नई दिल्ली 10 जून । केंद्र सरकार की ओर से 10 मंत्रालयों में ज्वॉइंट सेक्रेटरी के लिए वैकेंसी में बडा बदलाव किया है।
दरअसल, सरकार ने ब्यूरोक्रेसी में लैटरल एंट्री की शुरुआत कर दी है। यानी, ब्यूरोक्रेसी का हिस्सा बनने के लिए आपको यूपीएससी की परीक्षा पास करना जरूरी नहीं होगा। प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे बड़े अधिकारी अब सरकार का हिस्सा बन सकेंगे।
यानी प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी अब मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी बन सकते हैं। सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि इससे मंत्रालय देश के ज्यादा अनुभवी लोगों का लाभ ले पाएगा।
सरकार द्वारा तय मानदंडों के मुताबिक आवदेक की आयु 1 जुलाई से 40 वर्ष तक होनी चाहिए। आवेदक मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से स्नातक होना चाहिए।
यदि आवेदक उच्च क्लालिफिकेशन है तो उसे अतिरिक्त लाभ मिलेगा। इन आवेदकों को पहले तीन साल तक के लिए नियुक्त किया जाएगा अगर सरकार चाहेगी तो पांच साल तक अनुबंध भी बढ़ा सकती है। चयन होने के बाद आवेदकों को1.44 लाख रुपए प्रति माह 2.18 लाख रुपए का वेतन दिया जाएगा और केंद्र सरकार में समकक्ष स्तर पर लागू भत्ते और सुविधाएं भी मिलेंगी।
10 विभागों के लिए ऐसे होगा चयन-
लैटरल एंट्री अधिसूचना के मुताबिक राजस्व, वित्तीय सेवाएं, आर्थिक मामलों, कृषि, सडक़ परिवहन, नौवहन, पर्यावरण और वन, नागरिक उड्डयन और वाणिज्य हैं। चयन की प्रक्रिया इंटरव्यू से शुरू होगा। यह इंटरव्यू कैबिनेट सेक्रेटरी द्वारा नियुक्ति कमिटी करेगी। योग्यता के अनुसार सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाले भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं।
सालों से लंबित प्रस्ताव अब हुआ लागू.-
ब्यूरोक्रेसी में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव 2005 में ही आया था, जब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी। लेकिन तब इसे सिरे से खारिज कर दिया गया। फिर 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई। लेकिन पहली गंभीर पहल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई।
पीएम मोदी ने 2016 में इसकी संभावना तलाशने के लिए एक कमिटी बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट में इस प्रस्ताव पर आगे बढऩे की अनुशंसा की।
सूत्रों के अनुसार ब्यूरोक्रेसी के अंदर इस प्रस्ताव पर विरोध और आशंका दोनों रही थी, जिस कारण इसे लागू करने में इतनी देरी हुई। अंतत: पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद मूल प्रस्ताव में आंशिक बदलाव कर इसे लागू कर दिया गया।
हालांकि पहले प्रस्ताव के अनुसार सेक्रटरी स्तर के पद पर भी लैटरल ऐंट्री की अनुशंसा की गई थी लेकिन सीनियर ब्यूरोक्रेसी के विरोध के कारण अभी जॉइंट सेक्रटरी के पद पर ही इसकी पहल की गई है।
सरकार का मानना है कि लैटरल एंट्री आईएएस अधिकारियों की कमी को पूरा करने का भी प्रभावी जरिया बनेगा।attacknews.in