तिब्बती धर्म गुरु दलाईलामा ने दोहराया: वह चीन से तिब्बत की स्वतंत्रता नहीं चाहते जबकि चीन चाहता है कि, मैं तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लडूं attacknews.in

नयी दिल्ली, चार अप्रैल। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने गुरुवार को कहा कि तिब्बत के लोग 1974 से तिब्बत के मुद्दे पर चीन के साथ एक आपसी सहमति वाले समाधान के इच्छुक हैं लेकिन बीजिंग उन्हें ‘विखंडनवादी’ मानता है जबकि वह नहीं हैं।

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु ने यहां संवाददाता सम्मेलन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोग ऐसे समाधान पर विचार के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने दोहराया कि वह चीन से तिब्बत की स्वतंत्रता के इच्छुक नहीं हैं।

दलाई लामा ने कहा कि 1974 में हमने स्वतंत्रता मांगने के बजाय आपसी सहमति वाले समाधान को पाने का निश्चय किया था। 1979 में हमने चीन सरकार के साथ सीधा संवाद स्थापित किया। इसलिये बुनियादी तौर पर हमारा रुख स्पष्ट है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं विखंडनवादी नहीं हूं, लेकिन चीन सरकार मुझे विखंडनवादी मानती है।’’

उन्होंने कहा कि ऐसे में चीन सरकार चाहती है कि मैं तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लड़ूं।

दलाई लामा ने कहा कि एक तरह के पुनर्मिलन के तहत उन्होंने तिब्बत के चीन के साथ रहने को तरजीह दिया।

तिब्बत के आध्यात्मिक नेता ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी समृद्ध विरासत से एक दूसरे को लाभान्वित कर सकते हैं। चीन तिब्बत की आर्थिक रूप से मदद कर सकता सकता है जबकि तिब्बत अपना ज्ञान चीन को प्रदान कर सकता है।

दलाई लामा ने यूरोपीय संघ की भावना की भी सराहना की।

उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान फ्रांस और जर्मनी एक-दूसरे के दुश्मन थे, लेकिन युद्ध के बाद उन्होंने अपने-अपने हितों से ऊपर साझा हितों को रखा…ईयू का निर्माण शानदार था।

अगले दलाई लामा को लेकर चीन के रुख पर पूछे गये सवाल पर तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु ने कहा कि ‘अगर मैं और 10-15 वर्षों तक जीवित रहा तब चीन में राजनीतिक स्थिति जरूर बदलेगी, लेकिन अगर अगले कुछ सालों में मेरी मृत्यु हो गई तो चीनी सरकार अवश्य यह दिखाएगी कि पुनर्जन्म चीन में हुआ। ‘

चीन ने कहा है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी धार्मिक रीतियों और ऐतिहासिक परंपराओं के साथ-साथ सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन से चुना जाना चाहिये।

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