पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के लोकसभा चुनाव में सबसे बुरे दिन, अस्तित्व बचाने के साथ- साथ नेतृत्व का भी संकट attacknews.in

कोलकाता, 20 मार्च । कभी पश्चिम बंगाल में अजेय ताकत माने जाने वाले माकपा नीत वाम मोर्चे के लिए इस बार लोकसभा चुनाव सबसे मुश्किल राजनीतिक अग्निपरीक्षा है जब उसे अपने राजनीतिक एवं चुनावी अस्तित्व जताना होगा।

वाम मोर्चा ने 1977 से लगातार 34 साल तक राज्य में हुकूमत की, लेकिन अब इसका जनाधार तेजी से सिकुड़ रहा है। वह नेतृत्व का संकट का सामना कर रहा है और उसके कार्यकर्ता सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में, यहां तक कि भाजपा में जा रहे हैं। भगवा दल उसकी जगह लेता जा रहा है और उसे अपनी जमीन बचाने के लिए जद्दोजेहद करना पड़ रहा है।

राज्य में तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच चार तरफा मुकाबला होने की संभावना है। यहां चुनावी रण में वाम मोर्चा अकेले ताल ठोकेंगा।

माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मुल्ला ने  कहा, ‘‘ यह चुनाव वाकई में बंगाल में हमारे के लिए सबसे मुश्किल चुनावी लड़ाइयों में से एक है। हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी हम राज्य की सियासत में ऐसी स्थिति में पहुंच जाएंगे। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चीजें बदलेंगी जब लोगों को इस बात का एहसास होगा कि तृणमूल कांग्रेस का विकल्प सिर्फ वाम दल ही दे सकता है न कि भाजपा।’’

माकपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘यह हमारे राजनीतिक और चुनावी अस्तित्व को साबित करने और भाजपा के खिलाफ अपनी जमीन बचाए रखने की लड़ाई है। यह सच है कि आप वाम को खत्म नहीं कर सकते हैं लेकिन संसदीय राजनीति में आपकी बात सुनी जाए इसके लिए आपको चुनावी तौर पर अहम होने की जरूरत है।’’

वाम मोर्चा में माकपा के अलावा 10 पार्टियां शामिल हैं। इनमें ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी), रिवोलुशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (भाकपा) शामिल हैं जो इसके अहम घटक हैं जो राज्य में लोकसभा चुनाव लड़ते हैं।

माकपा और वाम मोर्चा ने बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 2014 के चुनाव में केवल दो सीटों पर ही जीत हासिल की थी।

वाम मोर्चे ने कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे की बातचीत की थी लेकिन यह आखिरी क्षण में विफल हो गई। दोनों पक्षों ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘ अगर हम सीट बंटवारे पर समझौता कर पाते तो कई सीटों पर नतीजे कुछ और होते। हम तृणमूल कांग्रेस का अधिक विश्वसनीय धर्मनिरपेक्ष विकल्प हो सकते थे।’’

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छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटों पर भाजपा के नये प्रत्याशी, वर्तमान किसी भी सांसद को टिकट नहीं attacknews.in

नयी दिल्ली, 19 मार्च । भाजपा ने एक बड़ा निर्णय करते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के सभी 10 मौजूदा सांसदों की जगह नए चेहरे को उतारने की घोषणा की है । यह फैसला ऐसे समय में किया गया है जबकि पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।

भाजपा के महासचिव और प्रदेश प्रभारी अनिल जैन ने इसकी घोषणा की। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने आगामी आम चुनाव के लिए यहां उम्मीदवारों को लेकर विचार विमर्श किया। केंद्रीय समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के अन्य शीर्ष नेता शामिल हैं।

जैन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने नए उम्मीदवारों और नए उत्साह के साथ चुनाव लड़ने का निर्णय किया है।’’

भाजपा को पिछले साल विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी अपना खोया हुआ आधार फिर से पाने का प्रयास कर रही है।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य में 68 सीटें जीती थी। राज्य में 15 साल शासन कर चुकी भाजपा को 15 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। दोनों दलों की वोट हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत का अंतर था।

सूत्रों ने बताया कि भाजपा इस पर भी विचार कर रही है कि मौजूदा सांसदों के परिवार के भी किसी सदस्य चुनाव में नहीं उतारा जाए। पार्टी ने यह मानदंड अपनाया तो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की संभावित उम्मीदवारी भी सवालों के घेरे में आ जाएगी, क्योंकि उनके पुत्र अभिषेक सिंह वर्तमान सांसद हैं।

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चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर सख्त हुआ, परामर्श जारी किया, दूसरे चरण के मतदान की अधिसूचना जारी की attacknews.in

नयी दिल्ली, 19 मार्च । चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से चुनाव प्रचार के दौरान सैनिकों की तस्वीरों का इस्तेमाल करने से बचने के परामर्श को विस्तारित करते हुये कहा है कि चुनाव प्रचार में कोई भी राजनीतिक दल ‘सैन्य अभियानों’ का किसी भी प्रकार से जिक्र करने से बचे।

मंगलवार को जारी परामर्श में आयोग ने प्रचार अभियान में सैन्यकर्मियों की तस्वीर के अलावा सैन्य अभियानों से जुड़ी तस्वीरों का भी इस्तेमाल करने से बचने को कहा है। आयोग के प्रधान सचिव नरेन्द्र एन बुतोलिया द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है कि राजनीतिक दल और उम्मीदवार विज्ञापन और प्रचार में सैनिकों और सैन्य अभियानों की तस्वीरों का इस्तेमाल करने से बचें।

आयोग ने इस बारे में गत नौ मार्च को भी परामर्श जारी किया था। इसमें सैन्यकर्मियों की तस्वीरों के इस्तेमाल से बचने की बात कही गयी थी।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर वायु सेना की कार्रवाई के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन की तस्वीर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा इस्तेमाल करने के बाद आयोग ने यह परामर्श जारी किया था।

नये परामर्श में आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और प्रचार अभियान में जुटे लोगों को न सिर्फ सैनिकों बल्कि सैन्य अभियानों की तस्वीरें भी प्रचार अभियान में शामिल करने से बचना चाहिये। आयोग ने राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार में रक्षा बलों के किसी भी तरह के इस्तेमाल से बचने की सख्त हिदायत दी है।

हाल ही में आयोग ने भाजपा के दिल्ली में विधायक ओ पी शर्मा को अपने सोशल मीडिया अकांउट से विंग कमांडर अभिनंदन की तस्वीर इस्तेमाल करने के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

सोशल मीडिया प्रतिनिधियों के साथ बैठक:

चुनाव आयोग ने निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म से एक अलग आचार संहिता बनाने को कहा और इस माध्यम का दुरुपयोग न करने की सलाह दी।

आयोग ने  फेसबुक, व्हाटसऐप, इंटरनेट, मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया आदि के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में यह निर्देश दिये।

इस पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के प्रतिनिधि सहमत हो गये और उन्होंने आश्वासन दिया कि वे एक संहिता तैयार करेंगे और इस बारे में कल विस्तृत रूपरेखा पेश करेंगे।

दूसरे चरण की 97 सीटों के लिए अधिसूचना जारी:

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत 18 अप्रैल को होने वाले मतदान की अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी।

इस चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों के लिये मतदान होगा। निर्वाचन आयोग द्वारा दूसरे चरण के चुनाव के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हस्ताक्षर वाली अधिसूचना जारी किये जाने के साथ ही इस चरण में मतदान वाली सीटों के लिये उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया शुरु हो गयी है।

उल्लेखनीय है कि आयोग ने 17वें लोकसभा चुनाव के लिये निर्धारित कार्यक्रम के तहत पहले चरण में 11 अप्रैल को 91 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिये सोमवार को अधिसूचना जारी की थी। लोकसभा की 543 सीटों के लिये सात चरणों में चुनाव होना है।

अधिसूचना के अनुसार, इस चरण के लिये नामांकन की अंतिम तिथि 26 मार्च है। नामांकन पत्रों की जांच 27 मार्च को होगी और नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 29 मार्च है।

इस चरण में तमिलनाडु की सभी 39 सीटों के अलावा बिहार की 40 में से पांच, जम्मू कश्मीर की छह में से दो, उत्तर प्रदेश की 80 में से आठ, कर्नाटक की 28 में से 14, महाराष्ट्र की 48 में से 10 और पश्चिम बंगाल की 42 में से तीन सीटों के लिये चुनाव होगा।

इस चरण में उत्तर प्रदेश की जिन आठ सीटों पर चुनाव होना है उनमें आगरा, मथुरा, नगीना, अमरोहा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस और फतेहपुर सीकरी शामिल है। वहीं बिहार की किशनगंज, कटिहार, पूर्णियां, भागलपुर और बांका लोकसभा सीट के लिये दूसरे चरण में मतदात होगा।

जम्मू कश्मीर की श्रीनगर और ऊधमपुर सीट के अलावा पश्चिम बंगाल की जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और रायगंज सीट पर भी दूसरे चरण में मतदान होगा।

भाजपा और कांग्रेस सहित विभिन्न दलों ने दूसरे चरण के मतदान वाली सीटों के लिये अपने उम्मीदवार घोषित करने की प्रक्रिया शुरु कर दी है।

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इंदिरा गांधी रायबरेली सीट हारने के बाद इस सीट को सुरक्षित नहीं मान रहीं थी लेकिन आज यह कांग्रेस पार्टी का गढ़ बनी हुई है attacknews.in

रायबरेली, 19 मार्च । कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के रायबरेली संसदीय क्षेत्र में पार्टी को पहला झटका यहां तब लगा था जब आपातकाल से खिन्न जनता ने 1977 के चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

इस चुनाव में केवल यहीं नहीं पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था और वह सत्ता से बाहर हो गयी थी हालांकि इसके ढाई वर्ष के बाद ही इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने सत्ता में वापसी की।

आपातकाल के बाद 1977 में चुनाव हुए में इंदिरा गांधी काे रायबरेली में उन्हें जनता पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण से शिकस्त का सामना करना पडा था। लगभग ढाई साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद वर्ष 1980 में जब मध्यावधि चुनाव हुए, ताे यह अटकले लगायी जाने लगी कि इंदिरा शायद रायबरेली से चुनाव ना लड़ें। खुद इंदिरा रायबरेली से अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं थी। इसके कई कारण थे जिनमें एक ताे वहां से पिछला चुनाव हार चुकी थीं, दूसरा कि उनके खिलाफ जनता पार्टी ने जबरदस्त याेजना बनायी थी। इस याेजना के तहत रायबरेली से जनता पार्टी ने अपनी दमदार नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया काे मैदान में उतारा था।

धुन की पक्की कांग्रेस नेत्री ने अपनी याेजना बनायी जिससे वह बगैर जोखिम लिये किसी भी कीमत पर संसद में पहुंचे। उन्होंने तय किया कि वह दाे सीटाें से चुनाव लड़ेंगी। एक रायबरेली और दूसरा आंध्रप्रदेश की मेडक सीट। रायबरेली की तुलना में मेडक सीट ज्यादा सुरक्षित थी। वर्ष 1977 में जब कांग्रेस काे हिंदी भाषी क्षेत्राें में करारी हार झेलनी पड़ी थी, तब दक्षिण ने ही कांग्रेस काे कुछ हद तक बचाया था। इसलिए उन्हाेंने मेडक सीट से भी चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था।

जनता पार्टी के नेता किसी भी हाल में इंदिरा गांधी काे संसद में पहुंचने से राेकना चाहते थे। इसलिए जिन दाे सीटाें पर इंदिरा गांधी चुनाव लड़ रही थीं, उन दाेनाें सीटाें पर जनता पार्टी ने दमदार प्रत्याशी उतारा। रायबरेली में उनके सामने राजमाता सिंधिया थीं, ताे मेडक में इंदिरा गांधी के खिलाफ एस जयपाल रेड्डी चुनाव मैदान में उतरे। श्री रेड्डी जनता पार्टी सरकार में मंत्री थे और ताकतवर नेता माने जाते थे लेकिन उनका सामना इस बार इंदिरा गांधी से हाे रहा था। क्या इंदिरा काे हरा कर जयपाल रेड्डी राजनारायण की याद ताजा करेंगे, यही सवाल उठ रहे थे। इधर, जनता पार्टी की किचकिच का असर भी दिख रहा था। जनता का माेह जनता पार्टी से भंग हाे रहा था।

चुनाव में इंदिरा गांधी की लाेकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हाेंने दाेनाें सीटाें पर भारी मताें से जीत दर्ज की। पारंपरिक सीट रायबरेली में उन्हाेंने राजमाता सिंधिया काे डेढ़ लाख से ज्यादा मताें से हराया।

यह चुनाव उन्होंने कांग्रेस (आइ) के बैनर तले चुनाव लड़ा था। उन्हें 2,23,903 मत मिले थे, जबकि राजमाता काे सिर्फ 50,249 मत मिले। आंध्र प्रदेश की सीट मेडक से भी इंदिरा गांधी दाे लाख से ज्यादा मताें से जीती थीं। श्रीमती गांधी काे 3,01,577 मत मिले थे, जबकि जनता पार्टी के नेता एस जयपाल रेड्डी काे सिर्फ 82,453 मतो से संतोष करना पडा था। बाद में इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट छोड़ दी थी।

इसके अलावा रायबरेली सीट पर कांग्रेस को दो बार हार का सामना करना पडा जब वर्ष 1996 और 1998 में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने यहां से जीत हासिल की। आजादी के बाद से अब तक यहां 19 बार हुये चुनावों में 16 मर्तबा कांग्रेस का परचम लहराया है। कांग्रेस की मौजूदा प्रत्याशी सोनिया गांधी 2004 से यहां से सांसद है।

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1957 में दूसरे आम चुनाव मे भारत में कांग्रेस पार्टी को मिले बहुमत से अलग आकर्षक व्यक्तित्व के कारण अटल बिहारी वाजपेयी का उदय हुआ और विजयी होकर इतिहास बनाया attacknews.in

नयी दिल्ली, 19 मार्च । आजादी के बाद 1957 में हुये दूसरे लोकसभा चुनाव ने न केवल तपे-तपाये नेताओं को नीति-निर्माता बनने का अवसर दिया बल्कि अपनी वाकपटुता और आकर्षक व्यक्तित्व के बदौलत लोकप्रियता हासिल करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार निर्वाचित कर देश को नया संदेश दिया।

लाेकसभा की 494 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में चार राष्ट्रीय, 11 अन्य दलों तथा निर्दलीय उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था। राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस, अखिल भारतीय जनसंघ, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और प्रजा सोसलिस्ट पार्टी शामिल थी। इस चुनाव में जनसंघ के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर सीट पर पहली बार जीत हासिल कर एक नया इतिहास रच दिया था।

राज्य स्तरीय अन्य पार्टियों में जनता पार्टी, फारवर्ड ब्लाक (मार्सिस्ट), गणतंत्र परिषद, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, झारखंड पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीजेंट एंड वर्कर पार्टी, अखिल भारतीय राम राज्य पार्टी रिवोल्यूशनरी सोसलिस्ट पार्टी और आल इंडिया शेड्यूल कास्ट फेडरेशन शामिल थी। राष्ट्रीय पार्टियों को 73 प्रतिशत से अधिक वोट मिले जबकि क्षेत्रीय पार्टियों को 7.60 प्रतिशत वोट मिले। आश्चर्यजनक ढंग से 19.32 प्रतिशत मतदाताओं ने निर्दलीय प्रत्याशियों को वोट देना बेहतर समझा।

उस समय 19 करोड़ 36 लाख 52 हजार से अधिक मतदाताओं ने 1519 उम्मीदवारों के चुनावी किस्मत का फैसला किया था। इस चुनाव में राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 919 और अन्य पार्टियों ने 119 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे। इसके अलावा 481 निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपने दमखम पर चुनाव लड़ा था।

कांग्रेस ने सर्वाधिक 490 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये जिनमें से 371 चुनाव जीतने सफल रहे। कई राज्यों में तो अधिकांश सीटें उसके कब्जे में आ गयीं। यह पार्टी 47.78 प्रतिशत मत पाने में सफल रही। समाजवादी विचार धारा की पार्टी माने जाने वाली प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने 189 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा जिनमें से केवल 19 विजयी होने में सफल रहे। यह पार्टी 10.41 प्रतिशत मत पाने में कामयाब रही। जनसंघ ने 130 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया और उसके केवल चार प्रत्याशी जीतने में सफल रहे। इस पार्टी के कुल मिले वोट प्रतिशत में पहले के चुनाव की तुलना में थोड़ी वृद्धि होकर यह छह प्रतिशत के अासपास पहुंच गयी।

पहले लोकसभा चुनाव परिणामों से उत्साहित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 110 उम्मीदवारों को टिकट दिया जिनमें से 27 निर्वाचित हो गये और वह दूसरे लोकसभा में भी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी रही। पहले लोकसभा चुनाव में भाकपा के 16 उम्मीदवार चुने गये थे। यह पार्टी 8.92 प्रतिशत वोट पाने में कामयाब रही थी।

राज्य स्तरीय पार्टियों ने कुल 119 प्रत्याशियों को टिकट दिया जिनमें से 31 निर्वाचित हो गये। इसके साथ ही 481 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जिनमें से 42 विजयी हुये। इस चुनाव में हर सीट पर औसत तीन से चार उम्मीदवार चुनाव लड़े । आन्ध्र प्रदेश के एक लोकसभा क्षेत्र में 10 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था।

कांग्रेस के जवाहर लाल नेहरु उत्तर प्रदेश के फूलपुर लोकसभा सीट से निर्वाचित हुये थे। उन्हें कुल 2,27,448 वोट मिले। इसी पार्टी के लाल बहादुर ने इलाहाबाद में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के राधेश्याम पाठक को हराया था। कांग्रेस के फिरोज गांधी रायबरेली क्षेत्र में 1,62,595 वोट लाकर निर्वाचित हुये थे जबकि बिहार में सासाराम से जगजीवन राम ने प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के शिवपूजन सिंह को पराजित किया था। कांग्रेस के मोरारजी देसाई सूरत सीट से चुने गये। उन्हें एक लाख 90 हजार से अधिक मत मिले।

जनसंघ के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर सीट पर 52 प्रतिशत से अधिक मत लाकर कांग्रेस के हैदर हुसैन का हराया था। समाजवादी विचारक आचार्य जे बी कृपलानी बिहार के सीतामढ़ी सीट से जीतने में कामयाब रहे जबकि कांग्रेस के ललित नारायण मिश्र (सहरसा), विजयराजे सिंधिया (गुना) और विद्या चरण शुक्ला (बलोदाबाजार) से जीतने वालों में शामिल थे।

कट्टर वामपंथी विचारक हिरेन्द्र नाथ मुखर्जी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर कलकत्ता केन्द्रीय सीट से लोकसभा के लिए चुने गये थे। श्री मुखर्जी कुल 135308 वोट लाकर कांग्रेस के. एन. सान्याल को भारी मतों के अंतर से पराजित किया था। दिग्गज मजदूर नेता और भाकपा के उम्मीदवार श्रीपद अमृत डांगे (बाम्बे सिटी सेंट्रल), वी. परमेश्वरण नायर (केरल के क्वीलोन) तथा पी. के. वासुदेवन नायर (तिरुवल्ला) से निर्वाचित हुये थे।

कांग्रेस को आन्ध्र प्रदेश में 37, असम में 09, बिहार में 41, बाम्बे में 38, केरल में 06, मध्य प्रदेश में 35, मद्रास में 31, मैसूर में 23, उड़िसा में 07, पंजाब में 21, राजस्थान में 19, उत्तर प्रदेश में 70, पश्चिम बंगाल में 23, दिल्ली में 05, हिमाचल प्रदेश में 04, मणिपुर में एक और त्रिपुरा में एक सीट मिली थी।

भाकपा को आन्ध्र प्रदेश में 02, बाम्बे में 04, केरल में 09, मद्रास में 02, उड़ीसा में एक, पंजाब में एक, उत्तर प्रदेश में एक, पश्चिम बंगाल में 06 और त्रिपुरा में एक सीट मिली थी। जनसंघ को बाम्बे और उत्तर प्रदेश में दो – दो सीटें मिली थी। प्रजा सोसलिस्ट पार्टी को असम में दो, बिहार में दो, बाम्बें में पांच, केरल में एक, मैसूर में एक, उड़िसा में दो, उत्तर प्रदेश में चार और पश्चिम बंगाल में दो सीटें मिली थी।

झारखंड पार्टी के बिहार में छह सीटें मिली थी। फारवर्ड ब्लाक, गणतंत्र परिषद, पीसेंट एंड वर्कर पार्टी हिन्दू महासभा को भी छिटपुट रुप से कुछ सीटों पर सफलता मिली थी ।

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दिग्विजय सिंह के चुनाव लड़ने की कवायद से हाई प्रोफाइल भोपाल संसदीय सीट भाजपा का गढ़ रही है: ऐसा रहा है इसका राजनैतिक इतिहास attacknews.in

भोपाल, 19 मार्च । तीन दशक से जीत के लिए तरस रही कांग्रेस इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मजबूत गढ़ों में से एक भोपाल संसदीय क्षेत्र में सेंध लगाने की पूरी कोशिश में है और इसके लिए मजबूत प्रत्याशी की तलाश की जा रही है।

राज्य के सबसे चर्चित और हाईप्रोफाइल संसदीय क्षेत्र भोपाल पर रियासतकाल में एक समय बेगमों का एकछत्र राज रहा है। मध्यप्रदेश निर्माण के बाद से अब तक दो महिलाओं मैमूना सुलतान और उमा भारती को लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है। इस सीट से डॉ शंकरदयाल शर्मा भी दो बार विजयी रहे, जिन्होंने बाद में राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया।

झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध भोपाल संसदीय क्षेत्र से वर्तमान में भाजपा के आलोक संजर सांसद हैं, जिन्होंने वर्ष 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस के पी सी शर्मा को लगभग साढ़े तीन लाख मतों से पराजित किया था। ‘लो प्रोफाइल’ में रहकर कार्य करने वाले श्री संजर को वर्ष 2014 में टिकट को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की लड़ाई के चलते उन्हें उम्मीदवार बनाया गया और वह आसानी से इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी होने के नाते विजयी रहे। वहीं कांग्रेस नेता श्री शर्मा तीन माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट से विधायक चुने गये और वह कमलनाथ सरकार में जनसंपर्क मंत्री हैं।

राज्य में पंद्रह वर्षों बाद श्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ है, इस नाते मुख्यमंत्री की कोशिश है कि भोपाल समेत भाजपा के प्रमुख गढ़ों में कांग्रेस फिर से अपना परचम लहराने में कामयाब हो सके। इसी कोशिश के चलते कांग्रेस का प्रदेश संगठन पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को इस सीट से लड़ाने का प्रयास कर रहा है। एेसी चर्चा है कि श्री सिंह से भोपाल या फिर इंदौर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, हालाकि वह स्वयं अपने परंपरागत राजगढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को छिंदवाड़ा में मीडिया से कहा कि श्री सिंह से राज्य की उन दो तीन सीटों से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, जहां से कांग्रेस तीस पैंतीस सालों से विजय नहीं हुयी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस बार राज्य में कांग्रेस 29 में से कम से कम 20 सीटों पर चुनाव जीतने की रणनीति बनाकर कार्य कर रही है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय के शिल्पकार रहे श्री कमलनाथ स्वयं इस रणनीति पर बारीकी से नजर रखकर कार्य कर रहे हैं।

कांग्रेस जहां एक आेर भाजपा के अभेद माने जा रहे गढ़ भोपाल में सेंध लगाने को आतुर है, वहीं भाजपा को उम्मीद है कि उनकी पार्टी का प्रत्याशी यहां से लगातार नवीं बार जीत हासिल कर इस गढ़ को सुरक्षित रखेगा। पिछले तीन दशकों के चुनाव नतीजों के चलते माना जाता है कि भोपाल से भाजपा किसी भी नेता को प्रत्याशी बना दे, उसकी जीत सुनिश्चित है। तीस सालों में कांग्रेस ने तरह तरह की रणनीति अपनायी लेकिन वह भाजपा को डिगा नहीं पायी।

संसदीय आकड़ों पर नजर डाले तो 1957 में यहां से कांग्रेस की मैमूना सुल्तान सांसद चुनी गईं। उन्हें 1962 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार के रुप में जीत मिली। इसके बाद 1967 में यहां से भारतीय जनसंघ के जे आर जोशी जीते लेकिन 1971 में शंकरदयाल शर्मा ने यह सीट फिर कांग्रेस की झोली में डाल दी। कांग्रेस विरोधी लहर के चलते 1977 में जनता दल के आरिफ बेग यहां से जीते तो 1980 में शंकरदयाल शर्मा दोबार लोकसभा पहुंचे। वर्ष 1984 में कांग्रेस के के एन प्रधान सांसद बने।

इस सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा है। वर्ष 1989 से 1999 तक चार बार यहां से भाजपा के सुशील चंद्र वर्मा सांसद रहे। साल 1999 में यहां से भाजपा की उमा भारती सांसद चुनी गईं। वर्ष 2004 में भाजपा ने यहां से कैलाश जोशी पर दांव खेला, जो 2014 तक भोपाल सांसद रहे। वर्ष 2014 के आम चुनाव में यहां से भाजपा के टिकट पर आलोक संजर सांसद चुने गए।

भोपाल संसदीय क्षेत्र में भोपाल की सातों विधानसभा सीटों के अलावा सीहोर विधानसभा भी शामिल है। इनमें से पांच पर भाजपा का और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। भोपाल में छठवें चरण में 12 मई को मतदान होगा।

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मैं भी चौकीदार अभियान पर मायावती बोली: पहले चायवाला और अब चौकीदार; भाजपा का पलटवार: 31 मार्च को नरेंद्र मोदी चौकीदार पर देशभर में वीडियो कांफ्रेंसिंग करेंगे attacknews.in

नयी दिल्ली/ लखनऊ , 19 मार्च । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनांदोलन बन चुके अपने ‘मैं भी चौकीदार हूं’ अभियान से जुड़े लाखों लोगों से देश के 500 स्थानों पर 31 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिये संवाद करेंगे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। श्री प्रसाद ने कहा कि श्री मोदी का ‘मैं भी चाैकीदार हूं’ अभियान करोड़ों लोगों का एक व्यापक जनान्दोलन बन गया है। इस अभियान से डॉक्टर, इंजीनियर, पेशेवर, वकील, किसान, युवा, महिलाएं, कर्मचारी आदि जुड़े हैं।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर यह एक दिन विश्वव्यापी ट्रेंड था जबकि भारत में दो दिन तक तक ट्रेंड चला है। प्रधानमंत्री मोदी के इस अभियान के समर्थन में 20 लाख लोगों ने ट्वीट किये और 1680 करोड़ इम्प्रेशन आये हैं। एक करोड़ लोगों ने संकल्प लिया है और इतने ही लोगों ने इस अभियान के वीडियो को देखा है।

श्री प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री 31 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश के 500 स्थानों पर लाखों विभिन्न ‘चौकीदारों’ से संवाद करेंगे। इन लोगों में पार्टी के कार्यकर्ता, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेता, पेशेवर, किसान, दलित एवं आदिवासी, पूर्व सैनिक, खिलाड़ी, महिलायें आदि शामिल होंगी।

उन्होंने कहा कि भाजपा देश की आम जनता का अभिनंदन करना चाहती है जो करोड़ों की संख्या में इस अभियान से जुड़ रहे हैं। इसे दुनिया को असाधारण संदेश गया है कि लोग भ्रष्टाचार एवं कुशासन से लड़ना चाहते हैं।

श्री प्रसाद ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कुछ लोगाें को इस अभियान से परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि जो लोग जमानत पर हैं, जिनकी पार्टी, परिवार एवं संपत्ति संकट में है और जिनके पास छिपाने के लिए है, उन्हें ही इस अभियान से परेशानी हो रही है।

केन्द्रीय मंत्री ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के चौकीदार अभियान के बारे में दिये गये बयान के हवाले से कहा, “कुछ लोग कह रहे हैं कि चौकीदार तो अमीरों के होते हैं। उन्हें कैसे समझाया जाये कि जो लोग सत्ता में थे, वे गरीबों का करोड़ों रुपये लूट कर खा रहे थे और ये चौकीदार उसे रोकने के लिए आये हैं।” उन्होंने कहा कि जो लोग सुख, सुविधाओं में पैदा हुए हैं, वे टिप्पणी कर रहे हैं।

भाजपा ने कहा: चौकीदार अभियान जन आंदोलन बना:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने  कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘मैं भी चाैकीदार हूं’ अभियान देश के करोड़ों लोगों का एक व्यापक जनान्दोलन बन गया है और इससे केवल उन लोगों को परेशानी हो रही है जो जमानत पर हैं और जिनकी पार्टी, परिवार एवं संपत्ति संकट में है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘मैं भी चौकीदार हूं’ अभियान तीन दिन के अंदर व्यापक जनांदोलन बन गया है।

श्री प्रसाद ने कहा कि इस अभियान से डॉक्टर, इंजीनियर, पेशेवर, वकील, किसान, युवा, महिलाएं, कर्मचारी आदि जुड़े हैं। लेकिन कुछ लोगाें को इससे परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि जो लोग जमानत पर हैं, जिनकी पार्टी, परिवार एवं संपत्ति संकट में है और जिनके पास छिपाने के लिए है, उन्हें ही इस अभियान से परेशानी हो रही है।

केन्द्रीय मंत्री ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के चौकीदार अभियान के बारे में दिये गये बयान के हवाले से कहा, “कुछ लोग कह रहे हैं कि चौकीदार तो अमीरों के होते हैं। उन्हें कैसे समझाया जाये कि जो लोग सत्ता में थे, वे गरीबों का करोड़ों रुपये लूट कर खा रहे थे और ये चौकीदार उसे रोकने के लिए आये हैं।” उन्होंने कहा कि जो लोग सुख, सुविधाओं में पैदा हुए हैं, वे टिप्पणी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा देश की आम जनता का अभिनंदन करना चाहती है जो करोड़ों की संख्या में इस अभियान से जुड़ रहे हैं। इसे दुनिया को असाधारण संदेश गया है कि लोग भ्रष्टाचार एवं कुशासन से लड़ना चाहते हैं।

मायावती बोली: पहले चायवाला और अब चौकीदार:

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान पर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को तंज करते हुये कहा कि पिछले चुनाव में चायवाला और अब चौकीदार…, देश वाकई बदल रहा है । बाद में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी चौकीदार मुद्दे पर सरकार की खिंचाई की ।

मायावती ने आज ट्वीट किया ‘सादा जीवन उच्च विचार के विपरीत शाही अन्दाज में जीने वाले जिस व्यक्ति ने पिछले लोकसभा चुनाव के समय वोट की खातिर अपने आपको चायवाला प्रचारित किया था, वह अब इस चुनाव में वोट के लिये ही बड़े तामझाम और शान के साथ अपने आपको चौकीदार घोषित कर रहे हैं। देश वाकई बदल रहा है ।’’

उधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा ‘‘विकास पूछ रहा है कि खाद की बोरी से चोरी रोकने के लिये भी कोई चौकीदार है क्या ?’’

दूसरे ट्वीट में अखिलेश ने कहा ‘‘विकास पूछ रहा है कि जनता के बैंक खाते से चोरी छिपे जो पैसे काटे जा रहे हैं, उससे बचाने के लिये कोई चौकीदार है क्या ?’

तीसरे ट्वीट में उन्होंने कहा ‘विकास पूछ रहा है कि मंत्रालय से जहाज की फाइल चोरी होने के लिये जिम्मेदार लापरवाह चौकीदार को सजा मिली क्या ?

गौरतलब है कि गंगा यात्रा पर निकलीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सोमवार को चौकीदार मुद्दे पर मोदी को निशाने पर लिया था । नाम के आगे चौकीदार लगाने पर प्रियंका गांधी ने कहा था ‘‘ उनकी (प्रधानमंत्री मोदी की) मर्जी है कि वह अपने नाम के आगे क्या लगाएं । मुझे एक भाई ने कहा कि देखिए, चौकीदार तो अमीरों के होते हैं। हम किसान तो अपने चौकीदार खुद ही होते हैं ।’’

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राहुल गांधी ने कहा: राफेल विमान सौदे में पकड़े जाने के बाद नरेन्द्र मोदी पूरे देश को चौकीदार बनाने का प्रयास कर रहे हैं attacknews.in

कलबुर्गी (कर्नाटक), 18 मार्च । कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान का उपहास उड़ाते हुए सोमवार को कहा कि राफेल लड़ाकू सौदे में ‘पकड़े’ जाने के बाद नरेंद्र मोदी समूचे देश को चौकीदार बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

राहुल ने मोदी के ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान पर हमला करते हुए कहा ‘‘चौकीदार चोरी करते हुए पकड़ा गया और चूंकि वह पकड़ा गया इसलिए चौकीदार कह रहा है कि पूरा हिन्दुस्तान चौकीदार है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, पकड़े जाने के पहले समूचा हिन्दुस्तान चौकीदार नहीं था । ’’

राहुल ने यह हमला ऐसे वक्त किया है जब भाजपा ने अपनी ‘मैं भी चौकीदार’ मुहिम तेज कर दी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के अन्य नेताओं ने अपने ट्विटर प्रोफाइल पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ा है।

भाजपा नेताओं ने छोटे विज्ञापन वीडियो भी अपने अकाउंट से साझा किए जिनमें यह दिखाया गया है कि विभिन्न क्षेत्रों के लोग किस प्रकार मोदी की तरह देश के लिए अपना योगदान देकर ‘चौकीदार’ बन रहे हैं। इन नेताओं में कई केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।

मोदी के ट्विटर प्रोफाइल पर उनका नाम ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी’ लिखा हुआ है और अन्य भाजपा नेताओं ने भी समन्वित मुहिम के तहत ऐसा किया है।

राहुल ने कहा, ‘‘पकड़ाने के पहले नरेंद्र मोदी चौकीदार थे। चोर पकड़ा गया। ’’

उत्तर कर्नाटक में जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि पूरा देश जानता है कि ‘‘चौकीदार चोर है।’’ राहुल ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के निर्वाचन क्षेत्र में रैली को संबोधित किया।

राहुल ने कहा, ‘‘याद है आपको…जब वह प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने कहा था मुझे प्रधानमंत्री मत बनाइए , मुझे चौकीदार बनाइए ? उन्होंने कभी नहीं कहा था कि पूरे हिन्दुस्तान को चौकीदार बना दीजिए।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी ने लोगों से उन्हें प्रधानमंत्री बनाने को कहा था और कहा था कि वह उनके चौकीदार बनेंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा, ‘‘उन्होंने किसकी चौकीदारी की है।’’

उन्होंने अनिल अंबानी की चौकीदारी की या नहीं ? मेहुल चौकसी, नीरव मोदी,ललित मोदी, विजय माल्या- उन्होंने उनकी चौकीदारी की।

राहुल ने कहा कि जिस दिन पुलवामा हमला हुआ था, उसी दिन चौकीदार ने अडाणी को हिन्दुस्तान के छह एयरपोर्ट दे दिए ।

राफेल सौदे के बारे में राहुल ने कहा कि यह दुनिया में सबसे बड़ा रक्षा सौदा है ।

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया में इससे बड़ा रक्षा सौदा नहीं हुआ है । यह हजारों करोड़ों रूपये का है ।’’

राहुल ने दावा किया कि संप्रग सरकार ने साफ तौर पर कहा था कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को ठेका मिलेगा और राफेल लड़ाकू विमानों का निर्माण बेंगलुरू, ओडिशा और देश के अन्य भागों में होता।

तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने साफ कहा था कि हरेक लड़ाकू विमान की कीमत 526 करोड़ रूपये पड़ेगी लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने साथ अंबानी को फ्रांस ले जाकर पूरे सौदे को ही बदल दिया।

राहुल ने दावा किया, ‘‘526 करोड़ रूपये के विमान को चौकीदार जी ने 1600 करोड़ रूपये में खरीदा । ’’

उन्होंने कर्नाटक के नौजवानों से कहा कि मोदी ने उनकी नौकरी ले ली ।

कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रधानमंत्री और आरएसएस संविधान को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं

राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव को विचारधाराओं की लड़ाई बताते हुए जनता से अपील की कि वे यह ध्यान रखें कि कांग्रेस किसी अन्य पार्टी (भारतीय जनता पार्टी-भाजपा) से नहीं बल्कि एक विचारधारा से लड़ रही है।

श्री गांधी ने सोमवार को यहां आयोजित ‘परिवर्तन रैली’ को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि देश को केवल एक ही व्यक्ति चलाए। उन्होंने कहा, “ श्री मोदी ने कहा था कि जब वह सत्ता में आए थे तो ‘हाथी सो रहा था। क्या वह यह जतलाना चाहते हैं कि उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले देश सो रहा था और कुछ भी नहीं किया जा रहा था। क्या यह सच है ? ”

उन्होंने कहा, “ श्री मोदी गंदी और फूट डालने की राजनीति कर रहे हैं। वह अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं। यह सभी को याद है कि दलित छात्र रोहित वेमुला आत्महत्या करने के लिए क्यों विवश हुआ।”

उन्होंने कहा कि एक ओर देश में 15 ऐसे सबसे अमीर उद्यम हस्तियां हैं , जिन्होंने देश के अधिकांश धन इकट्ठा किया है तथा निजी स्कूलों, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और यहां तक कि चार्टर्ड विमानों तक उनकी आसान पहुंच है। दूसरी तरफ शेष देश है जो बुनियादी आवश्यकताओं के लिए भी संघर्ष कर रहा है।

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दिग्विजय सिंह ने चुनौती स्वीकारी और मध्यप्रदेश की किसी भी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की सहमति दी साथ ही कमलनाथ का आभार माना attacknews.in

भोपाल, 18 मार्च । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को प्रदेश की किसी ‘कठिन’ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने संबंधित बयान दिए जाने के बाद प्रदेश में बयानबाजी का दौर शुरु हो गया है।

दरअसल श्री कमलनाथ ने दो दिन पहले अपने गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा में कहा था कि श्री सिंह को प्रदेश की किसी ‘टफ’ सीट से चुनाव मैदान में उतरना चाहिए। उन्होंने कहा था कि श्री सिंह को किसी ऐसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए, जहां कांग्रेस को 30-35 साल से जीत हासिल नहीं हुई है। पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इसका समर्थन किया था।

इन दोनों बयानों के मीडिया में खासी सुर्खियां बटोरने के बाद आज श्री सिंह ने एक के बाद एक ट्वीट में श्री कमलनाथ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री कमलनाथ ने उन्हें प्रदेश में पार्टी की कमजोर सीटों पर लड़ने का आमंत्रण दिया।

उन्होंने कहा कि श्री कमलनाथ ने उन्हें इस लायक समझा, इसके लिए वे उनके आभारी हैं।

उन्होंने आगे कहा कि वे गुना जिले के राघौगढ़ की जनता की कृपा से 1977 की जनता पार्टी की लहर में भी लड़ कर जीत कर आए थे।

श्री सिंह ने कहा कि चुनौतीयों को स्वीकार करना उनकी आदत है और उनके नेता पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी जहां से कहेंगे, वे वहां से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक श्री सिंह अपनी परंपरागत, प्रदेश की राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक बताए जा रहे हैं। दूसरी ओर प्रदेश की भोपाल, इंदौर और विदिशा सीटें कांग्रेस के लिए अपेक्षाकृत कठिन मानी जाती हैं।

दरअसल मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री श्री सिंह के बीच पिछले दिनों इंदौर में मोबाइल पर हुई एक चर्चा का मामला इन दिनों सर्खियों में बना हुआ है। इंदौर लोकसभा प्रत्याशी को लेकर हुए इस वार्तालाप के दौरान श्री सिंह ने अपने मोबाइल का स्पीकर ऑन कर रखा था। ये बात मीडिया में आने के बाद से बयानबाजी का दौर जारी है।

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मध्यप्रदेश की हाई-प्रोफाइल संसदीय सीट इंदौर से अब तक विजयी रहने का रिकॉर्ड सुमित्रा महाजन ने अपने नाम कर रखा है attacknews.in

इंदौर, 18 मार्च । लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से एक महत्वपूर्ण इंदौर सीट पर पिछली आठ बार से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार के रूप में लगातार चुनाव जीत रही हैं।

शैक्षणिक, लोक स्वास्थ्य, फैशन हब के रूप में प्रसिद्ध और 23 लाख से अधिक मतदाताओं वाली इंदौर सीट पर अब तक हुये चुनावों में पांच बार कांग्रेस और आठ बार भाजपा जीती है जबकि दो बार इस सीट से अन्य दलों के उम्मीदवार विजयी रहे।

इंदौर शहर की पांच विधानसभा सीटों और इंदौर ग्रामीण की तीन विधानसभा सीटों से मिलकर बने इंदौर संसदीय क्षेत्र को प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट माना जाता है। श्रीमती महाजन ने यहां से अपना पहला लोकसभा चुनाव 1989 में लड़ा था। उन्होंने उस दौर के कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद सेठी को एक लाख ग्यारह हजार से अधिक मतों से परास्त कर लोकसभा में प्रवेश किया था। श्रीमती महाजन उसके बाद से लगातार चुनी जाती रही हैं।

अपने संसदीय क्षेत्र में ‘ताई’ के नाम से पहचानी जाने वाली श्रीमती महाजन ने 1991 में कांग्रेस के ललित जैन को 80 हजार से अधिक मतों से, 1996 में कांग्रेस के मधुकर वर्मा को एक लाख से अधिक मतों से, 1998 में कांग्रेस के ही पंकज सिंघवी को 49852 मतों से, 1999 में कांग्रेस के महेश जोशी को एक लाख 31 हजार से अधिक मतों से, 2004 में कांग्रेस के रामेश्वर पटेल को एक लाख 93 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था।

विधि स्नातक 75 वर्षीय श्रीमती महाजन ने 2009 और 2014 में कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को क्रमशः 11 हजार 480 और चार लाख 66 हजार 901 मतों से हराकर अपना अपराजित सफर जारी रखा।

इस सीट पर 1957 में पहले चुनाव में कांग्रेस के कन्हैया लाल खादीवाला चुनाव जीते थे लेकिन 1962 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के होमी दाजी सांसद चुने गये। वर्ष 1967 में कांग्रेस के प्रकाशचंद सेठी, 1971 में कांग्रेस के राम सिंह भाई सांसद रहे। 1977 में इंदौर लोकसभा सीट से भारतीय लोक दल के कल्याण जैन विजयी रहे। 1980 और 1984 में दो बार यह सीट कांग्रेस की झोली में गयी और दोनों बार यहां से प्रकाशचंद सेठी पर इंदौर के मतदाता ने अपना भरोसा जताया। जिसके बाद से इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा की श्रीमती महाजन काबिज है।

इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस दूसरी लोकसभा 1957, चौथी 1967, पांचवीं 1971, सातवीं 1980, और आठवीं 1984 लोकसभा में कुल पांच बार विजयी रही। जबकि यह सीट तीसरे लोकसभा चुनाव (1962) में एक बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के पास रही और छठवीं लोकसभा (1977) में भारतीय लोक दल के पास रही जिसके बाद 9 वीं लोकसभा (1989) से 16 वीं लोकसभा (2014) तक कुल आठ बार से भाजपा की श्रीमती सुमित्रा महाजन सांसद हैं।

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1962 के तीसरे आम चुनाव से क्षेत्रीय पार्टियों के असर के बाद भारत की राजनीति का चेहरा ही बदल गया जिससे दिग्गज नेता धराशायी हो गए थे attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 मार्च । लोकसभा के वर्ष 1962 में हुये तीसरे आम चुनाव में न केवल नवगठित क्षेत्रीय पार्टियों ने अपना असर दिखाना शुरू किया बल्कि इस दौरान राजनीतिक बदलाव का जो दौर शुरू हुआ उसमें कई दिग्गज नेता धराशायी हो गये।

इस चुनाव में समाजवादी विचारधारा वाली सोशलिस्ट पार्टी, पंजाब में अकाली दल और मद्रास में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके), मुस्लिम लीग, गणतंत्र परिषद आदि को चुनावी दावपेंच आजमाने का अवसर प्रदान किया और डीएमके जैसे कुछ दलों का उभार दिखायी दिया। बदलाव की बयार में कांग्रेस के बड़ेे नेताओं में शामिल ललित नारायण मिश्र, प्रख्यात मजदूर और कम्युनिस्ट नेता श्रीपाद अमृत डांगे और समाजवादी विचारक राम मनोहर लोहिया को भी चुनाव हरा दिया था।

कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जनसंघ, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी और स्वतंत्र पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त था जबकि अकाली दल, डीएमके, गणतंत्र परिषद, फारवर्ड ब्लाक, हिन्दू महासभा, मुस्लिम लीग, पीजेंट एंड वर्कर पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी और राम राज्य पार्टी को मान्यता प्राप्त दल का दर्जा हासिल था। गैर मान्यता प्राप्त दलों में ईस्टर्न इंडिया ट्राइबल यूनियन, गोरख लीग, हरियाणा लोक समिति, नूतन महागुजरात परिषद, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट लेबर पार्टी तथा तमिल नेशनल पार्टी।

लोकसभा के इस चुनाव में 494 सीट के लिये कुल 1985 उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया था। कुल 21 करोड़ 63 लाख 61 हजार 569 मतदाताओं में से 55.42 प्रतिशत ने मतदान में हिस्सा लिया था। एक लोकसभा सीट पर औसतन चार से अधिक उम्मीदवार थे और राजस्थान की एक सीट पर सबसे अधिक 11 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।

कांग्रेस ने सर्वाधिक 488, भाकपा ने 137, जनसंघ ने 196, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने 168, सोसलिस्ट पार्टी ने 107 और स्वतंत्र पार्टी ने 173 उम्मीदवार उतारे थे। कांग्रेस के 361 उम्मीदवार निर्वाचित हुये थे और उसे 44.72 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था। भाकपा को 29 सीटें मिली थी और वह तीसरी बार लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी रही। इस चुनाव में उसे 9.94 प्रतिशत वोट मिला था।

जनसंघ को पहली बार 14 सीटें, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को 12 तथा स्वतंत्र पार्टी को 18 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल हुयी थी। अकाली दल के तीन आैर डीएमके के सात प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे थे। कुल 479 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने बलबूते पर चुनाव लड़ा था और इनमें से 20 निर्वाचित होने में कामयाब रहे थे। निर्दलीय उम्मीदवारों ने 11.05 प्रतिशत मत प्राप्त किया था । हिन्दू महासभा , फारवर्ड ब्लाक , गणतंत्र परिषद आदि को छिटपुट रूप से सफलता मिली थी।

इस चुनाव में कांग्रेस नेता जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई, जगजीवन राम, गुलजारी लाल नंदा, रेणुका राय, कम्युनिस्ट नेता इन्द्रजीत गुप्त, हिरेन्द्र नाथ मुखर्जी, ए. के. गोपालन, समाजवादी नेता किसन पटनायक, अकाली नेता बूटा सिंह और धन्ना सिंह निर्वाचित हुये थे। इस चुनाव का एक मजेदार तथ्य यह था कि उत्तर प्रदेश के फूलपुर क्षेत्र में नेहरु के खिलाफ समाजवादी चिन्तक राम मनोहर लोहिया ने चुनाव लड़ा था। नेहरु को 118931 तथा सोसलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े लोहिया को 54360 वोट मिला था। नेहरु उत्तर प्रदेश से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गये थे।

बिहार में बड़ी बात यह हुयी कि कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल ललित नारायण मिश्र सहरसा सीट पर सोसलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी भूपेन्द्र नाथ मंडल से चुनाव हार गये। श्री मिश्र को 81905 तथा श्री मंडल को 97038 वोट मिले थे। बाम्बे सिटी सेंट्रल साउथ सीट पर भाकपा के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़े श्रीपाद अमृत डांगे को कांग्रेस प्रत्याशी विट्ठल बालकृष्ण गांधी ने पराजित कर दिया था। श्री गांधी एक लाख 36 हजार से अधिक मत लाने में सफल रहे जबकि श्री डांगे 97891 मत ही ला सके।

भाकपा के इन्द्रजीत गुप्त ने पश्चिम बंगाल में कलकत्ता दक्षिण पश्चिम सीट पर एक लाख 43 हजार से अधिक मत लाकर कांग्रेस के इस्माइल इब्राहिम को पराजित कर दिया। श्री इब्राहिम को एक लाख 32 हजार से अधिक मत मिले थे। इसी राज्य में भाकपा के हिरेन्द्रनाथ मुखर्जी कांग्रेस के बलाई चंद्र पाल को हरा दिया था। भाकपा उम्मीदवार ए के गोपालन केरल के कासेरगोड सीट पर 62.17 प्रतिशत वोट लाकर प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के के आर करंत को हराया था।

सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर उड़ीसा के संबलपुर सीट से चुनाव लड़े किसन पटनायक ने कांग्रेस के विनोद बिहारी दास को तीन हजार से कुछ अधिक मतों के अंतर से पराजित कर दिया था। श्री पटनायक को 37009 और श्री दास को 34641 वोट मिले थे। कांग्रेस के गुलजारी लाल नंदा साबरकंठा सीट पर स्वतंत्र पार्टी के पी पटेल को लगभग 25 हजार मतों के अंतर से पराजित कर दिया था।

इस चुनाव में कांग्रेस को आन्ध्र प्रदेश में 34, असम में 09, बिहार में 39, गुजरात में 16, केरल में 06, मध्य प्रदेश में 24, मद्रास में 31, महाराष्ट्र में 41, मैसूर में 25, उड़िसा में 14, पंजाब में 14, राजस्थान में 14, उत्तर प्रदेश में 62, पश्चिम बंगाल में 22, दिल्ली में 05, हिमाचल प्रदेश में 04 और मणिपुर में एक सीट मिली थी।

भाकपा को आन्ध्र प्रदेश में 07, बिहार में एक, केरल में 06, मद्रास में 02, उत्तर प्रदेश में 02, पश्चिम बंगाल में 09 तथा त्रिपुरा में एक सीट मिली थी। जनसंघ को मध्य प्रदेश में 03, पंजाब में 03, राजस्थान में एक, और उत्तर प्रदेश में सात सीटें मिली थी। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को असम में दो, बिहार में दो, गुजरात में एक, मध्य प्रदेश में तीन, महाराष्ट्र में एक, उड़ीसा में एक और उत्तर प्रदेश में दो सीटें मिली थी। सोशलिस्ट पार्टी को बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मणिपुर में एक-एक सीट मिली थी। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक पांच निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे।

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नरेन्द्र मोदी ने दिखाया विजय का निशान और गुजरात में भाजपा का जश्न शुरू Attack News 

नयी दिल्ली/ अहमदाबाद , 18 दिसंबर । गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुुनावों के शुरुआती रुझान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयी निशान दिखाकर अपनी खुशी का इजहार किया।

संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने पहुंचे श्री मोदी ने कार से उतरने के बाद मीडिया की तरफ देखकर हाथ हिलाया और उंगलियों से ‘विक्टरी’ का निशान बनाया।

गुजरात में भाजपा लगातार सातवीं बार सरकार बनाने की दिशा में अग्रसर है और हिमाचल प्रदेश में वह कांग्रेस को पीछे छोड़कर सरकार बनाने की तरफ बढ़ रही है।

उधर अहमदाबाद से खबर है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की सत्ता में वापसी के रूझानों को देखते हुए गांधीनगर में स्थित भाजपा के मुख्यालय ‘कमलम’ में जश्न शुरू हो गया।

मुख्यालय में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता एकत्र हुए और मिठाईयां बांटी गई।

वहीं अहमदाबाद स्थित कांग्रेस के मुख्यालय में गिनेचुने लोग ही नजर आए।

भाजपा के लगातार छठीं बार सत्ता में आने के संकेत मिलते ही पार्टी कैप पहने और भगवा झंडे लहरा रहे भाजपा कार्यकर्ता एक-दूसरे को जीत की बधाई देने लगे।

सत्तारूढ़ भाजपा के एक समर्थक ने कहा, ‘ कांग्रेस ने नकारात्मक राजनीति की और जाति का विषय उठाया। उन्होंने कहा कि विकास पागल हो गया है, जबकि सचाई यह है कि विपक्ष में बैठे लोग पागल हो गए हैं। गुजरात के लोगों ने जाति के बजाए विकास को समर्थन दिया । ’’attacknews.in

राहुल युग की शुरुआत पर कांग्रेस मुख्यालय पर जश्न,राहुल गांधी की 16 दिसम्बर को भव्य समारोह के साथ होगी ताजपोशी Attack News 

नयी दिल्ली 11 दिसंबर । कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को आज पार्टी का अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया। वह 16 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालेंगे।

कांग्रेस के केन्द्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष एम रामचंद्रन ने बताया कि राहुल गांधी को पार्टी के संविधान के अनुसार अध्यक्ष घोषित किया जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में आज नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख थी।

रामचंद्रन ने बताया कि राहुल के पक्ष में 89 नामांकन पत्रों के सेट दाखिल किये गये थे। नामांकन पत्रों की जांच में सभी सेट सही पाये गये।

उन्होंने बताया कि राहुल गांधी 16 दिसंबर को पूर्वांन्ह 11 बजे प्राधिकरण से अध्यक्ष निर्वाचित होने का प्रमणपत्र लेने के लिये यहां 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय आयेंगे।

कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने संवाददाताओं को बताया कि 16 दिसंबर को ही राहुल गांधी अध्यक्ष पद का दायित्व संभालेंगे।

राहुल गांधी का अध्यक्ष निर्वाचित होने की घोषणा के साथ ही आज कांग्रेस मुख्यालय पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़ कर और ढोल बजाकर जश्न मनाया।

कांग्रेस में राहुल गांधी युग की शुरुआत हो गई है। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे दौर की वोंटिग से पहले राहुल गांधी निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष चुन लिए गए हैं।

पार्टी अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी 16 दिसंबर को जिम्मेदारी संभालेंगे। वर्तमान पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी उन्हें अध्यक्ष पद का कार्यभार सौपेंगी। इसके बाद राहुल गांधी पार्टी नेताओं को संबोधित करेंगे।

पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मुल्लापल्ला रामचंद्रन के राहुल गांधी को निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने के ऐलान के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त आतिशबाजी शुरु कर दी। पार्टी मुख्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं और नेताओं ने ढोल-नगाड़ों और जिंदाबाद के नारों के साथ एक-दूसरे को मुबारकबाद दी। मिठाइयां बांटी और गुलाल लगाकर अपनी खुशी का इजहार किया।

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर औपचारिक जिम्मेदारी संभालने के बाद राहुल गांधी मुख्यालय में पार्टी नेताओं को संबोधित करेंगे। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी उपाध्यक्ष के तौर पर मुख्यालय में अपने दफ्तर में ही बैठेंगे। सिर्फ उनके नाम की तख्ती बदल जाएगी। सोनिया गांधी यूपीए और संसदीय दल की अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालती रहेंगी। उनका दफ्तर भी मौजूद रहेगा।

गुजरात चुनाव नतीजों से ठीक एक दिन पहले राहुल गांधी सभी पार्टी नेताओं और सांसदों को रात्रिभोज देंगे।

पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा कि राहुल गांधी का अध्यक्ष चुने जाना, कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए खुशी की बात है।

निवर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 1998 में जब अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी, उस वक्त चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी और लोकसभा में 141 सांसद थे। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर जब राहुल गांधी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, उस वक्त पांच राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। पार्टी के लोकसभा में सिर्फ 46 सांसद हैं।attacknews.in

राहुल गांधी ने कहा:पाकिस्तान और अय्यर को छोड़िए प्रधानमंत्री,अब गुजरात की बात करें Attack News 

थराड 11 दिसम्बर। गुजरात चुनाव में पाकिस्तान को घसीटे जाने पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि गुजरात के चुनाव में अपने भाषणों में बाहर के देशों के बारे में बात करने के बजाय प्रधानमंत्री को अपने राज्य के बारे में बात करनी चाहिए.

बनासकांठा जिले के थराड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी रैली में राहुल ने कहा, “प्रधानमंत्री कभी पाकिस्तान के बारे में और कभी चीन व जापान के बारे में बात करते हैं. मोदी जी, यह चुनाव गुजरात के भविष्य के लिए है. कुछ गुजरात के बारे में भी बात कीजिए.”

राहुल गांधी की यह टिप्पणी मोदी के उस आरोप पर आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें ‘नीच’ कहे जाने से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस नेताओं के एक समूह ने नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त से मणिशंकर अय्यर के आवास पर मुलाकात की थी.

साणंद में एक चुनावी रैली में मोदी ने रविवार को कहा, “अय्यर के निवास पर बुलाई गई बैठक में पाकिस्तान के उच्चायुक्त, पाकिस्तान के विदेश मंत्री, (भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद) अंसारी व (पूर्व प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह मौजूद थे. यह बैठक तीन घंटे तक चली.”प्रधानमंत्री ने कहा, “अगले दिन मणिशंकर ने मुझे नीच कहा.”

अय्यर को अपनी टिप्पणी के लिए तुरंत कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है और वह अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांग चुके हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने मोदी को चुनौती दी है कि वह उस बैठक का सबूत दें, वरना झूठ बोलने और प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराने के लिए देश से माफी मांगें.

राहुल गांधी ने रैली में कहा कि बीते दो-तीन दिनों से प्रधानमंत्री ने सभी दूसरे मुद्दों को छोड़ दिया है और सिर्फ दो चीजों के बारे में बात करते हैं- पाकिस्तान और मणिशंकर अय्यर का नीच कहना, जिसके लिए वह माफी मांग चुके हैं और पार्टी उन्हें निलंबित कर चुकी है.

उन्होंने कहा, “आप (मोदी) दावा करते हैं कि देश कांग्रेस मुक्त हो चुका है, तो आप कांग्रेस को अपने भाषणों में प्रमुखता क्यों दे रहे हैं. अपने पूरे भाषण में वह आधे समय कांग्रेस के बारे में ही बात करते हैं और आधा समय अपने बारे में.”

मोदी पर गुजरात के विकास के बारे में चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात में चुनावी समय होने के बावजूद प्रधानमंत्री बीते 22 सालों में भाजपा सरकार के तहत हुए विकास के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, जबकि विकास के ‘गुजरात मॉडल’ को आगे कर उन्होंने 2014 का चुनाव लड़ा था.

उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, “ऐसा लगता है कि मोदी ने गुजरात में लोगों का भरोसा खो दिया है. वह विकास के बारे में कम से कम दो-तीन मिनट तो बात करें.”

राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुजरात को रिमोट कंट्रोल से चलाते हैं और यहां तक कि प्रधानमंत्री भी उनसे डरे हुए हैं.

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री भी अमित शाह से डरे से दिखते हैं. उनके भाषणों को सुनिए, स्पष्ट हो जाएगा. वह शायद इसीलिए भ्रष्टाचार के बारे में एक शब्द नहीं बोलते हैं.”attacknews.in

राहुल गांधी सोमवार को घोषित हो जाएंगे कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष: विरासत की कमान संभालेंगे 17 को Attack News 

नई दिल्ली 10 दिसम्बर । राहुल गांधी सोमवार को 132 साल पुरानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए जाएंगे। चूंकि किसी और ने नामांकन दाखिल नहीं किया है, इसलिए नाम वापसी के अंतिम दिन यानी सोमवार को उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा।

वैसे औपचारिक रूप से कांग्र्रेस अध्यक्ष के रूप में उनकी ताजपोशी 16 दिसंबर को होगी। 47 साल के राहुल कांग्रेस का शीर्ष पद संभालने वाले नेहरू-गांधी परिवार के छठे सदस्य होंगे।

वह पिछले 13 साल से मां और वर्तमान पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में राजनीति की बारीकियां सीख रहे हैं। चार साल से संगठन में उनकी हैसियत दूसरे नंबर की रही है।

इस दौरान पार्टी बिखरी-बिखरी सी दिखी। गिने-चुने प्रदेशों में ही उसकी सरकारें रह गई हैं। ऐसे प्रतिकूल समय में राहुल की ताजपोशी को भले ही नया दौर बताया जा रहा हो, लेकिन उनके सामने चुनौतियों की फेहरिस्त लंबी होगी।

राहुल गांधी नेहरू-गांधी विरासत के उत्तराधिकारी हैं, लेकिन युवा मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए सिर्फ यही काफी नहीं रह गया है। युवा भारत की उम्मीदें-आकांक्षाएं बदल चुकी हैं। लिहाजा राहुल गांधी को नेहरू-गांधी परिवार की परछाईं से बाहर निकलकर लोगों तक पहुंचना होगा। प्रधानमंत्री मोदी मतदाताओं से सीधे जुड़ने के लिए जाने जाते हैं। इसी तरह राहुल को भी जनता से सीधे जुड़ने के लिए अपना रास्ता खोजना होगा।

पार्टी में नेता अधिक, कैडर कम हैं। नए अध्यक्ष के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगी कि 2014 के लोकसभा चुनाव सहित एक के बाद दूसरे राज्य खोती जा रही पार्टी का जनाधार कैसे मजबूत किया जाए? पार्टी की खोई साख कैसे वापस आए? कभी पूरे देश में एकछत्र राज करने वाली पार्टी के पास सिर्फ छह राज्य बचे हैं। इनमें केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी भी है। ऐसे में पार्टी और इसके कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार करना पार्टी अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती होगी।

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के बूते भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में एक के बाद एक राज्य कांग्रेस से छीनती जा रही है। असम जैसे परंपरागत कांग्रेसी राज्य भी भाजपा के पास आ चुके हैं। ऐसे में मोदी लहर से पार पाना राहुल के सामने बड़ी चुनौती होगी।

पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के साथ नए और युवा नेताओं के बीच संतुलन बनाना नए अध्यक्ष के सामने बड़ा काम होगा। कई राज्यों की पार्टी इकाइयों में इन दोनों तरह के नेताओं के बीच सत्ता संग्राम सामने आ चुका है। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट का मामला सबके सामने है। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह और दिल्ली में शीला दीक्षित व अजय माकन इसके उदाहरण हैं।

अब हर चुनाव की जीत-हार का सेहरा पार्टी अध्यक्ष के सिर बंधेगा। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजे सबसे पहले आएंगे। अगले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में चुनाव होंगे जो 2019 के लोकसभा का रुझान तय करेंगे। इन राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर ही 2019 के नतीजों का दारोमदार होगा।

नेहरू गांधी परिवार से अध्यक्ष: (बनते समय उम्र) मोतीलाल नेहरू (58) जवाहर लाल नेहरू-(40) इंदिरा गांधी (42) राजीव गांधी (41) सोनिया गांधी (52) राहुल गांधी (47)attacknews.in