नयी दिल्ली 01 अप्रैल । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा मजबूत उम्मीदवार उतारने की अटकलों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव लड़ने से इन्कार करते हुए कहा कि वह विधानसभा में निर्वाचित हो चुके हैं।
श्री चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मैं एक निर्वाचित विधायक हूं, मैं तीन महीने पहले ही चुनाव जीत कर आया हूं इसलिए दोबारा लड़ने का क्या मतलब है।” उन्होंने कहा कि अगर उनसे पूछा जाये तो वह राज्य के लिए काम करना चाहेंगे। लेकिन उनके बारे में सभी निर्णय लेने का अधिकार पार्टी नेतृत्व को ही है।
शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘आदतन झूठ बाेलने वाला राजनेता’ करार दिया और मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों की कर्ज़ माफी को लेकर उनके वादे को नहीं निभाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि कांग्रेस के न्यूनतम आय योजना के वादे का भी ऐसा ही हश्र होने वाला है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि श्री गांधी आदतन झूठ बोलने वाले नेता हैं और वह बहुत बेशर्मी एवं आत्मविश्वास से झूठ बोलते हैं। श्री गांधी ने नवंबर 2018 में राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनावों में अनेक भाषणों में कहा था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही दस दिन के भीतर किसानों का ऋण माफ कर देंगे और किसी मुख्यमंत्री ने आनाकानी की तो मुख्यमंत्री बदल देंगे।
श्री चौहान ने कहा कि आज 104 दिन हो चुके हैं जबकि ना तो कर्ज़ माफ हुआ और ना ही मुख्यमंत्री बदला गया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में दो लाख तक ऋण लेने वाले किसानों की कुल ऋण राशि करीब 48 हजार करोड़ रुपए है। लेकिन राज्य की कमलनाथ सरकार ने बजट में केवल पांच हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया तथा सहकारी बैंकों को 600 करोड़ रुपए और अन्य बैंकों को 700 करोड़ रुपए जारी किये गये। उन्होंने कहा, “ 48 हजार करोड़ रुपए के एवज में केवल 1300 करोड़ रुपए जारी किये। पैसा ना धेला, सूरजकुंड का मेला।”
उन्होंने कहा कि दस मार्च को चुनाव आयोग द्वारा शाम पांच बजे लोकसभा चुनावों की घोषणा करने के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी और दिन में एक बजे से ही किसानों के मोबाइल फोन पर बैंकों का संदेश आने लगा कि जय किसान फसल ऋण माफी योजना के तहत उनका ऋण आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद माफ किया जाएगा। इसी के साथ किसानों को बैंकों से ऋण वसूली की चिट्ठियां आने लगीं। उन्होंने कुछ किसानों के नाम एवं पते के साथ उदाहरण देते हुए कहा कि जिनके एक लाख रुपए के कर्ज़ थे, उन्हें 1042 और जिनमें डेढ़ लाख रुपए का ऋण था, उन्हें 1076 रुपए माफ किया गया। इससे किसान ना हंस पा रहा है और न ही रो पा रहा है। यानी इस प्रकार से कांंग्रेस ने किसानों को मूर्ख बनाने का काम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के लिए पात्र किसानों की सूची नहीं भेजी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरु की गयीं अनेक कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया है। बेटियों को आर्थिक मदद से लेकर गरीबों के लिए सात सुविधाओं वाली संबल योजना, छात्रवृत्ति आदि योजनाओं को भी समाप्त कर दिया गया है।
श्री चौहान ने कहा कि श्री गांधी दूसरा झूठ बोल रहे हैं कि गरीबी पर सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे। चाहे कलावती का मामला हो या भट्टा पारसौल का, राफेल हो या किसान कर्जमाफी का, उनके रिकॉर्ड से साफ है कि इस वादे का भी किसानों के कर्ज माफी वाले वादे जैसा हश्र होने वाला है। उन्होंने कहा कि वह पूरे देश में जा कर देश की जनता एवं किसानों को कांग्रेस के कर्ज़माफी के वादे का सच बताएंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा कांग्रेस के न्यूनतम आय गारंटी के वादे से डरी हुई है, श्री चौहान ने कहा, “हम डरे नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से भरे हैं।”
उन्होंने कहा कि भाजपा का संकल्प पत्र आएगा तो उसमें किसानों की आय दोगुना करने को लेकर आगे का कार्यक्रम लाया जाएगा।
कांग्रेस द्वारा भाजपा पर मध्यप्रदेश में उसकी सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोपों को खारिज करते हुए श्री चौहान ने कहा कि अगर भाजपा को यही करना था तो वह सरकार बनने ही नहीं देती। उन्होंने कहा कि श्री कमलनाथ की सरकार तमाम अंदरूनी अंतर्विरोधों से घिरी है और वह खुद ही अपनी गति को प्राप्त करेगी।
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