Home / आर्थिक / एजीआर बकाया भुगतान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2500करोड़ रूपये के भुगतान का Vodaphone का प्रस्ताव ठुकराया ,इस कंपनी पर बकाया है 53 हजार करोड़ रुपये attacknews.in

एजीआर बकाया भुगतान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2500करोड़ रूपये के भुगतान का Vodaphone का प्रस्ताव ठुकराया ,इस कंपनी पर बकाया है 53 हजार करोड़ रुपये attacknews.in

नयी दिल्ली 17 फरवरी । उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को समायोजित सकल आय (एजीआर) बकाया के भुगतान मामले में आज ही 2500 करोड़ रूपए और शुक्रवार तक 1,000 करोड़ रूपए जमा करने का वोडाफोन का प्रस्ताव ठुकरा दिया। इसके अलावा न्यायालय ने कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने से उसे राहत भी नहीं दी।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने वोडाफोन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इंकार कर दिया।

रोहतगी ने पीठ से कहा था कि कंपनी ने एजीआर के सांविधिक बकाया राशि में से सोमवार को 2,500 करोड़ रुपये तथा शुक्रवार तक 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिये तैयार है लेकिन उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।

उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि सरकार के पास जमा वोडाफोन की बैंक गारंटी को भुनाया नहीं जाये।

वोडाफोन आइडिया पर अनुमानित 53 हजार करोड़ रुपये का सांविधिक बकाया है।

शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज के शीर्ष अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि 1.47 लाख करोड़ रूपए के समेकित सकल राजस्व (एजीआर) की अदायगी के न्यायिक आदेश पर अमल नहीं करने पर उनके खिलाफ अवमाना की कार्यवाही की जायेगी। साथ ही न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुये सवाल किया था कि‘‘ क्या इस देश में कोई कानून नहीं बचा है।’’

शीर्ष अदालत की फटकार के बाद सरकार ने इन संचार कंपनियों के प्रति कड़ा रूख अपनाया। इस पर भारती एयरटेल ने सोमवार को कहा कि उसने 10,000 करोड़ रूपए का भुगतान दूरसंचार विभाग को किया।

कंपनी ने कहा कि वह स्व:आकलन कवायद के बाद शेष राशि का भुगतान कर देगी।

शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी, 2020 तक बकाया राशि का भुगतान करने संबंधी न्यायिक आदेश पर अमल नहीं किये जाने पर कड़ा रूख अपनाया था और दूरसंचार विभाग के डेस्क अधिकारी के एक आदेश पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। इस अधिकारी ने समेकित सकल राजस्व के मामले में न्यायालय के फैसले के प्रभाव पर रोक लगा दी थी।

पीठ ने कहा कि इन संचार कंपनियों ने उसके आदेश का उल्लंघन किया है और उन्हें इस मामले में 17 मार्च को सुनवाई होने से पहले बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने समेकित सकल राजस्व की बकाया राशि के भुगतान के लिये और समय देने का अनुरोध करने वाली वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इस घटनाक्रम पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि कोई डेस्क अधिकारी भुगतान के लिये दबाव नहीं डालने जैसा आदेश कैसे दे सकता है कि जो शीर्ष अदालत के फैसले के प्रभाव पर रोक लगाता है।

न्यायलाय ने स्पष्ट किया कि यदि उसके आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो दूसरसंचार विभाग के डेस्क अधिकारी और इन कंपनियों के शीर्ष अधिकारी 17 मार्च को व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 24 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा था कि कानूनी रूप से बकाया राशि की गणना में संचार कंपनियों के गैर दूरसंचार राजस्व को भी शामिल करना होगा। न्यायालय ने दूरसंचार विभाग के फैसले को बरकरार रखा था।

इससे पहले, 16 जनवरी को न्यायालय ने कानूनी बकाया 1.47 लाख करोड़ रूपए की धनराशि का 23 जनवरी तक भुगतान करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार के लिये इन कंपनियों की याचिकाएं खारिज कर दी थीं।

एयरटेल ने एजीआर सांविधिक बकाये में से चुकाए 10,000 करोड़ रुपये:

समायोजित सकल आय (एजीआर) मामले में उच्चतम न्यायालय की फटकार और सरकार के दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने के बीच भारती एयरटेल ने सोमवार को अपने कुल सांविधिक बकाए में से दूरसंचार विभाग को 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। सरकार के आकलन के अनुसार कंपनी पर उसका कुल 35,586 करोड़ रुपये सांविधिक बकाया है।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह बाकी की राशि का भुगतान भी स्वआकलन के बाद कर देगी।

बयान में कहा गया है, ‘‘ भारती एयरटेल, भारती हेक्साकॉम और टेलीनॉर की तरफ से कुल 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।’’

इसमें भारती एयरटेल की ओर से 9,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इसमें टेलीनॉर इंडिया का हिस्सा भी शामिल है क्योंकि उसका भारती एयरटेल में विलय हो गया था। बाकी 500 करोड़ रुपये का भुगतान भारती हेक्साकॉम की ओर से किया गया है।

उल्लेखनीय है कि एजीआर मामले में न्यायालय के दूरसंचार कंपनियों से वसूली के आदेश की अवहेलना करने पर कड़ी फटकार के बाद दूरसंचार विभाग 14 फरवरी से हरकत में आया और उसने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूरसंचार कंपनियों को जल्द से जल्द अपना पिछला सांविधिक बकाया चुकाने के आदेश जारी करने शुरू कर दिए।

विभाग ने कंपनियों को दूरसंचार सर्किल के आधार पर बकाया जमा करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही उसने कंपनियों से कहा है कि वह जल्द से जल्द अपना बकाया चुकाएं या फिर बिना किसी नोटिस के लाइसेंस की शर्तों के अनुरूप कार्रवाई का सामना करने को तैयार रहें।

उत्तर प्रदेश पश्चिम जैसे दूरसंचार सर्किलों के लिए कंपनियों को शुक्रवार रात 11 बजकर 59 मिनट तक ही बकाया जमा कराने का समय दिया गया। वहीं उत्तर प्रदेश पूर्व जैसे परिक्षेत्रों के लिए विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय शनिवार 15 फरवरी को भी खुले रहे।

एयरटेल ने विभाग के आदेश पर शुक्रवार को अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि वह कुल बकाये में से 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान 20 फरवरी तक और बाकी बची राशि 17 मार्च तक चुका देगी।

लेकिन सोमवार को कंपनी ने कहा, ‘‘ हम शीघ्रता के साथ स्वआकलन की प्रक्रिया में हैं और उच्चतम न्यायालय की अगली सुनवाई से पहले हम इस प्रक्रिया को पूरा करके बचे बकाया का भी भुगतान करेंगे।’’

एयरटेल ने कहा कि बचे हुए बकाया का भुगतान करने के वक्त वह इससे जुड़ी और जानकारी भी देगी।

एजीआर मामले में कुल 15 इकाइयों पर सरकार का 1.47 लाख करोड़ रुपये सांविधिक बकाया है। इसमें 92,642 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क का और 55,054 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क का बाकी है।

एयरटेल के अलावा वोडाफोन आइडिया पर भी सरकार का बड़ा बकाया बाकी है। वोडाफोन पर सरकार का 53,000 करोड़ रुपये सांविधिक बकाया है। इसमें 24,729 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और 28,309 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क का है।

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