यूजीसी ने कोविड-19 के दौरान महाराष्ट्र और दिल्ली में अंतिम वर्ष की परीक्षायें रद्द करने के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट में उठाये सवाल और नियम विरुद्ध बताया attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 अगस्त । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कोविड-19 महामारी के दौरान दिल्ली और महाराष्ट्र में राज्य के विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षायें रद्द करने के निर्णय पर सोमवार को उच्चतम न्यायालय में सवाल उठाये और कहा कि ये नियमों के विरूद्ध है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम नहीं बदल सकते हैं क्योंकि सिर्फ यूजीसी को ही डिग्री प्रदान करने के लिये नियम बनाने का अधिकार है।

इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि परीक्षायें नहीं कराना छात्रों के हित में नहीं है और अगर राज्य अपने मन से कार्यवाही करेंगे तो संभव है कि उनकी डिग्री मान्य नहीं हो।

शीर्ष अदालत कोविड-19 महामारी के दौरान अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित करने के यूजीसी के छह जुलाई के निर्देश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वे 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित कर लें।

सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ को दिल्ली और महाराष्ट्र द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षायें रद्द किये जाने के निर्णय से अवगत कराया।

उन्होंने कहा कि आयोग महाराष्ट्र और दिल्ली के हलफनामों पर अपना जवाब दाखिल करेगा। इसके लिये उसे समय दिया जाये।

पीठ ने मेहता का अनुरोध स्वीकार करते हुये इस मामले को 14 अगस्त के लिये सूचीबद्ध कर दिया।

कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने दावा किया कि अंतिम साल की परीक्षायें आयोजित करने के बारे में आयोग के छह जुलाई के निर्देश न तो कानूनी है और न ही संवैधानिक हैं।

उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षण संस्थाओं के लिये गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों का मुद्दा भी उठाया।

न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के बीच अंतिम वर्ष की परीक्षायें सितंबर में कराने सबंधी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देश रद्द करने के लिये दायर याचिका पर 31 जुलाई को कोई भी अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने केन्द्र से कहा था कि गृह मंत्रालय को इस विषय पर अपना रुख साफ करना चाहिए।

यूजीसी ने शीर्ष अदालत से यह भी कहा था कि किसी को भी इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि न्यायालय में मामला लंबित होने की वजह से अंतिम साल और सेमेस्टर की परीक्षा पर रोक लग जायेगी।

सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि वे अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर चिंतित है क्योंकि देश में आठ सौ से ज्यादा विश्वविद्यालयों में से 209 ने परीक्षा प्रक्रिया पूरी कर ली है और इस समय करीब 390 विश्वविद्यालय अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं।

यूजीसी ने न्यायालय में दाखिल हलफनामे में अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर की परीक्षायें सितंबर के अंत में कराने के निर्णय को उचित ठहराते हुये कहा था कि देश भर में छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को बचाने के लिये ऐसा किया गया है।

यूजीसी ने हलफनामे में कहा था कि कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुये उसने जून महीने में विशेषज्ञ समिति से 29 अप्रैल के दिशा-निर्देशों पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था। अप्रैल के दिशा-निर्देशों में विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों से कहा गया था कि वे अंतिम वर्ष की परीक्षायें जुलाई, 2020 में आयोजित करें।

यूजीसी के अनुसार विशेषज्ञ समिति ने ऐसा ही किया और अपनी रिपोर्ट में सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षायें ऑफ लाइन, ऑन लाइन या मिश्रित प्रक्रिया से सितंबर, 2020 के अंत में कराने की सिफारिश की थी।

हलफनामे के अनुसार विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर यूजीसी ने छह जुलाई की बैठक में चर्चा की और इसे मंजूरी दी। इसके तुरंत बाद कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुये अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के बारे में परिवर्तित दिशा-निर्देश जारी किये गये।

नरेन्द्र मोदी ने असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र एवं केरल के तथा कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के साथ बाढ की स्थिति की समीक्षा की और कहा:‘स्‍थानीय पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश बढ़ाया जाना चाहिए’ attacknews.in

नयी दिल्ली 10 अगस्त ।प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और केरल के मुख्‍यमंत्रियों के साथ आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंस से बैठक कर देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ-साथ बाढ़ की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की।

बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ,केन्द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा हर्षवर्धन , दोनों गृह राज्‍य मंत्रियों और संबंधित केन्‍द्रीय मंत्रालयों एवं विभिन्न एजेन्सियों के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री ने बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए स्‍थायी प्रणाली स्‍थापित करने और पूर्वानुमान एवं चेतावनी प्रणाली बेहतर करने , अभिनव प्रौद्योगिकियों के व्‍यापक उपयोग के लिए सभी केन्द्रीय एवं राज्‍य एजेंसियों के बीच और अधिक समन्‍वय सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पूर्वानुमान एजेंसियों मौसम विभाग और केन्‍द्रीय जल आयोग बेहतर एवं अधिक उपयोगी बाढ़ पूर्वानुमान के लिए ठोस प्रयास करते रहे हैं। एजेन्सी न केवल वर्षा एवं नदी स्‍तरीय पूर्वानुमान, बल्कि बाढ़ के विशिष्‍ट स्‍थान संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए भी प्रयास कर रही हैं। विशिष्‍ट स्‍थान संबंधी पूर्वानुमान को बेहतर बनाने के लिए अभिनव प्रौद्योगिकियों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी उपयोग करने के लिए प्रायोगिक स्‍तर पर प्रयास किए जा रहे हैं । राज्‍यों को भी इन एजेंसियों को आवश्‍यक सूचनाएं देनी चाहिए और स्‍थानीय समुदायों को संबंधित चेतावनी के बारे में समय पर अवगत कराना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्‍थानीय पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि किसी विशेष क्षेत्र के लोगों को किसी भी खतरे की स्थिति जैसे कि नदी के तटबंध के टूटने, बाढ़ का स्तर बढ़ने, बिजली गिरने, इत्‍यादि के बारे में समय पर चेतावनी दी जा सके।

प्रधानमंत्री ने बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए स्‍थायी प्रणाली स्‍थापित करने और पूर्वानुमान एवं चेतावनी प्रणाली बेहतर करने हेतु अभिनव प्रौद्योगिकियों के व्‍यापक उपयोग के लिए सभी केन्द्रीय एवं राज्‍य एजेंसियों के बीच और भी अधिक समन्‍वय सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारी पूर्वानुमान एजेंसियों जैसे कि भारत मौसम विभाग और केन्‍द्रीय जल आयोग बेहतर एवं अधिक उपयोगी बाढ़ पूर्वानुमान लगाने के लिए ठोस प्रयास करते रहे हैं। ये एजेंसियां न केवल वर्षा एवं नदी स्‍तरीय पूर्वानुमान, बल्कि बाढ़ के विशिष्‍ट स्‍थान संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए भी प्रयास कर रही हैं। विशिष्‍ट स्‍थान संबंधी पूर्वानुमान को बेहतर करने हेतु अभिनव प्रौद्योगिकियों जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी उपयोग करने के लिए प्रायोगिक स्‍तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके लिए राज्‍यों को भी इन एजेंसियों को आवश्‍यक सूचनाएं देनी चाहिए और स्‍थानीय समुदायों को संबंधित चेतावनी के बारे में समय पर अवगत कराना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि स्‍थानीय पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि किसी विशेष क्षेत्र के लोगों को किसी भी खतरे की स्थिति जैसे कि नदी के तटबंध के टूटने, बाढ़ का स्तर बढ़ने, बिजली गिरने, इत्‍यादि के बारे में समय पर चेतावनी दी जा सके।

प्रधानमंत्री ने विशेष जोर देते हुए यह भी कहा कि कोविड से उत्‍पन्‍न स्थिति के मद्देनजर राज्‍यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बचाव कार्यों पर अमल करते समय लोग अवश्‍य ही स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी सभी सावधानियां बरतें, जैसे कि फेस मास्‍क पहनें, हाथ को साबुन से धोएं या सैनिटाइज करें, पर्याप्‍त सामाजिक दूरी बनाए रखें। इसके साथ ही राहत सामग्री के मामले में भी प्रभावित लोगों के लिए हाथ धोने/सैनिटाइज करने और फेस मास्‍क पहनने की व्‍यवस्‍था अवश्‍य की जानी चाहिए। इस संबंध में वरिष्‍ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं और पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि राज्‍यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी विकास और अवसंरचना परियोजनाएं इस तरह से निर्मित की जाएं जिससे कि स्‍थानीय स्‍तर पर कोई आपदा होने पर वे मजबूती के साथ टिके रहें और संबंधित नुकसान में कमी करने में भी मदद मिल सके।

असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र एवं केरल के मुख्‍यमंत्री तथा कर्नाटक के गृह मंत्री ने इस दौरान अपने-अपने राज्‍यों में बाढ़ की स्थिति और बचाव कार्यों के बारे में अद्यतन जानकारियां दीं। उन्‍होंने समय पर तैनाती करने के साथ-साथ लोगों को सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ सहित केन्‍द्रीय एजेंसियों द्वारा किए गए ठोस प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने बाढ़ के प्रतिकूल प्रभावों में कमी लाने हेतु अल्‍पकालिक एवं दीर्घकालिक उपायों के बारे में भी कुछ सुझाव दिए।

प्रधानमंत्री ने संबंधित मंत्रालयों एवं संगठनों के अधिकारियों को राज्‍यों द्वारा दिए गए सुझावों पर ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया और इसके साथ ही यह आश्‍वासन दिया कि केन्‍द्र अपनी ओर से राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों को हरसंभव सहयोग निरंतर देता रहेगा, ताकि विभिन्‍न आपदाओं से निपटने की उनकी क्षमता बढ़ सके।

 

भारत में सबसे बडी संचार क्रांति; नरेन्द्र मोदी ने अंडमान निकोबार तक ब्रॉडबैंड सेवायें पहुचाने वाली पहली समुद्री केबल परियोजना का उद्घाटन किया attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 अगस्त ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को तीव्र गति की ब्रॉडबैंड संचार सेवाओं से जोड़ने वाली पहली आप्टिकल फाइबर केबल परियोजना का उद्घाटन किया। यह केबल समुद्र के अंदर से बिछाई गई है। इससे क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं और पर्यटन तथा अन्य गतिविधियों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

मोदी ने 30 दिसंबर 2018 को 2,312 किलोमीटर लंबी चेन्नई से अंडमान एवं निकोबार द्वीप के पोर्ट ब्लेयर को जोड़ने वाली इस सबमैरीन आप्टिकल फाइबर केबल परियोजना की शुरुआत की थी। परियोजना को 1,224 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है।

परियोजना के उद्घाटन अवसर पर मोदी ने कहा, ‘‘चेन्नई से पोर्टब्लेयर, पोर्ट ब्लेयर से लिटिल अंडमान और पोर्ट ब्लेयर से स्वराज द्वीप तक यह सेवा आज से अंडमान निकोबार के बड़े हिस्से पर चालू हो गई है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश की जिम्मेदारी बनती है कि वह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लोगों को आधुनिक दूरसंचार सुविधायें उपलब्ध कराये। पोर्ट ब्लेयर के साथ ही यह सेवा स्वराज द्वीप, लांग आइलैंड, रंगत, लिटिल अंडमान, कारमोटा, कार निकोबार और ग्रेटर निकोबार को भी कनेक्टिविटी उपलब्ध करायेगी।

देश की दूरसंचार कंपनियां अब इस आप्टिकल फाइबर केबल के जरिये अपनी मोबाइल और ब्रॉडबैंड सेवायें इस द्वीप समूह में उपलब्ध करा सकेंगी।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पोर्ट ब्लेयर पर अब 400 गीगाबाइट प्रति सैंकिड की गति से इंटरनेट सेवायें उपलब्ध होंगी वहीं अन्य द्वीप समूहों में यह 200 गीगाबाइट प्रति सैंकड की गति से उपलब्ध होंगी।

मोदी ने कहा कि समुद्री के अंदर केबल बिछाने का यह काम चुनौतियों के बावजूद समय से पहले पूरा हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये चुनौतीपूर्ण काम तभी हो सकते हैं, जब पूरी क्षमता के साथ, पूरे प्रतिबद्धता के साथ काम किया जाता है। हमारा समर्पण रहा है कि देश के हर नागरिक, हर क्षेत्र की दिल्ली से और दिल से, दोनों दूरियों को पाटा जाए। अब अंडमान निकोबार के लोगों को भी मोबाइल कनेक्टिविटी और तेज़ इंटरनेट की वही सस्ती और अच्छी सुविधाएं मिल पाएंगी, जिसके लिए आज पूरी दुनिया में भारत अग्रणी है।’’

मोदी ने कहा अंडमान को आज जो सुविधा मिली है, उसका बहुत बड़ा लाभ वहां जाने वाले पर्यटकों को भी मिलेगा। बेहतर नेट कनेक्टिविटी आज किसी भी पर्यटन स्थल की सबसे पहली प्राथमिकता हो गई है। इंटरनेट अच्छा मिलेगा, तो मुझे पूरा विश्वास है कि लोग और ज्यादा लंबे समय के लिए वहां आएंगे। जब लोग ज्यादा रुकेंगे, अंडमान निकोबार के समंदर का, वहां के खान-पान का, आनंद लेंगे तो इसका बहुत बड़ा प्रभाव रोजगार पर भी पड़ेगा, रोजगार के भी नए अवसर बनेंगे।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह द्वीप समूह भारत के आर्थिक रणनीतिक सहयोग और समन्वय का प्रमुख केन्द्र है। ‘‘भारत हिन्द- प्रशांत क्षेत्र में व्यापार-कारोबार और सहयोग की नई नीति और रीति पर चल रहा है, तब अंडमान-निकोबार सहित हमारे तमाम द्वीपों का महत्व और अधिक बढ़ गया है। पूर्वी एशियाई देशों और समंदर से जुड़े दूसरे देशों के साथ भारत के मज़बूत होते रिश्तों में अंडमान निकोबार की भूमिका बहुत अधिक है और ये निरंतर बढ़ने वाली है। नए भारत में, अंडमान निकोबार द्वीप समूह की इसी भूमिका को मज़बूत करने के लिए, तीन साल पहले द्वीपीय विकास एजेंसी का गठन किया गया था।’’ उन्होंने कहा कि अंडमान निकोबार में इसके अलावा सड़क, हवाई और जलमार्ग के जरिये भी संपर्क को सशक्त किया जा रहा है। उत्तरी और मध्य अंडमान की रोड कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए 2 बड़े पुल और राष्ट्रीय राजमार्ग-4 के चौड़ीकरण पर तेज़ी से काम हो रहा है। पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट में एक साथ 1200 यात्रियों का आवागमन करने की क्षमता को तैयार किया जा रहा है। आने वाले कुछ महीनों में यह बनकर तैयार हो जाएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि द्वीप के बीच और बाकी देश से जलमार्ग की सुविधा को बढ़ाने के लिए कोची शिपयार्ड में जो चार जहाज़ बनाए जा रहे हैं, उनकी डिलिवरी भी आने वाले कुछ महीनों में हो जाएगी। अंडमान निकोबार, को बंदरगाहों से जुड़ी तमाम गतिविधियों को बड़ा केन्द्र बनाया जायेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह पूर्वी तट में गहरे बंदरगाह पोताश्रय के निर्माण का काम भी तेज़ी से चल रहा है। इसके अलावा अब ग्रेट निकोबार में करीब 10 हज़ार करोड़ रुपए की संभावित लागत से ‘ट्रांस शिपमेंट पोर्ट’ के निर्माण का प्रस्ताव भी है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, वैश्विक विनिर्माण केन्द्र के रूप में, वैश्विक आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला के एक अहम देश के रूप में खुद को स्थापित करने में जुटा है, तब देश के जलमार्गों और बंदरगाहों के नेटवर्क को सशक्त करना बहुत ज़रूरी है

कोरोना संक्रमित भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के मस्तिष्क की हुई सर्जरी,हालत गंभीर,वेंटिलेटर पर attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 अगस्त । सेना के रिसर्च और रेफरल (आर एंड आर) अस्पताल में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के मस्तिष्क की सर्जरी हुई । मस्तिष्क में बने खून के थक्के को हटाने के लिए यह सर्जरी की गयी। सूत्रों ने इस बारे में जानकारी दी है ।

अस्वस्थ चल रहे मुखर्जी डॉक्टरों की सलाह पर अस्पताल में भर्ती कराये गए थे और सर्जरी के पहले वे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए ।

सूत्रों ने बताया, ‘‘सेना के आर एंड आर अस्पताल में थक्का हटाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के मस्तिष्क की सर्जरी सफल रही ।’’

सूत्रों ने यह भी बताया, ‘‘उनकी स्थिति गंभीर है और वह वेंटिलेटर पर हैं। ’’

मुखर्जी (84) ने सुबह एक ट्वीट में कहा,‘‘ अन्य कारणों से अस्पताल गया था जहां पर आज कोविड-19 जांच में संक्रमित होने की पुष्टि हुई।’’

मुखर्जी ने ट्वीट में कहा, ‘‘मैं अनुरोध करता हूं कि जो लोग भी गत एक हफ्ते में मेरे संपर्क में आए हैं, वे खुद पृथक-वास में चले जाएं और कोविड-19 की जांच कराएं।’’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर एंड आर अस्पताल का दौरा किया और पूर्व राष्ट्रपति के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली । वह करीब 20 मिनट तक अस्पताल में रहे।

नरेन्द्र मोदी के नाम दर्ज होगा एक और रिकाॅर्ड:15 अगस्त को गैर कांग्रेसी सर्वाधिक बार लाल किले से झंडा फहराने वाले बनेंगे पहले प्रधानमंत्री,अब तक 6 बार अटल बिहारी वाजपेयी फहरा चुके हैं attacknews.in

नयी दिल्ली 10 अगस्त । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सातवीं बार लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहरायेंगे और राष्ट्र को संबोधित करेंगे , जिसके साथ ही वह सबसे अधिक बार ऐसा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हाेंगे।

श्री मोदी ने पहली बार 2014 में लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था और पिछले वर्ष अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल में छठवीं बार तिरंगा फहराकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के पहले प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की बराबरी कर ली थी। वह इस बार श्री वाजपेयी से एक कदम आगे बढ़कर सातवीं बार तिरंगा फहरायेंगे।

भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुखिया रहे अटल बिहारी वाजपेयी 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 के बीच छह बार तिरंगा फहराया था। श्री वाजपेयी हालांकि 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे लेकिन उनकी सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पायी थी और उन्हें राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अवसर नहीं मिल पाया था।

देश में आपातकाल को लेकर आम जनता में आक्रोश की लहर ने 1977 के आम चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया और केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी । आजादी के बाद यह पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी। श्री मोरारजी देसाई इस सरकार के मुखिया बने। उन्होंने दो बार 1977 और 1978 में लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया था।

इसके बाद 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी दलों और कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने तथा उसी साल पहली एवं आखिरी बार तिरंगा फहराया । श्री चरण सिंह के अलावा विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी. देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल भी ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे , जिन्हेंं एक-एक बार तिरंगा फहराने का सौभाग्य हासिल हुआ।

दिलचस्प तथ्य यह भी है कि ऐसी दो शख्सियतें भी रही , जो प्रधानमंत्री तो बने , लेकिन उन्हें लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना नसीब नहीं हुआ। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 27 मई 1964 को श्री गुलजारी लाल नंदा कुछ समय के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। श्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद भी वह कुछ समय के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। इसी प्रकार श्री चंद्रशेखर 10 नवंबर 1990 को प्रधानमंत्री बने लेकिन छह महीने बाद ही कांग्रेस ने उनकी पार्टी की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और उन्हें 21 जून 1991 को पद से हटना पड़ा।

अतीत के झरोखों में देखा जाये तो यही नजर आता है कि स्वाधीन भारत के इतिहास में सबसे अधिक बार तिरंगा फहराने का रिकार्ड प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम है । उन्होंने सर्वाधिक 17 बार लालकिले पर तिरंगा फहराया है। वह 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 तक प्रधानमंत्री रहे।

श्री नेहरू के बाद उनकी पुत्री श्रीमती इंदिरा गांधी 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977 तथा 14 जनवरी 1980 से 31 अक्टूबर 1984 के दौरान प्रधानमंत्री रही। इन दो अवधि में श्रीमती गांधी ने 16 बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। तीसरे नंबर पर डॉ मनमोहन सिंह है जिन्होंने 10 बार लालकिले पर तिरंगा फहराया। वह 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक प्रधानमंत्री रहे।

श्री राजीव गांधी और तेलुगु क्षत्रप एवं देश में आर्थिक सुधारों के प्रणेता रहे पामुलपति वेंकटपति नरसिम्हा राव ने पांच-पांच दफे लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया और देश को संबोधित किया। श्री राजीव गांधी 31 अक्टूबर 1984 से एक दिसंबर 1989 तक प्रधानमंत्री रहे जबकि श्री राव का कार्यकाल 21 जून 1991 से 10 मई 1996 तक रहा।

देश में एक ईमानदार शासक की छवि के प्रतीक लालबहादुर शास्त्री नौ जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक प्रधानमंत्री रहे और दो बार तिरंगा फहराया।

कालीकट विमान हादसाः तीन मरीजों की हालत नाजुक,पायलट और सह पायलट के शव परिजनों को सौंपे गए,115 यात्रियों का अभी भी अस्पताल में चल रहा है उपचार attacknews.in

कोझिकोड/मलप्पुरम, आठ अगस्त ।एअर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए पायलट और सह पायलट के शव शनिवार को उनके परिजनों को सौंप दिये गए ।

एअर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान यहां कारीपुर हवाई अड्डे पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में विमान के पायलट दीपक वसंत साठे और सह-पायलट अखिलेश कुमार समेत विमान में सवार 18 लोगों की मौत हो गई थी।

मलप्पुरम के जिला कलक्टर के गोपालकृष्णन ने  कहा कि मृतकों के परिजन एयरलाइन के अधिकारियों के साथ आए और शवों को एरनाकुलम ले जाया गया जहां से उनके गृह जिले ले जाया जाएगा।

बचाव अभियान के समन्वयक गोपालकृष्णन ने कहा, “शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया जो एअर इंडिया एक्सप्रेस के अधिकारियों के साथ शाम पांच बजे आए थे। मुझे लगता है कि वे कोचीन गए और वहां से अपने गंतव्य स्थल की ओर गए।”

कालीकट विमान हादसाः तीन मरीजों की हालत नाजुक

केरल के करीपुर में कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर हुए विमान हादसे में घायल यात्रियों में से तीन की हालत नाजुक बनी हुई है।

सूत्रों ने बताया कि इस हादसे में घायल हुए 172 यात्रियों में से 166 को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। छह मामूली रूप से घायल यात्री अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे।

सूत्रों के अनुसार 166 घायल यात्रियों में कम से कम 115 यात्रियों का मलप्पुरम तथा कोझिकोड के विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है, जबकि बाकी को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है।

कोझिकोड के कलेक्टर श्रीराम सम्बाशिव राव ने बताया कि कम के कम 48 घायल यात्रियों को शनिवार और रविवार दो दिनों में अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है।

उन्होंने बताया कि घायल यात्रियों का कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित 13 अस्पतालों में उपचार चल रहा है और इनमें से तीन गहन चिकित्सा कक्ष में हैं। उन्होंने बताया कि इस दुर्घटना में मारे गये 16 यात्रियों के पार्थिव शरीर को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर आया एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान गत शुक्रवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में पायलट तथा सह पायलट सहित 18 लोग मारे गये थे।

अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को 2022 का विधानसभा चुनाव स्वतंत्रता आंदोलन की तरह लड़ने का दिया ‘बाइस में बाइसिकल’ का संदेश attacknews.in

लखनऊ, नौ अगस्त ।समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘अगस्त क्रांति’ की भावना को उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के लक्ष्यों से जोड़ते हुए रविवार को अपने सभी कार्यकर्ताओं के लिए ‘बाइस में बाइसिकल’ (वर्ष 2022 में साइकिल) का संदेश जारी किया।

अखिलेश ने 12 पन्ने के इस संदेश में कहा है कि 1942 की अगस्त क्रांति की अवधारणा के आधार पर वर्ष 2022 में सपा की सरकार बनने पर वैचारिक आंदोलन के जरिए स्वतंत्रता संग्राम के सपनों को साकार करने का लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि अगर मानवता को पूंजी और सत्ता की हिंसा से मुक्ति दिलानी है, तो समाजवाद का सपना देखना होगा। वर्ष 2022 में हमें अपनी तैयारियों को लेकर कोई कसर बाकी नहीं रखनी है। 2022 में ‘समाजवादी सरकार का काम जनता के नाम’ का उद्घोष रहेगा।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि अगस्त क्रांति के शहीदों का सपना देश में किसान, मजदूर और युवाओं का राज स्थापित करना था। इस सपने को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी सपा की है। जिस तरह समाजवादियों ने अगस्त क्रांति और जेपी आंदोलन के दौरान अग्रणी भूमिका निभाई थी, उसी तरह आज भी समाजवादी लोग एकजुट होकर संवैधानिक मूल्यों को बचाने और उन्हें बहाल करने की भूमिका निभाएंगे।

अखिलेश के इस संदेश को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए इसका नाम ‘बाइस में बाइसिकल’ रखा गया है। बाइसिकल (साइकिल) सपा का चुनाव निशान है।

उन्होंने संदेश में कहा कि 25 जून 1975 को देश में आपातकाल के दौरान सत्ता के दुरुपयोग का दौर शुरू होने और लोकतंत्र विरोधी निर्णय के खिलाफ जनता के आक्रोश के इतिहास से भाजपा ने कोई सबक नहीं सीखा है। सत्ता में आने पर इस पार्टी ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति से उपजे मुद्दों की भी अनदेखी कर दी है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने विनाशकारी रास्ता अपना लिया है और लोकतंत्र की आवाज को अनसुना कर दिया। सत्ता पर एक अधिकारी मानसिकता भाजपा में कूट-कूट कर भरी हुई है। आज विचारधाराओं में टकराव है। एक तरफ लोकतंत्र है तो दूसरी तरफ खुद को सबसे ऊपर दिखाने की एकाधिकार वादी मानसिकता। हमें तय करना होगा कि किधर जाना है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने केंद्र और राज्यों में सरकारें चलाई हैं और दोनों ने ही संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनके कारण संवैधानिक संस्थाओं में जन विश्वास को खतरा पैदा हुआ है।

अखिलेश ने सपा के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खां का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा सरकार सपा नेताओं को अपमानित करने और झूठे मुकदमा में फंसा कर समझती है कि इससे सपा का मनोबल तोड़ा जा सकता है, लेकिन यह उसकी खाम ख्याली है।

अखिलेश ने बताया कि कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर उन्होंने यह संदेश पार्टी राज्यसभा सदस्य जया बच्चन और रामगोपाल यादव को डिजिटल माध्यम से भेजा है। इसे प्रदेश में सपा के सभी विधायकों, सांसदों, जिला इकाइयों और जमीनी स्तर पर बूथ इकाइयों तक के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं तक डिजिटल माध्यम से यह संदेश पहुंचाया जाएगा।

परिवर्तन के लिये कार्यकर्ता करें पहल: अखिलेश

उत्तर प्रदेश में 2022 का विधानसभा चुनाव ‘समाजवादी सरकार का काम जनता के नाम’ के नारे के साथ लड़ने का ऐलान करते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि 2022 में परिवर्तन के लिए खुद से ही हर समाजवादी कार्यकर्ता को पहल करनी होगी।

‘अगस्त क्रांति की समाजवादी दिशा-बाइस में बाइसिकल‘ पत्र को डिजिटली जारी करने के बाद श्री यादव ने कहा कि 2022 में परिवर्तन के लिए खुद से ही हर समाजवादी कार्यकर्ता को पहल करनी होगी।

उन्होने पार्टी कार्यकर्ताओं से 2022 के लिए अपनी तैयारियों में कोई कसर नहीं रखने और लोकतंत्र को बचाने के सघन अभियान में सभी की एकजुटता और निष्ठा के साथ अनवरत सक्रियता की अपेक्षा की ।

श्री यादव ने कहा कि महात्मा गांधी, डाॅ राममनोहर लोहिया, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर तथा चौधरी चरण सिंह जैसे नेताओं ने जो सपने देखे थे, वे अधूरे रह गए हैं। कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र से खिलवाड़ किया तो भाजपा ने भी सम्पूर्णक्रांति के लक्ष्य को कमजोर किया है। भाजपा ने समाज को बांटने और नफरत फैलाने का काम किया है।

उन्होने कहा कि देश के समक्ष आज जो गम्भीर खच
समस्याएं हैं उनका हल पूंजीवादी व्यवस्था से नहीं, समाजवादी व्यवस्था से होगा। देश में विचारधाराओं का भी संघर्ष है। एक तरफ लोकतंत्र है तो दूसरी तरफ अपने को सर्वोपरि दिखाने की एकाधिकारी मानसिकता।

उत्तरप्रदेश में “तिलक,तराजू और तलवार,जूते मारों चार” का नारा गूंजाने वाली पार्टियों का उमड़ा ब्राह्मण प्रेम; बसपा-सपा दोनों लगाएंगें भगवान परशुराम की प्रतिमाएँ और होड़ लगी है सच्चा ब्राह्मण प्रेमी बताने की attacknews.in

लखनऊ 09 अगस्त ।कभी उत्तरप्रदेश में “तिलक,तराजू और तलवार, जूते मारों चार ” के नारों से बसपा और सपा की राजनीति गूंजती रही हैं और उंची जाति वालों को गालियां तक दी जाती रही हैं किन्तु अब नजारा बदला हुआ देखा जा रहा है ।

समाजवादी पार्टी (सपा) के नये नवेले ब्राह्मण प्रेम पर सेंध लगाने के लिये अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कमर कसी है।

अयोध्या में पिछले दिनों राम मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर देश भर में उठी हिन्दुत्व की लहर को भांपते हुये बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को घोषणा की कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश में भगवान परशुराम समेत सभी जातियों के महान संतों के नाम पर अस्पतालों का निर्माण कराया जायेगा।

भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित करने के समाजवादी पार्टी (सपा) के ऐलान को ब्राह्मण समाज के प्रति झूठा प्रेम करार देते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आने पर श्री परशुराम समेत अन्य जाति और धर्मों में जन्मे महान सन्ताें, गुरुओं के महापुरुषों के नाम पर अस्पताल और जरूरी सुविधाओं से युक्त कम्युनिटी सेंटर का निर्माण करायेगी।

सुश्री मायावती ने रविवार को कहा कि सपा ब्राह्मण प्रेम का दिखावा कर रही है जबकि असलियत है कि उसके राज में समाज के इस वर्ग का सर्वाधिक शोषण हुआ। अब यह पार्टी ब्राह्मण समाज के वोटों की खातिर, अपने राजनैतिक स्वार्थ में ‘श्री परशुराम’ की ऊँची प्रतिमा लगाने की भी बात कर रही है लेकिन इस मामले में हमारी पार्टी का सपा को यह भी कहना है कि यदि इनको वास्तव में इनकी प्रतिमा इनके सम्मान में लगानी भी थी तो इनको इसे अपने पूर्व के रहे शासनकाल में ही लगा देना चाहिये था।

सुश्री मायावती ने कहा कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इस बार बसपा की सरकार बनने पर, विशेषकर ब्राह्मण समाज के आस्था एवं स्वाभिमान के प्रतीक माने जाने वाले भगवान परशुराम की प्रतिमा और अस्पतालों का निर्माण कराया जायेगा जिससे फिर एक तरफ जहाँ सभी जातियाें व धर्मों के महान् सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों को पूरा-पूरा आदर-सम्मान मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ कोरोना जैसी आगे अन्य और भी भयानक बीमारी के फैलने पर फिर वर्तमान की तरह खासकर उत्तर प्रदेश की विशाल जनता को कोई ज्यादा परेशानी नहीं आयेगी।

ब्राह्मण समाज को हर मामले में बसपा पर पूरा भरोसा है कि यह पार्टी किसी भी मामले में सपा की तरह केवल कहती नहीं है बल्कि करके दिखाती है, अर्थात् बसपा की सरकार बनने पर फिर हमारी सरकार ब्राह्मण समाज की इस चाहत को ध्यान में रखकर यहाँ ‘श्री परशुराम‘ की प्रतिमा, हर मामले में सपा की तुलना मे ज्यादा भव्य ही लगायेगी।

राम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ विहिप अब भारत में करेगी ‘राम राज्य’ बनाने।की दिशा में काम: attacknews.in

नयी दिल्ली, तीन अगस्त । विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने सोमवार को कहा कि अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के साथ ही संगठन अब भारत को ‘‘राम राज्य’’ बनाने की दिशा में काम करेगा तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदायों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करेगा।

उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व करने वाली विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का मिशन भगवान राम के जन्मस्थान पर केवल मंदिर निर्माण का नहीं था, बल्कि यह ‘‘राम राज्य’’ स्थापित करने का भी मिशन है।

कुमार ने कहा, ‘‘श्रीराम के शासन में कोई निर्धनता और कोई बीमारी नहीं थी। विहिप अब अधिक ध्यान ‘राम राज्य’ स्थापित करने पर केंद्रित करेगी जो समानता पर आधारित सौहार्दपूर्ण समाज होगा जहां प्रत्येक व्यक्ति के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार होगा। हर कोई भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और आजीविका को लेकर आश्वस्त होगा।’’

विहिप नेता ने कहा कि जब तक समाज शबरी और निषादराज को अंगीकार नहीं करेगा और जब तक ‘‘ऊंच-नीच’’ का भेद नहीं मिटेगा, तब तक ‘राम राज्य’ नहीं आ सकता।

उन्होंने कहा कि सरकार के अतिरिक्त, समाज के सभी तबकों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए मिलकर काम करना होगा। विहिप इसके लिए अभियान शुरू करेगी।

कुमार ने कहा, ‘‘विहिप खास तौर पर अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों के बीच अपने कार्य का विस्तार करेगी और उन्हें बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य तथा आय अर्जित करने वाली सुविधाएं उपलब्ध कराने के अपने प्रयासों को तेज करेगी।’’

उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए संगठन को सरकार तथा लोगों के बीच ‘‘सेतु’’ के रूप में काम करना चाहिए।

कुमार ने सामाजिक सौहार्द को ‘राम राज्य’ का आवश्यक पहलू करार देते हुए कहा कि भगवान राम ने अपने 14 साल के वनवास में लगातार इसके लिए काम किया।

अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के दिन ही श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में भी उत्सव के साथ भगवान कृष्ण रामरूप में भक्तों को देंगे दर्शन, पूरी मथुरा में गुंजेगा कृष्ण- राम का नाद attacknews.in

मथुरा 03 अगस्त ।पांच अगस्त को जब मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में भूमि पूजन के समारोह से गुंजायमान हो रही होगी उसी समय मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित केशवदेव मंदिर में भगवान केशवदेव राम रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे होंगे।

ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है कि मथुरा में यदि कान्हा ने जन्म लिया तो अपने सच्चे भक्त तुलसीदास की मांग पर उन्होंने यहां पर राम रूप में उन्हें दर्शन दिये थे। मशहूर भागवताचार्य संजय कृष्ण सलिल ने बताया कि तुलसीदास पहले तुलसी राम दर्शन स्थल ज्ञान गुदड़ी वृन्दावन आए थे और वहां पर उन्होंने अपने आराध्य के दर्शन करना चाहा था किंतु वहां पर उन्होंने श्रीकृष्ण को ’’ मोर मुकुट कटि काछनी, कर मुरली उर माल’’ को देखा था।

उस समय गोस्वामी तुलसीदास की प्रार्थना पर भगवान श्रीकेशवदेव ने धनुष-बाण धारण कर मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के रूप में उन्हे अलौकिक दर्शन दिये थे।

उन्होंने यह भी कहा कि सार्वभौम राजा भगवान श्रीराम की पुण्य जन्मभूमि श्रीअयोध्या धाम में भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण का शुभारम्भ भारत की सनातन संस्कृति में निहित विश्व कल्याण के भाव को पुष्ट करेगा। देव-देवाधिदेव-महादेव भी जिस तिथि की प्रतीक्षा कर रहे थे, ऐसे दिव्य श्रीराम मंदिर के शिलान्यास की तिथि करोड़ों सनातन धर्मावलम्बियों के लिए परमानन्द का दिवस है।

श्री शर्मा ने कहा कि इस पावन अवसर पर संपूर्ण जन्मभूमि मंदिर प्रांगण एक प्रकार से नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया जाएगा। केशवदेव मंदिर में केसरिया ध्वज, बन्दनवार, तोरण आदि लगाये जायेंगे।

अयोध्या में आयोजित कार्यक्रमों के अनुरूप श्रीकृष्ण-जन्मभूमि पर भी कार्यक्रम आज से शुरू हो गए हैं जो 5 अगस्त को भूमि पूजन के समापन तक चलेंगे ।

उन्होंने बताया कि आज श्रीकृष्ण‘जन्मस्थान पर विराजित अति प्राचीन श्रीअन्नपूर्णेश्वर महादेव का भव्य पूजन-अभिषेक शास्त्रोक्त विधि से किया गया। श्रीअन्नपूर्णेश्वर महादेव का भव्य सौन्दर्यीकरण हाल ही में श्रीकृष्ण-संकीर्तन मण्डल, जन्मस्थान के उदार आर्थिक सहयोग से कराया गया है ।

इसी क्रम में 4 अगस्त को भागवत-भवन स्थित श्रीराम मन्दिर के सम्मुख श्रीरामचरित मानस का अखण्ड पाठ शुरू होगा , 5 अगस्त को प्रातः 9 बजे इसका विश्राम होगा । श्रीराम मन्दिर पूजन के अभिजित मुहूर्त में जिस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूजन करेंगे, उस पुण्य घड़ी में श्रीकृष्ण-जन्मस्थान पर आरती का आयोजन किया जायेगा। भगवान की आरती के साथ ही संपूर्ण मंदिर परिसर ढोल-नगाड़े, घण्टे-घड़ियाल, मृदंग-झांझ, मंजीरों की मधुर ध्वनि से गुंजायमान हो उठेगा।

वास्तव में अयोध्या में श्रीराम मन्दिर के निर्माण का शंखनाद मथुरा से ही हुआ था। संस्थान की प्रबंध-समिति के सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी के अनुसार विश्व हिन्दू परिषद द्वारा श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के क्रम में 1983 में विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन श्रीकृष्ण जन्मस्थान की आरंभ से ही अहम भूमिका रही है ।इसके अलावा एकात्मता यात्रा, राम ज्योति यात्रा, राम शिला पूजन यात्रा आदि में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की शुरूआत से ही अहम भूमिका रही है।

इस पुण्य दिवस पर सांयकाल हजारों दीप-मालाओं से संपूर्ण मंदिर प्रांगण आलोकित होगा। भगवान श्रीकृष्ण की पुण्य जन्मभूमि ऐसे दिव्य अवसर की साक्षी-सहभागी बनेगी। जो भक्त अयोध्या नहीं जा पाये हैं वे उस आनन्द को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने सभी भक्तों से आग्रह किया है कि वह कोरोना महामारी के लिए नियत दिशा-निर्देषों का पालन करते हुए श्रीकृष्ण-जन्मभूमि पर आकर इस अलौकिक/अद्भुद घड़ी के साक्षी बन सकते हैं।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह राम मंदिर के भूमि पूजन मुहूर्त में बने रोड़ा तो योगी आदित्यनाथ,शिवराज सिंह चौहान,नरोत्तम मिश्रा और विहिप ने लताड़ते हुए कहा:कांग्रेस ने कभी नहीं चाहा राम मंदिर बने attacknews.in

नयी दिल्ली/भोपाल/अयोध्या 03 अगस्त ।कांग्रेस महासचिव और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और उत्तर प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष स्वतंत्र देव समेत भाजपा के अन्य नेताओं के कोरोना संक्रमित होने का वास्ता देते ‘अशुभ’ मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अयोध्या में राममंदिर का भूमि पूजन टालने की एक बार फिर अपील की है।

श्री सिंह ने सोमवार को कई ट्वीट किये जिनमें अशुभ घड़ी में राममंदिर के भूमिपूजन और भाजपा नेताओं के कोरोना संक्रमित होने का हवाला देकर इसे टालने का उल्लेख है।

उन्होंने कहा, “ सनातन हिंदू धर्म की मान्यताओं को नज़र अंदाज करने का नतीजा 1- राम मंदिर के समस्त पुजारी कोरोना पॉजिटिव, 2-उत्तर प्रदेश की मंत्री कमला रानी वरुण का कोरोना से स्वर्गवास, 3- उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष कोरोना पॉजिटिव अस्पताल में, 4- देश के गृह मंत्री अमित शाह कोरोना पॉजिटिव अस्पताल में, 5- मध्यप्रदेश के भाजपा के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कोरोना पॉजिटिव अस्पताल में तथा 6- कर्नाटक के भाजपा के मुख्यमंत्री कोरोना पॉजिटिव अस्पताल में।”

उन्होंने आगे लिखा, “ पांच अगस्त को भगवान राम के मंदिर शिलान्यास के अशुभ मुहुर्त के बारे में विस्तार से जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने सचेत किया था। मोदी जी की सुविधा पर यह अशुभ मुहुर्त निकाला गया , यानी मोदी जी हिंदू धर्म की हजारो वर्षों की स्थापित मान्यताओं से बड़े हैं!! क्या यही हिंदुत्व।”

श्री सिंह ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, “ भगवान राम करोड़ों हिंदुओं के आस्था के केंद्र हैं और हज़ारों वर्षों की हमारे धर्म की स्थापित मान्यताओं के साथ खिलवाड़ मत करिए। मैं मोदी जी से फिर अनुरोध करता हूँ पांच अगस्त के अशुभ मुहुर्त को टाल दीजिए। सैंकड़ों वर्षों के संघर्ष के बाद भगवान राम मंदिर निर्माण का योग आया है अपनी हठधर्मिता से इसमें विघ्न पड़ने से रोकिए।”

सांसद ने अन्य ट्वीटों में लिखा, “ इन हालातों में क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री को क्वारंटीन नहीं होना चाहिए ? क्या क्वारंटीन में जाने की बाध्यता केवल आम जनता के लिए है ? प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के लिए नहीं है? क्वारंटीन की समय सीमा 14 दिन की है।”

उन्हाेंने कहा, “ अब एक और प्रश्न उपस्थित होता है। उत्तर प्रदेश की मंत्री की कोरोना से मौत हो गयी। उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष कोरोना पॉजिटिव। भारत के गृहमंत्री कोरोना पॉजिटिव। मोदी जी आप अशुभ मुहुर्त में भगवान राम मंदिर का शिलान्यास कर और कितने लोगों को अस्पताल भिजवाना चाहते हैं? योगी जी, आप ही मोदी जी को समझाइए। आपके रहते हुए सनातन धर्म की सारी मर्यादाओं को क्यों तोड़ा जा रहा है? और आपकी क्या मजबूरी है जो आप यह सब होने दे रहे हैं।”

कांग्रेस ने कभी नहीं चाहा राम मंदिर बने : योगी

अयोध्या में भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान पर कड़ा एतराज जताते हुये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने कभी नहीं चाहा कि राम मंदिर का निर्माण हो सके।

सोमवार को भूमि पूजन कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा करने आये श्री योगी ने पत्रकारों से कहा “ कांग्रेस को अपने अतीत में झांकना चाहिये। वे कभी उस स्थान पर शिलान्यास नहीं चाहते थे जहां रामलला विराजते हैं। करोड़ों रामभक्तों की आस्था से जुड़े इस मुद्दे को कांग्रेस कभी नहीं हल करना चाहती थी। उन्होने सिर्फ लोगों को जाति,धर्म के नाम पर बांटा है। ”

उन्होने कहा कि करीब पांच सौ वर्ष पहले एक अत्याचारी ने श्री राम जन्म भूमि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। अब तो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत न्यायपालिका के आधार पर एक निर्णय आया है उस निर्णय के तहत मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 के चुनाव में कहा था कि अयोध्या में संविधान के दायरे में रहकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा और उच्चतम न्यायालय ने श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया था।

शिवराज ने बोला कांग्रेस नेताओं पर हमला

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसी का नाम लिए बगैर आज कांग्रेस और उसके नेताओं पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि श्रीराम के अस्तित्व को ही नकारने वाले कांग्रेस नेता राम मंदिर के निर्माण के शुभ-अशुभ समय का निर्धारण करने में लगे हैं।

श्री चौहान ने ट्वीट के जरिए कहा है ‘कांग्रेस के नेता, जिन्होंने श्रीराम के अस्तित्व को ही नकार दिया, आज राम मंदिर के निर्माण के शुभ अशुभ समय के निर्धारण करने में लगे हैं। अरे कांग्रेसियो, राम का नाम लेने से ही समय शुभ हो जाता है।’

वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) श्री चौहान ने लिखा है ‘इस निकृष्ट सोच और सनातन धर्म की आस्थाओं के साथ खिलवाड़ का नतीजा है कि आज संपूर्ण कांग्रेस अपने पतन की ओर अग्रसर है। कांग्रेस के लिए राम, राजनीति के विषय होंगे, लेकिन हमारे लिए राम, भक्ति और आस्था के विषय हैं।’

श्री चौहान के अनुसार ‘कांग्रेस के ही कुछ अतिउत्साही नेताओं ने नारा दिया था ‘मंदिर वहीं बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताएंगे।’ वह शुभ घड़ी आई तो उनके पेट में दर्द होने लगा है। पौराणिक काल में जब ऋषि मुनि यज्ञ करते थे, तो असुर और राक्षस आकर उसमें विघ्न डालते थे, कांग्रेस के नेता यही चरितार्थ कर रहे हैं।’

नरोत्तम ने बोला दिग्विजय सिंह पर हमला

मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह पर हमला बोलते हुए कहा कि एक ओर जहां श्री कमलनाथ सुंदरकांड करा रहे हैं, वहीं श्री सिंह ‘लंकाकांड’ में व्यस्त हैं।

डॉ मिश्रा ने ट्वीट में लिखा है ‘एक ओर श्री कमलनाथ जी सुंदरकांड करा रहे हैं तो दूसरी ओर दिग्विजय सिंह जी लंकाकांड में व्यस्त हैं। इतिहास गवाह है कि जब जब कोई धार्मिक कार्य होता है तो आसुरी शक्तियां विघ्न बाधाएं डालती हैं। कमोवेश ये उसी तरह की राजनीति है, भगवान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।’

उन्होंने कहा कि ‘श्री दिग्विजय सिंह जी को फ्री कंसल्टेंसी खोल लेनी चाहिए। वे सबको सुबह से शाम तक सलाह ही देते रहते हैं। अब श्री राहुल गांधी पता नहीं कौन सी यात्रा निकालें, कहीं उत्तराखंड की यात्रा पर न चले जाएं।’

श्री दिग्विजय सिंह ने आज अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम को लेकर सिलसिलेवार ट्वीट किए हैं।

श्री मिश्रा ने श्री दिग्विजय सिंह के आज अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास को लेकर मुहूर्त को लेकर किए गए ट्वीट के संदर्भ में ट्वीट करते हुए लिखा है ‘करोड़ों राम भक्तों की आस्था से खेलने के बजाय ज्योतिषाचार्य दिग्विजय सिंह जी को कुछ और शुभ मुहूर्त निकालने के सुझाव…’ श्री मिश्रा ने आगे लिखा है ‘-अगला कौन नेता हताश होकर कांग्रेस छोड़ेगा? – पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा? – वो खुद किस मुहूर्त में पार्टी छोड़ेंगे?’

मंदिर निर्माण में बाधा डालने के लिए अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं कांग्रेसी : विहिप

विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर हमला करते हुए आज कहा कि राम मंदिर निर्माण शुरू होने से वह सन्निपात की स्थिति हैं और अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस को समझ लेना चाहिए कि भूमि पूजन और निर्माण कार्य शिखर कलश की स्थापना तक रुकने वाला नहीं है।

विहिप के संयुक्त महामंत्री डाॅ. सुरेन्द्र जैन ने श्री सिंह द्वारा पांच अगस्त को अशुभ मुहूर्त बताये जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यहां कहा कि कांग्रेस की ओर से इस प्रकार की शरारतें पहले भी होती रही हैं। इन्हीं लोगों ने 10 नवंबर 1989 को शिलान्यास के मुहूर्त पर भी सवाल उठाये थे लेकिन वह मुहूर्त कितना शुभ था, यह आज सिद्ध हो गया जब 492 वर्ष का संघर्ष फलीभूत हो रहा है। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण को अब कोई ताकत नहीं रोक सकती है। मंदिर के शिखर कलश की स्थापना तक यह कार्य अनवरत चलने वाला है।

राम मंदिर भूमि पूजन में सरकारी भागीदारी संविधान का उल्लंघन: माकपा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए भूमि पूजन समारोह में केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन की भागीदारी को संविधान का उल्लंघन बताया है और कहा है कि इस तरह की कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है।

माकपा पोलित ब्यूरो ने सोमवार को यहां जारी बयान में कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक न्यास करेगा। इसलिए भूमि पूजन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे उच्च स्तरीय व्यक्ति का शामिल होना उच्चतम न्यायालय और संविधान की भावना के खिलाफ है।

अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन से पूर्व सोमवार से ही शुरू हो गई पूजा ,अयोध्या नगरी में चहुँ ओर उल्लास का वातावरण,पूरी अयोध्या में छाया पीला रंग attacknews.in

अयोध्या 03 अगस्त ।अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का भूमि पूजन पांच अगस्त को होगा लेकिन पूजा का कार्यक्रम आज से ही शुरू हो गया जो 5 अगस्त तक चलेगा ।

समूची अयोध्या रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के उल्लास में डूबी नजर आ रही है। घर-घर में तैयारी और उल्लास का माहौल है। भूमिपूजन शुरू हो चुका है। सड़कों-गलियों से लेकर छतों पर केसरिया पताके लहरा रही हैं। दीवारों पर रामायणकालीन नयनाभिराम दृष्य रामनगरी की अलौकिकता बयां कर रहे हैं। पूरे अयोध्या को पीले रंग में रंग दिया गया है ।

साकेत कॉलेज से भूमि पूलन स्थल तक हर घर ओर दुकानों का रंग पीला किया गया हे । यहां तक कि बिजली के पोल भी पीले नजर आ रहे हैं ।

योगी ने की मोदी के अयोध्या दौरे के तैयारियों की समीक्षा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अयोध्या में पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन के कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की।

श्री योगी ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान पूर्ण रूप से कोविड-19 के प्रोटोकाॅल का पालन किया जाये तथा सोशल डिस्टेंसिग पर विशेष बल दिया जाये। मुख्य स्थलों जैसे-हेलीपैड, हनुमानगढ़ी, श्रीराम जन्मभूमि परिसर आदि सहित अलग-अलग स्थानों पर वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया जाये। जहां जिसकी तैनाती हो वे वहां पर एलर्ट रहें। मैन पावर की आवश्यकता हो तो शासन के विशेष स्तर के अधिकारियाें, अन्य समकक्ष या पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारियाें की ड्यूटी लगाई जाए।

राम मंदिर का भूमि पूजन ‘ऐतिहासिक और भावनात्मक’ आयोजन :योगी आदित्यनाथ

अयोध्या में भूमि पूजन को ‘ऐतिहासिक और भावनात्मक’ आयोजन बताते हुये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि इस दौरान कोविड-19 के नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा और अनुरोध किया कि जो लोग आमंत्रित हैं, वही अयोध्या आएं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को अयोध्या के दौरे पर रहे । वह पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वहां मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम के मद्देनजर तैयारियों का जायजा लेने रामलला की नगरी पहुंचे।

योगी ने कहा, ‘यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक है बल्कि एक भावनात्मक क्षण है क्योंकि पांच सौ साल बाद राम मंदिर का काम आरंभ होने जा रहा है। यह नवभारत का निर्माण होगा। इस आयोजन के दौरान कोविड-19 के नियमों का पालन किया जाएगा। मैं अपील करता हूं केवल जो लोग आमंत्रित हैं वह ही अयोध्या आएं, बाकी लोग अपने-अपने स्थानों पर रहें।’ उन्होंने कहा, ‘चार और पांच अगस्त को हम लोग दीये जलायें, मंदिरों को सजायें, दीपोत्सव मनायें और रामायण का पाठ करते हुये उन लोगों को याद करें जिन्होंने मंदिर के लिये अपने प्राणों की आहुति दी ।’ उन्होंने कहा कि तैयारियों में किसी तरह की कमी नहीं रहने दी जाएगी और ”मैं तैयारियों की समीक्षा करने ही आज यहां आया हूं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के 135 करोड़ लोगों का नेतृत्व कर रहे है, इसलिये हर एक को अपने घर और आश्रम में रहना चाहिए ताकि कार्यक्रम का सफल आयोजन हो सके ।

अयोध्या आने के इच्छुक भक्तों को आश्वस्त करते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘कोरोना महामारी खत्म होने के बाद एक ऐसा कार्यक्रम बनाया जाएगा जिससे हर जिले के लोग यहां आ सकें ।’ कांग्रेस का नाम लेते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग ‘नकारात्मक टिप्पणियां’ कर रहे हैं, वह केवल मंदिर निर्माण के कार्य में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री दोपहर बाद अयोध्या पहुंचे और उन्होंने भूमि पूजन स्थल का निरीक्षण कया। वह हनुमानगढ़ी भी गये वहां उन्होंने पूजा अर्चना की और तैयारियों के बाबत अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये ।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से आयोजन स्थल पर तैयारियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली ।

मुख्यमंत्री को रविवार को अयोध्या जाना था लेकिन उप्र की कैबिनेट मंत्री कमला रानी वरूण के निधन के कारण उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया था।

पांच अगस्त को अभेद्य दुर्ग में तब्दील होगी राजा राम की अयोध्या

उत्तर प्रदेश में भगवान राम की नगरी अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच अगस्त को भूमि पूजन के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है।

अधिकृत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पांच अगस्त को नरेन्द्र मोदी के अयोध्या आगमन और राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम को देखते हुए पूरे जिले को अभेद किले में तब्दील कर दिया गया है। चप्पे-चप्पे पर निगरानी की जा रही है। इतना ही नहीं भूमि पूजन वाले दिन एक साथ पांच लोग इकट्ठा नहीं होंगे और एक दिन पहले ही अयोध्या की सीमायें सील कर दी जायेंगी। यानी जितने भी आमंत्रित मेहमान होंगे वह चार अगस्त अयोध्या पहुंच जायेंगे।

भूमिपूजन के कार्यक्रम में सीमित संख्या में किये गये है आमंत्रित: डॉ0 शर्मा

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा है कि कोविड-19 के मद्देनजर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के भूमिपूजन कार्यक्रम में सीमित संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया है।

डॉ0 शर्मा ने सोमवार को यहां लोकभवन में बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भव्य और दिव्य श्रीराम मन्दिर की आधारशिला पांच अगस्त को अयोध्या धाम में रखी जाएगी। कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा भूमिपूजन/शिलान्यास के कार्यक्रम के लिए सीमित संख्या में महानुभाव आमंत्रित किये गये हैं।

बाबरी के पक्षकार को भी भूमि पूजन का आमंत्रण

राम जन्मभूमि की जमीन के मालिकाना हक के मुकदमें में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को भी राममंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में शामिल होने का आमंत्रण मिला है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होने वाले ऐतिहासिक भूमि पूजन को लेकर अयोध्या उत्सव में लीन है। आयोजन को लेकर हर धर्म के लोगों में खुशी का माहौल है। आमंत्रण मिलने के बाद इकबाल अंसारी ने कहा कि यह प्रभू राम की इच्छा थी कि मुझे भी बुलाया गया ।

अयोध्या में श्री राम मंदिर भूमि पूजन में बस्ती की पवित्र माटी और जल भी

उत्तर प्रदेश के बस्ती मंडल के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों से मिट्टी और जल अयोध्या में बनने वाले श्री राम मंदिर भूमि पूजन शिलान्यास में शामिल करने के लिए भेजा गया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे भारतीय जनता पार्टी भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र नाथ तिवारी ने आज यहां कहा कि बस्ती मंडल के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों से मिट्टी और जल एकत्र कर अयोध्या में बनने वाले श्री राम मंदिर भूमि पूजन में भेजा गया है।

उन्होंने कहा कि बस्ती जिले के ऐतिहासिक मखौड़ा धाम से मिट्टी और मनोरमा नदी का पवित्र जल,श्रृंगी नारी धाम से शांता देवी मंदिर की मिट्टी, रामरेखा नदी का पवित्र जल तथा लालगंज क्षेत्र में स्थित उदालक मुनि की तपोस्थली शेर संगम का पवित्र जल और बाबा मुक्तेश्वर नाथ शिव मंदिर से पवित्र मिट्टी , सिद्धार्थनगर जिले के श्री राम के भाई भरत की तपोस्थली भारत भारी से पवित्र मिट्टी और जल कलश गौतम बुद्ध की जन्मस्थली कपिलवस्तु से मिट्टी और जल ,संत कबीर नगर जिले के सूफी संत कबीर दास की तपोस्थली मगहर की मिट्टी और आमी नदी का पवित्र जल अयोध्या भेज कर श्री राम जन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के पदाधिकारियों को सौंपा गया है।

नरेन्द्र गिरि को श्रीराम मंदिर भूमि पूजन का न्योता

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी अयोध्या में पांच अगस्त को श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।

महंत गिरि ने रविवार को बताया कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव संपत राय ने कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए उन्हें निमंत्रण पत्र भेजा है। वह और अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी चार अगस्त को अयोध्या में संपन्न होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए प्रस्थान करेंगे।

शिवराज का अनुरोध, चार अगस्त की रात में दीपमालाएं जलाएं

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ होने पर पूरे देशवासी प्रसन्न हैं। उन्होंने सभी से चार अगस्त की रात्रि में अपने अपने घर पर दीपमालाएं अौर विद्युत बल्व की लड़ियां लगाने का अनुरोध किया है।

श्री चौहान ने ट्वीट के माध्यम से कहा है ‘हम पर प्रभु श्रीराम की असीम कृपा है। राम हमारे अस्तित्व हैं, राम हमारे आराध्य हैं, राम हमारे भगवान हैं और राम भारत की पहचान हैं। मैं और देश-प्रदेश की जनता पाँच अगस्त की उस शुभ घड़ी का इंतज़ार कर रहे हैं जिसके लिए असंख्य लोगों ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया।

राम मंदिर निर्माण के लिये मुसलमानो ने भी उठाई थी आवाज़

उत्तर प्रदेश में राम की नगरी अयोध्या में पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन के साथ सदियों पुराना सपना पूरा हो जायेगा लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि रामपुर के मुसलमानो ने मंदिर निर्माण के समर्थन में दिल्ली के जंतर मंतर में आवाज उठायी थी।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले रामपुर के मुसलमान श्रीमान मंदिर निर्माण के समर्थन में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने में शामिल हुए थे। भव्य राम मंदिर की मांग की मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के तत्कालीन ज़िला संयोजक फैसल मुमताज़ के नेतृत्व में दर्जनों मुसलमानों ने कार्यक्रम में शिरकत की थी। देश में पहली बार ऐसा हुआ था की देश के मुसलमान पहली बार किसी इतनी जटिल समस्या के समाधान की लीड कर रहे थे। इनका नारा था “मुसलमानों ने ठाना है झगड़े को हमेशा के लिए मिटाना है।”

रामचन्द्र परमहंस दास द्वारा दान की गयी शिला से हो भूमि पूजन : सुरेश दास

दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में मंदिर आंदोलन के प्रणेता स्वामी रामचन्द्र परमहंस दास द्वारा वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी गयी शिला का उपयोग किया जाये।

महंत सुरेश दास ने श्री मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि मंदिर आंदोलन के जनक साकेतवासी स्वामी रामचन्द्र परमहंस दास ने वर्ष 1949 में विवादित स्थल पर मूर्ति रखी, 1989 में शिलान्यास करने और 2002 में शिलादान कर मंदिर आंदोलन को आगे बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। कानूनी अड़चन की वजह से शिला को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दूत शत्रुधन सिंह ने स्वीकार किया था।

जौनपुर : दस हजार दीपों से जगमग होगा सीता का प्रिय नगर शाहगंज

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के लिए भूमि पूजन के अवसर पर माता सीता को प्रिय शाहगंज नगर दस हजार से अधिक दीपों से जगमग होगा। हर तरफ भव्य सजावट की जाएगी। सभी प्रमुख मंदिरों को सजाया जाएगा। इसकी तैयार जोरों पर चल रही है।

शाहगंज नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश जायसवाल के साथ ही नगर के अन्य लोगों व नगरपालिका अध्यक्ष गीता जायसवाल व उनके पति प्रदीप जायसवाल द्वारा तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके लिए पूर्व अध्यक्ष ने दस हजार मिट्टी के दीये मंगवाएं हैं। जिसका वितरण रविवार से नगर क्षेत्र में घर-घर कराया जा रहा है। सोमवार को स्वयं नगरपालिका अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष के द्वारा नगर में वितरण किया जा रहा है।

शिलान्यास के समय सरयू के किनारे पर रहेंगी उमा

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने आज कहा कि जबसे उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य भाजपा नेताओं के कोरोना पॉजीटिव होने के बारे में सुना है, तबसे वे अयोध्या में मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के लिए चिंतित हैं। वे शिलान्यास कार्यक्रम के मुहूर्त पर अयोध्या में सरयू नदी के किनारे पर रहेंगी।

सुश्री भारती ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा है ”कल जबसे मैंने श्री अमित शाह जी तथा भाजपा उप्र के नेताओं के बारे में कोरोना पोज़िटिव होने का सुना, तभी से मैं अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास में उपस्थित लोगों के लिये ख़ासकर श्री नरेंद्र मोदी जी के लिए चिंतित हूं। मैं भोपाल से आज रवाना होऊंगी।

कल शाम अयोध्या पहुँचने तक मेरी किसी संक्रमित व्यक्ति से मुलाकात हो सकती हैं, ऐसी स्थिति में जहाँ नरेंद्र मोदी और सैकड़ों लोग उपस्थित हों, मैं उस स्थान से दूरी रखूँगी तथा नरेंद्र मोदी और सभी समूह के चले जाने के बाद ही मैं रामलला के दर्शन करने पहुँचूँगी। इसलिए मैंने रामजन्मभूमि न्यास के अधिकारियों को सूचना दी है कि शिलान्यास के कार्यक्रम के मुहूर्त पर मैं अयोध्या में सरयू के किनारे पर रहूंगी।”

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती को मंदिर के भूमि पूजन पर मिला आमंत्रण

उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के विशिष्ट अतिथियों में स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती को भगवान श्री राम के मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर भी आमंत्रण मिला है।

आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यहां बताया कि स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती को भगवान श्री राम के मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर भी आमंत्रण मिला है। मूल रूप से खड्डा क्षेत्र के रामपुर गोनहा में जन्मे स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती को मिले इस आमंत्रण से क्षेत्र के लोग आह्लादित हैं। इससे पहले कुशीनगर के प्रोफेसर विनय पांडेय को भी भूमि पूजन के लिए आमंत्रण मिल चुका है।

कुशीनगर: होटल पथिक निवास से कुक,और वेटर को बुलाया गया अयोध्या

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के कुशीनगर स्थित होटल पथिक निवास से कुक संजीव बंदोपाध्याय और वेटर तोप बहादुर थापा को अयोध्या बुलाया गया है। रामजन्म भूमि शिलान्यास को लेकर आयोजित कार्यक्रम को लेकर पर्यटन निदेशालय ने अयोध्या स्थित पर्यटन विभाग होटल राही यात्री निवास में इनकी ड्यूटी लगाई है।

आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यहां बताया कि कुक संजीव बंदोपाध्याय योध्या के लिए रवाना हो गए हैं, जबकि वेटर तोप बहादुर थापा आज जाएंगे। वहां छह अगस्त तक ड्यूटी करने के बाद इनकी वापसी होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी पांच अगस्त को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास करेंगे। अयोध्या में पर्यटन निगम के होटल यात्री निवास में भी इससे संबंधित तैयारियां चल रही हैं।

भारत ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय को भारत में कोरोना वायरस के टीके के मानव पर दूसरे-तीसरे चरण के परीक्षण की इजाजत दी attacknews.in

नयी दिल्ली, तीन अगस्त ।भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविड-19 के टीके का भारत में मानव पर दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के लिये सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को मंजूरी दे दी है।

सरकारी अधिकारियों ने बताया कि डीसीजीआई को यह मंजूरी औषधि महानियंत्रक डॉ. वी.जी सोमानी ने रविवार देर रात दी। इससे पहले कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की अनुशंसाओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) का हवाला देते हुए बताया, ‘‘कंपनी को तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल से पहले सुरक्षा संबंधी वह डेटा सीडीएससीओ के पास जमा करना होगा, जिसका मूल्यांकन डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड (डीएसएमबी) ने किया हो। ’’

उन्होंने जानकारी दी, ‘‘इस शोध की रूपरेखा के मुताबिक, शोध में शामिल हर व्यक्ति को चार हफ्ते के अंतर पर दो खुराक दी जाएगी (पहली खुराक प्रथम दिन और दूसरी खुराक 29वें दिन)। इसके बाद निर्धारित अंतराल पर सुरक्षा और शरीर में उत्पन्न हुई प्रतिरक्षा का आकलन किया जाएगा।’’

इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डीसीजीआई ने एसआईआई, पुणे को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका के कोविड-19 टीका (कोविशील्ड) का भारत में दूसरे और तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण करने की मंजूरी दी है तथा यह कोविड-19 का टीका विकसित करने की प्रक्रिया को तेज करेगा।

अधिकारियों ने बताया कि सीडीएससीओ के विशेषज्ञ पैनल ने पहले और दूसरे चरण के परीक्षण से मिले डेटा पर गहन विचार विमर्श करने के बाद ‘कोविशिल्ड’ के भारत में स्वस्थ वयस्कों पर दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की मंजूरी दी।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इस टीके के दूसरे एवं तीसरे चरण का परीक्षण अभी ब्रिटेन में चल रहा है। तीसरे चरण का परीक्षण ब्राजील में और पहले तथा दूसरे चरण का परीक्षण दक्षिण अफ्रीका में चल रहा है।

दूसरे एवं तीसरे चरण के परीक्षण के लिए एसआईआई के आवेदन पर विचार करने के बाद एसईसी ने 28 जुलाई को इस संबंध में कुछ और जानकारी मांगी थी तथा प्रोटोकॉल में संशोधन करने को कहा था। एसआईआई ने संशोधित प्रस्ताव बुधवार को जमा करवा दिया।

पैनल ने यह भी सुझाव दिया है कि क्लीनिकल ट्रायल के लिए स्थलों का चुनाव पूरे देशभर से किया जाए।

एसआईआई के संशोधित प्रस्तावित के मुताबिक 17 चुने गये स्थानों पर परीक्षण में 18 वर्ष से अधिक आयु के 1600 लोग हिस्सा लेंगे। देश भर में स्थित इन स्थानों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली भी शामिल है।

अशोक गहलोत ने जैसलमेर में “बाड़ाबंदी”में रखें विधायकों को होटल में एक-दूसरे को राखी बंधवाकर त्यौहार मनाकर जयपुर में बोले:लोकतंत्र बचाने के लिए यह सब किया attacknews.in

जैसलमेर 03 अगस्त । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं कांग्रेस विधायकों ने आज यहां होटल में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जिसमें इनके परिवार के सदस्य नहीं थे ।

होटल में ही विधायक एकत्र हुए और महिला विधायकों ने राखी बांधी। महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने श्री गहलोत को राखी बांधी। इस मौके विधायक कृष्ण पूनियां, शंकुतला रावत,, गंगा देवी सहित अन्य महिला विधायकों ने अन्य विधायकों के राखी बांधी। विधायक राजकुमार की बहन ने होटल में आकर अपने भाई के राखी बांधी।

रक्षाबंधन के दिन विधायको के घर नहीं पहुंचने पर खेद है-गहलोत

इधर जयपुर में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रक्षाबंधन के दिन विधायकों के घर पर नहीं पहुंचने के लिए खेद व्यक्त करते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र बचाने के लिए यह सब किया जा रहा है।

श्री गहलोत आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में ये परिस्थिति क्यों बनी है सबको मालूम है। हमारी सबकी प्रायोरिटी है देश में लोकतंत्र मजबूत बने, हम सबकी देशवासियों की हो, प्रदेशवासियों की, हर व्यक्ति की प्रायोरिटी है और डेमोक्रेसी बचाने के लिए सबकुछ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता पूरे खेल को देख रही है, जिस रूप में सरकार को टॉपल करने का प्रयास किया गया।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने खिलाड़ियों की उम्र का लिया निर्णय,अब कोई भी खिलाड़ी द्वारा उम्र संबंधी धोखाधड़ी स्वीकार करने पर सजा नहीं मिलेगी attacknews.in

मुंबई, 03 अगस्त । भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने क्रिकेट में उम्र धोखाधड़ी रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कहा है कि जो खिलाड़ी उम्र धोखाधड़ी को स्वीकार कर लेते हैं और अपना सही जन्म प्रमाणपत्र दिखाते हैं उन्हें कोई सजा नहीं दी जायेगी और उन्हें उनके सही आयु वर्ग में खेलने दिया जाएगा।

बीसीसीआई ने सोमवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा कि उम्र और डोमिसाइल में धोखाधड़ी करने में कड़ी कार्रवाई की जायेगी जिसके तहत अगर कोई खिलाड़ी अपनी उम्र छिपाकर खेलता है तो उस पर दो साल का प्रतिबंध लगाया जाएगा। उम्र और डोमिसाइल की धोखाधड़ी को रोकने के लिए बीसीसीआई ने 2020-21 सत्र के लिए कुछ नए और कड़े नियम बनाए हैं।

इस नियम के तहत पहले से पंजीकृत खिलाड़ियों के लिए स्वैच्छिक प्रकटीकरण योजना तैयार की गयी है। इस योजना के अंतर्गत जो भी खिलाड़ी इस समय अपनी उम्र छिपाकर गलत उम्र वर्ग में खेल रहे हैं और अगर वे सामने आकर इस बात को स्वीकार करते हैं और अपना सही जन्म प्रमाण पत्र दिखाते हैं तो उन्हें माफ़ी देकर उनके सही ग्रुप में डाल दिया जाएगा। इसके लिए खिलाड़ियों को एक पत्र लिख उसमें हस्ताक्षर कर भेजना होगा या बीसीसीआई उम्र वैरिफिकेशन विभाग को ई-मेल भेजना होगा। इसकी अंतिम तारीख इस साल 15 सितंबर है।

हालांकि अगर खिलाड़ी इस बीच अपना सही उम्र प्रमाण पत्र जारी नहीं करते हैं और उनके जन्म प्रमाण पत्र गलत पाए जाते हैं तो बीसीसीआई कार्रवाई करते हुए उस खिलाड़ी पर दो साल का प्रतिबंध लगाएगा। इसके अलावा प्रतिबंध खत्म होने पर वह खिलाड़ी बीसीसीआई के ग्रुप वर्ग और राज्य के टूर्नामेंट में भी नहीं भाग ले पाएगा।

2020-21 सत्र के बाद बीसीसीआई और राज्य इकाइयों में किसी भी क्रिकेट मैच के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र देने वाले किसी भी खिलाड़ी पर दो साल का प्रतिबंध लगाया जाएगा जबकि निलंबन पूरा होने के बाद ऐसे खिलाड़ियों को बीसीसीआई के आयु समूह टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही राज्य इकाइयों द्वारा आयोजित आयु समूह टूर्नामेंट भी यह खिलाड़ी भाग नहीं ले सकेंगे।

इन खिलाड़ियों के अलावा कोई भी सीनियर पुरुष या महिला खिलाड़ी डोमिसाइल धोखाधड़ी में संलिप्त पाए जाते हैं तो उन पर दो साल का प्रतिबंध लगाया जाएगा। स्वैच्छिक प्रकटीकरण योजना हालांकि डोमिसाइल धोखाधड़ी में लागू नहीं होगी।

बीसीसीआई अंडर-16 आयु वर्ग ग्रुप टूर्नामेंट के लिए सिर्फ उन खिलाड़ियों को पंजीकृत किया जाएगा जिनकी उम्र 14 से 16 वर्ष की है। अंडर-19 आयु ग्रुप में अगर कोई खिलाड़ी अपना पंजीकरण अपने जन्म के दो साल या उससे ज्यादा के बाद कराता है जैसा उनके जन्म प्रमाण पत्र में दर्ज होगा तो बीसीसीआई अंडर-19 टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति दी गई वर्ष की संख्या पर प्रतिबंध रहेगा। इसके लिए बीसीसीआई ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है जो 24 घंटे खुला रहेगा। कोई व्यक्ति 9820556566 / 9136694499 नंबर पर फोन कर इसकी शिकायत कर सकता है।

बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने कहा है कि सभी आयु वर्गों में समान उम्र के खिलाड़ी ही खेलने चाहिए और जो धोखाधड़ी करते हैं उन्हें सजा देने की जरूरत है। गांगुली ने कहा कि बीसीसीआई उम्र धोखाधड़ी को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी और आगामी घरेलू सत्र में कड़े नियम लागू किये जाएंगे। जो खिलाड़ी खुद सामने आकर गलती नहीं स्वीकार करते हैं उन्हें दो साल के लिए प्रतिबंधित किया जायेगा।

राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के प्रमुख और पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने भी गांगुली के विचारों का समर्थन करते हुए कहा है कि जिन खिलाड़ियों ने गलती की है उन्हें सामने आकर अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए जिससे उन्हें कोई सजा नहीं मिलेगी और उनका करियर भी चलता रहेगा।

भारत के अंडर-19 विश्व कप के स्टार मनजोत कालड़ा उम्र धोखाधड़ी का सबसे ताजा उदहारण है जिन्हें दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने एक साल के लिए प्रतिबंधित किया था। नीतीश राणा दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने को लेकर संदेह के घेरे में थे और उन्हें सही दस्तावेज जमा कराने के लिए और समय दिया गया था। उत्तर प्रदेश ने शिवम मावी का मामला बीसीसीआई पर छोड़ दिया था जबकि जम्मू-कश्मीर ने रसिख सलाम पर इसी अपराध के लिए दो साल का प्रतिबंध लगा दिया था।