नयी दिल्ली, 19 मार्च ।उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश में राजनीतिक संकट के हल के लिए शुक्रवार को ही विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने दो दिन तक चली मैराथन सुनवाई के बाद गुरुवार को यह आदेश जारी किया।
देर शाम तक सुनवाई करने के बाद खंडपीठ ने कुछ समय का ब्रेक लिया। करीब छह बजे न्यायालय आदेश सुनाने के लिए बैठा।
न्यायालय ने कहा कि मध्य प्रदेश में कल विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा और शाम पांच बजे तक बहुमत परीक्षण का काम पूरा करना होगा।
न्यायालय ने पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने का भी निर्देश दिया।
खंडपीठ ने कहा कि 16 बागी विधायक अगर आना चाहते है तो कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक और मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएंगे।
मध्य प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट आज चार बजे सुनवाई खत्म हुई.
सुनवाई में स्पीकर के वकील मनु सिंघवी ने दलील दी, ‘सिर्फ फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है. स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना ज़रूरी. अब इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे.’attacknews.in
सिंघवी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के विवेकाधिकार में दखल नहीं दे सकता. सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता (disqualification) तय करने का अधिकार है. अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता। इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपना शुरू कर दिया. वैसे तो कोर्ट को स्पीकर के लिए कोई समय तय नहीं करना चाहिए. स्पीकर को समय दिया देना चाहिए. लेकिन फिर भी आप कह दीजिए कि उचित समय मे स्पीकर तय करे तो वह 2 हफ्ते में तय कर लेंगे.’attacknews.in
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे?’
सिंघवी ने कहा, ‘आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं. ऐसा किये बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए. अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को अपने वोटर से मिलने क्यों नहीं दिया गया?’
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने पूछा, ‘MLA राज्यसभा चुनाव में व्हिप से बंधे होते हैं?’
सिंघवी ने कहा, हां
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘तब वोटर से मिलने की दलील का क्या मतलब रह गया?’
सिंघवी ने जवाब दिया, ‘दिग्विजय महत्वपूर्ण नहीं है, मैं MLA को बंधक रखने की बात पर जिरह कर रहा हूं.’
बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा, ‘हमें कोर्ट के सभी सुझाव मंजूर हैं.’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम सुनिश्चित करते हैं कि वे बैंगलोर में एक निष्पक्ष स्थान पर जाएं, और एक पर्यवेक्षक नियुक्त करें. इस्तीफे या अयोग्यता का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध? उसे क्यों रोका जाए.’attacknews.in
सिंघवी ने इस पर कहा, ‘इसलिए कि इससे तय होगा कि नई सरकार में अपनी पार्टी से विश्वासघात करने वाले MLA को क्या मिल सकेगा. कर्नाटक मामले में कोर्ट ने स्पीकर के इस्तीफों पर फैसला लेने की कोई समय सीमा भी तय नहीं की थी.’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, लेकिन इसके चलते फ्लोर टेस्ट को देर से करवाने की कोई इजाज़त कोर्ट ने नहीं दी थी. हमने यह भी कहा था कि विधायक सदन की कार्रवाई में जाने या न जाने का फैसला खुद ले सकते हैं.’ attacknews.in
सिंघवी ने कहा, ‘कर्नाटक में एक अविश्वास प्रस्ताव था। यहां भी यह लोग लेकर आएं। स्पीकर प्रक्रिया के मुताबिक उसको देखेंगे.’ सिंघवी ने बागी विधायकों की तरफ से रखे गए कागज़ात पर सवाल उठाया। attacknews.in
बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘एक केस में AOR ने मरे हुए आदमी के नाम से हलफनामा दाखिल कर दिया था। इसमें क्लाइंट की कोई गलती नहीं होती। कागज़ पर तकनीकी सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं.’
कपिल सिब्बल बोले MP का मामला अनूठा
कांग्रेस की ओर से कोर्ट के सामने उपस्थित हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मध्य प्रदेश में मौजूदा समय में कोई भी पार्टी बहुमत का दावा नहीं कर रही है. इससे सपष्ट है कि कमलनाथ के पास बहुमत होने का दावा करने वाली कांग््रोस के पास फिलहाल पूर्ण बहुमत नहीं है. बुधवार की सुनवाई में SC ने MP विधानसभा स्पीकर पर कड़ा रुख अपनाया और 16 विधायकों के इस्तीफे ना स्वीकारने का कारण पूछा.।attacknews.in
कांग्रेस की दलील- राज्यपाल नहीं करा सकते फ्लोर टेस्ट
अभिषेक मनु सिंघवी ने 14 मार्च की राज्यपाल की चिट्ठी की भाषा पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘राज्यपाल ने लिखा है कि 22 विधायकों ने इस्तीफा भेजा है, मैंने भी मीडिया में देखा, मुझे भी चिट्ठी मिली, सरकार बहुमत खो चुकी है.’ राज्यपाल ने खुद ही तय कर लिया? इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार अल्पमत में है तो क्या राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट कराने की शक्ति है. इस पर सिंघवी ने कहा कि नहीं, वह नहीं करा सकते. उनकी शक्ति सदन बुलाने के बारे में है। attacknews.in
राज्यपाल को स्पीकर को निर्देश देने की शक्ति
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर सदन सत्र में नहीं है और यदि सरकार बहुमत खो देती है तो राज्यपाल को विश्वास मत रखने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की शक्ति है. क्या होगा जब विधानसभा को पूर्व निर्धारित किया जाता है और सरकार अपना बहुमत खो देती है? राज्यपाल फिर विधानसभा नहीं बुला सकते? चूंकि इसे अनुमति नहीं देना का मतलब अल्पमत में सरकार जारी रखना होगा। attacknews.in
राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दे सकते हैं:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत जो उभरता है, उसमें अविश्वास मत पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि स्पीकर के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मुद्दा लंबित है. इसलिए हमें यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल उसके साथ निहित शक्तियों से परे काम करें या नहीं. एक अन्य सवाल है कि अगर स्पीकर राज्यपाल की सलाह को स्वीकार नहीं करता है तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए. एक विकल्प है कि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक के आदेश स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देता कि वो कब तक अयोग्यता पर फैसला लें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि फ्लोर टेस्ट न हो।
मध्यप्रदेश के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे पर ‘एक दिन में’ लिया जाए फैसला :
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य के 16 बागी कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय ‘एक दिन के अंदर’ लिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि 16 बागी विधायकों की वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग होगी और अदालत इसके लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करेगी. शीर्ष न्यायालय ने प्रस्ताव देते हुए कहा कि बागी विधायक तटस्थ स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष के सामने खुद को पेश कर सकते हैं.
सिंघवी ने दलील देते हुए कहा, बीजेपी की ओर से बार-बार सिर्फ फ्लोर टेस्ट फ्लोर टेस्ट की बात दोहराई जा रही है. ये सीधे सीधे स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम जोड़तोड़ को बढ़ावा देना नहीं चाहते . इस जोड़तोड़ को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिए. सिंघवी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में यू दखल नहीं दे सकता. दलबदल कानून के तहत 2/3 विधायकों का पार्टी से अलग होना ज़रूरी. अब BJP की ओर से इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे. attacknews.in
सिंघवी ने कहा, सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता तय करने का अधिकार है. अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता. इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट की बात दोहरानी शुरू कर दी गई.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे? सिंघवी ने इससे इंकार किया. इस पर जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा – दोनों के अधिकारों में संतुलन ज़रूरी है. विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार है तो स्पीकर को फैसला लेने का अधिकार है.
इस पर सिंघवी ने कहा कि कोर्ट वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. अगर आप समयसीमा भी तय न करें तो भी स्पीकर दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार है. सिंघवी ने कहा, इस्तीफे और अयोग्यता पर बिना फैसला हुए फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए।
जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा, लेकिन आप स्थिति से कैसे निपटेंगे जब स्पीकर कोई फैसला नहीं ले रहे हैं. सिंघवी ने जवाब देते हुए कहा, स्पीकर को वाजिब वक़्त दिया जा सकता है. उन्हें आप दो हफ्ते दे दीजिए. उन्होंने पहले ही विधायकों को नोटिस जारी किया हुआ है.
सिंघवी ने कहा- अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को उन MLAs से मिलने क्यों नहीं दिया गया? इस पर जस्टिस गुप्ता ने सवाल किया कि क्या MLA राज्यसभा चुनाव में व्हिप से बंधे होते हैं? सिंघवी के सहमति जताने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा – तब MLAs से मिलने की दलील का कोई मतलब नहीं रहा जाता. सिंघवी ने कहा कि दिग्विजय को छोड़िए, महत्वपूर्ण बात ये है कि MLA को बंधक बनाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम जोड़तोड़ को बढ़ावा देना नहीं चाहते . इस जोड़तोड़ को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह किसी राज्य की नहीं बल्कि देश की समस्या है
स्पीकर की ओर से पेश हो रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह स्पीकर का अधिकार है कि वह चुने कि किसे इस्तीफा स्वीकार किया जाना है और किसका नहीं। स्पीकर के फैसले में कोई दखल नहीं दे सकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हॉर्स ट्रेडिंग हो इसलिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराया जाना चाहिए। फ्लोर टेस्ट कराए जाने के मामले पर सुनवाई के दौरान एक समय वह भी आया जब कोर्ट ने कहा कि यह किसी राज्य की नहीं बल्कि देश की समस्या है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत जो उभरता है, उसमें अविश्वास मत पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि स्पीकर के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मुद्दा लंबित है। इसलिए हमें यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल उसके साथ निहित शक्तियों से परे काम करें या नहीं। एक अन्य सवाल है कि अगर स्पीकर राज्यपाल की सलाह को स्वीकार नहीं करता है तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए, एक विकल्प है कि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को भेजे।
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बात बहुत स्पष्ट है कि विधायक सभी एक साथ काम कर रहे हैं, यह एक राजनीतिक ब्लॉक हो सकता है। हम कोई भी अर्थ नहीं निकाल सकते। वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि संसद या विधानसभा के सदस्यों को विचार की कोई स्वतंत्रता नहीं है, वे व्हिप से संचालित होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक इस्तीफा एक लाइन का होना चाहिए।
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर सदन सत्र में नहीं है और यदि सरकार बहुमत खो देती है तो राज्यपाल को विश्वास मत रखने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की शक्ति है, क्या होगा जब विधानसभा को पूर्व निर्धारित किया जाता है और सरकार अपना बहुमत खो देती है? राज्यपाल फिर विधानसभा नहीं बुला सकते? चूंकि इसे अनुमति नहीं देना का मतलब अल्पमत में सरकार जारी रखना होगा।
अभिषेक मनु सिंघवी ने 14 मार्च की राज्यपाल की चिट्ठी की भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यपाल ने लिखा है कि 22 विधायकों ने इस्तीफा भेजा है, मैंने भी मीडिया में देखा, मुझे भी चिट्ठी मिली, सरकार बहुमत खो चुकी है। राज्यपाल ने खुद ही तय कर लिया? इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार अल्पमत में है तो क्या राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट कराने की शक्ति है। इस पर सिंघवी ने कहा कि नहीं, वह नहीं करा सकते, उनकी शक्ति सदन बुलाने के बारे में ही है।
कमलनाथ सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना आवश्यक है। अब इससे बचने के लिए नया खोज निकाला जा रहा है, 15 लोगों के बाहर रहने से हाउस का दायरा सीमित हो जाता है। यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है। यह मेरे नहीं अदालत के शब्द हैं। सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए दो हफ्ते का वक्त देना चाहिए।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि हम कोई रास्ता निकालना चाहते हैं, ये केवल एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है। आप यह नहीं कह सकते कि मैं अपना कर्तव्य तय करूंगा और दोष भई लगाऊंगा। हम उनकी स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियों बना सकते हैं कि इस्तीफे वास्तव स्वैच्छिक है और हम एक पर्यवेक्षक को बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर नियुक्त कर सकते हैं। वे आपके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़ सकते हैं और फिर आप निर्णय ले सकते हैं।
अदालत से लेकर बेंगलुरु तक राजनीतिक दांव पेंच जारी रही । इससे पहले शीर्ष अदालत में मामले पर बुधवार को दिनभर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिन की सुनवाई के दौरान मप्र विधानसभा अध्यक्ष पर कड़ा रुख अख्तियार किया और 16 विधायकों के इस्तीफे नहीं स्वीकारने का कारण पूछा। अदालत में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पक्ष के वकीलों में कई बार गरमागरम बहस भी हुई। भाजपा के वकीलों ने सभी 16 बागी विधायकों को पेश करने की इच्छा जाहिर की थी, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया था।
अदालत में कानूनी पहलुओं पर इस मसले को मापा जा रहा है, वहीं भोपाल और बेंगलुरु में भी सियासी खेल जारी है। भोपाल में भाजपा ने दिग्विजय सिंह की शिकायत चुनाव आयोग से की है। भाजपा ने आरोप लगाया कि राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता विधायकों को डराने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर बुधवार को बेंगलुरु में सियासी ड्रामा चरम पर रहा। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सुबह-सुबह बागी विधायकों से मिलने रिजॉर्ट पहुंचे, लेकिन राज्य पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। शाम तक वो बाहर आए तो कर्नाटक हाईकोर्ट में विधायकों से मिलने की इजाजत मांगी लेकिन याचिका ही खारिज हो गई।
मध्यप्रदेश में नए युग की शुरूआत होगी – शिवराज
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सत्य और न्याय की विजय हुयी है।
राजधानी भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर सीहोर के पास एक होटल में अपने विधायकों के साथ मौजूद श्री चौहान ने मीडिया से कहा कि इस फैसले के साथ ही राज्य में नए युग की शुरूआत होगी। उन्होंने कहा कि आतंक और प्रलोभन की राजनीति का भी इस फैसले से अंत होगा।
श्री चाैहान ने कहा कि कल फ्लोर टेस्ट के साथ ही पूरी स्थितियां साफ हो जाएंगी। इस मौके पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और अन्य विधायक भी मौजूद थे।
कमलनाथ ने कहा- कोर्ट जो भी कहेगा, सब उसका पालन करेंगे
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज फिर दावा करते हुए कहा कि उनकी सरकार बहुमत में है और यदि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कोई शक है तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाए।
श्री कमलनाथ ने यहां न्यूज चैनल से चर्चा में कहा कि उनकी सरकार ने पंद्रह महीनों में कई बार बहुमत साबित किया है। इसलिए ही सरकार चल रही है। अब यदि कोई सड़क पर खड़ा होकर कहे कि ‘फ्लोर टेस्ट’ करवाएं, तो क्या उसके आधार पर कार्यवाही होगी।
श्री कमलनाथ ने कहा कि यदि भाजपा को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव क्यों नहीं ला रही है। हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में कोर्ट जो भी कहेगा, उसका आदेश हम क्या, सभी मानेंगे।
मुख्यमंत्री ने अपनी यह बात भी दोहरायी कि बेंगलुरु में ‘बंधक’ कांग्रेस विधायकों को मुक्त किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है, लेकिन बेंगलुरु में मौजूद कांग्रेस विधायकों ने ऐसा नहीं किया। साथ ही उन्होंने दावा किया कि समय आने पर वे सदन में बहुमत साबित कर देंगे।