कोलंबो, 07 अगस्त। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्द्रा राजपक्षे की अगुवाई वाली पार्टी श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) ने आम चुनाव में शुक्रवार को शानदार जीत दर्ज की। इस जीत को महिंदा राजपक्षे की राजनीति में वापसी के तौर पर भी देखा जा रहा है।
देश में 225 सीटों के लिए हुए चुनाव में एसएलपीपी ने 145 सीटें जीतकर दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया है।
चुनाव आयोग की ओर से चुनाव परिणाम के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साजित प्रेमदासा नीत समागि जना बालावेगाया (एसजेबी) को 54 सीटें मिली है जबकि एक तमिल राजनीतिक पार्टी इटाक के हिस्से में 10 सीटें आयी है।
चुनाव परिणामों में दिलचस्प यह भी रहा कि पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी(यूएनपी) को एक भी सीट नहीं मिली है। यूएनपी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक दलों में से एक है।
एसएलपीपी के खाते में 59.09 प्रतिशत वोट पड़े हैं जबकि एसजेबी को प्राप्त वोटों का प्रतिशत 23.90 रहा।
श्री राजपक्षे रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं जबकि नये मंत्रिमंडल का विस्तार आने वाले सप्ताह में किया जायेगा। देश के संविधान के तहत मंत्रिमंडल में 30 मंत्रियों को शामिल किया जा सकेगा।
श्री राजपक्षे ने ट्वीट कर मतदाताओं को धन्यवाद दिया है तथा राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे और स्वयं उन पर विश्वास जताने के लिए आभार व्यक्त किया है।
इससे पहले यह चुनाव दो बार स्थगित हुआ था।
चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम परिणामों के अनुसार 225 सदस्यीय संसद में एसएलपीपी ने अकेले 145 सीटें जीती और सहयोगियों दलों के साथ कुल 150 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस तरह पार्टी को दो-तिहाई बहुमत मिल गया है।
उसने बताया कि पार्टी को 68 लाख यानी 59.9 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं।
महिंदा राजपक्षे ने ट्वीट कर एसएलपीपी में विश्वास दिखाने के लिए श्रीलंका के लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि उनके कार्यकाल में देश निराश नहीं होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति गोटबाया, मुझपर और पार्टी पर विश्वास दिखाने के लिए शुक्रिया….. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे कार्यकाल में देश निराश ना हो।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को अपने श्रीलंकाई समकक्ष महिंदा राजपक्षे को उनकी पार्टी के संसदीय चुनाव में शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने तथा विशेष संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काम करेंगे।
राजपक्षे ने इसकी जानकारी देते हुए ट्वीट किया, ‘‘फोन पर बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आपका शुक्रिया। श्रीलंका के लोगों के समर्थन के साथ, दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने को उत्साहित हूं। श्रीलंका और भारत अच्छे मित्र एवं सहयोगी हैं।’’
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने नवम्बर में एसएलपीपी की टिकट पर ही चुनाव में जीत दर्ज की थी और निर्धारित सयम ये छह महीने पहले ही चुनाव कराने की घोषणा कर दी थी।
नतीजों के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी केवल एक सीट ही अपने नाम कर पाई। उसे केवल 2,49,435 यानी दो प्रतिशत वोट ही मिले। राष्ट्रीय स्तर पर वह पांचवे नंबर पर रही। 1977 के बाद ऐसा पहली बार है कि विक्रमसिंघे को संसदीय चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
आंकड़ों के अनुसार एसजेबी 55 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही, तमिल पार्टी टीएनए को 10 सीटे और मार्क्सवादी जेवीपी को तीन सीट हासिल हुईं।
यहां 1.6 करोड़ से अधिक लोगों को 225 सांसदों में से 196 के निर्वाचन के लिए मतदान करने का अधिकार था। वहीं 29 अन्य सांसदों का चयन प्रत्येक पार्टी द्वारा हासिल किए गए मतों के अनुसार बनने वाली राष्ट्रीय सूची से होगा।
पहले यह चुनाव 25 अप्रैल को होने वाले थे लेकिन कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर इसकी तारीख बढ़ा कर 20 जून की गई।
इसके बाद स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीख आगे बढ़ाकर पांच अगस्त कर दी गई।
करीब 20 राजनीतिक दलों और 34 स्वतंत्र समूहों के 7,200 से ज्यादा उम्मीदवार 22 चुनावी जिलों से मैदान में थे।