नयी दिल्ली, 11 जून । कोरोना की दूसरी लहर में आर्थिक संकट से जूझ रहे और ईएमआई में राहत की उम्मीद पाले लोगों को शुक्रवार को उस समय झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने लोन मोरेटोरियम योजना को आगे बढ़ाने तथा ब्याज माफी संबंधित याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह नीतिगत मामला है और न्यायालय सरकार की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अपनी मांग के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास जाना चाहिए।
याचिका में नए ऋण स्थगन, ऋण पुनर्गठन योजना के तहत समय दिये जाने और बैंकों की ओर से गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की घोषणा पर अस्थायी रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
याचिका में न्यायालय से यह कहते हुए तत्काल राहत दिये जाने की मांग की गयी कि वर्तमान में अत्यधिक वित्तीय संकट झेल रहे आम आदमी के लिए केंद्र और आरबीआई की ओर से पर्याप्त उपाय नहीं किये गये हैं।
याचिकाकर्ता ने अदालत से तत्काल राहत की मांग की क्योंकि केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम आदमी की मदद के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं जो वर्तमान में अत्यधिक वित्तीय तनाव में हैं।