सदी के महानायक,बाॅलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन 78 के हुये,सात हिन्दुस्तानी से शुरु हुआ सफर “एंग्री यंगमैन” से कभी नहीं रूकने के ब्रह्मास्त्र के साथ जारी है attacknews.in

मुंबई, 11 अक्टूबर ।बॉलीवुड में पांच दशक से अपने अभिनय के जादू से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले महानायक अमिताभ बच्चन आज 78 साल के हो गये।

11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में जन्मे अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत कोलकत्ता में बतौर सुपरवाइजर की, जहां उन्हें 800 रुपये मासिक वेतन मिला करता था। वर्ष 1968 में कलकत्ता की नौकरी छोड़ने के बाद वह मुंबई आ गये।

बचपन से ही अमिताभ बच्चन का झुकाव अभिनय की ओर था और दिलीप कुमार से प्रभावित रहने के कारण वह उन्हीं की तरह अभिनेता बनना चाहते थे।

वर्ष 1969 में अमिताभ बच्चन को पहली बार ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिंदुस्तानी में काम करने का मौका मिला। लेकिन इस फिल्म के असफल होने के कारण वह दर्शकों के बीच कुछ खास पहचान नहीं बना पाये।

वर्ष 1971 में अमिताभ बच्चन को राजेश खन्ना के साथ फिल्म आनंद में काम करने का मौका मिला। राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार के रहते हुये भी अमिताभ बच्चन दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे। इस फिल्म के लिये उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया।

निर्माता प्रकाश मेहरा की वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म जंजीर अमिताभ बच्चन के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। फिल्म की सफलता के बाद बतौर अभिनेता अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। फिल्म जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ बच्चन की गिनती अच्छे अभिनेता के रूप में होने लगी और वह फिल्म उद्योग में एंग्री यंग मैन कहे जाने लगे।

वर्ष 1975 में यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म दीवार ने अमिताभ बच्चन की पिछली सभी फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ दिये और शोले की सफलता के बाद तो उनके सामने सारे कलाकार फीके पड़ने लगे और अमिताभ बच्च्चन फिल्म इंडस्ट्री में सुपर स्टार के सिंहासन पर जा बैठे।

वर्ष 1984 में अपने मित्र राजीव गांधी के आग्रह पर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और इलाहाबाद से सांसद का चुनाव लड़ा तथा सांसद के रूप मे चुन लिये गये।

अमिताभ बच्चन को अधिक दिनों तक राजनीति रास नहीं आई और तीन वर्ष तक काम करने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया । इसकी मुख्य वजह यह थी कि उनका नाम उस समय बोफोर्स घोटाले में खींचा जा रहा था। सासंद के पद से इस्तीफा देने के बाद अमिताभ पुन: फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हो गये ओर उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना जारी रखा लेकिन 90 के दशक के आखिर में उनकी फिल्में असफल होने लगी जिसके बाद अमिताभ बच्चन ने 1997 तक अपने आप को अभिनय से अलग रखा।

वर्ष 1997 में अमिताभ बच्चन ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र मे कदम रखा और एबीसीएल बैनर का निर्माण किया। इसके साथ ही अपने बैनर की निर्मित पहली फिल्म मृत्युदाता के जरिये अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर से अभिनय करना शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2000 में ही टीवी प्रोग्राम कौन बनेगा करोड़पति में भी अमिताभ को काम करने का मौका मिला। कौन बनेगा करोड़पति की कामयाबी के बाद अमिताभ बच्चन एक बार फिर से दर्शकों के चहेते कलाकार बन गये।

अमिताभ बच्चन ने कई फिल्मों में गीत भी गाये है । उन्होंने सबसे पहले वर्ष 1979 मे प्रदर्शित फिल्म मिस्टर नटवर लाल में मेरे पास आओ मेरे दोस्तों गीत गाया था।

अमिताभ की इस वर्ष फिल्म गुलाबो सिताबो प्रदर्शित हुयी है। अमिताभ की आने वाली फिल्मों में ब्रहास्त्र, चेहरे और झुंड शामिल हैं। अमिताभ इन दिनों टीवी पर केबीसी को होस्ट कर रहे हैं।

वेब सीरीज ‘शांताराम’ में काम करेंगे अमिताभ

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन वेब सीरीज में काम करते नजर आ सकते हैं।

कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में कई फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई। दर्शकों के बीच डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का क्रेज बढ़ा है। बॉलीवुड के कई सितारों ने वेब सीरीज की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। अमिताभ बच्चन का नाम भी वेब सीरीज में जुड़ सकता है।

चर्चा है कि अमिताभ बच्चन जल्द ही वेब सीरीज ‘शांताराम’ में नजर आ सकते हैं। इस सीरीज में राधिका आप्टे और चार्ली हन्नम भी नजर आने वाले हैं।

ग्रेगरी डेविड रॉबर्ट्स द्वारा लिखे गए लोकप्रिय उपन्यास ‘शांताराम’ को पिछले 17 सालों से पर्दे पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। वर्ष 2007 में मीरा नायर ने इस पर काम शुरू किया था। जिसमें जॉनी डेप नजर आने वाले थे। अमिताभ इस प्रोजेक्ट का भी अहम हिस्सा थे, लेकिन कुछ कारणों से यह प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा।

बताया जा रहा है कि इस वेबसीरीज में अमिताभ एक अपराधी का किरदार निभाते हुए नजर आयेंगे। इस सीरीज की शूटिंग 2021 से शुरू हो सकती है।

हाथरस मामले में सक्रियता को लेकर भीम आर्मी सवालों के घेरे में,चंद्रशेखर  जांच एजेंसियों के निशाने पर attacknews.in

सहारनपुर, 09 अक्टूबर । पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस में हैवानियत की शिकार पीड़िता के मामले में भीम आर्मी अति सक्रियता के चलते जांच एजेंसियों के निशाने पर आ गयी है।

पिछली 16 सितम्बर को हाथरस के चंदपा क्षेत्र के एक गांव में बाल्मिकी युवती के साथ गैंगरेप और हत्या के आरोपी राजपूत बिरादरी के चार युवक अलीगढ़ जेल में बंद है। इस पूरे मामले को लेकर विपक्षी दलों के साथ साथ सहारनपुर के कस्बा छुटमलपुर निवासी भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर की सक्रियता सवालों के घेरे में आ गई है।

शब्बीरपुर हिंसा के दो.तीन दिन बाद भीम आर्मी ने सहारनपुर नगर में जबरदस्त हिंसा और आगजनी को अंजाम दिया था। कुछ दिनों के भीतर ही पुलिस ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर को हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया था और उस पर रासूका लगा दी गई थी।

हाल ही के कुछ महीनों में चंद्रशेखर ने एक राजनीतिक दल का गठन कर लिया है। चंद्रशेखर को सहारनपुर के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता इमरान मसूद का पूरा समर्थन प्राप्त है।

जेएनयू के छात्रों समेत कम्युनिस्ट पार्टियों का भी चंद्रशेखर को भरपूर समर्थन प्राप्त है।

सहारनपुर के डीआईजी रह चुके डा अशोक कुमार राघव कहते हैं कि उनके समय में ही सहारनपुर में भीम आर्मी और चंद्रशेखर की अलगाववादी सोच और गतिविधियां सामने आनी शुरू हो गई थी। चंद्रशेखर राजपूतों से खासतौर से खुन्नस रखता है। उसने अपने गतिविधियों की शुरूआत ही राजपूतों से भिड़ने उनसे टकराव करने के रूप में की थी।

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदों पर तब फिरा पानी, जब लालू प्रसाद यादव को जमानत तो मिली लेकिन जेल से नहीं आ सकेंगे बाहर जबतक एक ओर प्रकरण की सुनवाई हो नहीं जाती पूरी attacknews.in

रांची 09 अक्टूबर । बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को चाइबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में जमानत मिलने के बाद भी फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाने से बिहार विधानसभा चुनाव में अपने नेता की उपस्थिति की राह देख रहे राजद की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार की अदालत ने राजद अध्यक्ष श्री यादव की ओर से चाइबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में दायर की गई जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने के बाद उन्हें जमानत दे दी। साथ ही अदालत ने श्री यादव को निचली अदालत में दो लाख रुपये जमा कराने तथा रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) को 06 नवंबर तक श्री यादव की मेडिकल रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

श्री यादव की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत से प्रार्थना की चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में श्री लालू यादव ने आधी सजा पूरी कर ली है। इस आधार पर उन्हें जमानत दी जाए। अदालत ने सुनवाई के बाद इस मामले में श्री यादव की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। लेकिन, दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सुनवाई पूरी नहीं होने तक वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे।

बिहार के प्रमुख दलित नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद विधानसभा चुनाव अनिश्चितता वाला हुआ, नीतीश कुमार और तेजस्वी को होने जा रहा है बड़ा नुकसान attacknews.in

नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर । केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में अनिश्चितता का एक और तत्व शामिल हो गया है। वहीं, राजग के घटक दल जद(यू) के खिलाफ सभी सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा करने के बाद से ही यह चुनाव अनिश्चितताओं वाला हो गया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि लोजपा के निष्ठावान दलित मतदाता पासवान के बेटे तथा उनके वारिस चिराग पासवान के साथ किस तरह का जुड़ाव महसूस करते हैं। केंद्रीय मंत्री पासवान के निधन के कारण मतदाताओं के बीच हमदर्दी की भावना भी पैदा हो सकती है।

बिहार के एक नेता ने कहा कि लोजपा अध्यक्ष एवं लोकसभा सदस्य चिराग (37) के सामने ऐसा कोई युवा दलित नेता नहीं है, जिसकी पूरे राज्य में पहुंच हो।

उन्होंने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर कहा, ‘‘इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि चिराग खुद को किस तरह से पेश करते हैं। उनके पिता जमीन से जुड़े व्यक्ति थे तथा आम लोगों की भाषा बोलते थे। अब मतदाता पहले के मुकाबले चिराग की तरफ और ध्यान देंगे।’’

पासवान के निधन के बाद अपने भविष्य पर संभावित प्रभाव को लेकर अगर कोई दल सबसे अधिक चौकन्ना है, तो वह है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत जनता दल (यूनाटेड)। दोनों दलों के बीच कई मुद्दों को लेकर पहले से विवाद चल रहा है।

रामविलास पासवान के निधन से कुछ घंटे पहले, बृहस्पतिवार को लोजपा ने चिराग द्वारा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा पत्र जारी किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कुमार ने उनके पिता का ‘‘अपमान’’ किया और दावा किया कि बिहार के मतदाताओं के बीच उनके (नीतीश के) खिलाफ नाराजगी की लहर है।

हालांकि, इन आरोपों पर जद(यू) की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।

राज्य के दलितों से पासवान का जुड़ाव पांच दशक से भी पुराना है। अब, उनका निधन हो गया और विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, तो ऐसे में कोई भी विरोधी दल लोजपा और उसके युवा तुर्क पर हमला करने का खतरा मोल नहीं लेना चाहेगा।

लोजपा खुद को चुनाव के बाद के परिदृश्य में भाजपा की सहयोगी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत समर्थक के रूप में प्रस्तुत कर रही है, साथ ही वह जद(यू) पर लगातार निशाना साध रही है। सत्तारूढ़ राजग में भाजपा और जदयू सहयोगी दल हैं।

भाजपा ने राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व पर विश्वास व्यक्त किया है, लेकिन अब वह लोजपा के साथ समीकरणों को लेकर दोगुनी सतर्कता बरतेगी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार का पक्ष रखने के लिए अक्सर रामविलास पासवान पर भरोसा करते थे और कई बार तो अनौपचारिक रूप से दलित मुद्दों पर उनके जरिये सरकार का संदेश जनता तक पहुंचाते थे।

भाजपा नेतृत्व पिछले कई वर्षों से रामविलास पासवान को अपना विश्वस्त सहयोगी बताता रहा है और वह उनकी पार्टी के साथ संबंधों में खटास नहीं लाना चाहेगा, जिसकी कमान अब पूरी तरह से चिराग के हाथ में है। स्वयं चिराग भी मोदी के पुरजोर समर्थक माने जाते हैं।

लोकसभा में जमुई का दूसरी बार प्रतिनिधित्व कर रहे चिराग जद(यू) से अलग होने का ऐलान करते हुए इस बात की भी घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी उन सभी सीटों पर किस्मत आजमाएगी, जिन पर जद(यू) अपने उम्मीदवार उतार रही है। जबकि वह भाजपा के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी।

“मक्का” में कोरोना साया के बीच पाबंदियों के ढील के साथ “उमरा” करने की अनुमति सीमित संख्या और सीमित समय के साथ आन-लाइन दी जाना शुरू attacknews.in

रियाद, चार अक्टूबर (एपी) कोरोना वायरस की महामारी की वजह से महीनों से लागू पांबदियों में ढील देने के साथ रविवार को इस्लाम के सबसे पवित्र स्थान मक्का में उमरा करने पारंपरिक सफेद लिबास में लोगों का एक छोटा जत्था पहुंचा।

उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब ने मार्च की शुरुआत में कोविड-19 महामारी के चलते मक्का में उमरा करने पर रोक लगा दी थी जिसमें शामिल होने दुनिया भर के लाखों मुसलमान हर साल मक्का पहुंचते हैं।

हालांकि, सऊदी अरब ने अब इन पाबंदियों में ढील दी है और रविवार से रोजाना अधिकतम 6,000 लोगों को मक्का की विशाल मस्जिद में इबादत करने की अनुमति दी।

सऊदी अरब सरकार ने पहले चरण में केवल सऊदी नागरिकों को ही मक्का की विशाल मस्जिद में इबादत करने की अनुमति दी है और प्रत्येक व्यक्ति केवल तीन घंटे ही परिसर में रह सकता है।

मक्का की मस्जिद में कोविड-19 के मद्देनजर सभी एहतियात बरते जा रहे हैं। दिन में कई बार परिसर को रोगाणु मुक्त किया जा रहा है और मस्जिद आने से पहले यात्री को ऑनलाइन आवेदन कर समय लेना होगा।

भारत में कोरोना वैक्सीन सबसे पहले किसे दी जाएगी,सूची अक्टूबर के अंत तक तैयार हो जायेगी, वैक्सीन के 40 से 50 करोड़ डोज खरीदे जायेंगे और उनका वितरण किया जायेगा attacknews.in

नयी दिल्ली 04 अक्टूबर । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि मंत्रालय एक प्रारूप तैयार कर रहा है, जिसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश उन लक्षित आबादी समूहों की सूची पेश करेंगे, जिन्हें पहले कोरोना वैक्सीन दी जानी चाहिए। इस माह के अंत तक इस सूची के पूरी होने की संभावना है।

डॉ हर्षवर्धन ने संडे संवाद में कहा,“ सरकार युद्धस्तर पर इस दिशा में काम कर रही है कि जब कोरोना वैक्सीन तैयार हो, तो लोगों के बीच इसका समान वितरण सुनिश्चित हो पाये। दुनिया के अन्य देशों की तरह केंद्र सरकार भी इसी बात पर ध्यान दे रही है कि किस तरह हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन मुहैया करायी जाये। इसके लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है, जो कोरोना वैक्सीन के सभी पहलुओं पर ध्यान दे रही है।”

उन्होंने कहा,“स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर एक खाका तैयार कर रहा है कि कोरोना वैक्सीन पहले किनको दी जाये। मंत्रालय फिलहाल एक फॉर्मेट तैयार कर रहा है, जहां राज्य सरकारें उन आबादी समूहों की सूची पेश करेंगी, जिन्हें कोरोना वैक्सीन पहले दी जानी है। इसमें अग्रिम मोर्चे पर डटे कोरोना स्वास्थ्यकर्मी तथा कोरोना के टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट की रणनीति को लागू करने में शामिल कर्मचारी शामिल हाेंगे। उम्मीद है कि यह सूची अक्टूबर के अंत तक तैयार हो जायेगी।”

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि राज्य सरकारों को साथ ही यह निर्देश दिया गया है कि वे काेल्ड चेन फैसिलिटी और कोरोना वैक्सीन के वितरण से संबंधित अन्य आधारभूत ढांचों की पूरी जानकारी भी दें। केंद्र सरकार इसके अलावा वैक्सीन के समुचित और समान वितरण के लिए मानव संसाधन, प्रशिक्षण और निरीक्षण संबंधी क्षमता में विस्तार की योजना पर काम कर रही है। ऐसा अनुमान है कि जुलाई 2021 तक करीब 20 से 25 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जायेगी। यह भी अनुमान जताया गया है कि तब तक कोरोना वैक्सीन के 40 से 50 करोड़ डोज खरीदे जायेंगे और उनका वितरण किया जायेगा।

उन्होंने बताया कि सरकार इन योजनाओं को अंतिम रूप देने के समय कोरोना से संबंधित रोगप्रतिरोधक आंकड़ों पर नजर बनाये हुए है।

पत्रकारों को भी अन्य लोगों जितना है कोरोना का खतरा : हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना वायरस कोविड-19 न देश में फर्क समझता है और न व्यक्ति के पेशे में तथा पत्रकारों को भी कोरोना से उतना ही खतरा है जितना हम लोगों को है और इससे बचाव के लिए उन्हें उन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए जो एक आम इंसान के लिए है।

डॉ हर्षवर्धन ने ‘ कहा,“ हमारे मीडिया के साथी कोरोना वॉरियर्स की श्रेणी में आते हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मीडिया का योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। बीते नौ महीने के दौरान मैंने देखा है कि किस तरह हमारे पत्रकार बंधु और बहनें कोरोना को लेकर देश और समाज को जागरूक बनाने का काम करते रहे हैं।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,“ लेकिन यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि कोरोना न देश में फर्क करता है और न पेशे में इसलिए पत्रकारों को भी कोरोना का खतरा उतना ही है, जितना हम लोगों को है। उन्हें भी उन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए , जो आम इंसान के लिए है। कुछ समय पहले जब यह खबर आयी थी कि बड़े पैमाने पर मीडियाकर्मी कोरोना के शिकार हो रहे हैं तब सरकार ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पत्र लिखकर इस पर चिंता जतायी थी। पत्र में कोरोना से जुड़ी खबर को कवर करने वाले पत्रकारों को कोरोना से सावधानी बरतने की भी सलाह दी गयी थी। उस समय हमने मीडिया संस्थानों को अपने पत्रकारों के बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने काे कहा था।”

उन्होंने कहा,“ चाहे वो मुम्बई के पत्रकार हों या फिर दिल्ली के, मेरी सभी मीडियाकर्मियों से अपील है कि काम करते हुए वे कोरोना से बचाव के सभी तरीकों को अपनायें। जब वे किसी राजनेता और अन्य का बयान अपने कैमरे पर रिकॉर्ड करते हैं, तो उन्हें कुछ सावधानी बरतनी चाहिए। पत्रकारों को चाहिए कि वे मिलकर आपस में यह तय कर लें कि वे छह फुट की दूरी बनाकर रखेंगे ताकि वे एक दूसरे के संपर्क में न आयें। सामाजिक दूरी का ख्याल रखें और चेहरा ढंकने के लिए फेस मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।”

अफवाहाें पर ध्यान न दें, कोरोना का उपचार करायें: हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन ने  कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण मौत होने पर मरीजों के अंग निकाले जाने के संबंध में पंजाब में फैली अफवाह राज्य के मरीजों के लिए घातक साबित हो सकती है इसलिए कोरोना संक्रमितों काे अफवाहों पर ध्यान न देकर अपना उपचार कराना चाहिए।

डॉ़ हर्षवर्धन से एक व्यक्ति ने सवाल पूछा कि पंजाब में यह अफवाह तेजी से फैल रही है कि कोरोना वायरस एक बहाना है, जिन लोगों को यह बीमारी नहीं है, कोविड-19 के सहारे उन्हें मारा जा रहा है और उनके अंग निकाल लिये जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इन बातों में कोई दम नहीं है और ये सिर्फ अफवाहें हैं।

आमतौर पर दो डोज वाली वैक्सीन होती है ज्यादा प्रभावी: हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन ने आज कहा कि किसी भी महामारी को नियंत्रित करने में दो खुराक वाली वैक्सीन ज्यादा प्रभावी साबित होती है।

डॉ़ हर्षवर्धन ने कहा कि किसी भी महामारी को नियंत्रित करने में एक खुराक वाली वैक्सीन की अपेक्षा दो खुराक वाली वैक्सीन ज्यादा कारगर साबित होती है। वैक्सीन की पहली खुराक व्यक्ति में अपेक्षित मात्रा में रोगप्रतिरोधक क्षमता का निर्माण नहीं कर पाती है जबकि दूसरी खुराक देने पर अपेक्षित मात्रा में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।

डॉ हर्षवर्धन की अपील: प्लाज्मा दान करने से न घबरायें लोग

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन ने आज कहा कि कोरोना संक्रमण मुक्त हुए लोगों को प्लाज्मा दान करने से घबराना नहीं चाहिए क्याेंकि यह रक्तदान से भी आसान है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि लोग प्लाज्मा देने से कतराते हैं क्योंकि शायद उन्हें इससे कुछ डर लगता है। केंद्रीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कुछ चुनिंदा संस्थानों को ही प्लाज्मा थेरेपी के परीक्षण की मंजूरी दी है। प्लाज्मा के दानकर्ता को तलाशना मुश्किल काम है क्याेंकि इसके लिए लोग आगे नहीं आते हैं।

मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में महिला के साथ गैंगरेप मामले में 2 पुलिस अधिकारी समेत सात गिरफ्तार, विवादित पुलिस अधिकारियों को हटाया गया attacknews.in

नरसिंहपुर, 03 अक्टूबर । मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा तहसील के रीछई गांव में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और इसके बाद पीड़ित द्वारा आत्महत्या की घटना के सिलसिले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने के अलावा पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गयी है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार 28 सितंबर को महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में कल अरविंद, मोतीलाल, अनिल, पुरुषोत्तम और एक महिला लीला बाई को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की गयी है।

नरसिंहपुर में महिला दुष्कर्म मामले में दो पुलिस कर्मचारी गिरफ्तार

नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा तहसील के तहत आने वाले गोटीटोरिया पुलिस चौकी के तत्कालीन प्रभारी मिश्रीलाल कुडोपे और चीचली थाने के तत्कालीन प्रभारी अनिल सिंह को पुलिस ने आज एक दलित महिला के उत्पीड़न की घटना के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार रीछई गांव की महिला उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद गोटीटोरिया पुलिस चौकी शिकायत दर्ज कराने गयी थी, लेकिन तत्कालीन चौकी प्रभारी एवं सहायक उप निरीक्षक मिश्रीलाल कुडोपे ने उसकी सुनवायी नहीं की। महिला चीचली थाने भी पहुंची थी, लेकिन वहां भी सुनवायी नहीं हुयी। इस घटना के बाद महिला ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद चौकी प्रभारी को हटाकर निलंबित कर दिया गया और उसके खिलाफ चीचली थाने में प्राथमिकी भी दर्ज की गयी। आज उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया।

नरसिंहपुर के विवादित पुलिस अधिकारियों को हटाया गया

इसके साथ ही  इस सामुहिक दुष्कर्म और उसके बाद पीड़िता द्वारा आत्महत्या के मामले में राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए दो पुलिस अधिकारियों का तबादला आदेश आज जारी कर दिया।

नरसिंहपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश तिवारी को पुलिस मुख्यालय भोपाल में सहायक पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पदस्थ किया गया है। इसके अलावा जिले के गाडरवारा में पदस्थ अनुविभागीय पुलिस अधिकारी सीताराम यादव को भी पुलिस मुख्यालय में उप पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थ किया गया है।

हाथरस गैंगरेप हत्या मामले में SIT ने जांच पूरी की, अब मीडिया को पीड़िता के गांव में प्रवेश की अनुमति, जांच होने तक नेताओं समेत बाहरी लोगों का रोका गया था प्रवेश attacknews.in

हाथरस, तीन अक्टूबर । हाथरस में 19 वर्षीय किशोरी के कथित सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी मौत के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी तफ्तीश पूरी कर ली है। हाथरस प्रशासन के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि प्रशासन ने पीड़िता के गांव में मीडिया के प्रवेश पर लगी रोक भी हटा ली है। एक दिन पहले ही एसआईटी जांच जारी रहने के कारण नेताओं समेत बाहरी लोगों को लड़की के परिवार से मुलाकात के लिए जाने से रोक दिया गया था।

संयुक्त मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एसआईटी की जांच पूरी हो गयी है और केवल मीडिया को गांव में प्रवेश की अनुमति दी गयी है।’’

उन्होंने इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि प्रशासन ने लड़की के परिवार की घेराबंदी कर रखी है और उनके फोन जब्त कर लिए हैं।

अधिकारियों ने कहा कि घटना पर देशभर में आक्रोश के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था जिसे 14 अक्टूबर तक रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया है।

हाथरस प्रशासन ने बृहस्पतिवार को सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी थी जिसके तहत जिले में चार या उससे अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध है।

कथित सामूहिक बलात्कार की घटना के करीब एक पखवाड़े बाद इस सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली के एक अस्पताल में लड़की की मौत हो गयी थी।

एसआईटी की रिपोर्ट आते ही कार्रवाई करेगी योगी सरकार : ईरानी

वाराणसी में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने हाथरस सामूहिक दुष्कर्म को लेकर हो रही राजनीति की निंदा करते हुए आज कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस मामले में विशेष जांच दल ( एसआईटी ) गठित कर दी है और जांच रिपोर्ट के आते ही तुरंत यथोचित कार्रवाई की जाएगी।

श्रीमती ईरानी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने खुद मख्यमंत्री से बात की है। मुख्यमंत्री ने एसआईटी का गठन किया है और आरंभिक रिपोर्ट पर हाथरस के पुलिस अधीक्षक को निलंबित भी किया है।

उन्होंंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोषियों को सज़ा देने के सख्य कदम उठाएँगे और हाथरस घटना में पीड़िता को जरूर न्याय मिलेगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पत्नी मेलानिया के कोरोना संक्रमित होने से राष्ट्रपति चुनाव अभियान पर पड़ा असर attacknews.in

वाशिंगटन,02 अक्टूबर । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप कोरोना संक्रमित हो गए हैं।

श्री ट्रंप ने शुक्रवार को स्वयं ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। राष्ट्रपति ट्रंप ने लिखा,” मैं और मेरी पत्नी मेलानिया ट्रंप कोरोना संक्रमित हो गए हैं। हमारे कोरोना वायरस नमूनों का परीक्षण पॉजिटिव आया है। हमनें अपना क्वारंटीन और वायरस से उबरने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दी है। हम वायरस को मात देकर साथ में जीतेंगे।”

अमेरिका में अगले माह राष्ट्रपति चुनाव भी होने हैं। ऐसे में श्री ट्रंप और देश की पहली महिला का कोरोना संक्रमित होने से चुनाव अभियान पर भी असर पड़ सकता है।

विश्व में अमेरिका महामारी से सर्वाधिक प्रभावित हैं। यहां कोरोना संक्रमण के मामले और इससे मरने वालों की संख्या दुनिया भर के देशों में सबसे अधिक है।

इससे पहले श्री ट्रंप ने कहा था कि वह और उनकी पत्नी मेलानिया कोरोना वायरस परीक्षण की रिपोर्ट आने तक क्वारंटीन रहेंगे। श्री ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार होप हिक्स कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। उनका इलाज चल रहा है।

श्री ट्रंप ने गुरुवार देर रात ट्वीट कर कहा, “होप हिक्स, जो कि बिना कोई छुट्टी लिये लगातार काम कर रहे थे, कोरोना संक्रमित पाये गए हैं। दुखद, मैं और प्रथम महिला कोरोना परीक्षण की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान हम क्वारंटीन में रहेंगे।”

उत्तरप्रदेश के हाथरस गैंगरेप मामले में सुर्खियों में आया सीमा समृध्दि का नाम,तीखी बहस सोशल मीडिया पर हो रही है वायरल attacknews.in

इटावा, 2 अक्टूबर । निर्भया कांड के दोषियों को मौत की सज़ा दिलाकर सुर्खियों में आई उत्तर प्रदेश में इटावा की वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा अब हाथरस में हैवानियत की शिकार पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए फ्री केस लड़ेंगी ।

दरअसल, सीमा हाथरस कांड की पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए उसके परिवार से मिलने के लिए उसके गांव जा रही थी लेकिन उनको जिला प्रशासन ने रोक लिया।

इस दौरान उनकी हाथरस के अपर जिलाधिकारी से हुयी तीखी बहस सोशल मीडिया में वायरल हो गयी।

इस बीच जब उनसे हाथरस जाने का कारण पत्रकारों ने पूछा तो उन्होने साफ किया कि वह वह हाथरस दुष्कर्म कांड मामले की पीड़िता का केस लड़ेंगी और मानवता को शर्मसार करने वाली इस मामले के लिए वह कोई भी फीस नहीं लेंगी।

सीमा समृद्धि सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और निर्भया ज्योति ट्रस्ट की कानूनी सलाहकार हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद सीमा ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। सीमा 24 जनवरी, 2014 को निर्भया ज्योति ट्रस्ट से जुड़ीं थीं।

सीमा कुशवाहा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की रहने वाली हैं। दस जनवरी 1982 को इटावा के ग्राम पंचायत बिधिपुर ब्लॉक महेवा, तहसील चकरनगर के एक छोटे से गाँव उग्रापुर में उनका जन्म हुआ था। उनके पिता बालादीन कुशवाहा बिधिपुर ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं।

पिता के निधन के बाद आर्थिक तंगी के बीच सीमा ने कानून की पढाई पूरी की। पैसे की तंगी के बीच उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा विभाग में संविदा पर नौकरी भी की।

उन्होंने 2005 में कानपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से 2006 में पत्रकारिता की डिग्री हासिल की थी। उसके बाद, उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए भी किया। सीमा पहले आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं इसके लिए उन्होंने तैयारी भी की थी।

उज्जैन नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबन्दी करने का रिकार्ड बनाया,7,400 कुत्तों की नसबन्दी करके उसी जगह छोड़ा जहां से पकड़ा था attacknews.in

निरंतर जारी है उज्जैन में आवारा कुत्तों की नसबंदी का कार्य

उज्जैन 1 अक्टूबर । उज्जैन नगरपालिका निगम ने शहर में आवारा कुत्तों की नसबन्दी करने का रिकार्ड बना दिया, नगर निगम का कहना हैं कि,वह हर रोज कुत्तों को पकड़कर नसबन्दी कर रहा है और बाद में वापस उनके स्थानों पर छोड़ देता है , जहां से उन्हें पकड़ा जाता है ।

इस संबंध में नगर निगम का कहना है कि, उसका यह अभियान  कुत्तों का बर्थ कंट्रोल करने के लिए हैं ।

नगरपालिका निगम द्वारा आधिकारिक रूप से बताया हैं कि,माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार आवारा कुत्तो को पकड़कर रखना या उसे क्षति पहुंचाना दण्डनीय अपराध होने से आवारा कुत्तों को डाॅग रूल्स 2001 के नियम के तहत पकड़ा जाकर उनकी नसबंदी किये जाने उपरांत उन्हें वापस उसी स्थान पर छोड़ा जाता है जहां से उन्हें पकड़ा गया था।

नगरपालिका निगम ने बताया कि, उक्त आदेश के परिपालन में नगर निगम द्वारा शहर में बढ़ती आवारा कुत्तों की सख्ंया के नियत्रंण हेतु ऐनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम अतर्गत श्वानों के नसबंदी आॅपरेशन का कार्य प्रचलित है।

नगर निगम द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान अन्तर्गत गुरूवार को 14 कुत्तो की नसबंदी की गई, इसप्रकार अभियान से अब तक कुल 7400 आवारा कुत्तों की नसबंदी की जाकर उन्हें उनके स्थानों पर छोड़ा जा चुका है।

साथ ही  नगर पालिक निगम उज्जैन द्वारा आमजन से अपेक्षा की जाती है कि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय, एवं ऐनिमल वेल्फेयर बोर्ड की गाईड लाईन अनुसार आवारा कुत्तों की बढती संख्या के लिये नगर निगम उज्जैन द्वारा चलाये जा रहे कुत्ता नसबंदी अभियान में आवश्यक सहयोग करें।

असम राज्य में फैली स्वाईन फ्लू की महामारी ,14 जिले में 18 हजार सूअरों की जा चुकी हैं जान,अब।सरकार ने 12 हजार सूअरों को मारने के दिए हैं आदेश attacknews.in

गुवाहाटी, 24 सितंबर । असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अफ्रीकी स्वाइन बुखार से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में करीब 12,000 सूअरों को मारने का बुधवार को आदेश दिया और अधिकारियों से कहा कि वह सूअरों के मालिकों को पर्याप्त मुआवजा दें।

एक आधिकारिक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई।

पशु पालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने  बताया कि वायरस के कारण अब तक राज्य के 14 जिलों में 18,000 सूअरों की जान जा चुकी है।

अधिकारी ने बताया कि सूअरों को मारने का काम 14 प्रभावित जिलों में रोग से बुरी तरह प्रभावित 30 क्षेत्रों के एक किलोमीटर के दायरे में किया जाएगा और यह काम तुरंत शुरू किया जाएगा।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के दिशानिर्देशों के अनुपालन में, और विशेषज्ञों की राय का पालन करते हुए, सभी प्रभावित जिलों में संक्रमित सूअरों को मारने का काम दुर्गा पूजा से पहले पूरा किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि 12,000 सूअरों को मारा जाएगा।

उन्होंने कहा, “सूअरों को मारने के इस अभियान से किसानों को होने वाले नुकसान की पर्याप्त रूप से क्षतिपूर्ति की जाएगी।”

मुआवजे के बारे में पूछे जाने पर, अधिकारी ने कहा कि 12,000 सूअरों के मालिकों के बैंक खातों में धन जमा कराया जाएगा जबकि पहले ही मर चुके 18,000 सूअरों के मालिकों को आर्थिक सहायता देने के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया है।

बैठक के दौरान, सोनोवाल ने बताया कि केंद्र ने पहले ही मुआवजे की पहली किस्त जारी कर दी है और राज्य सरकार महामारी से निपटने के उपायों के लिए राशि सहित मुआवजे का हिस्सा जल्द जमा करेगी।

उन्होंने पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग को भी प्रभावित क्षेत्रों को संवेदनशील घोषित करने के लिए कहा ताकि स्वस्थ पशुओं को संक्रमण से बचाया जा सके और राज्य भर के सभी सरकारी खेतों का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया।

बैठक में असम में देश के विभिन्न हिस्सों से सूअरों की आपूर्ति पर भी चर्चा हुई।

स्वाइन बुखार के प्रकोप के बाद, केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार राज्य के बाहर से सूअरों की आपूर्ति रोक दी गई थी।

सोनोवाल ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि असम के माध्यम से पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में सूअरों को ले जाने के दौरान कोई भी असावधानी ना हो।

उन्होंने कहा कि सुअर पालन क्षेत्र से अधिक युवाओं को जोड़ने के लिए, सार्वजनिक-निजी-साझेदारी प्रणाली का सहारा लिया जा सकता है।

कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा था कि विभाग द्वारा 2019 की गणना के अनुसार, राज्य में सूअरों की संख्या 21 लाख थी, जो अब बढ़कर 30 लाख हो गई है।

बोरा ने कहा था कि इस बीमारी का पता पहली बार राज्य में इस साल फरवरी के अंत में चला था। लेकिन इसकी शुरुआत अप्रैल 2019 में अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे चीन के शिजांग प्रांत से हुई थी।

गूगल पे और वीजा ने कार्ड आधारित भुगतान के लिए साझेदारी की,टोकनाइजेशन को लागू करने की घोषणा की,उपयोगकर्ताओं के डेबिट या क्रेडिट कार्ड  रहेंगे सुरक्षित attacknews.in

नयी दिल्ली, 22 सितंबर । गूगल पे ने सोमवार को अपने मंच पर टोकनाइजेशन को लागू करने की घोषणा की, जिसके जरिए उपयोगकर्ता अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड का सुरक्षित रूप से इस्तेमाल कर सकेंगे।

टोकनाइजेशन के जरिए गूगल पे एंड्रायड उपयोगकर्ता अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अपने कार्ड को प्रत्यक्ष रूप से स्वैप किए बिना कर सकेंगे। इसके तहत कार्ड से जुड़े मोबाइल नंबर पर भेजे गए सुरक्षित डिजिटल टोकन के जरिए भुगतान हो जाएगा।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि वीजा और बैंकिंग भागीदारों के साथ यह सुविधा अब एक्सिस और एसबीआई कार्ड के सभी उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है। कोटक और अन्य बैंकों के साथ यह सुविधा बहुत जल्द शुरू होने की उम्मीद है।

बयान में कहा गया कि टोकन भुगतान के साथ, गूगल पे उपभोक्ताओं को एनएफसी सक्षम एड्रायड डिवाइस या फोन का इस्तेमाल करके सुरक्षित भुगतान करने में मदद मिलेगी। बयान के मुताबिक इस सुविधा से 25 लाख से अधिक वाजा व्यापारिक स्थानों पर संपर्क रहित भुगतान किया जा सकेगा। इसके साथ ही 15 लाख से अधिक भारत क्यूआर में स्कैन करके भुगतान किया जा सकेगा।

गूगल पे के कारोबार प्रमुख सजीथ शिवनंदन ने कहा, ‘‘हम अपने उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित भुगतान के अनुभव की पेशकश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और टोकन के इस्तेमाल से धोखाधड़ी का कोई मौका भी खत्म हो जाता है।’’

किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी मनमानी कीमत पर अपनी फसलों की बिक्री की मिली आजादी,विपक्ष के भारी हंगामें के बीच कृषि सुधारों के विधेयकों पर लगी संसद की मुहर attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 सितंबर । राज्यसभा में रविवार को विपक्ष के भारी हंगामें के बीच कृषि सुधारों के दो विधेयकों ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020’ तथा ‘कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा करार विधेयक 2020’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया और इसके साथ इन दोनों विधेयकों पर संसद की मुहर लग गयी।

लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी हैं। ये दोनोें विधेयक जून में जारी किये गये दो अध्यादेशों का स्थान लेंगे।

इन विधेयकों में किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी मनमानी कीमत पर अपनी फसलों की बिक्री की आजादी दी गयी है। इसके साथ ही अनुबंध कृषि का प्रावधान किया गया है । इससे अधिक मूल्य मिलने वाली फसलों की खेती बढ़ेगी और अत्याधुनिक कृषि तकनीक को बढ़ावा मिल सकेगा ।

कृषि एवं किसान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चार घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को बंद नहीं किया जाएगा और इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी आश्वासन दिया है । इन विधेयकों से किसानों को अपनी उपज बेचने के दो विकल्प उपलब्ध होंगे। इन विधेयकों में किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी मनमानी कीमत पर अपनी फसलों की बिक्री की आजादी दी गयी है। इससे अधिक मूल्य मिलने वाली फसलों की खेती बढ़ेगी और अत्याधुनिक कृषि तकनीक को बढ़ावा मिल सकेगा ।

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाना चाहती है और उन्हें फसलों की बुआई के समय ही उसकी उचित कीमत का आश्वासन दिलाने का प्रयास कर रही है।

विधेयकों को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान सदन में विपक्ष ने भारी हंगामा जिसके सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित भी करनी पड़ी।

कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

विपक्ष ने उस समय हंगामा किया जब सरकार ने कृषि से संबंधित दो विधेयकों को पारित कराने पर जोर दिया। तृणमूल कांग्रेस सदस्यों के नेतृत्व में कुछ विपक्षी सदस्य आसन के बिल्कुल पास आ गए।

हंगामे के कारण बैठक को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया।

तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वाम सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने उस समय हंगामा किया जब उप-सभापति हरिवंश ने दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजे जाने के प्रस्ताव पर मतविभाजन की उनकी मांग पर गौर नहीं किया।

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने मांग की कि दोनों विधेयकों पर हुयी चर्चा का जवाब कल के लिए स्थगित कर दिया जाए क्योंकि रविवार को बैठक का निर्धारित समय समाप्त हो गया है।

एक बार के स्थगन के बाद बैठक पुन: शुरू होने पर सदन ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। उस समय भी सदन में विपक्ष का हंगामा जारी था।

उप सभापति हरिवंश ने जब दोनों विधेयकों को चर्चा के बाद इन्हें पारित कराने की प्रकिया शुरू की तो आप आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, द्रविड मुनेत्र कषगम और वामदलों के सदस्यों ने इसका विरोध कड़ा विरोध किया और हंगामा करने लगे। हंगागें के दाैरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने आसन के समक्ष खड़े मार्शल के हाथ से कुछ दस्तावेज छीन लिये और उन्हें फाड़कर फेंक दिया। उत्तजेना में श्री ब्रायन ने आसन का माइक क्षतिग्रस्त कर दिया जिससे सदन में एक बजकर 14 मिनट पर सदन की ध्वनि प्रणाली (साउंड सिस्टम) खराब हो गयी। इसके बादजूद सदस्यों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी। इस दौरान सदन व्यवस्थित नहीं था और सदस्य सीटों से आगे आकर नारेबाजी कर रहे थे। विपक्ष इन दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग कर रहा था।

दौबारा जब सदन की बैठक शुरू हुई तो विधेयक पारित कराने की प्रक्रिया फिर आरंभ की गयी तो विपक्ष दलों के सदस्यों का हंगामा जारी रहा और इस दौरान ध्वनिमत से विधेयक पारित कर दिये।

कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि ये विधेयक किसानों को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को पता है कि इनके कानून बन जाने पर वे बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार इन विधेयकों को ऐतिहासिक बता रही है जबकि वास्तव में ये काले कानून हैं। उन्होंने विधेयकों पर व्यापक चर्चा कराने की मांग करते हुए इन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की।

कांग्रेस के अहमद पटेल ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार ‘‘पैकेजिंग, मार्केटिंग और मीडिया को मैनेज’’ करने में माहिर है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन विधेयकों की चर्चा करते हुए कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र का जिक्र किया। लेकिन सरकार ने चुनिंदा रूप से ही कांग्रेस के घोषणा पत्र का अध्ययन किया। उसने किसानों के लिए न्याय योजना सहित प्रस्तावित अन्य कार्यक्रमों पर गौर नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इन विधेयकों के प्रावधानों से विदेशी निवेशकों को बढ़ावा मिलेगा।

शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने दोनों विधेयकों को पंजाब के किसानों के खिलाफ बताते हुए उन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को पंजाब के किसानों को कमजोर नहीं समझना चाहिए। सरकार को पंजाब और हरियाणा के किसानों के असंतोष पर गौर करना चाहिए तथा वहां जो चिंगारी बन रही है, उसे आग में नहीं बदलने देना चाहिए।

शिअद के ही एसएस ढींढसा ने भी सरकार से इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा करने और दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।

राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सरकार को इन विधेयकों को लाने के पहले विभिन्न पक्षों से बातचीत करनी चाहिए थी।

आप के संजय सिंह ने कहा कि दोनों विधेयक पूरी तरह से किसानों के खिलाफ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विभिन्न कानूनों के जरिए राज्यों के अधिकार अपने हाथ में लेना चाहती है।

पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) नेता एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि जल्दबाजी में और कोविड-19 के दौरान अध्यादेश क्यों लाए गए। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं पर गौर करने के लिए एक स्थायी आयोग बनाया जाना चाहिए।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने दोनों विधेयकों को किसानों के हित में बताया और कहा कि इससे उन्हें बेहतर बाजार मिल सकेगा।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि इन विधेयकों के संबंध में राज्यों से मशविरा नहीं किया गया।

जद (यू) के आरसीपी सिंह ने राम चंद्र प्रसाद सिंह ने विधेयकों का समर्थन करते हुए कहा कि लंबे समय बाद किसानों के लिए कोई नीति आयी है।

राजद सदस्य मनोज झा ने ‘ठेके पर खेती’ को लेकर सवाल उठाया और कहा ऐसी खेती में नकदी फसलों पर ही जोर दिया जाता है। उन्होंने किसानों की समस्याओं पर संपूर्णता से विचार करने की जरूरत पर बल दिया।

बसपा के सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा कि किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का मौजूदा आंदोलन इस आशंका के कारण हो रहा है कि एमएसपी बंद हो जाएगा। हालांकि सरकार ने कहा है कि यह खत्म नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसे नियम या कानून में ही शामिल कर लेते तो इसके विरोध की नौबत ही नहीं आती।

शिवेसना के संजय राउत ने सवाल किया कि अगर ये विधेयक सुधार के लिए हैं तो पंजाब, हरियाणा के किसान सड़कों पर क्यों हैं ? उन्होंने कहा कि पूरे देश में इनका विरोध नहीं हो रहा है। इसका मतलब है कि कुछ भ्रम है ?

भारत-जर्मन शोध टीम द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक तथ्य:भूकंपीय विस्फोट के बाद भारतीय मॉनसून का बेहतर तरीके से पूर्वानुमान लगाया जा सकता है attacknews.in

वायुमंडलीय क्षेत्र में भूकंपीय पदार्थ सूर्य की रोशनी को बाधित कर देते हैं और वायु परिसंचरण तथा वर्षा गतिशीलता को प्रभावित करते हैं: आर कृष्णन, आईआईटीएम पुणे

नईदिल्ली 19 सितम्बर ।बड़े भूकंपीय विस्फोट भारत के ऊपर मॉनसून-जो देश की कृषि की कुंजी है और इस प्रकार एक बिलियन लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है-की भविष्यवाणी करने में सहायता कर सकते हैं।

यह बात एक भारत-जर्मन शोध टीम के निष्कर्ष के अनुसार सामने आई, अनियमित होने के कारण, भूकंपीय विस्फोट पूर्वानुमेयता में सुधार लाते हैं। जो विरोधाभासी प्रतीत होता है, वह वास्तव में दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के बड़े भागों के ऊपर मानसून तथा विस्फोट के बाद अल नीनो प्रभाव के बीच एक मजबूत समतुल्यता के कारण है।

मौसम संबंधी अवलोकनों, जलवायु के रिकार्डों, कंप्यूटर मॉडल सिमुलेशन तथा पृथ्वी के इतिहास के पिछली सहस्त्राबदियों से पेड़ के छल्लों, कोरल, गुफा जमाओं एवं आइस कोर जैसे पुरा जलवायु शिलालेख आंकड़ों की समतुल्यता से शोधकर्ताओं ने पाया कि मॉनसून का प्राकृतिक जलवायु पविर्तनशीलता के सबसे मजबूत तरीके, अल नीनो के साथ वर्णनात्मकता भारतीय उपमहाद्वीप में मौसमी बारिश की शक्ति के बारे में पूर्वानुमान लगाना आसान बना देता है।

पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान के आर कृष्णन ने कहा, ‘ छोटे कण और गैसें जिन्हें एक बड़ा विस्फोट वायु में डालता है, वे जलवायु में प्रवेश कर जाती हैं और वहां कई वर्षों तक बनी रहती हैं। वायुमंडलीय क्षेत्र में भूकंपीय पदार्थ कुछ सीमा तक सूर्य की रोशनी को धरती की सतह तक पहुंचने में बाधित कर देते हैं और निम्न सौर दबाव अगले वर्ष अल नीनो प्रभाव की संभाव्यता को बढ़ा देता है।

उन्होंने कहा कि, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि कम धूप का अर्थ है कम गरमी और इस प्रकार उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्ध के बीच तापमान अंतरों में बदलाव आ जाता है जो वातावरण के बड़े पैमाने पर वायु परिसंचरण तथा वर्षण गतिशीलता को प्रभावित करता है। उन्नत डाटा विश्लेषण से अब पता चला है कि बड़े भूकंपीय विस्फोटों से प्रशांत क्षेत्र के ऊपर और भारतीय मॉनसून सूखे पर गर्म अल नीनो प्रभाव की अनुरूपता -या, इसके बदले, प्रशांत क्षेत्र के ऊपर ठंडा ला नीना और भारतीय मॉनसून आधिक्य को बढ़ावा मिलने की अधिक संभावना है।’

भारतीय मॉनसून वर्षा की वर्ष दर वर्ष पविर्तनशीलता अल नीनो/दक्षिणी स्पंदन पर बहुत अधिक निर्भर करता है-जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में एक जलवायु घटना है जिसके स्पेनिश नाम का अर्थ ‘बच्चा’ है जो शिशु ईसा मसीह को उद्धृत करता है क्योंकि दक्षिण अमेरिका के निकट जल क्रिसमस के निकट बहुत अधिक गर्म रहता है।

जर्मनी पोट्सडैम जलवायु प्रभाव अनुसंधान संस्थान (पीआईके) के नौर्बर्ट मारवान ने कहा, ‘उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर और भारतीय मॉनसून के बीच समतुल्यता में धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है जिसके एक कारण में मानव निर्मित्त ग्लेाबल वार्मिंग है, जो मॉनसून के सटीक पूर्वानुमान को बदतर बना रहा है। वास्तव में, यह उस परिकल्पना की पुष्टि करता है जिसे 15 वर्ष पहले हमारे सहयोगियों मरॉन एवं कुर्थ्स ने आगे बढ़ाया था। अब ये निष्कर्ष मॉनसून के पूर्वानुमान के लिए एक नवीन, अतिरिक्त पथ का संकेत देते हैं जो भारत में कृषि संबंधी नियोजन के लिए महत्वपूर्ण हैं। ‘पीआईके के पिछले अनुसंधान से पहले ही बिना भूकंपीय विस्फोटों के वर्षों तक मानसून के पूर्वानुमान में उल्लेखनीय रूप से सुधार आ चुका है।’

ये निष्कर्ष जलवायु मॉडलों के आगे के विकास में भी सहायता कर सकते हैं और वास्तव में भू-अभियांत्रिकी प्रयोगों के क्षेत्रीय निहितार्थों के आकलन में भी मदद कर सकते हैं। मानव निर्मित्त ग्रीनहाउस गैसों से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए, कुछ वैज्ञानिक सौर विकिरण प्रबंधन की कल्पना करते हैं-जो मूल रूप से उच्च वातावरण में धूल डालने के जरिये धूप के एक हिससे को बाधित कर सूरज की किरणों से पृथ्वी को गर्म होने से बचाना है, उसी प्रकार जैसे किसी भूकंपीय विस्फोट की प्राकृतिक घटना से होता है। बहरहाल, कृत्रिम रूप से सूरज की किरणों को बाधित करना वातावरण में कई प्रकार की क्रियाओं में खतरनाक तरीके से हस्तक्षेप करना हो सकता है। इसलिए, जारी तंत्र को समझना महत्वपूर्ण है।

ये निष्कर्ष ‘फिंगरप्रिंट ऑफ वोलकैनिक फोर्सिंग ऑन द एन्सो-इंडियन मॉनसून कपलिंग’ शीर्षक के तहत साइंस एडवांसेज में प्रकाशित किए गए हैं।

लेख यहां पढ़ें। (लेख: एम सिंह, आर कृष्णन, बी गोस्वामी, ए डी चैधरी, पी स्वप्ना, आर वेल्लोर, ए जी प्रजीश, एन संदीप, सी वेंकटरमणन, आर वी डोनर, एन मारवान, जे कुथ्र्स (2020) फिंगरप्रिंट ऑफ वोलकैनिक फोर्सिंग आन द एन्सो-इंडियन मॉनसून कपलिंग। साइंस एडवांसेज)।

अध्ययन के बारे में अधिक विवरण के लिए, संपर्क करें: डा. आर कृष्णन, कार्यकारी निदेशक सीसीसीआर-आईआईटीएम एवं शोधपत्र के लेखक,  krish@tropmet.res.in / 020-25904301