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तमिलनाडु के वेदांता संयंत्र से ऑक्सीजन उत्पादन की ‘सुप्रीम’ अनुमति,इस आदेश का असर वेदांता के मूल मुकदमे पर नहीं पड़ेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल । उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के वेदांता ताम्र संयंत्र को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए खोले जाने की मंगलवार को अनुमति दे दी।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश उस वक्त दिया जब उसे अवगत कराया गया कि तमिलनाडु सरकार ने सर्वदलीय बैठक में संयंत्र को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए चार महीने खोलने का निर्णय लिया है।

न्यायालय का यह आदेश कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर के कारण पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए आया है।

न्यायालय ने कहा, “ वेदांता केवल मेडिकल श्रेणी के ऑक्सीजन उत्पादन के लिए अपना संयंत्र खोल सकता है, लेकिन इस आदेश का असर वेदांता के मूल मुकदमे पर नहीं पड़ेगा।”

खंडपीठ ने वेदांता में उत्पादन संबंधी गतिविधियों की निगरानी को लेकर एक समिति भी गठित की है, जिसमें तूतीकोरिन के जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला पर्यावरण अभियंता, सब-कलेक्टर तथा संबंधित मामलों की जानकारी रखने वाले दो सरकारी अधिकारी शामिल होंगे।समिति यह निर्णय करेगी कि संयंत्र में कितने आदमी प्रवेश करेंगे।

पिछली सुनवाई को न्यायालय ने कहा था कि जब ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं, तो तमिलनाडु सरकार बंद पड़ी वेदांता के स्टरलाइट तांबा संयंत्र इकाई से ऑक्सीजन का उत्पादन क्यों नहीं करती।

न्यायालय ने कहा था कि उसकी दिलचस्पी वेदांता या किसी कंपनी के चलाने में नहीं है, बल्कि संकट के समय में ऑक्सीजन उत्पादन से है।

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए कहा था कि जिला कलेक्टर ने स्थानीय लोगों से इस मसले पर बात की है।

इस प्लांट को लेकर लोगों में अविश्वास का माहौल है।

श्री वैद्यनाथन ने कहा था कि वह ऑक्सीजन उत्पादन के लिए संयंत्र को खोलने या न खोलने के बारे में राज्य सरकार से मशविरा करके सोमवार तक अदालत को अवगत करायेंगे।

तूतीकोरिन के प्रभावित परिवारों के संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज ने कहा था कि यदि तमिलनाडु सरकार इस संयंत्र को अपने हाथ में लेकर ऑक्सीजन का उत्पादन करती है तो लोगों के ह केहितों ह ।। ई दिक्कत नहीं है।
गौरतलब है कि संयंत्र के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के बाद 21 और 22 मई 2018 को पुलिस गोलीबारी में 13 लोगों की मौत के बाद इसे बंद कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर तथा न्यायमूर्ति एस रविन्द्र भट की पीठ ने कहा कि इस आदेश की आड़ में वेदांता को तांबा गलाने वाले संयंत्र में प्रवेश और उसके संचालन की अनुमति नहीं दी गई है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वेदांता द्वारा ऑक्सीजन उत्पादन को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिये क्योंकि इस समय राष्ट्र संकट का सामना कर रहा है।

न्यायालय ने कहा कि वेदांता को ऑक्सीजन संयंत्र के संचालन की अनुमति देने का आदेश किसी भी तरह से कंपनी के हित में किसी प्रकार का सृजन नहीं माना जाएगा।

न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को ऑक्सीजन संयंत्र में गतिविधियों पर नजर रखने के लिये जिला कलेक्टर और तूतीकोरिन के पुलिस अधीक्षक, जिला पर्यावरण इंजीनियर, तूतीकोरिन उप कलेक्टर और दो सरकारी अधिकारियों को शामिल कर एक समिति गठित करने का निर्देश दिया।

पीठ ने वेदांता को ऑक्सीजन संयंत्र के संचालन के लिये जरूरी तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मियों की सूची समिति को सौंपने का भी निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वेदांता को 31 जुलाई 2021 तक ऑक्सीजन संयंत्र के संचालन की अनुमति दी गई है, जिसके बाद कोविड-19 महामारी से उपजे जमीनी हालात की समीक्षा की जाएगी।

संयंत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चिंताओं को लेकर अदालत ने कहा, ‘फिलहाल हम राष्ट्रीय संकट से गुजर रहे हैं और एक अदालत के रूप में हमें राष्ट्र को सहयोग देना है। यह राष्ट्रीय आपदा है।’

न्यायालय ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तमिलनाडु के पर्यावरण विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है।

पीठ ने कहा, ‘वेदांता संकट से पीड़ित भी अपने दो सदस्यों का चुनाव कर समिति को सकते हैं। यदि पीड़ित 48 घंटे में चुनाव नहीं कर पाते हैं तो राज्य इन सदस्यों को चयन कर सकता है। ‘

सुनवाई की शुरुआत में तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने पीठ को बताया कि सरकार ने सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक की और उन्होंने राज्य में कोविड -19 के व्यापक प्रकोप के मद्देनजर वेदांता के बंद पड़े स्टरलाइट कॉपर प्लांट में मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि ऑक्सीजन आपूर्ति के संदर्भ में राज्य सरकार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और अन्य राज्यों को बची हुई ऑक्सीजन दी जा सकती है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी इस दलील का विरोध किया और कहा कि ऑक्सीजन के आवंटन की शक्ति केंद्र के पास है।

मेहता ने कहा, “मैं राज्य और वेदांता के बीच विवाद को लेकर चिंतित नहीं हूं। एक सुविधा उपलब्ध है, जिसका इस्तेमाल किया जाना है। ऑक्सीजन का उत्पादन स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए होना चाहिए और इसे केंद्र के जरिये हर राज्य को आवंटित किया जाना चाहिए।’

उन्होंने कहा, “अगर किसी राज्य में अधिक मामले आते हैं, तो हमें उस विशेष राज्य में थोड़ी अधिक ऑक्सीजन भेजनी पड़ सकती है। ऑक्सीजन के राज्यवार आवंटन का जिम्मा केंद्र को दिया जाए।’
पीड़ित परिवारों के संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि उन्हें ऑक्सीजन के उत्पादन पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मुकदमेबाजी के इतिहास से पता चलता है कि वेदांता ने संयंत्र को फिर से शुरू करने और लोगों को उसमें प्रवेश देने की कई बार कोशिश की है।

शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को कहा था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं। उसने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि वह ऑक्सीजन उत्पादन के लिये तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट तांबा इकाई को अपने नियंत्रण में क्यों नहीं ले लेती, जो प्रदूषण चिंताओं को लेकर मई 2018 से बंद है।

वेदांता ने टीएनपीसीबी के 23 मई, 2018 के आदेश के बाद बंद किये गए स्टरलाइट संयंत्र को फिर से खोलने की अपील करते हुए फरवरी 2019 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जहां उसे निराशा हाथ लगी थी। प्लांट के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बाद 21 और 22 मई को पुलिस की गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई थी

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