लखनऊ 12 जनवरी । उत्तर प्रदेश में करीब ढाई दशकों तक एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्धंदी रहे समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को शिकस्त देने के लिये शनिवार को आगामी लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने का ऐलान किया।
राजधानी के एक पांच सितारा होटल में बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली को देशहित के खिलाफ करार देते हुये लोकसभा चुनाव को साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की।
समझौते के तहत उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में सपा और बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी जबकि दो सीटें सहयोगी दलों के लिये छोड़ी गयी है। दाेनो ही दल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेंगे।
2019 में उत्तर प्रदेश का चुनावी महासंग्राम जीतने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने 23 साल पुरानी ‘सियासी दुश्मनी’ को पीछे छोड़ते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए शंख फूंक दिया है।
अखिलेश यादव और मायावती के बीच गठबंधन के कयास उसी वक्त लगने लगे थे, जब यूपी की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बसपा के समर्थन से समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया था।
इस जीत के बाद एक खास शख्स ने दोनों नेताओं के बीच आगे की बातचीत को रफ्तार दी। आइए जानते हैं उस शख्स के बारे में, जिसने सपा-बसपा के बीच महागठबंधन की नींव रखने का काम किया।
संजय सेठ है इन दोनों के मध्यस्थ:
अखिलेश यादव और मायावती 23 साल पुराने गेस्ट हाउस कांड को भुलाकर यूपी में एक बार फिर सपा-बसपा के झंडों को साथ लेकर आए हैं।
मायावती और अखिलेश के बीच बातचीत की शुरुआत उस वक्त हुई, जब पिछले साल गोरखपुर और फूलपुर के चुनावी नतीजों में सपा ने बसपा के समर्थन से भाजपा को पटखनी दी और उसी शाम मायावती ने अखिलेश यादव के लिए मर्सडीज गाड़ी भिजवाई।
अखिलेश जब मायावती के सरकारी आवास ’13 ए माल एवेन्यू’ पहुंचे तो खुद बसपा सुप्रीमो ने गुलदस्ता देकर सपा अध्यक्ष का स्वागत किया।
सूत्रों की मानें तो महागठबंधन के लिए अखिलेश और मायावती की इस मुलाकात की जिस शख्स ने आधारशिला रखी, उनका नाम है संजय सेठ।
संजय सेठ दोनों नेताओं के बीच हुई इस बेहद अहम मुलाकात में मौजूद भी थे। इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत आगे बढ़ने लगी।
ये हैं संजय सेठ?
संजय सेठ समाजवादी पार्टी में कोषाध्यक्ष के पद पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और वर्तमान में राज्यसभा के सांसद भी हैं।
संजय सेठ की गिनती समाजवादी पार्टी के दिग्गज और जिम्मेदार नेताओं में होती है। सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में शुमार संजय सेठ पेशे से बिल्डर हैं।
मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव के साथ वो शालीमार कॉर्प नामक रियल स्टेट कंपनी में पार्टनर भी हैं।
लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती, इटावा में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का बंगला इन्होंने ही बनवाया था।
बताया जाता है कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश के अलावा संजय सेठ के मायावती से भी बेहद अच्छे संबंध हैं।
दोनों के बीच सीटों का गणित:
यूपी में महागठबंधन का ऐलान करते हुए सपा और बसपा ने 38-38 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अखिलेश-मायावती के महागठबंधन ने कांग्रेस को स्पष्ट तौर पर ना कर दिया है। बाकी बची 4 सीटों में दो सीटों पर बाद में निर्णय लिया जाएगा।
मायावती और अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिलहाल आरएलडी को लेकर भी कोई ऐलान नहीं किया गया है। मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस मे कहा कि सपा-बसपा का यह गठबंधन पीएम मोदी और अमित शाह की नींद उड़ाने वाला है।
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