नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर ।आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जमानत नहीं देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर उच्चतम न्यायालय मंगलवार को फैसला सुना सकता है।
चिदंबरम को भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने हाल ही में उनके तथा अन्य लोगों खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है जिनमें उनके बेटे कार्ति तथा कुछ नौकरशाह शामिल हैं।
इन पर कथित रूप से भ्रष्टाचार निरोधक कानून तथा भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध करके राजकोष को नुकसान पहुंचाने के मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
चिदंबरम फिलहाल आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में है।
सीबीआई ने 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी चंदा लेने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संबर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की एक मंजूरी में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी।
इसके बाद ईडी ने 2017 में इस संबंध में धनशोधन का मामला दर्ज किया था।
74 वर्षीय वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा दर्ज आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी।
आईएनएक्स मीडिया: दिल्ली की अदालत ने चिदंबरम के खिलाफ आरोप पत्र पर संज्ञान लिया:
दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और 13 अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर आरोप-पत्र पर संज्ञान लिया है।
इन लोगों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम समेत अन्य के तहत अपराध के आरोप हैं।
जांच एजेंसी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में दावा किया कि चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति और अन्य के साथ साजिश रचते हुए आईएनएक्स मीडिया तथा आईएनएक्स न्यूज प्राइवेट लिमिटेड को भारत में रिश्वत के बदले में एक एफडीआई के प्रस्ताव को मंजूरी देने में अपने पद का दुरुपयोग किय।
विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने आरोप-पत्र पर संज्ञान लेने से पहले सीबीआई से अनेक सवाल पूछे। उन्होंने यह भी पूछा कि किसके साथ धोखाधड़ी की गयी।
जांच एजेंसी की ओर से वकील पद्मिनी सिंह ने कहा, ‘‘सरकार के साथ धोखाधड़ी की गयी।’’
उन्होंने कहा कि आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए जरूरी मंजूरी ली गयी।
अदालत ने रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से चिदंबरम को 24 अक्टूबर को अपने समक्ष पेश करने का निर्देश दिया जिस तारीख को 74 वर्षीय चिदंबरम की हिरासत समाप्त होने वाली है। ईडी फिलहाल एक धनशोधन मामले में हिरासत में चिदंबरम से पूछताछ कर रही है।
हालांकि अदालत ने कार्ति तथा 12 अन्य सह-आरोपियों को मामले में 29 नवंबर को पेश होने के लिए कहा है।
आरोप-पत्र में पीटर मुखर्जी, चार्टर्ड अकाउंटेंट एस भास्करमन, आर्थिक मामलों के विभाग में तत्कालीन अतिरिक्त सचिव सिंधुश्री खुल्लर, आर्थिक मामलों के विभाग में तत्कालीन संयुक्त सचिव (विदेश व्यापार) अनूप के पुजारी, एफआईपीबी इकाई (वित्त मंत्रालय) के तत्कालीन सेक्शन अधिकारी अजीत कुमार दुंगदुंग, एफआईपीबी इकाई के तत्कालीन अवर सचिव रबींद्र प्रसाद, एआईपीबी इकाई के निदेशक प्रबोध सक्सेना, आर्थिक मामलों के विभाग में तत्कालीन कार्याधिकारी प्रदीप कुमार बग्गा के नाम आरोपियों के तौर पर हैं।
कार्ति और मुखर्जी फिलहाल जमानत पर हैं।
रिपोर्ट भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दायर की गई है।
इन अपराधों में अधिकतम सजा सात साल की है।