अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की सुनवाई शुरू,राजद्रोह भड़काने का आरोप लगाया attacknews.in

वाशिंगटन, 11 फरवरी । अमेरिकी सीनेट ने बुधवार को देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की सुनवाई शुरू की।

डेमोक्रेट के बहुमत वाली प्रतिनिधि सभा के महाभियोग प्रबंधकों ने ट्रंप के खिलाफ राजद्रोह भड़काने का आरोप लगाया।

डेमोक्रेटिक सांसद जैमी रस्किन की अगुवाई में प्रतिनिधि सभा के डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों ने ट्रंप पर छह जनवरी को अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन) में हुआ दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया। यह दंगा उस समय हुआ था, जब कैपिटल परिसर में दोनों सदनों के सांसद तीन नवम्बर को हुए राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को प्रमाणित करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे।

चुनाव में डेमोक्रेटिक जो बाइडन ने ट्रंप को मात दी थी। बाइडन ने 20 जनवरी को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभाला था। प्रतिनिधि सभा ने 20 जनवरी से पहले उसी समय ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू कर दी थी, जब वह देश के राष्ट्रपति थे और अब उनके व्हाइट हाउस छोड़ने के तीन सप्ताह बाद सीनेट में उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई है।

अमेरिकी इतिहास में पहली बार किसी पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की गई है। इसके अलावा दो बार महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने वाले वह पहले राष्ट्रपति हैं।

सीनेट में सांसद जैमी रस्किन ने ट्रंप पर कैपिटल में दंगा करने के लिए एक विद्रोही भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया। उनके कई डेमोक्रेटिक साथियों ने सीनेट में इसका समर्थन किया।

रस्किन ने कहा, ‘‘ सबूत बताएंगे कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप निर्दोष नहीं है। सबूत बताएंगे कि उन्होंने स्पष्ट तौर पर छह जनवरी को विद्रोह को भड़काया। सबूतों से पता चलेगा कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी कमांडर- इन-चीन की भूमिका छोड़ खतरनाक विद्रोह को भड़काने वाले एक सरगना की भूमिका निभाई।’’

प्रतिनिधि सभा के प्रबंधकों के पास दलीलें रखने के लिए 16 घंटे का ही समय है। रस्किन बृहस्पतिवार को अपनी बाकी दलीलें पेश करेंगे। इसके बाद ट्रंप के वकील अपना पक्ष रखेंगे और उन्हें भी 16 घंटे ही मिलेंगे।

इस बीच, भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने भी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का समर्थन किया।

भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति ने पिछले महीने कैपिटल और हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमला करने वाली भीड़ का भड़काया। आज उन्हें, सजा दिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि उनकी वजह से उस दिन सभी सदन के सदस्यों और कर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा था।’’

कृष्णमूर्ति ने प्रतिनिधि सभा में ट्रंप पर महाभियोग चलाने के पक्ष में मतदान किया था। साथ ही तीन अन्य भारतीय-अमेरिकी सांसदों एमी बेरा, रो खन्ना और प्रमिला जयपाल ने भी महाभियोग का समर्थन किया।

गौरतलब है कि ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार नहीं की थी और वह तीन नवम्बर को हुए चुनाव में धोखाधड़ी के दावे कर रहे थे। ट्रंप के इन दावों के बीच, कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में उनके समर्थकों ने छह जनवरी को धावा बोला था और हिंसा की थी।

अमेरिका सीनेट ने विभिन्न देशों के लिए रोजगार आधारित आव्रजक वीजा की अधिकतम संख्या का निर्धारण समाप्त करके उसे परिवार आधारित वीजा बनाने का विधेयक किया पारित attacknews.in

वाशिंगटन, तीन दिसंबर ।अमेरिकी सीनेट ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया है जो विभिन्न देशों के लिए रोजगार आधारित आव्रजक वीजा की अधिकतम संख्या का निर्धारण समाप्त करता है साथ ही उसे परिवार आधारित वीजा बनाता है।

यह विधेयक अमेरिका में कार्यरत सैंकडों भारतीय पेशेवरों को लाभान्वित करेगा जो वर्षों से ग्रीन कार्ड पाने का इंतजार कर रहे हैं।

‘फेयरनेस फॉर हाई स्किल्ड इमिग्रेन्ट्स एक्ट’ को बुधवार को सीनेट से मिली मंजूरी भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए बड़ी राहत है जो एच-1बी वीजा पर अमेरिका आए थे और ग्रीन कार्ड अथवा स्थाई आवास के लिए दशकों से इंतजार कर रहे हैं।

विधेयक को 10 जुलाई 2019 को प्रतिनिधि सभा से मंजूरी मिल गई थी। विधेयक ने परिवार आधारित आव्रजन वीजा पर उस वर्ष मौजूद कुल वीजा के प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा बढ़ा कर 15 प्रतिशत किया था। ऊटा राज्य से रिपब्लिक पार्टी के सीनेटर लाइक ली ने यह विधेयक पेश किया था।

वित्त वर्ष 2019 में भारतीय नागरिकों को 9,008 श्रेणी1 (ईबी1), 2908 श्रेणी 2(ईबी2), और 5,083 श्रेणी 3 (ईबी3) ग्रीन कार्ड प्राप्त हुए। (ईबी3) रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड की विभिन्न श्रेणियां हैं।

सीनेटर ली ने जुलाई में सीनेट को बताया था कि स्थायी निवास या ग्रीन कार्ड पाने के लिए किसी भारतीय नागरिक का बैकलॉग 195 वर्ष से अधिक है।

सीनेटर केविन क्रैमर ने कहा कि ‘फेयरनेस फॉर हाई-स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट’ अधिक योग्यता-आधारित प्रणाली बनाता है जो दक्ष आव्रजकों को समान अवसर प्रदान करता है। क्रैमर ने यह सुनिश्चित करने का काम किया कि विधेयक धोखाधड़ी और वीजा प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने वाला हो।

कमला हैरिस के कहने फर चेन्नई में रहने वाली मौसी डाॅ सरला गोपालन ने वरसिद्धी विनयगर मंदिर में 108 नारियल फोड़े थे,दिल्ली से मामा गोपालन बालचंद्रन ने एक दिन पहले ही अपनी भांजी से अगली उपराष्ट्रपति बनने की बात कही थी attacknews.in

चेन्नई, आठ नवंबर । अमेरिका में उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुईं कमला हैरिस की तमिलनाडु के चेन्नई में रहने वाली मौसी डॉ. सरला गोपालन ने कहा कि वह अपनी भांजी की जीत से गदगद हैं और अब उन्हें उनके शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने की उम्मीद है।

वरिष्ठ चिकित्सक गोपालन ने रविवार को कहा कि वह शनिवार को हैरिस से बात नहीं कर पाईं, क्योंकि वह पूरा दिन जीत की घोषणा के इतंजार में थीं।

यहां स्वैच्छिक स्वास्थ्य सेवा में वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, “आप क्या सोचते हैं कि मुझे उनकी जीत को लेकर कैसा महसूस करना चाहिए, मैं बहुत खुश हूं।”

उन्होंने कहा, ” मैंने देर रात तक (जीत की) घोषणा का इंतजार किया… मैं थक गई थी तो रात में सोने चली गई।

उनसे पूछा गया कि क्या वह अमेरिका में अपनी भांजी के शपथ-ग्रहण समारोह में शिरकत करेंगी तो उन्होंने कहा, “उम्मीद तो है। ”

उनसे पूछा गया कि क्या वह बेसंत नगर में स्थित वरसिद्धि विनयगर मंदिर गईं थी और हैरिस के लिए प्रार्थना की थी, तो डॉ गोपालन ने कहा, “आमतौर पर जब भी मैं वरसिद्धि विनयगर मंदिर जाती हूं तो नारियल फोड़ती हूं।” उन्होंने कहा, ” लेकिन इस बार मैं कोविड-19 की वजह से मंदिर नहीं जा सकी।”

उन्होंने कहा कि उनकी प्रार्थनाएं हमेशा हैरिस के साथ हैं।

कुछ साल पहले हैरिस के आग्रह पर डॉ गोपालन ने वरसिद्धी विनयगर मंदिर में 108 नारियल फोड़े थे।

वहीं दिल्ली में हैरिस के मामा गोपालन बालचंद्रन ने शनिवार को बताया कि उन्होंने एक दिन पहले ही अपनी भांजी से कहा था कि वह जीतने जा रही हैं और अमेरिका की अगली उपराष्ट्रपति बनेंगी।

बालचंद्रन ने हैरिस को योद्धा करार देते हुए कहा कि वह बेहद ‘खुश और गर्व’ महसूस कर रहे हैं।

मतगणना को लेकर चिंता के सवाल पर बालचंद्रन ने कहा, ‘हम बाइडेन-हैरिस को जीतते देखना चाहते थे। मैंने कल (शुक्रवार को) ही कमला से कहा था कि वह जीतने जा रही हैं।’

हैरिस के माता-पिता प्रवासी हैं। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के अश्वेत व्यक्ति थे जबकि उनकी मां श्यामला गोपालन चेन्नई से थी। वह कैंसर पर शोध कर रही थीं और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थीं।

भारतीय मूल की 56 वर्षीय हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला होंगी। वह देश की पहली भारतीय मूल की, पहली अश्वेत और पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला उपराष्ट्रपति होंगी

कमला हैरिस: अमेरिका में पहली भारतवंशी, अश्वेत और अफ्रीकी,अमेरिकी व यहूदी परंपरा से जुड़ी निर्वाचित उपराष्ट्रपति का विविध संस्कृतियों वाला जीवन का सफर attacknews.in

वाशिंगटन, आठ नवंबर । भारतवंशी कमला देवी हैरिस ने अमेरिका की निर्वाचित उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। वह अमेरिका में इस पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं। यही नहीं, हैरिस देश की पहली भारतवंशी, अश्वेत और अफ्रीकी अमेरिकी उपराष्ट्रपति होंगी।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार रहे जो बाइडेन ने अगस्त में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था। राष्ट्रपति पद के अपने सपनों को हैरिस ने चुनाव प्रचार हेतु वित्तीय संसाधनों के अभाव का हवाला देते हुए त्याग दिया था।

अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी बाइडेन की किसी समय हैरिस कटु आलोचक थीं। 56 वर्षीय हैरिस सीनेट के तीन एशियाई अमेरिकी सदस्यों में से एक हैं।

हैरिस ने कई मिसालें कायम की है। वह सान फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला, पहली भारतवंशी और पहली अफ्रीकी अमेरिकी हैं।

ओबामा के कार्यकाल में वह ‘फीमेल ओबामा’ के नाम से लोकप्रिय थीं।

कैलिफोर्निया के ओकलैंड में 20 अक्टूबर 1964 को जन्मी कमला देवी हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में भारत के तमिलनाडु से यूसी बर्कले पहुंची थीं, जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस 1961 में ब्रिटिश जमैका से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई करने यूसी बर्कले आए थे। यहीं अध्ययन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और मानव अधिकार आंदोलनों में भाग लेने के दौरान उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया।

हाई स्कूल के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली कमला अभी सात ही बरस की थीं, जब उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए। कमला और उनकी छोटी बहन माया अपनी मां के साथ रहीं और उन दोनों के जीवन पर मां का बहुत प्रभाव रहा।

हालांकि वह दौर अश्वेत लोगों के लिए सहज नहीं था। कमला और माया की परवरिश के दौरान उनकी मां ने दोनों को अपनी पृष्ठभूमि से जोड़े रखा और उन्हें अपनी साझा विरासत पर गर्व करना सिखाया। वह भारतीय संस्कृति से गहरे से जुड़ी रहीं।

कमला ने अपनी आत्मकथा ‘द ट्रुथ्स वी होल्ड’ में लिखा है कि उनकी मां को पता था कि वह दो अश्वेत बेटियों का पालन पोषण कर रही हैं और उन्हें सदा अश्वेत के तौर पर ही देखा जाएगा, लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को ऐसे संस्कार दिए कि कैंसर अनुसंधानकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को ‘ श्यामला एंड द गर्ल्स’ के नाम से जाना जाने लगा।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के बाद हैरिस ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। वह 2003 में सान फ्रांसिस्को की शीर्ष अभियोजक बनीं। वह 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत व्यक्ति थीं। हैरिस 2017 में कैलिफोर्निया से जूनियर अमेरिकी सीनेटर चुनी गईं।

कमला ने 2014 में जब अपने साथी वकील डगलस एम्पहॉफ से विवाह किया तो वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ साथ यहूदी परंपरा से भी जुड़ गईं।

हैरिस ने डेलावेयर के विलमिंग्टन में शनिवार रात को परिणामों की घोषणा के बाद देशवासियों को पहली बार संबोधित करते हुए कहा कि अब जब लोगों ने अगले चार साल के लिए जनादेश दिया है, तो अब असली काम शुरू होता है।

हैरिस ने कहा, ‘‘इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने किसे वोट दिया, मैं ऐसी उप राष्ट्रपति बनने की कोशिश करूंगी जैसे जो बाइडेन पूर्व राष्ट्रपति (बराक) ओबामा के लिए थे- वफादार, सत्यनिष्ठ और तैयार, रोज सुबह आपके और आपके परिवारों के बारे में सोचते हुए । क्योंकि अब ही वास्तविक काम शुरू होना है। आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया है।’’

आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया: हैरिस

अमेरिका में उपराष्ट्रपति निर्वाचित कमला हैरिस ने अमेरिकियों से कहा कि उन्होंने जो बाइडेन को राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित करके अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया है।

भारतीय मूल की कमला हैरिस(56) ने परिणामों की घोषणा के बाद देशवासियों को पहली बार संबोधित करते हुए कहा,‘‘ जनता के पास बेहतर भविष्य के निर्माण की ताकत है।’’

उन्होंने शनिवार को डेलावेयर के विलमिंग्टन में कहा,‘‘ आपने स्पष्ट संदेश दिया। आपने उम्मीद, एकता, शालीनता, विज्ञान और सत्य को चुना। आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया।’’

हैरिस ने अपनी मां श्यामला गोपालन के बारे में कहा कि जब वह पहली बार अमेरिका आई थीं, तो उन्होंने इस पल के बारे में नहीं सोचा होगा। हैरिस ने कहा,‘‘ मैं उन्हें याद कर रही हूं।’

अमेरिका में रहा है राष्ट्रपतियों के स्वास्थ्य को लेकर जनता को अंधेरे में रखने का लंबा इतिहास, डोनाल्ड ट्रम्प को लेकर भी उठने लगे हैं सवाल attacknews.in

वाशिंगटन, चार अक्टूबर (एपी) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और चुनावों से पहले उनकी सेहत को लेकर कई तरह की चिंताएं प्रकट की जा रही हैं। उनसे पहले भी हालांकि कई राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान बीमार पड़े हैं लेकिन यहां गौर करने वाली कटु सच्चाई यह है कि कई राष्ट्रपतियों ने अपने स्वास्थ्य को लेकर देश की जनता को अंधेरे में रखा।

जहां कई राष्ट्रपतियों की बीमारियां मामूली थी तो कई की बेहद गंभीर और कभी-कभी तो ऐसा हुआ कि जनता को इस सच्चाई का पता लगने में दशकों बीत गए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, पहले तो व्हाइट हाउस ने बताया कि उनमें संक्रमण के ‘आंशिक लक्षण’ हैं लेकिन शुक्रवार शाम तक वह वाल्टर रीड नेशनल मिलिटरी मेडिकल सेंटर में भर्ती हुए। ट्रंप के चिकित्सकों की एक टीम के संवाददाता सम्मेलन के बाद व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मीडोज ने शनिवार को कहा कि ट्रंप शुक्रवार को ‘बेहद चिंताजनक’ स्थिति से गुजरे हैं और अगला 48 घंटा उनके स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण रहने जा रहा है।

बात करें महामारी की तो ट्रंप और वुडरो विल्सन दोनों का कार्यकाल इससे ग्रस्त रहा है। दोनों ने ही वायरस को कमतर करके देखा और इससे हजारों अमेरिकी लोगों की मौत हुई। दोनों ही राष्ट्रपति बीमार पड़े और दोनों को ही इस पर विचार करना पड़ा कि इसकी जानकारी जनता को कैसे दी जाए। विल्सन की बीमारी को व्हाइट हाउस ने गुप्त रखने की भी कोशिश की थी।

विल्सन प्रथम विश्वयुद्ध को समाप्त करने पर चर्चा करने के लिए पेरिस में थे, वह अप्रैल 1919 को बीमार पड़ गए। उनमें इतने गंभीर लक्षण अचानक से दिखने शुरू हो गए कि उनके निजी चिकित्सक कैरी ग्रैसन को लगा कि उन्हें जहर दिया गया है। रात भर विल्सन की देखरेख के बाद ग्रैसन ने एक पत्र वाशिंगटन भेजा जिसमें उन्होंने व्हाइट हाउस को बताया कि राष्ट्रपति बेहद बीमार हैं।

अब 100 साल आगे आते हैं। ट्रंप ने शुक्रवार को रात 12 बजकर 54 मिनट पर ट्वीट कर दुनिया को बताया कि वह और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप कोविड-19 की चपेट में आ गए हैं।

अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी से 2,08,000 लोगों की मौत हो चुकी है और राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि उन्होंने वायरस को कमतर करके बताया कि क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि लोगों में अफरातफरी मचे। लेकिन ऐसा करने के पीछे राजनीतिक वजह थी। तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और वह नहीं चाहते थे कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था चुनाव से पहले चरमरा जाए।

तुलेन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन बेरी की कहना है, ‘ विल्सन प्रशासन ने भी अन्य वजह से महामारी को कमतर करके देखा था।’ बेरी की किताब ‘ग्रेट इंफ्लुएंजा’ में बताया गया है कि 1918-19 के बीच इस महामारी से विल्सन बीमार पड़े थे और अमेरिका के 6,75,000 लोगों की मौत हुई थी।

शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विलियम होवेल का कहना है कि वह यह देख रहे हैं कि ट्रंप के मामले में व्हाइट हाउस कितना पारदर्शी रहता है। अमेरिका का इतिहास ऐसी जानकारियों से भरा पड़ा है कि राष्ट्रपतियों ने कैसे आम लोगों को अपनी बीमारी और चिकित्सीय स्थितियों को लेकर अंधेरे में रखा था।

राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड को यह डर था कि अगर उनके खराब स्वास्थ्य के बारे में जनता को पता चलता है तो उन्हें कमजोर रूप में देखा जाएगा और इस वजह से उन्होंने अपनी बीमारी को गुप्त रखते हुए लॉन्ग आइलैंड साउंड में एक निजी जहाज में मुंह का ऑपरेशन कराया था, जिसमें कैंसर वाले हिस्से को हटाया गया था। 2000 में इस जख्म वाले हिस्से की प्रदर्शनी लगी थी।

राष्टपति लिंडन बी जॉनसन ने ऐसे ही गुप्त तरीके से 1967 में अपने हाथों के एक घाव को हटवाया था। युद्ध और मंदी के समय देश का नेतृत्व करनेवाले फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट को 1944 में उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों का पता चला था। उन्हें कम नमक वाले खाद्य पदार्थों पर रखा गया था और उन्हें धूम्रपान भी बंद करने को कहा गया। इसी बीच चुनाव भी आ रहा था तो रूजवेल्ट और व्हाइट हाउस ने कहा कि उनकी बीमारी उतनी गंभीर नहीं है। रूजवेल्ट चुनाव तो जीत गए लेकिन कुछ महीनों बाद दिल का दौरा पड़ने से 12 अप्रैल 1945 को उनका निधन हो गया।

इतिहासकार रॉबर्ट डेलेक का कहना है कि राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी भी दर्द और बीमारी का सामना कर रहे थे और दिन में कम से कम आठ गोलियां लेते थे। वहीं केनेडी लगातार अपनी बीमारी को छुपाए रख रहे थे।

राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर को 1955 में गंभीर रूप से दिल का दौरा पड़ा था। वह कोलोराडो में उस समय छुट्टिया मना रहे थे। वह छह सप्ताह अस्पताल में भर्ती रहे थे। ऐसे में उनके डॉक्टर ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ने की सलाह के बदले कहा था कि अगर वह कार्यालय में बने रहते हैं तो इससे उनकी सेहत में सुधार होगा।

वहीं 1841 में विलियम हेनरी हैरिसन निमोनिया की वजह से बीमार पड़े। उनकी बीमारी गंभीर थी। लेकिन व्हाइट हाउस ने जनता को उनकी बीमारी के बारे में नहीं बताया। बीमार पड़ने के नौ दिन बाद उनकी मौत हो गई और उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ लिए हुए भी सिर्फ एक महीना बीता था।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के साथ प्यार का इजहार कर दिया attacknews.in

वाशिंगटन, पांच जुलाई ।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश के 244वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दिए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि अमेरिका भारत से प्यार करता है।

अमेरिका में चार जुलाई को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। अमेरिका इस दिन 1776 में ब्रितानी साम्राज्य से आजादी के घोषणापत्र के प्रकाशन का जश्न मनाता है। अमेरिका में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शनिवार को ट्रम्प और अमेरिकी लोगों को शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट किया, ‘‘इस दिन जिस स्वतंत्रता और मानव उद्यम का जश्न मनाया जाता है, हम उसका सम्मान करते हैं।’’

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और अमेरिका के लोगों को देश के 244वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बधाई देता हूं।’’

ट्रम्प ने इस ट्वीट के जवाब में कहा, ‘‘धन्यवाद, मेरे मित्र। अमेरिका भारत से प्यार करता है।’’

विश्व के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के नेताओं के बीच ट्विटर पर बातचीत का दोनों देशों के लोगों ने स्वागत किया। यह ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

‘ट्रम्प विक्टरी इंडियन-अमेरिकन फाइनेंस कमेटी’ के सह अध्यक्ष अल मासोन ने कहा, ‘‘दुनिया अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका और भारत, विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच अविश्वसनीय प्यार और संबंधों की गवाह बन रही है।’’

लोकप्रिय अफ्रीकी-अमेरिकी गायक मैरी मिलबेन ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपको और ‘‘मूल्यवान मित्र के रूप में भारत को पाकर अमेरिका धन्य हो गया है। अमेरिका और भारत- विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्र। भारत का नेतृत्व करने के लिए ईश्वर आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखे‘‘।

उन्होंने कहा, ‘‘हर प्रकार का तूफान सहन करने में सक्षम एक मजबूत संबंध बनाने के लिए दोनों नेताओं को बधाई।’’

ट्विटर यूजर गुरदीप सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘भारत भी अमेरिका से प्यार करता है।’’