राम जन्मभूमि मामले में जल्द सुनवाई से इंकार,मुस्लिम मुद्दई बातचीत से हल निकालने के पक्ष मे
नयी दिल्ली, 12 नवंबर। उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सोमवार को याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई से इंकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि उसने पहले ही अपीलों को जनवरी में उचित पीठ के पास सूचीबद्ध कर दिया है।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से उपस्थित अधिवक्ता बरूण कुमार के मामले पर शीघ्र सुनवाई करने के अनुरोध को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘हमने आदेश पहले ही दे दिया है। अपील पर जनवरी में सुनवाई होगी। अनुमति ठुकराई जाती है।’’
शीर्ष अदालत ने इससे पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को जनवरी के पहले सप्ताह में उचित पीठ के पास सूचीबद्ध किया था। वह पीठ मामले पर सुनवाई की तारीख के बारे में फैसला करेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार और रामलला की ओर से उपस्थित क्रमश: सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने लंबे समय से मामले के लंबित रहने का हवाला देते हुए अपीलों को शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था।
इससे पहले 2:1 के बहुमत से तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 1994 के एक फैसले में शीर्ष अदालत द्वारा की गई उस टिप्पणी पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया था जिसमें कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। यह मुद्दा अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान उठा था।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने तब कहा था कि दीवानी वाद पर साक्ष्यों के आधार पर फैसला किया जाएगा।
पीठ ने यह भी कहा था कि इस मामले में पिछले फैसले की कोई प्रासंगिकता नहीं है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कुल 14 अपील दायर हैं। उच्च न्यायालय ने चार दीवानी मुकदमों पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों—सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था
मुस्लिम मुद्दई बातचीत से हल निकालने के पक्ष मे:
लखनऊ, से खबर है कि, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का अदालत से हल निकलने में हो रही देर और मंदिर निर्माण के वास्ते कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार पर विभिन्न हिंदूवादी संगठनों द्वारा लगातार दबाव डाले जाने के बीच, बातचीत के जरिए इस मुद्दे का हल निकाले जाने की एक नई उम्मीद जगी है ।
मामले के एक प्रमुख मुद्दई ने इस संबंध में ‘आर्ट ऑफ लीविंग’ के गुरू श्री श्री रविशंकर की परस्पर वार्ता के जरिए हल निकालने की पूर्व में की गई कोशिश का समर्थन किया है।
अयोध्या प्रकरण के प्रमुख मुद्दई हाजी महबूब अहमद ने आज अपने एक लिखित बयान में कहा है कि वह रविशंकर के प्रयासों का पूरा समर्थन करते हैं और आपसी बातचीत के जरिए निकाले गए हल से ही लंबे वक्त तक हिंदू और मुसलमानों के बीच सौहार्द कायम रह सकता है।
‘इस बयान की प्रति के मुताबिक, हाजी महबूब ने कहा “श्री श्री रविशंकर के अयोध्या मुद्दे को आपसी भाईचारे से हल करने के प्रयासों से हम भलीभांति परिचित हैं। हमारा मानना है कि अयोध्या मुद्दे का अदालत से बाहर किया गया फैसला ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच लंबे समय तक शांति सौहार्द और सद्भाव कायम कर सकता है। हम उनके प्रयासों की प्रशंसा करते हैं और पूर्ण रूप से उनका समर्थन करते हैं।”
अंजुमन मुहाफिज मस्जिद व मकाबिर संगठन के अध्यक्ष हाजी महबूब के इस बयान पर मामले के एक और याचिकाकर्ता मोहम्मद उमर के भी दस्तखत हैं। इसके अलावा अयोध्या की केवड़ा मस्जिद और टेढ़ी बाजार मस्जिद के इमामों ने भी इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।
हालांकि बयान में श्री श्री रविशंकर द्वारा पेश किए गए फार्मूले का समर्थन करने का कोई जिक्र नहीं है। बहरहाल, इस बयान को अयोध्या मामले का बातचीत के जरिए हल निकाले जाने के परिप्रेक्ष्य में काफी अहम माना जा रहा है।
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