नयी दिल्ली, 17 सितंबर । पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शेयरों को वापस खरीदने (बायबैक) के नियमों में संशोधन किया है और इस बारे में सार्वजनिक घोषणाओं को अधिक स्पष्ट बनाए जाने के प्रावधान किए हैं।
पूंजी बाजार नियामक ने यह भी कहा है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां सार्वजनिक अथवा राइट्स इश्यू के जरिये पेश की जाने वाली प्रतिभूतियों की रेटिंग के अलावा कोई और दूसरा काम नहीं करेंगी।
नियामक ने कहा है रेटिंग कंपनी को वित्तीय प्रतिभूतियों की रेटिंग तय करने और आर्थिक अथवा वित्तीय शोध एवं विश्लेषण कार्य अलावा दूसरे कामों को अलग कंपनी में बांटने का नियम लागू किया है। इसके लिए दो साल का समय दिया गया है।
सेबी ने कहा है कि कंपनियों द्वारा बाजार से अपने ही शेयरों की खरीद के मौजूदा नियमों की समीक्षा इससे संबंधित सार्वजनिक घोषणा की भाषा को सरल बनाने, उनमें विसंगति को दूर करने और नये कंपनी अधिनियम के अनुरूप उसके संदर्भ को उन्नत करने के लिये किया गया है। नया कंपनी कानून अप्रैल 2014 से लागू है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 11 सितंबर को जारी अधिसूचना में कहा है कि बायबैक अवधि की परिभाषा और डाक मतपत्र के परिणाम घोषित होने के बाद होने वाली पेशकश को लेकर सार्वजनिक घोषणा की जरूरत को संशोधित नियमनों में स्पष्ट किया गया है। इसके साथ ही कंपनी अधिनियम 2013 के अनुरूप ‘‘मुक्त आरक्षित भंडार’ के बारे में स्पष्टीकरण को नये ढांचे में शामिल किया गया है।
कोई भी कंपनी जिसे शेयरों की वापस खरीद की अनुमति दी जाती है उसे दो कार्यदिवसों के भीतर इसकी सार्वजनिक घोषणा करनी होगी। अधिसूचना के मुताबिक कंपनी निदेशक मंडल की बायबैक के लिये मंजूरी मिलने और इस पेशकश को स्वीकार करने वाले शेयरधारकों को भुगतान मिलने की तिथि को बायबैक अवधि के तौर पर परिभाषित किया गया है।
इसमें कहा गया है कि कोई भी कंपनी शेयरों की वापस खरीद अपने मुक्त आरक्षित कोष और प्रतिभूतियों के प्रीमियम खाते से कर सकती है। लेकिन इसी तरह के शेयरों अथवा अन्य विशिष्ट प्रतिभूतियों के इश्यू से प्राप्त कोष से बायबैक की पेशकश नहीं की जा सकती है।attacknews.in