श्रीनगर,19 जून। सेना की 15वीं कोर के जनरल कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति नियंत्रण में हैं और सेना की तरफ से सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
जनरल राजू ने यहां जम्मू कश्मीर पुलिस प्रमुख और सीआरपीएफ महानिरीक्षक की मौजूदगी में संवाददाताओं को बताया“ जहां तक पूर्वी लद्दाख का सवाल है ताे वहां सभी अभियानों का संचालन सेना की 14 कोर रही है और हम भी उसका एक हिस्सा है। जहां तक मेरी जानकारी है तो स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। उस क्षेत्र में सेना की तरफ से जो भी करने की आवश्यकता थी वह हमने कर दिया है और आगे भी करने में सक्षम हैं। सेना को पता है कि इस तरह की आकस्मिक घटनाएं हो सकती हैं और उसी के अनुसार रणनीति अपनाई जा रही है तथा जो भी आवश्यक कदम उठाए जाने हैं वे लिए जा रहे हैं।“
उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा और कश्मीर घाटी में स्थिति नियंत्रण में हैं और हम यह आश्वस्त करना चाहते हैं कि नियंत्रण रेखा से बाहर और घाटी में किसी तरह के दुस्साहस को अजांम नहीं देने दिया जाएगा।
चीनी कंपनी के साथ आईओए तोड़ सकता है करार: पांडेय
लखनऊ, से खबर है कि ,लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना की नापाक हरकत के बाद देश में उपजी आक्रोश की लहर के बीच भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने संकेत दिया है कि निकट भविष्य में चीन की प्रायोजक कंपनी ली निंग के साथ करार तोड़ा जा सकता है।
आईओए के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडेय ने शुक्रवार को कहा, “हम देश से अलग नहीं है। हमारे लिये देश सर्वोपरि है। हम केन्द्र के हर फैसले के साथ खड़े हैं। चीन की कंपनी ली निंग के साथ हमारा करार 2016 में रियो ओलंपिक से पहले हुआ था जो टोक्यो ओलंपिक तक के लिये है। करार के तहत ली निंग भारतीय खिलाड़ियों को पांच से छह करोड़ रूपये की किट मुहैया कराती है।”
उन्होंने कहा, “कोरोना वायरस के कारण टोक्यो ओलंपिक तो फिलहाल 2021 तक के लिए टल गया है और हाल-फिलहाल कोई बड़ा खेल आयोजन भी नहीं है। इसलिये हमारे पास करार पर विचार करने के लिये पर्याप्त समय है। हम जल्द ही कार्यकारिणी की बैठक बुलायेंगे जिसमें चीन के साथ सैन्य तनाव बरकरार रहने की दशा में करार को तोड़ने का फैसला लिया जा सकता है, हालांकि इस संबंध में केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जायेगा। ”
गौरतलब है कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गये थे जिसके बाद देश भर में चीनी कंपनियों और उसके उत्पादों के बहिष्कार का सिलसिला जोर पकड़ चुका है। इस बीच केन्द्र सरकार ने भी रेलवे से जुड़ी एक योजना से चीनी कंपनी का ठेका समाप्त करने का फैसला लिया है।