केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को और चार महीने मार्च 2022 तक विस्तार देने को मंजूरी दी,सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह 5 किलो अनाज निःशुल्क attacknews.in

नईदिल्ली 24 नवम्बर ।प्रधानमंत्री द्वारा सात जून, 2021 को राष्ट्र के नाम सम्बोधन में लोकहित में की गई घोषणा तथा कोविड-19 के संदर्भ में आर्थिक पहलों के हिस्से के रूप में मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई-चरण पांच) को और चार महीने, यानि दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक विस्तार देने को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) [अन्त्योदय अन्न योजना एवं प्राथमिकता प्राप्त घरों] के दायरे में आने वाले सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह पांच किलो अनाज निःशुल्क प्राप्त होता रहेगा।

इस योजना का पहला और दूसरा चरण क्रमशः अप्रैल से जून 2020 और जुलाई से नवंबर, 2020 में परिचालन में था। योजना का तीसरा चरण मई से जून, 2021 तक परिचालन में रहा। योजना का चौथा चरण इस समय जुलाई-नवंबर, 2021 के दौरान चल रहा है।

पीएजीकेएवाई योजना का पांचवां चरण दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक चलेगा, जिसमें अनुमानित रूप से 53344.52 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी दी जायेगी।

पीएमजीकेएवाई के पांचवें चरण के लिये खाद्यान्न का कुल उठान लगभग 163 लाख मीट्रिक टन होने की संभावना है।

यह याद रहे कि पिछले वर्ष देश में अप्रत्याशित रूप से कोविड-19 महामारी फैलने के कारण आने वाली आर्थिक अड़चनों को मद्देनजर रखते हुये, सरकार ने मार्च 2020 में घोषणा की थी कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत प्रति व्यक्ति, प्रति माह के हिसाब से पांच किलोग्राम अतिरिक्त रूप से निःशुल्क अनाज (चावल/गेहूं) दिया जायेगा, जो नियमित मासिक एनएफएसए खाद्यान्न, यानी उनके राशन कार्ड पर नियमित रूप से देय खाद्यान्न से अधिक होगा, ताकि गरीब, जरूरतमंद और जोखिम वाले घरों/लाभार्थियों को आर्थिक संकट के दौरान समुचित अनाज की अनुपलब्धता की वजह से वंचित न होना पड़े। अब तक पीएम-जीकेएवाई (एक से चार चरण तक) के तहत विभाग ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कुल मिलाकर लगभग 600 लाख मीट्रिक टन का आवंटन किया है, जो लगभग 2.07 लाख करोड़ रुपये की खाद्यान्न सब्सिडी के बराबर है।

पीएमजीकेएवाई-चौथे चरण के अंतर्गत वितरण इस समय चल रहा है और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक, अब तक 93.8 प्रतिशत अनाज उठा लिया गया है और लगभग 37.32 एलएमटी (जुलाई 2021 का 93.9 प्रतिशत), 37.20 एलएमटी (अगस्त 2021 का 93.6 प्रतिशत), 36.87 एलएमटी (सितंबर 2021 का 92.8 प्रतिशत), 35.4 एलएमटी (अक्टूबर 2021 का 89 प्रतिशत) और 17.9 एलएमटी (नवंबर, 2021 का 45 प्रतिशत) अनाज क्रमशः लगभग 74.64 करोड़, 74.4 करोड़, 73.75 करोड़, 70.8 करोड़ और 35.8 करोड़ लाभार्थियों को वितरित किया गया।

पहले पूर्ण हुए चरणों के अनुभव को देखते हुए पीएमजीकेएवाई-चरण पांच के प्रदर्शन के बारे में भी यही आशा है कि वह भी पहले के चरणों के उसी उच्चस्तर पर ही कायम रहेगा।

कुल मिलाकर पीएमजीकेएवाई चरण एक से पांच में सरकार को लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये का खर्च आयेगा।


कैबिनेट ने केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव में बिजली वितरण और खुदरा आपूर्ति कारोबार के निजीकरण को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव (डीएनएच और डीडी) में बिजली वितरण कारोबार के निजीकरण के लिए कंपनी (विशेष प्रयोजन कंपनी) के गठन, उच्चतम बोली लगाने वाले को नवगठित कंपनी के इक्विटी शेयर की बिक्री एवं कर्मचारियों की देनदारियों को पूरा करने के लिए ट्रस्ट के गठन को मंजूरी दे दी है।

उक्त निजीकरण प्रक्रिया, डीएनएच एंड डीडी के 1.45 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाओं तथा वितरण में परिचालन सुधार और कार्य-कुशलता से सम्बंधित वांछित परिणामों को पूरा करेगी तथा देश भर में अन्य सेवा प्रदाता कंपनियों के अनुकरण के लिए एक मॉडल प्रदान करेगी। इससे प्रतिस्पर्धा में और वृद्धि होगी, बिजली उद्योग को मजबूती मिलेगी एवं बकाया धनराशि की वसूली में भी मदद मिलेगी।

मई 2020 में, भारत सरकार ने संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की घोषणा की थी। सुधार के प्रमुख उपायों में एक थी- बिजली वितरण सेवा प्रदाता कंपनियों के निजीकरण के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण और खुदरा आपूर्ति में सुधार करना, ताकि बिजली वितरण में निजी क्षेत्र की दक्षता का लाभ उठाया जा सके।

एक एकल वितरण कंपनी यानी डीएनएच-डीडी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड को पूर्ण स्वामित्व वाली सरकारी कंपनी के रूप में निगमित किया जाएगा और नवगठित कंपनी में स्थानांतरित कर्मियों के सेवा-लाभों के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट (ट्रस्टों) का गठन किया जाएगा। दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव विद्युत (पुनर्गठन एवं सुधार) स्थानान्तरण योजना, 2020 के अनुसार नवगठित कम्पनी में सम्पत्तियों, दायित्वों, कार्मिकों आदि का स्थानान्तरण किया जायेगा।


केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं (एक्रॉस)” की समग्र योजना को 14वें वित्त आयोग से लेकर अगले वित्त आयोग के चक्र (2021-2026) तक जारी रखने की मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं (एक्रॉस)” की समग्र योजना को उसकी आठ उप-योजनाओं के साथ कुल 2,135 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अगले पांच साल यानी 2021-2026 के वित्तीय चक्र तक जारी रखने को अपनी मंजूरी दे दी है।

यह योजना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) जैसी इकाइयों के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है।

विवरण:

एक्रॉस योजना, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के वायुमंडलीय विज्ञान कार्यक्रमों से संबंधित है और यह मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाओं के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देती है। इनमें से प्रत्येक पहलू को “एक्रॉस” की समग्र योजना के तहत आठ उप-योजनाओं के रूप में शामिल किया गया है और इनका कार्यान्वयन उपरोक्त चार संस्थानों के माध्यम से एकीकृत तरीके से किया जाता है।

कार्यान्वयन की रणनीति और लक्ष्य:

एक्रॉस योजना के तहत आने वाली आठ उप-योजनाएं अपनी प्रकृति में बहुआयामी हैं और उन्हें मौसम एवं जलवायु के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए आईएमडी, आईआईटीएम, एनसीएमआरडब्ल्यूएफ और आईएनसीओआईएस के माध्यम से एकीकृत तरीके से लागू किया जाएगा। निम्नलिखित आठ योजनाओं के माध्यम से उपरोक्त कार्यों को पूरा करने में इनमें से प्रत्येक संस्थान की एक निर्दिष्ट भूमिका है:

(i) पोलारिमेट्रिक डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) की शुरुआत-आईएमडी

(ii) पूर्वानुमान प्रणाली का उन्नयन-आईएमडी

(iii) मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाएं-आईएमडी

(iv) वायुमंडलीय प्रेक्षण नेटवर्क-आईएमडी

(v) मौसम एवं जलवायु की संख्यात्मक मॉडलिंग -एनसीएमआरडब्ल्यूएफ

(vi) मानसून मिशन III- आईआईटीएम /एनसीएमआरडब्ल्यूएफ/ आईएनसीओआईएस/ आईएमडी

(vii) मानसून संवहन, बादल और जलवायु परिवर्तन (एमसी4)-आईआईटीएम/ एनसीएमआरडब्ल्यूएफ/आईएमडी

(viii) उच्च प्रदर्शन वाली कंप्यूटिंग प्रणाली (एचपीसीएस)-आईआईटीएम/एनसीएमआरडब्ल्यूएफ

रोजगार सृजन की संभावना सहित प्रमुख प्रभाव:

यह योजना बेहतर तरीके से मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में पूर्वानुमान एवं सेवाएं और अन्य जोखिम संबंधी सेवाएं प्रदान करेगी ताकि अंतिम उपयोगकर्ता को सार्वजनिक मौसम सेवा, कृषि-मौसम विज्ञान सेवाओं, विमानन सेवाओं, पर्यावरण निगरानी सेवाओं, जल-मौसम विज्ञान सेवाओं, जलवायु सेवाओं, पर्यटन, तीर्थयात्रा, बिजली उत्पादन, जल प्रबंधन, खेल और रोमांच आदि से संबंधित लाभ पर्याप्त रूप से सुनिश्चित हो। पूर्वानुमान से जुड़ी सूचनाओं को तैयार करने से लेकर इनके वितरण तक की पूरी प्रक्रिया में हर स्तर पर काफी संख्या में श्रमशक्ति की जरूरत होती है, जिससे कई लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

पृष्ठभूमि:

मौसम, जलवायु एवं समुद्र से संबंधित मापदंडों का पर्यवेक्षण करना और जलवायु विज्ञान एवं जलवायु सेवाओं को विकसित करने पर ध्यान देने सहित सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के लिए मौसम, जलवायु और खतरे से संबंधित घटनाओं की भविष्यवाणी करने की क्षमता को विकसित करने और उसमें सुधार लाने के लिए अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को अंजाम देना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के विभिन्न अधिदेशों में से एक है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण बेहद खराब मौसम की बढ़ती घटनाओं और बेहद खराब मौसम से जुड़े जोखिमों ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) को विभिन्न लक्ष्य आधारित कार्यक्रम तैयार करने के लिए प्रेरित किया है। इन कार्यक्रमों को आईएमडी, आईआईटीएम, एनसीएमआरडब्ल्यूएफ और आईएनसीओआईएस के माध्यम से एकीकृत तरीके से लागू किया जाता है। इसी वजह से, इन गतिविधियों को “एक्रॉस” की समग्र योजना के तहत एक साथ रखा गया है।


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अम्ब्रेला योजना “महासागर सेवाएं, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट)” को जारी रखने की मंजूरी दी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय की 2,177 करोड़ रुपए की लागत वाली अम्ब्रेला योजना “समुद्री सेवाएं, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट)” को 2021-26 की अवधि के दौरान जारी रखने की मंजूरी दे दी है।

इस योजना में सात उप-योजनाएं शामिल हैं, जैसे कि समुद्री प्रौद्योगिकी, समुद्री मॉडलिंग और परामर्श सेवाएं (ओएमएएस), समुद्री अवलोकन नेटवर्क (ओओएन), समुद्री निर्जीव (नॉन-लिविंग) संसाधन, समुद्री सजीव संसाधन एवं इको-सिस्टम (एमएलआरई), तटीय अनुसंधान एवं अनुसंधान पोतों का संचालन और रख-रखाव। इन उप-योजनाओं को राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), चेन्नई, भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद, राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर), गोवा, समुद्री सजीव संसाधन एवं इकोलॉजी केंद्र (सीएमएलआरई), कोच्चि, और राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर), चेन्नई जैसे मंत्रालय के स्वायत्त/संबद्ध संस्थानों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। साथ ही, इस कार्य में अन्य राष्ट्रीय संस्थानों को भी शामिल किया जाता है। इस योजना के लिए मंत्रालय का समुद्र विज्ञान और तटीय अनुसंधान पोतों का एक बेड़ा अनुसंधान कार्य में आवश्यक सहायता प्रदान करता है।

भारत में महासागरों से संबंधित अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के विकास की शुरुआत महासागर विकास विभाग (डीओडी) द्वारा शुरू की गई थी, जिसे 1981 में स्थापित किया गया था। इसे बाद में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में मिला दिया गया और तब से यह कार्य निरंतर चल रहा है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने राष्ट्रीय लाभ के लिए प्रौद्योगिकी विकास, पूर्वानुमान सेवाओं, क्षेत्र प्रतिष्ठानों, अन्वेषणों, सर्वेक्षण, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से समुद्र विज्ञान अनुसंधान में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। हमारे महासागरों के निरंतर अवलोकन, प्रौद्योगिकियों के विकास तथा हमारे समुद्री संसाधनों (सजीव और निर्जीव दोनों) के दोहन के लिए और समुद्र विज्ञान में अग्रणी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अन्वेषी सर्वेक्षणों के आधार पर सतत पूर्वानुमान और सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से समुद्र विज्ञान अनुसंधान गतिविधियों को शामिल करते हुए ओ-स्मार्ट योजना को लागू किया जा रहा है।

इस योजना की गतिविधियों के माध्यम से कई उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की गई हैं। हिंद महासागर के आवंटित क्षेत्र में गहरे समुद्र में पॉली मेटैलिक नोड्यूल्स (पीएमएन) और हाइड्रोथर्मल सल्फाइड के खनन पर व्यापक अनुसंधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) में एक अग्रणी निवेशक के रूप में भारत की मान्यता मिलना इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है। लक्षद्वीप के द्वीपों में निम्न तापमान के इस्तेमाल से विलवणीकरण का उपयोग कर विलवणीकरण संयंत्र की स्थापना के लिए प्रौद्योगिकी का विकास करना भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके अलावा, भारत की महासागर संबंधी गतिविधियों को अब आर्कटिक से अंटार्कटिक क्षेत्र तक विस्तारित किया गया है, जिसमें बड़े समुद्री स्थान शामिल हैं, जिनकी निगरानी इन-सीटू और उपग्रह-आधारित अवलोकन के माध्यम से की गई है। भारत ने अंतर-सरकारी क्षेत्र में वैश्विक महासागर प्रेक्षण प्रणाली के हिंद महासागर घटक के कार्यान्वयन में नेतृत्व की भूमिका निभाई है।

हिंद महासागर में मूर्ड और ड्रिफ्टर्स दोनों प्रकार के प्रेक्षण नेटवर्कों के माध्यम से समुद्र विज्ञान आयोग को तैनात और अनुरक्षित किया गया है। ये प्रेक्षण नेटवर्क मछली पकड़ने के संभावित स्थान और प्राकृतिक तटीय जोखिम चेतावनी के लिए समुद्री पूर्वानुमान सेवाएं प्रदान करता है, जो पड़ोसी देशों के साथ-साथ कई देशों के हितधारकों के लिए चक्रवात और सुनामी से जुड़े तूफान की चेतावनी देता है। भारत और हिंद महासागर के देशों के लिए सेवाएं प्रदान करने के लिए आईएनसीओआईएस, हैदराबाद में सुनामी, तूफान की लहरों जैसी समुद्री आपदाओं के लिए एक अत्याधुनिक तत्काल चेतावनी प्रणाली स्थापित की गई हैं, जिसे यूनेस्को द्वारा मान्यता दी गई है। भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और भारत के महाद्वीपीय शेल्फ में समुद्र के संसाधनों, महासागर से संबंधित चेतावनी सेवाओं, नेविगेशन आदि की पहचान के लिए राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए व्यापक सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है। समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और संरक्षण के उद्देश्य से ईईजेड और हिंद महासागर की गहराई वाले संसाधनों के मानचित्रण सहित समुद्री इको-सिस्टम में जीवित संसाधनों का मूल्यांकन शामिल है। मंत्रालय तटरेखा परिवर्तन और समुद्री इको-सिस्टम सहित भारत के तटवर्ती समुद्र के स्वास्थ्य की निगरानी भी कर रहा है।

ओ-स्मार्ट एक बहु-विषयक सतत योजना होने के कारण, मौजूदा व्यापक अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्र की क्षमता निर्माण में वृद्धि होगी। वर्तमान दशक को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा सतत विकास के लिए समुद्र विज्ञान के दशक के रूप में घोषित किया गया है और इस योजना को जारी रखने से वैश्विक समुद्र विज्ञान अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास में हमारा निश्चय मजबूत होगा। इस योजना के जारी रहने से विशाल महासागरीय संसाधनों के सतत तरीके से प्रभावी और कुशल उपयोग के लिए नीली अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय नीति में महत्वपूर्ण योगदान होगा। तटीय अनुसंधान और समुद्री जैव विविधता संबंधी गतिविधियों के माध्यम से महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य-14 को प्राप्त करने के प्रयासों को शामिल किया जा रहा है। समुद्री पर्यावरण में काम कर रहे समुदायों और कई क्षेत्रों को लाभान्वित करने वाली समुद्री चेतावनी सेवाओं और प्रौद्योगिकियों के माध्यम से राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है और विशेष रूप से भारत के तटीय राज्यों में इसे निरंतर जारी रखा जा रहा है।

अगले पांच वर्षों (2021-26) में समुद्री क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपयोग करके, विभिन्न तटीय हितधारकों के लिए पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाएं प्रदान करके, समुद्री जीवन के लिए संरक्षण रणनीति की दिशा में जैव विविधता को समझने तथा तटीय प्रक्रिया को समझने की दिशा में चल रही गतिविधियों को मजबूत करने के लिए यह योजना व्यापक कवरेज प्रदान करेगी।


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम) को अगले पांच वर्षों के लिए जारी रखने की मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने शिक्षा मंत्रालय की राष्‍ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) के तहत वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक (31 मार्च 2026 तक) की अवधि के लिए अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण प्राप्‍त करने वाले प्रशिक्षुकों को 3,054 करोड़ रुपये की वृत्तिका सहायता देने के लिए अपनी मंजूरी दी है।

उद्योग और वाणिज्यिक संगठनों द्वारा लगभग 9 लाख प्रशिक्षुकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। एनएटीएस भारत सरकार की एक सुस्थापित योजना है, जिसने सफलतापूर्वक अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण प्राप्‍त करने वाले छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाने में योगदान दिया है।

इंजीनियरिंग, मानविकी, विज्ञान और वाणिज्य में स्नातक और डिप्लोमा कार्यक्रम पूरा करने वाले प्रशिक्षुकों को क्रमशः 9,000/- रुपये और 8,000/- रुपये प्रति माह की वृत्तिका (स्टाइपेन्ड) दी जाएगी।

सरकार ने अगले पांच वर्षों के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के व्‍यय को मंजूरी दी है, जो पिछले पांच वर्षों के दौरान किए गए व्यय से लगभग 4.5 गुना अधि‍क है। अप्रेंटिसशिप में यह बढ़ा हुआ व्‍यय राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा अप्रेंटिसशिप को दिए गए महत्‍व के अनुरूप है।

‘‘सबका साथ, सबका विकास-सबका विश्वास, सबका प्रयास’’ के बारे में सरकार द्वारा दिए जा रहे जोर को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग स्ट्रीम के छात्रों के अलावा मानविकी, विज्ञान और वाणिज्य के छात्रों को भी इस योजना में शामिल करने के लिए एनएटीएस के दायरे का और विस्तार किया गया है। इस योजना का उद्देश्य कौशल इको-सिस्‍टम को मजबूत करते हुए कौशल स्तर के मानकों में बढ़ोतरी करना है, जिसके परिणामस्वरूप यह योजना अगले पांच वर्षों में लगभग 7 लाख युवाओं को रोजगार उपलब्‍ध कराएगी।

एनएटीएस उत्‍पादन से जुड़े प्रोत्‍साहन (पीएलआई) के तहत मोबाइल विनिर्माण, चिकित्सा उपकरण विनिर्माण, फार्मा क्षेत्र, इलेक्ट्रॉनिक्स/प्रौद्योगिकी उत्पाद, ऑटोमोबाइल क्षेत्र जैसे उभरते क्षेत्रों में अप्रेंटिसशिप उपलब्‍ध कराएगी। यह योजना ‘गतिशक्ति’ के तहत पहचान किए गए कनेक्टिविटी/लॉजिस्टिक उद्योग क्षेत्रों के लिए कुशल मानवशक्ति भी तैयार करेगी

भारत को 13 देशों से मिली सहायता सामग्री;कोविड महामारी से मुकाबले के लिए 9 ऑक्सीजन जेनेरेटर, 2116 कन्सन्ट्रेटर, 1379 सिलेंडर एवं 965 वेंटीलेटर एवं सहायक उपकरण तथा करीब एक लाख 36 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन शामिल attacknews.in

नयी दिल्ली 03 मई । भारत में कोविड महामारी से मुकाबले के लिए अब तक 13 देशों से सहायता सामग्री प्राप्त हुई है जिनमें नौ ऑक्सीजन जेनेरेटर, 2116 ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर, 1379 सिलेंडर एवं 965 वेंटीलेटर एवं सहायक उपकरण तथा करीब एक लाख 36 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन शामिल हैं।

सरकार के आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन, मॉरीशस, सिंगापुर, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, आयरलैंड, रोमानिया, अमेरिका, थाईलैंड, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम और इटली से सहायता सामग्री आयी है। रूस से करीब डेढ़ लाख स्पूतनिक-5 वैक्सीन भी भेजी है।

ये सामग्री 27 अप्रैल से लेकर रविवार दो मई तक प्राप्त हुई है। इसके अलावा सऊदी अरब से समुद्र के रास्ते 80 टन द्रवीकृत मेडिकल ऑक्सीजन आ रही है। फ्रांस ने भारत को अस्पताल में ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले आठ अत्याधुनिक संयंत्र प्रदान किये हैं। प्रत्येक नोवएयर प्रीमियम आर एक्स 400 हॉस्पिटल लेवल ऑक्सीजन जेनेरेटर 250 बिस्तरों को सालभर तक ऑक्सीजन दे सकता है। ये ऑक्सीजन जेनेरेटर आठ अस्पतालों को दस साल से अधिक समय तक अनवरत प्राणवायु प्रदान करने में सक्षम है। सरकार ने प्राथमिकता एवं आवश्यकता के आधार पर उन आठ अस्पतालों को पहले से चिह्नित कर लिया है जहां ये संयंत्र लगाये जाएंगे। इनमें से कम से कम चार अस्पताल दिल्ली के हैं। इससे कई महत्वपू्र्ण स्थानों पर ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर राहत मिल सकेगी।

विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला के अनुसार सरकार मुख्य रूप से आक्सीजन उत्पादक संयंत्र, कन्सन्ट्रेटर, आक्सीजन सिलेंडर, क्रायोजेनिक टैंकर सहित तरल आक्सीजन हासिल करने पर फोकस कर रही है। चिकित्सा आपूर्ति सीधी खरीद एवं अन्य माध्यमों से लाई जा रही है।

उनका कहना है कि अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन समेत 40 से अधिक देशों ने भारत की मदद के लिए मेडिकल सामग्री एवं ऑक्सीजन संबंधी उपकरण देने की पेशकश की है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से 500 से अधिक ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, 4 हजार ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर, 10 हजार ऑक्सीजन सिलेंडर आ रहे हैं।

भारत का मानना है कि कोविड महामारी ने विश्व के समक्ष एक अभूतपूर्व परिस्थितियां पैदा कर दीं हैं और इस महामारी से दुनिया को एकजुट होकर ही निपटना होगा।

नागरिकता संशोधन विधेयक समेत 6 विधेयकों को कैबिनेट की मंजूरी, लोकसभा और विधान सभाओं में आरक्षण की अवधि बढ़ाई attacknews.in

नईदिल्ली 4 दिसम्बर ।केन्द्र ने बहुप्रतीक्षित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 सहित छह महत्वपूर्ण विधेयकाें को आज मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।

सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाताओं को बताया कि बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक और अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण को दस साल बढ़ाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी गयी है। इसके अलावा संस्कृत के तीन डीम्ड विश्वविद्यालयों को मिला कर एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने संबंधी विधेयक, निजी डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले विधेयक, वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल, स्वास्थ्य आदि की चिंता करने वाला विधेयक और श्रमसुधार संंबंधित विधेयक तथा जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक को वापस लेने को भी मंजूरी दी गयी। उन्होंने कहा कि निजी डाटा की सुरक्षा का विधेयक भारत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाया गया है।

यह पूछे जाने पर कि नागरिकता विधेयक में क्या नये प्रावधान एवं संशोधन शामिल किये गये हैं, श्री जावड़ेकर ने कहा कि विधेयक को संसद में पेश करने के बाद ही इसके बारे में कुछ बताया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक में सभी नागरिकों के हितों की रक्षा की गयी है और ऐसे प्रावधान किये गये हैं जिनका सभी लोग स्वागत करेंगे।

यह पूछे जाने पर कि इस विधेयक को संसद में कब पेश किया जाएगा, सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि विधेयक को सदन में गुरुवार या शुक्रवार को पेश किया जा सकता है लेकिन इसका निर्णय संसद करेगी। यह कहे जाने पर कि इस विधेयक का असम में विरोध शुरू हो गया है, श्री जावड़ेकर ने कहा कि विधेयक को संसद में आने दीजिये। लोग इसके प्रावधान जानकर इसका स्वागत ही करेंगे।

पत्रकारों ने जब अन्य विधेयकों के बारे में पूछा तो उन्होंने यह कह कर उसके प्रावधानों को बताने से इन्कार किया कि संसद में पेश किये जाने के बाद ही जानकारी मिल पाएगी।

उन्होंने कहा कि आरक्षण को दस साल के लिए लागू किया जाता है और सामाजिक न्याय की दिशा में उसकी समीक्षा के बाद उसकी अवधि बढ़ायी जाती है। अब आरक्षण की अवधि को 2020 से 2030 तक के लिए बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दे दी है।

उन्होंने बताया कि श्रम मामलों से जुड़े कुल 44 कानून थे और श्रम सुधारों के तहत जिन्हें मिला कर चार कर दिया गया था। इनमें से एक विधेयक को स्थायी समिति को भेजा गया है और एक पारित हो चुका है। एक विधेयक लंबित है और चाैथे को पेश किया जाना है। मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है।

नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी :

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जिस नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दी उसका कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं ।

इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।

सूत्रों ने बताया कि 1955 के नागरिकता अधिनियम को संशोधन करने वाले इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई ।

विपक्षी दल इस विधेयक को बांटने वाला एवं साम्प्रदायिक बता रहे हें । इसे भाजपा की विचारधारा से जुड़े महत्वपूर्ण आयाम का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें शरणार्थी के तौर पर भारत में रहने वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है । इनमें से ज्यादातर लोग हिन्दू हैं । इसके माध्यम से उन्हें उस स्थिति में संरक्षण प्राप्त होगा जब केंद्र सरकार देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजी की योजना को आगे बढ़ायेगी ।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने इसकी तीखी आलोचना की है ।

नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर विरोध जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि इससे संविधान का मूलभूत सिद्धान्त कमतर होता है।

थरूर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि विधेयक असंवैधानिक है क्योंकि विधेयक में भारत के मूलभूत विचार का उल्लंघन किया गया है। वो लोग जो यह मानते हैं कि धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्धारण होना चाहिए…इसी विचार के आधार पर पाकिस्तान का गठन हुआ।’’

उन्होंने कहा कि हमने सदैव यह तर्क दिया है कि राष्ट्र का हमारा वह विचार है जो महात्मा गांधी, नेहरूजी, मौलाना आजाद, डा. आंबेडकर ने कहा कि धर्म से राष्ट्र का निर्धारण नहीं हो सकता।’’ यह विधेयक लोकसभा में पारित हो जायेगा क्योंकि निचले सदन में भाजपा को बड़ा बहुमत है । राज्यसभा में भी उसे कोई गंभीर अवरोध की संभावना नहीं है क्योंकि अतीत में उसे बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन मिला है ।

गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस विषय पर राजनीतिक दलों एवं पूर्वोत्तर के नागरिक समूहों से व्यापक चर्चा की है और उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है ।

राज्यों को अवैध प्रवासियों की पहचान व कार्रवाई करने के लिए कहा गया : केंद्र

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि अवैध प्रवासियों के मामलों में सरकार तत्पर है और कार्रवाई किए जाने के कारण ऐसे लोगों की संख्या में खासी कमी आयी है।

राय ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने बताया कि 2008-13 के बीच 29 लाख लोग यात्री के रूप में भारत में आए। वे इलाज के लिए, व्यापारी या पर्यटक के रूप में यहां आए। वहीं 2014 से 2017 के बीच ऐसे यात्रियों की संख्या बढ़कर 56 लाख हो गई। ऐेसे यात्रियों में से कई लोग वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी यहीं रह गए। उन्होंने कहा कि केंद्र ने राज्यों को ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए अधिकृत किया है। उन्होंने बताया कि 2008 से 2013 के बीच अवैध प्रवासियों की संख्या 1.34 लाख थी जो 2014 से 2017 के बीच घटकर एक हजार रह गयी।

राय ने कहा कि अवैध प्रवासी देश में वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना चोरी-छिपे और छल से प्रवेश कर जाते हैं। बांग्लादेशी नागरिकों सहित अवैध रूप से रहने वाले विदेशी लोगों का पता लगाना और उनका निर्वासन एक सतत प्रक्रिया है।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया है जिनमें उन्हें अवैध प्रवासियों की पहचान करने, उनकी बायोग्राफिक और बायोमीट्रिक संबंधित जानकारियां एकत्र करने, जाली भारतीय दस्तावेज रद्द करने और कानूनी प्रावधानों के अनुसार निर्वासन की कार्यवाही आदि के लिए विधि प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को सूचना देने की सलाह दी गयी है।

उन्होंने कहा कि गलत ढंग से आधार कार्ड प्राप्त करने वाले अवैध प्रवासियों की जानकारियां उपयुक्त कानूनी कार्रवाई के लिए यूआईडीएआई के साथ साक्षा करने की भी सलाह दी गयी है।

राय ने कहा कि अवैध प्रवासियों द्वारा जालसाजीपूर्वक प्राप्त किसी पहचान संबंधी दस्तावेज जैसे वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड आदि निरस्त करने के लिए भी राज्यों से कहा गया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा, विधानसभाओं में एससी/एसटी आरक्षण की मियाद बढ़ाई:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि को और 10 साल के लिए बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी।

इन श्रेणियों के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2020 को समाप्त हो जाती।

सरकार आरक्षण की मियाद बढ़ाने के लिए इस सत्र में एक विधेयक लाएगी।

एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि विधायिका में एससी और एसटी के लिए आरक्षण संवैधानिक संशोधनों के जरिए किया जाता है जबकि इन श्रेणियों के लिए नौकरियों में इस तरह का आरक्षण देने का फैसला संबंधित राज्य सरकारें करती हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत निर्वाचन आयोग और मालदीव के चुनाव आयोग के बीच चुनाव प्रबंधन एवं प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग के लिए एमओयू को मंजूरी दी:

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत निर्वाचन आयोग और मालदीव के चुनाव आयोग के बीच चुनाव प्रबंधन एवं प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसमें चुनाव प्रक्रिया के संगठनात्मक और तकनीकी विकास के क्षेत्र में जानकारियों एवं अनुभव का आदान-प्रदान, सूचना साझा करने में सहयोग, संस्थागत मजबूती एवं क्षमता निर्माण, कर्मचारियों का प्रशिक्षण और नियमित आधार पर विचार-विमर्श आदि शामिल है।

प्रस्तावित एमओयू द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगा। इसका लक्ष्य मालदीव के चुनाव आयोग को तकनीकी सहायता/क्षमता निर्माण में सहायता देना, चुनाव प्रबंधन एवं प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग पर ध्यान देना है।

मंत्रिमंडल ने रेलवे में जर्मनी के साथ अनुबंध को मंजूरी दी:

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को रेल के क्षेत्र में रणनीतिक परियोजनाओं पर सहयोग से संबंधित भारत और जर्मनी के बीच संयुक्‍त आशय घोषणा (जेडीआई) की जानकारी दी गई। संयुक्‍त आशय घोषणा (जेडीआई) पर पिछले महीने हस्‍ताक्षर हुए थे।

लाभ:

जर्मनी फेडरल गणराज्‍य के आर्थिक मामलों तथा ऊर्जा मंत्रालय के साथ संयुक्‍त आशय घोषणा (जेडीआई) भारतीय रेल को रेलवे के क्षेत्र में नवीनतम विकास और ज्ञान को साझा करने का मंच उपलब्‍ध कराएगा। संयुक्‍त आशय घोषणा (जेडीआई) सूचनाओं के आदान-प्रदान, विशेषज्ञों की बैठक, सेमिनार तकनीकी दौरे तथा संयुक्‍त सहमति के सहयोगी परियोजनाओं के क्रियान्‍वयन की सुविधा प्रदान करेगा।

पृष्‍ठभूमि:

रेल मंत्रालय ने विभिन्‍न विदेशी सरकारों व नेशनल रेलवे साथ रेल क्षेत्र में प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों/सहयोग ज्ञापनों/ प्रशासनिक व्‍यवस्‍थाओं/संयुक्‍त आशय घोषणा-पत्रों पर हस्‍ताक्षर किए हैं। सहयोग के इन क्षेत्रों में शामिल हैं- हाई स्‍पीड रेल, वर्तमान रेल मार्गों पर गति तेज करना, विश्‍वस्‍तरीय स्‍टेशनों का विकास, भारी वजन परिचालन, रेल अवसंरचना का आधुनिकीकरण आदि।

समझौता ज्ञापन/सहयोग ज्ञापन/प्रशासनिक व्‍यवस्‍था/संयुक्‍त आशय घोषणा-पत्र विशिष्‍ट प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में एवं जानकारी साझा करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों, रिपोर्टों व तकनीकी दस्‍तावेजों, प्रशिक्षण और सेमिनार/कार्याशाला के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।

प्रगति मैदान पर भू-मुद्रीकरण को मंजूरी, फाइव स्‍टार होटल का निर्माण होगा :

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने योजना को मंजूरी दी है और एसपीवी के पक्ष में 611 करोड़ रूपये के मूल्‍य पर 99 वर्ष के लीज होल्ड के तहत 3.7 एकड़ भूखंड को हस्तांतरित करने के लिए भारत व्‍यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) को अधिकृत किया गया है। फाइव स्टार होटल के विकास और संचालन के लिए भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) तथा भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) एक विशिष्ट उद्देश्य कंपनी का गठन करेंगे।

अंतर्राष्‍ट्रीय प्रदर्शनी और सम्‍मेलन केंद्र (आईईसीसी) परियोजना के कार्यान्‍यवन का कार्य तेजी से चल रहा है और इसके वर्ष 2020-21 तक पूरे होने की संभावना है।

प्रगति मैदान पर होटल निर्माण कार्य जल्‍द समाप्‍त करने के लिए एसपीवी आवश्‍यक कदम उठाएगी, जिनमें शामिल हैं – लंबी अवधि की लीज के आधार पर होटल के निर्माण, संचालन और प्रबंधन के लिए पारदर्शी व प्रतिस्‍पर्धी निविदा प्रक्रिया के तहत तीसरा पक्ष विकासकर्ता व संचालनकर्ता का चयन।

भारत की अवसंरचना और पर्यटन को सर्वश्रेष्‍ठ मानकों और सेवाओं के अनुसार विकसित करने से संबंधित सरकार की दृष्टि के अनुरूप आईटीपीओ प्रगति मैदान का पुर्नविकास कर इसे विश्‍वस्‍तरीय आईईसीसी बनाने के लिए इस मेगा परियोजना का कार्यान्‍वयन कर रहा है। पूरे विश्‍व में होटल सुविधा किसी बैठक, पहल, सम्‍मेलन और प्रदर्शनी (एमआईसीई) का अभिन्‍न अंग होती है।

होटल सुविधा आईईसीसी परियोजना का अभिन्‍न हिस्‍सा है, जो भारत को वैश्‍विक बैठकों, पहलों, सम्‍मेलनों और प्रदर्शनियों (एमआईसीई) के हब के रूप में प्रोत्‍साहन प्रदान करेगा तथा रोजगार सृजन के साथ व्‍यापार व वाणिज्‍य को बढ़ावा देगा। होटल आईईसीसी परियोजना का मूल्‍य संवर्धन करेगा और भारतीय व्‍यापार व उद्योग को लाभ प्रदान करेगा।

इसके अलावा अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार मेले को प्रगति मैदान के इस रूपांतरण से लाभ मिलेगा जिसमें प्रतिवर्ष लाखों की संख्‍या में व्‍यापारी और आम लोग भाग लेते हैं। भाग लेने वाले व्‍यापारियों, उद्यमियों और लोगों को इन आधुनिक सुविधाओं से बहुत लाभ मिलेगा। व्‍यापार मेले में भाग लेने वाले लोगों की संख्‍या में वृद्धि होगी। लोगों को एक प्‍लेटफॉर्म मिलेगा जहां वे अपने व्‍यापार का विस्‍तार कर सकेंगे तथा भारतीय वस्‍तुओं और सेवाओं को बढ़ावा दे सकेंगे।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शुरू करने को मंजूरी दी:

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने भारत बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) बनाने और इसकी शुरुआत करने को मंजूरी दे दी है। इसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू), केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई), केंद्रीय सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों (सीपीएफआई) और दूसरे सरकारी संगठनों के लिए पूंजी के अतिरिक्त स्रोत के तौर पर लाया गया है। भारत बॉन्ड ईटीएफ देश में पहले कार्पोरेट बॉन्ड ईटीएफ होगा।

भारत बॉन्ड ईटीएफ की विशेषताएं:

ईटीएफ सीपीएसई/सीपीएसयू/सीपीएफआई/दूसरे सरकारी संगठनों के बॉन्ड (शुरुआत में सभी एएए बॉन्ड ) के बॉन्डस की बास्केट होगा।

· विनिमय पर व्यापार योग्य।

· 1,000 रुपये की छोटी ईकाई।

· पारदर्शी एनएवी (दिनभर एनएवी का सामयिक लाइव)।

· पारदर्शी पोर्टफोलियो (वेबसाइट पर रोजाना प्रकाशन)।

· कम लागत (0.0005%)।

भारत बॉन्ड ईटीएफ का ढांचाः

· प्रत्येक ईटीएफ की एक निर्धारित परिपक्वता तिथि होगी।

· ईटीएफ जोखिम पुनरावृत्ति के आधार पर बुनियादी सूचकांक पर नजर रखेगा यानी क्रेडिट गुणवत्ता और सूचकांक की औसत परिपक्वता का मिलान करेगा।

· सीपीएसई, सीपीएसयू, सीपीएफआई अथवा दूसरे सरकारी संगठनों के बॉन्ड्स के ऐसे पोर्टफोलियो में निवेश करेगा, जो ईटीएफ की परिपक्वता अवधि से पहले अथवा उसी समय परिपक्व होंगे।

· अभी तक इसमें दो परिपक्वता श्रेणियां है – तीन एवं 10 वर्ष। प्रत्येक श्रेणी में उसी परिपक्वता श्रेणी का एक अलग सूचकांक होगा।

सूचकांक की कार्यप्रणालीः

· सूचकांक का निर्माण एक स्वतंत्र सूचकांक प्रदाता – राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज – द्वारा किया जाएगा

· विशिष्ट परिपक्वता वर्षों – 3 एवं 10 वर्ष को ट्रैक करने वाले विभिन्न सूचकांक।

निवेशकों को भारत बॉन्ड ईटीएफ का लाभः

· बॉन्ड ईटीएफ सुरक्षा (सीपीएसई और दूसरी सरकारी संस्थाओं द्वारा जारी किए गए खास बॉन्ड), नकदी (विनिमय पर व्यापार योग्य) और अनुमानित कर कुशल रिटर्न उपलब्ध कराएगा।

· यह खुदरा निवेशकों को कम राशि के बॉन्ड्स (1,000 रुपये तक) में पहुंच उपलब्ध कराएगा, जिससे बॉन्ड बाजारों में आसान और कम लागत वाली पहुंच मिल सके।

· यह खुदरा निवेशकों की भागीदारी को बढ़ाएगा, जो नकदी और पहुंच में बाधाओं के चलते बॉन्ड बाजारों में भागीदारी नहीं करते हैं।

· कूपन के तौर बॉन्ड की तुलना में मामूली कर की दरों पर बॉन्ड, कर दक्षता लाते हैं। बॉन्ड ईटीएफ सूचीकरण के लाभ के साथ होते हैं, यह निवेशकों को होने वाले पूंजीगत लाभ पर टैक्स में काफी कमी लाता है।

सीपीएसई के लिए भारत बॉन्ड ईटीएफ के लाभ

· बॉन्ड ईटीएफ सीपीएसई, सीपीएसयू, सीपीएफआई और दूसरे सरकारी संगठनों को अपनी कर्ज की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकिंग वित्त व्यवस्था से अलग एक अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध कराता है।

· यह खुदरा और एचएनआई भागीदारी के जरिये उनके निवेशकों का आधार बढ़ाता है, जिससे उनके बॉन्ड की मांग बढ़ सकती है। बॉन्ड की मांग बढ़ने के साथ इसके जारीकर्ता कम लागत पर उधार लेने में सक्षम हो सकते हैं, जिससे एक नियत समयावधि के लिए उधार लेने की उनकी लागत कम हो जाती है।

· विनिमय पर व्यापार से बॉन्ड ईटीएफ बुनियादी बॉन्ड्स के लिए बेहतर कीमत का पता लगाने में मदद करेगा।

· चूंकि सीपीएसई की उधार की जरूरतों का आकलन करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक व्यापक ऋण कैलेंडर तैयार और अनुमोदित किया जाएगा, यह कम से कम इस निवेश की सीमा तक सीपीएसई में उधार अनुशासन को विकसित करेगा।

बॉन्ड बाजारों पर प्रभाव

· नियत लक्ष्य वाले परिपक्वता बॉन्ड ईटीएफ से समूचे कैंलेडर वर्ष में विभिन्न परिपक्वताओं के साथ एक मुनाफा श्रेणी और बॉन्ड ईटीएफ का सोपान बनने की उम्मीद है।

· ईटीएफ से भारत में नए बॉन्ड ईटीएफ को लेकर एक नया ईको-सिस्टम यानी पारिस्थितिकी तंत्र – मार्केट मेकर्स, सूचकांक प्रदाता एवं निवेशकों में जागरुकता – बनने की उम्मीद है।

· इससे भारत में बॉन्ड ईटीएफ का दायरा बढ़ने की संभावना है। इससे व्यापक स्तर पर प्रमुख उद्देश्यों – बॉन्ड बाजारों को मजबूत बनाने, खुदरा भागीदारी को बढ़ाने और उधार लेने की लागत को कम करने – को हासिल किया जा सकेगा।