नयी दिल्ली, 26 जुलाई । कोरोना महामारी के मद्देनजर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होने वाली सुनवाई के कारण वीरान पड़ी शीर्ष अदालत के फिलहाल गुलजार होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि अदालत कक्ष में पारंपरिक तरीकों से मुकदमों की सुनवाई की संभावना तलाशने के लिए गठित समिति ने चिकित्सीय सलाह के मद्देनजर इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
अदालत कक्ष में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर पूर्व की भांति सुनवाई किए जाने के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा किए जाने और अंतिम निर्णय के लिए न्यायमूर्ति एन वी रमन की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय समिति ने फिलहाल कोरोना महामारी के कारण वर्चुअल सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि समिति की बैठक 24 जुलाई को शाम साढ़े चार बजे हुई, जिसमें सदस्य न्यायाधीशों ने कोरोना संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ही शीर्ष अदालत में कामकाज जारी रखने का निर्णय लिया है। यह निर्णय चिकित्सकीय परामर्श के मद्देनजर और वकीलों, वादकारियों, रजिस्ट्री कर्मचारियों और न्यायाधीशों की सुरक्षा और कल्याण को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। समिति दो सप्ताह बाद फिर इस मसले पर विचार करेगी।
बैठक में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष दुष्यंत दवे, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) के अध्यक्ष शिवाजी एम जाधव और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा की भी राय ली गई। इन लोगो ने वकीलों की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर पूर्व की भांति अदालत कक्ष में सुनवाई करने की वकालत की थी, लेकिन न्यायाधीशों ने व्यक्त किया कि वे वकीलों की कठिनाइयों के बारे में पूरी तरह से जागरूक और गहराई से चिंतित हैं और धीरे-धीरे शारीरिक रूप से कामकाज की सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए उत्सुक हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में निर्णय चिकित्सा सलाह के आधार पर स्थिति का समग्र मूल्यांकन करके लिया जाना है और वकीलों, न्यायाधीशों, वादियों और अदालत के कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखना है।
समिति ने आश्वासन दिया है कि शीर्ष अदालत में मामलों की पूर्व की भांति निजी तौर पर उपस्थित होकर होने वाली सुनवाई की क्रमिक बहाली और अदालत परिसर में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए समय और तौर-तरीकों के संबंध में एससीबीए, एससीएओआरए और बीसीआई के इनपुट और सुझावों को विधिवत रूप से ध्यान में रखा जाएगा।
समिति में न्यायमूर्ति रमन के अलावा न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचुड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव शामिल हैं।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण शीर्ष अदालत में 25 मार्च से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई हो रही है और वादकारियों, प्रतिवादियों, वकीलों, मीडियाकर्मियों और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के कर्मचारियों के प्रवेश की अनुमति नहीं होने के कारण अदालत परिसर वीरान पड़ा है।