Home / व्यक्तित्व / राम जेठमलानी की यादें शेष :17 साल में वकील बनें,2 शादी की,दंगे भड़कनें पर पाकिस्तान छोड़ा,भारत में नेतागिरी की और 78 साल की वकालत में चर्चित प्रकरणों में पैरवी की attacknews.in

राम जेठमलानी की यादें शेष :17 साल में वकील बनें,2 शादी की,दंगे भड़कनें पर पाकिस्तान छोड़ा,भारत में नेतागिरी की और 78 साल की वकालत में चर्चित प्रकरणों में पैरवी की attacknews.in

नयी दिल्ली 08 सितंबर । वरिष्ठ भाजपा नेता राम जेठमलानी अपने समय के दिग्गज अधिवक्ता तथा कानूनविद रहे तथा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बने।


अविभाजित भारत के सिंध प्रांत के शिकारपुर (अब पाकिस्तान) में 14 सितंबर 1923 को श्री बूलचंद जेठमलानी और श्रीमती पार्वती बूलचंद के घर जन्मे श्री जेठमलानी दो बार लोकसभा और पाँच बार राज्यसभा के लिए चुने गये तथा एक बार राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। वह वाजपेयी सरकार में कानून तथा शहरी मामलों के मंत्री भी रहे।


उनकी प्रारंभिक पढ़ाई शिकारपुर के स्थानीय विद्यालय में ही हुई। वह पढ़ने में शुरू से ही काफी तेज थे। उन्होंने 13 वर्ष की आयु में मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी और 17 वर्ष में ही कराची के एस.सी. साहनी लॉ कॉलेज से एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त कर ली थी। उस समय वकालत की प्रैक्टिस के लिये न्यूनतम उम्र 21 वर्ष थी, लेकिन श्री जेठमलानी के लिये एक विशेष प्रस्ताव पास करके 18 साल की उम्र में प्रैक्टिस करने की इजाजत दे दी गयी। इसके बाद उन्होंने एस.सी. साहनी लॉ कॉलेज से ही एल.एल.एम. की डिग्री भी प्राप्त कर ली।


श्री जेठमलानी का विवाह 18 वर्ष की उम्र में श्रीमती दुर्गा से कर दिया गया। वर्ष 1947 में देश के विभाजन से कुछ समय पहले उन्होंने श्रीमती रत्ना आर. से भी विवाह कर लिया। इन दोनों पत्नियों से उनके दो बेटियाँ रानी और शोभा तथा दो बेटे महेश और जनक हैं।


श्री जेठमलानी ने अपने करियर की शुरुआत सिंध में एक प्रोफेसर के तौर पर की। इसके पश्चात उन्होंने अपने मित्र ए.के. ब्रोही के साथ मिलकर कराची में एक लॉ फर्म की स्थापना की। विभाजन के बाद 1948 में जब कराची में दंगे भड़के तब ब्रोही ने ही उन्हें पाकिस्तान छोड़ भारत जाने की सलाह दी।


उन्होंने 1953 में मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में अध्यापन कार्य प्रारंभ कर दिया। यहाँ वह स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के छात्रों को पढ़ाते थे। उन्होंने अमेरिका के डेट्रॉइट में स्थित वायने स्टेट यूनिवर्सिटी में कम्पेरेटिव लॉ और इंटरनेशनल लॉ भी पढ़ाया।


वह एक प्रसिद्ध अधिवक्ता और राजनीतिज्ञ थे। वह 1968 में बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया के उपाध्यक्ष और 1970 में इसके अध्यक्ष बने। वह कुल चार बार बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष चुने गये और देहावसान तक भी वे इस पद पर थे।


आपातकाल के समय वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष थे। उन्होंने आपातकाल की जमकर आलोचना की और गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्हें कनाडा भी भागना पड़ा। आपातकाल हटने के बाद वर्ष 1977 में मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट से वह पहली बार छठी लोकसभा के लिए चुने गये और 1980 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर अपनी सीट बचाने में कामयाब हुये।


इस प्रख्यात विधिवेत्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम जेठमलानी का रविवार को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बेहद कठिन आपराधिक मामले लड़े और इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी हत्या मामले में आरोपियों का बचाव भी किया था।



जेठमलानी ने नयी दिल्ली स्थित अपने आधिकारिक आवास पर सुबह 7.45 बजे अंतिम सांस ली। उनके बेटे महेश जेठमलानी ने पीटीआई से कहा कि पिछले कुछ महीने से उनकी तबियत ठीक नहीं थी।



उनके बेटे ने बताया कि उनका जन्मदिन 14 सितम्बर था और अपने 96वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले ही उनका निधन हो गया। जेठमलानी का अंतिम संस्कार रविवार शाम साढ़े चार बजे लोधी रोड श्मशान घाट पर किया गया ।



पूर्व केंद्रीय मंत्री के परिवार में महेश के अलावा उनकी बेटी है जो अमेरिका में रहती है। उनकी एक अन्य बेटी रानी जेठमलानी का 2011 में निधन हो गया था जबकि एक अन्य बेटे जनक की भी पहले मृत्यु हो चुकी है।



जेठमलानी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय केंद्रीय कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री रहे थे और बाद में 2004 के लोकसभा चुनाव मे लखनऊ सीट से उन्हीं के खिलाफ चुनाव लड़े। वह 2010 में उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे।



जेठमलानी के निधन की खबर आने के तुरंत बाद श्रद्धांजलियों का तांता लग गया और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके निधन पर दुख जताया।



राष्ट्रपति सचिवालय ने ट्वीट किया, ‘‘पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के निधन से दुखी हूं। वह सार्वजनिक मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करने के लिए जाने जाते थे। देश ने एक प्रख्यात विधिवेत्ता, बुद्धिजीवी को खो दिया है।’’



नायडू ने कहा कि जेठमलानी ‘‘भारत के बड़े बुद्धिजीवियों में थे’ और देश ने एक प्रख्यात विधिवेत्ता, देशभक्त और बुद्धिजीवी को खो दिया है जो अपने अंतिम सांस तक सक्रिय रहे।’



मोदी ने कहा कि जेठमलानी ‘‘हाजिर जवाब, साहसी और किसी भी विषय पर विचार व्यक्त करने से नहीं हिचकने वाले व्यक्ति थे।’’



प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘राम जेठमलानी के निधन से भारत ने एक शानदार वकील और हस्ती को खो दिया है जिसने अदालत और संसद दोनों स्थानों पर काफी योगदान किया।’’



गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जेठमलानी के निधन की खबर जानकर ‘‘उन्हें गहरा दुख’’ हुआ है और इसे पूरे कानूनी जगत के लिए ‘‘अपूरणीय क्षति’’ बताया है।



अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि देश ने अपने ‘‘बेहतरीन वकील’’ को खो दिया है जो काफी साहसी थे तथा काफी संवेदनशील और संवैधानिक मामलों को लड़े।



सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी उनके निधन पर दुख जताया।



उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने जेठमलानी को ‘‘शानदार संसद सदस्य’’ और ‘‘आपराधिक कानून का अगुआ’’ करार दिया।



एससीबीए ने कहा कि जेठमलानी जी वास्तव में भारतीय बार के दिग्गज थे और विलक्षण प्रतिभा के वकील थे। भारत का पूरा कानूनी समाज उन्हें लंबे समय तक याद रखेगा।



कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जेठमलानी के निधन पर उनके परिवार और दोस्तों से संवेदना जताई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें ‘‘कुशल प्रशाासक और अनुभवी सांसद’’ बताया।



कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘पूर्व केंद्रीय मंत्री और मशहूर वकील राम जेठमलानी के निधन से हम दुखी हैं। उनके परिजनों से हमें संवेदना है।’’



जेठमलानी छठी और सातवीं लोकसभा में 1977 और 1980 में क्रमश: जनता पार्टी और भाजपा के टिकट पर मुंबई से सांसद बने। वह 2010 में भाजपा में लौटे और पार्टी के टिकट पर राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए।



जेठमलानी को 2013 में ‘‘अनुशासन भंग करने’’ और ‘‘पार्टी विरोधी’’ भावनाओं के लिए भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्षों के लिए निलंबित कर दिया गया था। बाद में उन्होंने निष्कासन के लिए भाजपा पर मुकदमा किया और 50 लाख रुपये का हर्जाना मांगा। शाह द्वारा उन्हें निकाले जाने पर ‘‘दुख जताने’’ के बाद मामले को आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था।



सिंध प्रांत के शिकारपुर में 1923 में जन्मे जेठमलानी ने 17 वर्ष की उम्र में कानून की डिग्री हासिल की। वकील के तौर पर वह 1959 में तब प्रसिद्ध हुए जब के एम नानावती बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में अभियोजक थे जिसमें नौसेना के एक कमांडर पर उसकी पत्नी की हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया था।



उनके अन्य हाई प्रोफाइल मामलों में राजीव गांधी के हत्यारों का 2011 में मद्रास उच्च न्यायालय में बचाव करना, हर्षद मेहता और केतन पारेख का स्टॉक मार्केट घोटाला मामले में बचाव, 2001 में संसद हमला मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस ए आर गिलानी का बचाव करना और जेसिका लाल हत्या मामले में कांग्रेस के प्रभावशाली नेता के बेटे मनु शर्मा का प्रतिनिधित्व करना शामिल है।

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