Home / क़ानून / चीफ जस्टिस गोगोई को क्लीनचिट मिलने से आहत यौन उत्पीड़न की शिकार महिला कर्मी ने कमजोर और निरीह लोगों को न्याय की इस व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाया attacknews.in

चीफ जस्टिस गोगोई को क्लीनचिट मिलने से आहत यौन उत्पीड़न की शिकार महिला कर्मी ने कमजोर और निरीह लोगों को न्याय की इस व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाया attacknews.in

नयी दिल्ली, छह मई । प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की पूर्व महिला कर्मचारी ने न्यायालय की आंतरिक समिति द्वारा सोमवार को उन्हें क्लीन चिट दिये जाने पर कहा कि वह “बेहद निराश और हताश” हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की एक महिला नागरिक के तौर पर उसके साथ “घोर अन्याय” हुआ है और उसका “सबसे बड़ा डर” सच हो गया और देश की सर्वोच्च अदालत से न्याय की उसकी उम्मीदें पूरी तरह खत्म हो गई हैं।

महिला ने प्रेस के लिए एक बयान जारी कर कहा कि वह अपने वकील से परामर्श कर आगे के कदम पर फैसला उठाएंगी।

उन्होंने कहा, “आज, मैं कमजोर और निरीह लोगों को न्याय देने की हमारी व्यवस्था की क्षमता पर विश्वास खोने के कगार पर हूं…।”

उन्होंने कहा कि उन्हें मीडिया से पता चला कि प्रधान न्यायाधीश अपना बयान दर्ज कराने के लिये समिति के समक्ष पेश हुए लेकिन इस बात की जानकारी नहीं है कि आरोपों से अवगत अन्य लोगों को समिति के समक्ष बुलाया गया या नहीं।

यह है घटनाक्रम:

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोपों से उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने क्लीन चिट देते हुये कहा है कि उसे उनके खिलाफ कोई ‘‘ठोस आधार’’ नहीं मिला। शीर्ष अदालत की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे।

उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय की एक नोटिस में कहा गया है कि न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट ‘‘सार्वजनिक नहीं की जायेगी।’’ समिति में दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी भी शामिल थीं।

समिति ने एकपक्षीय रिपोर्ट दी क्योंकि इस महिला ने तीन दिन जांच कार्यवाही में शामिल होने के बाद 30 अप्रैल को इससे अलग होने का फैसला कर लिया था। महिला ने इसके साथ ही एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी करके समिति के वातावरण को ‘‘बहुत ही भयभीत करने वाला’’ बताया था और अपना वकील ले जाने की अनुमति नहीं दिये जाने सहित कुछ आपत्तियां भी उठायी थीं।

इसके बाद, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई भी एक मई को समिति के समक्ष पेश हुये थे और उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया था।

नोटिस में कहा गया है कि आंतरिक समिति को शीर्ष अदालत के पूर्व कर्मचारी की 19 अप्रैल, 2019 की शिकायत में लगाये गये आरोपों में कोई आधार नहीं मिला। इन्दिरा जयसिंह बनाम शीर्ष अदालत और अन्य के मामले में यह व्यवस्था दी गयी थी कि आंतरिक प्रक्रिया के रूप में गठित समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जायेगी। आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार ही दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश ने यह रिपोर्ट स्वीकार की और इसकी एक प्रति संबंधित न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश को भी भेजी गयी।

इस बीच, एक सरकारी सूत्र ने बताया कि न्यायमूर्ति एन वी रमण न्यायमूर्ति बोबडे के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश थे लेकिन रिपोर्ट उन्हें नहीं सौंपी गयी क्योंकि शुरू में वह भी इस समिति के सदस्य थे परंतु बाद में शिकायतकर्ता महिला की कुछ आपत्तियों के मद्देनजर वह इससे अलग हो गये थे।

सूत्रों ने बताया कि आंतरिक समिति की रिपोर्ट न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा को सौंपी गयी क्योंकि वह इस रिपोर्ट को प्राप्त करने के लिये सक्षम थे।

शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता में 23 अप्रैल, 2019 को आंतरिक जांच समिति गठित की थी। न्यायमूर्ति रमण के इससे हटने के बाद समिति में न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी को शामिल किया गया था।

शीर्ष अदालत की एक पूर्व कर्मचारी ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुये उच्चतम न्यायालय के 22 न्यायाधीशों के आवास पर अपना हलफनामा भेजा था। इसके साथ ही इस हलफनामे के आधार पर 20 अप्रैल को कुछ समाचार पोर्टल ने खबर भी प्रसारित की थी।

ये आरोप सार्वजनिक होने के कुछ घंटों के भीतर ही प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने अप्रत्याशित रूप से इस मामले की सुनवाई की। इस पीठ में न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल थे।

प्रधान न्यायाधीश ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को अविश्वसनीय बताया था और वह बीच में ही इस सुनवाई से अलग हो गये थे। उन्होंने कहा था कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश है और वह इन आरोपों का खंडन करने के लिये भी इतना नीचे नहीं उतरेंगे।

न्यायमूर्ति बोबडे ने इस मामले पर 23 अप्रैल को पीटीआई से बातचीत में कहा था, ‘‘यह एक आंतरिक प्रक्रिया होगी, जिसमें पक्षों की तरफ से वकील की दलीलों पर विचार नहीं किया जाएगा। यह कोई औपचारिक न्यायिक कार्यवाही नहीं है।’’

सीजेआई के खिलाफ ये आरोप तब सामने आए थे जब 20 अप्रैल को कुछ न्यूज वेब पोर्टलों ने इस बाबत खबरें प्रकाशित की थी।

महिला ने कथित यौन उत्पीड़न के बारे में उच्चतम न्यायालय के 22 न्यायाधीशों को अपना हलफनामा भेजा ।

attacknews.in

About Administrator Attack News

Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

Check Also

न्यायमूर्ति नागरत्ना सितंबर 2027 में होगी भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), आज बनी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस,नौ नए न्यायाधीश नियुक्त attacknews.in

न्यायमूर्ति नागरत्ना सितंबर 2027 में होगी भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), आज बनी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस,नौ नए न्यायाधीश नियुक्त

सुप्रीम कोर्ट का आईटी अधिनियम की रद्द धारा 66ए में मुकदमे दर्ज करने पर राज्यों को नोटिस,इस धारा में भड़काऊ सामग्री ऑनलाइन पोस्ट करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान attacknews.in

सुप्रीम कोर्ट का आईटी अधिनियम की रद्द धारा 66ए में मुकदमे दर्ज करने पर राज्यों को नोटिस,इस धारा में भड़काऊ सामग्री ऑनलाइन पोस्ट करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान

लालू प्रसाद यादव की बढ़ी मुश्किलें;शुरू हुई चारा घोटाले के सबसे बड़े केस में रोजाना सुनवाई,डोरंडा कोषागार से करोडों रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू समेत 110 आरोपियों पर लटकी तलवार attacknews.in

लालू प्रसाद यादव की बढ़ी मुश्किलें;शुरू हुई चारा घोटाले के सबसे बड़े केस में रोजाना सुनवाई,डोरंडा कोषागार से करोडों रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू समेत 110 आरोपियों पर लटकी तलवार

महाभारत का प्रसंग याद दिलाते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगायी रोक, सरकार को सीधा प्रसारण के दिये निर्देश;सरकार यात्रा को दे चुकी थी मंजूरी attacknews.in

महाभारत का प्रसंग याद दिलाते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगायी रोक, सरकार को सीधा प्रसारण के दिये निर्देश;सरकार यात्रा को दे चुकी थी मंजूरी

दिल्ली हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने डिजिटल मीडिया के लिए तय किये गए नए आईटी नियमों पर रोक लगाने से किया इनकार,7 जुलाई को सुनवाई attacknews.in

दिल्ली हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने डिजिटल मीडिया के लिए तय किये गए नए आईटी नियमों पर रोक लगाने से किया इनकार,7 जुलाई को सुनवाई