नयी दिल्ली, 26 सितंबर । उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि हिंदी शब्द ‘आधार’ का उपयोग अब इसके शब्दकोश वाले अर्थ के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि सभी लोग इसे व्यक्ति की पहचान वाले उस पत्र से पहले जोड़ कर देखते हैं जो एक तरह से डिजिटल अर्थव्यवस्था का प्रतीक बन गया है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आधार हर घर में पहचान बन गया है और ‘जंगल की आग’ की तरह यह प्रसारित हुआ है।
शीर्ष अदालत ने बुधवार को केंद्र की फ्लैगशिप आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध बताया।
न्यायालय ने कहा, ‘‘सर्वश्रेष्ठ होने से अच्छा अनूठा होना है क्योंकि सर्वश्रेष्ठ होने से आप पहले नंबर पर आ जाते हैं लेकिन अनूठे होने से आप इकलौते हो जाते हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि ‘आधार’ को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ‘विशिष्ट पहचान’ कहता है। प्राधिकरण दावा करता है कि यह न केवल किसी व्यक्ति की पहचान का पुख्ता तरीका है बल्कि एक ऐसा उपकरण है जहां कोई व्यक्ति अन्य किसी दस्तावेज के बिना कोई लेनदेन कर सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘आधार पिछले कुछ साल में न केवल भारत में बल्कि अन्य कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सबसे अधिक चर्चा वाला शब्द बन गया है। हिंदी शब्दकोश में मौजूद इस शब्द का महत्व दोयम हो गया है। आज कोई ‘आधार’ शब्द बोलेगा तो उसका अर्थ सुनने वाला इसके शब्दकोश में अंकित अर्थ से नहीं लगाता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बजाय ‘आधार’ शब्द का उल्लेख करने से ही कोई व्यक्ति उस कार्ड के बारे में सोचेगा जो किसी को पहचान के लिए दिया जाता है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘आधार’ डिजिटल अर्थव्यवस्था का प्रतीक बन गया है और उसने आम आदमी के लिए कई रास्ते खोले हैं।attacknews.in