लखनऊ में हिन्दूवादी नेता रणजीत बच्चन के हत्यारों को पकड़ने के लिए चारों ओर बिछाया जाल,पुलिस ने किया इनाम घोषित attacknews.in

लखनऊ 05 फरवरी । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रिहायशी क्षेत्र हजरतगंज में दिनदहाड़े एक हिन्दूवादी नेता की गोली मार कर हत्या कर दी गयी।

विश्व हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रंजीत बच्चन बर्लिगंटन चौराहे पर स्थित बहुखंडीय ओसियार बिल्डिंग में रहते थे। वह अपने एक साथी के साथ मार्निंग वाक पर निकले थे कि शाल ओढ़े एक बदमाश ने उनके सर पर गोली दाग दी। श्री बच्चन की मौके पर ही मृत्यु हो गयी।

पुलिस ने इस सिलसिले मे लापरवाही बरतने के आरोप में परिवर्तन चौक पुलिस चौकी प्रभारी संदीप तिवारी समेत चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।

पुलिस का दावा है कि सीसीटीवी फुटेज से हत्यारे की पहचान कर ली गयी है। पुलिस ने आरोपी की धरपकड के लिये छह टीमें बनायी है हालांकि हत्यारे का सुराग देर शाम तक नहीं मिल सका है।

श्री बच्चन ने विश्व हिन्दू महासभा का गठन किया था और वह इसके अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। सुबह सात बजे वह अपने भाई आशीष के साथ सुबह की सैर पर थे कि मोटरसाइकिल सवार दो बदमाशों ने उन पर गोलीबारी की। इस हमले में हिन्दूवादी नेता की मौके पर ही मृत्यु हो गयी जबकि आशीष बाल बाल बच गया। आरोपियों की तलाश जोर शोर से जारी है।

पिछले शनिवार को अपनी 40वीं वर्षगांठ मना चुके बच्चन ने अपने सरकारी आवास पर एक पार्टी रखी थी जिसमें उन्होने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के समर्थन में हिन्दुओं को एकजुट रहने की अपील की थी।

गोरखपुर के मूल निवासी बच्चन की पहचान सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी थी और साइकिल से वह कई देशों का भ्रमण भी कर चुके थे। कुछ समय पहले तक वह समाजवादी पार्टी (सपा) से भी जुड़े रहे थे। मृतक की पत्नी कालंदी शर्मा भाजपा नेता हैं। उन्होने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर पति की हत्या का आरोप लगाया है।

उन्होने यह भी आरोप लगाया कि उनके पति ने योगी सरकार से सुरक्षा की मांग की थी जिसे नामंजूर कर दिया गया था।

इस बीच हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि ने आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हिन्दूवादी नेताओं को निशाना बना रहे हैं। उन्होने सरकार से मृतक के परिजनो को मुआवजे देने की घोषणा करने की मांग की।

मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले रणजीत बच्चन हजरतगंज इलाके की ओसीआर बिल्डिंग के बी ब्लॉक में रहते थे। राजधानी के सबसे व्यस्त इलाके में ताबड़तोड़ फायरिंग से सनसनी फैल गई है। सुबह-सुबह हुई गोलीबारी से इलाके में दहशत का माहौल है।

सूत्रों ने बताया कि श्री बच्चन का कल जन्मदिन था और रात को ओसीआर ही उनके आवास पर मनाया गया था। हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए कई टीमें गठित कर दी गई है। पुलिस आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है। श्री बच्चन पहले समाजवादी पार्टी में थे।

गौरतलब है कि इसके पहले लखनऊ में पिछले साल 18 अक्टूबर में हिन्दुवादी नेता कमलेश तिवारी की खुर्शेदबाग इलाके में गला रेतकर हत्या कर दी थी। इसके पहले सहारनपुर के देवबंद में भी एक हिन्दू संगठन के नेता की हत्या कर दी गई थी।

रणजीत हत्याकांण्ड के संदिग्‍ध की सूचना देने वाले को 50 हजार का इनाम:

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार सुबह की हिंदूवादी नेता रणजीत हत्‍याकाण्ड मामले में अब आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) की भी मदद ली जा रही है और पुलिस ने संदिग्‍ध हत्यारे की सूचना देने वाले को 50 हजार का इनाम देने की घोषणा की है।

राज्य के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि रणजीत बच्चन के मोबाइल फोन व कॉल ब्योरा खंगालने में एटीएस का तकनीकी सहयोग लिया जा रहा है।

उन्होंने बताया किकई बिंदुओं पर पुलिस पड़ताल कर रही है। उन्होंने बताया कि लखनऊ के कमिश्नर सुजीत पांडेय के निर्देशन में कई टीमें गहनता से छानबीन कर कर रही हैं। पुलिस कमिश्नर ने संदिग्‍ध की पहचान कर सूचना देने वाले को 50 हजार के इनाम की घोषणा की है।

उन्होंने बताया कि घटनास्‍थल के पास लगे सीसी कैमरे में एक संदिग्ध शॉल ओढ़े दिखाई दिया है। पुलिस संदिग्ध की तलाश में लगी है। आशंका जताई जा रही है कि संदिग्ध ही मुख्‍य आरोपी है । इस घटना का खुलासा करने के लिए पुलिस की आठ टीमें गठित की गई हैं,जो मृतक के आवास के आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाल रही है।

गौरतलब है कि हिन्दु महासभा के प्रदेश अध्यक्ष 40 वर्षीय रणजीत बच्‍चन रविवार सुबह पत्‍नी कालिंदी और मौसेरे भाई आदित्य के साथ सुबह टहने के लिए घर से निकले थे। हमलावर बाइक से आया था। परिवर्तन चौराहे से थोड़ी दूर ग्लोब पार्क के पास रणजीत को रोक लिया। हमलावर ने असलहा तानकर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। रणजीत के सिर में गोली लगी और एक गोली उसके आदित्य के हाथ में भी लगी। रणजीत ने विश्व हिंदू महासभा के नाम से एक संगठन बनाया था और वह उसके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष थे।

प्रयागराज में गंगा,यमुना और सरस्वती के संगम तट पर शुरू हुआ 43 दिनों तक चलने वाला कायाशोधन के कल्पवास वाला माघ मेला, कुंभ मेले के बाद इसे दुनिया के सबसे बड़े सनातन मेले की मान्यता मिली हुई है attacknews.in

इलाहाबाद, 10 जनवरी ।“माघ मकर गति रवि जब होई, तीरथ पतिहिं आव सब कोई, के पुण्य आवाहन के साथ माघ मेले में “पौष पूर्णिमा” के पावन स्नान के साथ ही संयम, अहिंसा, श्रद्धा एवं कायाशोधन के लिए तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की रेती पर कल्पवासियों का एक माह का कल्पवास शुरू हो गया।

पुराणों और धर्मशास्त्रों में कल्पवास को आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए जरूरी बताया गया है। यह मनुष्य के लिए अध्यात्म की राह का एक पड़ाव है, जिसके जरिए स्वनियंत्रण एवं आत्मशुद्धि का प्रयास किया जाता है। हर वर्ष श्रद्धालु एक महीने तक संगम गंगा तट पर अल्पाहार, स्नान, ध्यान एवं दान करके कल्पवास करते हैं।

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के आचार्य डा आत्माराम गौतम ने कहा कि तीर्थराज प्रयाग में प्रतिवर्ष माघ महीने मे विशाल मेला लगता है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु यहाँ एक महीने तक संगम तट पर निवास करते हुए जप, तप, ध्यान, साधना, यज्ञ एवं दान आदि विविध प्रकार के धार्मिक कृत्य करते हैं। इसी को कल्पवास कहा जाता है।

कल्पवास का वास्तविक अर्थ है-कायाकल्प। यह कायाकल्प शरीर और अन्तःकरण दोनों का होना चाहिए। इसी कायाकल्प के लिए पवित्र संगम तट पर जो एक महीने का वास किया जाता है उसे कल्पवास कहा जाता है।

प्रतिवर्ष माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में रहते हैं, तब माघ मेला एवं कल्पवास का आयोजन होता है। मत्स्यपुराण के अनुसार कुम्भ में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है।

गोस्वामी तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ के ‘बालकाण्ड’ में माघ मेला की महत्ता इस प्रकार बतायी है। “माघ मकर गति रवि जब होई, तीरथ पतिहिं आव सब कोई, देव दनुज किन्नर नर श्रेनी, सादर मज्जहिं सकल त्रिवेनी”।

आदिकाल से चली आ रही इस परंपरा के महत्व की चर्चा वेदों से लेकर महाभारत और रामचरितमानस में अलग-अलग नामों से मिलती है। बदलते समय के अनुरूप कल्पवास करने वालों के तौर-तरीके में कुछ बदलाव जरूर आए हैं लेकिन कल्पवास करने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। आज भी श्रद्धालु कड़ाके की सर्दी में कम से कम संसाधनों में कल्पवास करते हैं।

आचार्य गौतम ने कहा कि कल्पवास के पहले शिविर के मुहाने पर तुलसी और शालिग्राम की स्थापना और पूजा अवश्य की जाती है। कल्पवासी अपने घर के बाहर जौ का बीज अवश्य रोपित करता है। कल्पवास समाप्त होने पर तुलसी को गंगा में प्रवाहित कर देते हैं और शेष को अपने साथ ले जाते हैं। कल्पवास के दौरान कल्पवासी को जमीन पर शयन करना होता है। इस दौरान फलाहार या एक समय निराहार रहने का प्रावधान होता है। कल्पवास करने वाले व्यक्ति को नियम पूर्वक तीन समय गंगा में स्नान और यथासंभव अपने शिविर में भजन-कीर्तन, प्रवचन या गीता पाठ करना चाहिए।

मत्सयपुराण में लिखा है कि कल्पवास का अर्थ संगम तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान करना चाहिए। माघ माह के दौरान कल्पवास करने वाले को सदाचारी, शांत चित्त वाला और जितेन्द्रीय होना चाहिए। कल्पवासी को तट पर रहते हुए नित्यप्रति तप, हाेम और दान करना चाहिए।

समय के साथ कल्पवास के तौर-तरीकों में कुछ बदलाव भी आए हैं। बुजुर्गों के साथ कल्पवास में मदद करते-करते कई युवा खुद भी कल्पवास करने लगे हैं। कई विदेशी भी अपने भारतीय गुरुओं के सानिध्य में कल्पवास करने यहां आते हैं। पहले कल्पवास करने आने वाले गंगा किनारे घास-फूस की कुटिया में रहकर भगवान का भजन, कीर्तन, हवन आदि करते थे, लेकिन समयानुसार अब कल्पवासी टेंट में रहकर अपना कल्पवास पूरा करते हैं।

आचार्य ने कहा कि पौष कल्पवास के लिए वैसे तो उम्र की कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन माना जाता है कि संसारी मोह-माया से मुक्त और जिम्मेदारियों को पूरा कर चुके व्यक्ति को ही कल्पवास करना चाहिए क्योंकि जिम्मेदारियों से बंधे व्यक्ति के लिए आत्मनियंत्रण कठिन माना जाता है।

माघ मेला एक ऐसा धार्मिक आयोजन है, जिसकी पूरी दुनिया में कोई मिसाल नहीं मिलती। इसके लिए किसी प्रकार का न/न तो प्रचार किया जाता है और न/न ही आमंत्रण और निमंत्रण देना पड़ता है बावजूद इसके पंचांग की एक निश्चिततिथि पर लाखों की संख्या में लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं।

प्रयागराज में जब बस्ती नहीं बल्कि आस-पास घोर जंगल था। जंगल में अनेक ऋषि-मुनि जप तप करते थे। उन लोगों ने ही गृहस्थों को अपने सान्निध्य में ज्ञानार्जन एवं पुण्यार्जन करने के लिये अल्पकाल के लिए कल्पवास का विधान बनाया था। इस योजना के अनुसार अनेक धार्मिक गृहस्थ ग्यारह महीने तक अपनी गृहस्थी की व्यवस्था करने के बाद एक महीने के लिए संगम तट पर ऋषियों मुनियों के सान्निध्य में जप तप साधना आदि के द्वारा पुण्यार्जन करते थे। यही परम्परा आज भी कल्पवास के रूप में विद्यमान है।

महाभारत में कहा गया है कि एक सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने का जो फल है, माघ मास में कल्पवास करने भर से प्राप्त हो जाता है। कल्पवास की न्यूनतम अवधि एक रात्रि की है। बहुत से श्रद्धालु जीवन भर माघ मास गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम को समर्पित कर देते हैं।

विधान के अनुसार एक रात्रि, तीन रात्रि, तीन महीना, छह महीना, छह वर्ष, 12 वर्ष या जीवनभर कल्पवास किया जा सकता है। पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि आकाश तथा स्वर्ग में जो देवता हैं, वे भूमि पर जन्म लेने की इच्छा रखते हैं। वे चाहते हैं कि दुर्लभ मनुष्य का जन्म पाकर प्रयाग क्षेत्र में कल्पवास करें।

पौष पूर्णिमा स्नान से हुआ माघ मेले का आगाज, कड़ाके की ठंड पर भारी पड़ा आस्था का विश्वास:

इसी के साथ तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम तट पर पौष पूर्णिमा स्नान के अवसर पर शुक्रवार तड़के कड़ाके की ठंड़ और शीतलहरी पर आस्था का विश्वास भारी पड़ा ।

देश के कोने-कोने से पहुंचे माघ मेले के पहले स्नान पर त्रिवेणी के तट पर गांगा में मानों आस्था का समन्दर अपनी बाहें फैलाये लाखों श्रद्धालुओं को अपने में अंगीकार कर रहा हो। मेला प्रशासन ने 32 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान लगाया है।

श्रद्धालुओं ने भोर के तीन बजे से ही संगम के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया था ।
मेले में विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और विविधताओं का संगम दिखायी पड़ा । कड़ाके की ठंड और शीतलहर पर आस्था का विश्वास भारी पड़ा। त्रिवेणी के संगम तट पर सांय-सांय करती तेज हवा और कड़ाके की ठंड में पतित पावनी के जल में भोर के चार बजे से ही श्रद्धालु, कल्पवासी, तीर्थयात्री और सांधु-संतों ने ‘‘हर हर गंगे, ऊं नम: शिवाय, श्री राम जयराम जय जय राम” का उच्चारण करते हुए स्नान शुरू कर दिया था ।

कल्पवास करने वाले साधु-संत, सन्यासी, दिव्यांग और गृहस्थ श्रद्धालुओं ने स्नान कर घाट पर बैठे पण्डे और पुरोहितों को दान-दक्षिणा देकर पूजन-अर्चना की। कल्पवासी मोह-माया से दूर एक माह तक व्रत, भजन, पूजन और प्रवचन के लिए अपने तम्बुओं में तल्लीन दिखलायी पड़े।

संगम तट पर श्रद्धालुओं के स्नान करने के लिए तैयार कराये गये पांच किलोमीटर क्षेत्र में घाटों पर श्रद्धालुओं की डुबकी लगाने की भीड़ लगी हुई थी । भोर में स्नान करने वालों की भीड़ कम थी लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही स्नान करने वालों की भीड़ बढ़ती गयी। डुबकी लगाने वालों में महिलाएं, बच्चे और बूढ़े और दिव्यांग भी शामिल रहे । स्नान के बाद श्रद्धालु घाट पर बैठे पण्डे और पुरोहितों को चावल, आटा, नमक, दाल, तिल, आदि का दान किया।

प्राचीन काल से संगम तट पर जुटने वाले माघ मेले की जीवंतता में आज भी कोई कमी नहीं आयी है। मेले में आस्था और श्रद्धा से सराबोर पुरानी परम्पराओं के साथ आधुनिकता के रंगबिरंगे नजारे दिखायी पड़ रहे हैं। भारतीय

संस्कृति और आध्यात्म से प्रभावित कई विदेशी भी इस दौरान ‘पुण्य लाभ’ के लिए संगम स्नान करते दिखायी दे रहे हैं।

सभी कल्पवासी अपने-अपने शिविरों में बस चुके हैं। मेला क्षेत्र में चारों ओर लाडस्पीकरों पर ‘ऊं नम: शिवाय’ ‘जय-जय राम जय सिया राम’ के नाम की धुन आनंदित कर रही है। एक तरफ जहां तीन नदियों का संगम है वहीं दूसरीतरफ तम्बुओं के अन्दर से आध्यात्म की बयार बह रही है। चारों ओर धार्मिक अनुष्ठानों के मंत्रोच्चार और हवन में प्रवाहित की जा रही सामग्रियों की भीनी-भीनी खुशबू मेला क्षेत्र के वातावरण को पवित्र और सुगन्धित कर रही है।

माघ मेला, अर्द्ध कुंभ और कुंभ आध्यात्मिक मेला दुनिया में प्रसिद्ध है। यह मेला 43 दिनों तक चलेगा। माघ मेले को मिनी कुंभ भी कहा जाता है।

प्रयाग में कल्पवास की परंपरा सदियों पुरानी है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने इसका प्रमाण इस चौपाई से दिया है कि ‘

‘‘माघ मकरगत रवि जब होई-तीरथपति आवै सब कोई। देव दनुज किन्नर नर श्रेनीं-सादर मज्जहिं
सकल त्रिबेनी।”

जल पुलिस प्रभारी कड़ेदीन यादव ने बताया कि करीब पांच किलोमीटर लंबे क्षेत्र में स्नान घाटों के साथ पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। पुलिस और निजी गोताखोरों को घाट के इर्द-गिर्द ही रहने का निर्देश दिया गया है। स्नानार्थियों को एक निर्धारित सीमा से आगे नहीं बढ़ने के लिए रस्सी लगाकर प्रतिबंधित किया गया है। मोटरबोट पर लगातार भ्रमण कर रहे पुलिस और गोताखोर के लोग निगरनी कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि मेले में 103 गोताखोर लगाये गये हैं जिनमें 23 सरकारी और 80 निजी हैं। घाटों पर डि्यूटी के लिए किराये की 130 नाव के साथ 30 मोटरबोट लगाई गयी है।

जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट के प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस की आजादी और उसके पवित्र अधिकार की व्याख्या करने के साथ ही अस्पतालों और शैक्षिक संस्थानों में इसके बहाली के दिए आदेश attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 जनवरी ।उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपनी एक महत्वपूर्ण व्यवस्था में इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार करार दिया और जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश में प्रतिबंध लगाने संबंधी सारे आदेशों की एक सप्ताह के भीतर समीक्षा की जाये।

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी।

पीठ ने कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मत-भिन्नता को दबाने के लिये निषेधाज्ञा लगाने संबंधी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 का इस्तेमाल अनिश्चित काल के लिये नहीं किया जा सकता।

पीठ ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि आवश्यक सेवायें उपलब्ध कराने वाले अस्पतालों और शैक्षणिक स्थानों जैसी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाएं बहाल की जायें।

यही नहीं, पीठ ने यह भी कहा कि प्रेस की आजादी बहुत ही कीमती और पवित्र अधिकार है।

निषेधाज्ञा लगाने संबंधी आदेशों के बारे में न्यायालय ने कहा कि ऐसा आदेश देते समय मजिस्ट्रेट को अपने विवेक का इस्तेमाल करने के साथ ही आनुपातिक सिद्धांत का पालन करना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद राज्य में लगाये गये तमाम प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया।

ये याचिकायें संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के सरकार के निर्णय की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं से इतर है।

अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के सरकार के पांच अगस्त, 2019 के फैसले की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ 21 जनवरी को आगे सुनवाई करेगी।

न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सहित विभिन्न सेवाओं पर लगाये गये प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले साल 27 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी।

इस मामले में केन्द्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में लगाये गये प्रतिबंधों को 21 नवंबर को सही ठहराया था। केन्द्र ने न्यायालय में कहा था कि सरकार के एहतियाती उपायों की वजह से ही राज्य में किसी व्यक्ति की न तो जान गई और न ही एक भी गोली चलानी पड़ी।

गुलाम नबी आजाद के अलावा, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन और कई अन्य ने घाटी में संचार व्यवस्था ठप होने सहित अनेक प्रतिबंधों को चुनौती देते हुये याचिकाएं दायर की थीं।

केन्द्र ने कश्मीर घाटी में आतंकी हिंसा का हवाला देते हुये कहा था कि कई सालों से सीमा पार से आतंकवादियों को यहां भेजा जाता था, स्थानीय उग्रवादी और अलगावादी संगठनों ने पूरे क्षेत्र को बंधक बना रखा था और ऐसी स्थिति में अगर सरकार नागरिकों की सुरक्षा के लिये एहतियाती कदम नहीं उठाती तो यह ‘मूर्खता’ होती।

केन्द्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अनेक प्रावधान खत्म कर दिये थे।

शीर्ष अदालत ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से कहा कि वह उन सभी आदेशों को पब्लिक डोमेन में डाले, जिनके तहत दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लगायी गयी थी, ताकि लोग उसके खिलाफ कोर्ट जा सकें।

कश्मीर मसले पर सरकार सात दिनों के अंदर दायर करेगी समीक्षा रिपोर्ट:

इधर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों को लेकर उच्चतम न्यायालय के निष्कर्षों का शुक्रवार को स्वागत करते हुए कहा कि सरकार सात दिनों में समीक्षा रिपोर्ट दाखिल करके अपना पक्ष रखेगी।

भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में शीर्ष न्यायालय के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत ने अपने निष्कर्षों को साझा किया है और पांच सवालों का जवाब देने को कहा है। सरकार सात दिनों के भीतर अपनी समीक्षा रिपोर्ट अदालत में दाखिल करेगी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने माना है कि स्वतंत्रता एवं अभिव्यक्ति की आज़ादी तथा सुरक्षा के बीच एक विवेकपूर्ण संतुलन की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि वह सरकार को इस बात की बधाई देना चाहते हैं कि राज्य में इतने लंबे अरसे तक शांति कायम है। सरकार ने इसके लिए कड़ी मशक्कत की है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बधाई के पात्र हैं।

जम्मू कश्मीर में इंटरनेट रोक पर न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक: कांग्रेस:

कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर में धारा 144 लागू करने तथा इंटरनेट सेवा पर रोक लगाने को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार का यह निर्णय गलत था और जनहित में पार्टी ने इस फैसले को न्यायालय में चुनौती दी थी।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि सरकार को राज्य में धारा 144 लागू करने तथा इंटरनेट सेवा पर रोक लगाने के कारणों को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है। इंटरनेट सेवा बंद करने का कोई वाजिब कारण हाेना चाहिए था लेकिन जब जम्मू कश्मीर में सरकार ने इस सेवा पर पाबंदी लगायी तो उसका कोई आधार नहीं बताया।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष चार अगस्त को जब जम्मू कश्मीर में यह धारा लागू की गयी थी और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी थी तब वहां आपात जैसी कोई स्थिति नहीं थी और धारा 144 को लागू करने का कोई ठोस आधार नहीं था इसलिए सरकार को वहां यह धारा नहीं लगानी चाहिए थी और ना ही इंटरनेट सेवा बंद करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि धारा 144 का इस्तेमाल आवाज दबाने के लिए नहीं किया जा सकता और ना ही इंटरनेट सेवा को बेवजह लम्बी अवधि के लिए बंद किया जा सकता है।

इस बीच जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का जम्मू कश्मीर का हर निवासी इंतजार कर रहा था। शीर्ष न्यायालय ने साफ किया है कि सरकार को पांच अगस्त 2019 को राज्य में धारा 144 लागू करने तथा इंटरनेट सेवा बंद करने को लेकर जो आदेश दिया था उसे प्रकाशित करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार पहले इंटरनेट प्रतिबंध के फैसले को सही ठहराने का प्रयास कर रही थी लेकिन सच्चाई यह है कि यह फैसला जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ था जिसके जरिए उनके इतिहास और संस्कृति को रौंदा जा रहा है।

कश्मीर मामले से जुड़ा घटनाक्रम:

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण व्यवस्था में कहा कि बोलने की आजादी और इंटरनेट पर कारोबार को संविधान से संरक्षण प्राप्त है।

न्यायालय ने इसके साथ ही जम्मू कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि प्रदेश में प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेशों की तत्काल समीक्षा की जाये। इस मामले में गत पांच महीनों का घटनाक्रम इस प्रकार रहा-

पांच अगस्त 2019 : केंद्र सरकार ने प्रस्ताव पारित कर अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किया जिसके जरिये जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था।

छह अगस्त 2019 : अधिवक्ता एमएल शर्मा ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया और अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले को चुनौती दी।

10 अगस्त 2019 : कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद मीडिया पर कथित पाबंदियों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

24 अगस्त 2019 : भारतीय प्रेस परिषद ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा संचार साधनों पर लगाई गई पाबंदियों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।

28 अगस्त 2019 : उच्चतम न्यायालय ने कश्मीर टाइम्स की संपादक द्वारा पत्रकारों से कथित पाबंदी हटाने को लेकर दायर याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी किया।

पांच सितंबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख तय की।

16 सितंबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को कश्मीर में हालात सामान्य बनाने को लेकर निर्देश दिये।

16 अक्टूबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से संचार साधनों पर लगाई गई पांबदी का आदेश उसके समक्ष रखने को कहा।

24 अक्टूबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा घाटी में पाबंदियां कब तक जारी रहेंगी।

छह नवंबर 2019 : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के दौरान सार्वजनिक परिवहन के परिचालन को लेकर रिपोर्ट तलब की।

27 नवंबर 2019 : जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित किया।

10 जनवरी 2020 : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर से पाबंदियों से संबंधित आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने को कहा।

JNU में हिंसा भड़काकर छात्र संघ अध्यक्ष आइशी कैसे हो गई हिंसा की शिकार, दिल्ली पुलिस ने 9 ओर छात्रों को हिंसा करने वालोँ के रूप मे पहचान सामने रखी attacknews.in

नयी दिल्ली,10 जनवरी । जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में हिंसा की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत 10 छात्रों की पहचान की है।

अपराध शाखा के उपायुक्त डाॅ जाॅय तिर्की ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में अब तक की जांच में मिले अहम सुरागों की जानकारी दी। डॉ तिर्की की अगुवाई में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) जेएनयू हिंसा की जांच कर रही है।

श्री तिर्की ने बताया कि हिंसा में शामिल 10 छात्रों की पहचान की गयी है जिनमें जेएनयू छात्र अध्यक्ष आइशी घोष भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पहचान किए गए छात्रों को अभी तक हिरासत में नहीं लिया गया है, लेकिन जल्दी ही उनसे पूछताछ शुरू की जायेगी। पहचान किए गए छात्रों को नोटिस भेजा गया है और उनसे स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।

हिंसा में शामिल जिन 10 छात्रों की पहचान की गई है, उनमें आइशी घोष के अलावा चुनचुन कुमार पूर्व छात्र है जो जेएनयू परिसर में ही रहता है। इसके अलावा माही मांडवी हॉस्टल के छात्र पंकज मिश्रा, सजेता ताल्लुकदार, वास्कर विजय, पंकज कुमार, बी ए तृतीय वर्ष छात्र प्रिया रंजन, डोलन सावंत, विकास पटेल और वाट्सऐप ग्रुप यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट का ऐडमिन योगेंद्र भारद्वाज शामिल है।

डॉ तिर्की ने बताया कि हिंसा का विवाद का केंद्र आनलाइन पंजीकरण था जिसके विरोध में वामपंथ से जुड़े छात्र थे। उन्होंने सिलसिलेवार ब्यौरा देेते हुए बताया कि एक जनवरी से पांच जनवरी के बीच पंजीकरण रोकने का प्रयास किया गया। सर्वर को नुकसान पहुंचाया गया। उन्होंने इस दौरान पेरियार और साबरमती हाॅस्टल में हुई हिंसा की जानकारी भी दी।

खरे ने जेएनयू विद्यार्थियों से आन्दोलन वापस लेने की अपील की:

इधर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने शुक्रवार को जवाहलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय (जेएनयू) के विद्यार्थियों से आंदोलन वापस लेने की अपील की।

श्री खरे ने यहां जेएनयू के कुल‍पति प्रो. एम. जगदीश कुमार, विश्‍वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों तथा छात्र संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक की और इस दौरान छात्रों से आन्दोलन वापस लेने का अनुरोध किया।

विद्यार्थियों को सेवा और उपयोगिता शुल्‍क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा,,मंत्रालय ने यूजीसी से इन शुल्‍कों को वहन करने के लिए कहा:-

श्री खरे ने नई दिल्‍ली के शास्‍त्री भवन में सवेरे साढ़े 11 बजे जवाहलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय के कुल‍पति प्रो. एम. जगदीश कुमार और विश्‍वविद्यालय के रेक्‍टरों तथा रजिस्‍ट्रार के साथ बैठक की। बाद में उन्‍होंने अपराह्न साढ़े तीन बजे जवाहलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय छात्र संघ की अध्‍यक्ष सुश्री आइशी घोष के नेतृत्‍व में जेएनयू के विद्यार्थियों के शिष्‍टमंडल से भी बातचीत की।

विश्‍वविद्यालय के अधिकारियों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव को बताया कि मंत्रालय के  10 और 11 दिसंबर, 2019 के चर्चा रिकॉर्ड के अनुसार लिए गए निर्णयों को लागू करने के लिए  प्रशासन सभी कदम उठा रहा है।

प्रो. जगदीश कुमार ने यह भी बताया कि 9 जनवरी, 2020 को जेएनयू द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें स्‍पष्‍ट किया गया है कि विद्यार्थियों से छात्रावास के निवासियों के लिए सेवा और उपयोगिता शुल्‍क नहीं लिए जा रहे हैं। यूजीसी से इन शुल्‍कों को वहन करने का अनुरोध किया गया है। विद्यार्थियों को यह बात मंत्रालय के सचिव के साथ हुई बातचीत में भी बताई गई है।

मानव संसाधन विकास सचिव ने यूजीसी के अध्‍यक्ष डॉ. डी.पी. सिंह से भी बातचीत की। मंत्रालय ने यूजीसी से इस संबंध में आवश्‍यक धन उपलब्‍ध कराने को कहा है।

इन घटनाओं के मद्देनजर श्री अमित खरे ने विद्यार्थियों से आंदोलन वापस लेने की अपील की।

जेएनयू शिक्षक संघ ने हिंसा मामले में पुलिस की ओर से की गयी संवाददाता सम्मेलन पर निराश व्यक्त की गयी। शिक्षक संघ ने एक बयान जारी कर कहा कि पांच जनवरी की शाम को नकाबपोश हमलावरों के हमले में छात्र और शिक्षक घायल हुए थे लेकिन पुलिस ने पूरे मामले को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने एक बार फिर कहा कि रविवार को जो घटना हुई उसके लिए कुलपति तथा प्रशासनिक अधिकार जिम्मेदार हैं।

दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मंदीप सिंह रंधावा ने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जेएनयू में गत दिनों हुई हिंसा की अबतक की जांच में नौ लोगों की पहचान की गयी है। पहचान किये गये लोगों को जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा ताकि इससे जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जा सके।

उन्होंने कहा कि जेएनयू हिंसा की जांच से संबंधित कई तरह गलत जानकारियां अलग अलग माध्यमों से लोगों को परोसी जा रही थी इसलिए फिलहाल जांच जहां तक बढी है उसके बारे में मीडिया को जानकारी देने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने कहा कि मामला एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का और वहां के छात्रों से जुड़ा है इसलिए किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले गंभीरता से हर पहलुओं की जांच की जा रही है।

जेएनयू हिंसा की जांच का नेतृत्व करने वाले अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त जॉय टिर्की ने कहा कि रविवार की हिंसा से पहले भी कई घटनायें हुई जिसको लेकर दो मामले भी दर्ज किये गये हैं। जेएनयू छात्रसंघ जिसमें खासकर स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आईसा), ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) तथा डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फेडरेशन (डीएसएफ) की ओर से बढी हुई फीस को वापस लेने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन चल रहा था। प्रशासन की ओर से एक जनवरी से पांच जनवरी अगले सेमेस्टर में दाखिला लेने के लिए रजिस्ट्रेशन की तिथि घोषित की गयी लेकिन इन वामपंथी छात्र संगठनों की ओर से रजिस्ट्रेशन का विरोध किया गया। इन छात्रों ने मांग की थी कि पहले बढी हुई फीस को वापस लिया जाए उसके बाद रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को शुरू करने दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इन संगठन के छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करने वाले छात्रों को धमकाया जा रहा था।

पुलिस उपायुक्त ने कहा कि इन वाम संगठन के छात्रोें ने तीन जनवरी को पहली बार रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न किया और उसके बाद चार जनवरी को कुछ छात्र रजिस्ट्रेशन सेंटर पर सर्वर रूम में घुसकर तोड़फोड़ की जिससे सर्वर क्षतिग्रस्त हो गया। इस मामले में प्रशासन की शिकायत पर पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

उन्होंने कहा कि कैम्पस में विवाद लगातार बढ़ता गया और पांच जनवरी को पेरियार तथा साबरमती हॉस्टल के कुछ कमरों में हमला किया गया। जेएनयू में हिंसा करने के लिए व्हाट्सऐप ग्रुप (यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट) भी बनाए गए थे। दोनों होस्टलों में कुछ खास कमरों को ही निशाना बनाया गया। हिंसा के सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले हैं लेकिन वायरल वीडियो के जरिए आरोपियों की पहचान की है। इस संबंध में कुछ छात्रों, शिक्षकों, हॉस्टल वार्डेन तथा अन्य चश्मदीदों से भी बातचीत करके आरोपियों की पहचान की गयी है।

श्री टिर्की ने कहा कि हिंसा में जिन छात्रों की पहचान हुई है उनमें चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, योगेंद्र भारद्वाज, प्रिया रंजन, शिवपूजन मंडल, डोलन, सुचेता तालुकदार, वसकर विजय और आईशी घोष के नाम शामिल हैं।

गौरतलब है कि रविवार रात को जेएनयू में नकाबपोश हमलावरों ने छात्रों पर हमला किया था। इसमें जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष और भूगोल की जानीमानी प्रोफेसर सुचित्रा सेन समेत करीब 34 लोग घायल हो गए थे।

सायरस मिस्त्री की चेयरमैन पद पर बहाली के खिलाफ टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका attacknews.in

नयी दिल्ली, 02 जनवरी । टाटा सन्स ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के उस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है, जिसमें सायरस मिस्त्री को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर बहाल करने का आदेश दिया गया है।

एनसीएलएटी ने 18 दिसम्बर 2019 को सायरस मिस्त्री को कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाने के फैसले को गैरकानूनी करार देते हुए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का आदेश खारिज कर दिया था तथा उन्हें फिर से बहाल करने का आदेश भी जारी किया था।

टाटा सन्स ने अब अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है और उसके आदेश पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। शीतकालीन अवकाश के बाद अगले सोमवार (छह जनवरी) को जब शीर्ष अदालत खुलेगी तो याचिका पर त्वरित सुनवाई की मांग भी की जा सकती है।

गौरतलब है कि 18 दिसंबर को सायरस मिस्त्री को एनसीएलएटी से बड़ी राहत मिली थी जब उसने एन चंद्रा की कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति को अवैध ठहराया था और सायरस को इस पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया था।

अपीलीय न्यायाधिकरण ने हालांकि शीर्ष अदालत में अपील करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था और तब तक के लिए फैसले पर रोक लगा दी थी।

उल्लेखनीय है कि एनसीएलटी ने नौ जुलाई 2018 के अपने फैसले में कहा था कि टाटा सन्स का बोर्ड सायरस मिस्त्री को कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाने के लिए सक्षम था। सायरस को इसलिए हटाया गया था, क्योंकि कंपनी बोर्ड और बड़े शेयरधारकों को उन पर भरोसा नहीं रहा था।

गौरतलब है कि अक्टूबर 2016 में सायरस मिस्त्री टाटा सन्स के कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाए गए थे। दो महीने बाद मिस्त्री की ओर से सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने टाटा सन्स के फैसले को एनसीएलटी की मुंबई पीठ में चुनौती दी थी। कंपनियों की दलील थी कि मिस्त्री को हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के मुताबिक नहीं था। जुलाई 2018 में एनसीएलटी ने उनके दावे को खारिज कर दिया था, जिसके बाद सायरस मिस्त्री ने खुद एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की थी।

ट्राई ने केबल ऑपरेटरों द्वारा लिया जाने वाला शुल्क घटाया, अब उपभोक्ता कम दाम पर अधिक चैनलों को देख पाएंगे, नया शुल्क ढांचा पेश attacknews.in

नयी दिल्ली, एक जनवरी ।उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने बुधवार को केबल और प्रसारण सेवाओं के लिए नयी नियामकीय रूपरेखा पेश की। इसके तहत केबल टीवी के ग्राहक कम कीमत पर अधिक चैनल देख सकेंगे।

खास बात यह है कि नियामक ने उपभोक्ताओं द्वारा सभी ‘फ्री टू एयर’ चैनलों के लिए दिए जाने वाले मासिक शुल्क की सीमा 160 रुपये तय कर दी है।

ट्राई ने बयान में कहा कि कई टीवी वाले घर यानी जहां एक से अधिक टीवी कनेक्शन एक व्यक्ति के नाम पर हैं, वहां दूसरे और अतिरिक्त टीवी कनेक्शनों के लिए घोषित नेटवर्क क्षमता शुल्क (एनसीएफ) का अधिक 40 प्रतिशत तक लिया जाएगा।

विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा के बाद ट्राई ने 200 चैनलों के लिए अधिकतम एनसीएफ शुल्क (कर रहित) को घटाकर 130 रुपये कर दिया है। इसके अलावा नियामक ने फैसला किया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जिन चैनलों को अनिवार्य घोषित किया है, उन्हें एनसीएफ चैनलों की संख्या में नहीं गिना जाएगा।

इसके अलावा ट्राई ने वितरण प्लेटफार्म परिचालकों (डीपीओ) को लंबी अवधि यानी छह महीने अथवा अधिक के सब्सक्रिप्शन पर रियायत देने की भी अनुमति दे दी है।

देवेन्द्र फड़नवीस का उद्धव ठाकरे पर तीखा प्रहार:महाराष्ट्र सरकार दिल्ली की मातो श्री से संचालित होगी,यह पता चलने पर बाल ठाकरे स्वर्ग में रो रहे होंगे attacknews.in

पालघर, एक जनवरी। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस नेतृत्व का परोक्ष हवाला देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना नीत गठबंधन सरकार मुंबई के ‘मातोश्री’ से नहीं, बल्कि ‘दिल्ली के मातोश्री’ से नियंत्रित होगी।

आगामी पालघर जिला परिषद के चुनाव अभियान के दौरान फडणवीस ने मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए यह टिप्पणी की।

विधानसभा में विपक्ष के नेता ने रैली में कहा, ‘‘यह सरकार (मुंबई के उपनगर में ठाकरे के आवास) ‘मातोश्री’ से नहीं, बल्कि ‘दिल्ली के मातोश्री’ से नियंत्रित होगी।’’

‘दिल्ली में मातोश्री’ तंज कसते हुए फडणवीस ने किसी का नाम नहीं लिया। मातोश्री मराठी शब्द है जिसका मतलब मां होता है।

शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में राकांपा और कांग्रेस अन्य घटक हैं।

शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की जिंदगी में ‘मातोश्री’ महाराष्ट्र की राजनीति में एक शक्ति केंद्र के रूप में होता था।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, बॉलीवुड अभिनेता एवं दिवंगत पॉप गायक माइकल जैकसन समेत कई प्रतिष्ठित हस्तियां बांद्रा स्थित ‘मातोश्री’ गई थीं।

फडणवीस की टिप्पणी शिवसेना को नाराज़ करने का काम करेगी।

अपने हमले जारी रखते हुए, फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के इस बयान पर भी तंज कसा कि उन्होंने अपने दिवंगत पिता बाला साहेब ठाकरे से वादा किया था कि वह शिवसैनिक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाएंगे।

फडणवीस ने कहा, ‘‘ अगर बाल ठाकरे को पता चलेगा कि चुनाव के बाद शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के साथ चली गई है, तो वह स्वर्ग में रो रहे होंगे।’’

उन्होंने शिवसेना पर जनादेश के साथ ‘विश्वासघात’ करने का भी आरोप लगाया।

फडणवीस ने लोगों से उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को आगामी पालघर जिला परिषद चुनाव में करारा जवाब देने को कहा।

भाजपा नेता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिवसेना ने हिन्दुत्व के विचारक वीडी सावरकर को ‘अपशब्द’ कहने वालों के साथ समझौता किया है।

उन्होंने पूछा कि ‘अंदरूनी कलह’ के बीच ठाकरे नीत सरकार कितने दिन चलेगी?

फडणवीस ने आरोप लगाया कि शिवसेना ने न सिर्फ जनादेश के साथ ‘विश्वासघात’ किया, बल्कि चुनाव पूर्व सहयोगी भाजपा के साथ भी विश्वासघात किया है। दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था।

उन्होंने कहा कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 70 फीसदी सीटों पर जीत दर्ज की और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। वहीं, शिवसेना ने जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से वह सिर्फ 45 प्रतिशत सीट ही जीत पाई।

विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘ नागरिकों ने शिवसेना-भाजपा गठबंधन को स्पष्ट जनादेश दिया था, लेकिन राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिलाने वाली शिवसेना के विश्वासघात के कारण भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।’’

भाजपा के साथ ‘‘विश्वासघात’’ को लेकर मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए फडणवीस ने कहा कि पहले दिन से (शिवसेना ने राकांपा और कांग्रेस के साथ सरकार का गठन किया) ये तीनों पार्टियां अपने मंत्रियों का नाम तय नहीं कर सकीं।

उन्होंने कहा, ‘‘ यही नहीं, मंत्रियों के चयन के बाद, शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है। वहीं, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने तो पार्टी कार्यालय में उत्पात मचाया और तोड़फोड़ की।’’

ठाकरे द्वारा किसान ऋण योजना की घोषणा पर फडणवीस ने कहा, ‘‘ यह आंख में धूल झोंकने के अलावा कुछ नहीं है। इसमें कई शर्तें लगा दी गई हैं, नतीजतन राज्य के करीब 60 लाख किसानों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा।’’

CDS बिपिन रावत ने कहा- भारत का सशस्त्र बल अपने आपको राजनीति से दूर रखते हैं और सरकार के निर्देशों का पालन करते हैं attacknews.in

नयी दिल्ली, एक जनवरी ।नव नियुक्त चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि सशस्त्र बल अपने आप को राजनीति से दूर रखते हैं और सरकार के निर्देशों के अनुरूप काम करते हैं।

उनकी यह टिप्पणी उन आरोपों के बीच आयी है कि सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण किया जा रहा है।

जनरल रावत ने यह भी कहा कि सीडीएस के तौर पर उनका लक्ष्य तीनों सेवाओं के बीच समन्वय और एक टीम की तरह काम करने पर केंद्रित होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने आप को राजनीति से दूर रखते हैं। हम मौजूदा सरकार के निर्देशों के अनुसार काम करते हैं।’’

जनरल रावत ने कहा कि उनका ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होगा कि तीनों सेनाओं को मिले संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम इस्तेमाल हो।

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को अपना कार्यभार ग्रहण किया ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनरल रावत को बधाई दी और कहा, “नये साल और नये दशक की शुरुआत के साथ ही भारत को जनरल बिपिन रावत के रूप में अपना पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ मिल गया है। मैं इस जिम्मेदारी के लिए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। वह एक उत्कृष्ट अधिकारी हैं जिन्होंने बहुत उत्साह के साथ भारत की सेवा की है।” उन्होंने कहा कि आवश्‍यक सैन्य विशेषज्ञता के साथ सैन्‍य मामलों के विभाग का गठन और सीडीएस के पद को संस्‍थागत रूप दिया जाना एक ऐसा महत्वपूर्ण और व्यापक सुधार है जो हमारे देश को आधुनिक समय के युद्ध की बदलती चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा ”।

चीफ ऑफ स्‍टाफ के तौर पर जनरल रावत तीनों सेनाओं के बारे में रक्षा मंत्री के मुख्‍य सैन्‍य सलाहकार होंगे। उनकी सेना को आंवटित बजट का युक्तिसंगत इस्‍तेमाल सुनिश्चित करने तथा संयुक्‍त नियोजन और एकीकरण के माध्‍यम से तीनों सेनाओं के लिए खरीद, प्रशिक्षण और संचालन में बेहतर समन्‍वय बनाने में बड़ी भूमिका होगी। उन्‍हें तीनों सेनाओं के लिए रक्षा खरीद येाजना तैयार करते समय स्‍वदेशी हथियारों तथा रक्षा उपकरणों की खरीद को बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास भी करने होंगे।

देश के पहले सीडीएस का कार्यभार संभालने के बाद पत्रकारों से पहली बार बातचीत में जनरल रावत ने तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्‍वय बनाने का वादा किया। उन्‍होंने कहा “सीडीएस को तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्‍वय बनाने, सशस्त्र बलों को आवंटित संसाधनों का सर्वोत्तम आर्थिक उपयोग सुनिश्चित करने और खरीद प्रक्रिया में एकरूपता लाने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि सेना, नौसेना और वायु सेना एक टीम के रूप में काम करेगी और सीडीएस इन सब के बीच बेहतर समन्‍वय सुनिश्चित करेगा।”

उन्होंने कहा, “टीम के रूप में, हम एक ऐसे लक्ष्य की दिशा में काम करेंगे जहां 1+1+1 या तो पांच हो या सात हो लेकिन तीन नहीं हो। मेरा मतलब है कि केवल समन्वित प्रयास नहीं बल्कि इससे बहुत अधिक होना चाहिए। हमें एकीकरण के जरिये यह हासिल करना होगा।”

सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण किये जाने के विपक्ष के आरोपों की पृष्ठभूमि में उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा, “हम खुद को राजनीति से दूर रखते हैं। हम सरकार के निर्देशों के अनुसार काम करते हैं।”

पदभार ग्रहण करने के बाद जनरल रावत ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। रक्षा मंत्री ने उन्हें उनके यशस्वी एवं सफल कार्यकाल की शुभकामनाएं दीं।

इससे पहले जनरल रावत ने नयी दिल्‍ली के साउथ ब्‍लॉक के लाॅन में तीनों सेनाओं की सलामी गारद का निरीक्षण किया। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया और सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवाणे भी मौजूद थे। जनरल रावत ने राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक जाकर पुष्‍प चक्र चढ़ाया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

जनरल रावत राष्‍ट्रीय रक्षा अकादमी, वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्‍टाफ कॉलेज और उच्‍च कमान राष्‍ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके हैं। उन्‍होंने अमरीका के फोर्ट लीवएनवर्थ से कमान और जनरल स्‍टाफ विषय की पढ़ाई की है। सेना में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान जनरल रावत सेना के पूर्वी सेक्‍टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर थल सेना की एक बटालियन का तथा कश्‍मीर और पूर्वोत्‍तर में भी सेना की टुकडि़यों का नेतृत्‍व कर चुके हैं।

जनरल रावत ने कांगो गणराज्‍य में विभिन्‍न देशों की सेनाओं की एक ब्रिगेड की भी कमान संभाली है। उनके पास सेना की पश्चिमी कमान में कई सैन्‍य अभियानों के संचालन का अनुभव है। सेना प्रमुख नियुक्‍त किए जाने के पहले वे सेना उप प्रमुख के पद पर काम कर चुके थे।

सेना में 41 वर्षों से ज्‍यादा समय के कामकाज के अनुभव के आधार पर जनरल रावत को उनकी उत्‍कृट सेवाओं के लिए कई वीरता और अतिविशिष्‍ट सेवा पदकों से सम्‍मानित किया जा चुका है।

उत्तरप्रदेश साल 2019 में महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का गवाह बना,अंत में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसा में सबसे आगे रहा attacknews.in

लखनऊ, 1 जनवरी । लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन और भाजपा का शानदार प्रदर्शन, दशकों पुराने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला तथा संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन जैसी कई बड़ी घटनाओं को लेकर उत्तर प्रदेश वर्षभर सुर्खियों में रहा।

इसके अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर बलात्कार के आरोप और भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को नाबालिग से बलात्कार करने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी। कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर सवाल भी उठे।

प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन किया गया। जनवरी में मकर संक्रांति से शुरू होकर चार मार्च तक आयोजित कुंभ मेला शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। इस दौरान कई नयी परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया ।

अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में धुर विरोधी सपा और बसपा के बीच गठबंधन हुआ। इसमें दो और दल कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल हुए। धुआंधार प्रचार के बावजूद विपक्षी गठबंधन भाजपा की चुनावी रणनीति से पार पाने में सफल नहीं हुए। विपक्षी गठबंधन को राज्य में लोकसभा की 80 सीटों में से सिर्फ 15 सीटें हासिल हुईं । मायावती की बसपा को 10 तो सपा को पांच सीटें मिलीं । भाजपा ने 62 सीटें जीतीं हालांकि 2014 के चुनाव में उसने 71 सीटें जीती थीं ।

कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत पायी । सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट पर कब्जा बरकरार रखा । राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गये । इसी वर्ष प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा गया । उन्होंने प्रदेश भर में जबर्दस्त प्रचार किया लेकिन वह काम नहीं आया ।

भाजपा के पूर्व सांसद स्वामी चिन्मयानंद पर विधि की 23 वर्षीय एक छात्रा द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों का मामला चर्चा में रहा। महीने भर की जददोजहद के बाद स्वामी को गिरफ्तार किया गया । उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर छात्रा का यौन शोषण किया ।

छात्रा को भी चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया ।

जुलाई में सोनभद्र के उम्भा गांव में दस गोंड आदिवासियों की गोली मारकर हत्या किये जाने से सनसनी फैल गयी । उन पर एक ग्राम प्रधान और उसके लोगों ने भूमि कब्जा करने की नीयत से हमला किया । हमले में 30 अन्य लोग घायल हो गये थे ।

अगस्त-सितंबर में मिड डे मील प्रकरण ने भी सुर्खियां बटोरीं। इसमें मिर्जापुर के एक स्कूल का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें बच्चो को मिड डे मील में नमक रोटी खिलायी जा रही है ।

पुलिस ने इस पर खबर देने वाले पत्रकार को शुरूआत में गिरफ्तार किया था लेकिन कुछ सप्ताह बाद सोनभद्र के एक स्कूल पर भी ऐसे आरोप लगे । कहा गया कि 80 बच्चों को पिलाने के लिए एक लीटर दूध में पानी मिलाया जा रहा है ।

नवंबर में उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अयोध्या में रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया।

दिसंबर में भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव बलात्कार मामले में आजीवन कैद की सजा सुनाई गई।

सेंगर प्रकरण के अलावा उन्नाव की एक अन्य खबर काफी सुर्खियों में रही । एक युवती को पांच लोगों ने जिन्दा जला दिया । पांच में से दो आरोपियों ने उसके साथ पूर्व में बलात्कार भी किया था ।

राज्य में बढते अपराध को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार विपक्ष के निशाने पर रही । भाजपा ने हालांकि दावा किया कि उसके कार्यकाल में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ ।

दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदेश भर में हिंसक प्रदर्शन हुए । प्रदर्शन की शुरूआत अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर से हुई । कुछ ही दिन में हिंसा प्रदेश के कई हिस्सों में फैल गयी । जुमे की नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए ।

पुलिस पर पथराव किया गया । पुलिस ने उपद्रवियों को खदेडने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया । हिंसा में लगभग 20 लोगों की मौत हो गयी ।

प्रियंका ने प्रदेश का दौरा किया और प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की ।

भजन गायक की पहले पत्नी और बेटी के साथ हत्या करने के बाद बेटे का अपहरण कर उसे भी मार डाला attacknews.in

शामली,01 जनवरी। उत्तर प्रदेश में शामली शहर के आदर्श मंडी क्षेत्र में प्रसिद्ध भजन गायक अजय पाठक, उनकी पत्नी और दो बच्चों की हत्या के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी हिमांशु को पानीपत से गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने बुधवार सुबह यहां “यूनीवार्ता” को बताया कि आदर्श मंडी की पॉश पंजाबी कालोनी रेलपार निवासी भजन गाय अजय पाठक (42), पत्नी स्नेहलता (38), बेटी वसुंधरा (15) और बेटे भागवत (10) के साथ रहते थे। वह अपने मकान के ऊपरी हिस्से में रहते थे और नीचले हिस्से में उनके वयोवृद्ध चाचा दर्शन पाठक रहते हैं। घर के दो गेट हैं और पिछला हिस्सा ही खुलता है।

उन्होंने बताया कि मंगलवार दोपहर तक अजय पाठक के परिवार का कोई भी सदस्य दिखाई नहीं दिया था। पास में रहने वाले उनके भाई मोबाइल पर संपर्क कर रहे थे ,लेकिन फोन नहीं उठने पर शाम के समय पड़ोसियों और परिजनों ने घर में जाकर देखा तो मुख्य दरवाजे का छोटा गेट खुला था।

श्री पाठक को आवाज देने पर जब कोई नहीं आया तो वे लोग उपर गये तो गेट पर ताला लगा मिला। ताला तोड़कर देखा तो अंदर अजय पाठक, पत्नी और बेटी के रक्तरंजित शव पड़े थे। हत्यारा घर में लगे सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर भी अपने साथ ले गया । उनका दस साल का बेटा और कार गायब मिली।

श्री जायसवाल ने बताया कि घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की टीमें छानबीन में लग गई और रात को हत्या करने वाले श्री पाठक के करीबी रहे हिमांशु को पानीपत (हरियाणा) से गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तार आरोपी ने बताया कि उसने सोमवार मध्यरात्रि के समय ही परिवार के तीनों सदस्यों की धारदार हथियार से हत्या कर दी और इस साल के बेटे का अपहरण कर उनकी ही कार से पीनीपत आ गया था। बाद में उसने बेटे की भी हत्या कर उसके शव को कार में डालकर आग लगा दी। पुलिस ने कार से जली हालत में बच्चे का शव बरामद कर लिया। शव को पास्टमार्टम कराया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में हिंमाशु ही घर में प्रवेश करता नजर आ रहा है। उन्होंने बताया कि हिमांशु पहले श्री पाठक के साथ ही काम करता था। उनके घर उसका आना-जाना था और कई बार परिवार के साथ खाना भी खाया है।

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपी के पूछताछ की जा रही है और दोपहर एक बजे घटना की विस्तार से जानकारी देंगे।

पुलिस ने मंगलवार को बताया था कि दम्पति का 10 वर्षीय पुत्र भागवत घटना के बाद से लापता था।

पुलिस ने बताया कि बदमाशों की धरपकड़ और लापता लड़के के बारे में पता लगाने के लिए एक टीम गठित की गई थी।

पुलिस ने बताया कि टीम ने भागवत का पता लगाने के लिए एक खोज अभियान शुरू किया और उसका शव बुधवार को शामली से करीब 40 किलोमीटर दूर हरियाणा के पानीपत में एक कार में मिला। शव पर जलने के निशान थे।

पुलिस ने यह नहीं बताया कि उसने लड़के की तलाश के लिए पड़ोसी राज्य में अभियान कैसे शुरू किया।