नयी दिल्ली, 21 मार्च। उच्चतम न्यायालय ने रीयल एस्टेट कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड( जेएएल) को10 मई तक दो किश्तों में200 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने रीयल एस्टेट कंपनी को छह अप्रैल तक100 करोड़ रुपये और शेष राशि10 मई तक जमा कराने को कहा है।
पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़भी शामिल हैं। पीठ ने यह भी कहा कि रिफंड का विकल्प चुनने वाले मकान खरीददारों को रीयल एस्टेट कंपनी की ओर से ईएमआई भुगतान में डिफॉल्ट का कोई नोटिस ना भेजा जाये।
उच्चतम न्यायालय ने जेएएल से कहा कि वह रिफंड पाने के इच्छुक सभी मकान खरीददारों का परियोजना- दर- परियोजना चार्ट जमा करें, ताकि उन्हें आनुपातिक आधार पर धन वापस किया जा सके।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘ अभी हम रिफंड को लेकर चिंतित हैं। जो मकान खरीददार फ्लैट चाहते हैं उनके मुद्दों पर बाद में बात करेंगे।’’
इस बीच जेएएल ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि31,000 मकान खरीददारों में से केवल आठ फीसदी ने रिफंड का विकल्प चुना है और बाकी चाहते हैं कि फ्लैट उन्हें सौंप दिया जाए।
कंपनी ने न्यायालय को यह भी बताया कि उसे2017-18 में अभी तक13,500 फ्लैटों के लिए कब्जा प्रमाणपत्र मिले हैं।
जेएएल ने25 जनवरी को उच्चतम न्यायालय में125 करोड़ रुपये जमा कराए थे। न्यायालय ने मकान खरीददारों के हितों की रक्षा करने के लिए उसे ऐसा करने के निर्देश दिए थे।
उच्चतम न्यायालय ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड( जेआईएल) का स्वामित्व रखने वाली जेएएल को10 जनवरी को देश में अपनी आवासीय परियोजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था और उसने कहा था कि मकान खरीददारों को या तो उनके मकान वापस किए जाएं या उनकी धनराशि लौटायी जानी चाहिए।attacknews.in