Home / Law / Court / देशभर की अदालतों में 35 लाख से ज्यादा”चेक बाउंस” के लंबित मामलों के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की कमेटी और 3 माह में मांगी रिपोर्ट attacknews.in

देशभर की अदालतों में 35 लाख से ज्यादा”चेक बाउंस” के लंबित मामलों के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की कमेटी और 3 माह में मांगी रिपोर्ट attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 मार्च । उच्चतम न्यायालय ने चेक बाउंस के लंबित मामलों को शीघ्रता से निपटाने के तरीके सुझाने के लिये बंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश न्यामूर्ति आर सी चवान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है।

समिति में विभिन्न सरकारी विभागों, भारतीय रिजर्व बैंक और बैंकों के फोरम आईबीए तथा कुछ अन्य संगठनों के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में शामिल होंगे। सरकार को सदस्यों के नाम 12 मार्च तक देने को कहा गया है।

समिति इस मामले में विभिन्न सुझावों पर विचार करेगी और तीन माह में रिपोर्ट देगी।

मुख्य न्यायधीश एस.ए. बोवडे की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीश की पीठ को सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि केन्द्र सरकार चेक बाउंस के मामलों से निपटने के तौर-तरीके तय हो जाने के बाद ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए अतिरिक्त अदालतें बनाने की आवश्यकता को ‘‘सैद्धांतिक’’ तौर पर स्वीकार कर लिया है।

चेक बाउंस के 35 लाख से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं। शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह भारी संख्या ऐसे मामलों के लंबित होने को ‘‘विचित्र’’ स्थिति बताया।

न्यायालय ने केन्द्र सरकार को चेक बाउंस के लंबित मामलों के निनटान के लिए एक निश्चित समयावधि के लिये अतिरिक्त अदालतें बनाने का सुझाव दिया।

न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 247 के तहत संसद को अधिकार है कि वह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले किसी मामले में अपने बनाए कानून या पहले से चले आ रहे किसी कानून के बेहतर प्रबंधन एवं प्रशासन के लिये कुछ अतिरिक्त अदालतों की स्थापना कर सकती है। अदालत ने कहा कि केंद्र चेक बाउंस मालों को परक्राम्य लिखत एक्ट 1881 के तहत निपटान के लिए अतिरिक्त आदालतें स्थापित कर सकता है।

शीर्ष अदालत चेक बाउंस के बढ़ते मामलों को लेकर स्वत: संज्ञान वाले एक मामले पर सुनवाई कर रही है। न्यायालय ने ऐसे मामलों में जल्द न्याय के लिये कोई प्रणाली तैयार किये जाने पर गौर किया ताकि कानून के तहत दिये गये अधिकार को पूरा किया जा सके और ऐसे लंबित मामलों की संख्या कम की जा सके।

मुख्य न्यायधीश एस ए बोवडे की अध्यक्षता वाली इस पीठ में न्यायमूति एल नागेश्वर राव, बी आर गवई, ए एस बोपन्ना और एस रविन्द्र भट भी शामिल हैं। पीठ ने कहा इस संबंध में उन्हें कई सुझाव प्राप्त हुये हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘परक्राम्य लिखत अधिनियम (एनआई एक्ट) के बेहतर संचालन प्रशासन को लेकर अतिरिक्त अदालतों की स्थापना के बारे में दिये गये अदालत के सुझाव पर केन्द्र सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ऐसे में हम समझते हैं कि एक समिति का गठन किया जाना उचित होगा जो कि जो कि दिये गये सुझावों पर विचार करेगी और एनआई कानून के तहत लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिये उठाये जाने वाले कदमों के बारे में स्पष्ट सुझावों के साथ रिपोर्ट देगी।’’

पीठ ने कहा कि बांबे उच्च न्यायलय के पूर्व न्यायधीश न्यामूर्ति आर सी चवान इस समिति के चेयरमैन होंगे। समिति के अन्य सदस्यों में वित्तीय सेवाओं के विभाग, न्याय विभाग, कंपनी मामलों के विभाग, व्यय विभाग और गृह मंत्रालय के अधिकारी होंगे जो अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे के नहीं होंगे। इसके अलावा इसमें भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के चेयरमैन के नामित प्रतिनिधि भी होंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) और सालिसिटर जनरल अथवा उनके प्रतिनिधि भी इस समिति में शामिल होंगे।

पीठ ने कहा कि केन्द्र समिति को सचिवालय की सुविधा प्रदान करेगा। उसने कहा कि समिति को विभिन्न पर्टियों द्वारा दिये गये सुझावों को समिति को उपलब्ध कराया जायेगा। समिति इस मामले में विशेषज्ञों से भी विचार विमर्श कर सकेगी।

पीठ ने मेहता से कहा कि वह 12 मार्च तक अन्य सदस्यों के नामों को सौंप दें।

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