भोपाल, 19 दिसंबर । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि चुनाव आयोग का काम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है न कि राज्य सरकारों को कथित भ्रष्टाचार के लिए अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने का निर्देश देना।
सिंह ने यह टिप्पणी चुनाव आयोग द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने के लिए कहने के कुछ दिनों बाद आज शनिवार को यहां पत्रकार वार्ता में की।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की एक रिपोर्ट में 2019 लोकसभा चुनावों के दौरान राज्य में अनधिकृत और बेहिसाब नकदी लेनदेन में सरकारी कर्मचारियों की प्रथम दृष्टया भूमिका की ओर इशारा किया गया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश सरकार को यह निर्देश दिये थे।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें इस बात का दुख है कि चुनाव आयोग, जिसे निष्पक्षता से काम करना चाहिये। किसी भी अच्छे प्रजातंत्र की व्यवस्था में केन्द्रीय चुनाव आयोग की निष्पक्षता संदेह से परे होना चाहिये। इस मामले में नहीं लगता कि यह संदेह से परे है, क्योंकि उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है, जिनका चुनाव संचालन में कोई लेना देना नहीं था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ चुनाव आयोग को चुनाव कैसे कराना है, वहीं तक उसकी सीमाएं हैं। किस अधिकारी पर भ्रष्टाचार का प्रकरण, ये निर्देश देने का अधिकार चुनाव आयोग का नहीं है। मैं केन्द्रीय चुनाव आयोग से आग्रहपूर्वक कहूंगा कि आपकी निष्पक्षता पर संदेह नहीं होना चाहिये, लेकिन इस प्रकार के आदेश होंगे, तो संदेह होगा।’’
आरोप निराधार, अपना वजूद बचाने और कमलनाथ को निपटाने में लगे हैं दिग्विजय : रजनीश अग्रवाल
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश की राजनीति में तो पहले ही अपना वजूद खो चुके हैं, अब वे कांग्रेस की राजनीति में भी हाशिये पर आ गए हैं। ऐसे में वे भाजपा पर आरोप लगाकर अपना वजूद बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं और इसके लिए वे अपनी ही पार्टी के दूसरे नेताओं को निपटाने से भी संकोच नहीं कर रहे हैं। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री रजनीश अग्रवाल ने दिग्विजय सिंह की प्रेस कांफ्रेंस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।
श्री अग्रवाल ने कहा कि 2013 के जिस मामले का जिक्र श्री दिग्विजय सिंह ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में किया है, वह मामला पहले ही खत्म हो चुका है और जांच में ऐसे किसी आरोप को सही नहीं पाया गया था। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने जिस अधिकारी पर लेनदेन के आरोप लगाए हैं, वह अधिकारी कमलनाथ सरकार के दौरान भी सेवा में था, अगर उसका ट्रेक रिकॉर्ड इतना खराब था, तो कांग्रेस सरकार ने उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की? श्री अग्रवाल ने कहा कि बड़े-बड़े घोटालों की जांच के लिए भी डेढ़ साल का समय पर्याप्त होता है। फिर इतने समय में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने कथित ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच करके दोषियों को सजा क्यों नहीं दी? श्री अग्रवाल ने कहा कि सच्चाई यह है कि कमलनाथ सरकार में शामिल नेताओं को तबादला उद्योग, रेत और शराब के कारोबार से ही फुरसत नहीं थी और वे दोनों हाथों से पैसे बटोरने में लगे हुए थे।
दिग्विजय को मलाल, रिपोर्ट में कमलनाथ का नाम क्यों नहीं?
श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रेस कांफ्रेंस करके दिग्विजय सिंह ने भाजपा सरकार पर निराधार आरोप लगाने की नौटंकी सिर्फ इसलिए की है, क्योंकि उन्हें इस बात का मलाल है कि सीबीडीटी के दस्तावेजों में उनका नाम तो आया है लेकिन कमलनाथ का नाम नहीं आया, जबकि सरकार के मुखिया वही थे और जो भी लेनदेन हुआ है, वह उनके जरिए ही हुआ है। इसलिए वे प्रेस कांफ्रेंस करके कमलनाथ का नाम उछाल रहे हैं, ताकि किसी तरह उनका भी नाम आरोपियों में जुड़ जाए। श्री अग्रवाल ने कहा कि हालांकि दिग्विजय की यह सोच गलत भी नहीं है क्योंकि सरकार के मुखिया के नाते सारी जिम्मेदारी कमलनाथ की थी और इसलिए उन्हें आरोपी बनाया ही जाना चाहिए।