नयी दिल्ली, 23 नवंबर । उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना वायरस महामारी की भयावह होती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को सभी राज्यों से स्थिति रिपोर्ट तलब की।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कोरोना पर स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि देश भर से कोरोना के मामले ने तीव्र वृद्धि की खबर आ रही है। पिछले दो सप्ताह में दिल्ली में स्थिति भयावह हुई है।
न्यायालय ने कहा कि कोरोना मामले की भयावहता को देखते हुए सभी राज्यों को निर्देश दिया जाता है कि वे कोरोना संक्रमण एवं इसके लिए किए जा रहे उपायों से संबंधित ताजी स्थिति रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश करें।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति भूषण ने दिल्ली सरकार से पूछा कि वह स्थिति को कैसे संभाल रही है और कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज कैसे किया जा रहा है? क्या दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त बिस्तरों की व्यवस्था है?
इसके जवाब में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बिस्तर रिजर्व किए गए हैं। इसके बाद खंडपीठ ने दिल्ली सरकार से रोगियों के प्रबंधन को लेकर ताजी स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा।
इस बीच केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात को लेकर सहमति जताई कि दिल्ली सरकार को कोरोना मामले में और बहुत कुछ करना शेष है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) ने गत 13 नवंबर को इस सिलसिले में एक बैठक की थी और कई दिशा-निर्देश जारी किए थे।
न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित करते हुए दिल्ली समेत सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे इस बीच कोरोना संक्रमण से संबंधित ताजी स्थिति रिपोर्ट उसके समक्ष पेश करें।
खंडपीठ ने कहा कि यदि राज्य सरकारें पूरी तरह से तैयार नहीं होती हैं तो दिसंबर में स्थिति बदतर हो सकती है।