दमोह में कांग्रेस नेता देवेन्द्र चौरसिया के हत्यारे विधायक राम बाई के पति गोविंद सिंह को पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में किया पेश, भेजा जेल attacknews.in

दमोह/भिण्ड, 28 मार्च । मध्यप्रदेश के दमोह जिले की पथरिया विधानसभा क्षेत्र की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की विधायक श्रीमती राम बाई के पति गोविंद सिंह द्वारा आज सुबह ग्वालियर में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के समक्ष समर्पण करने के बाद गिरफ्तार कर पुलिस ने आज ही दमोह जिले के हटा न्यायालय में पेश किया, जहां पर न्यायाधीश ने उन्हें जेल भेज दिया।

हटा के कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के आरोप में विधायक राम बाई के पति गोविंद सिंह पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। इस मामले में पुलिस और एसटीएफ की टीम उन्हें लगातार तलाश कर रही थी। उन्होंने ग्वालियर में आज सुबह आईजी के समक्ष समर्पण किया। जहां से एसटीएफ की टीम उन्हें लेकर हटा पहुंची। उन्हें न्यायालय में पेश किया गया। न्यायाधीश ने उन्हें जेल दिया है।

हत्या के मामले में फरार विधायक पति गोविंद सिंह भिंड से गिरफ्तार

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद और अधिक सक्रिय हुयी मध्यप्रदेश पुलिस ने हत्या के मामले में काफी लंबे समय से फरार चल रहे विधायक पति आरोपी गोविंद सिंह को आज भिंड जिला मुख्यालय से गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की टीम ने आरोपी को उस समय गिरफ्तार किया, जब वो ग्वालियर चंबल पुलिस के समक्ष समर्पण के लिए जा रहा था। इसके पहले आरोपी की ओर से सोशल मीडिया में एक वीडियो भी जारी किया गया।

बताया गया है कि एसटीएफ और पुलिस ने इसके आधार पर आरोपी को भिंड बस स्टैंड से अपने कब्जे में लिया और उसकी औपचारिक तौर पर गिरफ्तारी दिखायी।

एसटीएफ का दल बसपा विधायक रामबाई परिहार के पति और दमाेह जिले के कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में आरोपी गोविंद सिंह को अपने कब्जे में लेने के बाद आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर दमोह रवाना हुयी।

इस दौरान वह कुछ देर के लिए ग्वालियर में भी रुका।आरोपी को दमोह जिले के न्यायाधीश शैलेंद्र उइके के समक्ष पेश किया गया।अदालत के समक्ष एसटीएफ ने आरोपी को रिमांड पर देने का अनुरोध किया।

हटा क्षेत्र में लगभग दो वर्ष पहले एक कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या की गयी थी।इस मामले में बसपा की चर्चित विधायक रामबाई परिहार के पति गोविंद सिंह को भी आरोपी बनाया गया था।काफी लंबे समय तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होने पर मामला उच्चतम न्यायालय भी पहुंचा।अदालत ने आरोपी को शीघ्र गिरफ्तार करने के निर्देश दिए थे।

इस मामले में भिंड जिले के एक विधायक की भूमिका भी चर्चा में रही।वहीं मामला शीर्ष अदालत में पहुंचने पर पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी पर इनाम की राशि बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दी थी।

पुलिस और एसटीएफ के अनेक दल आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए दिनरात एक कर रहे थे।

इस बीच शुरूआत में खबर आयी कि आरोपी ने ग्वालियर पुलिस के समक्ष समर्पण किया है और वहीं से पुलिस ने उसे अपने कब्जे में लेकर गिरफ्तार किया।

लेकिन एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक नीरज सोनी ने कहा कि उनकी टीम लगातार आरोपी को तलाश रही थी।उन्हें कुछ सूचनाएं मिलीं और इसके आधार पर गोविंद सिंह को रविवार की सुबह भिंड के बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया गया।

इसके बाद उसे न्यायालय में पेश किया गया।

भारत में गुरुवार देर रात में कोरोना के मामले 7.91 लाख के पार,21,595 की मौत, रिकवरी दर 62 फीसदी से अधिक हुई,,देश में सामुदायिक संक्रमण के कोई संकेत नहीं attacknews.in

नयी दिल्ली, 08 जुलाई ।देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के मामले बुधवार को 7.91 लाख के आंकड़े को पार कर गये लेकिन राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर 62 फीसदी से अधिक हो गयी है।

देश में आज मरीजों के स्वस्थ होने की दर बढ़कर 62.37 फीसदी पहुंच गयी जबकि मृत्यु दर महज 2.72 प्रतिशत रही। बुधवार को संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर 62.02 फीसदी रही जबकि मृत्यु दर महज 2.75 प्रतिशत रही। पिछले एक सप्ताह में मरीजों के स्वस्थ होने की दर में करीब तीन फीसदी का इजाफा हुआ है।

देश में तीन मई को कोरोना रिकवरी दर 26.59 प्रतिशत थी जो 31 मई को बढ़कर 47.40 प्रतिशत हो गई और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है।

‘कोविड19इंडियाडॉटओआरजी’ के आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 791559 मामलों की आज रात तक पुष्टि हो चुकी है जबकि सुबह यह संख्या 767296 थी। अब तक कुल 493759 मरीज स्वस्थ हुए हैं जबकि 21595 लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है। अन्य 276104 मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है।

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि सक्रिय मामलों की तुलना में स्वस्थ लोगों की संख्या 2.17 लाख से अधिक है। इससे यह भी साफ है कि देश में अब तक कोरोना वायरस के जितने मरीज आये हैं, उनमें से आधे से अधिक पूरी तरह बीमारी से निजात पा चुके हैं। समय पर कोरोना के संदिग्ध मामलों की जांच और उनका सही तरीके से इलाज की अहम भूमिका रही।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 267061 नमूनों की जांच की गयी जिससे अब तक जांच किये गये नमूनों की कुल संख्या बढ़कर 10740832 हो गयी।

इस दौरान देश में कोविड-19 की जांच करने वाली लैब की संख्या बढ़कर 1132 हो गयी है।

भारत आबादी के लिहाज से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है लेकिन यहां प्रति दस लाख आबादी पर कोरोना के केसों और मौतों की संख्या विश्व में सबसे कम पाई जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने आज बताया कि विश्व में प्रति दस लाख आबादी में कोरोना के औसत मामलों की संख्या 1497 हैं लेकिन भारत में यह आंकडा 538 हैं और चिली जैसे छोटे देश में प्रति दस लाख लोगों में कोरोना के 15747 मामले पाए जा रहे हैं। अमेरिका में यह संख्या 8832 है और विश्व के अन्य देशों में यह ईरान(2925), ब्रिटेन (4218), रूस (4802), स्पेन(5393) हैं।

उन्होंने बताया कि ब्रिटेन और स्पेन में प्रति दस लाख आबादी में लोगों की होने वाली मौतों की संख्या भारत से 40 गुना अधिक है । विश्व में प्रति दस लाख की आबादी मेें कोरोना से होने वाली मौतों का औसत 69.3 लोग है लेकिन भारत में यह 15 व्यक्ति प्रति दस लाख हैं। स्पेन में प्रति दस लाख लोगों में 607.3 और ब्रिटेन में 653.9 लोगाें की कोरोना से मौत हुई हैं।

गौरतलब है कि संक्रमण के मामले में अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे स्थान पर है जबकि भारत रूस को रविवार को पीछे छोड़ तीसरे स्थान पर आ गया। अमेरिका 3067780 कोरोना संक्रमण मामलों के साथ पहले स्थान पर है जबकि 1713160 संक्रमित मामलों के साथ ब्राजील दूसरे स्थान पर है। चौथे स्थान पर स्थित रूस में अब तक कोरोना वायरस संक्रमितों के कुल 707301 मामले सामने आये हैं तथा 10843 लोगों की मौत हुयी है।

देश में सामुदायिक संक्रमण के कोई संकेत नहीं :स्वास्थ्य मंत्रालय

भारत में कोरोना के सामुदायिक संक्रमण का अभी तक कोई संकेत नहीं है और जितने भी अधिकतर मामले देखे गए हैं वे एक स्थान विशेष में अधिक संख्या में देखने को मिले हैं जो लोगों की कोरोना मामलों के प्रति लापरवाही को दर्शाता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय में ओएसडी राजेश भूषण ने गुरूवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कोरोना को लेकर जिस भी क्षेत्र में लोगों ने थोड़ी से लापरवाही बरती, वहीं पर अधिकतर मामले बाद में देखे गए हैं।

उन्होंने बताया कि देश के 733 जिलों में से केवल 49 जिलों में कोरोना के 80 प्रतिशत मामले देखे गए हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर जो प्रवृतियां विश्व में देखने को मिली हैं उनमें स्थानीय स्तर का संक्रमण और बड़े पैमाने पर सामुदायिक संक्रमण हैं लेकिन भारत में आज तक सामुदायिक संक्रमण के कोई पुष्ट सबूत सामने नहीं आए हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्थानीय और सामुदायिक संक्रमण को लेकर अलग अलग दिशानिर्देश जारी किए हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण एक ऐसी स्थिति है जिसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है और इस वायरस का बर्ताव अलग अलग देशों में अलग है। देश में वैक्सीन अथवा कोई कारगर दवा नहीं होने की स्थिति में अगले वर्ष तक रोजाना दो लाख से अधिक मामले सामने आने के एक अमेरिकी संस्थान के दावे पर उन्होंने कहा कि इस तरह के दावे सिर्फ गणितीय आधार पर किए जाते हैं और इनमें कईं पैरामीटर होते हैं लेकिन इसके विपरीत देश के स्वास्थ्य तंत्र की मुस्तैदी और लोगों का बर्ताव भी काफी हद तक कोरोना संक्रमण को नियंत्रित कर रहा है। इसके लिए सबसे कारगर हथियार सामाजिक दूरी और मास्क का इस्तेमाल ही है तथा लोगों में व्यक्तिगत साफ सफाई भी अहम भूमिका निभाती है।

केन्द्र सरकार कोरोना संक्रमण से निपटने में काफी मुस्तैदी दिखा रही है और अब देश भर में कोरोना वायरस कोविड-19 की जांच करने वाली लैब की संख्या लगातार बढ़ती हुई 1,132 हो गयी है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण की जांच करने वाली सूची में 13 लैब और जुड़ गये हैं। इनमें सरकारी लैब की संख्या 805 तथा निजी लैब की 324 है। इस समय वास्तविक समय आरटी पीसीआर आधारित परीक्षण लैब 603 (सरकारी: 373 , निजी: 230) है जबकि ट्रूनेट आधारित परीक्षण लैब की संख्या 435 (सरकारी: 400, निजी: 35) और सीबीएनएएटी आधारित परीक्षण लैब 94 (सरकारी: 33, निजी: 61) हैं। देश में अब तक कुल 1,07,40,832 नमूनों की जांच की जा चुकी है।

दिल्ली में कोरोना के नये मामले 2187, स्वस्थ होने वाले 4027

राजधानी में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन राहत की बात रही कि कोरोना संक्रमण के नये मामल़ों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या काफी अधिक रही।

स्वास्थ्य मंत्रालय के पिछले 24 घंटों के आंकड़ों के अनुसार नये मामले 2187 रहे और कुल संक्रमितों का आंकडा 1,07,051 पर पहुंच गया। इस दौरान 4027 मरीजों के स्वस्थ होने से 82,226 लोग वायरस को मात दे चुके हैं। इसी अवधि में 45 और लोगों की मौत के साथ ही मृतकों की कुल संख्या 3258 पहुंच गयी।

महाराष्ट्र में कोरोना मामले 2.30 लाख के पार, रिकवरी दर 55 फीसदी

देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में दिनों-दिन स्थिति भयावह होती जा रही है और पिछले 24 घंटों के दौरान रिकाॅर्ड 6875 नये मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या गुरुवार की रात बढ़कर 2.30 लाख के पार पहुंच गयी लेकिन राहत की बात यह है कि मरीजों की रिकवरी दर बढ़कर 55 फीसदी से अधिक हो गयी है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य में अब तक 230599 लोग इस महामारी की चपेट में आए हैं। वहीं इस दौरान 219 और लोगों की इससे मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 9667 हो गयी है। इस दौरान राज्य में 4067 लोग रोगमुक्त हुए हैं जिसके बाद स्वस्थ होने वालों की कुल संख्या 127259 हो गयी है।

तमिलनाडु में कोरोना मामले 1.26 लाख के पार,1765 की मौत

तमिलनाडु में कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और 4231 रिकॉर्ड मामले सामने आने के बाद गुरुवार को संक्रमितों की संख्या 1.22 लाख के पार पहुंच गयी।

राहत की बात यह है कि राज्य में संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने की दर 61.74 फीसदी पहुंच गयी है जबकि मृत्यु दर महज 1.39 प्रतिशत है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य में संक्रमितों की संख्या 126581 हो गयी है। पिछले 24 घंटों के दौरान 65 और लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या 1765 हो गयी है।

सूत्रों के मुताबिक इस दौरान 3994 और मरीज स्वस्थ हुए हैं और इसके बाद ठीक हुए मरीजों की संख्या बढ़कर 78161 हो गयी है। राज्य में फिलहाल 46655 सक्रिय मामले हैं।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मामलों में तमिलनाडु देश में महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर है।

सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर फैसले से संबंधित सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की attacknews.in

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर ।उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण संबंधी उसके फैसले को लेकर दायर सभी 18 पुनर्विचार याचिकाओं को गुरुवार को खारिज कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सभी याचिकाओं पर विचार के बाद उन्हें निरस्त कर दिया।

गौरतलब है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने नौ नवबंर को राम जन्म भूमि विवाद को लेकर दिये गये अपने फैसले में राम मंदिर निर्माण उसी जगह पर करने और मुस्लिम समुदाय को अयोध्या में दूसरी जगह मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का सरकार को आदेश दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने वाले नौ नवंबर के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकायें बृहस्पतिवार को खारिज दीं।

शीर्ष अदालत ने चैंबर में कुल 19 पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर किया। न्यायालय ने इन याचिकाओं को उन्हें विचार योग्य नहीं पाया और सभी को खारिज कर दिया।

इस प्रकरण में मूल मालिकाना हक से संबंधित वादियों की 10 याचिकाओं को खारिज करते हुये प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘खुले न्यायालय में पुनर्विचार याचिकायें सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने के आवेदन खारिज किये जाते हैं। हमने सावधानी के साथ पुनर्विचार याचिकाओं और इनके साथ दायर संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन किया। हमें इनमें विचार के लिये कोई आधार नहीं मिला। तद्नुसार पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं।’’

शीर्ष अदालत ने ‘तीसरे पक्ष’ द्वारा दायर नौ अन्य याचिकाओं पर भी विचार किया जो मूल वाद में पक्षकार नहीं थे और उन्हें इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘पुनर्विचार याचिकायें दायर करने की अनुमति के लिये आवेदन खारिज किये जाते हैं। पुनर्विचार याचिकायें दायर करने की अनुमति देने से इंकार किये जाने के तथ्य के मद्देनजर इन याचिकाओं को खुले न्यायालय में सूचीबद्ध करने का आवेदन और पुनर्विचार याचिकायें रद्द की जाती है।’’

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति सुजीव खन्ना शामिल थे।

जिन दस वादकारों की पुनर्विचार याचिकायें खारिज की गयी हैं उनमें से आठ याचिकायें मुस्लिम पक्षकारों ने दायर की थीं। इनमें आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा समर्थित पक्षकारों की याचिकायें भी शामिल थीं।

इस विवाद में प्रमुख मुस्लिम वादी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध नहीं करने का निर्णय लिया था।

इस फैसले पर पुनर्विचार के लिये दो हिन्दू पक्षकारों-निर्मोही अखाड़ा और अखिल भारत हिन्दू महासभा- ने याचिकायें दायर की थीं।

पुनर्विचार याचिकायें खारिज होने के बाद अब सिर्फ सुधारात्मक याचिका दायर करने का ही कानूनी विकल्प इन वादियों के पास बचा है।

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ भूमि की डिक्री राम लला के पक्ष में देने के साथ केन्द्र सरकार को उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये मुख्य स्थान पर पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का भी निर्देश दिया था। संविधान पीठ ने केन्द्र को यह निर्देश भी दिया था कि मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक न्यास का गठन किया जाये।

शीर्ष अदालत के इस फैसले के खिलाफ सबसे पहले दो दिसंबर को पहली पुनर्विचार याचिका मूल वादी एम सिदि्दक के कानूनी वारिस मौलाना सैयद अशहद रशिदी ने दायर की थी। इसके बाद, छह दिसंबर को मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान, हाजी महबूब और मिसबाहुद्दीन ने दायर कीं, जिन्हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन प्राप्त था।

मौलाना सैयद अशहद रशिदी ने 14 बिन्दुओं के आधार पर इस फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था और कहा था कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण का निर्देश देकर ही इस मामले में ‘पूर्ण न्याय’ हो सकता है। उन्होंने नौ नवंबर के फैसले के उस अंश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया था, जिसमें केन्द्र को तीन महीने के भीतर मंदिर निर्माण के लिये एक न्यास गठित करने का निर्देश दिया गया था।

इसके बाद नौ दिसंबर को दो पुनर्विचार याचिकायें और दायर की गयी थीं। इनमें से एक याचिका अखिल भारत हिन्दू महासभा की थी जबकि दूसरी याचिका 40 से अधिक लोगों ने संयुक्त रूप से दायर की। संयुक्त याचिका दायर करने वालों में इतिहासकार इरफान हबीब, अर्थशास्त्री एवं राजनीतिक विश्लेषक प्रभात पटनायक, मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर, नंदिनी सुंदर और जॉन दयाल शामिल हैं।

अखिल भारत हिन्दू महासभा ने न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करके मस्जिद निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को आबंटित करने के निर्देश पर सवाल उठाये थे। महासभा ने फैसले से उस अंश को हटाने का अनुरोध किया था जिसमें विवादित ढांचे को मस्जिद घोषित किया गया था।