नरेंद्र मोदी से बहुत प्यार करते हैं राहुल गांधी और दुखी है कि,उन्होंने अपने गुरु लालकृष्ण आडवाणी का अपमान किया और जूता मारकर स्टेज से उतारा attacknews.in

पुणे, चंद्रपुर, पांच अप्रैल। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का अपमान किया है और अपने गुरू का अपमान करना हिंदू संस्कृति नहीं है। साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपने ‘प्यार’ को भी जाहिर किया।

राहुल ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘भाजपा हिंदुत्व की बात करती है। हिंदुत्व में गुरू सर्वोच्च होता है। वह गुरू शिष्य परंपरा की बात करती है। मोदी के गुरू कौन हैं? आडवाणी हैं। मोदी ने आडवाणी को बाहर का रास्ता दिखा दिया, ‘‘ जूता मार के स्टेज से उतारा। ’’

कांग्रेस अध्यक्ष की यह परोक्ष टिप्पणी आडवाणी को गुजरात में गांधीनगर सीट से भाजपा द्वारा उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर है। वहां से खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं।

पुणे में छात्रों से बातचीत करते हुए गांधी ने कहा कि वह मोदी से प्यार करते हैं लेकिन मोदी उनसे क्रोधित रहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री मोदी से प्यार करता हूं। वास्तव में मैं उनसे नफरत नहीं करता या मुझे उन पर क्रोध नहीं आता लेकिन वह मुझसे गुस्सा रहते हैं।’’

गांधी ने कहा कि मोदी ‘‘मैं सब कुछ जानता हूं’’ की समस्या से ग्रस्त हैं जिस कारण वह सवालों के जवाब देना पसंद नहीं करते और सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाने से बचते हैं जहां उन्हें ‘‘असहज’’ सवालों का सामना करना पड़ सकता है।

गांधी ने छात्रों से कहा कि वह सवालों से नहीं डरते।

बाद में चंद्रपुर में रैली को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि मोदी ने आडवाणी का अपमान किया। उन्होंने कहा कि अपने गुरु का अपमान करना भारतीय संस्कृति नहीं है।

आडवाणी के प्रति किए गए व्यवहार के बाद बृहस्पतिवार को आए उनके (आडवाणी के) ब्लॉग को लेकर राहुल ने मोदी पर यह तंज कसा है।

दरअसल, आडवाणी ने अपने ब्लॉग में कहा है कि भाजपा ने अपने राजनीतिक विरोधियों को कभी राष्ट्र विरोधी नहीं माना।

राहुल ने कहा, ‘‘2019 का चुनाव विचारधाराओं की लड़ाई है और कांग्रेस की विचारधारा भाईचारा, प्रेम और सौहार्द्र मोदी के नफरत, क्रोध और विभाजनकारी विचारधारा पर जीत हासिल करेगी।’’

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी का घोषणापत्र भारत के लोगों की सोच की अभिव्यक्ति है और उन्होंने गरीबों के लिए ‘न्याय’ या न्यूनतम आय योजना से मध्यम वर्ग पर बोझ पड़ने की बात को खारिज कर दिया।

गांधी ने कहा कि अगर उनकी कांग्रेस पार्टी सत्ता में आयी तो गरीब परिवारों को न्यूनतम आय के तौर पर हर साल 72,000 रुपये देगी जिससे करीब 25 करोड़ लोगों को फायदा होगा। इस कदम को उन्होंने गरीबी पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ बताया है।

पुणे में छात्रों से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें बिना सोचे-समझे बयान देना पसंद नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी पक्षकारों से विचार विमर्श के बाद घोषणापत्र तैयार किया गया है। न्याय योजना को लागू करने के लिए मध्यम वर्ग पर आयकर नहीं लगाया जाएगा और आयकर को नहीं बढ़ाया जाएगा। अगर उनकी पार्टी सत्ता में आयी तो इस योजना में हर साल गरीब लोगों के बैंक खातों में 72,000 रुपये जमा कराए जाएंगे।’’

न्यूनतम आय गारंटी योजना से राजकोष में 3.26 लाख करोड़ रुपये का खर्च बढ़ने का अनुमान है। इस योजना की आलोचना कर रही भाजपा ने पूछा है कि इसके लिए पैसा कैसे आएगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि न्याय योजना को लागू करने का बोझ मध्यम वर्ग नहीं उठायेगा।

चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘मैंने संवाददाता सम्मेलन में पहले ही कह दिया था कि मध्यम वर्ग पर कर का बोझ नहीं बढ़ने दिया जाएगा। यह हमारा वादा है।’’

आरजे मलिश्का और अभिनेता सुबोध भावे द्वारा आयोजित संवाद में गांधी ने राजनीति से लेकर अपनी निजी जिंदगी और बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ रिश्तों के बारे में कई सवालों के जवाब दिए।

उन्हें साहसी बताने वाले प्रियंका के टि्वटर पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने जवाब दिया, ‘‘मैं दृढ़ हूं, मैं कमजोर लोगों के लिए खड़ा हूं।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य और केंद्रीय विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए संसद और विधानसभा में उन्हें 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।

गांधी ने नोटबंदी को ‘‘विध्वंसकारी विचार’’ बताया जिसका अर्थव्यवस्था पर भयंकर असर पड़ा।

उन्होंने कहा कि 2016 में घोषित की गई नोटबंदी से जीडीपी वृद्धि में दो प्रतिशत की गिरावट आयी और लाखों नौकरियां गईं।

उन्होंने कहा कि पहले योजना आयोग रणनीति संबंधी संस्थान हुआ करता था जबकि उसके स्थान पर बना नीति आयोग केवल कार्यान्वयन और कार्यनीति की बात करता है।

कांग्रेस के घोषणापत्र में मोदी सरकार द्वारा बनाए थिंक टैंक नीति आयोग को हटाने का वादा करने पर एक सवाल के जवाब में गांधी ने कहा, ‘‘हमें रणनीतिक रूप से सोचने वाले संस्थानों की जरुरत है कि राष्ट्रीय स्तर पर क्या किया जाना चाहिए। कार्यान्वयन और कार्यनीति राज्य तय कर सकते हैं।’’

गांधी ने कहा कि कांग्रेस अगर सत्ता में आयी तो वह स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

यह पूछे जाने पर कि बालाकोट हवाई हमले के लिए श्रेय किसे लेना चाहिए, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय वायु सेना को श्रेय लेना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि लोग जानते हैं कि वे भारत के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह हवाई हमले का राजनीतिकरण करने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं असहस महसूस करता हूं कि प्रधानमंत्री ने वह किया। लेकिन वह उनकी मर्जी है।’’

उन्होंने कहा कि वह यह दावा नहीं करते कि उनके पास सभी सवालों का जवाब हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप मुझे असहज महसूस कराएं ताकि मैं वापस जाऊं और सवालों का जवाब तलाशना शुरू करुं।’’

लोकमान्य तिलक और बाल गंधर्व पर बायोपिक में काम कर चुके भावे ने कहा कि वह उन पर (गांधी पर) बायोपिक में काम करना चाहते हैं और जब यह पूछा कि उसमें हीरोइन किसे होना चाहिए, इस पर गांधी ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से ,मैंने अपने काम से शादी कर ली है।’’

सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘जो आभासी वास्तविकता में जीना चाहते हैं वे ऐसा कर सकते हैं। लेकिन कोई भी सच्चाई से नहीं भाग सकता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अंत में आपको इसका सामना करना पड़ेगा। मैं वास्तविकता में जीता हूं। हिंसा से किसी को फायदा नहीं मिलता। यह केवल विश्वास की झूठी भावना देता है।

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अमरोहा और सहारनपुर की रैली में नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस,सपा और बसपा को पाकिस्तानी प्रेमी बताकर वहां इनके लोकप्रिय होने की बात बताई attacknews.in

सहारनपुर/अमरोहा (उत्तर प्रदेश),5 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस, सपा और बसपा पर आतंकवाद को मदद पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये दल दुनिया के सामने बेनकाब हो रहे पाकिस्तान के पक्ष की बातें करके वहां ‘हीरो’ बनने की होड़ कर रहे हैं।

मोदी ने अमरोहा में आयोजित रैली में कहा, ‘जब पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो रहा है तो ये उसके पक्ष की बात कर रहे हैं, वहां पर हीरो बनने की स्पर्द्धा कर रहे हैं। कांग्रेस हो, सपा, बसपा हो, आतंकवाद पर इसी नरम रवैये की वजह से कुछ लोगों के हौसले बुलंद हुए हैं। इन दलों ने सिर्फ आतंक की ही मदद नहीं की है, इन्होंने आपके जीवन और अस्तित्व को संकट में डाला है।’

मुस्लिम बहुल सहारनपुर में मोदी ने तीन तलाक का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनकी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के कुचक्र से मुक्ति दिलाकर उनका जीवन सुरक्षित करने का प्रयास किया, लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगी ऐसा नहीं चाहते।

उन्होंने कहा, ‘मैं मुस्लिम बेटियों से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस, सपा, बसपा के राज में मुस्लिम महिलाओं का शोषण जारी रहेगा। ये तीन तलाक के खिलाफ कानून को भी अनुमति नहीं देंगे। और हम जो अध्यादेश लाएं हैं उसे पारित नहीं होने देंगे।’

प्रधानमंत्री ने सहारनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद द्वारा वर्ष 2014 में अपने खिलाफ दिये गये ‘बोटी काट देंगे’ वाले बयान की याद दिलाते हुए कहा, ‘यहां तो बोटी—बोटी करने वाले लोग शहजादे (कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी) के बड़े चहेते हैं। उन पर उन्हें ज्यादा ही प्यार आता है। याद रखियेगा वो बोटी बोटी की धमकी देने वाले लोग हैं और हम बेटी बेटी को सुरक्षा और सम्मान देने वाले लोग हैं।’

मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र को ‘ढकोसला पत्र’ करार देते हुए कहा कि इस पार्टी ने वादा किया है कि बेटियों के साथ राक्षसी अपराध करने वालों को भी अब जेल से जमानत मिल जाएगी। आप बताएं कि क्या ऐसे राक्षसों को जमानत मिलनी चाहिये? क्या देश ऐसे लोगों को माफ करेगा?

मोदी ने उत्तर प्रदेश में सपा—बसपा—रालोद के गठबंधन पर तंज करते हुए कहा कि कुछ लोग अलग—अलग जातियों के नाम पर समाज और देश में खाई पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदेश की जनता इन्हें पहले भी करार जवाब दे चुकी है।

उन्होंने कांग्रेस पर पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि संसद में राजीव गांधी ने मंडल कमीशन का विरोध किया था। कांग्रेस को तो ओबीसी आयोग पर भी एतराज है।

प्रधानमंत्री ने सितम्बर 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों में प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार और केन्द्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की साजिश का आरोप लगाते हुए कहा, ‘आपको अच्छी तरह पता है कि यहां भी देश को बांटने वाला खेल कैसे खेला जा रहा है। याद करिये कि जब दिल्ली में महामिलावट की सरकार थी, और यहां सपा की सरकार थी, तब उन्होंने एक प्रयोग मुजफ्फरनगर में किया था। जात-पात के आधार पर कैसे कैसे जुल्म हुए। आप उन्हें याद रखोगे ना।’

मोदी ने मुजफ्फरनगर से गठबंधन के प्रत्याशी रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह पर हमला करते हुए कहा कि दंगों के वक्त सिंह अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिये वह चुप रहे और आज भी अपने स्वार्थ के लिये क्षेत्र में आप पर हुए अत्याचारों को भूल गये। उनके बेटे जयंत चौधरी तो और भी आगे निकल गये।

प्रधानमंत्री ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में अहम मुद्दा बनने वाले बकाया गन्ना मूल्य का भी जिक्र किया और कहा गन्ना किसानों को जल्द से जल्द बकाया मिले, इसका ध्यान योगी सरकार पूरी संवेदनशीनलता से रख रही है। आने वाले समय में बकाया मूल्य न फंसने पाये, इसलिये लिये व्यापक काम हो रहा है। एथेनॉल निर्माण के लिये संयंत्र लगाये जा रहे हैं।

मोदी ने कहा कि इस बार का चुनाव सिर्फ एक सांसद का नहीं है। यह भारत की नीति—रीति, यहां की संतानों के भविष्य का चुनाव है। इस चुनाव में एक तरफ आपका यह चौकीदार है और दूसरी तरफ दावेदारों की लम्बी सूची है, जिनके पास सिर्फ एक ही नीति है ‘मोदी हटाओ’ और ‘वंशवाद बढ़ाओ’। नया भारत आतंकवादियों को घुसकर मारेगा, या पहले की तरह हर तरह के घाव झेलता रहेगा। इस चुनाव में आपको चुनना पड़ेगा।

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डाॅ अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने किया खुलासा, राबर्ट वाड्रा को जेल नहीं भेजे जाने की शर्त पर नरेन्द्र मोदी ने सोनिया गांधी को किया ब्लैकमेल attacknews.in

मुम्बई, पांच अप्रैल। चुनाव आयोग के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए दलित नेता प्रकाश आंबेडकर पर मामला दर्ज किए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ब्लैकमेलर होने का आरोप लगाया ।

महाराष्ट्र के अकोला में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आंबेडकर ने आरोप लगाया कि मोदी ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनकी पार्टी को ब्लैकमेल करते हुए कहा कि अगर वह अपने दामाद रॉबर्ट वाड्रा को जेल नहीं भेजना चाहती हैं तो उन्हें अन्य दलों से गठबंधन नहीं करना चाहिए।

उन्होंने दावा किया, ‘‘क्या कोई मुझे बता सकता है कि कांग्रेस ने देशभर में किसी अन्य दल से गठबंधन क्यों नहीं किया? मोदी ने शर्त रखी थी कि अगर कांग्रेस चाहती है कि रॉबर्ट वाड्रा जेल नहीं जाएं तो उसे किसी अन्य दल से गठबंधन नहीं करना चाहिए।’’

आंबेडकर ने आरोप लगाए, ‘‘इसलिए कांग्रेस ने किसी अन्य दल से गठबंधन नहीं किया। मोदी ब्लैकमेलर हैं। वह सोनिया गांधी एवं अन्य के साथ ब्लैकमेल कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह कामकाज के मोदी का तरीका है कि कांग्रेस ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ गठबंधन नहीं किया।’’

बाबा साहेब आंबेडकर के पौत्र आंबेडकर आगामी लोकसभा चुनाव महाराष्ट्र में अकोला और सोलापुर से वंचित बहुजन अगादी के उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे हैं।

आंबेडकर आगामी लोकसभा चुनावों में गठबंधन के लिए कांग्रेस-राकांपा के साथ वार्ता कर रहे थे लेकिन इस सिलसिले में वार्ता किसी निर्णय पर नहीं पहुंची।

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अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव के लिए जारी समाजवादी पार्टी के विजन डाक्यूमेंट को पार्टी का संदेश बताया,गठबंधन का साझा कार्यक्रम बाद में जारी होगा attacknews.in

लखनऊ 5 अप्रैल। समाजवादी पार्टी (सपा) ने लोकसभा चुनाव के लिये शुक्रवार को अपना ‘विजन डॉक्यूमेंट’ जारी किया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में 16 पेज का दस्तावेज ‘सामाजिक न्याय से महापरिवर्तन’ जारी करते हुए कहा कि विजन डॉक्यूमेंट में राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, महिलाओं की सुरक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा और देश की खुशहाली के लिये पार्टी की योजनाओं को पेश किया गया है।

उन्होंने कहा कि सपा—बसपा—रालोद गठबंधन के कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में जनता के बीच में हैं। और वे संकल्प कर रहे हैं कि आने वाले समय में भारत का भविष्य बेहतर हो। सभी वर्ग कैसे खुशहाल हों] इसके लिये जरूरी है कि एक दस्तावेज हो, जो हमारे लक्ष्यों, विजन, विचारधारा को दिखाये। अखिलेश ने समाजवादी धारा के प्रणेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया को उद्धत करते हुए कहा कि गरीबी के खिलाफ लड़ाई एक धोखा है जब तक जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव के खिलाफ लड़ाई ना हो। इसलिये यह किताब ‘सामाजिक न्याय से महापरिवर्तन’ एक नयी दिशा और नयी उम्मीद के साथ हम जनता के बीच ले जाना चाहते हैं। यह हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ—साथ खुद हमारे लिये भी है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी से बड़े पैमाने पर व्यापारियों को नुकसान हुआ है। नोटबंदी से लोगों की जान चली गयी, मगर सरकार के पास कोई जवाब नहीं। बैंक घाटे में हैं। विकास का रास्ता कुछ लोगों तक सीमित रह गया। सपा का मानना है कि बिना प्राइमरी शिक्षा को बेहतर किये कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी किसानों का पूरा कर्ज माफ किये जाने के पक्ष में है।

इस सवाल पर कि क्या यह दस्तावेज सपा का चुनाव घोषणपत्र है, अखिलेश ने कहा ‘अगर मैं हां कहूंगा तो आप पूछेंगे कि क्या हम सरकार बनाने जा रहे हैं। यह एक विजन डॉक्यूमेंट या पार्टी कार्यकर्ताओं के लिये संदेश है, ताकि वे भाजपा को जवाब दे सकें और विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख को समझ सकें।’

मालूम हो कि सपा इस बार बसपा और रालोद के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रही है। माना जा रहा था कि ये सभी दल एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम जारी करेंगे।

अखिलेश ने कहा कि भाजपा दावा करती है कि हमने विकास किया, लेकिन यह सच्चाई नहीं है। अगर यह सबकुछ होता तो नौकरियां मिलतीं।

उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि देश के सभी वर्गों का भविष्य बेहतर होना चाहिये।

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पुणे में राहुल गांधी के सामने छात्रों ने जब मोदी …मोदी के नारे लगाएं तो राहुल ने भी कह दिया: अच्छा है …ठीक है , एक अन्य जवाब में नेतागिरी की उम्र 60 साल बताई attacknews.in

पुणे 5 अप्रैल । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा उनकी सबसे अच्छी दोस्त हैं और उनसे कोई लड़ाई नहीं हो सकती।

नेताओं की सेवानिवृत्ति की उम्र के बारे में यहां एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा कि नेताओं के राजनीति से सन्यास लेने के लिए 60 साल की उम्र सही है।

राहुल ने यहां छात्रों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने अपने परिवार को हिंसा से प्रभावित होते देखा है और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी की हत्याओं का जिक्र किया।

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी छोटी बहन के साथ बचपन की यादों को साझा किया। प्रियंका को कुछ ही महीने पहले ही पार्टी महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या उनका कभी प्रियंका से झगड़ा या कहासुनी हुई , उन्होंने कहा, ‘‘शुरूआत में झगड़ा हुआ होगा। लेकिन अब नहीं होता। बचपन से ही मैं अपनी दादी मां और अपने पिता की हत्याओं के साथ काफी हिंसा के दौर से गुजरा हूं। ’’ राहुल ने कहा, ‘‘मेरी बहन मेरी दोस्त है और हम एक दूसरे को अच्छी तरह से समझते हैं। यदि कभी कहासुनी की नौबत आई भी तो कभी वह पीछे हट जाती, तो कभी मैं पीछे हट जाता। ’’

उन्होंने अपनी बहन को ‘‘सबसे अच्छी दोस्त’’ बताते हुए कहा , ‘‘हम जीवन भर साथ रहेंगे।’’

रक्षा बंधन का त्यौहार मनाने के बारे में राहुल ने कहा कि वह एक असमान्य नियम का पालन करते हैं और अपनी कलाई पर तब तक राखी रहने देते हैं, जब तक उसके धागे खुद ही टूट नहीं जाते।

उन्होंने कहा, ‘‘वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेम करते हैं और उनके प्रति कोई वैमनस्य या नफरत नहीं रखते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, मैं पीएम के प्रति कोई नफरत या गुस्सा नहीं रखता। वह भी ऐसा नहीं सोचते।’’

उनकी टिप्पणी के ठीक बाद ‘‘मोदी, मोदी’’ के कुछ नारे भी सुनने को मिले, इस पर राहुल ने कहा, ‘‘अच्छा है…ठीक है।’’

अपने बचपन की यादों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी दादी मां (इंदिरा गांधी) के कमरे में परदे के पीछे छिप जाया करता था और जब अंदर प्रवेश करती थी तो उन्हें चौंका देता था। लेकिन वह जानती होंगी कि मैं कमरे में हूं और वह महज भयभीत होने का दिखावा करती थी।’’

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इंदौर से सांसद सुमित्रा महाजन ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया,भाजपा अध्यक्ष ने ताई की सहमति से प्रत्याशी चयन की बात कही attacknews.in

इंदौर, 05 अप्रैल । लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वर्तमान सांसद श्रीमती सुमित्रा महाजन जिन्हें सुमित्रा ताई भी कहा जाता है, ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का आज ऐलान किया।

श्रीमती महाजन ने इस संबंध में मीडिया को जारी एक पत्र में लिखा है कि उन्हें लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना है। इसलिए पार्टी अपना निर्णय मुक्त मन से और नि:संकोच होकर करे।

मीडिया को जारी किए गए पत्र में श्रीमती महाजन ने लिखा है कि भाजपा ने आज तक इंदौर में अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। यह अनिर्णय की स्थिति क्यों है। संभव है कि पार्टी को निर्णय लेने में कुछ संकोच हो रहा है।

श्रीमती महाजन ने लिखा है ‘हालाकि मैंने पार्टी में वरिष्ठों से इस संदर्भ में बहुत पहले ही चर्चा की थी और निर्णय उन्हीं पर छोड़ा था। लगता है उनके मन में अब भी कुछ असमंजस है। इसलिए मैं घोषणा करती हूं कि मुझे अब लोकसभा का चुनाव नहीं लडना है, अत: पार्टी अपना निर्णय मुक्त मन से करे। नि:संकोच होकर करे।

सुमित्रा की सहमति से होगा अगला कदम : राकेश सिंह

जबलपुर,से खबर है कि, लोकसभा अध्यक्ष और मध्यप्रदेश के इंदौर से भारतीय जनता पार्टी सांसद सुमित्रा महाजन के आज चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा किए जाने के बाद पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि उन्होंने सोचसमझ कर फैसला किया होगा और पार्टी अगला कदम उनकी सहमति से ही उठाएगी।

श्री सिंह ने यहां संवाददाताओं से चर्चा के दौरान श्रीमती महाजन के इस फैसले से जुड़े सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि श्रीमती महाजन पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं। वे जो भी फैसला करेंगीे, सोचसमझ कर करेंगी। वे पार्टी की प्रेरणास्रोत हैं।

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नईदिल्ली लोकसभा सीट ही ऐसी है जहां दिग्गजों ने ही अपना भाग्य आजमाया; नेता, अभिनेता और स्वतंत्रता सेनानी यहाँ से प्रतिनिधि रहे attacknews.in

नयी दिल्ली 5 अप्रैल । नयी दिल्ली लोकसभा सीट ऐतिहासिक होने के साथ ही कई मायनों में महत्वपूर्ण है जहां से स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी, राजनीति के पुरोधा अटल बिहारी वाजपेयी, भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और अभिनेता राजेश खन्ना लोकसभा पहुंच चुके हैं।

खास बात यह है कि इस सीट पर भाजपा (पूर्व में भारतीय जनसंघ)और कांग्रेस दो ही दलों का दबदबा रहा है। पहला लोकसभा चुनाव और आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव के अलावा भाजपा और कांग्रेस ही यहां से चुनाव जीतती रही है। भाजपा और भारतीय जनसंघ ने अब तक यहां से सर्वाधिक नौ बार जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस काे सात बार जीत मिली है। जनता पार्टी और किसान मजदूर प्रजा पार्टी ने एक-एक बार चुनाव जीती है।

भारतीय जनसंघ ने इस सीट से पहली बार 1961 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की और बलराज माधोक सांसद बने। उसके बाद 1967 में जनसंघ के मनोहर लाल सोंधी ने इस सीट से जीत सुनिश्चित की। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में राजनीति के पुरोधा अटल बिहारी वाजपेयी जनता पार्टी से विजय हुए। वह प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री बने लेकिन उन्होंने 1979 में इस्तीफा दे दिया। श्री वाजपेयी 1980 में एक बार फिर यहां से भाजपा के टिकट पर सांसद बने।

इसके बाद 1989 और 1991 के चुनावों में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यहां से सांसद चुने गये। इसके बाद भी भाजपा की जीत का सिलसिला जारी रहा तथा जगमोहन 1996, 1998 और 1999 में यहां से सांसद चुने गये।

भाजपा की सुश्री मीनाक्षी लेखी यहां से वर्तमान सांसद हैं।

कांग्रेस ने 1957 में यह सीट जीती और सुचेता कृपलानी सांसद बनीं। श्रीमती कृपलानी ने आजादी के बाद पहला लोकसभा चुनाव 1952 में किसान मजदूर प्रजा पार्टी(केएमपीपी) से जीती थीं। कांग्रेस ने 1957 में जीत के बाद से अपना रास्ता साफ कर लिया। कांग्रेस के मेहर चंद खन्ना 1962 में जीते। वर्ष 1971 में इसी पार्टी के मुकुल बनर्जी, 1984 में कृष्णचंद पंत , 1992 में राजेश खन्ना, 2004 और 2009 अजय माकन ने जीत हासिल की।

इस संसदीय सीट पर अभिनेताओं ने भी भाग्य आजमाया । श्री आडवाणी ने अभिनेता राजेश खन्ना को 1991 के चुनाव में परास्त किया जबकि राजेश खन्ना ने 1992 में उपचुनाव में भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा को हराया।

नयी दिल्ली लोकसभा सीट के तहत करोल बाग, पटेल नगर, मोती नगर, दिल्ली कैंट, राजिंदर नगर, नयी दिल्ली, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर, आर के पुरम, ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

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असम की 14 लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कडी टक्कर, राज्य की अस्मिता और नागरिकता के मुद्दे हावी attacknews.in

गुवाहाटी, 05 अप्रैल । पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रमुख राज्य असम में इस बार के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में सीधी टक्कर की उम्मीद है जिसमें नागरिकता संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और असमिया अस्मिता के मुद्दे मुख्य भूमिका निभाएगें।

राज्य की 14 लोकसभा सीटों पर तीन चरणों में मतदान होना है जिसमें 11 अप्रैल को जोरहट, डिब्रूगढ़, लखीमपुर, तेजपुर और कलियाबोर, 18 अप्रैल को मंगलदोई, करीमगंज, सिलचर, स्वायत्त जिला और नौगांव तथा 23 अप्रैल को कोकराझार, धुबड़ी, गुवाहाटी और बारपेटा में वोट डाले जाएगें। राज्य में कुल एक करोड़ 88 लाख 37 हजार 612 मतदाता हैं जिनमें 90 लाख 73 हजार 991 महिला और 97 लाख 63 हजार 621 पुरूष हैं।

फिलहाल राज्य में भाजपा की सरकार है और लोकसभा की कुल सीटों में 10 पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस और एक सीट पर ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) काबिज है। चुनावी रणनीति के तहत भाजपा ने अपने पांच सांसदों का टिकट काट दिया है और नये चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अपने तीनों सांसदों गौरव गोगोई, सुष्मिता सेन और बीरेंद्र सिंह इंगती को फिर से उम्मीदवार बनाया है।

संसदीय चुनावों में भी राज्य में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं। इसलिये असम गण परिषद (एजीपी )और बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) भी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और परिणामों को प्रभावित करते हैं। ये दाेनों दल फिलहाल लोकसभा चुनावों में भाजपा के साथ हैं। इसके सहारे भाजपा स्थानीय स्तर पर जमीन से जुड़ने का प्रयास कर रही है। भाजपा दस सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने तीन सीट एजीपी को और एक सीट बीपीएफ को दी है। कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में उतर रही है लेकिन एआईयूडीएफ ने केवल तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। एआईयूडीएफ के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल का कहना है कि यह फैसला धर्मनिरपेक्ष ताकतों के पक्ष में किया गया है।

एआईयूडीएफ काे निचले असम में खासा समर्थन हासिल है।

राज्य में स्थानीय मुद्दे इस बार भी चुनाव में छाये हुए हैं। रोजगार, सुरक्षा और ब्रह्मपुत्र से भूमि कटाव जैसे मुद्दे पर भी राजनीतिक दल वोट मांग रहें हैं। हालांकि कांग्रेस और भाजपा का जोर राष्ट्रीय मुद्दों पर हैं और चुनावी जंग को मोदी बनाम राहुल बनाने के प्रयास चल रहे हैं। चुनाव में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अपने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को सामने रख रही है। दोनों पार्टियां स्थानीय नेताओं को भी प्रमुखता दे रही हैं। भाजपा राज्य में अपने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और वरिष्ठ नेता हेमंता बिस्वास को भी आगे कर रही है। कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, सांसद गौरव गोगोई, सुष्मिता देव और बीरेंद्र सिंह इंगती को चुनाव प्रचार में प्रमुखता से उतार रही है।

राज्य में नागरिकता संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लोगों में हावी हैं। इन्हीं से असमी अस्मिता का मुद्दा भी जुड़ा है। सभी राजनीतिक दल असम के मूल लोगों की हितों को संरक्षित करने का वादा कर रहे हैं। भाजपा इस मुद्दे पर दो महीने पहले छिटककर दूर जा चुकी एजीपी को फिर से साथ लाने में कामयाब रही है।

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सन् 1996 का 11वां लोकसभा चुनाव: राजनीतिक अस्थिरता चरम पर, अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों वाली सरकार और बाद में कई दलों की टूट – फूट वाली सरकारें attacknews.in

नयी दिल्ली 05 अप्रैल । वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता से बाहर हो गयी तथा भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में पहली बार सरकार बनायी लेकिन इसके साथ ही केन्द्र में राजनीतिक अस्थिरता का दौर तेज हो गया था।इस चुनाव में भी किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। राजनीतिक अस्थिरता का आलम यह था कि मई 1996 से मार्च 1998 तक देश में तीन प्रधानमंत्री बने। इसके बावजूद लोकसभा अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और देश में फिर से आम चुनाव कराना पड़ा।

ग्यारहवें चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी लेकिन वह 13 दिन ही चल सकी। इसके बाद एच डी देवगौड़ा और इन्द्र कुमार गुजराल ने देश का नेतृत्व किया था। इससे पहले पी वी नरसिंह राव की अल्पमत सरकार ने कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया लेकन चुनाव में कांग्रेस कोई करिश्मा करने में विफल रही थी ।

लोकसभा की 543 सीटों के लिए हुए चुनाव में आठ राष्ट्रीय पार्टियों , 30 राज्य स्तरीय पार्टियों तथा 170 निबंधित दलों ने चुनाव लड़ा। कुल 59 करोड़ 25 लाख मतदाताओं में से 57.94 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर 13952 उम्मीदवारों के राजनीतिक भविष्य का फैसला किया था। इस चुनाव में जनता पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका था।

राष्ट्रीय पार्टियों ने कुल 1817 उम्मीदवार खड़े किये थे और उन्हें 69.08 प्रतिशत वोट मिला। राज्य स्तरीय पार्टियों ने 761 उम्मीदवार उतारे और 22.43 प्रतिशत वोट हासिल किये। राष्ट्रीय पार्टियों के 403 और राज्य स्तरीय पार्टियों के 129 उम्मीदवार विजयी हुये थे । निबंधित पार्टियों ने 738 प्रत्याशी चुनाव में उतारा जिनमें से केवल दो जीतने में सफल रहे थे। कुल 10637 निर्दलीय उम्मीदवारों में से नौ जीत का परचम फहराने में कामयाब रहे थे।

कांग्रेस पार्टी ने 529 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से 140 जीतने में कामयाब रहे। उसे 29.80 प्रतिशत वोट मिले जो अब तक हुये चुनावों में सबसे कम था। नयी नयी बनी इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) ने 321 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन संगठन और समर्थन के अभाव में वह केवल चार सीट ही जीत सकी । भाजपा ने कांग्रेस की कमजोर स्थिति का फायदा उठाते हुये इस समय तक अपने प्रभाव का विस्तार कर लिया था और उसने 471 क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े किये थे और पहली बार वह 161 सीटें जीतने में कामयाब रही थी ।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके 12 उम्मीदवार जीते जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 75 स्थानों पर चुनाव लड़ा और उसके 32 उम्मीदवार चुने गये थे। जनता दल ने 196 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके 46 उम्मीदवार निर्वाचित हुये थे जबकि 101 सीटों पर चुनाव लड़ी जनता पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका था। बिहार में प्रभाव वाली समता पार्टी ने देश में 81 क्षेत्रों में प्रत्याशी खड़े किये थे जिनमें से आठ जीत पाये थे।
कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में तेज झटका लगा था। उसे उत्तर प्रदेंश में पांच, बिहार में दो, पश्चिम बंगाल में नौ, मध्य प्रदेश में आठ, आन्ध्र प्रदेश में 22, असम में पांच, गुजरात में दस, हरियाणा में दो, हिमाचल प्रदेश में चार, जम्मू कश्मीर में चार, कर्नाटक में पांच, केरल में सात, महाराष्ट्र में 15, मणिपुर में दो, ओडिशा में 16, पंजाब में दो, राजस्थान में 12 दिल्ली में दो तथा मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, अंडमान निकोबार, दादर नागर हवेली, दामनदीव, लक्ष्यद्वीप और पांडिचेरी में एक – एक सीट मिली थी।

भाजपा को उत्तर प्रदेश में 52, बिहार में 18, असम में एक, गुजरात में 16, हरियाणा में चार, जम्मू कश्मीर में एक, कर्नाटक में छह, मध्य प्रदेश में 27, महाराष्ट्र में 18, राजस्थान में 12, चंडीगढ में एक और दिल्ली में पांच सीटें मिली थी। इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) को उत्तर प्रदेश में दो तथा मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक-एक सीट मिली थी। जनता दल को बिहार में 22, कर्नाटक में 16, उत्तर प्रदेश में दो, जम्मू कश्मीर में एक, केरल में एक तथा ओडिशा में चार सीटें मिली थी।

भाकपा को आन्ध्र प्रदेश में दो, बिहार में तीन, केरल में दो, तमिलनाडु में दो और पश्चिम बंगाल में तीन सीटें मिली थी। माकपा को पश्चिम बंगाल में 23, केरल में पांच, त्रिपुरा में दो तथा आन्ध्र प्रदेश और असम में एक-एक सीट मिली थी। समता पार्टी बिहार में छह, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में एक-एक सीट जीत पायी थी। समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में 16 और बिहार में एक सीट मिली थी।

तेलुगू देशम पार्टी को आन्ध्र प्रदेश में 16, शिवसेना को महाराष्ट्र में 15, अकाली दल को पंजाब में छह, द्रमुक को तमिलनाडु में 17 तथा बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में छह, मध्य प्रदेश में दो और पंजाब में तीन सीटें मिली थी। निर्दलीय अरुणचल प्रदेश में दो तथा असम, बिहार, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, मेघालय और उत्तर प्रदेश में एक-एक सीट जीत पाये थे ।

कांग्रेस से रुठे नारायणदत्त तिवारी ने उत्तर प्रदेश में नैनीताल से इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) के टिकट पर चुनाव लड़ा और उन्होंने भाजपा के बलराज पासी को लगभग डेढ लाख मतों के अंतर से हराया था। भाजपा के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से और जनता दल के टिकट पर श्रीमती मेनका गांधी पीलीभीत से चुनी गयी थी। श्री वाजपेयी ने कांग्रेस के राज बब्बर को हराया था। समता पार्टी के टिकट पर चन्द्रशेखर बलिया से तथा गांधी परिवार के नजदीकी सतीश शर्मा कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर अमेठी से निर्वाचित हुये थे। नेहरु गांंधी परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली में भाजपा के उम्मीदवार अशोक सिंह ने जीत हासिल की। समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव मैनपुरी सीट से चुने गये थे।

बिहार में जनता दल के राम विलास पासवान हाजीपुर से, भाकपा के चतुरानन मिश्र मधुबनी से, समता पार्टी के नीतीश कुमार बाढ से, जनता दल के शरद यादव मधेपुरा से तथा समता पार्टी के टिकट पर जार्ज फर्नाडीस नालंदा लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुये थे। श्री पासवान ने समता पार्टी के राम सुन्दर दास को हराया था।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की उम्मीदवार ममता बनर्जी ने कलकत्ता दक्षिण सीट पर, भाकपा के वरिष्ठ नेता इन्द्रजीत गुप्त ने मिदनापुर में तथा माकपा के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी ने बोलपुर सीट पर जीत दर्ज की थी। राजस्थान के चित्तौरगढ में भाजपा के टिकट पर जसवंत सिंह और जोधपुर में कांग्रेस के अशोक गहलोत निर्वाचित हुये थे ।

पंजाब के होशियारपुर में बसपा के कांशीराम और अमृतसर में कांग्रेस के रधुनंदन लाल भाटिया विजयी हुये थे। महाराष्ट्र के बारामती से कांग्रेस के दिग्गज नेता शरद पवार, पुणे से कांग्रेस के ही सुरेश कलमाडी तथा लातुर में इसी पार्टी शिवराज पाटिल निर्वाचित हुये थे। मध्य प्रदेश में इंदौर सीट पर भाजपा की सुमित्रा महाजन ने विजय का परचम फहराया था।

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शरद पवार का नरेन्द्र मोदी को पलटवार: वह पहले किसी से पंगा नहीं लेते लेकिन ऐसा करने वाले को उसकी औकात दिखा देते हैं attacknews.in

उस्मानाबाद, चार अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परोक्ष हमला करते हुए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह खुद किसी से पहले से पंगा नहीं लेते हैं, लेकिन ऐसा करने वाले को ‘‘उसकी जगह दिखा देते हैं।’’

पवार ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद मोदी पर सेना के पराक्रम का राजनीतिक लाभ उठाने का भी आरोप लगाया।

मोदी ने बुधवार को गोंडिया में एक चुनाव रैली में कहा था कि राकांपा नेताओं की नींद उड़ गई है। उन्होंने सोमवार को वर्धा में एक अन्य रैली में राकांपा प्रमुख पर यह कहकर हमला किया था कि पवार ने अपनी पार्टी पर पकड़ खो दी है और इसके भीतर ‘‘पारिवारिक कलह’’ चल रही है।

मध्य महाराष्ट्र में यहां एक रैली को संबोधित करते हुए पवार ने मोदी पर परोक्ष हमला करते हुए कहा, ‘‘हम उस मिट्टी से हैं जहां छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। हम खुद पहले से किसी पंगा नहीं लेते, लेकिन कोई यदि ऐसा करता है तो उसे उसकी जगह दिखा देते हैं।’’

पवार यहां राकांपा उम्मीदवार राणा जगजीत सिंह पाटिल के लिए प्रचार करने पहुंचे थे।

राकांपा प्रमुख ने कहा कि मोदी पूछते हैं कि उन्होंने रक्षामंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान क्या किया।

उल्लेखनीय है कि पवार 1991 से 1993 तक देश के रक्षामंत्री थे। उस समय वह कांग्रेस में थे।

पवार ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि उन्होंने देश में हमले नहीं होने दिए जैसा कि मोदी की सरकार के दौरान हो रहा है।

उन्होंने कहा कि मोदी कहते रहे हैं कि देश में पिछले 70 साल में पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान कोई विकास नहीं हुआ, लेकिन मोदी को बताना चाहिए कि क्या उन्होंने इसमें अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकारों (1998 से 2004) के कार्यकाल को भी जोड़ा है।

पवार ने राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री- जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और राजीव गांधी की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान प्रधानमंत्री सुरक्षाबलों के शौर्य का अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह सरकार यहां तक कि कुलभूषण जाधव तक की रिहाई कराने में असफल रही है। 56 इंच का सीना कहां चला गया?’’

उस्मानाबाद निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होगा।

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राहुल गांधी का वायनाड की पाप नाशिनी नदी से बहुत ही भावनात्मक संबंध है, चुनावी जनसम्पर्क में यहाँ फिर जाएंगे attacknews.in

वायनाड(केरल), चार अप्रैल । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का केरल के वायनाड से एक भावनात्मक संबंध भी है। वह उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट के साथ इस संसदीय सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी नेताओं ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला ने एक घटना को याद करते हुये बताया, ‘‘1991 में उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अस्थि कलश यहां लाया गया था। उनकी अस्थियां यहां के थिरूनेली गांव में भगवान महाविष्णु को समर्पित एक मंदिर तक जाने वाली नदी पापनाशिनी में विसर्जित की गईं थीं।’’

चेन्नीथला ने  कहा, ‘‘तत्कालीन मुख्यमंत्री के. करूणाकरन, मैं स्वयं, मुल्लापल्ली रामचंद्रन और केसी वेणुगोपाल राजीव जी की पापनाशिनी नदी में अस्थि विसर्जन समय उपस्थित थे।

राजीव गांधी की 21 मई 1991 में, तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में हुये बम धमाके में मौत हो गई थी।

कांग्रेस नेता ने संकेत दिया कि राहुल गांधी जब अगली बार यहां प्रचार के लिए आयेंगे तो वह इस धार्मिक जगह का दौरा कर सकते है।

पापनाशिनी का अर्थ है-पाप का नाश करने वाली। थिरूनेली मंदिर के पुजारियों के अनुसार, अगर पापनाशिनी में मृत व्यक्ति की अस्थियां विसर्जित की जाती हैं तो इसे गया में मिलने वाले पुण्य के समकक्ष माना जाता है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने  नामांकन पत्र दाखिल किया:

कालपेट्टा (केरल), से रिपोर्ट है कि, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया।

गांधी यहां अपनी बहन प्रियंका गांधी, के सी वेणुगोपाल तथा मुकुल वासनिक सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ पहुंचे।

जिला मुख्यालय में उन्होंने जिला कलेक्टर ए आर अजयकुमार को दस्तावेज सौंपें।

कांग्रेस प्रमुख की हाई प्रोफाइल यात्रा के मद्देनजर कलक्ट्रेट कार्यालय के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

इससे पहले गांधी, प्रियंका और अन्य नेता यहां एक विशेष हेलीकॉप्टर के जरिए पहुंचे थे, जिसे नजदीक एक स्कूल के ग्राउंड मे उतारा गया था।

चिलचिलाती गर्मी के बीच, यहां महिलाओं और युवाओं सहित पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने पार्टी के झंडे लहराए और नारे लगाए।

नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी के साथ एक खुले वाहन में रोडशो  किया।

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कांग्रेस ने मध्यप्रदेश से कमलनाथ और बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से प्रत्याशी घोषित किया, अब तक 12 प्रत्याशियों सहित 21 की घोषणा, 8 सीटों पर पत्ते नहीं खोले attacknews.in

भोपाल, 04 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के मध्यप्रदेश के प्रत्याशियों की बहुप्रतीक्षित सूची में आज मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को श्री कमलनाथ की परंपरागत सीट छिंदवाड़ा से प्रत्याशी बनाया गया है, वहीं कमलनाथ को उप चुनाव के लिए छिंदवाड़ा सीट के लिए विधानसभा प्रत्याशी घोषित किया हैं ।

कांग्रेस की ओर से आज जारी सूची में नकुलनाथ को छिंदवाड़ा की कमान सौंपी गई है। वहीं जबलपुर से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, खंडवा से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, सीधी से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और सागर से प्रभु सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाया गया है।

कांग्रेस ने देवास से भजन गायक और पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त प्रहलाद टिपानिया पर दांव खेला है। दमोह से प्रताप सिंह लोधी, सतना से राजाराम त्रिपाठी, रीवा से सिद्धार्थ तिवारी, मंडला से कमल मरावी, उज्जैन से बाबूलाल मालवीय और खरगोन से डॉ गोविंद मुजाल्दा को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है।

कांग्रेस की आज जारी सूची में 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। इसके पहले कांग्रेस ने नौ सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए थे।

हालांकि प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट इंदौर, विदिशा, ग्वालियर और गुना-शिवपुरी समेत आठ संसदीय क्षेत्रों पर कांग्रेस ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इन्हीं सब सीटों पर अब तक भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के नाम भी सामने नहीं आए हैं

कमलनाथ छिंदवाड़ा से विधानसभा चुनाव लडेंगे:

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित किया है।

कांग्रेस के चुनाव प्रभारी मुकुल वासनिक में गुरुवार को बताया कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने श्री कमलनाथ के नाम को मंजूरी दी है। इस सीट से पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के ही दीपक सक्सेना ने जीता था।

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद कमलनाथ ने पिछले वर्ष दिसम्बर में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के लिए चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होना है और उसी दिन इस विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव भी होंगे।

मध्यप्रदेश की कई सीटों पर पेंच फंसा

मध्यप्रदेश में पहले चरण की लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद भी कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर दोनों प्रमुख राजनीतिक दल अब तक अपने प्रत्याशी नहीं चुन पाए हैं।

मध्यप्रदेश की इंदौर, विदिशा, गुना-शिवपुरी और ग्वालियर सीटें ऐसी हैं, जहां अब तक दोनों ही दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अब तक अपने प्रत्याशियों पर मुहर नहीं लगा पाए हैं।

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उतराखण्ड की पहाड़ी महिलाओं की लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के खिलाफ नाराजगी चुनावी समीकरण बिगाड़ सकती हैं attacknews.in

देहरादून, 4 अप्रैल । उत्तराखण्ड में इस चुनाव में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए सियासी दलों की उन पर विशेष नजर है लेकिन उनसे जुड़े राजनीतिक दलों के एजेंडे से नदारद नजर आ रहे है।

राज्य में चुनाव प्रचार के लिए अब दो हफ्ते ही बचे हैं और राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर के साथ पार्टी का प्रचार करने में लगे हैं लेकिन उनके एजेंडे में महिलाओं की समस्याओं से जुड़े मुद्दे नहीं होने से पहाड़ की महिलाओं में बेहद नाराजगी है।

उत्तराखंड की रीढ़ आज भी महिलाएं ही हैं। वे यहां खेत से लेकर सर्विस सेक्टर तक में काम कर रही हैं। चुनावाें के समय राजनीतिक दलों ने पहाड़ में महिलाओं की जिंदगी को आसान और बेहतर बनाने के लिए वादे तो खूब किये गये पर जमीन पर काम नहीं हुआ ।

चमोली की महिलाओं का कहना है कि चुनाव के वक्त राजनेता जो वायदे करते हैं सत्ता मिलने पर अगर उन पर काम होता तो महिलाओं की न सिर्फ स्थिति में सुधार होता बल्कि यहां से पलायन भी रुकता। अंजू और कमला ने कहा कि पहाड़ की महिलाओं के लिए रोजगार का इंतजाम किया जाना चाहिए ताकि जरूरतें यहीं पूरी हो सकें और पलायन न करना पड़े। पहली बार वोट करने वाली अनु और मधु को पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना सबसे जरूरी लगता है। अपने मताधिकार के प्रति जागरूक युवा मतदाता कहती हैं कि वोट उसी को देंगीं जो रोजगार के साथ ही उत्तराखंड की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा।

उत्तराखण्ड की आधी आबादी मतदान महापर्व में पूरे उत्साह के भागीदारी करती आयी है जिसकी वजह से महिलाओं को वोट प्रतिशत किसी भी प्रत्यााशी को संसद की दहलीज पर ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखता है । यहां के पुरूषों के सेना और अर्द्ध सुरक्षा बलों में होने के साथ रोजगार कर तलाश में प्रदेश से बाहर रहने पर कई इलाकों में महिला ही निर्णायक भमिका में दिखाई देती है । उत्तराखण्ड गठन के बाद हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों के आंकडों पर गौेर किया जाए तो महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरषों के अपेक्षा ज्यादा नजर आता है ।

इस बार भी महिलाओं का वोट निर्णायक होने के कारण लिए सियासी दलों को 36,45,047 महिला मतदाताओं को फोकस करना हेागा । राज्य में 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में 52.64 महिलाओं ने मतदान किया था जबकि 2017 में उनका मतदान प्रत्शित बढ़ कर 69.30 फीसदी हो गया । इसी प्रकार 2004 के लोकसभा चुनाव में लगभग 45 प्रतिशत महिलाओं ने ही अपने मताघिकार का प्रयोग किया जो 2014 में बढ़कर 63.05 फीसदी पहुच गया । कांग्रेस जहां महिलाओं के लिए कई योजनायें लागू करने का दावा कर रही है वहीं भाजपा उज्जवला येाजना के माध्यम से महिलाओं के वोट जुटाने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है ।

उत्तराखण्ड की पांच संसदीय सीटों पर महिला मतदाताओं की कुल 36,45,047 जबकि पुरूष मतदाता 40,71,849 है। टिहरी जिले में महिला मतदाता की संख्या 691899 तथा पुरूष मतदाताओं की संख्या 773527 है। पौड़ी जिले में महिला मतदाता की संख्या 638311 तथा पुरूष मतदाता 698981 है। इसी प्रकार अल्मोड़ा जिले में महिला मतदाता की संख्या 635996 तथा पुरूषो की संख्या 685655 है। नैनीताल जिले में महिला मतदाता की संख्या 841601 तथा पुरूषों की संख्या 947110 है। हरिद्वार जिले में महिला मतदाता की संख्या 837240 तथा पुरूषों की संख्या 966576 है।

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आजमगढ़ से भाजपा प्रत्याशी भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ़ निरहुआ कभी अखिलेश यादव से मिलने का समय मांगा करते थे और सपा का स्टार प्रचारक भी बनना चाहते थे attacknews.in

लखनऊ 3 अप्रैल ।समाजवादी पार्टी (सपा) अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ आजमगढ़ (यूपी) से चुनाव लड़ने वाले भोजपुरी फिल्‍मों के सुपर स्‍टार और बीजेपी नेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने कहा है कि अखिलेश मेरे बड़े भाई हैं. यहां ‘यादव’ का कोई सवाल नहीं है. लोग आपको केवल एक यादव के रूप में नहीं चुनते हैं. यदि आप यादव के मुद्दे पर चुनाव लड़ते हैं, तो आप बुरी तरह हार जाएंगे,आज देश अन्य मुद्दों के बारे में सोच रहा है।

‘निरहुआ’ ने कहा कि हर ‘यादव’ ‘अखिलेश भक्त’ नहीं हैं. हमारे अपने विचार हैं. हम जानते हैं कि राष्ट्र के हित में क्या है. हमें जातिगत राजनीति से ऊपर उठना होगा।

राजनीति में कब किसके सितारे बुलंद हो जाए। इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल होता है।कुछ यूं ही दिनेश लाल यादव उर्फ़ निरहुआ  के साथ हुआ जब भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव को बीजेपी ने पूर्वी यूपी की आज़मगढ़ लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया क्योंकि इसी सीट से अखिलेश यादव भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

बताते चलें कि बीजेपी ने बुधवार को यूपी की पांच सीटों से प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया ।इसी के साथ अब तक भाजपा  66 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया । बुधवार को जिन सीटों से प्रत्याशियों का ऐलान हुआ है उसमें मैनपुरी से प्रेम सिंह शाक्य, आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव उर्फ़ निरहुआ, मछलीशहर से वीपी सरोज, फिरोजाबाद से चंद्रसेन जादौन और रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया गया ।

इस लिस्ट में सबसे दिलचस्प नाम आजमगढ़ सीट से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ का है. अभी मंगलवार को ही सरकार ने निरहुआ को वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करवाई है. निरहुआ के चुनाव लड़ने की चर्चा उसी वक्त शुरू हो गई थी जब वे एक्टर रवि किशन के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचे थे।मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि वे बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं और पार्टी जहां से कहेगी वहां से चुनाव लड़ेंगे।

भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव एक ज़माने में समाजवादी पार्टी के नेताओं के बेहद करीबी माने जाते थे। निरहुआ सपा के लिए चुनाव प्रचार भी कर चुके हैं।निरहुआ सपा नेता सुभाष पाषी के बेहद अजीज़ दोस्त माने जाते हैं।

यूपी की सियासत से जुड़े कई महत्वपूर्ण लोगों ने बताया कि यही निरहुआ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने का जुगाड़ लगाया करते थे। बीजेपी में शामिल होने से कुछ महीनों पहले भी निरहुआ सपा नेता सुभाष पासी के माध्यम से अखिलेश से मिलने का समय मांग रहे थे. यही नहीं एक वक्त ऐसा भी था जब निरहुआ सपा का स्टाक प्रचारक भी बनना चाह रहे थे।

अब वक्त का पहिया कुछ यूं घूमा कि दिनेश लाल यादव उसी नेता के ख़िलाफ़ चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, जिनसे मिलने का समय मांगा करते थे, हालांकि निरहुआ के लिए आज़मगढ़ सीट से चुनाव लड़ना बेहद चुनौती भरा होगा. क्योंकि ये सीट सपा की परंपरागत सीट मानी जाती है. फिलहाल आज़मगढ़ लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव सांसद हैं. पूर्वांचल में आज़मगढ़ को समाजवादियों का गढ़ भी कहा जाता है।

निरहुआ के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के स्थानीय नेता होंगे. पिछली बार रमाकांत यादव आज़मगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़े थे और हार गए थे. रमाकांत का आज़मगढ़ में अच्छा दबदबा है. इस बार भी रमाकांत आज़मगढ़ से चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन बीजेपी ने रमाकांत को टिकट नहीं दिया, रमाकांत की नाराज़गी निरहुआ पर भारी पड़ सकती है. कांग्रेस अखिलेश यादव के ख़िलाफ़ अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी, इससे मुस्लिम वोटों में बंटवारा नहीं होगा।2017 के विधानसभा चुनाव में आज़मगढ़ की 10 विधानसभा सीट में से सपा- 5, बीएसपी- 4 और बीजेपी सिर्फ 1 सीट जीती थी. आज़मगढ़ लोकसभा सीट का जातीय समीकरण देखें तो यह सीट यादव-मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती है.

आज़मगढ़ का जातीय समीकरण:

यादव- 3.5 लाख
मुस्लिम- 3 लाख
दलित- 2.5 लाख
ठाकुर- 1.5 लाख
ब्राह्मण- 1 लाख
राजभर- 1 लाख
विश्वकर्मा- 70 हज़ार
भूमिहार- 50 हज़ार
निषाद- 50 हज़ार
चौहान- 75 हज़ार
वैश्य- 1 लाख
प्रजापति- 60 हज़ार
पटेल- 60 हज़ार

अगर आज़मगढ़ के इस जातीय समीकरण का विश्लेषण करें तो यादव, मुस्लिम, दलित, विश्वकर्मा, चौहान और प्रजापति सपा का वोट माना जाता है और ठाकुर, ब्राह्मण, भूमिहार, निषाद, वैश्य, पटेल बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाते हैं।

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वेगूसराय सीट से कम्युनिस्ट प्रत्याशी और छात्र नेता कन्हैया कुमार के रोड़ शो में जमकर मारपीट और हाथापाई attacknews.in

बेगूसराय तीन अप्रैल । बिहार के बेगूसराय जिले में बुधवार को जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाकपा के उम्मीदवार कन्हैया कुमार के रोड शो का विरोध किए जाने के साथ उन्हें काले झंडे भी दिखाए गए।

बेगूसराय के कपसिया चौक से निकलकर लोहियानगर पहुंचने पर कन्हैया के रोड शो का विरोध किए जाने के साथ उन्हें काले झंडे दिखाए गए। विरोध करने वालों ने कन्हैया के समर्थकों के साथ धक्का-मुक्की, मारपीट किया और अभद्र भाषा का प्रयोग करने के साथ आपत्तिजनक नारेबाजी की।

लोहियानगर पुलिस चौकी में पदस्थापित सहायक आरक्षी निरीक्षक महेश प्रसाद सिंह ने इस संबंध में इस चौकी के थाना अध्यक्ष को लिखित आवेदन दिया है जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता गोलू कुमार पर अपने चार-पांच अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर ऐसा आचरण करने और उनके इस आचरण को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताया है।

लोहियानगर पुलिस चौकी प्रभारी राम प्रताप पासवान ने बताया कि उन्हें मिली लिखित शिकायत में एक के विरुद्ध नामजद तथा चार अन्य को आरोपी बनाया गया है। बाकी अन्य की पहचान वीडियो देखकर किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।

कन्हैया ने इसे दुखद स्थिति बताते हुए भाजपा प्रत्याशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर हमला कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि पता नहीं भाजपा कैसी परिपाटी की शुरूआत करना चाहती है। लोकतंत्र में चुनाव के दौरान जिसको भी विरोध करना है वोट देकर करें। इस तरह से रास्ता रोकना… अगर यह चलन शुरू हो जाए तो अलग अलग पार्टी एक दूसरे का रास्ता रोकेंगी।

वहीं, बेगूसराय से भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह ने कन्हैया का नाम लिए बिना उनकी ओर इशारा करते हुए कहा कि यहां उनकी सीधी लडाई विकृत मानसिकता, विकृत राष्ट्रवाद की सोच, देश को तोडने वालों, आतंकवाद को गले लगाने वालों, भारत के शौर्य एवं एयर स्ट्राइक को नकारने वालों, भारत में कौन सा चाहिए सबूत वाला या सपूत वाला और बेगूसराय में विकास को रोकने वालों से है।

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