नरेन्द्र मोदी ने देशभर के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 1,000 से अधिक प्रदर्शनी के आयोजन वाले पहले “खिलौना मेला” का उद्घाटन किया;कहा कि,यह मेला आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम attacknews.in

नयी दिल्ली 27 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश के खिलौना उद्योग में बहुत बड़ी ताकत छिपी हुई है और इसे बढाकर अपनी पहचान बनाने तथा आत्मनिर्भर अभियान में बड़ा योगदान देना जरूरी है।

श्री मोदी ने शनिवार को पहले खिलौना मेला का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। कोरोना महामारी के कारण देश में पहली बार आयोजित यह मेला भी पूरी तरह से वर्चुअल है।

प्रधानमंत्री ने कहा , “ आप सभी से बात करके ये पता चलता है कि हमारे देश खिलौना उद्योग में कितनी बड़ी ताकत छिपी हुई है। इस ताकत को बढ़ाना, इसकी पहचान बढ़ाना, आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा हिस्सा है। ”

उन्होंने कहा कि यह खिलौना मेला केवल एक व्यापारिक या आर्थिक कार्यक्रम भर नहीं है यह देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की एक कड़ी है। मेले में कारीगरों और स्कूलों से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनिययों के साथ साथ 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 1,000 से अधिक लोग अपनी प्रदर्शनी लगा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा , “ आप सभी के लिए ये एक ऐसा मंच होने जा रहा है जहां आप खिलौनों के डिजायन, नवाचार, प्रौद्योगिकी से लेकर मार्केटिंग पैकेजिंग तक चर्चा परिचर्चा भी करेंगे, और अपने अनुभव साझा भी करेंगे। टॉय फेयर 2021 में आपके पास भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग और ई-स्पोर्ट उद्योग के ईको सिस्टम के बारे में जानने का अवसर होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “ खिलौनों के क्षेत्र में भारत में परंपरा भी है और प्रौद्योगिकी भी है, भारत के पास कंसेप्ट भी हैं, और कंपीन्टेंस भी है। हम दुनिया को इको फ्रेन्डली खिलौना की ओर वापस लेकर जा सकते हैं, हमारे साफ्टवेयर इंजीनियर कंप्यूटर गेम्स के जरिए भारत की कहानियों को, भारत के जो मूलभूत मूल्‍य हैं उन कथाओं को दुनिया तक पहुंचा सकते हैं। लेकिन इस सबके बावजूद, 100 बिलियन डॉलर के वैश्विक खिलौना बाजार में आज हमारी हिस्सेदारी बहुत ही कम है। देश में 85 प्रतिशत खिलौने बाहर से आते हैं, विदेशों से मंगाए जाते हैं।”

खिलौने बच्चों की जिंदगी के लिए जरूरी : मोदी

वाराणसी,से खबर है कि,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि खिलौने बच्चे के जीवन का अटूट हिस्सा है जिसके साथ समय बिता कर वह काफी कुछ सीखते हैं।

वर्चुअल ‘द इंडिया टॉय फेयर-2021’ के उद्धाटन अवसर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से देश भर के कई लोगों से संवाद के दौरान श्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस उद्योग से जुड़े लोगों से भी बातचीत की।

उन्होंने कश्मीरी गंज खोजवा निवासी रामेश्वर सिंह से बातचीत के दौरान लकड़ी के खिलौने बनाने पर विशेष जोर दिया तथा कहा कि बच्चे और खिलौने एक दूसरे को देखते हैं। बच्चे खिलौनों का नकल करते हैं। इस तरह से खिलौने बच्चों की जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं।

गौरतलब है कि यह मेला 27 फरवरी से दो मार्च तक चलेगा। वर्चुअल प्रदर्शनी में 30 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक उत्पाद प्रदर्शित किये जाने की योजना है। मेले में परंपरागत भारतीय खिलौनों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक खिलौने भी प्रदर्शित किये जाएंगे।

मोदी के उदबोधन ने दी ‘कठपुतली’ को दी संजीवनी

भदोही से खबर है कि,इतिहास के पन्नो में लगभग समा चुकी ‘कठपुतली’ कला और इससे जुड़े कलाकारों को आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उदबोधन ने आक्सीजन दे दी है।

शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलौना मेला के सजीव उदबोधन को सुन भदोही के कठपुतली कलाकार चहक उठे हैं और दशकों से मकान के बड़ेरी पर धूल मिट्टी से सने पड़े कठपुतलियों के खिलौनों को एक बार फिर साफ-सुथरा करने में जुट गये हैं।

भदोही शहर के मखदूमपुर नट एवं सपेरों की बस्ती में आज सुबह एक मड़हे में जमे लगभग 12 से नट परिवार प्रधानमंत्री का लाइव भाषण दूरदर्शन पर देख रहें थे।

भीड़ देख उत्सुकतावश संवाददाता के कदम मड़हे के पास रूक गये। पूछने पर नट परिवार के लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खिलौने मेले का उद्घाटन किया है। साथ ही कठपुतली कला के उत्थान को लेकर भी बताया है। श्री मोदी की पहल की सराहना करते हुए शराफत अली बताते हैं कि उसके पिता कई दशक पहले चैत्र माह में जब गेहूं कटने का समय होता था तो गांव में पहुंचकर कठपुतली नचाते थे।बदले में उन्हे अनाज और सम्मान मिलता था लेकिन वक्त के साथ ही साथ कठपुतली कला भी विलुप्त हो गई लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को सुनकर ऐसा लगता है कि हमारे पूर्वजों की कठपुतली कला एक बार फिर जीवित हो जायेगी। शराफत अली बात करते हुए खपरैल के मकान के बड़ेरी पर रखी दो जोड़ी कठपुतली खिलौना ले आये और पोछते हुए उसके आंखो से आंसू निकल पड़े।

शराफत नट बताता है कि महमूदपुर के इस बस्ती में कठपुतली नचाने वाले लगभग तीन दर्जन परिवार रहते थे। लेकिन अब तो न कठपुतली देखने वाले हैं और न ही इस कला को सजोने वाले जिससे अब धीरे-धीरे यह परिवार सपेरों के बस्ती के रूप में बदल गया है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से सपेरों के बस्ती के लोगों को अब उम्मीद है कि कठपुतली कला की पुरानी परंपरा अब एक बार फिर जिवित हो जायेगी।

बाॅलीवुड शहंशाह अमिताभ बच्चन हुए बीमार,बड़े ऑपरेशन की तैयारी attacknews.in

मुंबई, 28 फरवरी । बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने संकेत दिया है कि स्वास्थ्य संबंधी किसी परेशानी के कारण उन्हें ऑपरेशन कराने की आवश्यकता है।

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि चिकित्सा प्रक्रिया पूरी हो गई है या नहीं।

78 वर्षीय अभिनेता ने अपने निजी ब्लॉग पर लिखा, ‘‘स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत… ऑपरेशन… लिख नहीं सकता।’’

अभिनेता ने हाल में बताया था कि उनके परिवार के सदस्य–उनकी पत्नी जया बच्चन, बेटा अभिषेक बच्चन और बहू ऐश्वर्या राय बच्चन– इस समय किन फिल्मों में काम कर रहे हैं।

अमिताभ ने बताया था कि वह जल्द ही फिल्मकार विकास बहल की आगामी फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे। अमिताभ को पिछली बार शूजित सरकार की फिल्म ‘गुलाबो सिताबो’ में देखा गया था। अब वह ‘झुंड’ फिल्म में दिखाई देंगे, जो 18 जून को रिलीज होगी। इसके अलावा उनकी एक और फिल्म ‘चेहरे’ 30 अप्रैल को रिलीज होगी।

जगह-जगह घूम रहे किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत ने दिया राजनीतिक संदेश “एक आंख दिल्ली पर तो दूसरी खेत पर” attacknews.in

बागपत 27 फरवरी। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान को दिल्ली की गद्दी और अपने खेत दोनों पर अपनी निगाह रखनी होगी। दिल्ली से किसान की निगाह हटी तो अगले 30 साल में किसान के पास जमीन नहीं बचेगी।

बामनौली गांव में शनिवार को सम्राट सलक्षपाल तोमर की जयंती के मौके पर श्री टिकैत ने राष्ट्र वन्दना चौक पर शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। इसके बाद टिकैत ने कहा कि यह किसान के हक की लड़ाई है। किसान अगर इस बार कमजोर पड़ा तो 30 साल बाद उसके पास जमीन नहीं बचेगी। किसान की जमीन पर किसी और का कब्जा होगा। एमएसपी पर कानून अनिवार्य है। इसके बाद ही किसान बर्बाद होने से बचेगा अन्यथा किसान आज बर्बादी के मुहाने पर है। किसान को फसलों के दाम नहीं मिल रहे है। किसान गन्ने की फसल को मिलों में डाल देता है, लेकिन उसका भुगतान समय पर नहीं मिलता।

किसान आंदोलन अब हर वर्ग की लड़ाई अब हर वर्ग की लड़ाई बन चुका है-टिकैत

श्रीगंगानगर,से खबर है कि,किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि तीन महीने से चल रहा किसान आंदोलन अब किसानों की लड़ाई नहीं है बल्कि यह अब हर वर्ग की लड़ाई बन गई है।

श्री टिकैत आज श्री गंगानगर जिले के पदमपुर कस्बे में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत में उमड़ आए हजारों किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुआ यह संघर्ष अब हर वर्ग के लोगों का संघर्ष है बन गया है।

कांग्रेस से तकरार के बीच गुलाम नबी आजाद ने फिर बढ़ाई सक्रियता,कहा-“राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुआ हूं  लेकिन राजनीति से नहीं” attacknews.in

जम्मू 27 फरवरी । राज्यसभा के पूर्व सदस्य गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को कहा कि राजनीति धर्म आधारित नहीं होनी चाहिए।

गांधी गलोबल परिवार द्वारा आयोजित ‘शांति सम्मेलन’ में सभा को संबोधित करते हुए श्री आज़ाद ने कहा कि मेरी राजनीति कभी भी धर्म या जाति पर आधारित नहीं थी और मुझे कहना होगा कि हर किसी को सरकार बनाने का अधिकार है लेकिन धर्म को राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए।”

कांग्रेस पार्टी के जी -23 सदस्यों में से एक, श्री आज़ाद ने द गांधी ग्लोबल फैमिली इवेंट के लिए अपने सहयोगियों को भी आमंत्रित किया है, जिसमें कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, भूपिंदर हुड्डा और राज बब्बर शामिल हैं।

श्री आजाद ने कहा,“महात्मा गांधी की निस्वार्थ सेवा हमेशा हमारे साथ रहेगी और मैंने राजनीति में अपना करियर महात्मा के दर्शन से शुरू किया।”

उन्होंने हालांकि कहा कि वह राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए हैं लेकिन राजनीति से नहीं।

पूर्व जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने राज्य की हार से अपनी पहचान खो दी है लेकिन हम इसकी बहाली के लिए लड़ेंगे।”

जम्मू में भारतीय जनता पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी या यहां तक कि आरएसएस में से भी हर कोई चाहता है कि राज्य वापस आ जाए।

उन्होंने देश में कांग्रेस को एक मजबूत ताकत बनाने के लिए सामूहिक लड़ाई और एकता की वकालत की।

उन्होंने कहा,“चाहे वह जम्मू या कश्मीर या लद्दाख हो, हम सभी धर्मों, लोगों और जातियों का सम्मान करते हैं। हम सभी का समान रूप से सम्मान करते हैं, यही हमारी ताकत है और हम इसे जारी रखेंगे।”

बाद में दिन में, श्री आज़ाद ने गुरु रविदास जयंती के अवसर पर जम्मू-कश्मीर श्री गुरु रवि दास सभा द्वारा आयोजित एक सामाजिक समारोह में भी भाग लिया।

राहुल गांधी को डरपोक दिखें नरेन्द्र मोदी,”प्रधानमंत्री का यह कहना कि भारत की सीमा में कोई नहीं घुसा है, इसका मतलब है कि,चीन से डरते हैं और यही संदेश चीन को दिया” attacknews.in

तूतीकोरिन 27 फरवरी । कांग्रेस नेता एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री चीन से डरते है तथा कांग्रेस सरकार ने चीन का हमेशा बिना किसी झिझक के सामना किया।

तमिलनाडु में छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर दक्षिण तमिलनाडु के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे श्री गांधी ने कहा कि पश्चिमी लद्दाख में तनाव से पहले चीन ने वर्ष 2017 में डोकलाम में केंद्र सरकार की मंशा का टटोला था।

उन्होंने कहा, “चीन ने अब सीमा पर कई महत्वपूर्ण स्थानों पर अपना कब्ज़ा कर लिया है और यह कदम चीन ने डोकलाम में सरकार को परखने के बाद उठाया है। चीन ने डोकलाम में देखा था कि सरकार किस तरह की प्रक्रिया देगी और उन्होंने देखा की भारत सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं अायी तो इसके बाद ही चीन ने इस कदम को लद्दाख में भी बढ़ाया और मुझे लगता है ऐसा चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भी किया।”

श्री राहुल ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर ‘हम दो हमारे दो’ का निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी चीन से डरते हैं, इसलिए उन्होंने कहा कि कोई भी भारत की सीमा में नहीं घुसा हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, “प्रधानमंत्री का यह कहना कि भारत की सीमा में कोई नहीं घुसा है, इसका मतलब यह है कि श्री मोदी चीन से डरते हैं और यही संदेश उन्होंने चीन को दिया।’’

उन्होंने कहा, “आप लिख कर ले लीजिये कि देपसांग की महत्वूपर्ण हमारी जमीन इस सरकार के नेतृत्व में वापस नहीं आ सकती। श्री मोदी बेशक यह जाहिर करें कि मौजूदा सरकार देपसांग जमीन वापस ले लेगी लेकिन अंत में वह इस जमीन को खो देंगे।”

उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने हालांकि कहा है कि सब कुछ सुलझा लिया गया है, लेकिन भारत उस क्षेत्र को खोने जा रहा है।

आरएसएस ने संस्थागत संतुलन किया खत्म : राहुल

राहुल गांधी ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंयेवक संघ (आरएसएस) पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि इसने देश में संस्थागत संतुलन को नष्ट कर दिया है।

श्री गांधी ने तमिलनाडु के दक्षिणी जिले में अपने दूसरे चरण के चुनाव अभियान के दौरान अधिवक्ताओं के साथ बातचीत में कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान सभी संस्थानों पर एक व्यवस्थित हमला किया गया है।

उन्होंने कहा, “भारत में लोकसभा, विधानसभा, पंचायतें, न्यायपालिका और स्वतंत्र प्रेस हैं। ये संस्थायें मिलकर देश को एक स्थान पर रखती हैं। पिछले छह वर्षों में हमने इन सभी संस्थानों पर एक व्यवस्थित हमला देखा है।”

देशभर के निजी अस्पतालों में कोरोना का टीका लगवाने के लिए देना होंगे 250 रुपये,सरकारी अस्पतालों में लगेगा फ्री attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 फरवरी ।वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ चलाये जा रहे टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक और 45 वर्ष (अन्य बीमारियों से पीड़ित) से अधिक आयु के लोगों को निजी कोरोना टीकाकरण केंद्र में 250 रुपए में पहला टीका लगाया जायेगा।

सरकारी केंद्रों पर यह टीका हालांकि निशुल्क ही लगेगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने इस संबंध में आज वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के माध्यम से टीकाकरण पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों और अन्य अधिकारियों के साथ बातचीत की।

उन्होंने कहा कि कोरोना टीकाकरण की शुरुआत 16 जनवरी को की गई थी तथा अब एक मार्च से दूसरे चरण के टीकाकरण की शुरुआत हो रही है जिसमें निजी अस्पतालों को भी महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है।

संगम की रेती पर संयम,श्रद्धा एवं कायाशोधन का कल्पवास समाप्त:अमृत से सिंचित,पितामह ब्रह्मदेव के यज्ञ से पवित्र पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त स्वरूप सलिला के रूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम क्षेत्र में माघी पूर्णिमा तक चला”कल्पवास” attacknews.in

प्रयागराज 27 फरवरी ।अमृत से सिंचित और पितामह ब्रह्मदेव के यज्ञ से पवित्र पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त स्वरूप सलिला के रूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम क्षेत्र में माघी पूर्णिमा स्नान के साथ ही एक माह का संयम, अहिंसा, श्रद्धा एवं कायाशोधन का कल्पवास भी समाप्त हो गया।

पुराणों और धर्मशास्त्रों में कल्पवास को आत्मा शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए जरूरी बताया गया है। यह मनुष्य के लिए आध्यात्म की राह का एक पड़ाव है जिसके जरिए स्वनियंत्रण एवं आत्मशुद्धि का प्रयास किया जाता है। हर वर्ष श्रद्धालु एक महीने तक संगम के विस्तीर्ण रेती पर तंबुओं की आध्यात्मिक नगरी में रहकर अल्पाहार, तीन समय गंगा स्नान, ध्यान एवं दान करके कल्पवास करते है।

हांडिया के टेला ग्राम निवासी रमेश चतुर्वेदी संगम लोअर मार्ग पर शिविर में रहकर 20 साल से पत्नी के साथ सेवा का कल्पवास कर रहे हैं। सेवा परमोधर्म : का भाव लेकर लोकतंत्र में धर्मतंत्र की स्थापना के लिए प्रयासरत है। इनका मानना है कि अकेला चना भाड़ नहीं तोड सकता लेकिन किसी को तो आगे बढ़कर प्रयास करना ही होगा।

श्री चतुर्वेदी ने बताया कि संगम क्षेत्र में एक माह तक जो भी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव मिलता है, उसका वर्णन नहीं जा किया जा सकता केवल महसूस किया जाता है। यह सौभाग्य अब फिर 11 माह बाद मिल सकेगा भी या नहीं कुछ नहीं कह सकते। यह जरूर कह सकते है कि वह जब जिसे चाहेंगी। किसी भी परिस्थिति में अपने पास बुला ही लेंगी।

उन्होने बताया कि कल्पवास के पहले शिविर के मुहाने पर तुलसी और शालिग्राम की स्थापना कर नित्य पूजा करते हैं। कल्पवासी परिवार की समृद्धि के लिए अपने शिविर के बाहर जौ का बीज अवश्य रोपित करता है। कल्पवास समाप्त होने पर तुलसी को गंगा में प्रवाहित कर देते हैं और शेष को अपने साथ ले जाते हैं।

श्री चतुर्वेदी ने बताया कि भारत की आध्यात्मिक सांस्कृतिकए सामाजिक एवं वैचारिक विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोने वाला माघ मेला भारतीय संस्कृति का द्योतक है। इस मेले में पूरे भारत की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। उन्हाेने बताया कि शनिवार को माघी पूर्णिमा स्नान के साथ एक माह का कल्पवास समाप्त हुआ।

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि प्रत्येक वर्ष फरवरी महीने के मध्य में कल्पवास खत्म हो जाता था। माघ अथवा कुंभ एवं अर्द्ध कुंभ मेले में दो कालखंड होते हैं। मकर संक्रांति से माघ शुक्लपक्ष की संक्रांति तक बिहार और झाारखंड के मैथिल ब्राह्मण कल्पवास करते हैं। दूसरे खण्ड पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास किया जाता है। माघ में कल्पवास ज्यादा पुण्यदायक माना जाता है। इसलिए 90 प्रतिशत से अधिक श्रद्धालु पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं।पर इसबार कल्पवासियों और संतों की तपस्या कुछ अधिक खिंच गया। इसकी वजह यह है कि 37 साल बाद पौष पूर्णिमा जनवरी महीने के अंत में लगी। इसलिए माघ महीना पूरे फरवरी तक रहेगा। बीते कुछ वर्षों में पौष पूर्णिमा 10 जनवरी के आसपास पड़ती थी। मकर संक्रांति 14 अथवा 15 जनवरी को ही रहती है।

आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि ऐसी स्थिति में 20 फरवरी से पहले कल्पवास खत्म हो जाता था। चालू में मकर संक्रांति 14 जनवरी और पौष पूर्णिमा 28 जनवरी को पड़ी। माघ शुक्लपक्ष की संक्रांति 13 फरवरी को थी और माघी पूर्णिमा 27 फरवरी को है, इस तरह लगभग फरवरी महीना तक कल्पवास चला।

कल्पवास का वास्तविक अर्थ है कायाकल्प। यह कायाकल्प शरीर और अन्तःकरण दोनों का होना चाहिए। इसी द्विविध कायाकल्प के लिए पवित्र संगम तट पर जो एक महीने का वास किया जाता है उसे कल्पवास कहा जाता है।

प्रयागराज मे कुम्भ बारहवें वर्ष पड़ता है लेकिन यहाँ प्रतिवर्ष माघ मास मे जब सूर्य मकर राशि मे रहते हैं तब माघ मेला एवं कल्पवास का आयोजन होता है।

मत्स्यपुराण के अनुसार कुम्भ में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है।

आचार्य गौतम ने बताया कि आदिकाल से चली आ रही इस परंपरा के महत्व की चर्चा वेदों से लेकर महाभारत और रामचरितमानस में अलग अलग नामों से मिलती है। बदलते समय के अनुरूप कल्पवास करने वालों के तौर तरीके में कुछ बदलाव जरूर आए हैं लेकिन कल्पवास करने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। आज भी श्रद्धालु भयंकर सर्दी में कम से कम संसाधनों की सहायता लेकर कल्पवास करते हैं।

उन्होने बताया कि कल्पवास के दौरान कल्पवासी को जमीन पर सोना होता है। इस दौरान फलाहार या एक समय निराहार रहने का प्रावधान होता है। कल्पवास करने वाले व्यक्ति को नियम पूर्वक तीन समय गंगा में स्नान और यथासंभव अपने शिविर में भजन कीर्तन प्रवचन या गीता पाठ करना चाहिए।

आचार्य ने बताया कि मत्स्यपुराण में लिखा है कि कल्पवास का अर्थ संगम तट पर निवास कर वेदाध्यन और ध्यान करना। कुम्भ में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है। इस दौरान कल्पवास करने वाले को सदाचारी शांत चित्त वाला और जितेन्द्रीय होना चाहिए। कल्पवासी को तट पर रहते हुए नित्यप्रति तप, हाेम और दान करना चाहिए।

समय के साथ कल्पवास के तौर-तरीकों में कुछ बदलाव भी आए हैं। बुजुर्गों के साथ कल्पवास में मदद करते-करते कई युवाए युवतियां माता.पिता, सास.ससुर को कल्पवास कराने और सेवा में लिप्त रहकर अनजाने में खुद भी कल्पवास का पुण्य पा जाते हैं। आचार्य गौतम ने बताया कि पौष कल्पवास के लिए वैसे तो उम्र की कोई बाध्यता नहीं है लेकिन माना जाता है कि संसारी मोहमाया से मुक्त और जिम्मेदारियों को पूरा कर चुके व्यक्ति को ही कल्पवास करना चाहिए क्योंकि जिम्मेदारियों से बंधे व्यक्ति के लिए आत्मनियंत्रण कठिन माना जाता है।

कुम्भ, अर्द्ध कुम्भ और माघ मेला दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम है जिसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं मिलती। इसके लिए किसी प्रकार का न/न तो प्रचार किया जाता है और न ही इसमें आने के लिए लोगों से मिन्नतें की जाती हैं। तिथियों के पंचांग की एक तारीख पर करोड़ों लोगों को कुम्भ में आने के निमंत्रण का कार्य करती है।

आचार्य ने बताया कि प्रयागराज मे जब बस्ती नहीं थी, तब संगम के आस-पास घोर जंगल था। जंगल मे अनेक ऋषि-मुनि जप तप करते थे। उन लोगों ने ही गृहस्थों को अपने सान्निध्य मे ज्ञानार्जन एवं पुण्यार्जन करने के लिये अल्पकाल के लिए कल्पवास का विधान बनाया था। इस योजना के अनुसार अनेक धार्मिक गृहस्थ ग्यारह महीने तक अपनी गृहस्थी की व्यवस्था करने के बाद एक महीने के लिए संगम तट पर ऋषियों मुनियों के सान्निध्य मे जप तप साधना आदि के द्वारा पुण्यार्जन करते थे। यही परम्परा आज भी कल्पवास के रूप मे विद्यमान है।
महाभारत में कहा गया है कि एक सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने का जो फल मिलता है माघ मास में कल्पवास करने भर से प्राप्त हो जाता है।

कल्पवास की न्यूनतम अवधि एक रात्रि की है। बहुत से श्रद्धालु जीवनभर माघ मास गंगा यमुना और सरस्वती के संगम को समर्पित कर देते हैं। विधान के अनुसार एक रात्रि, तीन रात्रि,तीन महीना, छह महीना छह वर्ष, 12 वर्ष या जीवनभर कल्पवास किया जा सकता है।

डा गौतम ने बताया कि पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि आकाश तथा स्वर्ग में जो देवता हैं वे भूमि पर जन्म लेने की इच्छा रखते हैं। वे चाहते हैं कि दुर्लभ मनुष्य का जन्म पाकर प्रयाग क्षेत्र में कल्पवास करें।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने देश में मुकदमे से पहले न्यायाधीश के साथ मध्यस्थता कराने का इंतजाम करने को कहा;मध्यस्थता में संबंधित पक्षों के बीच समझौता कानून के दायरे के अंदर होना चाहिए attacknews.in

पटना 27 फरवरी। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबेडे ने आज कहा कि अदालतों पर निर्भरता कम करने के लिए मुकदमे से पहले किसी न्यायाधीश के साथ मध्यस्थता कराकर समझौते का प्रयास किया जाना चाहिए ।

मुख्य न्यायाधीश श्री बोबेडे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन का उद्घाटन करने के बाद कहा कि यह समय है कि विवादों के निपटारे के लिए मुकदमे से पहले किसी न्यायाधीश के साथ मध्यस्थता कराने का इंतजाम किया जाना चाहिए । इससे दीवानी और अपराधिक मामलों के निपटारे में मदद मिलेगी तथा अदालत पर निर्भरता भी कम होगी ।

उन्होंने कहा कि मुकदमे से पूर्व मध्यस्थता में संबंधित पक्षों के बीच समझौता कानून के दायरे के अंदर होना चाहिए ।

न्यायमूर्ति श्री बोबेडे ने न्यायपालिका और न्यायिक फैसलों में तकनीक के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था की विभिन्न प्रक्रियाओं की दक्षता में सुधार लाने के लिए हाल में भारी निवेश किया गया है । अब न्यायिक प्रक्रियाओं में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का इस्तेमाल आसानी से किया जा रहा है । कोरोना वैश्विक महामारी ने इस बारे में लोगों की सोच को बदला है ।

भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का होगा गठन – रविशंकर

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज कहा कि भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का शीघ्र गठन किया जाएगा और इसकी परीक्षा केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) लेगा ।

श्री प्रसाद ने शनिवार को पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के उद्घाटन समारोह में कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की तर्ज पर ही भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का गठन किया जाएगा ताकि इस सेवा से कुशाग्र युवा प्रतिभा जुड़ सकें । उन्होंने कहा कि इस अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए यूपीएससी परीक्षा लेगा, जो आईएएस और आईपीएस के लिए परीक्षा का आयोजन करता है।

कानून का राज कायम करना सिर्फ सरकार का काम नहीं,न्यायपालिका की भी बहुत बड़ी भूमिका – नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार की ओर से न्यायपालिका की जरूरतों को पूरा करने का वचन देते हुए कहा कि कानून का राज कायम करना सिर्फ सरकार का काम नहीं है, न्यायपालिका की भी बहुत बड़ी भूमिका है ।

श्री कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबेडे और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि अपराध नियंत्रण के लिए जरूरी है कि ट्रायल का काम तेजी से चलता रहे।

उन्होंने कहा कि विधायिका कानून तो बना सकती है लेकिन सबसे बड़ी भूमिका न्यायपालिका की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में जब उन्हें राज्य में काम करने का मौका मिला तब अपराध के मामले में ट्रायल की पटना उच्च न्यायालय के स्तर पर मॉनीटरिंग की गयी और तेजी से ट्रायल हुआ । न्यायाधीशगण को जिस जिले की जिम्मेवारी थी उस पर उन्होंने नजर रखा। न्यायालय ने काम किया और अपराधियों को सजा मिलनी शुरू हुई। इससे बिहार में अपराध की घटनाओं में कमी आयी।

भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का होगा गठन :इसकी परीक्षा केंद्रीय लोकसेवा आयोग (UPSC) लेगा attacknews.in

पटना 27 फरवरी। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज कहा कि भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का शीघ्र गठन किया जाएगा और इसकी परीक्षा केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) लेगा ।

श्री प्रसाद ने शनिवार को पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के उद्घाटन समारोह में कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की तर्ज पर ही भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का गठन किया जाएगा ताकि इस सेवा से कुशाग्र युवा प्रतिभा जुड़ सकें ।

उन्होंने कहा कि इस अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए यूपीएससी परीक्षा लेगा, जो आईएएस और आईपीएस के लिए परीक्षा का आयोजन करता है ।

प्रो रामराजेश मिश्र ने कुलपति रहते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का वह कलंक मिटाया था जब इसके विद्यार्थियों को नौकरियों के लिए आवेदन नहीं करने का विज्ञापनों में लिखा रहता था;साथ ही विक्रम को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई attacknews.in

उज्जैन 27 फरवरी । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में ऐसा भी दौर आया था जब पूरे देशभर में सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा नौकरी के लिए निकाली जानें वाली विज्ञापनों की विज्ञप्तियों में, ” विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के विद्यार्थी आवेदन नहीं करें”,लिखा रहता था और वर्ष 2004 से 2008 तक का ऐसा भी दौर आया जब विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का नाम पूरे देश में गौरव के साथ लिखा गया और इस विश्वविद्यालय को विश्व के प्रथम गुरूकुल का स्थान दिलवाया कि,यही भगवान श्री कृष्ण ने आचार्य संदीपनी से 64 कलाओं में शिक्षा प्राप्त की थी।और इस गौरव को स्थापित करने में विश्वविद्यालय के 2004 में नियुक्त किए गए कुलपति प्रोफेसर रामराजेश मिश्र का नाम विश्वविद्यालय के इतिहास में गौरवशाली युग की शुरुआत करने के रूप मे दर्ज हैं ।

 

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की स्थापना के समय इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश,उत्तरप्रदेश,राजस्थान और दिल्ली तक फैला हुआ था,इस विश्वविद्यालय में अध्यापन करने वाले छात्रों की अनगिनत संख्या दर्ज हैं किन्तु इसे उस बुरे दौर से गुजरना पड़ा जब इसे चक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के नाम से उच्चारित किया जाने लगा साथ ही इसकी उपाधियों को भी योग्यता के बाहर मान लिया गया।इसके अलावा वह दुर्दिन भी रहे कि,सम्पूर्ण परिसर जीर्ण-शीर्ण हो चला था,रखरखाव की हालत दयनीय हो गई थी,सुरक्षा के लिहाज से स्थिति भी अच्छी नहीं थी और तो और अपनी सम्मानजनक पहचान के लिए विश्वविद्यालय के पास कोई आधार नहीं था।

इसी बीच जुलाई 2004 में महामहिम राज्यपाल डा बलराम जाखड़ ने स्वनिर्णय लेकर ऊर्जावान और युवा प्रोफेसर रामराजेश मिश्र को कुलपति का दायित्व सौंपकर यह वचन भी लिया कि,जिस गौरव के साथ इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है उससे आगे अब तुम्हें ले जांना है”,अंततोगत्वा प्रोफेसर रामराजेश मिश्र ने बहुत ही कम समय में वह कर दिखाया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती धी और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी सम्मान के साथ लिया जाने लगा ।

इस अप्रतिम गौरव को दिलवाने में प्रोफेसर रामराजेश मिश्र की यही मंशा थी कि,”यह मेरी मातृसंस्था हैं और इसका कर्ज जीवन की अंतिम सांस तक रहेगा,जिसे चुकाने के लिए मेरी अंतिम सांस भी इसे समर्पित है ।”

“ज्यों-की-त्यों धर दीन्हि चदरिया” इसी उक्ति को प्रो रामराजेश मिश्र ( Professor Ramrajesh Mishra) ने इस विश्वविद्यालय के लिए सार्थक किया हैं ।

उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य, भगवान श्री कृष्ण और महर्षि संदीपनी के नाम को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान का कार्य सतत् जारी रखने के लिए पूर्व कुलपति और कवि तथा लेखक प्रो. राम राजेश मिश्र ने अथक परिश्रम किए ।

प्रो रामराजेश मिश्र ने ही विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के आयोजन की टूटी हुई परंपरा को वापस जीवित किया था ।

मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय ( #Vikram #University #Ujjain)मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध शिक्षण महाविद्यालयों में से एक है।

इसकी स्थापना 1 मार्च, 1957 को हुई जब इसने अपना कार्य करना प्रारंभ किया , इस विश्वविद्यालय में सामाजिक मानवशास्त्र का अध्ययन सर्वप्रथम प्रारम्भ हुआ था।

विश्वविद्यालय का पुस्तकालय ‘महाराजा जीवाजी राव पुस्तकालय’ के नाम से जाना जाता है।

उज्जैन के प्राचीन शहर में स्थित ‘विक्रम विश्वविद्यालय’, विपुल शासक विक्रमादितय के नाम पर है।

1957 में स्थापित यह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है।

इस विश्वविद्यालय का एक और महत्वपूर्ण भाग था विश्वविद्यालय की प्रेस , जो 1961 में स्थापित की गई थी। इसका परिसर उपग्रह से जुड़ा हुआ था और 500 से अधिक ऑनलाइन शोध पत्रिकाओं तक इसकी पहुँच थी।

विश्वविद्यालय के अलमा मेटर के रूप में कई प्रख्यात हस्तियाँ हैं। यहाँ के मेधावी छात्रों की सूची में कई वैज्ञानिक, शिक्षाविद और भारत के एक पूर्व न्यायाधीश हैं।

यह जानना काफ़ी दिलचस्प और आवश्यक भी होगा कि उज्जैन में दीक्षांत समारोह का इतिहास क्या था और विक्रम विश्वविद्यालय के विकास कार्यों में डॉ. मिश्र का क्या योगदान रहा ?

संक्षेप में कहें, तो 1956 में विवि की स्थापना हुई, जिसके लिए 23 हस्तियों ने आंदोलन चलाया। पंचाट बैठी और पं. जवाहरलाल नेहरू ने फ़ैसला सुनाया कि उज्जैन सांस्कृतिक राजधानी है, इसलिए उसे शिक्षा स्थल बनाया जाना चाहिए।

ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने इसके लिए 300 एकड़ ज़मीन दी और कहा कि वे विश्वविद्यालय के विक्रम नामकरण से भी सहमत हैं। कमल विला के दो कमरों में विश्वविद्यालय प्रारंभ हो गया और पहले प्रशासक बने भाषा, संस्कृति, शिक्षा और साहित्य के विद्वान डॉ. बूलचंद।

प्रो. राम राजेश मिश्र का कुलपति पद का कार्यकाल वर्ष 2004 से 2008 तक है, जिसमें वे दो बार कुलपति रहे। इस दौरान विक्रम विश्वविद्यालय का काफ़ी अच्छा विकास हुआ। उन्होंने अध्ययन, अध्यापन, शोध और विस्तार कार्य पर ज़ोर दिया।

एक ऐसा भी दौर आया था जब विक्रम में 1975 से दीक्षांत समारोह बंद कर दिया गया था, जिसे, डॉ. मिश्र ने 2007 में पुनः प्रारम्भ किया।इसकी विशेषता यह थी कि यह वैदिक परंपराओं के साथ शुरू हुआ था, जैसा कि हमारे तैत्रीय उपनिषद में निर्देश किया गया है,इस नई परंपरा की शुरुआत की स्क्रिप्ट डॉ. मिश्र ने स्वयं तैयार की, जिसका सरकार ने अध्यादेश जारी किया और आज प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में उसी परंपरा के अनुसार दीक्षांत समारोह आयोजित होता है।

इस दीक्षांत समारोह में भारत की पाँच बड़ी हस्तियों को मानद उपाधि से अलंकृत किया गया, जो सभी विक्रम से पढ़े हैं, ये हैं—न्यायमूर्ति श्री जीके लाहोटी, स्वामी अवधेशानंद जी, स्वामी गोकुलोत्सव महाराज, श्री उदय शंकर अवस्थी और श्री आलोक मेहता।

उज्जैन शैव परंपरा का स्थान है, इसलिए अवधेशानंद जी का नाम तय किया गया।उज्जैन श्रीकृष्ण भगवान की शिक्षा स्थली है, अतः गोकुलोत्सव जी महाराज का नाम सामने आया। जस्टिस लाहोटी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। श्री अवस्थी कांडला उर्वरक के प्रसार के अग्रदूत हैं और श्री मेहता पत्रकारिता, साहित्य और शिक्षा में अग्रणी हैं।

17 विभागों के विश्वविद्यालय को प्रो. मिश्र ने 27 तक पहुंचाया, जिसमें वैदिक विज्ञान, लोक प्रशासन, माइक्रो-बायोलॉजी, समाज सेवा आदि प्रमुख हैं। इसी प्रकार कॉलेजों की संख्या 70 से 150 तक पहुँचाई। एकाधिक शोध संस्थान एवं अध्ययनशालाएँ स्थापित कीं, जिनमें वैदिक, फ़ार्मेसी और बायोकैमिस्ट्री की अध्ययनशालाएँ प्रमुख हैं।आपके ही कार्यकाल में युवासमारोह में विक्रम भारत के पश्चिम क्षेत्र का सिरमौर बना।इसी प्रकार पूर्व में वेस्ट ज़ोन की यहाँ पर दो खेलों की स्पर्धाएँ होती थीं, जिनमें चार खेल और बढ़ा दिए और इस तरह छह खेलों की स्पर्धाएँ होने लगीं।

विक्रम को पाण्डुलिपि के संग्रह के लिए देश का पाँचवाँ बड़ा रिसोर्स सेंटर बनाया गया । विश्वविद्यालय के अकादमिक और प्रशासनिक द्वार बनाए गए। महाराज विक्रमादित्य की प्रतिमा स्थापित की गई।पाँच एकड़ क्षेत्र में विक्रम सरोवर का निर्माण किया गया, जिससे पानी की आपूर्ति हो रही है और सिंचाई भी की जा रही है।बड़े आँवले के 11,000 पेड़ लगाए गए, जिससे क्विंटलों में आँवले की पैदावार हो रही है। इतना ही नहीं पूरे विश्वविद्यालय के चारों तरफ़ दीवार खड़ी की और उस पर मालवा के तीन हज़ार माँडने सजाए गए।यह कार्य शीर्ष चित्रकार प्रो. रामचंद्र भावसार के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

प्रो. राम राजेश मिश्रा के कार्यकाल पर विस्तार से लिखा जाये , तो शोधपरक कई पुस्तकें प्रकाशित हो जाएगी ।

डॉ. मिश्र को उनके इसी शैक्षणिक नवाचार तथा शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए यूनेस्को अवार्ड और इंदिरा गांधी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। ऐसे वे देश के पहले कुलपति हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ देशों के विश्वविद्यालय संघ के सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र के ऐसे ही एक अन्य सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वास्तव में यह हमारे लिए अत्यंत गौरव की बात है।कवि, आलोचक, मप्र के पूर्व संस्कृति सचिव और हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति अशोक वाजपेयी ने जब प्रो. राम राजेश द्वारा सँवारे-सजाए और नए सिरे से बनाए गए विक्रम विश्वविद्यालय को ध्यान से देखा, तो कहा—“ कुलपति हो तो ऐसा ! बूढ़े और थके-हारे के बजाय युवा और स्पष्ट एवं नई दृष्टि रखने वालों को ही कुलपति बनाया जाना चाहिए।”

#Dr. Sushil Sharma

बैंक घोटालों के भगोड़े नीरव मोदी को भारत में मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में उसे पर्याप्त चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाएगी attacknews.in

लंदन, 25 फरवरी । ब्रिटेन की एक अदालत ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में आरोपी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने का गुरुवार को आदेश दिया।यह भी कहा कि मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में उसे पर्याप्त चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाएगी।

वह पीएनबी के दो अरब अमेरिकी डालर के घोटाले का आरोपी है। यह घोटाला फरवरी 2018 में सामने आया था और इसके बाद वह ब्रिटेन भाग गया था, जहां उसने राजनीतिक शरण दिए जाने की अर्जी दी थी।

वेस्टमिंस्टर की एक अदालत ने काफी दिनों से जारी कानूनी विवाद के बाद आखिरकार भारत के इस केस को स्वीकार कर लिया कि नीरव मोदी ने गवाहों को धमकाया है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है।

ड्रिस्टिकट जज सैमुअल गोजे ने मानसिक हालत संबंधी उसकी अर्जी को ठुकराते हुए अदालत में उसे भारत को प्रत्यर्पित किए जाने का फैसला सुनाया और यह भी कहा कि मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में उसे पर्याप्त चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाएगी।

भारत व्यापार बंद का मध्यप्रदेश में रहा मिलाजुला असर,कैट के बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद उभरे और बार-बार के बंद से व्यापारियों का विरोध शुरू attacknews.in

भोपाल(मध्यप्रदेश)/नईदिल्ली , 26 फरवरी । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के जटिल प्रावधानों के विरोध में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आज भारत व्यापार बंद का आह्वान का राजधानी भोपाल सहित प्रदेश भर में मिलाजुला असर देखा गया।

कैट के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील जैन ने बताया कि जीएसटी के जटिल प्रावधानों को लेकर आज भारत व्यापार बंद का एक दिवसीय आह्वान किया गया था। इसके समर्थन में व्यापारियों ने अपनी स्वेच्छा में बंद रखा। भोपाल के पुराने शहर जुमेराती, हनुमानगंज, रायल मार्केट सहित शहर के अन्य प्रमुख बाजार सुबह से बंद रहे। हालांकि दोपहर बाद कुछ दुकानें खुल गयी। उन्होंने बताया कि बंद पूरे दिन का रहा, जो सफल रहा।

कैट के बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद

नयी दिल्ली, की रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दोपहर दो बजे के बाद बाजार बंद रहेंगे।

उन्होंने अन्य राज्यों में बंद को मिली प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सभी प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, जबकि दक्षिण भारत में इसका 70-80 प्रतिशत प्रभाव और पूर्वोत्तर राज्यों 80 प्रतिशत से अधिक प्रभाव रहने की उम्मीद है।

कैट ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा ई-वाणिज्य से संबंधित मुद्दों को लेकर भारत बंद का आह्वान किया था ।

खंडेलवाल ने कहा कि कैट एक मार्च से जीएसटी संबंधित मुद्दों को लेकर विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्रियों को लक्ष्य कर एक आक्रामक अभियान शुरू करेगा।

हालांकि कैट के आह्वान को कई स्थानों पर व्यापारियों का समर्थन नहीं मिला । इंदौर में स्थानीय व्यापारी संगठनों के एक महासंघ ने कैट के आह्वान को समर्थन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोविड-19 की पिछले एक साल से जारी मार के चलते पहले ही बड़ा घाटा झेल चुके कारोबारी अब अपने प्रतिष्ठान बंद रखना नहीं चाहते।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद पीठावाला ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में हमारे बंद का असर देखा गया। लेकिन इंदौर में राजनीतिक कारणों या अन्य किसी दबाव के चलते व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया।’’

इस बीच, कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, ‘‘हम जीएसटी प्रणाली की विसंगतियों को लेकर सरकार के सामने अपना विरोध लम्बे समय से दर्ज करा रहे हैं, लेकिन हम इस मुद्दे पर फिलहाल किसी भी बंद का समर्थन नहीं करते। व्यापारी पिछले एक साल से कोविड-19 की तगड़ी मार झेल रहे रहे हैं। वे अब किसी भी बंद में शामिल होकर अपना और नुकसान नहीं कराना चाहते।’’

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव वीके बंसल ने कहा कि सूरत में बाजार बंद रहेंगे, लेकिन देश भर के हिसाब से देखें तो बंद का बाजार पर 10 प्रतिशत असर होगा।

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि उन्होंने बंद का समर्थन नहीं किया है और दिल्ली में बाजार के खुले रहने की उम्मीद है।

जम्मू ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज आनंद ने कहा कि स्थानीय बाजार खुले रहेंगे, लेकिन व्यापारी प्रदर्शन करेंगे।

उत्तर प्रदेश ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पटवारी ने कहा कि राज्य में बंद का 50-60 प्रतिशत असर होगा।

मप्र की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में कैट का बंद नाकाम, रोज की तरह खुले बाजार

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के प्रावधानों की समीक्षा की मांग को लेकर खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट के शुक्रवार को आहूत “भारत बंद” का मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कुछ भी असर नजर नहीं आया और सभी प्रमुख बाजार रोज की तरह खुले रहे।

स्थानीय व्यापारी संगठनों के एक महासंघ ने कैट के आह्वान को समर्थन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोविड-19 की पिछले एक साल से जारी मार के चलते पहले ही बड़ा घाटा झेल चुके कारोबारी अब अपने प्रतिष्ठान बंद रखना नहीं चाहते।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद पीठावाला ने कहा, “मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में हमारे बंद का असर देखा गया। लेकिन इंदौर में राजनीतिक कारणों या अन्य किसी दबाव के चलते व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया।”

इस बीच, कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, “हम जीएसटी प्रणाली की विसंगतियों को लेकर सरकार के सामने अपना विरोध लम्बे समय से दर्ज करा रहे हैं। लेकिन हम इस मुद्दे पर फिलहाल किसी भी बंद का समर्थन नहीं करते।” खंडेलवाल ने कहा, “व्यापारी पिछले एक साल से कोविड-19 की तगड़ी मार झेल रहे रहे हैं। वे अब किसी भी बंद में शामिल होकर अपना और नुकसान नहीं कराना चाहते।”

भारत के क्षेत्र में दर्शन करने के लिए आसान बनाई जा रही है “छोटा कैलाश” की यात्रा,कैलाश—मानसरोवर यात्रा का आयोजन संभव न होने की परिस्थिति में महत्वपूर्ण होगा यह दर्शनीय स्थल attacknews.in

पिथौरागढ, 26 फरवरी । कैलाश—मानसरोवर यात्रा का आयोजन इस वर्ष भी संभव न होने की आशंकाओं के मददेनजर कुमांउ मंडल विकास निगम ने चीन के साथ लगती सीमा पर भारतीय क्षेत्र में स्थित शिव के धाम ‘छोटा कैलाश’ को एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया है ।

निगम के अध्यक्ष केदार जोशी ने यहां बताया, ‘आदि कैलाश के रूप में भी विख्यात छोटा कैलाश को भगवान शिव का असली घर माना जाता है और देश भर के शिवभक्तों के लिए यह सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थल हो सकता है ।’

उन्होने कहा कि सीमा सडक संगठन द्वारा पिछले साल जून में व्यास घाटी को मोटर मार्ग से जोड दिए जाने के बाद छोटा कैलाश तक संपर्क (कनेक्टिविटी) भी बेहतर हुई है, इससे तीर्थयात्रियों का वहां तक जाना भी सुविधाजनक हो गया है ।

भारत—चीन सीमा पर स्थित लिपुलेख दर्रे के जरिए हर वर्ष होने वाली कैलाश—मानसरोवर यात्रा के लिए निगम नोडल एजेंसी है । पिछले साल कोविड 19 महामारी के कारण यह यात्रा नहीं हो पाई और इस बार भी अब तक इसके लिए तैयारी बैठकों के न होने के कारण इसके आयोजन की संभावनाएं नहीं लग रही हैं ।

यात्रा के संबंध में हर साल फरवरी के पहले सप्ताह में विदेश मंत्रालय तैयारी बैठकें करता है ।

निगम के अध्यक्ष जोशी ने बताया कि वह अप्रैल में स्वयं छोटा कैलाश जाने की योजना बना रहे हैं जिससे वहां आधारभूत संरचनाओं की स्थिति का जायजा लिया जा सके ।

जोशी का मानना है कि अगर सुविधाएं बढाई जाएं तो ज्यादा तीर्थयात्री छोटा कैलाश की यात्रा पर आएंगे । जून से शुरू होने वाली छोटा कैलाश की तीर्थयात्रा पर अभी करीब एक हजार श्रद्धालु प्रतिवर्ष पहुंच रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि निगम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोटा कैलाश की यात्रा का निमंत्रण देना चाहता है जिससे इसे धार्मिक पर्यटन के एक गंतव्य के रूप में बढावा मिलेगा ।

राहुल गांधी के जीजा राबर्ट वाड्रा को अपने साले और पत्नी प्रियंका गांधी वाड्रा पर भरोसा है कि,यह दोनों देश में लायेंगे बदलाव और जल्द ही खुद भी राजनीति में होंगे शामिल attacknews.in

जयपुर 26 फरवरी । कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने केन्द्र सरकार पर महंगाई बढने एवं किसानों की आवाज नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी एवं प्रियंका देश में प्रगति एवं बदलाव लायेंगे।

श्री वाड्रा आज यहां मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शन करने के बाद एक टीवी मीडिया से यह बात कही। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना काल में बिना सोचे समझे लॉकडाउन लगा दिया। जिससे आज देश में हर दिन महंगाई बढ़ती जा रही है। इससे आम आदमी काे घर चलाना मुश्किल हो गया है। पेट्रोल एवं डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। एलपीजी के दाम बढ़ गये हैं। ऐसे में राहुल एवं प्रियंका को देश एक मौका देगी और इससे बदलाव आयेगा।

उन्होंने कहा कि राहुल एवं प्रियंका ने अपनी दादी से बहुत सीखा हैं और वे बहुत बदलाव ला सकते हैं। वे लोगों को कुछ देंगे ही उनसे लेंगे कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि जरुर प्रगति लायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं इनमें अंतर यह है कि ये दोनों सबके साथ एकजुट होकर प्रगित के लिए चल सकते हैं, वे किसानों से बात करेंगे।

उन्होंने कहा कि वह साइकिल चलाकर लोगों को संदेश देना चाह रहे हैं कि वह उनकी आवाज उठाने का प्रयास कर रहे हैं और साइकिल पर इसलिए आये कि वह इससे महंगाई के बारे में सरकार के खिलाफ संदेश दे सके। लोगों को भी महंगाई के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कह सके। उन्होंने कहा कि वह दबे मुद्दों को लोगों के सामने लाना चाहते हैं।

राजनीति में आने के सवाल पर श्री वाड्रा ने कहा कि वह पिछले पच्चीस वर्ष से गांधी परिवार से जुड़े हैं और लोगों की पुकार है लेकिन वह अभी राजनीति में सोच समझकर ही कदम रखेंगे। वह कुछ बदलाव ला पाने पर ही इसमें आगे बढ़ेगे।

अपने खिलाफ चल रहे मामले के बारे में उन्होंने इसे राजनीतिक मामला करार देते हुए कहा कि उनका यह मामला बिजनस से संबंधित नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने इसमें कानूनी कार्रवाई के तहत एजेंसियों को सभी प्रकार के दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं। सारे आरोप बेबुनियाद हैं। सब स्पष्ट हो गया हैं। लेकिन जब से यह सरकार आई हैं मुश्किले डालने की कोशिश की गई हैं।

उन्होंन कहा कि वह महंगाई, किसान एवं पेट्रोल आदि मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और वह बोर्डर पर जाकर किसानों से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन को नब्बे दिन से अधिक हो गए, कोई उनकी आवाज तो सुने। उन्होंने कहा कि जो दब जाता हैं, उस मुद्दे को वह उठानेे का प्रयास कर रहे हैं।

इससे पहले श्री वाड्रा ने प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शन किए। महंत कैलाश शर्मा ने उन्हें पूजा-अर्चना कराई।

मध्यप्रदेश में गरीबों को सुस्वादु और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाने के लिए दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजनांतर्गत सुदृढ़ीकृत-नवीन 100 रसोई केंद्र का शुभारंभ attacknews.in

भोपाल, 26 फरवरी । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गरीबों को सुस्वादु और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाकर अनमोल दुआएँ प्राप्त करें। नगरीय निकाय और जो स्वैच्छिक संस्थाएँ यह कार्य कर रही हैं, निश्चित ही बधाई की पात्र हैं।

श्री चौहान आज यहां मिंटो हाल में दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के अंतर्गत प्रदेश में सुदृढ़ीकृत और नवीन 100 रसोई केंद्र का वर्चुअल शुभारंभ कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई-लिखाई और दवाई बुनियादी जरूरतें हैं। कहा भी गया है भूखे भजन न हो गोपाला। अन्न ही ब्रह्म है। अपने गाँव छोड़कर शहरों में आने वाले श्रमिक और अन्य लोग अपना और बच्चों का आसानी से पेट भर सकें, इस दृष्टि से रसोई केन्द्र उपयोगी हैं। वर्ष 2017 से प्रारंभ इस योजना का विस्तार किया जाए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिला मुख्यालयों के अलावा प्रमुख धार्मिक पर्यटन नगर योजना में जोड़े गए हैं। इसके अलावा अन्य कस्बों, नगरों में भी रसोई केन्द्र प्रारंभ किए गए हैं। इनका विस्तार किया जाए। यह मानवता के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना काल में भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश से होकर जाने वाले प्रवासी मजदूरों के भोजन की व्यवस्था की गई थी। सरकार ने संबल और अन्य अनेक योजनाएँ प्रारंभ की हैं, जो गरीबों के लिए अनाज, उनके इलाज और दुर्घटना की स्थिति में आर्थिक सहयोग जैसे सभी आवश्यक प्रबंध करती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गरीबों के उपचार के लिए दो करोड़ आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए हैं। इसमें चिन्हित अस्पतालों में व्यक्ति को 5 लाख रुपए तक के उपचार की सुविधा उपलब्ध है। सभी गरीबों को आने वाले तीन वर्ष में पक्की छत मिलेगी। प्रदेश के करीब 3 लाख स्ट्रीट वेण्डर्स को अपना कारोबार विकसित करने के लिए 10 हजार रूपए प्रति हितग्राही के मान से ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाया गया है।

श्री चौहान ने कहा कि गरीबों की भोजन व्यवस्था और उन्हें सहायता देने से दुआएँ मिलती हैं। यह कार्य सरकार, सामाजिक संस्था और व्यक्तिगत स्तर पर सभी प्रकार से किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मुरैना के हाथठेला लगाने वाले शकील, धार के ऑटोचालक बाबू सिंह, उज्जैन के पुताई श्रमिक संतोष, छतरपुर के फल विक्रेता मोहन और इंदौर के श्रमिक कालू सिंह से बातचीत की।

श्री चौहान ने हितग्राहियों से उन्हें दीनदयाल रसोई केन्द्र से मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता के संबंध में भी पूछा। हितग्राहियों ने योजना में मिल रही सुविधा की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने छतरपुर जिला प्रशासन द्वारा सामाजिक संगठन को रसोई केन्द्र के आधुनिकीकरण में सहयोग के लिए बधाई दी। इसी तरह मुरैना नगर निगम को भी कोरोना काल में रसोई घर के नियमित संचालन के लिए बधाई दी।

श्री चौहान ने योजना के लिए बनाए गए पोर्टल का लोकार्पण किया। इस पोर्टल से योजना का नियमित और सतत पर्यवेक्षण किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने योजना के क्रियान्वयन में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की सराहना की।

श्री चौहान की उपस्थिति में खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और खनिज निगम के अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने निगम की ओर से 10 लाख रूपए की राशि सीएसआर के तहत दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के क्रियान्वयन के लिए सहयोग स्वरूप प्रदान की। इसके साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने मध्यप्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम की ओर से 10 लाख रूपए की राशि का चेक नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह और राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया को प्रदान किया।

शुभारंभ समारोह में योजना के क्रियान्वयन पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। लघु फिल्म में योजना का लाभ लेने वाले हितग्राहियों के साक्षात्कार शामिल किए गए हैं। यह फिल्म पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के विचार और मुख्यमंत्री द्वारा उसके मध्यप्रदेश में क्रियान्वयन पर केन्द्रित है।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान गरीबों की सेवा के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं। इनकी सोच का ही परिणाम है कि मध्यप्रदेश में गरीबों के कल्याण के लिये संबल, दीनदयाल रसोई और स्ट्रीट वेण्डर जैसी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री का प्रयास है कि गरीबों की अधिक से अधिक मदद की जाये। उन्होंने कहा कि रसोई केन्द्रों में गाँव से शहर आने वाले श्रमिकों के साथ ही शहर के गरीबों को मात्र 10 रूपये में भरपेट भोजन उपलब्ध होगा।

नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री श्री भदौरिया ने कहा कि रैन बसेरा और दीनदयाल रसोई योजना से गाँव से शहर आने वाले गरीबों के रहने और खाने की व्यवस्था मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से संभव हुई है। उन्होंने कहा कि आने वाले तीन साल में प्रदेश प्रगति और विकास की नई आधारशिला रखेगा।

कार्यक्रम में प्रमुख सचिव नगरीय विकास और आवास नीतेश व्यास ने स्वागत उद्बोधन दिया।आयुक्त नगरीय प्रशासन निकुंज श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया। प्रारंभ में मध्यप्रदेश गान हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री द्वारा बालिकाओं के पैर पूजन से हुआ। कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर, विधायक कृष्णा गौर, सहित अनेक जन-प्रतिनिधि, प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास मनीष सिंह और योजना के क्रियान्वयन से संबंधित अधिकारी और भोपाल के योजना के हितग्राही उपस्थित थे।