित हो रही है। हमें यह नहीं होने देना है। हम बार-बार लॉकडाउन नहीं कर सकते। प्रदेश के हित को ध्यान में रखते हुए क्राइसिस मैनेजमेंट अपना सुझाव दें।

उन्हाेंने कहा है कि क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के लोग प्रदेश में संक्रमण की रोकथाम के साथ वैक्सीनेशन के लिए भी लोगों को जागरुक करें।

मध्यप्रदेश में गुरुवार को मिले 420 कोरोना के नए मरीज, 34 की मृत्यु:अबतक संक्रमितों की संख्या 7,87,175 और मृतकों की संख्या 8475 हुई attacknews.in

भोपाल, 10 जून। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के 420 नये मामले सामाने आये है, वहीं इस महामारी से 34 लोगों की जान चली गयी।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से देर शाम जारी बुलेटिन के अनुसार आज 76,469 सैंपल की जांच में 420 लोगों में कोरोना संक्रमण के लक्षण मिले है।

और वहीं 7,6049 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव पाये गये।

वहीं 375 सैंपल को रिजेक्ट कर दिया गया।

आज संक्रमण दर 0़ 5 प्रतिशत रही।

इस तरह राज्य में अब तक 7,87,175 लोग संक्रमित हो चुके हैं, हलाकि इनमें से अब तक 7,72,375 लोग ठीक हो चुके हैं।

वर्तमान स्थिति में एक्टिव केस (उपचाररत मरीज) की संख्या 6325 है।

आज 34 लोगों की मृत्यु दर्ज किए जाने के साथ ही अब तक 8475 संक्रमितों की मौत हुयी है।

वहीं आज राज्य भर से 1132 लोग संक्रमण से मुक्त हुए है।

राज्य के इंदौर में 129, भोपाल 107, ग्वालियर में 7, जबलपुर में 37, उज्जैन में 9, रतलाम में 6, सागर में 9, रीवा में 8, खरगोन में 8 नये मामले सामने आये हैं।

कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप अत्यधिक संक्रामक,ब्रिटेन में 12 से 20 वर्ष के लोगों के बीच बहुत तेजी से फैला,सबसे पहले भारत में अक्टूबर माह में सामने आया, 62 देशों में फैल चुका है attacknews.in

बाइडन, डॉ.फाउची ने कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के प्रति आगाह किया

वाशिंगटन, 10 जून । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके मुख्य सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची ने आगाह किया है कि नोवेल कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप अत्यधिक संक्रामक है और ब्रिटेन में यह 12 से 20 वर्ष के लोगों के बीच बहुत तेजी से फैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में कहा था कि कोविड-19 का डेल्टा स्वरूप या ‘B1.617.2’ स्वरूप सबसे पहले भारत में गत अक्टूबर माह में सामने आया था और अब यह 62 देशों में फैल चुका है।

बाइडन ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘मित्रों, कोविड-19 का अत्यधिक संक्रामक स्वरूप ‘डेल्टा’ ब्रिटेन में 12 से 20 वर्ष के लोगों के बीच बहुत तेजी से फैल रहा है। आप युवा हैं और यदि अभी तक आपने टीका नहीं लगवाया है तो अब समय आ गया है कि आप इसे लगवा लें। अपने आप को और अपने प्रियजन की रक्षा का यह सर्वश्रेष्ठ तरीका है।’’

एलर्जी एवं संक्रामक रोगों के राष्ट्रीय संस्थान (एनआईएआईडी) के निदेशक डॉ. फाउची ने कहा कि अमेरिका में जिन मामलों की जिनोम श्रंखला देखी जा रही है उनमें से छह फीसदी से अधिक मामलों में डेल्टा स्वरूप पाया गया है तथा वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि जिनोम श्रंखला केवल कुछ ही मामलों देखी जा रही है।

डॉ. फाउची ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘ब्रिटेन में यह स्वरूप (डेल्टा) हावी हो चुका है और एक अनुमान के मुताबिक वहां पर नए मामलों में से 60 फीसदी इसी की वजह से हैं। यह ब्रिटेन में सबसे पहले सामने आए अल्फा स्वरूप या B.1.1.7 के मुकाबले अधिक फैल चुका है तथा 12 से 20 वर्ष के लोग इससे बहुत तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। हम अमेरिका में यह नहीं होने दे सकते।’’

राष्ट्रपति जो बाइडन ने चार जुलाई तक 70 फीसदी अमेरिकियों को टीके की कम से कम एक खुराक देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।