Home / Law / Court / भारत के 75वां स्वतंत्रता दिवस 2022 तक 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था वाले संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ सेंट्रल विस्टा परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी attacknews.in

भारत के 75वां स्वतंत्रता दिवस 2022 तक 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था वाले संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ सेंट्रल विस्टा परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 जनवरी ।उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा’ योजना को मंगलवार को हरी झंडी दे दी,बहुमत से फैसला सुनाते हुए सेंट्रल विस्टा परियोजना की खातिर पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरकरार रखा।

सेंट्रल विस्टा परियोजना की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसका निर्माण अगस्त 2022 तक पूरा होना है। उसी वर्ष भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा।

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि परियोजना के लिए जो पर्यावरण मंजूरी दी गई है तथा भूमि उपयोग में परिवर्तन के लिए जो अधिसूचना जारी की गई है वे वैध हैं।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने खुद की तथा न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की ओर से यह फैसला लिखा जिसमें सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रस्तावक को सभी निर्माण स्थलों पर स्मॉग टॉवर लगाने और एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है।

पीठ के तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भी परियोजना को मंजूरी पर सहमति जताई हालांकि उन्होंने भूमि उपयोग में बदलाव संबंधी फैसले पर और परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दिए जाने पर असहमति जताई।

बहुमत का फैसला सुनाते हुए कहा कि परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय की ओर से दी गई हरी झंडी में कोई गड़बड़ी नजर नहीं आती।

न्यायमूर्ति खानविलकर और न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि उपयोग बदलने की अधिसूचना को भी सही ठहराया जबकि न्यायमूर्ति खन्ना ने इसपर अपनी असहमति जताई।

इस परियोजना के खिलाफ पांच याचिकाएं दायर की गई थी, जिनमें दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि उपयोग बदलने की अधिसूचना, पर्यावरण चिंताओं की अनदेखी आदि के मुद्दे शामिल थे।

न्यायालय ने लंबी सुनवाई के बाद गत वर्ष पांच नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अनेक याचिकाओं पर शीर्ष अदालत का यह फैसला आया है जिनमें परियोजना को दी गई विभिन्न मंजूरियों पर आपत्ति जताई गई है, इनमें पर्यावरण मंजूरी दिए जाने और भूमि उपयोग के बदलाव की मंजूरी देने का भी विरोध किया गया है। इनमें से एक याचिका कार्यकर्ता राजीव सूरी की भी है।

गौरतलब है कि न्यायालय ने गत सात दिसंबर को नए संसद भवन के शिलान्यास को मंजूरी तो दे दी थी लेकिन मौजूदा ढांचे में किसी तरह के छेड़छाड़ से फैसला आने तक रोक दिया था।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने मामले का अंतिम निपटारा न होने के बावजूद निर्माण कार्य आगे बढ़ाने को लेकर गहरी नाराजगी जताई थी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था, “ कोई रोक नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर चीज के साथ आगे बढ़ सकते हैं। ”

पीठ की नाराजगी झेलते हुए सॉलिसिटर जनरल ने सरकार से निर्देश हासिल करने के लिए एक दिन का समय मांगा था, लेकिन न्यायालय ने उसी दिन सरकार से बातचीत करके वापस आने के लिए कहा था और थोड़ी देर के लिए सुनवाई रोक दी गई थी।

थोड़ी देर के बाद, श्री मेहता वापस आ गए थे और उन्होंने क्षमायाचना करते हुए न्यायालय को आश्वस्त किया था कि कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ों की कटाई नहीं होगी। नींव का पत्थर रखा जाएगा, लेकिन कोई और परिवर्तन नहीं होगा।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने श्री मेहता का बयान रिकॉर्ड पर लेते हुए आदेश दिया था कि 10 दिसंबर को होने वाला शिलान्यास कार्यक्रम जारी रहेगा, लेकिन कोई निर्माण कार्य नहीं होगा।

सेंट्रल विस्टा परियोजना मामले का घटनाक्रम

उच्चतम न्यायालय ने लुटियन्स दिल्ली में ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को मंगलवार को बरकरार रखा और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के क्षेत्र में प्रस्तावित इस महत्वाकांक्षी परियोजना का रास्ता साफ कर दिया।

इस परियोजना से जुड़े पूरे मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है:-

सितंबर, 2019: सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी। इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसका निर्माण अगस्त 2022 तक पूरा होना है। उसी वर्ष भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा।

11 फरवरी, 2020: दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीडीए से कहा कि वह परियोजना के साथ आगे बढ़ने से पहले मास्टर प्लान में किसी भी बदलाव को अधिसूचित करने से पहले अदालत का दरवाजा खटखटाए।

28 फरवरी: दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने डीडीए, केंद्र की एक अपील पर एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगा दी।

17 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने परियोजना से संबंधित पर्यावरणीय मंजूरी और भूमि उपयोग सहित विभिन्न मुद्दों को उठाने वाली कई याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई शुरू की।

5 नवंबर: उच्चतम न्यायालय ने परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा।

7 दिसंबर: उच्चतम न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए शिलान्यास समारोह आयोजित करने की अनुमति दी, लेकिन निर्माण शुरू करने पर रोक लगा दी।

10 दिसंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी।

5 जनवरी, 2021: उच्चतम न्यायालय ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया।

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