मुंबई 30 अप्रैल ।बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन करने वाले ऋषि कपूर की ख्वाहिश थी कि उनके जीवित रहते उनके बेटे रणबीर कपूर की शादी हो जाये जो उनके निधन के बाद अधूरी रह गयी।
ऋषि कपूर ने गुरुवार को इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। ऋषि कपूर ने अपने करियर में काफी ऊंचाइयां देखीं लेकिन निजी जिंदगी में उनकी एक इच्छा अधूरी रह गई। कैंसर का इलाज कराकर जब ऋषि कपूर ने वापसी की तो लगा था उनका अधूरा सपना अब पूरा हो जाएगा ,लेकिन यह पूरा नहीं हो सका।
ऋषि कपूर चाहते थे कि उनके बेटे रणबीर कपूर की शादी जल्द से जल्द हो जाए। कई बार ये खबर भी आई कि रणबीर की शादी की तारीख निकलने वाली है। फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ की शूटिंग के चलते रणबीर के शादी की डेट आगे बढ़ती रही और फिर कोरोना संकट के चलते देशभर में लॉकडाउन हो गया। बताया जा रहा है कि ऋषि कपूर ने अपनी होने वाली बहू आलिया भट्ट से कई बार मुलाकात की। साथ डिनर भी किया लेकिन बेटे को दूल्हा बने देखने की ऋषि की अंतिम ख्वाहिश अधूरी ही रह गयी। ऋषि कपूर ने एक बार कहा था कि बेटे की शादी देखना बाकी रह गया है।
कर्ज से उबरने के लिये राज कपूर ने बनायी थी बॉबी
बॉलीवुड के पहले शो मैन माने जाने राज कपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर को लांच करने के लिये नहीं बल्कि कर्ज से बाहर निकलने के लिये बॉबी बनायी थी।
ऋषि कपूर ने यूं तो अपने सिने करियर की शुरूआत अपने पिता की निर्मित फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ से की । वर्ष 1970 में प्रदर्शित इस फिल्म में ऋषि कपूर ने 14 वर्षीय लड़के की भूमिका निभाई जो अपनी शिक्षिका से प्रेम करने लगता है । अपनी इस भूमिका को ऋषि कपूर ने इस तरह निभाया कि दर्शक भावविभोर हो गये। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये। मेरा नाम जाकर भारतीय सिनेमा इतिहास में मील का पत्थर मानी जाती है लेकिन उन दिनों फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नकार दी गयी थी। इस फिल्म को पूरा करने में काफी समय लगा था। बताया जाता है कि राज कपूर को अपनी पत्नी के गहने भी बेचने पड़े थे। राजकपूर पर काफी कर्ज हो गया था।
राज कपूर ने कर्ज से बाहर निकलने के लिये कम बजट की फिल्म बॉबी बनाने का निर्णय लिया। टीनएज प्रेम कथा पर आधारित वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म बॉबी के लिये राजकपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर और 16 साल की डिंपल कपाड़िया को चुना था। बतौर अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया की भी यह पहली ही फिल्म थी। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने न सिर्फ डिंपल कपाड़िया बल्कि ऋषि कपूर को भी शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया। राज कपूर पर चढ़ा कर्ज भी उतर गया।
अपने रूमानी अंदाज से दर्शकों को दीवाना बनाया ऋषि कपूर ने
बॉलीवुड में ऋषि कपूर का नाम एक ऐसे सदाबहार अभिनेता के तौर पर याद किया जायेगा जिन्होंने अपने रूमानी और भावपूर्ण अभिनय से लगभग तीन दशक से दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान बनायी है ।
चार सितंबर 1952 को मुंबई में जन्में ऋषि कपूर को अभिनय की कला विरासत में मिली। उनके पिता राज कपूर फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता और निर्माता-निर्देशक थे। घर में फिल्मी माहौल रहने के कारण ऋषि कपूर का रूझान फिल्मों की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने के ख्वाब देखने लगे ।
ऋषि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरूआत अपने पिता की निर्मित फिल्म “मेरा नाम जोकर” से की । वर्ष 1970 में प्रदर्शित इस फिल्म में ऋषि कपूर ने 14 वर्षीय लड़के की भूमिका निभाई जो अपनी शिक्षिका से प्रेम करने लगता है । अपनी इस भूमिका को ऋषि कपूर ने इस तरह निभाया कि दर्शक भावविभोर हो गये। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये ।
वर्ष 1973 में अपने पिता राज कपूर के बैनर तले बनी फिल्म “बॉबी” से बतौर अभिनेता ऋषि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरूआत की । युवा प्रेम कथा पर बनी इस फिल्म में उनकी नायिका की भूमिका डिंपल कपाडिया ने निभायी । बतौर अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया की भी यह पहली ही फिल्म थी। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने न सिर्फ डिंपल कपाडिया बल्कि ऋषि कपूर को भी शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया।
फिल्म बॉबी की सफलता के बाद ऋषि कपूर की जहरीला इंसान, जिंदादिल और राजा जैसी फिल्में प्रदर्शित हुयी लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण ये फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी।
वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म खेल खेल में की कामयाबी के बाद ऋषि कपूर बतौर अभिनेता अपनी खोई हुयी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। काॅलेज की जिंदगी पर बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर की नायिका की भूमिका अभिनेत्री नीतू सिंह ने निभाई ।
फिल्म खेल खेल में की कामयाबी के बाद ऋषि कपूर और नीतू सिंह की जोड़ी दर्शकों के बीच काफी मशहूर हो गयी ।
बाद इस जोड़ी ने रफूचक्कर, जहरीला इंसान , जिंदादिल ,कभी-कभी, अमर अकबर एंथनी ,अनजाने, दुनिया मेरी जेब में, झूठा कहीं का ,धन दौलत , दूसरा आदमी आदि फिल्मों में युवा प्रेम की भावनाओं को निराले अंदाज में पेश किया।
वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म अमर अकबर एंथोनी ऋषि कपूर के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है । अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना जैसे मंझे हुये कलाकारों की मौजूदगी में भी ऋषि कपूर ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को दीवाना बना दिया। मनमोहन देसाई के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर अकबर इलाहाबादी की भूमिका में दिखाई दिये । इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत “पर्दा है पर्दा” आज भी सर्वश्रेष्ठ कव्वाली के तौर पर शुमार किया जाता है ।
वर्ष 1977 में ही ऋषि कपूर के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म हम किसी से कम नहीं प्रदर्शित हुयी । नासिर हुसैन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर डांसर सिंगर की भूमिका में दिखाई दिये । इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत “बचना ए हसीनों लो मै आ गया” आज भी श्रोताओं को झूमने को मजबूर कर देता है ।
वर्ष 1979 में के.विश्वनाथ की श्री श्री मुवा की हिंदी में रिमेक फिल्म सरगम ऋषि कपूर के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी । फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये अपने करियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से उन्हें नामांकित किया गया।
वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म कर्ज ऋषि कपूर की सुपरहिट फिल्म में शुमार की जाती है। सुभाष घई के निर्देशन में पुनर्जन्म पर आधारित इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत “ओम शांति ओम” दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। इस गीत से जुड़ा दिलचस्प तथ्य यह है कि इसे कोलकाता के नेताजी सुभाषचंद्र स्टेडियम में फिल्माया गया था और गाने के दौरान ऋषि कपूर एक घूमते हुये डिस्क पर नृत्य करते है ।
वर्ष 1982 में प्रदर्शित फिल्म प्रेम रोग में ऋषि कपूर के अभिनय के नये रूप देखने को मिले। यूं तो यह फिल्म नारी प्रधान थी इसके बावजूद उन्होंने अपने भावपूर्ण अभिनय से दर्शकों का दिल जीतकर फिल्म को सुपरहिट बना दिया। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित भी किये गये ।
वर्ष 1985 में प्रदर्शित फिल्म तवायफ ऋषि कपूर के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है। फिल्म में जबरदस्त अभिनय के लिये ऋषि कपूर को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित किया गया ।
वर्ष 1989 में प्रदर्शित पिल्म चांदनी ऋषि कपूर अभिनीत महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है।यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर ने फिल्म के शुरूआत में जहां चुलबुला और रूमानी अभिनय किया वहीं फिल्म के मध्यांतर में एक अपाहिज की भूमिका में संजीदा अभिनय से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह सवश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित भी किये गये ।
वर्ष 1996 में ऋषि कपूर ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रखकर प्रेम ग्रंथ का निर्माण किया।यह फिल्म हालांकि टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी लेकिन इसमें ऋषि कपूर के अभिनय को जबरदस्त सराहना मिली। वर्ष 1999 में ऋषि कपूर ने फिल्म आ अब लौट चले का निर्माण और निर्देशन किया। दुर्भाग्य से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी । वर्ष 2000 में प्रदर्शित फिल्म कारोबार की असफलता के बाद और अभिनय में एकरूपता से बचने तथा स्वयं को चरित्र अभिनेता के रूप मे भी स्थापित करने के लिये ऋषि कपूर ने स्वयं को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया।
वर्ष 2009 में प्रदर्शित फिल्म लव आज कल में अपने दमदार अभिनय के लिये ऋषि कपूर को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
ऋषि कपूर ने अपने चार दशक के लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया है। ऋषि कपूर के करियर की अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में कभी कभी ,बदलते रिश्ते ,जमाने को दिखाना है ,कुली ,दुनिया,सागर ,नसीब अपना अपना ,दोस्ती दुश्मनी,अजूबा ,हिना, बोल राधा बोल, दीवाना , दामिनी, याराना ,प्रेमगंथ ,दरार ,हमतुम ,फना,अग्निपथ ,नगीना, खुदगर्ज ,मुल्क ,डी डे ,औरंगजेब ,लव आजकल , दिल्ली 6, 102 नाट आउट और द बॉडी शामिल है।
बॉलीवुड में चिंटूजी के नाम से मशहूर थे ऋ्षि कपूर
बॉलीवुड की आकाशगंगा में रोमांस की नयी परिभाषा गढ़ने वाले ऋ्षि कपूर का निकनेम ‘चिटू’ था और एक कविता के कारण उनका नाम चिंटू पड़ा था।
ऋषि कपूर अपने असली नाम के साथ निक नेम चिंटू से भी मशहूर थे। फिल्म इंडस्ट्री से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर लोग उन्हें चिंटूजी ही कहते हैं। ऋषि कपूर ने एक बार बताया था कि उन्हें निक नेम अच्छे नहीं लगते और इसीलिये उन्होंने अपने बेटे रणबीर कपूर का निक नेम नहीं रखा जबकि कपूर खानदान में लगभग सभी सितारे अपने असली नाम के साथ निक नेम से भी जाने जाते हैं। करीना कपूर का बेबो और करिश्मा कपूर का निक नेम लोलो है।
ऋषि कपूर ने एक बार इस बात का खुलासा किया था कि उन्हें चिंटू उपनाम मिला कैसे? उन्होंने बताया था कि एक कविता के कारण उनका उपनाम चिंटू पड़ गया, जिसे स्कूल के दिनों में अक्सर उनके बड़े भाई रणधीर कपूर सुनाया करते थे।
उन्होंने बताया था, “यह छुटपन में ही बना था। तब मेरे भाई रणधीर कपूर स्कूल में थे। उन्होंने एक कविता पढ़ी थी, जिसकी पंक्तियां कुछ ऐसी हैं: ‘छोटे से चिंटू मियां, लंबी सी पूंछ… जहां जाए चिंटू मियां, वहां जाए पूंछ’।” ऋषि ने बताया था कि तब वह बहुत छोटे थे, उनका जन्म ही हुआ था कि चिंटू उनका उपनाम बन गया।
ऋषि कपूर ने आखिरी ट्वीट में कोरोना से जंग जीतने की इच्छा जतायी थी
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर ने अपने आखिरी ट्वीट में वैश्विक महामारी काेरोना (कोविड-19) से जंग जीतने की इच्छा जतायी थी।
ऋषि कपूर सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव थे। वह काेरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक और लोगों से घरों में ही रहने की अपील करते रहते थे। कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ के लोगों पर जारी हमलों पर उन्होंने सख्त नाराजगी जाहिर की थी और सभी देशवासियों से अपील कि वे हिंसा का सहारा न लें।
दो अप्रैल की शाम ऋषि कपूर ने आखिरी ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने अपनी एक इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “मेरी हर धर्म और जाति के सभी भाइयों और बहनों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि प्लीज हिंसा न करें। डॉक्टरों, नर्सों, पुलिसकर्मियों और मेडिकल स्टाफ पर न तो पत्थर फेंके और न ही मारे-पीटें। वे सभी अपनी जिंदगियां खतरे में डालकर आपको बचा रहे हैं। हमें मिलकर कोरोना से इस जंग को जीतना है। प्लीज। जय हिंद।”