नयी दिल्ली, 29 नवम्बर ।उच्चतम न्यायालय ने करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार की अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की अपील पर शुक्रवार को उनसे जवाब मांगा।
सीबीआई की अपील पर कुमार को नोटिस जारी करते हुए प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सीबीआई को न्यायालय को यह यकीन दिलाना होगा कि कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त की हिरासत इस मामले में क्यों जरूरी है। यही एकमात्र चीज है। अन्यथा, वह एक उच्च पदस्थ अधिकारी हैं।
पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।
न्यायालय ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी कर रहे हैं।’’
मेहता ने पीठ से कहा कि कुमार पहले कुछ समय तक फरार रहे हैं और उन्होंने अपनी जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्रियों को दबा दिया।
शारदा समूह पर लाखों लोगों को करीब 2,500 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। लोगों को उसने निवेश पर अत्यधिक दर पर धन वापसी का आश्वासन दिया था।
पश्चिम बंगाल सरकार ने इस घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित किया था, राजीव कुमार इसका हिस्सा थे। लेकिन बाद में शीर्ष अदालत ने 2014 में चिटफंड के अन्य मामलों के साथ इसकी जांच भी सीबीआई को सौंप दी थी।
राजीव कुमार के विधाननगर पुलिस आयुक्त रहने के दौरान 2013 में शारदा चिट फंड घोटाला सामने आया था।
सीबीआई ने कुमार को अग्रिम जमानत देने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।
एजेंसी ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि कुमार को मामले में गिरफ्तार करने और हिरासत में पूछताछ किए जाने की जरूरत है।
अलीपुर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 21 सितंबर को कुमार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
उल्लेखनीय है कि जनवरी में केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच एक अभूतपूर्व गतिरोध देखने को मिला था। दरअसल, सीबीआई की एक टीम कुमार से पूछताछ करने के लिए उनके आधिकारिक आवास पर पहुंची थी लेकिन उसे वापस आना पड़ा क्योंकि स्थानीय पुलिस ने सीबीआई के अधिकारियों को अपनी हिरासत में ले लिया था।
कुमार के बचाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उतरीं और केंद्र के कदम के खिलाफ धरना दिया।
शीर्ष अदालत ने पांच फरवरी को सीबीआई को कुमार के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई करने से रोक दिया। साथ ही, कुमार को किसी तटस्थ स्थान पर पूछताछ में जांच एजेंसी का सहयोग करने का निर्देश दिया था।
इसके बाद सीबीआई ने फरवरी में शिलांग में राजीव कुमार से पांच दिन तक करीब 40 घंटे पूछताछ की थी।