नयी दिल्ली, 15 दिसंबर । उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र से कहा कि पिछले सात आठ महीने से कोविड-19 की ड्यूटी में लगे चिकित्सकों को अवकाश देने पर विचार किया जाये क्योंकि लगातार काम करते रहने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के ठीक से इलाज और शवों के साथ गरिमामय व्यवहार को लेकर स्वत: की जा रही सुनवाई के दौरान केन्द्र से कहा कि वह इस बारे में विचार करे।
पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि चिकित्सकों को अवकाश दिये जाने के सुझाव पर विचार किया जाये।
मेहता ने पीठ को आश्वासन दिया कि सरकार कोविड-19 ड्यूटी में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को कुछ अवकाश देने के पीठ के सुझाव पर विचार करेगी।
पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘इन चिकित्सकों को पिछले सात आठ महीने से एक भी ब्रेक नहीं दिया गया है और वे लगातार काम कर रहे हैं। आप निर्देश प्राप्त कीजिये और उन्हें कुछ ब्रेक देने के बारे में सोचिए। यह बहुत ही कष्ठप्रद होगा और इससे उनका मानसिक स्वास्थ भी प्रभावित हो सकता है।’’
शीर्ष अदालत ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि गुजरात सररकार ने मास्क नहीं पहनने पर 90 करोड़ रूपए जुर्माना लगाया लेकिन कोविड-19 में उचित आचरण के बारे में दिशा निर्देशों को लागू नहीं करा सकी।