नयी दिल्ली, 04 जून । उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में मुंबई के टीवी पत्रकार वरुण हीरेमथ की अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।22 वर्षीय महिला ने पत्रकार के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया है।
मुंबई के टीवी पत्रकार वरुण पर आरोप है कि उसने एक मॉडल के साथ दिल्ली में बलात्कार किया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गत 13 मई को वरुण की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली, जिसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी थी।
न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शिकायतकर्ता की अपील ठुकरा दी।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रमाकृष्णन ने दलील दी कि उच्च न्यायालय का आरोपी को अग्रिम जमानत देने का निर्णय त्रुटिपूर्ण है।
सुश्री रमाकृष्णन ने याचिका के समर्थन में कई तरह की दलीलें दी और कहा कि उनकी मुवक्किल ने कमरे के अंदर बार-बार यौन संबंध बनाने के लिए मना किया था।
खंडपीठ ने उनकी दलील और याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि एक पुरुष आग्रह करता है और महिला मान जाती है, क्या इस चरण में इससे आगे भी कुछ कहने की जरूरत है।
यह मामला चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन से जुड़ा है।
निचली अदालत ने पत्रकार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने वरुण को राहत प्रदान करते हुए अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने शिकायतकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमें दखल देने की कोई वजह नजर नहीं आयी। विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’
उच्च न्यायालय ने इस मामले में पत्रकार वरुण हिरेमथ को 13 मई को अग्रिम जमानत दी थी।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आरोपी ने 20 फरवरी को चाणक्यपुरी में एक पांच सितारा होटल में उससे बलात्कार किया था।
हिरेमथ ने 12 मार्च को यहां एक निचली अदालत से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
महिला की शिकायत के आधार पर यहां चाणक्यपुरी पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार के लिए सजा), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाने के लिए सजा) और 509 (किसी महिला का शील भंग करने के इरादे वाला शब्द, भाव भंगिमा या कार्य करना) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने उच्चतम न्यायालय में दलील दी कि आरोपी पहले 50 दिन तक फरार रहा था और उसने गैर जमानती वारंट भी नजरअंदाज किए थे।
शीर्ष न्यायालय में अपनी याचिका में महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने पुलिस जांच में सहयोग न करने के बावजूद एक दिन के लिए भी न्यायिक पूछताछ का सामना नहीं किया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा छह अप्रैल को आरोपी को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दिए जाने के बाद आरोपी जांच अधिकारियों के समक्ष पेश हुआ।
आरोपी की ओर से पेश वकील ने निचली अदालत में दावा किया था कि शिकायकर्ता और पत्रकार के बीच यौन संबंध रहे हैं।
आरोपी के वकील ने दोनों के बीच प्रेम प्रसंग दिखाने के लिए निचली अदालत में व्हाट्सऐप तथा इंस्टाग्राम पर उनकी चैट भी दिखाई।
निचली अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि शिकायकर्ता के आरोपी के साथ पूर्व के अनुभव सहमति के तौर पर नहीं माने जा सकते और अगर अदालत में महिला कहती है कि उसकी सहमति नहीं थी तो यह माना जायेगा कि उसकी रजामंदी नहीं थी।