कोविड के लिए उपयुक्त व्यवहार का पालन करने से अहमदनगर जिले का एक और गांव कोविड मुक्त हो गया;ग्रामीणों के व्यवहार में परिर्वतन लाने में ग्राम पंचायत की अहम भूमिका रही attacknews.in

अहमदनगर 25 मई ।जब पूरा देश कोविड-9 की दूसरी लहर से जूझ रहा है, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के एक छोटे से गांव-भोयारे खुर्द के लोगों ने कोरोना के खिलाफ व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाकर जिसमें कोविड संक्रमण को रोकने के लिए उपयुक्त व्यवहार को अपनाकर, नियमित स्वास्थ्य जांच कर और संक्रमित लोगों को क्वारंटाइन (अलग) कर न सिर्फ कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में सफल हुए हैं बल्कि पूरे गांव को कोविड से मुक्त भी करने में सफल हुए हैं।

हिवारे बाजार के नक्शेकदम पर चलते हुए, जिसकी सफलता की कहानी पहले से ही लिखित है, 1,500 लोगों की आबादी वाले इस छोटे से गांव ने दिखाया है कि लोगों के सामूहिक प्रयासों में कोविड-19 संक्रमण को बिल्कुल खत्म किया जा सकता है और पूरे गांव को कोरोना से मुक्त बनाया जा सकता है।

अहमदनगर शहर से लगभग 20 किमी की दूरी पर, भोयारे खुर्द एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित गांव है। सूखाग्रस्त क्षेत्र होने के कारण बहुत सारे ग्रामीण रोजगार की तलाश में मुंबई और अन्य बड़े शहरों में पलायन कर गए हैं। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद अधिकांश श्रमिक अपने पैतृक गांव वापस आ गए हैं।

शुरुआती चरण में जब गांव में 3 से 4 कोविड-19 मामलों का पता चला तो ग्राम पंचायत और स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमित रोगियों वाले परिवारों के लिए एंटीजन किट से परीक्षण करना शुरू कर दिया। संदिग्धों और कोरोना के लक्षण वाले व्यक्तियों को तुरंत क्वारंटाइन (अलग) कर दिया गया।

इसके बाद ग्रामीणों ने अपने गांव को कोरोना मुक्त रखने के लिए कुछ पहल की शुरुआत की जिसके तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार आशा एवं आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के सहयोग से गांव के सभी परिवारों की समय-समय पर जांच की गयी।

गांव के इलाज में शामिल डॉ. सविता कुटे ने बताया कि अगर बुखार, खांसी या थकान जैसे लक्षण देखे गए, तो ऐसे लोगों को तुरंत एंटीजन परीक्षण किया गया और उन्हें आइसोलेशन में रखा गया। इसके साथ ही गांव के मंदिरों में व्यापक जागरूकता अभियान चलाया गया जहां हर सुबह और शाम को कोविड के उचित व्यवहार के बारे में संदेश देने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाता था। ग्रामीणों को इस बीमारी के बारे में बताया गया और मौजूदा महामारी की स्थिति में अपना और अपने परिवार की देखभाल कैसे की जाए, इसके बारे में जानकारी दी गई।

केंद्र और राज्य सकरार की ओर से कोरोना के प्रसार राकने के लिए मास्क पहनना, सामाजिक दूरी का पालन करना, बार-बार हाथ धोना, नियमित स्वास्थ्य जांच और लोगों को क्वारंटीन जैसे कोविड उपयुक्त व्यवहार संदेशों को बार-बार दोहराया गया।

राज्यव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद, भोयरे खुर्द ग्राम पंचायत ने कोविड के प्रसार की जांच के लिए “गांव बंद” पहल को लागू किया।

सरपंच राजेंद्र आंबेकर ने कहा, संदिग्ध व्यक्तियों को गांव में स्थापित एक आइसोलेशन सेंटर में रहने के लिए राजी किया गया, जिससे चेन तोड़ने में मदद मिली और इससे मई महीने तक गांव कोरोना मुक्त हो गया। आंबेकर ने कहा, “अगर दूसरे गांव हमारे गांव के उदाहरण का अनुसरण करते हैं, तो उन्हें कोविड-19 से मुक्त होने में देर नहीं लगेगी।”

ग्राम सेवक नंद किशोर देवकर ने शुरुआती दौर में सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताते हुए, कहा, “शुरुआत में गांव के लोगों को अपने परिवारों से दूर रहने के लिए राजी करना बहुत मुश्किल था। लेकिन धीरे-धीरे उन्हें खतरा समझ में आ गया और हमारे लिए संक्रमित लोगों को क्वारंटाइन करना आसान हो गया।

हरियाणा में पकड़ाई नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली दवा कंपनी;पुलिस ने दवा कम्पनी को सील करके 11आरोपियों को किया गिरफ्तार attacknews.in

हरियाणा में पकड़ाई नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली दवा कंपनी;पुलिस ने दवा कम्पनी को सील करके 11आरोपियों को किया गिरफ्तार

हरियाणा में पकड़ाई नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली दवा कंपनी;पुलिस ने दवा कम्पनी को सील करके 11आरोपियों को किया गिरफ्तार

चंडीगढ़, 25 मई। हरियाणा पुलिस द्वारा नकली दवाओं की कालाबाजारी पर एक और प्रहार करते हुए हिमाचल प्रदेश दवा नियंत्रक विभाग के साथ संयुक्त कार्रवाई कर नालागढ़ में नकली रेमेडिसविर टीका निर्माता दवा कम्पनी को सील करते हुये इस सिलसिले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है।

हरियाणा पुलिस के प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस ने गत 21 अप्रैल को अम्बाला से चार युवकों को रेमडेसिविर टीका की कालाबाजारी करते हुये गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 24 इंजेक्शन बरामद किए थे। इस सम्बंध में अम्बाला में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। पुख्ता जानकारी और सूचना के आधार पर जांच के दौरान इस मामले अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। दवाओं की कालाबाजारी में गिरफ्तार सभी आरोपी जरूरतमंद लोगों को रेमडेसिविर टीका कई गुणा कीमत पर बेच रहे थे।

सहारनपुर के मुस्लिम बहुल गांव मे पडोसी चाचा-भतीजे फैजान और वाजिद ने दलित परिवार के घर घुसकर युवती से सामूहिक बलात्कार के बाद जहर देकर मार डाला attacknews.in

सहारनपुर, 25 मई । उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के चिलकाना थाने के मुस्लिम बहुल एक गांव मे एकं घर में दो पडोसी युवको ने देर रात दलित परिवार के घर में घुसकर एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उसे जहर देकर मार डाला।उसके चिकित्सक के पास जाने के दौरान रास्ते में ही मौत हो गई।

घटना से भीम आर्मी समेत जिले के दलित समाज में रोष व्याप्त है।

सूचना मिलने पर आज वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस चनप्पा ने गांव पहुंचकर मामले की जानकारी ली।

उन्होंने गुस्साएं परिजनों को आरोपियों की गिरफ्तारी और कडी कानूनी कार्रवाई किए जाने का भरोसा दिया।

पुलिस ने नामजद एक आरोपी फैजान को गिरफ्तार कर आज कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया।

घटना का दूसरा आरोपी फैजान का चाचा वाजिद फरार है।

एसपी सिटी राजेश सिंह के मुताबिक आरोपी दोनो युवक मृतक युवती के पडोसी है।

घटना के वक्त युवती घर पर अकेली थी।

उसके पिता नहीं है और मां अपनी एक बेटी के साथ मायके गई हुई थी।

पुलिस ने मृतक के भाई की तहरीर पर दोनो आरोपियों के खिलाफ पास्को एक्ट, एससी-एससी एक्ट, दुष्कर्म एवं हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।

मृतक कक्षा 12 की छात्रा थी।

मृतक की स्लाइड बनवाकर जांच के लिए पैथोलाजी लैब भेजी गई है।

उसकी रिर्पोट अभी नहीं मिली है।

भीम आर्मी संस्थापक और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने इस घटना पर गहरा रोष जताते हुए कहा कि मंगलवार को उनकी कोरोना वायरस से हुए संक्रमण की एकांतवास की अवधि पूरी हो जाएगी।

इसके बाद वह गांव पहुंचकर पीडितों से मिलेंगे।

उन्होंने एसएसपी से मांग की कि दुष्कर्मियों के खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई की जाएं और अनुसूचित जाति के परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए।

मध्यप्रदेश में कोविड के विरूद्ध लड़ाई जारी रहेगी पर दूसरी गतिविधियों पर भी ध्यान केंद्रित करना है;कोरोना नियंत्रण के बाद शिवराज सिंह चौहान का और अधिक सतर्कता बरतने का अनुरोध attacknews.in

भोपाल, 25 मई । मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर पर काफी हद तक काबू पा लेने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार सभी नागरिकों और संबंधितों से कोरोना संक्रमण रोकने के लिए और अधिक सतर्क रहने का अनुरोध कर रहे हैं, ताकि तीसरी लहर के प्रकोप को राेका जा सके।

श्री चौहान ने आज यहां मंत्रिपरिषद की बैठक के पहले मंत्रियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जनता, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के सहयोग और कड़ी मेहनत से दूसरी लहर पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। अब हम धीरे धीरे ‘अनलॉक’ की ओर बढ़ेंगे। लेकिन अभी भी लगातार सतर्क रहना है, क्योंकि कोरोना गया नहीं है। यदि हमने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया, मॉस्क का उपयोग नहीं किया, वैक्सीन नहीं लगवाया और ‘कोरोना एप्रोप्रिएट बिहेवियर’ का पालन नहीं किया तो हम तीसरी लहर रोकने में सफल नहीं हो पाएंगे।

कोरोना नियंत्रण में है:शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोविड के विरूद्ध युद्ध के साथ-साथ आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तेजी से काम करना होगा।

श्री चौहान आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के मुख्य बिन्दुओं पर संबंधित अधिकारियों को मंत्रालय से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोविड के विरूद्ध लड़ाई जारी रहेगी पर दूसरी गतिविधियों पर भी ध्यान केंद्रित करना है। कोरोना संक्रमण के कारण राजस्व और विकास के कार्य प्रभावित हुए हैं, परंतु उपार्जन, मनरेगा और तेंदूपत्ता तुड़ाई का काम निर्बाध रूप से जारी रहा। अगस्त 2020 में हमने व्यापक विचार-विमर्श कर आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप बनाकर सभी क्षेत्रों में लक्ष्य निर्धारित किये थे। इस दिशा में हम तेजी से कार्य कर रहे थे। परंतु कोरोना की आपदा के कारण इनमें से कई कार्य धीमे पड़े या रूक गये। प्रदेश में अब कोरोना नियंत्रण में है, अत: हमें एक बार फिर तेजी से इस दिशा में कार्य आरंभ करना है।

श्री चौहान ने कहा कि आत्म-निर्भर भारत के रोडमैप के चार मुख्य आधार स्तम्भ क्रमश: भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, शिक्षा और स्वास्थ्य तथा अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार हैं। स्वास्थ्य के अंतर्गत कोरोना की तीसरी संभावित लहर का सामना करने के उद्देश्य से डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती, ऑक्सीजन में आत्म-निर्भरता, आवश्यक अधोसंरचना विकास और उपकरणों की आपूर्ति जैसे कार्य करना है। इसके साथ ही अर्थ-व्यवस्था और रोजगार के क्षेत्र में भी तेजी से गतिविधियाँ बढ़ानी हैं। जब कोरोना का प्रकोप अधिक नहीं था उन दिनों लगभग 1900 एमएसएमई ईकाइयों का लोकार्पण किया गया था। रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए इस प्रकार की गतिविधियाँ जारी रहेंगी।

श्री चौहान ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के अंतर्गत निर्धारित अधिकांश गतिविधियों की समय सीमा वर्ष 2023 है। कोरोना के कारण गतिविधियाँ प्रभावित हुई हैं। आत्म-निर्भर भारत के अंतर्गत आठ मिशन क्रमश: मिशन अर्थ, मिशन दक्ष, मिशन जनगण, मिशन निरामय, मिशन बौधि, मिशन निर्माण, मिशन ग्रामोदय और मिशन नगरोदय के अंतर्गत गतिविधियाँ संचालित की जाना हैं। सभी मिशनों के अंतर्गत कार्यों को गति देते हुए इनकी मानिटरिंग आत्म-निर्भर पोर्टल के माध्यम से करना तत्काल आरंभ किया जाए।

श्री चौहान ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप में 906 गतिविधियाँ और 3 हजार 25 उप गतिविधियाँ आरंभ की गई थीं। यह प्रसन्नता का विषय है कि 796 गतिविधियाँ अब तक पूर्ण भी हो चुकी हैं। इस दिशा में हमें पुन: उत्साह से लगातर कार्य करना है।

उन्होंने कहा है कि सम-सामयिक कार्यों जैसे वर्षा काल की तैयारी,सड़कों का रख-रखाव, विद्युत व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था, उपार्जन, बोवनी की तैयारियों की निरंतर समीक्षा भी आवश्यक है।

नरोत्तम मिश्रा बताया कि कमलनाध के खिलाफ पुलिस प्रकरण क्यों दर्ज किया गया और कहा कि, विपक्ष का विरोध सर आंखों पर, लेकिन भय और भ्रम फैलाना उचित नहीं attacknews.in

भोपाल, 25 मई । मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज विधानसभा में विपक्ष के नेता कमलनाथ पर फिर से हमला करते हुए कहा कि हम विपक्ष के विरोध का हमेशा स्वागत करते हैं, लेकिन भय और भ्रम फैलाना उचित नहीं हैं और इसलिए ही श्री कमलनाथ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता डॉ मिश्रा ने यहां मीडिया से कहा कि विपक्ष को विरोध करने का पूरा अधिकार है और हम सदैव इसका स्वागत करेंगे। लेकिन ‘आग लगाने’ जैसे शब्दों के जरिए लोगों को भड़काने और भय पैदा करने को कैसे उचित ठहराया जा सकता है। कांग्रेस नेता इस बात का जवाब भी नहीं दे रहे हैं। इसी तरह अमरीका के अखबारों में भी छप गया है कि कोरोना वायरस चीन का है, लेकिन वे इसे ‘इंडियन कोरोना’ बताकर देश को बदनाम कर रहे हैं। इसी वजह से प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

राजस्थान के रणभूमि की खोज “बाटी” अब तो हरेक का व्यंजन है;दाल-बाटी उज्जैन-मालवा के इलाक़े की खास पसन्द है तो;पूर्वांचल का अतिविशिष्ट व्यंजन बाटी-चोखा है attacknews.in

उज्जैन/मऊ 25 मई । दाल-बाटी जितना राजस्थान में पसन्द किया जाता है, उतना ही उज्जैन-मालवा के इलाक़े में भी पसन्द किया जाता है।

मालवा के दाल-बाटी चूरमा लड्डू और हरी चटनी के साथ खाये जाते हैं। यदि मालवा में जाकर कोई व्यक्ति लड्डू और चूरमा नहीं खाया, तो उसकी मालवा-यात्रा अधूरी ही रह गयी

बाटी चोखा एक ऐसा व्यंजन जिसका नाम सुनते पूर्वांचल के लोगों में खाने की ललक जाग उठती है। इसकी लोकप्रियता व पहुंच का आलम यह है कि यदि इसे दिहाड़ी मजदूर पसंद करता है तो वहीं अमीर व सुविधा सम्पन्न व तथाकथित रईस धनाढ्य भी शौक से बनाना व खाना पसंद करते हैं।

देखा जाए तो बाटी चोखा ही एक ऐसा व्यंजन है जिसके भोज में इसे बनाते समय आयोजक से लेकर आगंतुक तक की सहभागिता शामिल रहती है।

बाटी चोखा के महत्ता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पूर्वांचल के लगभग सभी जिलों में गांव गिराव से लेकर शहरों तक बड़े भोज आयोजन के बाद बाटी चोखा का भोज देकर ही आयोजन की पूर्णता मानी जाती है। ऐसे में बाटी-चोखा व्यंजन की उत्पत्ति के सम्बंध में बात करते हैं।

जानकारी के अनुसार बाटी मूलत राजस्थान का पारम्परिक व्यंजन है। इसका इतिहास करीब 1300 वर्ष पुराना है। 8वीं सदी में राजस्थान में बप्पा रावल ने मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश की स्थापना की।

उस समय राजपूत सरदार अपने साम्राज्यों का विस्तार कर रहे थे। इसके लिए युद्ध भी होते थे। उस दौरान ही बाटी बनने की शुरुआत हुई।

वस्तुतः युद्ध के समय सहस्रों सैनिकों के लिए भोजन का प्रबन्ध करना चुनौतीपूर्ण कार्य होता था। कई बार सैनिक भूखे-प्यासे ही रह जाते थे। ऐसे ही एक बार एक सैनिक ने सुबह रोटी के लिए आटा गूँथा, लेकिन रोटी बनने से पहले युद्ध की घड़ी आ गयी और सैनिक आटे की लोइयाँ तप्त मरुस्थल में छोड़कर रणभूमि में चले गये। शाम को जब वे लौटे तो लोइयाँ तप्त रेत में दब चुकी थीं। जब उन्हें रेत से बाहर से निकाला तो दिनभर सूर्य और रेत की तपन से वे पूरी तरह सिंक चुकी थी। थककर चूर हो चुके सैनिकों ने उसे खाकर देखा तो वह बहुत स्वादिष्ट लगी। उसे पूरी सेना ने आपस में बाँटकर खाया। बस यहीं इसका अविष्कार हुआ और नाम मिला बाटी।

उसके बाद बाटी युद्ध के दौरान खाया जानेवाला पसन्दीदा भोजन बन गया। अब रोज़ सुबह सैनिक आटे की गोलियाँ बनाकर रेत में दबाकर चले जाते और शाम को लौटकर उन्हें चटनी, अचार और रणभूमि में उपलब्ध ऊँटनी एवं बकरी के दूध से बनी दही के साथ खाते। इस भोजन से उन्हें ऊर्जा भी मिलती और समय भी बचता।

इसके बाद शनैः शनैः यह पकवान पूरे राज्य में प्रसिद्ध हो गया और यह कण्डों पर बनने लगा।

मुग़ल बादशाह अकबर के राजस्थान में आने की वजह से बाटी मुग़ल साम्राज्य तक भी पहुँच गयी।

मुग़ल ख़ानसामे बाटी को बाफकर (उबालकर) बनाने लगे और इसे नाम दिया बाफला। इसके बाद यह पकवान देशभर में प्रसिद्ध हुआ और आज भी है और कई तरीकों से बनाया जाता है।

अब बात करते हैं दाल की। दक्षिण के कुछ व्यापारी मेवाड़ में रहने आये, तो उन्होंने बाटी को दाल के साथ चूरकर खाना शुरू किया। यह जायका प्रसिद्ध हो गया और आज भी दाल-बाटी का गठजोड़ बना हुआ है।

उस दौरान पंचमेर दाल खायी जाती थी। यह पाँच तरह की दाल चना, मूँग, उड़द, तुअर और मसूर से मिलकर बनायी जाती थी। इसमें सरसो के तेल या घी में तेज मसालों का तड़का होता था।

अब चूरमा की बारी आती है। यह मीठा पकवान अनजाने में ही बन गया। दरअसल एक बार मेवाड़ के गुहिलोत कबीले के रसोइये के हाथ से छूटकर बाटियाँ गन्ने के रस में गिर गयीं। इससे बाटी नरम हो गयी और स्वादिष्ट भी। इसके बाद से इसे गन्ने के रस में डुबोकर बनाया जाना लगा। मिश्री, इलायची और ढेर सारा घी भी इसमें डलने लगा।

बाटी को चूरकर बनाने के कारण इसका नाम चूरमा पड़ा। दाल-बाटी जितना राजस्थान में पसन्द किया जाता है, उतना ही उज्जैन-मालवा के इलाक़े में भी पसन्द किया जाता है।

मालवा के दाल-बाटी चूरमा लड्डू और हरी चटनी के साथ खाये जाते हैं। यदि मालवा में जाकर कोई व्यक्ति लड्डू और चूरमा नहीं खाया, तो उसकी मालवा-यात्रा अधूरी ही रह गयी।

मालवा के दाल-बाटी और दाल-बाफले इतने प्रसिद्ध हैं की इन्हें खाने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं। दाल-बाफले के खाने के बाद व्यक्ति आनन्दमयी हो जाता है और पानी पी पीकर नींद के आगोश में चला जाता है।

बाटी चोखा का जन सुर्खियों के अनुसार इतिहास देखने पर भले इसकी उपज राजस्थान का रणक्षेत्र बना। लेकिन आज बाटी चोखा व पूर्वांचल दोनों एक दूसरे के पहचान बन चुके हैं।

स्थिति यह है की बाटी चोखा पूर्वी भारत खासकर पूर्वांचल व बिहार में एक शाही व्यंजन बन चुका है। इसकी उपलब्धता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह पूर्वांचल के प्राय सभी रेलवे स्टेशन, प्रमुख बाजार, कोर्ट कचहरी, सरकारी दफ्तर, विद्यालय महाविद्यालय इत्यादि के पास ठेला खोमचा व फुटपाथ की दुकानों पर भी नजर आने लगा है।

वही बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स भी बाटी चोखा के नाम से खुलने लगे हैं। खासकर लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज व गोरखपुर जैसे पूर्वांचल के बड़े महानगरों में बाटी चोखा की एक रेस्टोरेंट श्रृंखला चल पड़ी है। इसके बिना पूर्वांचल के जनसामान्य से गणमान्य तक कहीं कोई पार्टी दावत महाभोज पूर्ण नहीं हो पाती है।

खासकर पूर्वांचल में गाजीपुर, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, आज़मगढ़, मऊ, जौनपुर, वाराणसी, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र से होते हुए बिहार तक दाल-बाटी और चोखा की परम्परा विद्यमान है। पूर्वांचल की बाटी में मसालेदार सत्तू भरा होता है, जिसे लिट्टी कहते हैं। लिट्टी को उबलते पानी में पकाकर घी में छानने की भी परम्परा है, जिसे घाठी कहते हैं। घाठी की परम्परा गोरखपुर अंचल में है।

आलम यह है कि पूर्वांचल में दाल चावल, बाटी चोखा, चटनी, अचार, देसी घी, दही, खीर एक महा व्यंजन का स्वरूप अख्तियार कर चुका है।

देश के प्रत्येक किन्नर को 1500 रुपये का निर्वाह भत्ता देने का फैसला किया attacknews.in

नयी दिल्ली 24 मई । केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने किन्नर समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति को बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए फौरी राहत के रूप में 1,500 रुपये का निर्वाह भत्ता देने का फैसला किया है।

मंत्रालय ने सोमवार को यहां बताया कि इस वित्तीय सहायता से किन्नर समुदाय को अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी।

इन लोगों के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों और समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) से इस कदम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कहा गया है।

मंत्रालय के अनुसार देश कोविड-19 से जूझ रहा है।

ऐसे में महामारी के चलते किन्नर समुदाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है क्योंकि उनकी आजीविका व्यापक स्तर पर बाधित हुई है।

देश के मौजूदा हालात में यह कमजोर समुदाय भारी संकट और खाना और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों की गंभीर कमी से जूझ रहा है।

कोई भी किन्नर व्यक्ति या उसकी तरफ से सीबीओ प्रपत्र में बुनियादी विवरण, आधार और बैंक खाता संख्या उपलब्ध कराने के बाद वित्तीय सहायता के लिए आवेदन कर सकता है।

यह प्रपत्र सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाली एक स्वायत्त संस्था राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

देश भर में ब्लैक फंगस के 8,000 से अधिक मामले: दूषित अस्पताल की व्यवस्था भी इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड कोरोना रोगियों में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक attacknews.in

पुणे 24 मई । भारत में अब तक ब्लैक फंगस के 8,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और देश में इस बीमारी का अनुमानित प्रसार वैश्विक औसत की तुलना में लगभग 70 गुना अधिक है, जबकि म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) से जुड़ी मृत्यु दर भी 50 प्रतिशत तक है।

फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर के कार्यकारी सदस्य डॉ नरेश पुरोहित ने ‘कोरोना की ओर से उत्पन्न खतरों के बीच ब्लैक फंगस’ पर एक वेबिनार को संबोधित करने के बाद यहां बताया कि दूषित अस्पताल की व्यवस्था भी इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड कोरोना रोगियों और देश में संक्रमण से उबरने वालों के बीच ब्लैक फंगस के मामलों में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक हो सकती है।

वेबिनार महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नासिक द्वारा सोमवार को आयोजित किया गया।

मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का आंदोलन समाप्त,खंडवा पीआरओ का निलंबन समाप्त करके इंदौर कार्यालय में पदस्थ किया attacknews.in

भोपाल, 24 मई । मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) बृजेंद्र शर्मा का निलंबन समाप्त किया जाकर उन्हें इंदौर स्थित संभागीय संयुक्त संचालक, जनसंपर्क कार्यालय में पदस्थ करने के साथ ही जनसंपर्क अधिकारियों का आज प्रारंभ हुआ आंदोलन देर शाम समाप्त हो गया।

मध्यप्रदेश जनसंपर्क अधिकारी संघ के पदाधिकारियों के अनुसार उन्होंने आंदाेलन समाप्ति के बारे में राज्य के जनसंपर्क आयुक्त को सूचित कर दिया है।

पदाधिकारियों ने कहा कि वे जनसंपर्क अधिकारी का निलंबन समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री और जनसंपर्क आयुक्त के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

पदाधिकारियों ने उम्मीद जतायी है कि उनकी दूसरी मांग खंडवा कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में भी सरकार की ओर से शीघ्र कार्रवाई होगी।

इस बीच देर शाम इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार श्री बृजेंद्र शर्मा का निलंबन समाप्त कर दिया गया है और उन्हें इंदौर के संभागीय संयुक्त संचालक, जनसंपर्क कार्यालय में पदस्थ करने के आदेश दिए गए हैं।

खंडवा में पदस्थ पीआरआे को दो दिन पहले कलेक्टर कार्यालय से जारी एक आदेश में तत्काल कार्यमुक्त कर जनसंपर्क संचालनालय भोपाल में आमद देने के लिए कहा गया है।

इसके बाद कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर श्री शर्मा को इंदौर संभाग आयुक्त ने निलंबित भी कर दिया था।

खंडवा पीआरओ मामले में विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने प्रारंभ किया आंदोलन

इससे पहले खंडवा जिला प्रशासन द्वारा वहां के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) बृजेंद्र शर्मा के तबादले और निलंबन के मामले में जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों ने आज से संपूर्ण प्रदेश में ‘कामबंद’ आंदोलन प्रारंभ करते हुए इस संबंध में राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा ।

मध्यप्रदेश जनसंपर्क अधिकारी संघ के अध्यक्ष अरुण राठौर की अगुवायी में एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां जनसंपर्क आयुक्त सुदाम पी खाड़े से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इसमें खंडवा कलेक्टर को निलंबित करने की मांग भी की गयी है।

ज्ञापन में खंडवा कलेक्टर द्वारा पीआरओ के तबादले और इंदौर संभाग आयुक्त द्वारा श्री शर्मा के निलंबन की कार्रवाई संबंधी आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की गयी है। इसके अलावा खंडवा कलेक्टर को तत्काल निलंबित करने की मांग भी की गयी है।

आंध्र प्रदेश में गिरोह सरगना अब्दुल सम्मद उर्फ मुन्ना समेत 12 अपराधियों को फांसी की सजा, सात को आजीवन कारावास;राजमार्ग पर करीब 27 लॉरी ड्राइवरों और क्लीनर को मार डाला attacknews.in

ओंगोल, 24 मई ।आंध्र प्रदेश में ओंगोल की एक अदालत ने सोमवार को यहां 12 कुख्यात अपराधियों को मृत्युदंड दिया और सात अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनायी।

आठवें अतिरिक्त सत्र अदालत के न्यायाधीश एम मनोहर रेड्डी ने गिरोह के सरगना अब्दुल सम्मद उर्फ मुन्ना समेत कुख्यात गिरोह के 12 सदस्यों को तीन अपराधों में मौत की सजा सुनाई।

अभियोजन पक्ष के अनुसार 12 सदस्यीय गिरोह ने 2008 में प्रकाशम जिले में चेन्नई-कोलकाता राजमार्ग पर कई लॉरी ड्राइवरों और क्लीनर को मार डाला। वे पहले लॉरी के साथ लूटा गया सामान बेचते थे। बाद में गिरोह मद्दीपाडु गांव में लॉरियों को तोड़कर कबाड़ के रूप में बेच देता था।

मुख्य आरोपी अब्दुल सम्मद खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लॉरियों को रोकता था। गिरोह के सदस्य लॉरी के चालक और क्लीनर पर हमला करते थे, उन्हें मारते थे और पास के सुनसान इलाकों में दफना देते थे। गिरोह ने चालकों और क्लीनर की हत्या करने के बाद उनके शवों को अलग-अलग जगहों पर दफना दिया था।

पुलिस ने जांच के दौरान शवों को जमीन से बाहर निकाला। पुलिस ने बताया कि गिरोह ने 13 लॉरी चालकों और क्लीनर को मार डाला और गिरोह के खिलाफ 22 मामले दर्ज किए गए थे।

वर्ष 2008 में एक लॉरी मालिक वीरप्पन मुप्पू स्वामी की शिकायत मिलने पर प्रकाशम जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वी. विनयचंद ने सिलसिलेवार हत्याओं की जांच के लिए विशेष टीमों का गठन किया और व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी की। अदालत ने तीन जघन्य अपराधों में 19 आरोपियों को मौत की सजा और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

अमेरिका की 19 कर्मचारियों वाली अनजान कंपनी की भारत में 500 अरब डॉलर के ‘निवेश’ की पेशकश attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 मई । अमेरिका की एक अनजान कंपनी ने भारत की राष्ट्रीय संरचना पाइपलाइन (एनआईपी) में इक्विटी के रूप में 500 अरब डॉलर का निवेश करने की पेशकश की है। इस अमेरिकी कंपनी लैंडोमस रियल्टी वेंचर्स के कर्मचारियों की संख्या सिर्फ 19 है और इसका राजस्व 1.5 करोड़ डॉलर है। कंपनी की वेबसाइट सिर्फ एक पेज की है।

लैंडोमस रियल्टी ने विज्ञापनों के जरिये तथा अपनी वेबसाइट पर बयान जारी कर कहा है कि वह भारत निर्माण के तहत एनआईपी और भारत सरकार की सूचीबद्ध गैर-एनआईपी परियोजनाओं में 2,000 अरब डॉलर के निवेश के पहले चरण में इक्विटी के रूप में 500 अरब डॉलर का निवेश करना चाहती है।

देश के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन में लैंडोमस समूह के चेयरमैन प्रदीप कुमार सत्यप्रकाश ने कहा कि उनका समूह भारत के पुन:निर्माण और 5,000 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लक्ष्य के लिए सरकार की मदद करना चाहता है।

विज्ञापन में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से जारी अपील में कहा, ‘‘लैंडोमस समूह नव भारत के आपके दृष्टिकोण में योगदान करने का अवसर चाहता है। हमारा आपसे आग्रह है कि हमें यह अवसर प्रदान किया जाए।’’

दिलचस्प बात यह है कि यह एक अनजान सी कंपनी है और इसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। कंपनी की वेबसाइट भी एक ही पेज की है जिसपर अधिक ब्योरा उपलब्ध नहीं है।

जूमइन्फो के अनुसार कंपनी के कर्मचारियों की संख्या मात्र 19 है।

वेबसाइट पर कंपनी का पता अमेरिका के न्यूजर्सी का है। जूमइन्फो लैंडोमस रियल्टी वेंचर्स का गठन भारत में जमीन के टुकड़ों के अधिग्रहण और ‘लैंड बैंक’ बनाने के लिए किया गया था। कंपनी के ई-मेल पते पर भेजे गए मेल का जवाब नहीं मिला।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिसंबर, 2019 में एनआईपी की घोषणा की थी। एनआईपी के तहत वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक कुल 111 लाख करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचा निवेश का अनुमान है।

केंद्र सरकार ने राज्यों को 21.80 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की खुराक दी;1.80 करोड़ से ज्यादा अभी भी उपलब्ध;18-44 साल को एक करोड़ टीके लगाकर ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की attacknews.in

नईदिल्ली 24 मई । देश भर में चल रहे कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार सभी राज्यों और केंद्र-शासित राज्यों को मुफ्त में वैक्सीन मुहैया करवा रही है। इसके अलावा भारत सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सीधे तौर पर वैक्सीन खरीदने में भी मदद कर रही है।

‘टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट’ की रणनीति और उचित कोविड व्यवहार के साथ-साथ टीकाकरण भी भारत सरकार की कोविड महामारी के नियंत्रण और प्रबंधन की रणनीति का अहम हिस्सा है।

कोविड-19 टीकाकरण की रणनीति ‘उदारीकृत और त्वरित चरण-3’ का कार्यान्वयन 1 मई 2021 से शुरू हो गया है।

इस रणनीति के तहत, हर महीने किसी भी निर्माता की कुल सेंट्रल ड्रग्स लैबरेट्री (सीडीएल) द्वारा स्वीकृत वैक्सीन खुराक का 50 प्रतिशत भारत सरकार द्वारा खरीदा जाएगा। सरकार इन खुराकों को राज्य सरकारों को पूरी तरह से मुफ्त में उपलब्ध कराना जारी रखेगी जैसा कि पहले किया जा रहा था।

भारत सरकार ने अब तक राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 21.80 करोड़ से अधिक टीके की खुराक (21,80,51,890) नि:शुल्क श्रेणी और राज्य द्वारा सीधी खरीद श्रेणी के माध्यम से प्रदान की है।

23 मई 2021 तक 20,00,08,875 खुराक की कुल खपत हुई है जिसे इस दिन तक औसत के आधार पर निकाला गया है और इसमें अपव्यय हुईं खुराक भी शामिल हैं। यह आंकड़ा 24 मई की सुबह 8 बजे तक का है।

1.80 करोड़ से अधिक कोविड वैक्सीन खुराक (1,80,43,015) अभी भी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पास उपलब्ध हैं जिन्हें अभी लगाया जाना बाकी है।

इसके अलावा, 48 लाख (48,00,650) से अधिक वैक्सीन खुराक पाइपलाइन में हैं और अगले 3 दिनों के भीतर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्राप्त होंगी।


भारत ने टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण के तहत 18-44 साल के आयु वर्ग समूह को एक करोड़ टीके देने के साथ एक बड़ा ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया

लगातार 11वें दिन कोविड-19 से दैनिक स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या संक्रमण के दैनिक नये मामलों से ज्यादा

लगातार आठवें दिन कोविड-19 के दैनिक मामलों की संख्या तीन लाख से कम

साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट गिरकर 12.66 प्रतिशत हुआ

भारत ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में आज एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। देश में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण के तहत 18-44 वर्ष आयु समूह के लोगों को एक करोड़ से ज्यादा (1,06,21,235) खुराक दे दी गयीं।

जांच, बीमारी का पता लगाने, उपचार और कोविड उपयुक्त व्यवहार के साथ-साथ महामारी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए टीकाकरण भारत सरकार की व्यापक रणनीति का एक अभिन्न स्तंभ है।

कोविड-19 टीकाकरण की तीसरे चरण की उदारीकृत और त्वरित रणनीति का कार्यान्वयन 1 मई 2021 से शुरू हो गया है।

भारत में देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण का विस्तार होने के साथ अब तक दिए गए कोविड-19 टीके की कुल खुराक की संख्या आज 19.60 करोड़ से ज्यादा हो गयी।

अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह सात बजे तक 28,16,725 सत्रों में कोविड-19 के टीके की कुल 19,60,51,962 खुराक दी जा चुकी हैं। इनमें वे 97,60,444 स्वास्थ्य सेवा कर्मी (एचसीडब्ल्यू) शामिल हैं, जिन्होंने वैक्सीन की पहली खुराक ली है और 67,06,890 ऐसे एचसीडब्ल्यू भी शामिल हैं, जिन्होंने वैक्सीन की दूसरी खुराक ले ली है। इसके अलावा पहली खुराक लेने वाले 1,49,91,357 अग्रिम पंक्ति के कर्मी (एफएलडब्ल्यू), दूसरी खुराक लेने 83,33,774 एफएलडब्ल्यू, और 18 से 44 साल के आयु समूह में पहली खुराक लेने वाले 1,06,21,235 लोग शामिल हैं।

इसके साथ-साथ 45 से 60 वर्ष की आयु के पहली खुराक लेने वाले और दूसरी 6,09,11,756 खुराक लेने वाले 98,18,384 लाभार्थियों के साथ-साथ 5,66,45,457 पहली खुराक लेने वाले और 1,82,62,665 दूसरी खुराक लेने वाले 60 वर्ष की आयु से ज्यादा के लाभार्थी भी शामिल हैं।

भारत में लगातार 11वें दिन कोविड-19 से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या संक्रमण के नये मामलों से ज्यादा थी। पिछले 24 घंटे में बीमारी से 3,02,544 लोग स्वस्थ हुए।

बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की कुल संख्या आज 2,37,28,011 हो गयी। बीमारी से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर बढ़कर 88.69 प्रतिशत हो गयी।

स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या में 10 राज्यों की 72.23 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

एक और सकारात्मक घटनाक्रम के तहत भारत में दर्ज किए जा रहे कोविड-19 के दैनिक नए मामले लगातार आठवें दिन तीन लाख से कम हैं। कोविड-19 संक्रमण के दैनिक नये मामलों और बीमारी से स्वस्थ होने के दैनिक मामलों के बीच का अंतर आज कम होकर 80,229 हो गया।

पिछले 24 घंटे में 2,22,315 नए मामले दर्ज किए गए।

पिछले 24 घंटे में सामने आए नए मामलों में 10 राज्यों की 81.08 प्रतिशत हिस्सेदारी है। तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 35,483 और उसके बाद महाराष्ट्र में 26,672 नए मामले दर्ज किए गए।

10 मई 2021 को अपने आखिरी चरम पर पहुंचने के बाद से सक्रिय मामलों की संख्या में कमी आयी है।

भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या गिरकर आज 27,20,716 हो गयी। यह देश के कुल कोविडपॉजिटिव मामलों का 10.17 प्रतिशत है।

पिछले 24 घंटे में सक्रिय मामलों की संख्या में कुल 84,683 की कमी आयी है।देश के कुल सक्रिय मामलों में आठ राज्यों की हिस्सेदारी 71.62 प्रतिशत है।

भारत में पिछले 24 घंटे में कुल 19,28,127 जांच हुई जिसके साथ अब तक हुए जांच की कुल संख्या 33,05,36,064 है। आज पॉजिटिविटी रेट 8.09 प्रतिशत है। साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट भी गिरकर 12.66 प्रतिशत हो गया।

राष्ट्रीय मृत्यु दर इस समय 1.14 प्रतिशत है।पिछले 24 घंटों में 4,454 मौतें हुई हैं।

नई मौतों में दस राज्यों की हिस्सेदारी 79.52 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 1,320 लोगों की मृत्यु हुई। इसके बाद कर्नाटक में 624 मौतें हुईं।

18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत (1.14 प्रतिशत) से कम है।18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।

समस्त COVID19 सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लिए कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म से स्थल पर ही पंजीकरण की सुविधा प्रदान करने का निर्णय attacknews.in

नईदिल्ली 24 मई । टीकाकारण देश जनसंख्या के सबसे संवेदनशील जनसंख्या समूहों को कोविड-19 संक्रमण से बचाने की ऐसी प्रक्रिया है और इसकी सर्वोच्च स्तर पर लगातार समीक्षा और निगरानी की जाती हैI सभी हितधारकों के साथ व्यापक विमर्श के बाद वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप इस प्रक्रिया में संशोधन करने के लिए एक वर्गीकृत, समय-पूर्व एवं पहले से ही तैयारी के साथ कार्यवाही की अनुमति दी गई है।

01 मार्च 2021 को राष्ट्रीय टीकाकारण अभियान के द्वितीय चरण की शुरुआत के साथ ही कोविन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर केवल 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों के ऑनलाइन पंजीकरण एवं टीकाकरण की तिथि और समय के निर्धारण की सुविधा दी गई थीI

बाद में इन प्राथमिकता समूहों के लिए टीकाकरण स्थल पर ही पंजीकरण और समय निर्धारण समूह पंजीकरण सुविधा को भी जोड़ा गया थाI

इसके बाद 01 मई 2021 से उदारीकृत मूल्य निर्धारण एवं त्वरित राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण रणनीति के क्रियान्वयन के साथ ही 18-44 आयु वर्ग की जनसंख्या के लिए भी टीकाकरण के कार्य क्षेत्र का विस्तार किया गया हैI

18-44 आयु वर्ग के लोगों के लिए शुरू में केवल ऑनलाइन समय निर्धारण से टीकाकरण केन्द्रों में अधिक भीड़ एकत्र होने से बचना सम्भव हो पायाI

इस सम्बन्ध में राज्यों द्वारा किए गए विभिन्न अनुरोधों और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 18-44 वर्ष आयु वर्ग के टीकाकरण के लिए प्राप्त जानकारियों के आधार पर, केंद्र सरकार ने अब निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करते हुए 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लिए कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर टीकाकरण स्थल पर ही पंजीकरण/सहायक समूह पंजीकरण की सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया है:

(i) ऑनलाइन स्लॉट के साथ विशेष रूप से आयोजित टीकाकरण सत्रों के दौरान उस दिन समय की समाप्ति के समय तक यदि कुछ ऑनलाइन समय पाए हुए लाभार्थी किसी कारण से टीकाकरण के दिन नहीं आ पाते हैं। तब ऐसी स्थिति में टीकों की बर्बादी को कम से कम करने के लिए कुछ लाभार्थियों का टीकाकरण स्थल पर ही पंजीकरण आवश्यक हो सकता है।

(ii) भले ही कोविन इस समय एक मोबाइल नंबर पर आरोग्य सेतु और उमंग जैसे ऐप्स और सामान्य सेवा केन्द्रों आदि के माध्यम से 4 लाभार्थियों के पंजीकरण और समय दिए जाने की सुविधा प्रदान करता है, लेकिन समूह में सुविधा की आवश्यकता वाले लोगों या जिन लोगों की पहुँच अभी भी इंटरनेट या स्मार्ट फोन या मोबाइल फोन तक नहीं है, के लिए अभी भी टीकाकरण के विकल्प बहुत सीमित हैं।

  इसलिए अब 18-44 आयुवर्ग के लिए कोविन प्लेटफ़ॉर्म पर टीकाकरण स्थल पर ही पंजीकरण एवं समय निर्धारण की सुविधा दी जा रही है।

  हालाँकि, यह सुविधा वर्तमान समय में केवल सरकारी कोविड टीकाकरण केंद्रों (सीवीसी) के लिए ही सक्षम की जा रही है।

  वर्तमान में यह सुविधा निजी क्षेत्र के टीकाकरण केन्द्रों (सीवीसी) के लिए उपलब्ध नहीं होगी और निजी क्षेत्र के टीकाकरण केन्द्रों को अपने टीकाकरण कार्यक्रम को विशेष रूप से ऑनलाइन समय निर्धारण के लिए स्लॉट के साथ प्रकाशित करना होगा।

  संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के बाद ही इस सुविधा का उपयोग किया जा सकेग। ऐसा करने के लिए राज्य सरकार /केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को 18-44 आयु वर्ग के पात्र लाभार्थियों के सामूहिक पंजीकरण और समय निर्धारण में स्थानीय सन्दर्भ के आधार पर एक अतिरिक्त उपाय टीकाकरण स्थल पर ही पंजीकरण/समूह में पंजीकरण की सुविधा शुरू करने  का निर्णय करना होगा ताकि टीकों की बर्बादी कम से कम हो सकेI

  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 18 से 44 वर्ष की आयु समूह के लिए ऑन-साइट पंजीकरण और नियुक्ति सुविधा का उपयोग करने की सीमा और तरीके के संबंध में संबंधित राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकार के निर्णय का सख्ती से पालन करने के लिए सभी जिला टीकाकरण अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी करने की सलाह दी है।

  सुविधा समूहों से संबंधित लाभार्थियों को टीकाकरण सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह से आरक्षित सत्र भी आयोजित किए जा सकते हैं। जहां कहीं भी इस तरह के पूर्ण आरक्षित सत्र आयोजित किए जाते हैं, ऐसे लाभार्थियों को पर्याप्त संख्या में बुलवाने  के लिए भी सभी प्रयास किए जाने चाहिए।

  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सलाह भी दी है कि टीकाकरण केंद्रों पर भीड़भाड़ से बचने के लिए 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लिए साइट पर पंजीकरण और टीकाकरण के लिए समय निर्धारित किए जाते समय अत्यधिक अतिरिक्त सावधानी बरती जानी चाहिए।

केंद्र सरकार ने अब तक राज्यों को 17,755 ऑक्सीजन कंसट्रेटर, 15,961 ऑक्सीजन सिलेंडर, 19 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, 12,913 वेंटिलेटर/बीआई पीएपी, ~6.9 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन शीघ्रता से वितरित किये attacknews.in

नईदिल्ली 24 मई । भारत सरकार को 27 अप्रैल, 2021 से विभिन्न देशों/संगठनों से कोविड-19 राहत चिकित्सा आपूर्तियों और उपकरणों का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मिल रहा है। इन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल भेजा/वितरित किया जा रहा है।

27 अप्रैल, 2021 से 23 मई, 2021 तक कुल मिलाकर 17,755 ऑक्सीजन कंसट्रेटर, 15,961 ऑक्सीजन सिलेंडर, 19 ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, 12,913 वेंटिलेटर/बीआई पीएपी, ~6.9 लाख रेमडेसिविर शीशियों को सड़क और वायु मार्ग के माध्यम से वितरित किया गया/ भेजा गया है।

ओंटारियो (कनाडा), ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, यूएसआईएसपीएफ, बुद्धिस्ट संघ (वियतनाम) और एसएंडजे चैरिटेबल ट्रस्ट (ब्रिटेन) से 22/23 मई, 2021 को प्राप्त बड़े खेप

खेप मात्रा

ऑक्सीजन कंसट्रेटर 1,125

वेंटिलेट/बीआई-पीएपी/सीपीएपी 1,397

राहत सामग्रियों को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और संस्थानों को तुरंत आवंटन और सुव्यवस्थित वितरण करना एक सतत प्रयास है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय नियमित आधार पर इसकी व्यापक निगरानी कर रहा है। अनुदान, सहायता और दान के रूप में बतौर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विदेशी कोविड राहत सामग्री की प्राप्ति और आवंटन के समन्वय के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में एक समर्पित समन्वय प्रकोष्ठ बनाया गया है। 26 अप्रैल, 2021 से इस प्रकोष्ठ ने काम करना शुरू कर दिया है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की है और 2 मई, 2021 से इसे लागू किया गया है।

पूर्ण चंद्र ग्रहण; बुधवार, 26 मई 2021; 5 ज्येष्ठ, शक संवत 1943;चंद्रग्रहण का आंशिक चरण भारत में दिखेगा attacknews.in

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसारः

(भारत में आंशिक प्रावस्था दृश्य)

नईदिल्ली 24 मई ।26 मई 2021 (5 ज्येष्ठ, शक संवत 1943) को पूर्ण चंद्र ग्रहण घटित होगा । भारत में चंद्रोदय के तत्काल बाद ग्रहण की आंशिक प्रावस्था का अंत अल्प अवधि के लिए भारत के उत्तर पूर्वी हिस्सों (सिक्किम को छोड़कर), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओड़िशा के कुछ तटीय भागों तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह से दिखाई देगा ।

यह ग्रहण दक्षिण अमरीका, उत्तर अमरीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्टिका, प्रशांत महासागर तथा हिंद महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा ।

ग्रहण की आंशिक प्रावस्था का प्रारम्भ भा.मा.स. अनुसार घं.15 मि.15 पर होगा । ग्रहण की पूर्णावस्था भा.मा.स. अनुसार घं. 16 मि. 39 पर आरम्भ होगी । ग्रहण की पूर्णावस्था का अंत भा.मा.स. अनुसार घं. 16 मि. 58 पर होगा तथा इसकी आंशिक प्रावस्था का अंत भा.मा.स. अनुसार घं. 18 मि. 23 पर होगा ।

19 नवम्बर 2021 को घटित होने वाला अगला चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य होगा । यह एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा जिसकी आंशिक प्रावस्था का अंत चंद्रोदय के तत्काल उपरांत अल्प अवधि के लिए अरुणांचल प्रदेश और असम के सुदूर उत्तर पूर्वी हिस्सों से दृश्य होगा ।

चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को घटित होता है जब पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के बीच आ जाती है तथा ये तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थित रहते हैं । पूर्ण चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की प्रच्छाया से आवृत हो जाता है तथा आंशिक चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा का एक हिस्सा ही पृथ्वी की प्रच्छाया से ढक पाता है।

चंद्रमा का पूर्ण ग्रहण 26 मई 2021 (5 ज्येष्ठ, 1943 शक संवत) को होगा। चन्द्रग्रहण का आंशिक चरण भारत में चंद्रोदय के तुरंत बाद कुछ समय के लिए भारत के पूर्वोत्तर भागों (सिक्किम को छोड़कर), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओडिशा तथा अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कुछ तटीय भागों में दिखेगा।

ग्रहण दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर और हिंद महासागर को कवर करने वाले क्षेत्र में दिखाई देगा।

ग्रहण का आंशिक चरण भारतीय समय के अनुसार 15 बजकर 15 मिनट पर प्रारंभ होगा। कुल चरण भारतीय समय के अनुसार 16 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगा। कुल चरण भारतीय समय के अनुसार 16 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगा। आंशिक चरण 18 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा।

अगला चंद्रग्रहण भारत में 19 नवंबर 2021 को दिखेगा। यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा। आंशिक चंद्रग्रहण की समाप्ति को चंद्रोदय के कुछ समय बाद कुछ समय के लिए ही अरुणाचल प्रदेश और असम के चरम पूर्वोत्तर भागों में देखा जा सकेगा।

चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और जब तीनों – सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा- एक सीध में आ जाते हैं। पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आता है और आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का केवल एक भाग पृथ्वी की छाया में आता है।

26 मई को भारत के कुछ स्थानों से दिखाई देने वाले ग्रहण के आंशिक चरण की अवधि

समय – चंद्रोदय समय (आईएसटी) -चंद्रोदय के बाद दिखाई देने वाले आंशिक चरण की समाप्ति की अवधि – बजे मिनट -मिनटों में

अगरतला – 18 06 -17

आयजोल – 17 59 -24

कोलकाता – 18 15 -08

चेरापूंजी -18 06 -17

कूच बिहार -18 18 -05

डायमंड हार्रबर-18 15 -08

दीघा -18 16 -07

गुवाहाटी -18 09 -14

इंफाल -17 56 -27

ईटानगर -18 02 -21

कोहिमा -17 57 -26

लुमडिंग -18 01 -22

मालदा -18 21 -02

उत्तर लखीमपुर-18 00 -23

पारादीप -18 18 -05

पासीघाट -17 57 -26

पोर्ट ब्लेयर -17 38 -45

पुरी -18 21 -02

शिलांग -18 06 -17

सिबसागर -17 58 -25

सिलचर -18 01 -22