नयी दिल्ली, 19 फरवरी । सरकार ने उभरते उद्यमियों को बड़ी राहत देते हुए मंगलवार को स्टार्टअप की परिभाषा में राहत देते हुये कुछ बदलाव किया है। स्टार्टअप कंपनियों में अब 25 करोड़ रुपये तक के निवेश पर एंजल कर से रियाययत होगी।
इससे पहले, किसी स्टार्टअप में एंजल निवेशकों सहित यदि कुल निवेश 10 करोड़ रुपये तक होता है तो ऐसे स्टार्टअप को कर छूट की सुविधा उपलब्ध थी। पहले के नियमों के मुताबिक कर छूट पाने के लिये एंजल निवेश दस करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिये।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कई ट्वीट में कहा, “किसी भी पात्र स्टार्टअप द्वारा जारी शेयरों अथवा जारी किये जाने वाले शेयरों से सभी निवेशकों से प्राप्त कुल 25 करोड़ रुपये तक की राशि पर छूट होगी।’’
सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम काफी अहम है। हाल ही में कई स्टार्टअप ने ऐसी शिकायत की थी कि उन्हें एंजल निवेश पर कर नोटिस मिल रहे हैं जिससे उनके कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा है। स्टार्टअप ने उन्हें आयकर कानून 1961 की धारा 56(2)-सातबी के तहत भेजे गये नोटिस भेजे गये हैं जिनमें उन्हें एंजल कोषों से मिले धन पर कर देने को कहा गया है।
मंत्री ने कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 56(2) (सात-बी) के तहत स्टार्टअप कंपनियों के लिए निवेश पर छूट पाने की प्रक्रिया को सरल बनाने वाली नई अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) मंगलवार को अधिसूचना जारी करेगी।
समस्या के निदान के लिये सरकार ने कर रियायत देने के लिए स्टार्टअप कंपनियों की परिभाषा का विस्तार किया है और अब उनमें 25 करोड़ रुपये तक के एंजल निवेश को कर रियायत देने का प्रावधान किया है।
अब “किसी भी इकाई को स्टार्टअप तभी माना जाएगा जब यदि उसका कारोबार पंजीकरण से लेकर अब तक किसी भी वित्त वर्ष में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं हो। इससे पहले यह सीमा 25 करोड़ रुपये थी।”
इसके अलावा, इसके अलावा 25 करोड़ रुपये की सीमा से आगे 100 करोड़ रुपये नेटवर्थ या 250 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा किसी पात्र स्टार्टअप में किये गये निवेश को भी आयकर अधिनियम की धारा 56(2) (सात-बी) के तहत छूट दी जाएगी।
प्रवासियों, वैकल्पिक निवेश कोष-श्रेणी-1 द्वारा पात्र स्टार्टअप में 25 करोड़ रुपये की सीमा के ऊपर के निवेश को भी इस धारा के तहत छूट मिलेगी।
यदि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को मान्यता दी जाती है तो वह स्टार्टअप भी धारा की 56(2) (सात-बी) के तहत छूट के लिए पात्र होगी। वह स्टार्टअप किसी विशेष संपत्ति में निवेश नहीं कर रहा हो।
हालांकि, आयकर अधिनियम की धारा की 56(2) (सात-बी) के तहत वे स्टार्टअप छूट पाने के लिए पात्र होंगे जिन्होंने, अचल संपत्ति में निवेश नहीं किया हो। इसके अलावा 10 लाख रुपये से अधिक के वाहन और अन्य इकाइयों को कर्ज और पूंजी समर्थन नहीं दिया हो।
पात्र स्टार्टअप को कर छूट का लाभ लेने के लिए डीपीआईआईटी के समक्ष सिर्फ हस्ताक्षरित स्व-घोषणा करनी होगी। डीपीआईआईटी इन घोषणाओं को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पास भेजेगा।
प्रभु ने कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) (सात-बी) के तहत पात्र स्टार्टअप में निवेश पर छूट के लिए शेयरों का मूल्यांकन कोई मापदंड नहीं रह जाएगा।
सरकार के इस कदम पर इंडियन एंजल नेटवर्क के सह-संस्थापक पदमजा रुपेरल ने कहा कि यह एंजल निवेश को बढ़ावा देगा और स्टार्टअप कंपनियों के लिए घेरलू मुद्रा लाने में मदद करेगा।
लोकलसर्किल्स के संस्थापक सचिन तपारिया ने कहा कि यह स्टार्टअप कंपनियों के लिए बड़ी बाधा को खत्म करेगा।
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