नई दिल्ली 16 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने सिगरेट व तंबाकू के पैकेटों पर नई तस्वीर संबंधी चेतावनी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि देश में मुंह के कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सरकार नई तस्वीर से सिर्फ जानकारी दे रही है. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि इस तस्वीर में गलत क्या है. सुप्रीम कोर्ट अगस्त के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा.
दरअसल, केंद्र सरकार ने नया नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि एक सितंबर 2018 से तंबाकू के सामानों पर चेतावनी के लिए नई तस्वीर छपेगी, जिसमें एक व्यक्ति के गले में छेद दिखाया जाएगा और लिखा होगा कि तंबाकू से गले का कैंसर होता है. इसे तंबाकू कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है कि ये उनके व्यापार करने के अधिकार का हनन है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट ने सिगरेट और तंबाकू के पैकटों पर 85 प्रतिशत हिस्से में वैधानिक चेतावनी देने वाले नियम को रद्द कर दिया था.
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि सिगरेट की वजह से स्वाथ्य संबंधी परेशानी और केंसर होता है. सिगरेट और तंबाकू के पैकटों पर 85 प्रतिशत हिस्से में वैधानिक चेतावनी देने नियम सही है. ऐसे में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए और उसे रद्द किया जाए. वहीं सिगरेट कंपनियों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल नर केंद्र सरकार के पक्ष का विरोध किया.
सिब्बल ने कहा कि 85 फ़ीसदी वैधानिक चेतावनी वाला नियम लगाते समय कोई स्टडी नहीं की गई. सिब्बल ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को लगता है कि ये स्वास्थ्य के लिए इतना हानिकारक है तो इस पर रोक क्यों नही लगा देती है. सिब्बल ने कहा कि अगर सरकार बिक्री पर रोक नही लगा सकती तो हम वैधानिक चेतावनी को चुनौती दे सकते है.
सिब्बल ने कहा कि 2014 से पहले वैधानिक चेतावनी केवल 40 फीसदी हिस्से पर ही थी. इसी बीच राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई और कोर्ट ने इसे 80 फीसदी करने को कहा. जिस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने 85 फीसदी कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से संबंधित सभी याचिकाओं को कर्नाटक हाईकोर्ट भेज दिया था और हाई कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आया.
सिब्बल ने कहा कि अगर केंद्र सरकार चाहती है तो हम 50 फीसदी वैधानिक चेतावनी के नियम को लागू करने को तैयार है. सिब्बल ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर रोक न लगे जाए. 1 अप्रैल 2018 से सरकार नए नियम ला रही है. तब जो भी ये तय करेंगे कि 50, 60 या 70 फीसदी उसे लागू किया जाएगा. या फिर उसे कोर्ट में चुनोती दिया जाए ये उस समय तय किया जाएगा.
दरअसल कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के बाद, तंबाकू विरोधी कार्यकर्ता और कई डॉक्टरों ने ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वे (GST) 2016-17 के नवीनतम आंकड़े का हवाला दिया और कहा था कि पैकों पर बड़ी चेतावनियां लोगों को तंबाकू का सेवन करने से रोकने के लिए एक सफल प्रयास है. कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद तंबाकू कंपनियों के लिए एक बार के लिए खुशी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा दखल देना उनके लिए मुसीबत साबित बन गई है.attacknews.in