कोलंबो, 19 नवंबर ।श्रीलंका में मध्यावधि संसदीय चुनाव हो सकते हैं, यह बात गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के एक दिन बाद मंगलवार को संसद के अध्यक्ष कारु जयसूर्या ने कही।
श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के प्रत्याशी 70 वर्षीय राजपक्षे ने सत्तारूढ़ यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के उम्मीदवार 52 वर्षीय सजीत प्रेमदास को 13 लाख से अधिक मतों से हराया है।
श्रीलंका में अगला संसदीय चुनाव संवैधानिक रूप से अगस्त 2020 के बाद होना है और मौजूदा प्रधानमंत्री को तबतक नहीं हटाया जा सकता है जबतक की वह इस्तीफा न दे दें। लेकिन राजपक्षे की जीत के बाद संसदीय चुनाव की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि वह अपनी नयी सरकार गठित कर सकें।
जयसूर्या ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे की जीत के बाद भविष्य में संसद के कामकाज को लेकर तीन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। अगले साल एक मार्च को संसद भंग कर दी जाए ताकि अप्रैल में मध्यावधि चुनाव का रास्ता साफ हो सके, तत्काल संसद को भंग कर दिया जाए और विधानसभा को भंग करने के लिए संसद दो तिहाई मत से मंजूरी दे या मौजूदा प्रधानमंत्री इस्तीफा दे और राष्ट्रपति को कार्यवाहक मंत्रिमंडल बनाने दें।
जयसूर्या ने कहा कि वह संसदीय दल के नेताओं की बैठक बुलाएंगे और तीन विकल्पों पर चर्चा के बाद अंतिम फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि बैठक की तारीख अभी तय नहीं की गई है।
इस बीच, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे पर भी पद छोड़ने का दबाव है। उनके कार्यालय ने सोमवार को जारी बयान में कहा, ‘‘लोकतंत्र का सम्मान करने वाली पार्टी होने के नाते हम संसदीय समूह, स्पीकर और पार्टी नेताओं से संसदीय चुनाव पर चर्चा करेंगे।’’
उधर, राजपक्षे ने सोमवार को शपथ लेने के बाद दिए अपने भाषण में स्पष्ट कर दिया है कि नीतियों को लागू करने के लिए उन्हें अपनी सरकार चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि यूएनपी में अगले कदम को लेकर मतभेद है। इस बात पर कोई सहमति नहीं बनी है कि सरकार इस्तीफा दे या फिर राजपक्षे द्वारा संवैधानिक रूप से बर्खास्त किए जाने का इंजतार करे।